Advice at Bordi Shibir (English part) Bordi (भारत)

Sarvajanik Karyakram Date : 22nd March 1979 Place : Mumbai Туре Public Program [ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आप एक बहुत सुन्दर प्रकृति की रचना हैं। बहुत मेहनत से, तो आखें हैं नहीं हम इसे कैसे जानेंगे और हमारे लिए भी यह नजाकत के साथ, बनाया है। आप एक बहुत विशेष अनन्त योनियों में से घटित होकर इस मानव रुप में स्थित हैं। आप इसलिए इसकी महानता जाएगी। इस प्रकार आपके अन्दर भी कोई चीज ऐसी ही बनी नहीं जान पाते क्योंकि, ये सब आपको सहज में ही प्राप्त हुआ हुई है। पूरी तरह से तैयारी कर परमात्मा ने रखी हुई है। उसको है। यदि इसके लिए मुश्किलें करनी पड़तो, आफते उठानी पड़ती जगाना मात्र है। जब आप आलौकित हो जाते हैं तो सारी की और आप इसको अपनी चेतना में जानते तो आप समझ पाते सारी चीज आपको आसानी से समझ आ जाती है। पर अगर कि आप कितनी महत्वपूर्ण चीज हैं। मनुष्य को जानना चाहिए कि परमात्मा ने हमें क्यों बनाया, इतनी मंहनत क्यों की? हम किस लिए संसार में आये और हमारा भविष्य क्या है ? हमारा कैसे बना, तो सब कुछ गड़बड़ हो जाता है। लेकिन आधुनिक अर्थ क्या है? जैसा कि कल मैने कहा था कि अगर हम मशीन बनायें पर इसको इस्तेमाल नहीं करें तो कोई भी अर्थ नहीं फिर उसको हटाए। उनको कोई चीज आसानी से मिल जाए तो निलकता। लेकिन जब तक ये मेन स्रोत से नहीं लगाया जाता बड़े आश्चर्य से पूछता है हमने तो कुण्डलिनी के Read More …

Public Program, Chitta KI Gaharai Bordi (भारत)

Public program (Hindi). Bordi Shibir, Maharashtra, India. 24 March 1979. [Hindi Transcript] आप लोग सब सहजयोग में आये हैं। कुछ लोग पहले से आये हैं, बहुत सालों से और कोई लोग नये हैं। धीरे- धीरे सहजयोग में संख्या बढ़ने वाली है इसमें कोई शक नहीं है और सत्य जो है वो धीरे -धीरे ही प्रस्थापित होता है। सत्य की पकड़ धीरे-धीरे होती है। आपके यहाँ ऐसे लोग हैं जो आठ-आठ, नौ-नौ महिनों तक सहजयोग में आते रहे और उसके बाद पार हुए। सत्य को पाने के लिये हमारे अन्दर पहले तो गहराई होनी चाहिए। पर सबसे बड़ी चीज़ है हमारे अन्दर सफाई होनी चाहिए। अब अनेक गुरुओं के बीच में जाकर के हमारा चित्त जो है वो बुरी तरह से विक्षिप्त हो जाता है । दूसरा, आजकल के समाज में जो हम घुमते हैं और नानाविध उपकरणों के कारण हमारा जो चित्त बाहर की ओर हमेशा रहता है। बाह्य की चीजें हमें दिखाई देती हैं। इन सब चीज़ों से हम कुछ प्रभावित होते भी हैं। और कुछ ये भी बात है कि, हमारे दिमाग में भर दिया गया है कि ये चीज़ें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इस वजह से जो चीज़ें बिलकुल ही महत्वपूर्ण नहीं उधर हमारा चित्त पहले जाता है और जो चीज़ें बहत ही महत्वपूर्ण हैं वहाँ हमारा चित्त नहीं जाता है। इसलिये हम ऐसी चीज़ों को इकठ्ठा कर लेते हैं जो बिलकुल बेकार हैं। जिसको कि अंग्रेजी में जंक कहते हैं, मराठी में ‘अडगळ’ कहते हैं। इस तरह का हमारा चित्त जो है वो बेकार की चीज़़ों Read More …