Devi Puja: The heart is closed, which has to open out Ealing Ashram, London (England)

देवी पूजा (हृदय बंद है जिसे खुलना चाहिए), लंदन(इंग्लैंड), ३० अगस्त २००२  मै नहीं जानती क्या कहूँ (हॅसते हुए)| आप इस घर में रह रहे है अब, और ये बहुत अच्छा था क्योंकि सहज योगी यहाँ रहते थे और उन्होंने मेरे यहाँ वास का आनंद लिया| पर हमें बदलना है और प्रगति करना है| यही बात है| हर बदलाव के साथ आपको प्रगति करनी ही चाहिए, नहीं तो उसका कोई अर्थ नहीं| उस बदलाव का कोई अर्थ नहीं| तो अब वो सोच रहे है की मुझे इस घर में रहना चाहिए| मुझे लगता है यह अच्छा विचार है|  डेरेक ली: (बहुत अच्छी खबर है हमारे लिए माँ)  श्री माताजी, हम आपका शुक्रियादा अदा करना चाहेंगे| यहाँ एलिंग में आकर रहने के लिए, इस घर में इतने लम्बे समय तक| और हम जानते है, की इस घर से सभी प्रकार के आशीर्वाद हमारे लिए आये है | और मै कहना चाहता था, की वह प्रतीकात्मक था श्री माताजी | जब आप यहाँ आये, यह घर पूरी तरह ख़राब और नष्ट हो रहा था | और अब आपने उसे बनाया, उसे पुनः नया तैयार करवाया, बनवाया, एक महल के रूप में, जो यह अभी है| और हम आशा करते है श्री माताजी की आप ऐसा ही आश्चर्यजनक और खूबसूरत बदलाव पा सकते है हमारे साथ, क्योंकि  यह प्रतीकात्मक है (हँसते हुए)|  श्री माताजी: पर क्या मैंने वह नहीं किया? मैंने पहले ही किया है| आप देखे, ये आपकी करनी है| आपने स्वीकार किया, जिससे कार्य हुआ| और मुझे कहना चाहिए की बहुत Read More …

Devi Shakti Puja New York City (United States)

श्री देवी शक्ति पूजा, न्यूयॉर्क, 8 अक्टूबर 1995 रूस और पूर्वी ब्लॉक के देशों में मैंने (श्रीमाताजी) केवल चार वर्षों से ही कार्य करना प्रारंभ किया है और आप देखिये वे लोग किस तरह से सहजयोग के प्रति स्वयं को ज़िम्मेदार समझने लगे हैं। रूस में सहजयोग साइबेरिया तक फैल चुका है और साइबेरिया के लोग मात्र अपने व अपने आश्रम के लिये ही नहीं जीते। उनके यहां एक स्थान है नोवाशिवी जहां काफी संख्या में वैज्ञानिक रहा करते हैं क्योंकि ज़ारों और बाद में कम्यूनिस्टों ने कई वैज्ञानिकों को अपने यहां से निष्काषित कर दिया था और उसके बाद ये लोग यहां पर आ बसे। यहां पर रहते हुये इन लोगों ने खोजना प्रारंभ किया कि वास्तव में आध्यात्मिकता क्या है? किस तरह से हम आध्यात्मिक बन सकते हैं? उनमें सामान्य लोगों की तरह से न तो कोई लड़ाई था और न कोई झगड़ा और न कोई मूर्खता पूर्ण बातें थीं… न ही किसी प्रकार का प्रभुत्ववाद और न अहं आदि था। मैं वहां अभी-अभी एक सप्ताह पहले गई थी। मेरे वापस आने से पहले एक दिन एक वैज्ञानिक मेरे पास आया। उसकी आंखे समुद्र के समान गहरी थीं ….. बहुत सुंदर और वह रूस का एक जाना माना वैज्ञानिक था और काफी बड़े पद पर था। उसने लोगों को मेरे बारे में बहुत अधिक तो नहीं बताया ….. पर वह केवल मुझसे मिलना चाहता था। जब वह मुझसे मिलने आया तो उसने झुक कर मेरा हाथ लेकर चूमा। उसकी आंखों में मुझे प्रेम व श्रद्धा के समुद्र की Read More …

Puja (भारत)

Puja in Hyderabad, India. 11 December 1991. We have today come to this famous place, Hyderabad, which was ruled by Muslim kings, but they were very Indian and they fought also for the independence of India with the British. You know about Tipu Sultan, who was also a realized soul but he was killed. We have in our country one very big problem and that is, individually we are all great people, but when it comes to collective we don’t know how to live collectively, and that is why we lost our independence. Anybody can manage us. If we can open our eyes and see, it is quite easily understood that when people try to talk ill of others, involving us, there must be some intention. This has been our failing since long, that people use such methods that they spoil the relationships. And this should not crawl into Sahaja Yoga. When I am in India I think I should put some light on our weaknesses also. The second weakness we have, that we are very involved with our family; with our children, with our parents, with our brothers, cousins, this, that. Till you are completely deceived or cheated by someone so close, you’ll never learn a lesson. We are very involved; all our problems are around them. We cannot get out of our family. All the time we start thinking that: “Sahaja Yoga should help my family. Sahaja Yoga should do this for my family.” In Sahaja Yoga there’s Read More …

Arrival and Kundalini Puja (भारत)

Kundalini Puja talk Date: 1990/02/05 आप सब लोगों को मिल करके बड़ा आनन्द आया।  और मुझे इसकी कल्पना भी नहीं थी कि इतने सहजयोगी हैद्राबाद में हो गये हैं।  एक विशेषता हैद्राबाद की है  कि यहाँ सब तरह के लोग आपस में मिल गये हैं।  जैसे कि हमारे नागपूर में भी मैंने देखा है कि हिन्दुस्थान के  सब ओर के  लोग नागपूर में बसे हुए हैं।  और इसलिये वहाँ पर लोगों में जो संस्कार हैं,  उसमें बड़ा खुलापन है और एक दूसरे की ओर देखने की दृष्टि भी बहुत खुली हुई है । अब हम लोगों को जब सहजयोग की ओर नये तरीके से मुड़ना है तो बहुत सी बातें ऐसी जान लेनी चाहिये  कि सहजयोग ही सत्य स्वरूप है, और हम लोग सत्यनिष्ठ हैं।  जो कुछ असत्य है,  उसे हमें छोड़ना है।  कभी-कभी असत्य का छोड़ना बड़ा कठिन हो जाता है क्योंकि बहुत दिन तक हम किसी असत्य के साथ जुटे रहते हैं।   फिर कठिन हो जाता है कि उस असत्य को हम कैसे छोड़ें।  लेकिन जब असत्य हम से चिपका रहेगा  तो हमें शुद्धता नहीं आ सकती।  क्योंकि असत्यता एक भ्रामकता है और उस भ्रम से निकलने के लिए हमें एक निश्चय कर लेना चाहिए कि जो भी सत्य होगा उसे हम स्वीकार्य करेंगे और जो असत्य होगा उसे हम छोड़ देंगे।  इसके निश्चय से ही आपको आश्चर्य होगा कि कुण्डलिनी स्वयं आपके अन्दर जो कि जागृत हो गयी है,  इस कार्य को करेगी।  और आपके सामने वो स्तिथि ला खड़ी करेगी कि आप जान जाएंगे कि सत्य Read More …

