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Ganapatipule (India)

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गणपतीपुळे (भारत)

शुक्रवार, जानेवारी १, १९८८

आज सगळ्यांना नव वर्षाचे अभिनंदन असो. आपणा सर्वांवर परमेश्वराचा अनंत आशीर्वाद आहे. सहजयोगामुळे अनेक लाभ अनेक लोकांना झालेले आहेत. आता थोडासा लाभ दुसऱ्यांना ही झाला पाहिजे, आणि त्याबद्दल असा विचार केला पाहिजे, की आपल्या समाजात जी दूषणं आहेत, ज्या वाईट गोष्टी आहेत, वाईट वृत्ती आहेत, जो अनाचार आहे, जो मूर्खपणा आहे, तो निदान आपल्यामध्ये तरी नसला पाहिजे. 

हया वर्षी जाती-पाती वर माझा विशेष हात आहे. आपल्या जाती-पाती सोडून टाकल्या पाहिजेत. जात-पात हि फक्त हिंदुस्थानातच आहे आणि हिंदुस्थानाची कीड आहे ही. तेव्हा आज हा असा निश्चय करायचा, की आमच्या मुलींची लग्न आम्ही, आम्ही आमच्या जातीत करणार नाही, आणि मुलांची लग्न आमच्या जातीत करणार नाही. असा निश्चय आज केला पाहिजे सगळ्यांनी.

असा जर निश्चय केला, तर अर्धा सहजयोग हिंदुस्थानात जमला असं समजलं पाहिजे. नुसतं मुलींवर जबरदस्ती आपण करू शकतो. मुलांवर करू शकत नाही आणि मुलींची इतकी कुचंबणा होते. ह्या जातीच्या आड येऊन जे शिष्ठ लोक असतात जातीतले ते अत्याचार करतात. तेव्हा आजपासून मी, माझी जात सोडून  मी, निर्मल धर्मात उतरलो किंवा उतरले असा निश्चय करायचा. मी, आता निर्मल धर्मी झालोय आणि मी, सहजयोगी झालेत हेच आमचे सोयरे आहेत. 

जसं ज्ञानेश्वरांनी सांगितलं “तेची सोयरे होती”. 

तेव्हा सर्व जात-पात विसरून आणि आम्ही आता सहजधर्मी झालो, सहज धर्मात उतरलो. एका लहानशा डबक्यात होतो, तिथून निघून आता मोठ्या सागरात आम्ही आलो, असा विचार केला पाहिजे.

आजचा दिवस शुभ, शुभारंभाचा आहे. जे काही चांगल आणि शुभ आहे ते सहजयोगात उघडपणे मी, सांगितलेलं आहे आणि ते केलं पाहिजे. ज्या ह्याने आपल्या देशाची, मानवांची, सर्व विश्वाची हानी होते, असलं कोणचं ही कार्य आम्हीं करणार नाही आणि असले कोणचे ही विचार आम्ही ह्या डोक्यात ठेवणार नाही. असा तुम्ही मनामध्ये पूर्ण निश्चय केला पाहिजे.

आज का शुभदिन आपको विशेषरूप से आशीर्वादित हो। आज बात करने में सिर्फ़ एक ही बात मुझे कहनी है, कि नए साल पर नई – नई बाते हमे सोचनी चाहिए। कौनसा नया काम हम कर सकते हैं। कौनसा नया विश्वास हम लोगों को दिला सकते हैं। मैं देखती हूं, कि अपने देश में अनेक बीमारियां है। उसमे से सबसे खराब बीमारी जातीयता की है। अभी भी जो लोग सहजयोग में आए हैं, वो भी यही सोचते हैं, कि हमारी लड़की की शादी हमारी ही जाति में हो जाए। इस तरह की गलत धारणा करने वाले लोग सहजयोगी हो नहीं सकते।

सहजयोग में, ये सब धारणाएं छोड़कर के, आप को ऐसा सोचना चाहिए, कि हमारे ऊपर बहुत बड़ा उत्तरदायित्व, रिस्पांसिबिलिटी है, कि हम इस तरह की गंदी कुरीतियां जो हमारे समाज में हैं, उनको अपने हृदय से निकाल दे। उसे घृणा करे और चाहें, की हमारे लड़कियों पे या लड़कों पे कोई भी आक्रमण ना हो। और उनकी शादियां कम से कम हम अपने जाति में करने के विरोध में खड़े हो जाएं। विशेषकर जो लोग सहजयोगी नहीं उनसे शादियां मत करिए। अगर इस तरह के आज निश्चय हो जाएं, तो सहजयोग का बहुत बड़ा काम आपने कर लिया ऐसा मैं सोचूंगी। मैं अब देख रही हूं, कि ये अपने देश का कैंसर है। जातीयता अपने देश को खा जाएगा । जबतक हमारे अंदर ये भावनाएं बनी रहेंगी, जातीयता की, तब तक हम लोग कभी ऊपर नहीं उठ सकते। इसलिए इस से दूर हटना चाहिए और इससे ऊपर उठना चाहिए।

