
Shri Krishna Puja Pune (India)
Shri Krishna Puja. Place: Pune (India), Date: August 10, 2003 [Translation Hindi to Marathi] हम लोगों को अब ये सोचना है कि सहजयोग तो बहुत फैल गया और किनारे-किनारे पर भी लोग सहजयोग को बहुत मानते हैं। लेकिन जब तक हमारे अन्दर सहजयोग पूरी तरह से, व्यवस्थित रूप से प्रकटित नहीं होगा तब तक लोग सहजयोग को मानते हैं वो मानेगें नहीं। इसलिए ज़रूरत है कि हम कोशिश करें कि अपने अन्दर झांकें। यही कृष्ण का चरित्र है कि हम अपने अन्दर झांके और देखें कि हमारे अन्दर खुद कौन सी कौन सी ऐसी चीजे हैं जो हमें दुविधा में डाल देती हैं। इसका पता लगाना चाहिए, हमें अपने तरफ देखना चाहिए, अपने अन्दर देखना चाहिए। और वो कोई कठिन बात नहीं है जब हम अपनी शक्ल देखना चाहते हैं तो हम शीशे में देखते हैं। उसी प्रकार जब हमें अपनी आत्मा के दर्शन करने होते हैं तो हमें देखना चाहिए हमारे अंदर वो कैसा देखा जाता है बहुत से सहजयोगियों ने कहा कि माँ यह कैसे देखा कर जायेगा कि हमारे अन्दर क्या है, और हम कैसे हैं? उसके लिए ज़रूरी है कि मनुष्य पहले स्वयं ही बहुत नम्र हो जाए क्योंकि अगर आपमें नम्रता नहीं होगी तो आप अपने ही विचार लेकर बैठे रहेंगे। तो कृष्ण के लाइफ (life) में पहले दिखाया गया कि एक छोटे लड़के के जैसे वो थे। बिलकुल जैसा शिशु होता है बिलकुल ही अज्ञानी वो इसी तरह थे। वो अपने को कुछ समझते नहीं थे। उनकी माँ थी उसी माँ के सहारे वो Read More …