Become the light and give the light

Spreckels Organ Pavilion, San Diego (United States)

1989-06-19 Become the light and give the light, San Diego, United States, 68' Chapters: Arrival, Talk, Self-RealizationDownload subtitles: CS,DE,EN (3)View subtitles:
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Public Program Day 2, San Diego (USA), 19th of June, 1989

सार्वजनिक कार्यक्रम  दूसरा दिवस 

 सैन डिएगो (यूएसए), 19 जून, 1989

कृपया बैठ जाएँ। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। जैसा कि मैंने कल आपको बताया था कि हम सत्य की अवधारणा नहीं बना सकते। हम इसे बदल नहीं सकते, हम इसे व्यवस्थित नहीं कर सकते। सत्य की समझ एक अनुभव है|  सत्य को आपकी अनुभूति में होना आवश्यक है। यह इसके बारे में सिर्फ एक मानसिक रवैया नहीं है। क्योंकि दुनिया में,  अगर आप देखें तो ऐसे लोग हैं जो इस या उस तरह के दर्शन को मानते हैं,  इस या उस धर्म को मानते हैं,  हर तरह की बातों को मानते हैं और बड़े आत्मविश्वास से कहते हैं, मैं उस पर विश्वास करता हूं। लेकिन आपके जो भी विश्वास हों, आपका दर्शन या आपका धर्म कोई भी हो, कोई भी व्यक्ति कुछ भी पाप कर सकता है, किसी भी प्रकार की हिंसा कर सकता है, किसी का भी अहित कर सकता है। कोई रोकथाम नहीं है। आप ऐसा नहीं कह सकते कि चूँकि मैं अमुक -अमुक हूं , ऐसा नहीं कर सकता। इसका मतलब है कि विश्वास केवल ऊपरी तौर पर है। और इसलिए हम दूसरों की आलोचना किए चले जाते हैं। अब उदाहरण के लिए यदि आप मुसलमानों के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप यहूदियों से बात करें। और अगर आप यहूदियों के बारे में जानना चाहते हैं तो आप ईसाइयों से बात करें। यदि आप ईसाइयों के बारे में जानना चाहते हैं, तो भारतीयों या हिंदुओं से बात करें। तो इसका कोई अंत नहीं है। हर कोई सोचता है कि वे सभी चुने हुए हैं और उनके लिए सीधे स्वर्ग की सीढ़ी बनाई जाती है। अगर आपको इस प्रकार की अवधारणाओं के साथ रहना है, तो सहज योग आपकी मदद नहीं कर सकता। लेकिन अगर आपको पता चलता है कि हमने अभी तक केवल सत्य का अनुभव नहीं किया है, तो हमें निरपेक्ष सत्यता का अनुभव करना होगा, ताकि अनुभव पाने वाले सभी एक ही बात कहें। कल मैंने आपको बताया था कि धर्म का सार एक है, हालांकि अलग-अलग समय में इसे अन्य विचारों के साथ समाहित किया जाना था, लेकिन सार एक ही था, शाश्वत की खोज करना, और जो कुछ क्षणभंगुर है उसे उसकी सीमाओं में समझदारी से उपयोग करना। मैं कहूंगी कि ये सभी महान पैगम्बर और अवतार सभी जीवन के एक ही वृक्ष पर पैदा हुए थे जिन्हें हमने ऐसे पेड़ से तौड़ लिया  जैसे हम फिर फूलों को तौड़ लेते हैं, हम इन फूलों को तौड़ लेते हैं और अब ये मृत फूल ले कर हम कहते हैं, यह अमुक फूल है, यह फूल है, यह फूल है। अब आप यहां जो कुछ भी देख रहे हैं (सूक्ष्मतंत्र शरीर का चित्र) , वह आपके भीतर एक व्यवस्था है, एक सूक्ष्म व्यवस्था है। स्थूल में जो आप बाहर देखते हैं, लेकिन मान लीजिए कि आपको किसी पेड़ का उसके रोगों या परेशानी के लिए इलाज करना है, तो आप उसकी पत्तियों के माध्यम से उसका इलाज नहीं कर सकते। आपको इसकी जड़ों तक जाना होगा। यह जड़ का ज्ञान है। और अगर हम अपनी जड़ों तक नहीं जाएंगे तो