Talk to Sahaja Yogis: When in darkness London (England)

                     “जब अँधेरे में हों”  डॉलिस हिल आश्रम, लंदन, इंग्लैंड। 20 जून 1979। …फिर वो लोगों का इलाज शुरू करता है, फिर वो नकारात्मकता को ज्यादा पास करता है। और यह कुछ अच्छा लगने लगता है, आप देखिए। कभी-कभी उसे यह भी लगता है कि उसने अधिक शक्तियाँ प्राप्त कर ली हैं, क्योंकि ये प्रेतात्माएँ बहुत चालाक हैं और वे उस तरह का वातावरण स्थापित करती हैं। इसलिए व्यक्ति को सावधान रहना होगा। एक नियमित युद्ध चल रहा है। और इसलिए हमें बस अपने हौसले को ठीक रखना है। और इस युद्ध में कायरता का कोई स्थान नहीं है। अगर लोगों की पहचान सत्य के साथ हो जाए तो यह पूरी बात बहुत अच्छी तरह से काम करेगी। लेकिन सत्य, जैसा कि आप जानते हैं, के साथ पहचान करना बहुत कठिन है; मनुष्य के लिए बहुत कठिन, बिल्कुल असंभव के समान है। यदि आप उन्हें बेवकूफ बनने को कहेंगे, तो वे आपको स्वीकार करेंगे। यदि आप उन्हें मूर्ख बनने को कहते हैं, तो वे आपको स्वीकार करेंगे। किसी भी तरह का काम जिस को करके वे बिल्कुल गधे जैसे दिखें, वे करेंगे। यदि आप उन्हें फरेबी बनने को कहें, तो वे ऐसा करेंगे। असत्य का कोई माहौल बनाएंगे तो वे आपको स्वीकार करेंगे। लेकिन सच्चाई? बहुत कठिन। बहुत कठिन। आपको भी पता चलेगा कि कुछ लोग हैं जो मेरी तस्वीर देखते हैं और उन्हें ठंडी हवा मिलती है, लेकिन फिर जब वे मुझे पूरा देखते हैं, तो वे नहीं कर सकते। क्योंकि जब वे फोटो देखते हैं तो उनमें अभी भी Read More …