Mahashivaratri Puja मुंबई (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 19th February 1993 : Place Mumbai Type Puja Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज यहां पर हम लोग शिवजी की पूजा करने के लिये है कि जिसपे भी दृष्टि पड़ जाए वो ही तर जाता है। जिसके एकत्रित हुए तरफ उनका चित्त चला जाए वो ही तर जाए। कुछ उनको े पूजा एक बहुत विशेष पूजा है क्योकि मानव का अन्तिम लक्ष्य यही है कि वो शिव तत्व को प्राप्त करें। करने की ज़रूरत ही नहीं है ये सब खेल है। जैसे बच्चों शिव तत्व बुद्धि से परे है। उसको बुद्धिध से नहीं जाना जा सकता। के लिए खेल होता है परमात्मा के लिए भी वो सारा एक जब तक आप आत्म-साक्षात्कारी नहीं होते, जब तक आपने खेल है वो देख रहे हैं। उस भोलेपन में एक और चीज नीहित अपने आत्मा को पहचाना नहीं, अपने को जाना नहीं, आप शिव हैं। जो भोला आदमी होता है, सत्यवादी होता है अच्छाई से तत्व को जान नहीं सकते। शिवजी के नाम पर बहुत ज्यादा आडम्ब, अन्धता और अन्धश्रद्धा फैली हुई है। किन्तु जो मनुष्य ले रहा है तब उसको बड़े जोर से क्रोध आता है। उसका आत्म साक्षात्कारी नहीं वो शिवजी को समझ ही नहीं सकता क्रोध बहुत जबरदस्त होता है। चालाक आदमी होगा वो क्रोध क्योंकि उनकी प्रकृति को समझने के लिये सबसे पहले मनुष्य को घुमा देगा, ऐसा बना देगा कि उसकी जो प्रमुख किरणें को उस स्थिति में पहुंचना चाहिए जहां पर सारे ही महान तत्व अपने आप Read More …