Guru Purnima, Sahaja Yoga a New Discovery मुंबई (भारत)

Guru Purnima Puja. Mumbay (India), 1 June 1972. Transcript Scanned from Hindi Chaytanya Lahari वास्तविक जो चीज स्थित है, जो है ही उसका अविष्कार कैसे होता है? जैसे कि कोलम्बस हिन्दुस्तान खोजने के लिए चल पड़ा था तब क्या हिन्दुस्तान नहीं था? यदि नहीं होता तो खोज किस चीज की कर रहा था। सहजयोग तो है ही पहले ही से है। इसका पता सिर्फ अभी लगा है। सहजयोग, ये परम तत्व का अपना तरीका है। यह एक ही मार्ग है, मानव जाति को उत्क्रान्ति (Evolution) के उस आयाम में उस (Dimension) में पहुँचाने का एक तरीका है, एक व्यवस्था है, जिससे मानव उच्च चेतना से परिचित हो जाए. उस चेतना से आत्मसात हो जाए जिसके सहारे ये सारा संसार, सारी सृष्टि और मानव का हृदय भी चल रहा है। बहुत कुछ इसके बारे में लिखा गया है, पुरातन कालों से ही खोज होती रही, मनुष्य खोज कुछ रहा ही है हर समय, चाहे वो पैसे में खोज ले, चाहे वो सत्ता में खोज ले चाहे वो प्रेम में खोज ले, वो किसी न किसी खोज की ओर दौड़ रहा है। लेकिन उस खोज के पीछे में कौन सी • प्यास है वो शायद वो जानता नहीं। इसके पीछे में सिर्फ आनन्द की खोज है, आनन्द की खोज में वो सोचता है कि बहुत सी गर सम्पत्ति इकट्ठा कर ले तो उस आनन्द में लय हो सकता है। लेकिन ऐसे भी देश अनेक हैं जिन्होंने सम्पत्ति में बहुत कुछ प्रगति कर ली, बहुत कुछ पा लिया है और अत्यन्त दुखी हैं। Read More …