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Guru Nanaka Jayanti (भारत)
Guru Nanaka Jayanti “…They didn’t talk of Kundalini; that’s the only trouble. And they all, that time they were all fighting. Because of that fighting nature nobody had patience to tell them ‘baba, you don’t fight now’. because when there is fight going on you can’t talk to them. But with Sahaja Yoga.., Sahaja Yoga has given you a complete freedom.” Hindi: – “there were many true nice saints but nobody ever talked about the Kundalini, nobody talked. Every body talked about the self realization. But in you that Kundalini is seated.” “None of them talked about Kundalini. There had been very great gurus. Very great gurus. But that time every body was quarreling, nobody was listening. They were all fighting. So they never talked about ‘basic is the Kundalini’. See the trouble. All of this. They were not friendly with each other. This is the problem. That time they fought. They didn’t talk of Kundalini and self realization. They were all very evident but because of this gap the problem became wider and wider. None of them talked of Kundalini. Can you imagine! They say it is; some mentioned about it in the Sanskrit language but I have not seen, have you seen! So they all knew the same thing but they didn’t say. So, so many got separated and there was a big (drift/rift) within each other. Because the truth was; there is a Kundalini. And this one was not said critically….” Shri Mataji – “… She is Read More …

Diwali Puja, 1st Day, Dhanteras New Delhi (भारत)
Dhanteras Puja 27th October 2008 Date : Place Delhi : Type Puja : Speech Language Hindi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK यह एक अद्भूत चीज़ है कि हमारे अन्दर बसी हुई शक्ति को हमने जगाया है और हम खोये रहते है हमारे अपने ही ने विचारों में। लेकिन हमारे अन्दर बहत शक्ति है और सब परमात्मा हमें ये शक्ति दी है। हम सब परमात्मा, परमात्मा कहते है पर सब ये जानते है कि वो हर जगह है, हर जगह रहते है, हर जगह वो देखते है। और हमारी हर एक बात को वो बहुत प्यार से देखते हैं। अब तुम लोग तो उनके दरबार में आ गये हो। यही मुझे कहना है कि मुझे बड़ा आनन्द आया कि इतने साल हो गये दिल्ली में सहजयोग बड़े जोरो में चला है। इसका मतलब ये है कि दिल्ली के लोगों में बड़ी श्रद्धा है और बहुत सामाजिक भी है। नहीं तो इतने और जगह में गयी हूँ, वहाँ इतना प्रचार हुआ फिर भी में ये नहीं कह सकती कि हर जगह इस कदर समझदारी लोगों में आयी। आप लोगों ने सहजयोग को पूरी तरह से समझना है और उसका आशीर्वाद आपके अधिकार की चीज़ है । आपने ‘सहज’ को समझा तो सहज आपको समझेगा । वो जानते हैं कि आप क्या है और आपकी क्या हैसियत है और आपको क्या देना चाहिए। अब मैं आपसे बताती हूँ ये एक बात कि बहुत साल पहले मैं आयी थी दिल्ली और दिल्ली में मैंने सोचा था कि यहाँ सहजयोग बहुत जम जाएगा | क्या वजह Read More …

Easter Puja: You must forgive The Pride Hotel, Nagpur (भारत)
ईस्टर पूजा (आपको क्षमा करना ही चाहिए ), २००८ मैंने आशा नहीं की थी की आप सब यहाँ आएँगे पूजा के लिए | मुझे नहीं पता आप सब कैसे आ पाए | नहीं तो यह आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है हम सभी के लिए क्योंकि आपको पता है की क्राइस्ट कैसे मरे | उन्हें सूली पर चढ़ाया था | उन्हें क्रॉस पर चढ़ाया गया और फिर वो मर गए | उन्होंने आपके बारे में जिस तरह बताया वो वह कमाल की बात है | उन्होंने परमात्मा से क्षमाशीलता मांगी | हमे उनके जीवन से सीखना है की किस प्रकार सबको क्षमा करना | हमे भी लोगों को क्षमा करना चाहिए | लोगों के लिए क्षमा करना बहुत कठिन प्रतीत होता है | और अगर वो नाराज़ है तो वो नाराज़ है | वो क्षमा नहीं कर सकते | फिर आप सहज योगी नहीं है | सहज योगिओं ने क्षमा करना ही चाहिए | बहुत महत्वपूर्ण है | क्योंकि यही शक्ति है, जो आपको क्राइस्ट से मिली है, क्षमा की शक्ति | मनुष्य ग़लतियाँ करते है, वह उनके जीवन का हिस्सा है | पर उसी समय, सहज योगी होने के नाते आपको याद रखना है की आपको क्षमा करना है | वह कही ज़्यादा महत्वपूर्ण है, नाराज़ होने से | तो लोगों को उनकी किसी गलती के लिए, आपके मुताबिक या परमात्मा के मुताबिक, आपको क्षमा करना है | और आपको आश्चर्य होगा की क्षमाशीलता इतनी महान है, और संतुष्टि देने वाली आपकी विशेषता है | यदि आप लोगों को Read More …

Shri Ganesha’s Birthday House in Pratishthan, पुणे (भारत)
Talk held in occasion of Shri Ganesha’s Jayanti. Pratishthan (India), 10 February 2008.

Visit to Belapur Health Centre मुंबई (भारत)
H.H.Shri Mataji Nirmala Devi visits the International Sahaja Yoga Health Centre in the Belapur suburb of Mumbai (India). 23 December 2007.

Talk of the Evening Eve of Diwali (भारत)
Diwali Celebrations Date 10th November 2007: Noida Place Type Puja [Original transcript Hindi talk] हॅप्पी दिवाली ! आप सबको दिवाली मुबारक हो। ये तरह तरह के नृत्य को आपने देखा; इससे एक बात समझलो, कि ये जो भी थे जिन्होने ये लिखा, कहा, सब एक ही बात कह रहे हैं और सबसे बड़ी बात कौनसी कही कि परमात्मा एक है । उन्होनें अलग अलग अवतार लिए पर परमात्मा एक है । उनमें आपस में कोई झगड़ा नहीं और वो इस संसार में इसलिए आते हैं कि, दुष्टों का नाश करें । खराब लोगों को बर्बाद करे। और हो रहा है हर जगह । हर जगह मैं देखती हैँ, कि जो दुष्ट लोग हैं, वो सामने आ रहे हैं । और अब आप लोगों का भी यही काम है, कि जो दुष्ट हैं, जो परमात्मा के विरोध में काम करते हैं और पैसा कमाने के लिए कोई भी काम कर सकते हैं, वो सब नर्क में जाएंगे। हमको पता नहीं कितने नर्क हैं। अभी जिस माहौल में आप बैठे हैं, जिस जगह आप बैठे हैं, ये नर्क से परे है । इसका संबंध नर्क से कोई नहीं है। लेकिन आप इसमें रहकर | और अधर्म करें, गलत काम करें तो आप भी नर्क में जा सकते हैं। बहत तरह के न्क हैं और ये नर्क में जाने की 6. व्यवस्था भी बड़ी अच्छी है। क्योंकि वहाँ पर जानेवाले जानते नहीं कि हम कहाँ जा रहे हैं। और जो बच जाते हैं वो स्वर्ग चले जाते हैं। तो इस पृथ्वी तल पे Read More …

Makar Sankranti Puja House in Pratishthan, पुणे (भारत)
Hindi Talk आज का दिन पृथ्वी के उत्तर भाग में महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि सूर्य दक्षिण से उत्तर में आता है। इसलिये नहीं कि ये हम कर रहे हैं। हर साल एक ही तारीख जो कि सूर्य के ऊपर कार्य हम करते हैं, तो हम लोग उसको क्यों इतना मानते हैं? क्या विशेष बात है कि सूर्य अगर उत्तर में आ गया, तो हम लोगों को उसमें इतनी खुशी क्यों? बात ये है कि सूर्य से ही हमारे सब कार्य जो हैं प्रणीत होते हैं। अँधेरे में, रात्रि में हम लोग निद्रावस्था में रहते हैं। लेकिन जब सूर्य उदित होता है, तो उसके बाद ही हमारे सारे कार्य चलते हैं। इसलिये इस कार्य को प्रभावित करने वाली जो चीज़ है वो है सूर्य। और वो क्योंकि हमारे कक्ष में आ जाती है, तो हम इसको बहुत मान्य करते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि बाकी सारे त्यौहार चंद्रमा पर आधारित होते हैं और सिर्फ यही एक त्यौहार ऐसा है, कि जो हम सूर्य के आधार पे करते हैं। ऐसे हमारे यहाँ सूर्यनारायण की भी बहुत महती है और लोग सूर्यनारायण को मानते हुये गंगाजी पर जा कर नहाते हैंऔर अनेक तरह के अनुष्ठान करते हैं। पर सब से महत्त्वपूर्ण है यही एक दिन है। अब हम लोगों को ये तय करना पड़ता है, कि इस दिन क्या करना चाहिये? इस विशेष दिन को क्या कार्य करना चाहिये? सूर्य का नमस्कार हो गया, सूर्य को अर्घ्य दे दिया और सूर्य के प्रति अपनी कृतज्ञता हम लोगों ने संबोधित की। Read More …

