Public Program Balmohan Vidyamandir, मुंबई (भारत)

Public Program [Hindi Transcript] Parmatma Ka Prem Date : 26th December 1975 Place Mumbai Type Seminar & Meeting Speech Language Hindi CONTENTS | | Transcript Hindi 02 – 09 English Marathi || Translation English Hindi Marathi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK सत्य को खोजने वाले आप सब को मेरा वंदन है। के उपरान्त जो कुछ भी कहना है, आज आप से आगे की बात मैं करने वाली हूँ। विषय था, ‘एक्सपिरिअन्सेस ऑफ डिवाईन लव’। परमात्मा के कल आप बड़ी मात्रा में भारतीय विद्या भवन में उपस्थित हये थे और उसी क्षण प्रेम के अनुभव। इस आज के साइन्स के युग में, पहले तो परमात्मा की बात करना ही कुछ हँसी सी लगती है और उसके बाद, उसके प्रेम की बात तो और भी हँसी सी आती है। विशेष कर हिन्दुस्तान में, जैसे मैंने कल कहा था, कि ये दुःख की बात है और विदेशों में साइंटिस्ट वहाँ तक पहुँच गये हैं, जहाँ पर हार कर कहते हैं, कि इससे आगे न जाने क्या है? और वो ये यहाँ के साइंटिस्ट उस हद तक नहीं पहुँचे हैं जहाँ वो जा कर परमात्मा की बात सोचें। भी कहते हैं कि ये सारा जो कुछ हम जान रहे हैं, ये साइन्स के माध्यम में बैठ रहा है, ये बात सही है। लेकिन ये कुछ भी नहीं है । ये जहाँ से आ रहा है वो ये अजीब सी चीज़ है, जिसे हम समझ ही नहीं पाते। जैसे कि केमिस्ट्री के बड़े बड़े साइंटिस्ट है, वो कहते हैं कि ये जो पिरिऑडिक लॉ जो बनाये Read More …

Parmatma Ka Prem, Type: Public Program, Place: Bal Mohan Mandir, Mumbai Language: Hindi Balmohan Vidyamandir, मुंबई (भारत)

1975-12-23 सत्य के खोजने वाले आप सब को मेरा वंदन है। कल आप बड़ी मात्रा में भारतीय विद्या भवन में उपस्थित हुए थे। और उसी क्षण के उपरान्त जो भी कहना कुछ है, आज आप से आगे की बात मैं करने वाली हूँ। विषय था, ‘एक्सपिरिअन्सेस ऑफ डिवाईन लव’ (experiences of divine love) परमात्मा के प्रेम के अनुभव । इस आज के साइन्स के युग में, पहले तो परमात्मा की बात करना ही कुछ हँसी सी लगती है और उसके बाद, उसके प्रेम की बात तो और भी हँसी सी आती है। विशेषकर हिन्दुस्तान में, जैसे मैंने कल कहा था, कि यहाँ के साइंटिस्ट अभी तक उस हद तक नहीं पहुँचे हैं जहाँ वो जा कर परमात्मा की बात सोचें। ये दुःख की बात है लेकिन और विदेशों में साइंटिस्ट वहाँ तक पहुँच गये हैं, जहाँ पर हार कर कहते हैं कि इससे आगे न जाने क्या है?  और वो ये भी कहते हैं कि ये सारा जो कुछ हम जान रहे हैं, ये साइन्स के माध्यम में बैठ रहा है, ये बात सही है। लेकिन ये कुछ भी नहीं है। ये जहाँ से आ रहा है वो एक अजीब सी चीज़ है, जिसे हम समझ ही नहीं पाते। जैसे कि केमिस्ट्री के बड़े-बड़े साइंटिस्ट हैं, वो कहते हैं कि ये जो पिरिऑडिक लॉ (periodic laws) जो बनाये गये हैं, ये समझ में ही नहीं आते कि किस तरह से बनाये गये होंगे। एक विचित्र तरह की रचना कर के इतनी सुन्दरता से एक-एक अणु-रेणु को इस तरह से रचा गया है। एक-एक अणू में एक ब्रह्मांड किस तरह से समाया गया है, ये कुछ समझ में नहीं आता। वो कहते हैं कि इनके रचना का Read More …