हमारी सभ्यता, हमारा तथाकथित विकास धराशायी हो जाएगा। मनुष्य में जड़ें हैं और हमारी सारी समस्याएं मानव निर्मित हैं। तो हमें करना ऐसा है कि अपनी जड़ों को समझना है और यह भी पता लगाना है कि क्या गलत है, हम कहां गलत थे, क्या गलती थी। और फिर उसे सुधारने के लिए तैयार रहना चाहिए। यदि हमें आत्मा का ज्ञान प्राप्त हो जाए तो यह सब बहुत आसानी से हो सकता है। अँधेरे में हम देख नहीं पाते और न ही मानना चाहते हैं कि अँधेरा है। हम सभी सोचते हैं कि हम सभी प्रबुद्ध लोग हैं, हम सभी सीधे स्वर्ग जा रहे हैं। ऐसा नहीं है, मुझे कहना होगा। हमें अपने आप को जानना है, और यह ज्ञान कोई बनावटी चीज़ नहीं है। जैसे हमारे यहाँ, भारत में ऐसा कहने का रिवाज है कि आपका फिर से जन्म हुआ है। उसके लिए उनका एक समारोह होता है, एक ब्राह्मण आएगा, कुछ पैसे ले कर, कुछ धागा अपने गले में डाल लो और कहते हैं कि, अब तुम्हारा फिर से जन्म हुआ है। इसी तरह हम चर्च जाते हैं और पुजारी थोड़ा पानी आपके फॉन्टानेल बोन एरिया पर डालते हैं और कहते हैं, अब आप चुने हुए ईसाई हैं। उसी तरह से इस्लाम में और हर धर्म में है। लेकिन यह एक घटना है, यह एक जीवंत घटना है जिसे हमारे भीतर घटित होना है। इसके बिना हम द्विज नहीं बन सकते। और बनना बहुत जरूरी है। उस बनने में, जैसा कि डॉ. डेविड स्पिरो ने आपको पहले ही बताया है, हमारे भीतर यह तंत्र है। अब हमें इसका मज़ाक उड़ाने, मज़ाक उड़ाने या अवहेलना करने के बजाय यह देखने के लिए अपने दिमाग को खुला रखना होगा कि ऐसा यह है या नहीं। क्योंकि यह प्रत्येक व्यक्ति के हित के लिए है। और जब मनुष्य परिवर्तित होंगे तो सारी दुनिया परिवर्तित हो जायेगी। जैसे ही हम मनुष्यों को रूपांतरित कर पाएंगे, हमारी सभी समस्याएं हल हो जाएंगी। यह कभी-कभी बहुत आश्चर्यजनक होता है कि कैसे लोग मेरे प्रति भी आक्रामक हो जाते हैं! मैं यहां कोई पैसा मांगने या ऐसा कुछ करने नहीं आयी हूं। मैं यहां केवल आपको यह बताने के लिए हूं कि आपके पास क्या है और आप अपनी खुद की संपत्ति और खुद से क्या प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ अब आप देखिए, मैं अनुभव के बारे में बात कर रही हूँ। अब कुछ लोग सोचते हैं कि अनुभव ऐसा होना चाहिए कि आपको कुछ रोशनी दिखनी चाहिए। यदि आपको कोई प्रकाश दिखाई देता है तो आप प्रकाश नहीं हैं। तार्किक रूप से समझें! आपको प्रकाश बनना है। तो फिर तुम क्या करते हो? तुम प्रकाश उत्सर्जित करो| यानी आपमें इतनी शक्ति होनी चाहिए कि आप दूसरों को रोशनी दे सकें। यह कम से कम उस व्यक्ति के साथ होना चाहिए जो कहता है कि वह दो बार पैदा हुआ है। इसके अलावा, भारत में और विदेशों में भी कुछ लोग भयानक प्रथाओं का अभ्यास कर रहे हैं, जिसके द्वारा वे आप में किसी प्रकार की बाहरी सत्ता स्थापित कर सकते हैं। वे इसे करते हैं, मैंने देखा है। वे पैसा वसूलते हैं, आप एक बाधा से ग्रसित होने के लिए पैसे का भुगतान करते हैं। और जब यह सत्ता तुम्हारे भीतर आ जाती है तो तुम पागल जैसे हो जाते हो। तुम बहुत अजीब हो जाते हो। जैसे एक सज्जन मेरे पास आए, वे मुझसे बात कर रहे थे और और वह अचानक इस तरह से ही चढ़ गया। (श्री माताजी हाथ उठाती हैं।) मैंने कहा, यह क्या है? उन्होंने कहा, मेरे गुरु ने मुझे दिया है। वह इससे छुटकारा नहीं पा