Adi Shakti Puja: Be One With Yourself First Campus, Cabella Ligure (Italy)
[English to Hindi translation] परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी आदि शक्ति पूजा कबेला, इटली 6 जून, 2004 आज की सभा बहुत विशेष है। आज का दिन भी बहुत बहुत विशेष है, अत्यधिक विशेष और अत्यंत परमानंद पूर्ण। इसका कारण है कि यह बात करता है और गाता है, और बताता है उत्पन्न करने की प्रणाली, उत्पन्न करने की शक्ति, मूलरूप, आदि और आदिकालीन के बारे में और यही एक इस महान ब्रह्मांड की रचना के लिए उत्तरदाई हैं। यह क्यों शुरू हुआ और यह किस तरह कार्य करता है यह आप पहले से ही जानते हैं। मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है। परंतु आज हमें उस शक्ति के बारे में बात करनी है जो आपके हृदयों में छुपी है जिसके द्वारा आप जो कुछ चाहे कर सकते हैं एक नए संसार, नए परिवार और नए मापदंडों की रचना के लिए, वह सब जो अभी तक अज्ञात है। यह काफी संभव है, काफी संभव है और यह किया जा रहा है। पर जो कठिन है वह है लोगों को अधिक अनुकूल बनाना, एक दूसरे से अधिक सामंजस्य बिठाना पूर्णत:। एक मुश्किल चीज लगती है। वे आपस में ठीक रहते हैं अगर उनके अपने मित्र हों, अपनी शैली हो और अपना सामान हो। लेकिन उन्हें पूर्णत: एक रूप बनाना एक दूसरे से एकरूप बनाना एक धुन में, एक पंक्ति में, बहुत बहुत कठिन है और यह करना भी नहीं चाहिए। यह होना नहीं चाहिए, वह ऐसे होने नहीं चाहिए, परंतु यह कार्यान्वित होना चाहिए। अब समस्या यह है कि हमारे पास Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)
Birthday Puja, New Delhi (India), 21 March 2004. [Shri Mataji speaks in Hindi:] I thank you all for giving Me this welcome. With such great love and respect you all have given this programme, I don’t know how much I have to thank you all, I don’t understand. [Shri Mataji speaks in English:] I wanted to thank you all for giving Me such a hearty welcome to Me today. I don’t know what words to use to thank you. [Shri Mataji speaks in Hindi:] Today in every moment I am enjoying it. I am very happy, what can I say to you all, I don’t understand. Your love and respect is beyond my strength, beyond my expectation. I don’t understand why you are all embarrassing Me, I don’t know what I have done for you all, the thing which you all wanted to have, you have got it. I haven’t done anything for you all. [Shri Mataji speaks in English:] I was overjoyed to see the way you all welcomed and you are singing songs of happiness and joy. I don’t know how to express Myself because I’m Myself very happy and I don’t know what to say in your praise, where you have taken to Sahaja Yoga so easily and have assimilated it. Whatever it is, it’s a very mutual admiration society, I should say, that we are enjoying each other. May God bless you all with this happiness and joy and complete oneness with the Divine. Thank you Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)
Mahashivaratri Puja 15th February 2004 Date: Place Pune Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] कठिन है। कल्याण’ माने हर तरह से साफल्य, हर तरह से प्लावित होना, हर तरह से अलंकृत होना। जब आशीर्वाद में कोई कहता है कि तुम्हारा “कल्याण” हो तो क्या होना चाहिए? क्या होता है? ये कल्याण क्या है? यह वही कल्याण है जिसको हम आत्मसाक्षात्कार’ कहते है। बगैर आत्मसाक्षात्कार के कल्याण नहीं हो सकता। उसकी समझ भी नहीं आ सकती और उसको आत्मसात भी नहीं किया र जा सकता। ये सब चीजें एक साथ कल्याणमय होती हैं और जिसकी वजह से मनुष्य अपने को अत्यन्त सुखी, अत्यन्त तेजस्वी समझता है। इस कल्याणमार्ग के लिए आपको जो करना पड़ा वो कर दिया, जो मेहनत करनी थी सो कर ली. जो विश्वास धरने थे वो धर लिए । लेकिन जब कल्याण का मार्ग अब मिल गया, जब आपको गुरु ने मन्त्र दे दिया कि आपका कल्याण हो जाए तो क्या ा क चीज घटित होगी? आपके अन्दर सबसे बड़ी चीज समाधान। इसके वाद कुछ खोजना नहीं। अब आप स्वयं भी गुरु हो गए अब आपको कुछ विशेष प्राप्त होने वाला नहीं है। किन्तु इस समाधान का जो आशीर्वाद है उसको आप महसूस कर सकेंगे उसको आप जान सकेंगे और उसमें आज हम लोग यहाँ गुरु की पूजा करने के आप रममाण हो सकेंगे पहले तो देखिए, सबसे लिए उपस्थित हुए हैं। गुरु को सारे देवताओं से, बड़ी चीज है शारीरिक-शारीरिक तकलीफें, शारीरिक देवियों से ऊँचा माना जाता है। वास्तविक ये गुरु दुर्बलता Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)
Christmas Puja IS Date 25th December 2003: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk] ईसामसीह की आज जन्मतारीख है और हम लोग बहुत खुशी से मना रहे हैं। किंतु जीझस क्राइस्ट को कितनी तकलीफें हुईं वो भी हम लोग जानते हैं और जो तकलीफें, परेशानियाँ उनको हुई वो हम लोगों को नहीं हो सकती क्योंकि अब समाज बदल गया है, दुनिया बदल गयी है और इस बदली हुई दुनिया में आध्यात्मिक जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे कितने क्लेश हमारे दूर हो सकते हैं। हमारे शारीरिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। मानसिक क्लेश अध्यात्म से खत्म हो सकते हैं। इसके अलावा जागतिक जो | क्लेश हैं वो भी खत्म हो सकते हैं। इस तरह सारी दुनिया की जिंदगी जो है अध्यात्म में पनप सकती है। कितना महत्त्वपूर्ण है ये जानना की एक तरफ तो ईसामसीह जैसा अध्यात्म का…. और दूसरी तरफ हम लोग जिन्होंने अध्यात्म को थोडा बहुत पाया है और हम लोगों की वजह से दुनिया शांत हो गयी। बहुत सी तकलीफें दूर हो गयी है और मनुष्य जान गया कि उसके लिये सबसे बड़ी चीज़ है अध्यात्म को पाना । ये आप लोगों की जिंदगी से उसने जाना है। आपको देख कर उसने जाना है। ये सारा परिवर्तन आप लोगों की वजह से आया। हम अकेले क्या कर | सकते थे? जैसे ईसामसीह वैसे हम। हम कितना कर सकते थे । लेकिन इतने आप लोगों ने जब अध्यात्म को प्राप्त कर लिया है, तब देख सकते हैं कि दुनिया कितनी बदल गयी है। आपके प्रभाव से Read More …

Diwali Puja: The Need for Sincerity Los Angeles (United States)
दीवाली पूजा लॉस एंजिल्स (यूएसए), 9 नवंबर 2003 आज दीपावली का महान दिन है। इसका मतलब है कि आज दुनिया को एक उचित दिशा में ले जाने के लिए एक बड़ा प्रकाश बनाने के लिए प्रकाश, अपने दिलों के प्रकाश को एक साथ शामिल करने का महान दिन है। यह बहुत खुशी का दिन है, और इसमें शामिल होने वाले भी बहुत आनंद फैला रहे हैं। लेकिन समस्याएं हैं, जैसा कि वे कहते हैं, लेकिन हमारे लिए कोई समस्या नहीं है क्योंकि अंधकार नहीं है, हम कहीं भी अंधकार नहीं देखते है, हमें प्रकाश, प्रकाश और प्रकाश ही दिखाई देता है। फिर किस चीज की कमी है, जो गुम है वह है हमारी निष्ठा। हमें स्वयं के प्रति बहुत ईमानदार होना होगा, क्योंकि यह केवल उधार लिया हुआ प्रेम या उधार का आनंद नहीं है, बल्कि यह स्रोत के भीतर से है, यह प्रवाहित है, बह रहा है और बह रहा है। तो उसे जगाना है, और वह प्रेम बहना चाहिए, और हमारी छोटी-छोटी क्षुद्र चीजें जैसे ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा और वे सभी ख़राब करने वाली चीजें हैं, उन्हें स्वच्छ करना चाहिए। और अगर आपका दिल प्यार से भरा है तो इसे धोया जा सकता है। आज का दिन प्रेम, प्रेम का प्रकाश फैलाने का है, जिससे हर कोई प्रबुद्ध और प्रसन्न महसूस करता है और इन छोटी-छोटी समस्याओं को भूल जाता है। मुझे खुशी है कि आपको कोई हॉल मिल गया है, यह सब भाग्य है कि हमें मिल गया, लोग हॉल पाने के लिए बहुत चिंतित थे। लेकिन Read More …

