Devi Puja: be aware of your powers

Barcelona (Spain)

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देवी पूजा। 

बार्सिलोना (स्पेन), 21 मई 1988।

खूबसूरत परिवेश… प्रकृति हम सब को देख रही है। धरती माता ने हमारे  देखने के लिए ऐसे सुंदर दृश्य बनाए हैं। जब मैं छिंदवाड़ा में पैदा हुई थी, तो वहां भी उसी तरह का माहौल था। अब, ज़ाहिर है, उन्होंने बहुत सी जगहों को साफ़ कर दिया है। लेकिन फिर भी, अगर आप थोड़ा आगे जाए, लगभग बीस मील, तो आपको उसी तरह के बड़े जंगल मिलते हैं। वे बाघों, तेंदुओं, सभी प्रकार के जंगली जानवरों से भरे हुए हैं।

और देवी को भारत में पहाड़ों वाली देवी कहा जाता है, उन्हें पहाड़ो वाली कहा जाता है – जिसका अर्थ है “पहाड़ों से संबंधित” – और वह पहाड़ों पर निवास करती हैं। जैसा कि आपने देखा होगा कि नासिक के पास नासिक में एक पर्वत पर सप्तशृंगी भी बसी है। आप एक साल पहले गए हो। वह आदि शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं और वह ॐ कि अर्ध मात्रा का प्रतिनिधित्व करती हैं। जैसे ॐ शब्द में साढ़े तीन मात्राएँ हैं, जिसका अर्थ है आधा चन्द्रमा, आधा वर्तुल। मात्रा का अर्थ है आधा घेरा।

तो, जैसा कि आप जानते हैं कि महाकाली, महासरस्वती, महालक्ष्मी, तीन शक्तियाँ हैं, और उनसे ऊपर आदि शक्ति है। तो, वह साढ़े तीन कुंडल हैं और अंतिम आधा कुंडल इन सभी के ऊपर है, जो उच्चतम का प्रतिनिधित्व करता है। तो यह आधी मात्रा, आदि शक्ति, वह है जिसे सप्तशृंगी में सात शिखर के साथ प्रतिनिधित्व मिला है… श्रृंग, का अर्थ है सात शिखर, यानी सात शिखर- सात शिखर। यानी आखिरी सातवें तक पहुंचने के लिए आपको सात पहाड़ियों से गुजरना होगा। तो, यह छह चक्रों का प्रतिनिधित्व करता है, और सातवाँ चक्र सप्तश्रृंगी का है – अर्थात आदि शक्ति। अतः प्रकृति में भी आदि शक्ति के आगमन को बहुत स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया गया है।

कोई पूछ सकता है कि, “ऐसा भारत में क्यों है कि हमारे पास ये साढ़े तीन देवियां हैं, भगवान का ऐसा पक्षपात क्यों?” इसे कहीं तो होना ही था और आप इसे कहीं भी रखते तो, यह कुछ पक्षपात होता। लेकिन किसी तरह, भारतीय जलवायु ऐसी है कि लोगों को प्रकृति के बारे में इतना चिंता करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। आप बारह महीने जंगलों में रह सकते हैं – न बर्फ, न सर्दी की समस्या, और गर्मी से भी आप जंगल में बच सकते हैं। तो, यह बहुत संतुलित है। इसलिए प्रकृति से लड़ने की समस्या पैदा ही नहीं हुई।

