Satya Yuga: The Unconscious Caxton Hall, London (England)

   [Hindi translation from English]    हृदय चक्र और ओमकारा फरवरी 1978. यह बात भारत में पश्चिमी योगियों के पहले भारत दौरे (जनवरी-मार्च 1978) के दौरान दी गई थी।  ऑडियो से प्रतिलिपि अब हृदय के इस बायीं ओर का संबंध आपकी माता और शिव अर्थात अस्तित्व से है। आप अपना अस्तित्व अपनी माँ के माध्यम से प्राप्त करते हैं।  जहाँ तक आपका अस्तित्व का प्रश्न है, शिव और पार्वती, वे आपके माता-पिता हैं,  दोनों ही आपके माता-पिता हैं  और यह इतना सुंदर केंद्र है आपका, हृदय चक्र है। आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति आपकी कोशिशों पर अनुकूल प्रतिक्रिया करे, आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति कुछ फल प्रदान करे या ऐसा ही कुछ और, आप किसी को बहुत ही अड़ियल पाते हैं,  मैंने आपको बताया है कि आप अच्छी तरह से उनकी जूता पट्टी कर सकते हैं, यह सभी चीज़े करें। लेकिन एक बहुत ही सरल तरीका है, यदि आप जानते हैं कि इसे कैसे करना है। आप देखिये, आप सिर्फ उनके ह्रदय [मध्य हृदय] के बारे में सोचें, उनके हृदय में एक बंधन लगा देते हैं। और आप इसे इतनी खूबसूरती से कर सकते हैं, आप किसी भी कठिनाइयों के बिना किसी व्यक्ति को पिघला सकते हैं यदि आप जानते हैं कि उनके दिल को कैसे संभालना है। आपको उनके दिल से अपील करनी होगी और वह सबसे अच्छा आकर्षण है, जो मैं आपको बताती हूं और सबसे अच्छी गुप्त विधि है जिसके द्वारा आप किसी के साथ बात करते समय उनमें अच्छाई ला सकते हैं। मान लीजिए कि मैं Read More …