Devi Puja: Who is the God and Who Is the Goddess Ganapatipule (भारत)

[Hindi from 17 :44] आप  लोगों  को  अंग्रज़ी  तो  काफी  समझ  में  आती होगी , जो  मैंने  बात  कही  है  आपको  सबको  मालूम है,  के  जो  हमारे  अंदर  बैठे  हुए  देवी-देवताएँ  हैं  वो आपकी  पूजा  से  बहुत  प्रसन्न  हो  जाते  हैं  और  बहुत ज़ोरों  में  वाईब्रेशन्स  छोड़ना  शुरू  कर  देते  हैं , कभी  तो  ज़रुरत  से  ज़्यादा ।  चाहे   आप  उसको  अब्सॉर्ब  करें  चाहे  नहीं  करें।   अगर  आपने  उसको अब्सॉर्ब  नहीं  किया  तो  मुझको  ही  तकलीफ  होने लग  जाती  है।  इसलिए  सबको  बहुत  खुले  दिमाग  से, खुले  हृदय  से  पूरी  आर्थतानगनना [UNCLEAR text]  करके  पूजा  में  बैठना  चाहिए।  जिसमे  जितनी  ही  आर्थता  होगी  उतना  ही  उसको  फायदा  होगा।   इसीलिए  शुद्ध  इच्छा  होनी  चाहिए।  इसलिए  अंदर  शुद्ध  इच्छा  करके और  माँ  हमारे  अंदर  आप  ऐसा  कुछ  रंग  भर  दो  की  वो  उतरे  ही  ना,  एक  बार  जो  रंग  भर  गया  तो  वो  उतरे  ही  ना,  ऐसा  ही रंग  भरो।   ऐसी  मन में इच्छा  कर  के  आपको  बैठना  चाहिए।   अच्छा,  अब  काफी  देर  हो  चुकी  है  और  यह  सब  बेकार  में   इन लोगों  ने  पुलिस  वाले  लगा  दिए  हैं  इनके  साथ बैठे-बैठे  भी  टाइम  गया  फिर  उसके  बाद  ये  हुआ , जो  भी  हो  अभी  ठंडी  हवा  चल  रही  है  तो अच्छा  है  कि  इस  वक़्त  पूजा  हो  रही  है।  

Devi Puja: In 10 years we can change the whole world & Weddings Announcements Brahmapuri (भारत)

मुझे खेद है जो भी कल हुआ, लेकिन मुझे लगता है कि बुराई और अच्छाई के बीच युद्ध शुरू हो गया है, और आखिरकार अच्छाई की जीत होती है। आधुनिक युग में अच्छाई पर बुराई हावी रहती थी लेकिन अब इस कृत युग में बुराई पर अच्छाई की पूरी तरह से जीत होगी, इतना ही नहीं, अच्छाई हर जगह फैलेगी। बुराई में अति तक जाने और फिर उत्क्रांती की प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर हो जाने की क्षमता है। चूँकि वे अंधे हैं वे अच्छे को नहीं देख सकते हैं इसलिए वे बुरे हैं। यदि वे अच्छाई देख पाते तो वे अपनी बुराई छोड़ देते। हमारे देश में जो योग का देश है, विशेष रूप से महाराष्ट्र जो संतों का देश है, मैं यह सुनकर चकित रह गयी जो कि लोग क्या कर रहे हैं। इस बकवास के वास्तविक स्रोत में से एक रजनीश, भयानक आदमी लगता है, क्योंकि उसने यहां एक प्रदर्शनी लगाई है जिसमें सभी देवताओं की पूरी तरह से निंदा की गई है और सभी प्रकार की गंदी बातें कही गई हैं, और मुझे लगता है कि यहां के मुख्यमंत्री भी इसमें शामिल हैं।  वे सभी यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई ईश्वर नहीं है, कोई आध्यात्मिकता नहीं है। वे यह स्थापित करना चाहते हैं कि विज्ञान ही सब कुछ है। भारत में हमारे पास विज्ञान की कोई विरासत नहीं है, हमारे पास अध्यात्म की विरासत है। मेरा मतलब है कि इस देश में इतने बड़े वैज्ञानिक के रूप में कोई भी विख्यात Read More …

Devi Puja: Try to Become Aware Shrirampur (भारत)

देवी पूजा श्रीरामपुर (भारत), 21 दिसंबर 1989। पीछे जाएँ, जिन्हें जगह नहीं मिली है, कृपया पीछे हटें। समझदार बनें। तुम सब मुझे अच्छी तरह देख सकते हो और जो दूर हैं वे मेरे अधिक निकट हैं; यह एक तथ्य है। जब मैं सच कहती हूं, तो वहां विष्णुमाया होती है। कृपया बैठ जाएं। नमस्ते। उसका क्या नाम है? जेनी, तुम उस तरफ जाओ। पुरुषों के साथ मत बैठो। अपने आप पर एक अनुशासन रखना चाहिए। जो लोग यहां बैठे हैं कृपया बाईं ओर चलें। दूरी बनाए रखें। अब, आप इतने महान सहजयोगी, प्राचीन सहजयोगी हैं। लोग अनुशासन और सूझबूझ के लिए आपकी ओर देखते हैं। ज्यादातर जो बहुत नए होते हैं वो आगे आने की कोशिश करते हैं। ऐसा मैंने देखा है। यदि आप नेता हैं तो, फिर अगर आप सामने बैठे हैं तो मैं समझ सकती हूं। अन्यथा सामने बैठने की क्या जरूरत? अच्छा। कृपया बैठ जाएं। आप जितने आगे होंगे, आपको और अधिक चैतन्य महसूस होंगे। तुम कर सकते हो; इसके लिए आप गवाही दे सकते हैं। आप जितने करीब होंगे उतना आप कम महसूस करेंगे। यह मेरी तरकीब है। अब देखिए, क्या आप वहां ज्यादा वाइब्रेशन महसूस कर रहे हैं? जेनी, वहाँ, अपने आप को देखें। ठीक है? मैं कभी असत्य नहीं बोलती। क्या थोडा पानी मिलेगा। [हिंदी] नहीं, नहीं, आप क्यों नहीं कोई उचित सीट लेते है? [हिंदी] बेहतर होगा कि आप एक सीट ले लें। [हिंदी] मैं उन्हें एक ऐसी बात के बारे में बता रही हूं आवश्यक नहीं की आपको उसके बारे में पता Read More …