सका। करीब पांच मिनट तक वह ऐसे ही रहे। मैंने कहा, यह क्या है? यह मेरे गुरु ने मुझे दिया है। मैंने अपनी नौकरी खो दी है, मैंने पैसे खो दिए हैं मैं अब एक निराश्रित हूं क्योंकि अचानक मैं इस तरह ऊपर जाता हूं या अचानक मैं किसी तरह के अजीब मुद्रा में चला जाता हूं। यह बोध नहीं हो सकता,नहीं हो सकता है? फिर एक अन्य शख्स है जो आया और जिसने-भारत में ही ऐसा हुआ-उसने पैर मेरी ओर इस तरह रखे। तो किसी ने कहा, आप किसी की तरफ पैर नहीं रख सकते, इज्जत नहीं है। उन्होंने कहा, अगर मैं उस तरह नहीं बैठूं , अगर मैं सच में अपने पैर मोड़ लेता हूं तो मैं मेंढक की तरह उछलने लगता हूं। उसने कहा, मेरे गुरु ने ऐसा कहा है। और वास्तव में तुम विश्वास नहीं करोगे, उसने मुझे एक किताब दिखाई जो उसके गुरु ने लिखी थी: तुम मेंढक की तरह कूदते हो। और उनके शिष्य यहां आए और अमेरिकियों से इतना पैसा कमाया, बहुत अच्छे से! उसने उन्हें घोड़े की तरह उछाला होगा, ठीक है, पता नहीं क्या! अब तुम मेंढ़क वा कीड़ा नहीं बनने वाले। हम क्या बनने जा रहे हैं? हम अति-मानव बनने जा रहे हैं जिनकी जागरूकता में सामूहिक चेतना है। अब जब हम बैठे हैं तो हमें नहीं पता कि आपके अंदर क्या खराबी है। ‘जब तक तुम पागल नहीं हो जाते और पागलखाने में नहीं जाते तब तक तुम नहीं जान पाते कि तुम पागल हो। और फिर बेशक, आप किसी भी मामले में नहीं जानते। अब, अगर आप….. मान लो, किसी भी अस्पताल में जाते हो कुछ, और अगर वे आपको नहीं बताते कि आपको कोई बीमारी हो गई है, तो आपको पता नहीं चलेगा। पता लगाने का कोई तरीका नहीं है – शारीरिक स्तर पर, मानसिक स्तर पर, आध्यात्मिक स्तर पर भी आप यह पता नहीं लगा सकते कि यह सही है या नहीं। अब कोई कहता है कि मैं तुम्हें मेंढक की तरह उछाल दूंगा, या बेहतर होगा कि तुम हवा में उड़ सको। आप हवा में क्यों उड़ना चाहते हैं? पहले से ही बहुत सी चीजें हवा में उड़ रही हैं। क्या अब हम पंछी बनने जा रहे हैं? इसलिए – और वे सभी अमेरिका में हैं, मुझे नहीं पता क्यों, उन्होंने आपके बारे में क्या सोचा कि वे अमेरिकियों पर कूद पड़े। और यहां आए हैं,  खरबों रुपए बनाए हैं। मुझे नहीं पता कि खरब क्या है, उन्होंने कहा दस दस लाख। रुपये और हीरे और यह, वह, यहाँ घूमने के लिए मुझे अपना पैसा खर्च करना पड़ता है। इसलिए, यह मेरी समझ से परे है कि वे कैसे विश्वास कर सकते हैं, ये लोग कैसे ऐसी भयानक बातों पर विश्वास कर सकते हैं जो उन्होंने कीं। समझदार बात यह समझनी होगी कि यदि आपका कोई गुरु है या यदि आपका कोई गुरु है तो कम से कम आपको एक शांत व्यक्ति होना चाहिए। लेकिन वे भिखारी हो गए हैं, उनकी नौकरी चली गई है, वे मर रहे हैं। ऐसा कैसे हो सकता है? और वे कहते हैं, अब हम निर्वाण के मार्ग पर हैं। क्या बुद्ध ऐसे मरे थे? बिल्कुल बेतुके विचार। और मैं एक दिन डेविड से चर्चा कर रही थी, उसने मुझसे कहा, माँ, हमारी अपनी कोई पृष्टभूमि नहीं है, मैंने कहा, आपके पास दिमाग है1 हमें बनना है! और सामूहिक रूप से सचेत हो जाना ऐसा भी आपको बी युंग ने बताया है! युंग ने स्पष्ट रूप से सामूहिक चेतना की बात की है। उन्होंने कहा है कि आपको सामूहिक रूप से जागरूक होना होगा, यानी अपने भीतर आप महसूस कर सकते हैं कि आपके साथ क्या गलत है और दूसरों के साथ क्या गलत है। मैं कहूंगी