Musical Program and Talk

(India)

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१९९१ -१२०१ इंडिया टूर ,    

जैसे माँ से सहज में मिल जाती है कोई भी चीज ,लोग इसका विचार नहीं करते | विशेषकर मेरे रहते हुए ये बहोत जोरोंसे ये घटना होती है | अभी ये बैठी हुई हैना यहापर वो कह रही थी की  मुझे पहले दिन मेरी कुण्डलिनी इतने जोर से खड़ी  हुई और पूरी रात मैं आनंद में हो गई ,यही होता है | तो तुम कहोगे के माँ ये तुमने क्या किया | तो अपनी संकल्प शक्तिसे हमने ,अपनीही कुण्डलिनी पर आपको बिठा करके ,अपने ही रिधय में  आपको जन्म देके  और आपके सहस्त्रार से हमने आपको असल में पूरा जन्म दिया है | जैसे की माँ अपने  पेट के  बच्चेको पनपाती  है और उसके बाद उसको जन्म देती है उसी प्रकार सहस्त्रार से आपको जन्म दिया हुआ है | और यही सर्वव्यापी घटना फोटो पर भी घटित होती है ,आश्चर्य की बात है की हमारे फोटो में भी इतने व्हाईब्रेशन्स है ,और ये सायन्स का मैं  बड़ा उपकार मानती हु | यहाँ तक की ये मैं बोल रही हु इसमेसे भी मेरे व्हाईब्रेशन्स निचे चले जा रहे है | बहोत बार आपके चक्र पकड़ते है तो ऐसा हात  लगा लेती हु ना आज्ञा को तो आज्ञा छूट जाती है | देखिए सायन्स इसीलिए बनाया गया था की सहजयोग के लिए उपयोगी हो | कल अगर टी वी पे आप हमें बिठादे और लोग हमारे और हात करे तो न जाने कितने लोग पार हो जाए ,पर ऐसे दिन कब आएंगे पता नहीं की टी वी वाले कहे की माँ आप बैठिये आपके वाईब्रेशन्स लेते है ,बहोत मुश्किल काम है | वो तो कभी मेरेको बुलाते भी नहीं ,और लोगोने कोशिश की तो कहते है अरे ऐसे बहोत चालू लोग आते रहते  है | एक हमारी शिष्या थी ,वो आई थी लन्दन से तो टी वी वाले उसके पीछे पड गए , वो कुछ पेंटर बेंटर है ,तो उसने कहा की यहाँ इतनी बड़ी शक्ति बैठी हुई है और तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हुए हो | उनसेही कुछ कराओ | तो पूछा कौन  है ,क्या है तो बोले अरे ऐसे यहाँ बहोत आए और चले गए | और सब दुष्टोंका प्रोग्राम उन्होंने करवाया लेकिन मेरा प्रोग्राम नहीं किया |