Gudi Padwa, Meditation in thoughtless awareness New Delhi (भारत)

            [Hindi translation from English] “गुड़ी पड़वा, “विचारहीन जागरूकता में ध्यान” दिल्ली (भारत), 30 मार्च 1976। हम ध्यान नहीं कर सकते; हम केवल ध्यान में हो सकते हैं। जब हम कहते हैं कि हम ध्यान करने जा रहे हैं तो इसका कोई अर्थ नहीं है। हमें ध्यान में रहना होगा। या तो आप घर के अंदर हों या घर के बाहर। ऐसा नहीं हो सकता की आप घर के अंदर हो  और फिर कहें कि: “अब मैं घर के बाहर हूं।” या जब आप घर के बाहर हों तो आप यह नहीं कह सकते: “मैं घर के अंदर हूँ।” “उसी तरह, जब आप अपने जीवन के तीन आयामों,  भावनात्मक और शारीरिक और मानसिक में आगे बढ़ रहे होते हैं| आप अपने अंदर नहीं हैं। “वास्तव में होना चाहिए”  लेकिन जब आप अंदर होते हैं कि आप निर्विचार जागरूकता में होते हैं। फिर, न केवल आप वहां हैं, बल्कि आप हर जगह हैं, क्योंकि वह जगह है, यही वह स्थान है जहां आप वास्तव में सार्वभौमिक हैं … वहां से आप सम्पूर्ण विश्व के पदार्थ के हर कण में,हर सोच में जो की भावना है और हर योजना तथा विचार में व्याप्त होता शक्ति और मूल तत्व के संपर्क में हैं। आप इस सुंदर पृथ्वी का निर्माण करने वाले  सभी तत्वों में व्याप्त हो जाते हैं । आप पृथ्वी में, आकाश[इथर] में,तेज[प्रकाश] में,ध्वनि में व्याप्त हो जाते हैं| लेकिन आपकी गति बहुत धीमी है। फिर आप कहते हैं: “मैं ध्यान कर रहा हूं,” इसका मतलब है कि आप वैश्विक सत्ता  के Read More …