Birthday Puja: Introspection New Delhi (भारत)

जन्मदिवस पूजा दिल्ली, १९ मार्च, १९८९  सहजयोग के काम में व्यस्त न जाने कैसे समय बीत जाता है। अब करिबन अठारह साल से सहजयोग कर रहे हैं और उसकी प्रगती अब काफी हो रही है। आपने देखा किस तरह से इसकी प्रगती बढ़ रही है। अब जन्मदिन के दिन अब हमारे तो आपकी सबकी स्तुति करनी चाहिए और सब अच्छा ही कहना चाहिए। लेकिन एक ही बात मुझे जो समझ में आती है, जो कहनी चाहिए वो है कि अपनी गहराई को बढ़ाना है। अपनी गहराई को बढ़ाना बहुत जरुरी है और ये गहराई हमारे अन्दर है, कहीं ढूँढने नहीं जाना है, अपने ही अन्दर बस, ये गहराई है। लेकिन जब हम गहराई को बढ़ाते हैं तो ये देखना चाहिए कि हम स्वयं कहाँ खड़े हैं। इसको पहले जान लेना चाहिए कि हम स्वयं कहाँ खड़े हैं। और उसे जानने के लिए एक तरीका है, सहज सरल तरीका है कि अपनी ओर दृष्टि करें। जैसे कि हमारा व्यवहार कैसा है?  हम क्या करते हैं?  हम किस तरह से अपने मन में विचार लाते हैं?  हमारे तौर-तरीके कैसे हैं?  हम अपने को कहाँ तक सीमित रखते हैं।  जैसे शुरुआत में जब दिल्ली में काम शुरू किया तो लोगों के तो अन्दाज ही और थे।  मैं तो एकदम सकुचा गयी थी, क्योंकि उस वक्त किसी को कुछ मालूम ही नहीं था पूजा के बारे में। सब प्लास्टिक के डिब्बियों में सामान-वामान लेकर के सब लोग पहुँचे तो मेरी तो हालात ही खराब हो गयी। मैंने कहा कि अब तो इनका क्या होगा, Read More …