विदेश में क्योंकि लोगों को प्रकृति से लड़ना पड़ा, वे बहिर्मुखी हो गए, अधिक राईट साइडेड हो गए इसलिए अहंकार विकसित हो गया। और यही कारण है कि भारत में साढे तीन शक्तियों वाली धरती माता कि ये सब महाअभिव्यक्ति होते हुए भी लोगों में अहंकार नहीं है। लेकिन पश्चिम में, आप देखते हैं, लोग किसी भी चीज़ जो उनके पास है के बारे में बहुत अहंकारी हो जाते हैं । अहंकारी होना भारत में अपराध है। यदि कोई भी व्यक्ति बहुत अधिक “मैं, मैं”कहता है,  तो इसे पाप माना जाता है। इसलिए वहां स्थिति अलग है। जब लोग उन देवियों, इन साढ़े तीन देवियों की पूजा करने आते हैं, जैसा कि वे उन्हें कहते हैं, तो भारतवासियों को बहुत खुशी होती है। वे उन्हें प्यार करते हैं। जैसे जब आप लोग भारतीय संगीत गाते हैं, तो वे आपकी प्रशंसा करते हैं, वे सोचते हैं कि यह बहुत उल्लेखनीय है। लेकिन अगर भारतीय पश्चिमी संगीत गाते हैं, तो पश्चिमी लोग इसमें दोष निकालने लगते हैं – सहज योगी नहीं, वरन अन्य लोग।

लेकिन सहज योग के लिए इस तरह का स्वभाव आवश्यक है कि हम दूसरों की सराहना करें, दूसरों की आलोचना न करें। यदि आप आलोचना कर रहे हैं, तो आप अपने अंदर किसी भी अच्छे गुण को आत्मसात नहीं कर सकते हैं। लेकिन दूसरों की सराहना करना भी अच्छी परंपरा से आता है। सहज योग में हमें अच्छी परंपराओं को विकसित करना होगा। हमारे साथ हमारी सहज संस्कृति है,  इसमे मैं यह नहीं कहूंगी कि भारतीय बिल्कुल ठीक हैं। उनमें बाईं ओर के सभी दोष हैं और उन्हें बहुत सुधार करना है, और उन्हें आपसे सीखना है। उसी तरह आपको उनसे सीखना होगा। जैसा कि उन्हें आपकी सराहना करनी है, आपको उनकी सराहना करनी होगी।

अब, यदि कोई कवि है जो यहाँ बैठा होगा,  वह परमेश्वर प्रदत्त उन सुन्दर वस्तुओं को देखेगा और वह परमेश्वर की स्तुति गाएगा। लेकिन अगर कोई आधुनिक कवि है, तो वह भगवान को कोसेगा; उसका मन कहीं न कहीं कोई दोष निकालेगा। आधुनिक मन दोष खोजने में बहुत अच्छा है, इसलिए प्रशंसा के प्रति संवेदनशीलता बहुत मंद है। कुल मिलाकर आनंद के प्रति संवेदनशीलता कम है। अगर आनंद के प्रति संवेदनशीलता कम है तो उन्हें आनंद महसूस करने के लिए इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। तो, उन्हें ऐसे संगीत का उपयोग करना पड़ता है, जो बहुत झकझोर देने वाला हो – पूरी तरह से नसों को हिला देने वाला होना चाहिए। अन्यथा, वे शोर के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं।

इस आधुनिक मन से निपटना कठिन है क्योंकि यह आनंद की सुंदरता को अपने भीतर आत्मसात नहीं कर सकता है, जबकि ईश्वर आनंद का स्रोत है। जब आप इस खूबसूरत प्रकृति और इसके चारों ओर खेलते हुए सूरज को देखते हैं, तो आप बस निर्विचार हो जाते हैं और अनंत  में खो जाते हैं। परन्तु आधुनिक काल में दर्शन का स्थान अर्थशास्त्र ने ले लिया है। इसलिए हम हर चीज का आर्थिक मूल्य देखना चाहते हैं। इस प्रक्रिया में, फिर हम उसे इस तरह से विकसित करने का प्रयास करते हैं कि वह आर्थिक मूल्य को अधिक आकर्षित करे और इसीलिए आधुनिक मनुष्य अर्थशास्त्र से परे सौंदर्य को देख नहीं पाता। वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर यह सोचकर दौड़ता है कि उसका आर्थिक मूल्य अधिक है, लेकिन वह मूल्य तुम्हें आनंद नहीं दे सकता। यहां तक ​​कि जब कला की बात आती है तो लोग इसे भी आर्थिक मूल्य बना लेते हैं। वे कोई पेंटिंग भी इसलिए खरीदेंगे क्योंकि इसे फिर से बेचा जा सकता है। वे एक गहने में भी पैसा इसलिए लगाएंगे ताकि उसे फिर से बेचा जा सकता है। सब कुछ आप इतने स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि सोने और चांदी को भी एक ब्रांड मिल गया है। सब कुछ छाप वाला है, (स्टैण्डर्ड) मानकीकृत है।