Nothing to discuss in Sahaja Yoga Alibag (भारत)

                                      भारत दौरे की पहली पूजा  अलीबाग (भारत), 17 दिसंबर 1989। आप सभी का स्वागत है। थोड़ी देर हो गई है लेकिन अभी-अभी उन्होंने मुझे सूचित किया है कि विमान और भी देरी से चल रहा है, इसलिए मैंने सोचा कि अब पूजा करना बेहतर है, हालाँकि अंग्रेजों ने हमें शुरू से ही बताया था कि वे इसमें शुरुआत से ही शामिल होना चाहेंगे। उन्हें हमेशा बहुत अधिक पूजाएँ मिलती हैं, यही कारण हो सकता है। [श्री माताजी हंसती हैं, हंसी] तो अब हम सब यहां आ गए हैं और हम एक साथ तीर्थयात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह यात्रा बहुत ही सूक्ष्म प्रकृति की है और अगर हम यह महसूस करें हम यहां क्यों हैं, तो हम समझेंगे कि यह सारी सृष्टि आप सभी पर नज़र रखे हुए है और यह आपकी मदद करने की कोशिश कर रही है कि आपका उत्थान होना चाहिए और आप अपनी गहनता को महसूस करें और इस तरह अपने स्व का आनंद लें। खुद। यात्रा संभवतः बहुत आरामदायक नहीं रहे। सड़कें स्पीड-ब्रेकर्स तथा हर तरह के अवरोध से बहुत भरी हुई हैं  [श्री माताजी हंसती हैं] । हमारे उत्थान की जैसी यात्रा है|  मुझे लगा, कि अपनी गति को नीचे लाना है। नि:संदेह पश्चिम में हम बहुत तेज गति वाले हो गए हैं और इस गति को कम करने के लिए हमें ध्यान की प्रक्रिया का उपयोग करना होगा जिससे हम अपने भीतर शांति का अनुभव कर सकें। साथ ही विचार हमारे दिमाग पर बमबारी कर रहे हैं और हम दूसरों पर Read More …

Devi Puja: be aware of your powers Barcelona (Spain)

देवी पूजा।  बार्सिलोना (स्पेन), 21 मई 1988। खूबसूरत परिवेश… प्रकृति हम सब को देख रही है। धरती माता ने हमारे  देखने के लिए ऐसे सुंदर दृश्य बनाए हैं। जब मैं छिंदवाड़ा में पैदा हुई थी, तो वहां भी उसी तरह का माहौल था। अब, ज़ाहिर है, उन्होंने बहुत सी जगहों को साफ़ कर दिया है। लेकिन फिर भी, अगर आप थोड़ा आगे जाए, लगभग बीस मील, तो आपको उसी तरह के बड़े जंगल मिलते हैं। वे बाघों, तेंदुओं, सभी प्रकार के जंगली जानवरों से भरे हुए हैं। और देवी को भारत में पहाड़ों वाली देवी कहा जाता है, उन्हें पहाड़ो वाली कहा जाता है – जिसका अर्थ है “पहाड़ों से संबंधित” – और वह पहाड़ों पर निवास करती हैं। जैसा कि आपने देखा होगा कि नासिक के पास नासिक में एक पर्वत पर सप्तशृंगी भी बसी है। आप एक साल पहले गए हो। वह आदि शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं और वह ॐ कि अर्ध मात्रा का प्रतिनिधित्व करती हैं। जैसे ॐ शब्द में साढ़े तीन मात्राएँ हैं, जिसका अर्थ है आधा चन्द्रमा, आधा वर्तुल। मात्रा का अर्थ है आधा घेरा। तो, जैसा कि आप जानते हैं कि महाकाली, महासरस्वती, महालक्ष्मी, तीन शक्तियाँ हैं, और उनसे ऊपर आदि शक्ति है। तो, वह साढ़े तीन कुंडल हैं और अंतिम आधा कुंडल इन सभी के ऊपर है, जो उच्चतम का प्रतिनिधित्व करता है। तो यह आधी मात्रा, आदि शक्ति, वह है जिसे सप्तशृंगी में सात शिखर के साथ प्रतिनिधित्व मिला है… श्रृंग, का अर्थ है सात शिखर, यानी सात शिखर- सात शिखर। Read More …

Devi Puja: Commitment and Dedication Paithan (भारत)

“प्रतिबद्धता और समर्पण”।पैठण, महाराष्ट्र, (भारत), 11 जनवरी 1987। आपने इस जगह के चैतन्य को महसूस किया होगा: वे जबरदस्त हैं। और इतने वर्षों के बाद हमारा यहां आना हुआ, यह वास्तव में बहुत आश्चर्य की बात है। इस स्थान का मेरे साथ बहुत गहरा संबंध है, क्योंकि मेरे पूर्वजों ने इस स्थान पर शासन किया था। और यह शालिवाहनों की राजधानी थी। इसे ‘प्रतिष्ठान’ कहा जाता है, लेकिन फिर उन्होंने आसान भाषा मे “पैठन” बना दिया। यहां हजारों वर्षों से शासक थे और उन्होंने ही इस शालिवाहन वंश की शुरुआत की थी। असल में उन्होंने खुद को ‘सातवाहन’ [जिसका अर्थ है ‘सात वाहन’ कहा। वे सात चक्रों के सात वाहनों का प्रतिनिधित्व करते थे। यह आश्चर्यजनक है कि कैसे सहज। उसके बाद एक महान कवि हुए, जैसा कि आप उनके बारे में जानते हैं – ज्ञानेश्वर। वे यहां आए थे और उनका जन्म इस जगह के बहुत करीब हुआ था। वह यहां काफी समय से थे। और एक व्यक्ति था, जो एक अति-चेतन व्यक्ति था, जिसने उन्हे चुनौती दी थी। उसका नाम चांगदेव था। तो उसने कहा कि, “तुम्हारे पास तुम्हारे पास क्या है जो यह प्रदर्शित करे कि तुम्हारे साथ ईश्वर है?” और उसके साथ एक नर भैंसा था जो बस सड़क पर चल रहा था और ज्ञानेश्वर ने उस भैंस के द्वारा वेद मंत्र पाठ करवाया। और इस चांगदेव ने कुछ चालबाज़ी दिखाने की कोशिश की। और ज्ञानेश्वर अपने भाइयों और बहनों के साथ एक टूटी हुई दीवार पर बैठे थे और उन सभी के साथ दीवार को Read More …