Shri Krishna Puja पुणे (भारत)
Hindi Transcript of Shri Krishna Puja. Pune (India), 9 August 2003. हम लोगों को अब यह सोचना है कि सहजयोग तो बहुत फैल गया और किनारे किनारे पर भी लोग सहजयोग को बहुत मानते हैं। लेकिन जब तक अपने अन्दर सहजयोग वायवास्तीह रूप से प्रकटित नहीं होगा तब तक जैसा लोग सहजयोग को मानते हैं वो मानेगें नहीं। इसलिए ज़रूरत है कि हम कोशिश करें कि अपने अन्दर झांकें। यही कृष्ण का चरित्र है कि हम अपने अन्दर झांके और देखें जाने की कौन सी ऐसी चीजे हैं जो हमें दुविधा में डाल देती हैं। इसका पता लगाना चाहिए। हमें अपने तरफ देखना चाहिए, अपने अन्दर देखना चाहिए और वो कोई कठिन बात नहीं है जब हम अपनी शक्ल देखना चाहते हैं तो हम शीशे में देखते हैं। उसी प्रकार जब हमें अपनी आत्मा के दर्शन करने होते हैं तो हमें देखना चाहिए हमारे अन्दर ,वो कैसे देखा जाता है । बहुत से सहजयोगियों ने कहा माँ यह कैसे देखा कर जायेगा कि हमारे अन्दर क्या है, और हम कैसे हैं? उसके लिए ज़रूरी है कि मनुष्य पहले स्वयं की और नम्र हो जाए क्योंकि अगर आपमें नम्रता नहीं होगी तो आप अपने ही विचार लेकर बैठे रहेंगे। कृष्ण के जीवन में पहले दिखाया गया कि एक छोटे लड़के के जैसे वो थे बिलकुल जैसा शिशु होता है बिलकुल ही अज्ञानी वो इसी तरह थे , वो अपने को कुछ समझते नहीं थे | उनकी माँ थी एक और वो अपनी माँ के सहारे वो बढ़ना चाहते थे। इसी प्रकार Read More …

Adi Shakti Puja: We are the singers of Shri Mataji Campus, Cabella Ligure (Italy)
आदिशक्ति पूजा ,कबेला , लीगुरे , १५ जून २००३ छोटी पूजा के बाद बड़े ही उत्साह के साथ गोंडरी भजन गाया गया । अंत में , श्रीमाताजी ने कहा: मैं बहुत प्रसन्न हूँ, आप सभी यहाँ पर हैं, गोदड़ी के गीत गा रहे हैं। शायद, आपको अर्थ नहीं पता। अर्थात् हम श्रीमाताजी के गायक हैं।और वे गीत गाये गए हैं, लोगों द्वारा, जो ग्रामवासी हैं। और वे गीत गा रहे हैं कि हम गा रहे हैं, अपनी माता के गीत, उनके प्रति अपने सम्पूर्ण प्रेम के साथ। और वह सब गायन आप तक पहुँच गया है। बहुत-बहुत खुशी की बात है, मेरे लिए। क्योंकि वे केवल सामान्य ग्रामवासी हैं। और कैसे आपने चयन कर लिया, ऐसा अच्छा भाव, और गीत उनमें से। परमात्मा आपको आशीर्वादित करे। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

Inauguration of Vishwa Nirmal (भारत)
Udghatan – Vishwa Nirmala Prem Ashram Date 27th March 2003 : Noida Place : Seminar & Meeting Type [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] अपने देश में जो अनेक प्रश्न हैं, उसमें सबसें बड़ा प्रश्न है कि यहां पर औरतों को और आदमियों को अलग-अलग तरीके से देखा जाता है। पता नहीं ये कैसे आया, क्योंकि अपने शास्त्रों में तो लिखा नहीं है। कहते हैं शास्त्रों में कि: यत्र पूज्यन्ते नार्या, नारियां जहां पूजनीय होती है तत्र रमन्ते देवता। तो पता नहीं कैसे हमारे देश में इस तरह की स्थिति सम्पन्न हुई है, जिससे औरतों के प्रति कोई भी आदर नहीं है। विशेषतः मेरा विवाह यू.पी. में हुआ और मैं देखकर हैरान हुई कि यू.पी. में घरेलू औरतों का कोई स्थान ही नहीं है। उनमें और नौकरानियों में कोई फर्क ही नहीं है। ये इस प्रकार क्यों हुआ, और क्यों हो रहा है? क्योंकि लोग उस ओर जागृत नहीं हैं और कभी-कभी देख कर के तो रोना आता है। जिस तरह से औरतों को छला है, घर से निकाल दिया, कोई वजह नहीं है, यूही घर से निकाल दिया। और ऐसे बहुत सारे हमने जीवन में अनुभव लिए और जिसकी वजह से अत्यन्त व्यथित हो गए। समझ में नहीं आता था कि इस तरह से क्यों औरतों को सताया जा रहा है और इनके रहने की भी व्यवस्था नहीं है। जब घर से निकल गई तो उनको देखने वाला भी कोई नहीं है। बाल बच्चे ले करके निकल आएंगी बेचारी। वो लोग तो हैं निराश्रित पर बच्चों को भी विल्कुल बुरी तरह से निकाल देते हैं। ये अपने यहाँ की व्यवस्था किस तरह से बंदल सकती है, इसका कोई इलाज है या नहीं? Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)
80th Birthday Puja Date 21st March 2003: Place New Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सारे सहज योगियों को हमारे ओर से अनन्त आशीर्वाद । इतने बड़े तादाद में आप लोग आज यहां पर हमारा जन्मदिवस मनाने के लिए पधारे। मैं किस तरह से आपको धन्यवाद दूं? मेरी तो समझ में नहीं आता है! बाहर से भी इतने लोग आये हैं और अपने भी देश के इतने यहाँ सम्मिलित हुए । ये देखकर के हृदय भर आता है। न जाने हमने ऐसा कौन सा अद्भुत कार्य किया है जो आप लोग हमारा जन्म दिन मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। आप लोगों का हृदय भी बहुत विशाल है कि आपने आज के दिन इतने दूरस्थ स्थित जगह पर आकर के हमें सम्मानित किया हमारे पास तो शब्द ही नहीं हैं कि आप लोगों से बताया जाए कि इससे हम कितने आनन्द से पुलकित हो गए! ন हिन्दी प्रवचन : सहज सरल बात जो है बो सहजयोग है आज मैंने अंग्रेजी में इन लोगों को बताया और इसके लिए सब लोग तैयार हैं। आप और आपको बताने की ज़रूरत नहीं क्योंकि कहीं भी जाएं, कोई देहात में जाएं, शहर में इस देश में तो सब लोग जानते ही हैं कि जाएं. हर जगह सहजयोग के लिए उपयुक्त आध्यात्मिक जीवन कितना महत्वपूर्ण है और है। इसलिए मैं चाहती हूँ कि आप लोग और लोग चाहते हैं कि आध्यात्म में उत्थान हो। पूरी तरह से कोशिश करें और अगले साल लोग प्रयत्नशील हैं। कोई हिमालय में Read More …

Inauguration of Vaitarna Music Academy (भारत)
English Transcript Inauguration speech for the opening of the new Music Academy (transcr. only English part). Vaitarna (India), 1 January 2003. I’m sorry I spoke in Hindi language, because to talk about My father in any other language is very difficult, though he was a master of English language and he used to read a lot. He had a big library of his own where I also learned English, because my medium of instruction was Marathi. I’d never studied Hindi or English. But because of his library, because I was very fond of reading, I picked up English, whatever it is, and also Hindi. Now they all say I speak very good English and very good Hindi, I am surprised, because to Me they were foreign languages. And when I did my matriculation also, I had a very small book of English, and for inter-science also I had a very small book. And in the medical college of course there was no question of any language, but because I used to read a lot. So I would suggest to all of you to read, read more. But don’t read nonsensical books, very good famous books you must read. That’s how I developed my language, and I had to do so well. By reading that, I could know also so much about the human failings. I didn’t know human beings have those failings, I didn’t know. I was absolutely beyond them. After reading everything, I came to know that there are Read More …