तो, मुझे आश्चर्य हुआ कि भारत में हर घर में कुछ न कुछ चांदी होती है, लेकिन यहां चांदी का कोई ब्रांड होना चाहिए, जिसे बहुत कम लोग ही खरीद सकते हैं। रत्नों के साथ भी, सोने के साथ भी ऐसा ही है, सब कुछ ब्रांडेड है। लेकिन ये बहुत चालाक चालें हैं। बहुत अधिक विज्ञापन और बहुत अधिक कंडीशनिंग से उनका कोई नाम हो सकता है, कोई मूर्खतापूर्ण नाम, उसका कोई अर्थ नहीं है। और फिर वे इसे उस नाम से बेच सकते हैं, जो वे चाहते हैं। ऐसे ही पश्चिम में हमारे कई नाम हैं। जैसे, जब हम लंदन आए तो हमने रसोई के लिए कुछ सामान खरीदने के बारे में सोचा और उन्होंने कहा, “फिलिप्स एक अच्छा नाम है।” यह भयानक था! सभी फिलिप्स चीजें थीं। मुझे नहीं पता कि उन्होंने किस तरह की मिश्र धातु का इस्तेमाल किया था, यह बहुत नाज़ुक था और यह ईंट की तरह टूट जाएगा; ईंट अधिक कठोर होगी, मैं कहूंगी कि वह साधारण बिस्किट की तरह टूट जाएगी। लेकिन नाम इतना महान था, आप जानते हैं – फिलिप्स। मुझे संदेह हुआ क्योंकि वायब्रेशन अच्छे नहीं थे, और मेरे परिवार में उस नाम का एक भयानक नौकर था। लेकिन सभी ने कहा, “बढ़िया नाम है! ऊँचा नाम है!” तो हमने खरीदा।

अब, ठीक यही काम ये झूठे गुरु कर रहे हैं। वे बड़े बड़े नाम लेते हैं, मुश्किल वाले। अब एक बंदा, कल ही, उसका नाम चिद्विलासानंद था। अब उसका मतलब क्या है? ‘चित’ चित्त है, ‘विलास’ विलासी भोग है, और आनंद उस भोग का सार है, आनंद है। अत: इसका अर्थ है जो ध्यान के विलासी आनंद का आनंद लेता है। [श्री माताजी हंसती हैं]

अब एक पश्चिमी दिमाग के लिए , “हे भगवान, कितना अच्छा नाम है।” वे उस चेहरे को भी नहीं देखते हैं, जो चूहे की तरह, बीन की छड़ी की तरह पतला और सुअर की तरह बदबूदार होता है। उनके लिए वह एक गुरु हैं। और दूसरा नाम जो मैंने सुना वह था गुरु माई – वह माँ जो गुरु होती है। अब इस महिला को अगर आप देखें तो भारत की किसी गली की महिला की तरह दिखती है, जिसने बहुत छोटे बालों वाली पश्चिमी महिला की तरह अपने बाल कटवाए हैं, आप जानते हैं।

एक बार, भारतीय सहज योगी ने मुझसे कहा कि अमेरिका में सब कुछ उल्टा है। यदि आप एक पुरुष से एक महिला को अलग करना चाहते हैं, तो यह बहुत आसान है: जिसके बाल लंबे हैं, और कभी-कभी चोटी होती है, वह एक पुरुष है, और जिसके पास क्रू कट है वह एक महिला है। तो, यह गुरु माई बिना बाल, बिना दाढ़ी, मूंछ के है, और वह अमेरिकी भाषा के सभी अपशब्दों और मजाकिया गालियों का उपयोग करती है। लेकिन लोग उनसे बहुत प्रभावित हैं. यही वह है, उन्होंने इस बिंदु पर उठाया है कि- ब्रांडेड।