Devi Puja: The Duties of a Guru Ganapatipule (भारत)

                                                      देवी पूजा  गणपतिपुले (भारत), 3 जनवरी 1987। आज चंद्रमा का तीसरा दिन है। चंद्रमा का तीसरा दिन तृतीया, कुंवारीयों के लिए विशेष दिन है। कुंडलिनी शुद्ध इच्छा है। यह कुंवारी है क्योंकि इसने अभी तक स्वयं को अभिव्यक्त नहीं किया है। और यह भी कि, तीसरे केंद्र नाभी पर, पवित्रता गुरु की शक्तियों के रूप में प्रकट होती हैं। जैसा कि हमें दस गुरु प्राप्त हैं, जिनका हम मूल गुरु के रूप में आदर करते  हैं, वे सभी उनकी बहन या बेटी को अपनी शक्ति के स्वरुप में रखते थे। बाइबिल के पुराने संस्करण में यह कहा गया है कि,  जो आने वाला है वह कुंवारी से पैदा होगा। और तब चूँकि यहूदी ईसा-मसीह को स्वीकार नहीं करेंगे, इसलिए उन लोगों ने ऐसा कहा कि “यह लिखा हुआ शब्द ‘कुंवारी’ नहीं है अपितु,  यह ‘लड़की’ लिखा है”।  अब संस्कृत भाषा में ‘लड़की’ और ‘कुँवारी’ एक ही शब्द है। हमारे पास आजकल की तरह 80 साल की लड़कियां नहीं थीं। तो एक महिला के कौमार्य का मतलब था कि वह एक ऐसी लड़की थी जिसकी अभी तक शादी नहीं हुई थी या जो अब तक अपने पति से नहीं मिली है। वह पवित्रता का सार है, जो गुरु सिद्धांत की शक्ति थी। तो, एक गुरु जो बोध प्राप्ति हेतु दूसरों का नेतृत्व करने का प्रभारी है, उसे यह जानना होगा कि उसकी शक्ति का उपयोग शुद्ध शक्ति की एक कुंवारी शक्ति के रूप में किया जाना है। एक गुरु इस शक्ति का उपयोग उस तरह से नहीं कर सकता जैसे एक Read More …

Shri Mahadevi Puja: Steady yourself with meditation Chalmala, Alibag (भारत)

मैं सभी सहजयोगियों को नमन करती हूं।इन खूबसूरत परिवेश में, आप में से कई लोग सोच रहे होंगे कि परमात्मा ने इन खूबसूरत चीजों को क्यों बनाया है। क्योंकि आप लोगों को इस धरती पर आना था और उस सुंदरता का आनंद लेना था, जो कि इसका एक कारण है। और अब ईश्वर आनंद और संतुष्टि के साथ बहुत अधिक तृप्ति और एक प्र्कार से अपनी इच्छापुर्ति को महसूस करते हैं।“भगवान ने यह सुंदर ब्रह्मांड क्यों बनाया है?” हजारों वर्षों से ऐसा एक प्रश्न पूछा गया है। कारण समझने में बहुत सरल है: यह जो सौंदर्य बनाया गया है वह स्वयं को नहीं देख सकता है। उसी तरह, सुंदरता का स्रोत ईश्वर अपनी सुंदरता को नहीं देख सकता है। जैसे मोती अपनी सुंदरता को देखने के लिए अपने आप में प्रवेश नहीं कर सकता। जैसे आकाश अपनी सुंदरता को नहीं समझ सकता। सितारे अपनी सुंदरता नहीं देख सकते। सूर्य अपना तेज नहीं देख सकता। उसी तरह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने स्वयं के अस्तित्व को नहीं देख सकते हैं। उन्हे एक दर्पण की जरूरत है और इसी तरह उसने इस सुंदर ब्रह्मांड को अपने दर्पण के रूप में बनाया है। इस दर्पण में उसने सूर्य की तरह अब सुंदर चीजें बनाई हैं, फिर सूर्य को अपना प्रतिबिंब भी देखना होगा। तो, उसने इन खूबसूरत पेड़ों को यह देखने के लिए बनाया है कि जब वह चमकता है, तो वे इतनी अच्छी तरह से ऊपर आते हैं और इतने हरे दिखते हैं।फिर उन्होंने उन पक्षियों को बनाया है जो सुबह जल्दी उठकर सूर्य Read More …

Devi Puja: The sincerity is the most important Dourdan (France)

देवी पूजा, फ्रेंच सेमिनार। डोरडन (फ्रांस), 18 मई 1986। आज हम यहां इस खूबसूरत जगह पर कुछ बहुत गहन काम करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती है, जो इतिहास में हैं, और कुछ चीजें वातावरण में हैं, वे हमें बहुत प्रभावित करती हैं क्योंकि हम पांच तत्वों की उपज हैं, जिनमें से पृथ्वी मां हमारे भीतर बाईं ओर है। धरती माता अपने वातावरण को बदलती है, अपनी पहाड़ियाँ और डलियाँ, नदियाँ, उन्हें इस तरह बनाती हैं कि यह उनके स्वभाव को विविधता प्रदान करती है। अब ईश्वर ने एक ही दुनिया बनाई है, उसने कई दुनिया नहीं बनाई हैं, उसने एक ही दुनिया बनाई है, यह दुनिया बॅस अकेले यहां इंसानों की रचना की गई है। तो, यह सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है, आप एसा कह सकते हैं, जोपरमात्मा के ध्यान में रहा है। तो, संपूर्ण ब्रह्मांड इस ग्रह के कल्याण के लिए काम करता है, और उस ब्रह्मांड के कार्य ने इस पृथ्वी को बनाया है, और फिर मनुष्य को, और फिर सहजयोगियों को तो, सहजयोगी रचनात्मक शक्तियों का साकार स्वरुप हैं, वे ईश्वर की इच्छा की अभिव्यक्ति हैं, यही उन्होंने चाहा, इसलिए उन्होंने इस ब्रह्मांड, इस ब्रह्मांड और इस पृथ्वी की रचना की। तो अब उनकी इच्छा पूरी होती है जब वे सहजयोगियों के माध्यम से बीज प्रतिबिम्बित होते देखते हैं। लेकिन अभी भी कुछ चीजें हैं जो हमें अपने भीतर स्पष्ट करनी हैं।हमारे भीतर महाकाली शक्ति उनकी इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है। अब हमें यह देखना Read More …

Puja: The Purity Inside Dr Sanghvi’s House, Nashik (भारत)