New Year’s Eve Puja (भारत)
New Year Puja Date 31st December 2002: Place Vaitarna: Type Puja Speech [Hindi translation from Marathi and English talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतनी बड़ी संख्या में कार्यक्रम के लिए बुद्धिमान तथा विद्वान व्यक्ति थे परन्तु आए आप सब लोगों को देखकर मैं बहुत उन्होंने सर्वसाधारण लोगों की ओर ध्यान प्रसन्न हू। वास्तव में मैंने ये जमीन 25 वर्ष दिया, उनकी देखभाल की और उनमें संगीत पहले खरीदी थी। परन्तु इस पर मैं कुछ न कला को बढ़ावा दिया। इसी विचार के साथ कर सकी क्योंकि इस पर बहुत सारी मैंने निर्णय किया कि कला और संगीत के आपत्तियाँ थीं, आदि-आदि। परन्तु किसी तरह से मैंने इसकी योजना बनाई और अब प्रचार-प्रसार के उनके लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैं ये स्थान समर्पित कर दूं। ये देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है कि मेरा ये विचार फलीभूत हो गया है काश कि आप लोगों कि इतनी कठिनाइयों का सामना करने को प्रसन्न करने के लिए आज मेरा भाई भी के पश्चात् आज मेरे सम्मुख मेरी पूजा के यहां होता! वो अत्यन्त प्रेम एवं करुणामय व्यक्ति था। मैंने देखा कि वो कभी किसी से नाराज़ नहीं हुए। सदा उन्होंने सभी लोगों यहां पर मुझे अपने भाई बाबा की याद की बहुत अच्छी तस्वीर मेरे सम्मुख पेश की। आती है जिन्होंने भारतीय संगीत, शास्त्रीय परन्तु इस विषय में कोई भी क्या कर सकता ये सब कार्यान्वित हो गया है। आप सब लोगों को यहां देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इतने सारे सहजयोगी उपस्थित हैं Read More …

Devi Puja: The heart is closed, which has to open out Ealing Ashram, London (England)
देवी पूजा (हृदय बंद है जिसे खुलना चाहिए), लंदन(इंग्लैंड), ३० अगस्त २००२ मै नहीं जानती क्या कहूँ (हॅसते हुए)| आप इस घर में रह रहे है अब, और ये बहुत अच्छा था क्योंकि सहज योगी यहाँ रहते थे और उन्होंने मेरे यहाँ वास का आनंद लिया| पर हमें बदलना है और प्रगति करना है| यही बात है| हर बदलाव के साथ आपको प्रगति करनी ही चाहिए, नहीं तो उसका कोई अर्थ नहीं| उस बदलाव का कोई अर्थ नहीं| तो अब वो सोच रहे है की मुझे इस घर में रहना चाहिए| मुझे लगता है यह अच्छा विचार है| डेरेक ली: (बहुत अच्छी खबर है हमारे लिए माँ) श्री माताजी, हम आपका शुक्रियादा अदा करना चाहेंगे| यहाँ एलिंग में आकर रहने के लिए, इस घर में इतने लम्बे समय तक| और हम जानते है, की इस घर से सभी प्रकार के आशीर्वाद हमारे लिए आये है | और मै कहना चाहता था, की वह प्रतीकात्मक था श्री माताजी | जब आप यहाँ आये, यह घर पूरी तरह ख़राब और नष्ट हो रहा था | और अब आपने उसे बनाया, उसे पुनः नया तैयार करवाया, बनवाया, एक महल के रूप में, जो यह अभी है| और हम आशा करते है श्री माताजी की आप ऐसा ही आश्चर्यजनक और खूबसूरत बदलाव पा सकते है हमारे साथ, क्योंकि यह प्रतीकात्मक है (हँसते हुए)| श्री माताजी: पर क्या मैंने वह नहीं किया? मैंने पहले ही किया है| आप देखे, ये आपकी करनी है| आपने स्वीकार किया, जिससे कार्य हुआ| और मुझे कहना चाहिए की बहुत Read More …

Guru Puja: The Advice Campus, Cabella Ligure (Italy)
गुरु पूजा , कबेला , इटली – २१ जुलाई ,२००२ तालिओं की जोरदार गड़गड़ाहट… भारत में वो सब मानसून की राह देख रहे थे, और वो बहुत परेशान थे क्योंकि बारिश नहीं आयी | तो मै बरसात को बंधन दे रही थी, और वो यहां आ गई(तालियां बजने लगी और माँ हंसने लगी)| और अब टेलीविजन पर बताया है, की भारत में भी बरसात होने वाली है | पर पहले इटली में ! (हँसी) मुझे बताया गया था की इटली में आपको बरसात की बहुत आवश्यकता थी| और पहली बरसात जो आपने पाई कुछ दिन पहले और अब ये दूसरी बरसात है| क्योंकि हमारे किसानों की परेशानियों की समझ यहाँ है| और जो बरसात है, आप देखे, इतनी दयालू है, की वो सही समय पर बरसती है| मै आश्चर्यचकित हूँ उसकी तुरंत गतिविधि पर और उसकी आज्ञाकारिता पर| आज का दिन बहुत बड़ा है, हम सभी के लिए क्योंकि हम गुरु पूजा मना रहे है|और सभी बड़े गुरुओं को याद कर रहे है, जो इस धरती पर आये संसार को सत्य के बारे में सिखाने के लिए | बहुत सारे थे ऐसे संत| और उन्होंने पूरी तरह से प्रयत्न किया मानव जाति को समझाने का, की अध्यात्म क्या है | पर यह ऐसी विषमता है की लोग कभी नहीं समझ पाए की अध्यात्म सबसे महत्वपूर्ण है जिसकी हमें ज़रूरत है| की हमे देवी शक्ति से एकरूप होना चाहिए| उनका सब परिश्रम गलत दिशा में था | पहले वो निश्चित ही बहुत होशियार थे, जानवरों से ज्यादा, और ढूंढ़ने लगे, सत्य Read More …

Gudi Padwa Puja (भारत)
Gudi Padwa Puja Date 13th April 2002: Place Gurgaon: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] हम लोग जो मनाते हैं गुड़ी पड़वा ऐसा भी तिथियां हैं वो मानते हैं। एक तारीख हर एक जगह है, साउथ में भी है। हर ऐसी जरूर है जो सूर्य के रूप से होता है। जगह ये त्यौहार मनाया जाता है। जो सूर्य जब दक्षिणायण से उत्तरायण में आता सम्वत शुरु हुआ है और जो शालीवाहान ने है उस दिन जरूर हम एक त्यौहार मानते भी सम्वत शुरु किया वो सब एक ही दिन हैं। वो सारे देश में वही दिन माना जाता पड़ते हैं। वो आज का ही दिन है और सारे है । अब जो है, चन्द्रमा के हिसाब से, देश में उसको माना जाता है। उसी के ज्योतिष शास्त्र भी हमारे यहाँ चन्द्रमा के हिसाब से सब हमारी तिथियां और सब हिसाब से चलता है। ज्योतिष में भी चन्द्रमा हमारी तारीखें बनायी जाती हैं खास करके की स्थिति देखी जाती है। कहाँ है, क्या है। त्यौहार। और हम लोग चन्द्रमा के कैलेंडर उसी के अनुसार ज्योतिष शास्त्र बनाया पर चलते हैं। विदेशी लोग जो हैं वो सूर्य जाता है। और इसीलिए जो पहले हमारा के कैलेंडर पर चलते हैं इसलिए उनकी कैलेंडर बनाया गया जिसको कि हम लोग तारीख कभी बदलती नहीं है। अपने यहाँ हर एक त्यौहार हमेशा चनद्र की स्थिति पर होता है और इसलिए हमारे पर निर्भर हैं, जिन लोगों को अपनी तिथि यहाँ की तारीख भी बदलती है और का पता नहीं होगा Read More …