जैसे सिद्ध योग – बड़ा नाम। इसलिए यदि आप सिद्धों के चेहरे देखते हैं, तो वे मृत लोगों की तरह दिखाई देते हैं। तो इस तरह की ब्रांडिंग ने वास्तव में पश्चिम में साधकों को धोखा दिया है, और यह धोखा बहुत आगे तक चला गया है क्योंकि इसका आर्थिक मूल्य भी है। जैसे बोस्टन में उन्होंने मुझसे पूछा, “आपके पास कितनी रोल्स रॉयस हैं?” अब आपको ऐसे लोगों का सामना करना है, जिनके पास गुरु और देवत्व के बारे में उल्टी-सीधी सोच है। आधुनिक जीवन में सब कुछ मानव निर्मित है। उसी तरह, आध्यात्मिक जीवन में वे सभी स्व-निर्मित हैं और वे इस तरह की बात करते हैं, जहां “मेरे पास एक और जीवन है कि मैं इन दिनों सबसे महंगे गुरु के पास जा रहा हूं,” और वहां गुरु-खरीदारी चल रही है।

तो, पूरी चीज को देखा जाना है, ठीक से साक्षी भाव से सहज योगियों के रूप में देखना है। इसलिए, यह कहना होगा कि आर्थिक गतिविधि वास्तविकता नहीं है। आर्थिक गतिविधि एक मानवीय प्रयास है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि यहां एक पत्थर है और यहाँ उसका कोई आर्थिक मूल्य नहीं है, लेकिन यदि कोई मनुष्य उसे शहर ले जाए और उस पर ब्रांड लगा दे तो उसका आर्थिक मूल्य होता है। इसलिए सत्य को बेचा नहीं जा सकता और आप सत्य के लिए भुगतान नहीं कर सकते। इस बिंदु को साधकों के मन में बिठाना होगा। उनके दिमाग में स्थापित करना होगा कि आप अपने गुरु को नहीं खरीद सकते हैं और आप अपने आत्म-साक्षात्कार के लिए भुगतान नहीं कर सकते हैं। यह इतना निम्न नहीं है और मनुष्य द्वारा निर्मित भी नहीं है, मनुष्य के प्रयास के माध्यम से भी नहीं। लेकिन यह ईश्वर के प्रेम की सहज और जीवित प्रक्रिया है।

मुझे लगता है कि आप में से कुछ लोगों को, अगर आप चाहें तो सहज योग का उल्लेख किए बिना, इस तरह के लेख लिखने चाहिए। सहज योग इसके विपरीत है। उदाहरण के लिए, मेरा अपना नाम है, जो मेरे पास है, और पहला नाम – श्री माताजी – मुझे भारत में लोगों द्वारा दिया गया है। सहज योग के बारे में दूसरी बात यह है कि इसे क्रियान्वित करना है। यह बनना है। इसमे गुरु शिष्य के पीछे नहीं भागते।  कोई अमीर है या कोई बहुत शक्तिशाली है इस वज़ह से, ऐसे व्यक्ति पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके विपरीत, यदि आपके पास वह अवस्था नहीं है और आप सहज योग की समझ की एक विशेष अवस्था तक नहीं पहुँच सकते हैं, तो आपको इसे छोड़ने के लिए कहा जाता है। कुछ लोग मुझसे शिकायत करते हैं, “माँ, देखो, मुझे सहज योग से बाहर क्यों निकाला गया है? आखिरकार, मैंने सहज योग के लिए इतना कुछ किया है, मैंने सहज योग के कार्य के लिए इतना कुछ किया है।” अब यह यन्त्र (माइक्रोफोन)कुछ काम कर रहा है, लेकिन वास्तव में कोई काम ही नहीं कर रहा है – क्योंकि अगर मैं इसमें नहीं बोलती, तो यह बेकार है। लेकिन मान लीजिए कि यह सोचने लगे कि, “मैं काम कर रहा हूँ”, तो आप इसे सहज योग से बाहर निकाल देते हैं। यह क्रम से बाहर हो जाएगा। तो, सहज योगियों की उचित समझ यह होगी – कि हम ईश्वर के उपकरण हैं और हमें अच्छे काम के लिए खुद को ठीक से तैयार रखना होगा। हमें अपने यंत्र को शुद्ध करना चाहिए, ठीक से बनाए रखना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए ताकि परमेश्वर का कार्य हमारे माध्यम से फल-फूल सके। और यह बहुत आसान है; आपको बस हर दिन ईमानदारी और समझदारी से ध्यान करना है, यांत्रिक रूप से नहीं। आपको पता नहीं है कि आपके पास कितना ज्ञान है।