पूजाडॉ. संघवी गार्डन, नासिक (भारत), 17 दिसंबर 1985। नासिक, इस स्थान का विशेष महत्व है। बहुत समय पहले, लगभग आठ हजार साल पहले, जब श्री राम वनवास के लिए गए, तो वे महाराष्ट्र आए और वे विभिन्न स्थानों से गुजरे और वे अपनी पत्नी के साथ इस जगह नासिक में बस गए। और यहाँ एक महिला जो वास्तव में रावण की बहन थी, जिसका नाम शूर्पणखा था, उसने श्री राम को लुभाने की कोशिश की। अब पुरुषों को लुभाने या महिलाओं को लुभाने का यह गुण वास्तव में राक्षसी है और इसलिए लोग उन्हें ‘राक्षस’ कहते हैं। क्योंकि जो लोग राक्षसी लोग होते हैं वे स्वभाव से आक्रामक, अहंकार से भरे और हर किसी पर हावी होना चाहते हैं। और अगर उनका अहंकार संतुष्ट हो जाता है तो वे काफी संतुष्ट महसूस करते हैं। तो जो लोग ऐसे थे, उन्हें इस देश में ‘राक्षस’ कहा जाता था। उनके अनुसार यह सामान्य मानवीय व्यवहार नहीं था। तो ये राक्षस भारत के उत्तरी भाग, उत्तरी भाग में अधिक रहते थे और उनकी विभिन्न श्रेणियां वर्णित हैं। तो स्त्रियों के पीछे दौड़ने वालों को किसी और नाम से पुकारा जाता था और जहाँ स्त्रियाँ उन पर हावी होने की कोशिश करती थीं, उन्हें किसी और नाम से पुकारा जाता था। जहां पुरुष महिलाओं की तरह बनने की कोशिश करते हैं, वहां दूसरा नाम है। लेकिन उन्हें कभी इंसान नहीं कहा गया। उन्हें ‘राक्षस’ या ‘वेताल’ और अन्य सभी नामों से पुकारा जाता था। लेकिन आजकल आप एक ऐसी उलझन पाते हैं कि समझ Read More …

Farewell Puja Founex Ashram, Founex (Switzerland)

बिदाई के अवसर पर पूजा फौनेक्स, स्विटजरलैंड 14 जून 1985 क्या बात है? अब यह कौन खेलेगा? एक दम बढ़िया। बैठ जाओ। बैठ जाओ। आह, गुलाब आकार में बड़े हो गए हैं। क्या तुम्हे वो दिखता है? योगी: विशाल, माताजी। वे विशाल हैं। लेकिन वे आकार में बढ़ रहे हैं। आपके चैतन्य मुझे लगता है। ठीक है। तो अब। मुझे खेद है कि हमें आज यह जल्दबाजी में काम करना पड़ा। और परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाना पड़ता है, आज जो स्थिति है वही है। मैं कृष्ण पूजा के लिए वापस नहीं आ सकती, लेकिन – नवरात्रि, क्षमा करें, नवरात्रि, शायद नही हो सकता है, हो सकता है, मैं नहीं कह सकती। लेकिन जो भी हो। थोड़ी पूजा करनी चाहिए। यही इच्छा थी। तो, हम इसे अभी करेंगे; बस आपके पास ज्यादा समय नहीं है। लेकिन आप मंत्र बोल सकते हैं और बस कोई मेरे पैर धो सकता है और फिर मेरे हाथ। तो पैर धोने में करीब पांच मिनट का समय लगता है। योगी: क्या हम आपके एक सौ आठ नाम कहें? अंग्रेजी में एक अनुवाद है। वह होगा। ठीक है? अगर आप ऐसा सोचते हैं – लेकिन मुझे लगता है कि मंत्र बोलना बेहतर है, बेहतर है, चक्रों के मंत्र, आप देखिए। यह कहना अच्छा है क्योंकि वह भी बहुत महत्वपूर्ण है, चक्रों के मंत्रों को कहना। योगी: शुरू से? … अंत से, हाँ। तो आप एक कहते हैं और फिर एक से दूसरे को दोहराते हैं। अब, इसे शुरू करें। हम श्री गणेश से शुरुआत कर सकते Read More …

Devi Puja: Steady Yourself San Diego (United States)

देवी पूजा.सैन डिएगो, कैलिफ़ोर्निया (यूएसए), 31 मई 1985परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।कृपया बैठ जाएँ। (सिर्फ रिकॉर्ड करने के लिए, हम्म?)सैन डिएगो के आश्रम में आकर बहुत खुशी हो रही है। और यह इतनी खूबसूरत जगह है, ईश्वर के, परमात्मा के प्यार को इतना व्यक्त करते हुए, जिस तरह से परमात्मा हर कदम पर आपकी मदद करना चाहता है। यदि आप एक आश्रम चाहते हैं, यदि आप एक उचित स्थान चाहते हैं, आप अपने बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल करना चाहते हैं, आप ईश्वरीय काम करना चाहते हैं, हर चीज की देखभाल की जाती है, हर चीज कार्यांवित होनी पड़ती है। अगर यह कार्यांवित ना हो तो आप किस तरहअपना काम करेंगे? तो, यह सब काम करता है। और यह इतना स्पष्ट है, जिस तरह से हमारे पास अलग-अलग आश्रम हैं, बहुत ही उचित धनराशि जो हम खर्च कर सकें में ऐसे आरामदायक स्थान उपलब्ध हैं, कि हम एक साथ खुशी से रह सकते हैं। यह आपके लिए प्यार से बनाया गया घर है। तो सबसे पहले हमें एक बात याद रखनी होगी कि आपस में पूर्ण प्रेम हो। [मराठी] हमें उन लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए जो हमें बांटने की कोशिश करते हैं, जो हमें गलत विचार देने की कोशिश करते हैं। ऐसे व्यक्ति को पहचानना जो दिल से सहजयोगी हो बहुत आसान है। पहचानना बहुत आसान है। आपको थोड़ा और संवेदनशील होना होगा और आप ऐसे व्यक्ति को बहुत आसानी से खोज लेंगे। जो कोई भी चालाक हो, उसे खोजा जा सकता है। अब कोई परमेश्वर के विरुद्ध Read More …

Mother’s Day Puja: Talk on Children University of Birmingham, Birmingham (England)