Doctor’s conference at AIIMS Jawaharlal Auditorium, New Delhi (भारत)
एम्स में डॉक्टर का सम्मेलन, नई दिल्ली (भारत)।2 अप्रैल 2002 सभी सत्य साधकों को हमारा प्रणाम। डॉक्टरों से बात करते समय मैं अपने कॉलेज के दिनों के बारे में सोचती हूँ, जब मैं भी चिकित्सा में अध्ययन कर रही थी, परंतु सौभाग्यवश या दुर्भाग्यवश हमारा कॉलेज पूरी तरह से बंद हो गया, लाहौर में,एवं मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। ऐसा नहीं है कि मेरा इस पश्चिमी चिकित्या शिक्षा में कोई विश्वास नहीं था, किंतु यह एक अच्छा अवसर था इसे उससे जोड़ने का और समझने का कि पाश्चात्य चिकित्सा शिक्षा में क्या कमी रह गई है। असफल तथ्य यह है ,कि मनुष्यों को चिकित्सा विज्ञान में कुछ, अति व्यक्तिगत माना जाता है और सम्पूर्ण साथ जुड़ा हुआ नहीं, समझा जाता। हम सब समपूर्ण से जुड़े हुए हैं। किंतु लोगों को कैसे विश्वास दिलाएँ कि आप सभी सम्पूर्ण के साथ जुड़े हुए है और यह कि आप अलग नहीं हैं? क्यों कि हम सम्पूर्ण से जुड़े हुए है, हमारी सभी समस्याएँ पूर्ण से जुडी हुई हैं, तो आप किसी को केवल एक चीज़ के रोगी और दूसरे रोगी को एक दूसरी चीज़ का रोगी नहीं मान सकते, हो सकता है कि एक व्यक्ति जिसे एक परेशानी है, उसे बहुत सारी अन्य दूसरी परेशानियाँ भी हो सकती है, कई अन्य संबंद्ध जिन्हें हम पश्चिमी चिकित्सा विज्ञान में स्थापित नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को चिकित्सकीय रूप से बहुत बीमार समझना, हो सकता है, परंतु आप नहीं जानते, उसकी मानसिक स्थिति क्या है? वह मानसिक रूप से क्या कर रहा Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)
Birthday Puja 21st March 2002 Date: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आप इसको महसूस कर सकते हैं। इसको जान सकते हैं कि ये प्यार, परमात्मा का प्यार, परमात्मा की शक्ति सिर्फ प्यार है और प्यार ही की शक्ति है जो कार्यान्वित होती है। हम लोग इसे समझ नहीं पाते। किसी से नफरत करना, किसी के प्रति दुष्ट भाव रखना, किसी से झगड़ा करना, ये तो बहुत ही गिरी हुई बात है। आप तो सहजयोगी हैं, आपके मन में सिर्फ प्यार के और कुछ भी नहीं होना चाहिए। अपने देश में आजकल जो आफत मची है, इसको देखते हुए 1 मैं देख रही हैं कि ये सारे प्यार की समझ में नहीं आता है कि धर्म के नाम पर महिमा कैसे फैल गई, कहाँ से कहाँ पहुँच इतना प्रकाण्ड रौरव इंसान ने क्यों खड़ा गई, कितने लोगों तक, इसकी खबर ही कर दिया? इसकी क्या ज़रूरत थी? एक नही है! किन्तु इसका पूरा शास्त्र समझ में चीज़ शुरु होती है फिर इसकी प्रतिक्रिया आ गया । प्यार का भी कोई शास्त्र हो आती हैं और प्रतिक्रिया शुरुआत की एक सकता है? प्यार का कोई शास्त्र नहीं। क्रिया से भी बढ़कर होती है। इस तरह से प्यार जो है एक महामण्डल की तरह सब परमात्मा का जो भी आपको अनुभव है वो दूर छाया हुआ है। इसका एहसास हमें कम होता जाता है। अब समझने की कोशिश नहीं, उसे हम जानते नहीं। लेकिन परमात्मा करना चाहिए कि हम प्यार को कैसे बढ़ावा का प्यार, Read More …

New Year’s Eve Puja (भारत)
New Year Puja – You Should Be Satisfied Within 31st December 2001 Date: Kalwe Place Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] देर हो गई और आप लोगों की प्रेम की आप कर रहे हैं कि सिर्फ इस शक्ति को शक्ति मुझे खींच के लाई है यहाँ । कुछ तो अपने लिए, अपने बच्चों के लिए आप आपकी माँ की तबियत ठीक नहीं है और इस्तेमाल करें? ये बहुत जरूरी है क्योंकि इच्छा शक्ति जबरदस्त है। उसी के बूते मैंने देखा है कि पार होने पर भी लोगों में दोष रह जाता है। पूर्णता आनी चाहिए। पर चल रहा है। मैं चाहती हूँ आप लोगों की भी इच्छा जब तक आप दूसरों से संबंधित हो कर शक्ति जबरदस्त हो जाए। इस मामले में के सहजयोग का कार्य न करें, आपको आपने क्या किया वो खुद ही सोचना चाहिए। पता ही नहीं चलेगा कि आप के अंदर अपनी ओर नज़र करके देखें कि आपने इसमें कौन सी मेहनत की? आप ध्यान लोग आते हैं और पैसा बनाते हैं। ऐसे करते हैं, ध्यान में आप गहनता लाएँ और बहुत से लोग हैं जो सहजयोग में आने के सोचिए कि आप एक संत हैं। और आपको बाद पैसा बनाते हैं बाद में जरूर वो खुल क्या करना चाहिए? माँ ने आपको संत जाते हैं, दिखाई देता है और बेकार परेशानी बना दिया है। अब आपको आगे क्या करना होती है। सो फायदा क्या? चाहिए? अपनी दुरुस्ती तो करनी है। इसमें कोई शक नहीं । आगे आपको क्या करना आप Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)
Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 2001. 2001-12-25 Christmas Puja Talk, Ganapatipule, India अच्छा लगा क्रिसमस पूजा के दौरान इतने सारे सहज योगियों को यहाँ आया देख कर । ईसाई धर्म दुनिया भर में फैल गया है, और बहुत सारे तथाकथित ‘ईसाई’ हैं जो कहते हैं कि वे ईसा मसीह का अनुसरण करते हैं – मुझे नहीं पता कौन से विशेष दृष्टिकोण से! ईसा मसीह परम चैतन्य का अवतार थे, वह ओंकार थे । वह श्री गणेश थे। और जो उनका अनुसरण करते हैं, उन्हें बहुत अलग तरह के लोग होना चाहिए। परन्तु यह हमेशा होता है हर धर्म में, कि वे बिना सोचे समझे विपरीत दिशा में चले जाते हैं, पूर्णतया विपरीत। ईसा मसीह के जीवन का सार, निर्लिप्तता और बलिदान था। एक व्यक्ति जो निर्लिप्त है, उसके लिए बलिदान जैसा कुछ नहीं होता है। वह अपने जीवन को केवल एक नाटक के रूप में देखता है। ऐसा महान व्यक्तित्व इस पृथ्वी पर आया और इस तथाकथित ‘ईसाई’ धर्म का निर्माण किया, जिसने युद्ध किए और सभी प्रकार की पाखंडी चीज़ें; और अब लोग इसके बारे में जान रहे हैं। वह सत्य के लिए खड़े हुए थे और ईसाई नहीं जानते क्या सत्य है। सत्य यह है कि आप आत्मा हैं और, आपको आत्मा बनना है। वे ही हैं जिन्होंने बात की, दूसरे जन्म की, आत्मसाक्षात्कार की। लेकिन वे भूल गए हैं उन्होंने क्या कहा था, उन्हें क्या प्राप्त करना है। यह इतनी अजीब बात है कि ये सभी महान लोग इस पृथ्वी पर आए और एक उचित धर्म Read More …

Marriages the day after Shri Ganesha Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)
Marriages. Cabella (Italy), 23 September 2001. Talk to brides You are going to marry. I am going to just .. (the microphone is adjusted) .. and with full understanding. It’s very important to understand your role in Sahaja Yoga as married women. We have had very funny types of women who got married because they wanted to marry, and they saw to it that the marriage is not successful. And they have been of such a trouble to Me that I don’t understand that before marriage why don’t they see that what they have to do. You have to make a successful marriage in Sahaja Yoga. It’s not an ordinary marriage. And for that, it’s not sacrifice, but joyful understanding. You may have to withstand many troubles also. Financially maybe somebody’s not so well off. Maybe, though he’s all right, he’s not looking after you financially, he’s not giving you money or maybe he’s very dominating – it’s possible. Everything is possible. As you could be the same. So in Sahaja Yoga we have selected you to be married and we think that you will make a very, very happy marriage. Now it is more the responsibility of the woman somehow, because marriage is her responsibility and she has to make a happy marriage. If any of you now don’t want to marry a particular person, you can say no. But now if you are marrying, then please think of the way a Sahaja Yogini who is getting married. The Read More …

