Public Program New Delhi (भारत)

Sahaja Yogi – Ek Adarsh Hindustani   Date: March 24, 2003   Place Delhi    Type: Public Program   आप लोगों का ये हार्दिक स्वागत देख करके हृदय आनंद से भर आता है और समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहूँ और क्या न कहूँ। आप न जाने कितनी जगह बैठे हैं,  मैं तब से देख रही हूँ कि कहाँ-कहाँ सब लोग बैठे हैं। शायद इस स्टेडियम में मैं पहली मर्तबा आयी हूँ और आप लोग इतने बिखरे-बिखरे बैठे हैं।  आपसे आज के मौके पर क्या कहना चाहिए और क्या बताना चाहिए, ये ही समझ में नहीं आता है कि आप लोग अधिकतर सहजयोगी हैं। और जो नहीं भी हैं वो भी हो ही जायेंगे, हर बार ऐसा ही होता है। जीवन में सहजयोग प्राप्त होना एक जमाने में बड़ी कठिन चीज थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब तो बहुत सहज में ही आपकी कुण्डलिनी जागृत हो सकती है। और सहज में ही आप उस स्थान को प्राप्त कर सकते हैं जो कहा जाता है कि आप ही के अन्दर आत्मा का वास है। और आप ही के अंदर वो चमत्कार होना चाहिए जिससे आपको अपने आत्मा से परिचित किया जा सके। ये चीज़ एक जमाने में बड़ी कठिन थी। हजारों वर्षों की तपस्चर्या जंगलों में घूमना, ऋषियों-मुनियों की सेवा उसके फलस्वरूप कुछ लोग, बहुत कुछ लोग, इसे प्राप्त करते थे। पर आजकल ऐसा ज़माना आ गया है कि गर मनुष्य को ये गति नहीं मिली तो न जाने वो किस ठौर उतरेगा, उसका क्या हाल होगा?  शायद इसीलिए इस कलियुग में भी ये सहजयोग इतना गतिमान है। इसमें तो आप लोगों का भी योगदान है। हजारों सहजयोगी हो गए हैं और सब लोग आपको खुद पार करा सकते हैं। ये कितना बड़ा कार्य हो गया है, क्योंकि मेरे अकेले के बस का इतना था क्या?  लेकिन इसको संवारा है आपने, इसको उठाया है आपने और इसके लिए मेहनत की है आपने।  मैं आपको कितना धन्यवाद दूँ ये मैं नहीं समझ पाती। कितनी बड़ी Read More …