कल सिद्ध योग से मेरे पास आए लोगों ने बताया कि उन्हें इस मंत्र के लिए बहुत कीमत चुकानी पड़ी है, “ॐ नमः शिवाय। ॐ नमः शिवाय।” और यह मंत्र उन्हें गुप्त रूप से बताया गया था, आप देखिए, बहुत बड़ा रहस्य, व्यक्तिगत रूप से। और उन्हें शुरू करने के लिए काफी पैसे देने पड़ते थे, और उन्हें सात लोगों के बीच से गुजरना पड़ता था और हर कदम पर पैसे लेने के लिए डिब्बे रखे होते थे। तब यह भयानक चिद्विलासानन्द कहीं अँधेरे में बैठा हुआ था क्योंकि उसका चेहरा भयानक है और यह स्त्री पुरुष जैसी दिखती है। तो अँधेरे में वे बस उन्हें कानों में यह महामंत्र सुना देते हैं।

अब आप सभी सहज योगी जानते हैं कि इसका क्या अर्थ है। आपको कुंडलिनी के बारे में जबरदस्त जानकारी है, जैसी किसी के पास नहीं थी। आप कुंडलिनी को अपनी उंगलियों से उठा सकते हैं। आप सूर्य को, चंद्रमा को, आसपास के सभी लोगों को बंधन दे सकते हैं। आप समय को रोक सकते हैं। आप बारिश को रोक सकते हैं। आप बारिश शुरू कर सकते हैं। आप बहुत सी चीजों को नियंत्रित करते हैं। केवल एक महत्वपूर्ण बात यह है कि ध्यान के माध्यम से अपने पुराने विचारों और अपने अहं और संस्कारों से छुटकारा पाएं, बस इतना ही। एक मछुआरा था जो एक साधारण मछुआरा था। उन्हें अपना आत्म बोध हो गया था लेकिन उन्हें अपनी शक्तियों के बारे में पता था, और उन्हें सहज योग कार्य के लिए दूसरे द्वीप पर जाना पड़ा, और वे किनारे पर गए और उन्होंने आगे एक बड़ा तूफान देखा। उसने तूफान को देखा और कहा, “अब तुम बुरा बर्ताव मत करो। मैं अपनी माँ के काम के लिए जा रहा हूँ और जब तक मैं वापस नहीं आऊँगा, क्या तुम ठीक से व्यवहार करोगे?” इतने में सारे बादल गायब हो गए। (वह) उस गाँव में गया, सहज योग का कार्य किया और वापस आ गया; और जब वह घर जाकर सो रहा था, तब इसी समय वर्षा होने लगी।