                  मदर्स डे पूजा, बच्चों पर बात बर्मिंघम, इंग्लैंड 21 अप्रैल 1985। कृपया बैठ जाएँ। गेविन नहीं आया है? क्या गैविन नहीं है? बच्चों के साथ महिलाओं को भी पूजा के लिए बैठना चाहिए। वे अभी तक नहीं आए हैं? किसी को जाकर बताना होगा। योगी: कार वाला कोई व्यक्ति कृपया मुख्य बिंदु तक जाए और लोगों को बताएं कि उन्हें पहुंचना चाहिए। बेहतर हो कोई कार वाले सज्जन। श्री माताजी: ये क्या कर रहे हैं? योगिनी: हमें दोपहर बारह से पहले कमरे खाली करने होंगे। योगी: माँ, हमें अभी-अभी बताया गया है कि हमें अपने कमरे को बारह बजे तक खाली करना होगा, इसलिए इससे थोड़ा भ्रम हुआ है। श्री माताजी: क्यों? योगी: क्योंकि अधिकारी बारह बजे तक अपने कमरे वापस चाहते हैं। श्री माताजी: ओह, मैं समझी हूँ। तो फिर… योगी: क्या उन्हें अपने कमरे भी जल्दी खाली करने की कोशिश करनी चाहिए? श्री माताजी: हाँ। लेकिन मैं पूजा को बहुत पहले खत्म कर दूंगी, ग्यारह तीस के करीब। वे तब जा सकते थे। क्योंकि अगर आप देर से शुरू करते हैं, तो फिर से देर हो जाएगी। किसी भी मामले में मुझे पूजा को जल्दी खत्म करना होगा, क्योंकि मैं पहले जा रही हूं। योगी: क्या कई लोग जिनके पास कार है वास्तव में लोगों को हॉल में वापस आने में मदद कर सकते हैं …? श्री माताजी: या वे अपने रास्ते पर हो सकते हैं। क्या वे सब एक साथ आ रहे हैं? बस सुनिश्चित करें कि, क्या वे एक साथ आ रहे हैं। जल्दी चलो, साथ Read More …

Devi Puja (भारत)

देवी पूजा धर्मशाला, ३०.३.१९८५ आज के शुभ अवसर पर यहाँ आए हैं। आज देवी का सप्तमी का दिन हैं। सप्तमी के दिन देवी ने अनेक राक्षसों को मारा, अनेक दुष्टों का नाश किया, विध्वंस कर डाला। क्योंकि संत -साधु जो यहाँ पर बैठे हुए तपस्या में संलग्न हैं उनको ये लोग सताते थे। हम लोग सोचते हैं कि माँ ये क्यों, क्यों इन्होंने इतनी तपस्या की। इनको क्या जरूरत थी इतना तप करने की, इतनी तपस्या करने की। वजह ये कि तब मनुष्य का तपका बहुत नीचा था। लेकिन आँख बहुत उन्नत थी। वो सोचते थे कि हम इस शरीर से उस आत्मा को प्राप्त कर लें। इसलिए उन्होंने इतनी मेहनत की और इस स्थान में बैठ करके इतनी तपस्विता की। आज उन्हीं की कृपा से हम लोग आज इतने ऊँचे स्थान पर बैठे हुए हैं। उन्हीं की कृपा से हमने पाया। इसका मतलब ये नहीं कि हम लोग इस सहजयोग को समझ लें कि हमारे लिए एक बड़ी भारी देन हो गयी , कोई हमे बड़े महान लोग हैं जिनको कि भगवान ने वरण कर लिया, हम लोग चुने हुए मनुष्य हैं और इस तरह की बातें सोचने वाले लोगों को मैं बताती हूँ बड़ा धक्का बैठेगा। ये देखेंगे की जो लोग यहाँ स्वभाव से अत्यन्त सुन्दर हैं, वे सबसे पहले आकाश की ओर उठेंगे और बाकी सब यही धरातल पर बैठे रहेंगे। जितनी जड़ वस्तु है सब यहीं रह जाएगी। इसलिए सिर्फ आपका साक्षात्कार होना पूरी बात नहीं है। मैं यही बात अंग्रेजी में कह रही थी, वही Read More …

Devi Puja: How To Ascend Into Nirvikalpa Sydney (Australia)

             देवी पूजा, “निर्विकल्प तक उत्थान कैसे पाएँ ”  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 10 मार्च 1985 बयार चलेगी, अब आपको परेशानी नहीं होगी। इतने उच्च विकसित बहुत सारे सहजयोगियों को देखकर बहुत खुशी होती है। मुझे यकीन है कि सभी देवी-देवता और स्वयं सर्वशक्तिमान ईश्वर इस उपलब्धि को देखकर बहुत प्रसन्न होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन मुझे बताया गया था कि आप उच्च तरीके, या ऊँची बातें जानना चाहते हैं, जिसके द्वारा आप उच्च और अधिक ऊंचाई का उत्थान चाहते हैं। समाधि अवस्था में, सबसे पहले निर्विचार समाधि होती है, जैसा कि आप जानते हैं, निर्विचार समाधि कहलाती है। और फिर दूसरी अवस्था में, जिसे निर्विकल्प समाधि कहा जाता है, जहां यह निस्संदेह जागरूकता है, दो चरण हैं: सविकल्प और निर्विकल्प। अधिकांश सहजयोगी अब सविकल्प पर हैं, अभी तक निर्विकल्प पर नहीं हैं। और निर्विकल्प तक उठने के लिए, हमें यह समझना होगा कि हमें इसके बारे में कुछ और करना होगा। अब तक हमारी शारीरिक समस्याएं थीं जिनका समाधान हो गया है – शारीरिक जरूरतें, सुख-सुविधाएं अब हम पर हावी नहीं हो सकतीं। हम ब्रह्मपुरी जैसी किसी भी स्थिति में रह सकते हैं। हम उस सबका आनंद लेते हैं, जो दर्शाता है कि हम अब भौतिक जीवन या पदार्थ द्वारा निर्धारित बंधनों  से ऊपर उठ गए हैं। यह एक अच्छी स्थिति है जहां हम पहुंच गए हैं, जो लोगों के लिए भी बहुत मुश्किल है। आम तौर पर, लोग बेहद उधम मचाते हैं; वे सांसारिक चीजों, सांसारिक संपत्ति, सांसारिक भौतिक समस्याओं के बारे में चिंतित हैं। उनमें से बहुत से Read More …

The Culture of Universal Religion Bordi (भारत)