Shri Krishna Puja: Ananya Bhakti New York City (United States)
श्री कृष्ण पूजा| निर्मल नगरी, कैनाजोहारी, न्यूयॉर्क (यूएसए), 29 जुलाई 2001। आज हम सब यहां श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। श्री कृष्ण, जो विराट थे, उन्होंने युद्ध भूमि में प्रवेश किए बिना ही हर तरह की बुराई से लड़ाई की। श्री कृष्ण का जीवन, अपने आप में बहुत ही सुंदर, रचनात्मक और प्रेमपूर्ण है, लेकिन उन्हें समझना आसान नहीं है। उदाहरण के लिए, कुरुक्षेत्र में, जब युद्ध चल रहा था और अर्जुन उदास हो गए थे, तब अर्जुन ने पूछा, : “हम क्यों लड़ें, अपने परिजनों से, क्यों लड़ें अपने ही करीबी रिश्तों, दोस्तों और अपने गुरुओं से? क्या यह धर्म है ? क्या यह धर्म है?” इससे पहले, गीता में, श्री कृष्ण ने एक व्यक्तित्व का वर्णन किया है जो एक ऋषि हैं। हम उन्हें संत कह सकते हैं। उन्होंने इसे स्तिथप्रज्ञ कहा । इसलिए, जब उनसे पूछा गया कि स्तिथप्रज्ञ की परिभाषा क्या है, तो उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति का विवरण दिया, जो अपने आप में शांत है और अपने वातावरण के प्रति भी शांत है। यह आश्चर्यजनक है | यह ज्ञान उन्होंने गीता में प्रथम स्थान पर दिया। यह सबसे उत्तम है, उन्होंने इसे ज्ञान मार्ग कहा है । यह सहज योग है, जिससे आप सूक्ष्म ज्ञान प्राप्त करते हैं। लेकिन उसी समय, जब आप उन्हें अर्जुन को सलाह देते हुए देखते हैं, तो यह बहुत आश्चर्यजनक है कि यहाँ वे केवल आध्यात्मिकता की बात कर रहे है , पूर्ण अनासक्ति की | और वहाँ वे अर्जुन से कह रहे है कि: “तुम जाओ Read More …

Public Program Satya Ki Prapti Hi Sabse Badi Prapti Hai New Delhi (भारत)
Satya Ki Prapti Hi Sabse Badi Prapti Hai, Type: Public Program Place: New Delhi, Date: 2001-03-25 सत्य को खोजने वाले और जिन्होंने सत्य को खोज भी लिया है, ऐसे सब साधकों को हमारा प्रणाम। दिल्ली में इतने व्यापक रूप में सहजयोग फैला हुआ है कि एक जमाने में तो विश्वास ही नहीं होता था कि दिल्ली में दो-चार भी सहजयोगी मिलेंगे। यहाँ का वातावरण ऐसा उस वक्त था कि जब लोग सत्ता के पीछे दौड रहे थे और व्यवसायिक लोग पैसे के पीछे दौड़ रहे थे। तो मैं ये सोचती थी कि ये लोग अपने आत्मा की ओर कब मुडेंगे। पर देखा गया कि सत्ता के पीछे दौड़ने से वो सारी दौड निष्फल हो जाती है, थोडे दिन टिकती है। ना जाने कितने लोग सत्ताधारी हुए और कितने उसमें से उतर गये। उसी तरह जो लोग धन प्राप्ति के लिए जीवन बिताते हैं उनका भी हाल वही हो जाता है। क्योंकि कोई सी भी चीज़ जो हमारे वास्तविकता से दूर है उसके तरफ जाने से अन्त में यही सिद्ध होता है कि ये वास्तविकता नहीं है। उसका सुख, उसका आनंद क्षणभर में भंगूर हो जाता है, ख़तम हो जाता है। और इसी वजह से मैं देखती हूँ कि दिल्ली में इस कदर लोगों में जागृति आ गई है। ये जागृति आपकी अपनी संपत्ति है। ये आपके अपने शुद्ध हृदय से पाये हुए, प्रेम की बरसात है। इसमें ना जाने हमारा लेना देना कितना है। किन्तु समझने की बात ये है कि अगर आपके अन्दर ये सूझबूझ नहीं होती, तो Read More …

New Year Puja, You All Have to Become Masters in Sahaja Yoga (भारत)
New Year Puja 31st December 2000 Date: Place Kalwe: Type Puja Speech [Hindi translation from English talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] वे सफल नहीं हो सकते। अब इस बात का निर्णय सहजयोगियों को करना है कि किस प्रसन्नता तथा वैभव से परिपूर्ण नववर्ष की सीमा तक वे सहजयोग को फैलाएंगे और मंगलकामना करती हूँ। मेरे इस देश में कितने लोगों को सहजयोग में लाएंगे। इस आप सबकी सहजयोग में गहन उन्नति वर्ष से लोग आपकी प्रतीक्षा कर रहे हो। मेरी ये मंगल कामना है अब आप सब होंगे और यदि आप सब लोग मिलकर इसे लोग सहजयोगी हों और आपको सहजयोग कार्यान्वित करने का निर्णय ले लें, तो मुझे में गुरु बनना है सहजयोग में गुरु बनने पूर्ण विश्वास है, आपको ऐसे बहुत से लोग के लिए, मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप लोग मिल सकते हैं जिन्हें कलियुगी अभिशाप के आज हम नव वर्ष की शुरुआत कर रहे हैं इस अवसर पर मैं आप सबके लिए बहुत ध्यान धारणा, अन्तर्वलोकन तथा अन्य सभी कारण ठगा गया। नव वर्ष के इस दिन प्रकार के आवश्यक कर्म कर रहे हैं। मैं यह शपथ आपको लेनी है कि अब हम सोचती हूँ इस वर्ष में बीते हुए वर्षों की सहजयोग को नए. विशाल एवं अधिक अपेक्षा आपके लिए अधिक उन्नति करने के गतिशील तरीके से आरम्भ करेंगे। अवसर है क्योंकि कठिनाईयों के वे वर्ष अब इसके लिए पहली आवश्यक चीज़ है ‘संघ शक्ति’ अर्थात आपकी सामूहिकता। अब हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे ये सामूहिकता अत्यन्त सुदृढ़, सुगठित, हैं Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)
Christmas Puja IS Date 25th December 2000: Ganapatipule Place: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज का शुभ दिवस है जो मनाया जाता है। कारण ईसामसीह का जन्म कहते हैं को जानो’। यह कहते हुए भी लोगों ने इस कि आज हुआ था। ईसामसीह के बारे में चीज़ का महत्व नहीं समझा और धर्म फैलाना लोग बहुत कम जानते हैं क्योंकि वो छोटी शुरू कर दिया। अपने को जाने बगैर ही उम्र में बाहर चले गए थे और उसके धर्म फैल नहीं सकता, धीरे-धीरे वो बाद वापिस आकर के उन्होंने जो महान अधर्म हो जाता है और यही बात ईसाई कार्य किए वो सिर्फ तैंतीस (33) वर्ष के उम्र धर्म की हो गई | जैसे कि ईसामसीह एक तक ही थे। उसके बाद उनके जो शिष्य विवाहोत्सव में गए थे, शादी में गए थे और थे, बारह उन्होंने धर्म का प्रचार किया लेकिन वहाँ पानी में हाथ डाल के उन्होंने उसकी जैसे आप लोगों को भी समस्याएं आती हैं शराब बना दी ऐसा लिखा हुआ है हिब्रु में उसी प्रकार उनको भी अनेक समस्याएं कहा जाता है जिसमें कि यह बात लिखी आईं। पर इन बारह आदमियों ने बहुत गई है शुरूआत में, कि वो पानी जो था कार्य किया और शुरूआत के जो लोग उसका परिवर्तन जो हुआ सो जैसे कि इनको मानते थे उनको (Gnostics) कहते थे। ग्नोस्टिक माने और अंगूर के रस को भी उसमें वाईन “जिन्होंने जाना है। ‘जन्म’ से आता है ग्नः, (wine) नहीं कहते। इसी बात को लेकर ग्नः Read More …

Diwali Puja Los Angeles (United States)
दीवाली पूजा पिरू झील, लॉस एंजिल्स के पास, कैलिफोर्निया (यूएसए) – 29 अक्टूबर 2000। पूरी दुनिया के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है कि हम इस दीवाली पूजा को अमेरिका में मना रहे हैं। यह बहुत ज़रूरी है। यहां, जहां लोग पैसा कमाने में सक्षम हुए हैं, कभी-कभी बहुत पैसा है, और ऐसे लोग भी हैं जो पैसे के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। जब हम दीवाली की बात करते हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि – दीवाली के दिन हम इतनी सारी रोशनी क्यों करते है? रोशनी और पानी में उत्पन्न हुई लक्ष्मी, जो पानी में खड़ी होती है, का संयोजन क्या है? यह संयोजन क्यों है? वह पानी में खड़ी थी, जैसा कि हम जानते हैं, समृद्धि का प्रतीक; जो मानव जागरूकता में निर्मित है कि वह समृद्ध हो सकता है। पशु समृद्ध नहीं होते हैं। सबकी अपनी मर्यादा है, वृक्षों की मर्यादा है। मनुष्य ही समृद्ध हो सकता है। लेकिन अगर उन्हें अपने मर्यादाओं का बोध नहीं है, तो यह पूरी दुनिया के लिए बहुत ही पतनशील और विनाशकारी है। तो प्रकाश प्रतीक है कि लक्ष्मी के आशीर्वाद वाले सभी लोगों को खुद को प्रबुद्ध करना चाहिए, प्रकाशित होना चाहिए, और उन्हें दूसरों को भी प्रबुद्ध करना चाहिए। लेकिन वास्तव में, तथाकथित लक्ष्मी प्राप्त होते ही वे बिल्कुल अंधे हो जाते हैं, और वे भूल जाते हैं कि लक्ष्मी के आशीर्वाद के पीछे क्या है। सबसे पहले, जैसा कि हम देखते हैं, लक्ष्मी का यह प्रतीक कैसे प्रतिनिधित्व करता है, मैंने आपको Read More …