आज के दिन यही आप लोग निश्चय कर ले तो मेरे लिए बहुत बड़ा काम हो जाएगा। आप सब जानते हैं। आप जानते नहीं ऐसी बात नहीं, आप सब जानते हैं, कि सब गलत है। तरीके गलत है। लेकिन उससे अभी छुटकारा होता नहीं, उसमें डरने की कोई बात नहीं। आपके साथ आपकी मां हैं। आपके अंदर शक्ति का संचार हो चुका है।

इसलिए कृपया आप इस बात पर बहुत ध्यान दे, की अब आप एक छोटे से गंदे, मैले, कुचैले पानी से भरे हुए एक गड्ढे से निकल कर के समुद्र में उतर आए हैं और विश्व निर्मल धर्म में आप पहुंच गए आप, और जब ऐसी शादियां हो जाती हैं, तो मैं देखती हूं, कि हर तरह के प्रोब्लेम खड़े हो जाते हैं। लड़की मैं कोई दोष आ जाएगा, लड़के मैं कोई दोष आ जाएगा। कुछ ना कुछ आफत आ जाएगी तब आप मेरे पास दौड़ के आते हैं। उससे पहले ही आप क्यों न एक स्वस्थ चित्त सहजयोगी के साथ ही विवाहबद्ध हो। उससे सबको आराम मिलेगा और यही हमारे रिश्तेदार हैं। बाकी के लोग हमारे रिश्तेदार हैं ही नहीं। असली हमारे रिश्तेदार सहजयोगी हैं। चाहे वो दुनियां के किसी भी कोने में हो, यही हमारे रिश्तेदार हैं ये समझ लेना चाहिए। ये कहने से ही प्रकाश आ गया। इस तरह से आप भी प्रकाशमान हो जाएं और अपना प्रकाश सब दूर फैलाएं।

कल सबके विवाह, की सूचियां पूरी कर दी जाएंगी और आपको बता दिया जाएगा, की किस किसका विवाह पूरी तरह से तय हो गया है। आपको इसमें अगर कोई अड़चन हो, या आप सोचे कि कोई गलत बात हो, या आप नहीं पसंद करते हो, तो कल ही हमे इसकी खबर कर दे। इससे हम इससे आगे न बढ़े। लेकिन अगर आप बाद मैं हां–ना ही करना चाहें तो उससे परेशानी हो जाएगी। जैसा कि हमने ठिक समझा, उम्र के लिहाज़ से, नौकरी के लिहाज़ से, आपके अपने, आपकी शिक्षा आदि के दृष्टि से, देखकर के ही लड़के–लड़कियों का चयन किया है। और उसमे अगर आप सोचते हों, की कोई चीज ठीक नहीं है, तो आप उसको बदल सकते हैं और मुझे खबर करे।

लेकिन ये, जो परदेसी लोग हैं, इनसे एक बात सीखने की है। इनमें सामूहिकता बहुत जबरदस्त हैं। हम लोग एक भी गाना क्या, एक आरती भी ठीक से सब लोग गा नहीं सकते। ये लोग अपने गाने, हमारे जो हिंदुस्तानी गाने हैं, उनको एक तान से, एक स्वर में, एकताल में बहुत शुद्ध तरीके से गाते हैं। इनके तरीके इतने जबरदस्त, सहज है, के जैसे ही इनको कोई गाना मिल जाता है, उसका टेप करेंगे, नोटेशन करेंगे, उसको किसी आदमी को बुलाकर उससे उच्चारण पूछेंगे। उसको ठीक से बिठाएंगे, रागदारी में बिठाएंगे और सारे देशों में उसको फैला देंगे।

उनको अब कहना पड़ेगा, कि हिंदुस्तान को भी अपने मैं मिलालो। यहां के लोग तो सब बहुत ही, व्यक्तिगत तरीके से रहते हैं और हम अभी कोई सा भी ऐसा गाना नहीं आता है, कि जो हमलोग सब मिलकर के गा सके। हमने इस वक्त किताबें छपवा दी है। आप लोग सभी ये किताबें, ले लीजिए और उसमे के गाने समझ लीजिए और सब लोग मिलके गाने गाए। कम–से–कम इतना शुरू करना चाहिए।

आशा है, कि आप लोग सब अपने उत्थान के लिए, सहजयोग की सामूहिकता के लिए, तत्पर हो जाएं।

हमारा आप सब पर आशीर्वाद।

( साळवे साहेब तुम्ही इकडे बसून गाणं म्हणा. वरती बसा. ह्यांना बोलवा इकडे. वरती या वरती, वरती या वरती…(…अस्पष्ट)