“विश्व निर्मल धर्म की संस्कृति” बोर्डी (भारत), 7 फरवरी 1985। युद्ध के मैदान में हमारी नई यात्रा का आज दूसरा दिन है। हमें लोगों को प्यार, करुणा, स्नेह और आत्मसम्मान से जीतना है। जब हम कहते हैं कि यह एक विश्व धर्म है, यह एक सार्वभौमिक धर्म है जिससे हम संबंधित हैं, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात, इसका सार शांति है। शांति भीतर होनी चाहिए, शुरुआत करने के लिए। आपको अपने भीतर शांत रहना होगा। यदि आप शांत नहीं हैं, यदि आप अहंकारयुक्त छल कर रहे हैं, यदि आप केवल यह कहकर स्वयं को संतुष्ट कर रहे हैं कि आप शांतिपूर्ण हैं, तो कहना दुखद है किआप गलत हैं। शांति स्वयं के अंदर आनंद प्राप्ति के लिये है। यह अपने भीतर महसूस करने के लिये है। इसलिए स्वयं को गलत सन्तुष्टि न दें, स्वयं को झूठी धारणाएं न दें। अपने आप को धोखा मत दो। शांति को अपने ही भीतर महसूस करना होगा, और यदि आप ऐसा महसूस नहीं कर रहे हैं, तो आपको आकर मुझसे यह नहीं पूछना चाहिए, “माँ, मुझे यह महसुस क्यों नहीं हो रही है।” क्योंकि मैं आपको यह नहीं बताने वाली हूं कि आपके साथ कुछ गलत है। आपको इसे कार्यंवित करना होगा कि आप अपने भीतर शांति महसूस करें। ऐसा नहीं है कि बाहर बहुत अधिक सन्नाटा हो तब आप शांति का अनुभव करते हैं। शांति अपने भीतर होनी चाहिए। यह तुम्हारे ही पास है। आपकी आत्मा पुर्णत: शांत है – अव्यग्र, बिना बेचैनी के। आपकी आत्मा में कोई बेचैनी नहीं है। बिल्कुल Read More …

Devi Puja: On Leadership (Morning) Rahuri (भारत)

अंग्रेजी से अनुवाद… और यह वह स्थान है जहां मेरे पूर्वज राजाओं के रूप में राज्य करते थे, और उनका एक राजवंश भी था। अब, हम जिस दूसरी जगह पर गए, मुसलवाड़ी, वह जगह है जहां देवी ने सबसे पहले उन्हें एक बीम से मारा था, इसलिए इसे मुसलवाड़ी कहा जाता है। इसका अर्थ है एक बीम, ‘मुसल’ का अर्थ है ‘बीम’। तो यह वह स्थान है जहाँ देवी ने बहुत काम किया है। एक और जगह है जिसे अरडगांव कहा जाता है जहां वह दौड़ रहा था और चिल्ला रहा था, इसलिए इसे अरड़ कहा जाता है। ‘अरड़’ का अर्थ है ‘चिल्लाना’ (‘गाओ’ का अर्थ है गाँव)। तो पूरी जगह पहले से ही बहुत चैतन्य पुर्ण रही है क्योंकि नाथ, नौ नाथ – हमने वहां एक गणिफनाथ देखा – लेकिन वे सभी इस क्षेत्र में रहते थे और उन्होने बहुत मेहनत की थी। सबसे अंतिम, साईनाथ, शिरडी में, जैसा कि आप जानते हैं, यहाँ से बहुत निकट था। तो यह एक बहुत ही पवित्र स्थान और महान पूजा का स्थान है जहाँ कई बार देवी की पूजा की जाती थी। राहुरी ही, यदि आप चारों तरफ घुमें, तो आप पाते हैं कि वहां नौ देवता बैठे हैं। इन्हें भी धरती माता ने ही बनाया है। वे सुंदर चीजें हैं। उनके बारे में कोई नहीं जानता। आप जा सकते हैं और देख सकते हैं। उनमें से नौ हैं और ये देवी के नौ अवतारों या देवी की नौ शैलियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब, इस खूबसूरत जगह में हम यहां Read More …

Devi Puja: Individual journey towards God Sydney (Australia)

                                                       देवी पूजा  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 14 मार्च 1983। अब आप सभी इस समय तक जान गए हैं कि हमारे ही भीतर शांति, सुंदरता, हमारे अस्तित्व का गौरव स्थित है। इन सबका एक सागर है। हम बाहर इसकी खोज़ नहीं कर सकते। हमें भीतर जाना है; जिसे वे ‘ध्यान की अवस्था में’ कहते हैं, आप उसकी तलाश करते हैं, आप उसका आनंद लेते हैं। जैसे, प्यास लगने पर आप किसी नदी पर जाते हैं या क्या आप समुद्र में जाते हैं ? और अपनी प्यास बुझाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सागर भी मीठा पानी नहीं दे सकता, तो जो बाहर फैला हुआ है, वो तुम्हें वह गहरी बात जो तुम्हारे भीतर स्थित है, कैसे दे सकता है? आप इसे बाहर खोजने की कोशिश कर रहे हैं जहां यह है ही नहीं। यह हमारे भीतर है, बिल्कुल हमारे भीतर है। यह इतना आसान है क्योंकि यह आपका अपना है। यह आपकी पहुंच के भीतर है, बस वहीं है। आप जो कुछ भी करते रहे हैं: आनंद, तथाकथित आनंद, तथाकथित खुशी, सांसारिक शक्तियों और सांसारिक संपत्ति की तथाकथित महिमा को खोजने के लिए बाहर जाना, आपको इस पूरी चीज से वापसी करना होगी। आपको अपने भीतर ध्यान देना होगा। यह गलत नहीं था कि आप बाहर गए [लेकिन] यह उचित नहीं था कि आप बाहर गए। आपने अब तक जो किया है उसके लिए आपको खेद नहीं होना चाहिए। जीवन के वास्तविक आनंद, अपने अस्तित्व की वास्तविक महिमा को पाने का यह उचित तरीका नहीं था। इसने इतने लोगों में काम किया है Read More …

Puja, Mother You be in our brain Adelaide (Australia)

Puja, Mother You be in our brain आप सबके बीच आना बड़ा सुखद अनुभव है और अभी मेरे आने से पहले यहां जो कुछ हुआ उसके लिये मुझे खेद है। लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि प्रकृति भी परमेश्वरी व्यक्तित्व की उपस्थिति में जागृत हो जाती है और एक बार जब ये जागृत हो जाय तो यह उसी तरह का व्यवहार करने लगती है जैसे कोई साक्षात्करी आत्मा करती है। ये उन लोगों से नाराज हो जाती है जो धार्मिक नहीं हैं … जो परमात्मा के बारे में जानना नहीं चाहते हैं…. जो लोग गलत कार्य करते हैं… जो लोग सामान्य लोगों जैसा व्यवहार नहीं करते हैं … या एक तरह से वे पूर्ण का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं … इस तरह के सभी लोगों से वह नाराज हो जाती है। एक बार जब वह इस स्तर तक आ जाती है तो यह स्वयं ही कार्यान्वित होने लगती है। जैसा कि आपको मालूम है कि सहजयोग के अनुसार सभी तत्वों के पीछे उनके देवता होते हैं। उदाहरण के लिये आग के देवता अग्नि हैं। अपने शुद्ध स्वरूप में ….वास्तव में अग्नि देवता हमें शुद्ध करते हैं। ये सभी को शुद्ध करते हैं … ये सोने को शुद्ध करते हैं … यदि आप सोने को आग में डाल दें तो यह जलता नहीं है बल्कि और भी चमकदार हो जाता है। लेकिन अन्य बेकार की वस्तुओं को आग जला डालती है। अतः सभी ज्वलनशील वस्तुयें अधिकांशतया निम्न श्रेणी की होती हैं जिनको जलाना ही उचित है। आश्चर्यजनक रूप से इन Read More …