11th Day of Navaratri Campus, Cabella Ligure (Italy)
नवरात्रि पूजा। कैबेला लॅक्गर (इटली), 8 अक्टूबर 2000. आज हम देवी की पूजा करने जा रहे हैं, हम उन्हें अम्बा कहते हैं, और कई अन्य नामों से। वह अंतिमा है, हमें कहना चाहिए, “अवशिष्ट शक्ति”। जब वह सभी कार्य पूर्ण कर चुकी होती है, तब वह कुंडलिनी बन जाती है और आप की त्रिकोणीय हड्डी में बस जाती है। यह मूलाधार चक्र है। लेकिन वास्तव में वह बाईं तरफ अधिक अभिव्यक्त होती है, क्योंकि, उस समय, वह विशुद्ध रूप से अम्बा है। सभी मनुष्यों के लिए यह बाईं बाजू बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपके पास कोई बाईं बाजू नहीं है, तो आप अपने आप को संतुलित नहीं कर सकते, शुरुआत में। और कहा जाता है कि वह आपको सहज योगी का वास्तविक व्यक्तित्व प्रदान करती है। ऐसा है कि, यदि आपकी बाईं नाड़ी कमजोर है, तो आपको उनकी पूजा करनी होगी, और उनसे अनुरोध करना होगा कि: “कृपया हमारी बाईं नाड़ी को समृद्ध करें।” आपकी बाईं नाड़ी को समृद्ध करके, वह क्या करती है, वह सुख प्रदाता है, इसलिए वह आपको क्या देती हैं? सबसे पहले, वह आपको सुख देती हैं। यह कहा जाता है कि वह आपको आराम देती है। ऐसा है कि, वह आपको नींद देती है। यदि आप भविष्य के बारे में बहुत अधिक सोच रहे हैं और आप भविष्य की योजना में बहुत लिप्त हैं, तो आपको कुछ समस्याएं हैं। लेकिन सबसे अच्छी बात यह है, अगर आप सो सकते हैं, तो यह एक बड़ा आराम है, यह आपके लिए बहुत ही सुखद है, कि आप Read More …

Evening Program, Eve of Navaratri Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)
2000-10-06 नवरात्रि पूजा से पहले शाम का कार्यक्रम कबेला, इटली … कला, केवल वही नहीं बल्कि उसके सभी जटिल स्वरूप। मैं आनंद से परिपूर्ण हो गई सहजयोगिनियों और सहजयोगियों को इतना अच्छा नृत्य करते हुए देख, और मैं आशा करती हूँ कि इससे बदलाव आएगा – उनके चलने की शैली में (श्री माताजी और लोग हँसते हुए)। जब मैं पहली बार लंदन आई, बहुत समय पहले, अपनी बेटियों के साथ, तो वे आश्चर्यचकित होती थी “यहाँ की औरतों को देखिए” और कहती थी “मम्मी ये सभी घोड़े की तरह चलती हैं।“ मैं कहती थी, “सच में?” “देखो उनके बाल भी इस तरह से ऊपर नीचे जा रहे हैं, और उनकी चाल कैसी है।“ मुझे लगता है घोड़ों का बड़ा भारी प्रभाव है इंग्लैंड पर। वह मैंने ऐसे ही उससे कह दिया था। पर आपने ध्यान दिया होगा कि पवार एक बहुत मज़ाकिया व्यक्ति हैं क्योंकि वे भारत से आए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि वे महाराष्ट्र से हैं और मेरी ही जाति के हैं। वे लोग अपने हास्य के लिए जाने जाते हैं और अपने हास्य से उन्होंने आप सभी का बहुत अच्छे से मनोरंजन करने का प्रयास किया है। मुझे यह अवश्य कहना चाहिए कि वे इतने माहिर हैं कत्थक में। उसको समझने के लिए, मैं सोचती हूँ, आपको थोड़ा ज्ञान होना चाहिए – ताल-वाद्य का। यदि आपके पास वह ज्ञान है तो आप समझेंगे कि कैसे यह कठिन है, कैसे यह जटिल है और कैसे यह इतना रचनात्मक है यह प्रस्तुत करना। यह एक बहुत, बहुत बड़ा Read More …

Without knowing the Self you cannot get rid of your problems Royal Albert Hall, London (England)
2000-09-26 सार्वजनिक कार्यक्रम, रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन, ब्रिटेन सत्य को खोजने वाले सभी साधकों को मेरा प्रणाम। इस आधुनिक समय में यह भविष्यवाणी की गई थी कि बहुत – बहुत से लोग सत्य की खोज करेंगे और आप इसका प्रमाण देख सकते हैं। बहुत से लोग सत्य की खोज करेंगे क्योंकि वे असत्य से तंग आ जाएंगे, उन्हें यह भी पता चल सकेगा है कि बहुत सारी चीज़ें सतही हैं, जो बिल्कुल संतोषजनक नहीं है (यह) इस आधुनिक समय का आशीर्वाद है, यद्यपि हम कहते हैं आधुनिक समय सबसे ख़राब है। इसके अत्याचार के कारण, इसकी समस्या के कारण लोग सच्चाई जानना चाहते हैं और उन्हें सच भी पहले से पता चल जाएगा। इसके अलावा आपको अपने बारे में भी सत्य जानना होगा। मैंने आपको कई बार कहा है कि सच यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, आप यह मन नहीं हैं, आप यह भावनाएं नहीं हैं, अपितु आप शुद्ध आत्मा हैं। आप हैं, आप सभी हैं, यह केवल एक कहानी नहीं जो मैं आपको बता रही हूं, यह एक तथ्य है। लेकिन जब वे कहते हैं कि स्वयं को जानो। सभी शास्त्रों में उन्होंने एक समान बात कही है, आपको स्वयं को जानना चाहिए। क्योंकि यदि आप स्वयं को नहीं जानते हैं तो आप परमात्मा को कैसे जानेंगे? इसलिए सबसे पहले आपको स्वयं को जानना चाहिए और स्व भीतर है। समस्या यह थी कि स्वयं को जानने के लिए अंदर कैसे प्रवेश करें, स्वयं को अनुभव करने के लिए, स्वयं की शक्ति को अनुभव करने के लिए आपको Read More …

Address to IAS officers wives association New Delhi (भारत)
पब्लिक प्रोग्राम, आईएएस ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन , नयी दिल्ली , भारत के सत्य साधकों को मेरा प्रणाम। 08-04-2000. वर्तमान, समय जिसे ‘घोर कलियुग’ का समय कहते हैं और, सभी प्रकार की भयानक चीज़े हम यहाँ देखते – सुनते है, समाचार पत्रों में पढ़ सकते हैं। यह सच्चाई है कि हम एक बहुत बुरे समय से गुज़र रहे है।इस के अतिरिक्त हम बहुत ही निम्न स्तर के लोग मिलते हैं, जिन्हे हम अति निम्न जीवन-मूल्य वाले लोग कह सकते है।परंतु ऐसी भविष्यवाणी बहुत,बहुत ही समय पहले की गई थी कि इस वर्तमान समय में ही वे लोग जो सत्य खोज रहे है इन गिरी कंदराओं में, हिमालय, सभी प्रकार के विस्मृत स्थानों में, वे सत्य को पा लेंगे। यह सब पहले से ही अनेकों महान ज्योतिष ज्ञानियों द्वारा , संतो द्वारा भी वर्णित है। तो वर्तमान में हम बहुत ही भाग्यपूर्व परिस्थिति में स्थापित हैं। मैं यह अवश्य कहूँगी कि मुझे उन समस्त लोगों के लिए अत्यधिक प्रेम है , जो आएस और आइपीस और अन्य सिविल सेवाओं में हैं क्योंकि मैं जानती हूँ कि उन्हें किन परिस्तिथियों में से गुज़रना पड़ता है, यह बहुत उथल पुथल और त्याग से भरा हुआ जीवन है ; पत्नी के लिए भी , परंतु मुझे हमेशा आभास होता था कि यह युद्ध में लड़ रहे एक सैनिक की तरह हैं। हम यहाँ इस देश का निर्माण करने के लिए हैं। मेरे पति पहले विदेश सेवा में थे , मैंने कभी सेवाओं के बारे में नहीं सुना था और यह सब इसलिए मैंने कहा अब Read More …