आज, मुझे आपको बताना है कि आपको इसके बारे में जागरूक होना होगा। आपको अपनी शक्तियों का बोध होना चाहिए। आपको मेरी शक्तियों के बारे में भी पता होना चाहिए। वे असीमित हैं, इसलिए मैं यह नहीं कह सकती कि आप सभी शक्तियों से अवगत हो सकते हैं, मुझे यह पता है। यह आसान नहीं है। लेकिन तुम मेरे बारे में जो कुछ भी जानते हो, तुम्हें उससे अवगत होना चाहिए। ऐसे बहुत से तरीके हैं जिनसे तुम मेरे बारे में जान सकते हो – कि मेरी तस्वीरें आकाश में दिखाई देती हैं; कि आपने एक तस्वीर में मेरे चारों ओर बैठे सभी देवताओं को देखा; आप सभी के सिर पर प्रकाश था, यह एक प्रमाण पत्र है कि आप आत्मसाक्षात्कारी हैं। आपकी कुण्डलिनी पर चाहे कितनी भी समस्याएँ क्यों न हों, फिर भी आप आत्मसाक्षात्कारी हैं। अब आपको बस इतना करना है कि आप खुद को स्वच्छ रखें।

तो मुख्य रूप से आपका ध्यान बिलकुल ठीक होना चाहिए। ध्यान अपनी आत्मा पर केन्द्रित होना चाहिए। तब आप सबसे अच्छे साधन बन जाते हैं, आपका ध्यान बहुत शक्तिशाली हो जाता है। यह बाहरी नहीं है… बाहर कुछ भी नहीं है। जैसे, आप सोच सकते हैं कि यदि आप एक बड़ी दाढ़ी और मूंछें और लंबे बाल रखते हैं और गुरु नानक की तरह बैठते हैं, तो आप गुरु नानक नहीं बनते। यह बाहर नहीं है; यह अंदर की स्थिति है। भीतर की अवस्था को सिद्ध करना होगा। मुझे पता है कि मैं महामाया हूं, लेकिन आप बहुत भाग्यशाली लोग हैं क्योंकि मैं आपको हमेशा याद दिलाती हूं कि मैं सबसे पहले महामाया हूं। और दूसरी बात यह है कि आपके पास कोई है जो आपको बताएगा और आपका मार्गदर्शन करेगा, ऐसा किसी भी संत के पास नहीं था, किसी भी अवतार के पास नहीं था, किसी भी पैगम्बर के पास नहीं था – तो मेरे बच्चे होने का कृपया पूरा लाभ उठाएं।  और अधिक से अधिक साधकों को सहज योग में लाएं।

इसलिए आज मैं चाहूंगी कि आप अपनी शक्तियों के बारे में जागरूक हों। आप एक पहाड़ की चोटी पर बैठे हैं, और अब आप विकास के शीर्ष पर बैठे हैं। ज्ञान में तुम सबसे बड़े योगी हो। शक्ति में, आप सबसे महान योगी हैं। आप सत्यवादिता और धर्म में सबसे महान संत बन सकते हैं। आप में जहां कमी है वह है समर्पण और भक्ति, शुद्ध इच्छा। जैसे, ये योगी जंगलों में जाते थे, वहाँ जंगली जानवरों के साथ रहते थे और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के लिए ध्यान का अभ्यास करते थे, साल-दर-साल, जन्म जन्मान्तर, क्योंकि उनके भीतर एक शुद्ध इच्छा इतनी प्रबल थी।

लेकिन सहज योग में आप एक कदम आगे बढ़ते हैं और आपको आशीर्वाद मिलता है, आप एक और कदम बढ़ाते हैं आपको एक और आशीर्वाद मिलता है; यह हर समय आशीर्वाद के अलावा और कुछ नहीं है। आप हर पल धन्य हैं। लेकिन कभी-कभी यह भी जान लेना चाहिए कि आपकी माता के महामाया चरित्र के कारण ये वरदान लोभ हैं। इसलिए इसके प्रति जागरूक रहें और विनम्रता के साथ स्वयं को मध्य में बनाए रखने का प्रयास करें। तुम देखो  यह अहंकार जैसा है, क्योंकि इस हवा की तरह तुम ऊपर जाते हो; और इन गुब्बारों की तरह, कोई भी फैशन आप में आता है, सभी एक ही दिशा में बह जाते हैं, कहीं भी यह आपको ले जा सकता है। लेकिन भगवान का शुक्र है कि एक डोरी है जो बंधी हुई है। इसलिए, हमें सहज योग के ठोस स्तंभ बनना होगा जो दुनिया के सभी साधकों के लिए, मानवता की मुक्ति के लिए छत का निर्माण करे। बेशक, आप जानते हैं कि पूजा में आप गहराई तक जाते हैं। तुम पूजा में बहुत गहरे उतरते हो, तुम बहुत बड़ी गहराई को छूते हो। लेकिन वह मेरा कृत्य है। आप को जो करना हैं, वह उस गहराई को तलाशना है, उस कार्य का आनंद लेते रहना है।

परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें।

(अश्रव्य) इसके अलावा, मैं जहां भी जाती थी लोग कहते थे कि मैं स्पेनिश हूं या कुछ और। मुझे आश्चर्य होता था कि मुझमें और स्पेनिश महिलाओं में क्या समानता है। मुझे लगता है कि मेरे ह्रदय का प्यार शायद मेरे चेहरे पर अभिव्यक्त है। उसी तरह, मुझे आशा है कि स्पेन की महिलाएं दूसरों के प्रति प्रेमळ और स्नेही बन जाएंगी।

एक बात हमें समझनी होगी कि सहज योग प्रेम और दैवीय प्रेम है, और यह आसक्ति नहीं है, यह स्वामित्व नहीं है, बल्कि यह एक देने वाला प्रेम है। यह देह का प्रेम नहीं है। यह किसी भौतिक वस्तु का प्रेम नहीं है, न ही आपके विश्वास का प्रेम है, बल्कि ईश्वरीय प्रेम है। यह (अश्रव्य) यदि आप वास्तव में हर चीज को उसके सच्चे स्वरुप में देखने की कोशिश करते हैं और स्वयं समझने का प्रयास करते  हैं कि आप किसी चीज से कैसे और क्यों जुड़े हुए हैं। एक बार जब यह पता चल जाता है कि हम निर्लिप्त साक्षी अवस्था में हैं, तब स्वत: ही शुद्ध प्रेम बहने लगता है। जैसे ही तुम्हे बोध होता है, सूरज की रोशनी से, सारा कोहरा गायब हो जाता है। उसी प्रकार, जैसे ही आप के चित्त में आत्मा जगमगाती हैं, आपके सभी संदेह, आपकी सभी गलतियाँ गायब हो जाती हैं।

यह ऐसा ही है जो मैंने आज तुमसे कहा था कि तुम्हें अपने बारे में जागरूक होना होगा क्योंकि अब तुम अपने, अपनी आत्मा के मित्र हो। तो, जब आप आत्मा हैं, तो आप एक शानदार हीरे की तरह हैं, जो अपने आप में प्रकाश दे रहा है। इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि आप क्या हैं, दूसरे क्या नहीं हैं, और यह जागरूकता आपके अस्तित्व का हिस्सा, जन्मजात हिस्सा होना चाहिए। तभी यह कार्य करेगा और वातावरण में और अन्य लोगों में प्रवेश करेगा। मुझे उम्मीद है कि जब आप अपने देशों में वापस जाएंगे तो आप उन्हें मेरा संदेश देंगे कि हम सभी को अपने स्व के बारे में जागरूक होना होगा। हीरे पर मिट्टी डालोगे तो चमकेगा नहीं। लेकिन इसका हीरे की चमक से कोई लेना-देना नहीं है। अगर आप उस गंदगी को हटा देंगे, तो आप शानदार ढंग से चमकेंगे।