कि सहज योग इससे कहीं व्यापक है, इससे कहीं अधिक! सहज योग न केवल आपको परमात्मा के साथ, सर्वव्यापी शक्ति के साथ मिलन देता है, जो आपके माध्यम से प्रवाहित होने लगता है जिससे आप संवेदनशील हो जाते हैं और आप दूसरे व्यक्ति के विभिन्न केंद्रों को महसूस कर सकते हैं, आप अपने स्वयं के केंद्रों को महसूस कर सकते हैं,  आप यह भी जानते हैं कि कैसे उन्हें ठीक किया जाए। और इस तरह आप समझते हैं कि पहले एक उचित शरीर, एक उचित मन और एक उचित आध्यात्मिक विकास कैसे करें। तब तुम बन जाते हो, तब तुम स्वयं के मालिक हो जाते हो। मैं इस तरह का सुझाव दूंगी कि, एक आधुनिक सादृश्य में आप यह कह सकते हैं कि एक कार में हमारे पास एक एक्सीलरेटर और एक ब्रेक होता है। जब हमें गाड़ी चलाना नहीं आता तो हम एक्सीलरेटर दबाते चले जाते हैं और कहीं का कहीं पहुंच जाते हैं। फिर कभी-कभी हम बस ब्रेक दबा देते हैं और हम गाड़ी चला नहीं पाते। लेकिन धीरे-धीरे जब हम उसे बैलेंस करना शुरू करते हैं, बैलेंस करते हैं, जब हम बैलेंस करते हैं तो हमें गाड़ी चलानी आती है, तब हम ड्राइवर बन जाते हैं। फिर ऑटोमेटिकली हम ड्राइव कर सकते हैं लेकिन फिर भी मास्टर जी पीछे बैठे हैं। जो गुरु आपको देख रहा है – वह आत्मा है। लेकिन एक बार जब आप गुरु बन जाते हैं तो आप ड्राइवर, एक्सीलेटर और ब्रेक देख रहे होते हैं। ये सभी चीजें एक साथ पूर्ण संतुलन में हैं। हमने अपनी क्षमता में से संतुलन गँवा दिया है। अब, अगर कोई लकड़ी का व्यापार करना चाहता है जो एक बड़ी समस्या है, तो आप एक के बाद एक सभी सुंदर देवदार के पेड़ों को इस हद तक काटते चले जाते हैं कि यह स्थान बारिश के अभाव की जगह बन जाता है, अंत में आप पाते हैं कि हर जगह रेगिस्तान में परिवर्तित हो गयी है। अब इस रेगिस्तान को ईश्वर ने नहीं बनाया, हमने बनाया है। फिर माना की अब, अगर हमें नहाने के लिए समुद्र के किनारे जाना पड़े। मुझे नहीं पता, कुछ लोगों ने ऐसा विचार लगा रखा है कि अगर आप अपनी त्वचा को धुप में तपते हैं तो यह बहुत खूबसूरत होती है। मुझे अभी समझ नहीं आया, सौंदर्य की अवधारणा क्या है? चूँकि यहाँ वे नस्लवादी हैं और उन्हें काले से भूरे रंग के लोग पसंद नहीं हैं, और दूसरी तरफ यहाँ वे घंटों लगातार बैठे अपने शरीर को काला भूरा बना रहे हैं! यह कैसा विरोधाभास है! तो, लगातार घंटो0 वे इसे करेंगे और फिर आप पाते हैं कि उन्हें त्वचा का कैंसर हो गया है। और फिर स्किन कैंसर से लेकर (…) तक कोई संतुलन नहीं है। ठीक है, थोड़ी देर के लिए आप धूप में बैठना चाहते हैं। लेकिन त्वचा का कैंसर पाने को धूप में बैठना – एक कुत्ता भी ऐसा नहीं करेगा। मेरा मतलब है कि हमारे पास इतनी सामान्य समझ होना चाहिए लेकिन हममें इसकी कमी है क्योंकि हम अति तक चले जाते हैं। हमने संतुलन और संयम की भावना खो दी है। लेकिन सहज योग में आने के बाद आप में सही गलत में भेद करने का ज्ञान अपने आप आ जाता है। क्‍योंकि अगर आप अपनी जरूरत से ज्‍यादा कुछ करना शुरू कर देते हैं, तो तुरंत आपके हाथ में जो वायब्रेशन महसूस होते है वह गायब हो जाते है। तो तुम उस चीज़ से दूर भाग जाते हो। क्योंकि जब तक आप इन स्पंदनों को महसूस कर रहे हैं तब तक आप बहुत आनंदित महसूस करते हैं। जैसे ही आप इन स्पंदनों को गंवाते हैं आप जानते हैं कि, कुछ गलत हो गया