Shri Bhoomi Devi Puja New Delhi (भारत)
Shri Bhoomi Puja Date: April 7, 2000 Place: Noida श्री भूमि देवी पूजा सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा प्रणाम। मैंने तो इतनी आशा नहीं की थी कि आप इतने लोग इतनी बड़ी तादाद में इस जगह आएंगे और इस कार्य को समझेंगें। एक बार एक प्रोग्राम में हम जा रहे थे, ये दौलताबाद उस जगह का नाम है। उससे गुज़र के एक सामने जाना था, रास्ते में गाडी खराब हो गई। वो भी योग ही है, सहज में ही गाडी खराब हो गई। सो उतर के देखा तो वहां बहुत सी औरतें, सौ से भी अधिक, अपने बच्चों समेत। बहुत से बच्चे, उनसे कई गुना ज्यादा। वहाँ एक नल फुटा था उससे पानी ले रहीं। इतनी धूप, बड़े फटे से कपड़े पहने हुए किसी तरह सर पे चुन्नी लिए हुए। मुझे समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है। तो मैने उनसे पूछा कि आप लोग यहाँ क्या कर रहे हो? यहाँ कैसे आये? तो उन्होंने कहा कि हम सब मुसलमान औरतें हैं और हमारा तलाक हो गया। और ये हमारे बच्चे हैं और जो महर थी वो बहुत ही थोड़ी थी उसमें तो एक महीना भी चलना मुश्किल था। लेकिन किसी तरह से हमें यहाँ काम मिल गया तो हम यहाँ गिट्टी फोडते हैं। और रहते कहाँ हो? तो कहने लगी सामने जो आपने देखें हैं कुछ टिन थे, के टुकड़े थे, टूटा-फूटा सा एक मकान तो नहीं कह सकते, उसी में हम लोग सब रहते हैं। बाप रे! मैंने कहा, वहीं पता नहीं Read More …

Gudi Padwa/Navaratri Puja Talk (भारत)
Gudi Padwa Puja Date 5th April 2000: Noida Place Type: Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Chaitanya Lahari] अपने यहाँ हिन्दुस्तान में देवी के दो नवरात्र पवित्र कर देती थी। इतनी संहारक थी। ये माने जाते हैं। ये चैत्र नवरात्र जिसमें आज जो सातवीं शक्ति है उसे संहारक शक्ति का दिन जो शैल पुत्री के अवतरण का है। कहते हैं। उसके बाद संहारक शक्ति आई शैल पुत्री माने जब उन्होंने हिमालय में जन्म Right Side में चली गई इसी Right Side में लिया था इसलिए उनको शैल पुत्री कहते हैं सावित्री गायत्री आदि हैं। पर संहारक शक्ति और फिर उसमें और भी उनके नाम हैं । का जो प्रादुर्भाव हुआ मतलब एक दिशा Left लेकिन शैल पुत्री की विशेषता ये है कि में गई एक दिशा Right में गई और जो उनका प्रथम जन्म शैल पुत्री के रूप है । तो हिमालय की उस ठण्ड में देवी का जन्म संहारक शक्ति है वो Centre में चली गई। उसमें आप देखते हैं कि देवी के अनेक रूप हुआ और जो कुछ भी उन्हें करना था वो बही-शैल पुत्री ने किया लेकिन आगे की उनके रूप हैं जिससे उन्होंने संहार किया। कहानी तो आपको मालूम ही है कि दक्ष ने वो हृदय पर विराजमान हैं। हृदय चक्र में, Heart चक्र में हैं, जैसे दुर्गा है और भी जो जो हवन बनाया था, उसमें उन्होंने शिवजी हमारे हृदय चक्र में वो विराजती हैं। तो इस. को आमन्त्रण नहीं दिया ये शिवजी की पत्नी हृदय चक्र की एक शक्ति तो ये है Read More …

Public Program New Delhi (भारत)
Hamari Atma Kya Chij Hai Date 25th March 2000: Place Delhi: Public Program Type [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] की। एंसा मुझें लगता है कि लोग जा हैं को हमें केवल सत्य मिला नहीं। जिस चीज को पीतल में खाना नहीं खाएंगे और लोहे में खाना बुद्धि ठीक समझतो थी उसी को हमने सल्य मान खाएंगे। इस प्रकार की बहुत ही औपचारिक बाते लिया। फिर बहकते-बहकते ये बुद्धि उस दिशा इसमें लिखी हैं। लेकिन जो दृश्य हैं जो सामने चल पडी कि कॉई सा भी काम करों व दिखाई देता है यो बहुत भयानका है और बहुत आज तक हम लोग जानते ही नहीं थे कि आ है। ठीक है, अच्छा है। इससे लाभ है ये ही करना विचलित करने वाला है। इसके पोछे यही कहना चाहिए। सत्य से परे सनुष्य भटक गया और चाहिए कि मनुष्य को अपना रास्ता नहीं मिला भटकते-भटकते पता नहीं कौन सी खाई में और वह कहा से कहा भटक गया! उसकी सुख जाकर गिरा। ये देख कर के लोग सोचते हैं कि नहीं मिला। इस सुख की खोज में वो गलत ऐसे कैसे हुआ? ऐसी स्थिति क्यों आई? मनुष्य चीजों के पोछे भागा जिसे मुगतृष्णा कहते हैं। इस के अन्दर जो बुद्धि हैं उस बुद्धि की उस तरह प्रकार मनुष्य भटकते भटकते घार डूब गया। वो ये भी नहीं जानता कि जा मैं कर अँधकार में से कुबुद्धि में परिवर्तित क्यों कर दिया? उसको रहा हूँ वो कुकर्म है और इस कुकर्म का फल सुबुद्धि बनाना था। बो कुबुद्धि हो Read More …

Address to IAS Officers, Stress and Tension Management मुंबई (भारत)
Address to IAS Officers, Mumbai (India), 11 March 2000. I bow to all the seekers of truth. That’s a very interesting subject that has been given to Me to talk to you people because I have been always worried about the IAS, IPS, and other Government servants, very much worried because I have known the kind of life My husband was leading. And I used to think: if these new people, who have come to the services, to the Government service, we have to tell them the dangers that are ahead of them. Because we don’t know what is the subtle system within us, which works. And in the subtle system, when we lead this kind of a very speedy, intensive life, it has a defect. It has a defect you can see in the chart. They have shown the, they have shown the subtle system which works it out. So we have a center here on the crossing of the optic chiasma. These, this center is very important because we react with this. We react to everything. By this reaction we create a problem within ourselves. And this reaction comes to us because we do not know how to go beyond the mind. Every time we are looking at something, we react. We look at someone, we react. But we cannot just watch. We cannot be just the witness. If we could be the witness, it will not have any effect on us. But we cannot be. That’s the Read More …

Public Program पुणे (भारत)
Public Program, Pune, India 7th March 2000 सत्य को खोजनेवाले सभी साधकों को हमारा प्रणाम !! आज संसार भर में सत्य की खोज हो रही हैI क्योंकि लोग सोचते हैं जिस जीवन में वो उलझे हुए हैं, वो उलझन इसलिए है कारन वो सत्य को नहीं जानते। अपने देश में शायद ये भावना कम हो लेकिन और अनेक देशों मे ये भावना बहुत जबरदस्त है और अपने देश में भी होनी चाहिए I अब हम रोज अख़बार पढ़ते हैं तो यही सुनते हैं की इतने यहाँ लोग गुंडागर्दी कर रहे हैं, कोई है चोरी चकारी कर रहे हैं और हर तरह के गलत सलत काम कर के जीना चाहते हैं .भ्रष्टाचार हो रहा है। ये भी बहुत सुना जाता है। इतना पहले नहीं था। उसका कारन ये है कि मनुष्य पथभ्रष्ट हो गया वो जानता नहीं उसे कहाँ जाना है। उसे जो ये शरीर मिला, उसकी ये जो बुद्धि मिली, ये सब किस चीज़ के लिए मिली है? यही वो नहीं जानता है,इसलिए इसी शरीर से वो अनेक विध गलत काम करता है। इस गलती को ठीक करने का अपने अंदर कोई न कोई तो अंदाज़ होगा ही, न कोई न कोई व्यवस्था होगी ही क्यों कि जिस परमात्मा ने हमें बनाया है वो हमें ऐसे गलत रास्ते पर फेंकने वाले नहीं। कुछ न कुछ उन्होंने व्यवस्था ज़रूर करी है की जिस से हम सही रस्ते पर चलें। अब लोग कहेंगे कि सही रास्ते पर चलना क्या जरुरी है। गर आप सही रस्ते पर नहीं चलते हैं तो सबसे बड़े नुकसान तो आपका ही होगा, और समाज का होता ही है। पर आपका सबसे बड़ा नुकसान ये होता Read More …