उसके लिए आप जानते हैं कि क्या करना है, स्वयं को देखना है। यदि आप ऐसा हैं … अभी भी दाएं तरफा या बाएं तरफा, खुद देखें और पता करें कि क्या गलत है। बस इसे साफ़ करें। बस इसे स्वीकार मत करो, इसे स्वीकार मत करो, क्योंकि यह मैल और गंदगी तुम्हारे हीरे को ढक रही है। सहज योग में हमें यही समझना है। फिर एक बार जब आप उस तेज से जगमगाते हैं, तो किसी को भी कसम ले कर ऐसा नहीं कहना पड़ता कि यह हीरा है, आप हैं। उस प्रतिभा पर कोई शक नहीं कर सकता। कोई नहीं चाहता कि वह व्यक्ति जो नकली हो, जो अशुद्ध हो, जो अधर्मी हो, ईश्वर के बारे में बात करे। हर कोई सत्यवादिता चाहता है। केवल एक चीज यह है कि वे आप में वास्तविकता अभिव्यक्त देखें, या आपको अपनी वास्तविकता को अभिव्यक्त करना होगा। पहली बात, जो हमारे हाथ में नहीं है – उन्हें वास्तविकता समझाना। लेकिन दूसऋ बात, सत्य को अभिव्यक्त करना हमारे हाथ में है।

अब, उदाहरण के लिए, आपने देखा है कि जब भी मैं यात्रा करती हूं और किसी कार्यक्रम की व्यवस्था करती हूं, तो हर जगह हजारों लोग होते हैं। इटली में उन्होंने बस मेरी तस्वीर देखी और वे मेरे कार्यक्रम में आए। मैं कोई भी दावा नहीं करती, मैं कुछ भी वादा नहीं करती, लेकिन वे सभी आए। कारण यह है कि वे संवेदनशील हैं और वे देख सकते हैं कि इस चेहरे में सच्चाई है। अंदर जो कुछ भी है वह बाहर व्यक्त है। अगर आप असली नहीं हैं, तो यह भी बाहर नज़र आता है। इसलिए आतंरिक जीवन को एक बड़ा, बड़ा चमकदार प्रकाश बनाना चाहिए ताकि हम लोगों को वास्तविकता का दर्शन करा सकें। इतनी सारे दीपक के साथ, मुझे यकीन है कि वे आपके चेहरे पर सुंदरता देख सकते हैं। रोम में, जब तुम लोग गा रहे थे, एक बूढ़ा आदमी आया और कहा, “मैं उनके चेहरे पर प्रकाश देख सकता हूं।” और आप देख सकते हैं – एक तस्वीर है – कि सबके सिर पर रोशनी है।

एक अन्य दिन मैंने एक पेंटिंग देखी, एल ग्रीको ने एक पेंटिंग बनाई है जिसमें उसने ईसा-मसीह के शिष्यों को पवित्र आत्मा से आशिर्वादित होते हुए दिखाया, और उन सभी के सिर से प्रकाश निकल रहा था। वे इतने कम थे। लेकिन आप बहुत हैं और आप सभी के सिर पर प्रकाश है, जो आपका मार्गदर्शन कर रहा है, जो आपकी देखभाल कर रहा है, जो आपको प्यार कर रहा है, जो आपको रास्ता दिखा रहा है। आपको कभी भी यह महसूस नहीं करना चाहिए कि आप अकेले हैं। लेकिन अपने आप को स्वच्छ रखने की कोशिश करें क्योंकि यह रोशनी गायब हो सकती है।

परमात्मा आपका भला करे।

मुझे खेद है कि मुझे कल सुबह लंदन जाना है और मैं कई देशों की यात्रा करूँगी। तीन महीने के लिए मैं पहले से ही बुक हूं। लेकिन आप इस संदेश को अपने सभी स्थानों पर ले जाएं और मुझे देखने दें कि जब मैं उनसे मिलने जाती हूं तो इसका उन पर क्या प्रभाव पड़ता है। अंत में, आइए हम जोस एंटोनियो के लिए ताली बजाएं जो स्पेन में सहज योग लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।

स्पेन में सहज योग लाने के लिए आप सभी, स्पेन के सभी लोगों और स्पेन के बाहर से आए सभी लोगों का धन्यवाद।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।

मुझे सचमुच अब जाना है। तो, हमारे साथ कौन आ रहे हैं?