Devi Puja: “Keep Your Mother Pleased” Vaitarna (भारत)

                                “अपनी माँ को प्रसन्न रखें”, देवी पूजा  वैतरणा (भारत), 21 जनवरी 1983 तो अब हम अपने पहले आधे दौरे के अंत में आ रहे हैं। अब हमें स्वयं पीछे देख कर  यह पता लगाने की कोशिश करनी होगी कि हमने इससे क्या हासिल किया है। हमें यह समझना चाहिए कि सहज योग मस्तिष्क की गतिविधियों के माध्यम से नहीं किया जाता है। जैसे बहुत से लोग सोचते हैं कि यदि आप सिर्फ अपने आप से कहते हैं, “आपको ऐसा होना है”, तो यह काम करेगा। यदि आपको हर समय अपने आप को सूचित करना है कि, “ओह, आपको एक विशेष समस्या से छुटकारा पाना चाहिए”, तो आप बिलकुल ठीक हो जाएंगे। या कुछ लोग सोचते हैं कि अगर वे किसी को बताते हैं, कि ” आपके साथ क्या गलत है और आपको ठीक हो जाना चाहिए”, तो यह सब ठीक हो जाएगा। ऐसा नही है। क्योंकि सहज योग मानसिक स्तर पर काम नहीं करता है। यह आध्यात्मिक स्तर पर काम करता है जो मानसिक स्तर से बहुत ऊँचा है। तो आपको क्या करना है यह समझना है कि अपने चक्रों को कैसे ठीक करें। और आपको यह समझना चाहिए कि अपनी मशीनों को कैसे कार्यान्वित करना है। शायद लोग अभी भी मानसिक स्तर पर रहते हैं और मानसिक स्तर पर समस्याओं को हल करने की कोशिश करते हैं। और इसीलिए सारी समस्याएं सामने आने लगती हैं। अब, यदि आपको किसी भी चक्र में कोई समस्या है या कुछ भी पकड़ने वाला है या आप पाते हैं कि आपके साथ कुछ Read More …

Devi Puja: “Our roots have to go down into dharma” Djamel Metouri House, St Albans (England)

देवी पूजा : “हमारी जड़ों को धर्म की गहराई में जाना होगा,” जमेल का घर, सेंट एल्बंस, इंग्लैंड,   6 जुलाई, 1977                                                                  तो आज मैं आपको पवित्रता के बारे में बताना चाहती हूं। वह मेरा नाम है, आप जानते हैं कि, निर्-मला। ‘नी’ का अर्थ है ‘नहीं’; ‘मला’ का अर्थ है ‘अशुद्धियाँ’। जिसकी कोई अशुद्धता नहीं है, वह निर्मला है, और वह देवी के नामों में से एक है। पवित्रता एक आंतरिक गुण है। यह मौन में बोलता है। यह सबसे गैर-आक्रामक गतिविधियों में से एक है। यह आप में पैठ जाता है। यह किसी भी तरह से व्यक्त नहीं करता है। प्रेम भी शब्दों में, अथवा कार्य द्वारा व्यक्त कर सकते हैं। लेकिन यह अभिव्यक्तिहीन है, पवित्रता है,  सभी अशुद्धता को धो देता है।  आप तार्किकता से यह नहीं समझ सकते कि यह काम कैसे करता है। आपको इसकी प्रक्रिया को जानना और महसूस करना होगा। यह बहुत सूक्ष्म है। कभी-कभी अत्यधिक भी होता है। लेकिन कभी भी चौंकाने वाला नहीं है | जब मैं कहती हूं कि, मुझे लगता है कि मानव उलटी खोपड़ी के बन गए हैं। जब हम विपरीत बुद्धि के हो जाते हैं, तो इसका मतलब नुकसानदायी है? जब हम किसी भी चीज में घिर जाते हैं। हम किसी ऐसी चीज़ में डूब रहे हैं जहाँ हम नष्ट होने वाले हैं। हम उल्टे हैं। यह Read More …

Lalita Panchami मुंबई (भारत)

ललिता पंचमी पूजा    दिनांक: 5 फरवरी 1976   स्थान:  मुम्बई   प्रकार: पूजा … की हो कि उसे सुलझा सके। इतना सब होते हुए भी बार-बार इस तरह की बात बहुत से लोग मुझसे पूछते हैं कि हमारा क्या फ़ायदा हुआ?  इस प्रश्न में निहित एक बहुत ही छोटी सी छुपी हुई बात है कि हमें जो कुछ मिला है उसके प्रति हमें कोई भी उपकार बुद्धि नहीं है।  ज़रा सी भी उपकार बुद्धि नहीं है कि हम सोचते हैं कि हमने क्या सहज में ही पा लिया। उपकार बुद्धि जिसे सेंस ऑफ़ ग्रेटिटूड  (sense of gratitude )अंग्रेजी में कहते हैं जब तक आपके अंदर होगा नहीं सब बात उलटी बैठती जाएगी। आज का दिन बड़ा शुभ है,ललिता पंचमी है। ललित का मतलब है सुंदर, अति सुंदर।  और ललिता गौरी जी का नाम है क्योंकि कल गणेशजी का जन्म हुआ है इसलिए आज गौरी जी का दिन मनाया जाता है।  वैसे भी आप जानते हैं कि मेरा कुंडलिनि का नाम, मतलब कुंडली का नाम ललिता है। लालित्य सौंदर्य को कहते हैं। मनुष्य वही सौंदर्य होता है, वही सुंदरतम होता है जिसमें सेंस ऑफ़ ग्रेटिटूड होती है। जिस इंसान में सेंस ऑफ़ ग्रेटिटूड ज़रा भी न हो वो इंसान पशुवत है।  पशु में भी होती है, कुत्ते में भी होती है। एक कुत्ता उसको आप थोड़े दिन पालिये-पोसिये देखिये आपको आश्चर्य होगा कि वो किस कदर वफादार होता है, वफादार होता है। जैसे ही सेंस ऑफ़ ग्रेटिटूड आपके अंदर जागृत होगा वैसे ही प्रेम के दर्शन अंदर से आने शुरू हो जाते Read More …