है। जैसे किसी जहाज पर, मुझे नहीं पता कि आप गए हैंया नहीं, लेकिन एक जहाज पर सभी अधिकारी ताश खेल रहे हैं इस प्रकार, बातें कर रहे हैं लेकिन एक मिनट वे सुनते हैं कि इंजन बंद हो गया है, वे सभी दौड़ते हैं। तुरंत वे सभी इंजन के कमरे में यह देखने के लिए दौड़ेंगे कि इंजन क्यों रुका है। इसी तरह बोध के बाद आप इतने संतुलन में होते हैं कि आपको पता होता है कि किसी भी चीज के साथ कहाँ तक जाना है, किसी चीज के साथ कितनी दूर जाना है। जिस समाज में मशीनरी आ गई है, वहां ऐसा लगता है कि लोग बहुत समृद्ध हैं और उनके पास सब कुछ है। लेकिन संतुलन बिगड़ जाता है। मशीनरी हमारे लिए है, हम मशीनरी के लिए नहीं हैं। फिर हम मशीनरी के गुलाम हो जाते हैं। मैंने देखा है कि लोगों को दो और दो गिनने के लिए भी कैलकुलेटर का इस्तेमाल करना पड़ता है! यह इतना कठिन हो गया है। तुम अपने दिमाग का ज़रा भी इस्तेमाल नहीं करोगे, उसमें जंग लग जाएगी। और एक दिन- पता नहीं क्या होगा, मैं उस व्यक्ति का भविष्य नहीं बता सकती जो अपने दिमाग का उपयोग नहीं करता है! तो इस तरह मशीनरी ने कब्जा कर लिया है। हम बहुत सी चीजों का उत्पादन कर रहे हैं। संपन्न देशों में भी,  मैं कहूंगी कि अब संपन्नता क्या है? प्लास्टिक की है। प्लास्टिक और कागज की संपन्नता है। कागज से प्लास्टिक, प्लास्टिक से कागज। बेशक जिन देशों को गरीब माना जाता है, उनके पास खाने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। वह एक बात अवश्य है। लेकिन उन्हें इतने सारे प्लास्टिक की जरूरत नहीं है, उन्हें इतने नायलॉन की जरूरत नहीं है, और उनके पास इतने सारे कपड़े नहीं होने चाहिए। जीवन में इतनी सारी चीजों की जरूरत नहीं होती, असल में वे सिरदर्द हैं। आपने पहले ही प्लास्टिक के पहाड़ पर पहाड़ बना लिए हैं और आप नहीं जानते कि इसका क्या किया जाए। वे ऐसे तमाम देशों के लिए बड़े सिरदर्द की तरह बन गए हैं जो प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब स्वाभाविक प्रतिक्रिया की  प्रवृत्ति वश, हम प्राकृतिक चीजों को अपना रहे हैं, हमें मानव निर्मित चीजें पसंद हैं, हस्तनिर्मित चीजें, हम ऐसा करना चाहते हैं। लेकिन मान लीजिए कि आप अपने बोध को प्राप्त कर लेते हैं तो आप कम चीजों का उपयोग करेंगे, लेकिन प्राकृतिक चीजों का, और यदि आपके पास अधिक होता है तो आप उन्हें दूसरों को देने के लिए उपयोग करना चाहेंगे। क्‍योंकि मुझे लगता है कि पदार्थ की एक ही कीमत है कि आप उस के माध्यम से अपने प्‍यार का इजहार कर सकते हैं। इस तरह आप किसी को यह देकर अपने प्यार का इजहार कर सकते हैं। इस आर्थिक तथाकथित विकास के अलावा जो अब हमारे सिर पर खड़ा है, जहां हम खो गए हैं, हमारे सामने और भी बहुत सी समस्याएं हैं जो हमारे सामने हैं क्योंकि हमारे पास संतुलन नहीं है। हमारे सामाजिक जीवन में भी। मैं एक महिला को जानती हूं जो मुझसे उम्र में बड़ी है और यह उसकी नौवीं शादी है! मुझे कहना होगा कि उनके जैसी नौ शादियां होना उल्लेखनीय है। मेरा मतलब है कि एक शादी आपको सब कुछ सिखाने के लिए काफी है। वह नौ शादियों में से क्या सीखने जा रही है? मुझें नहीं पता। और वह शक्तिशाली हो रही है, तुम्हें पता है। और उसे इस पर बहुत गर्व है। उसके पास कोई आनंद नहीं है, उसके पास कोई प्यार नहीं है, उसके बारे में कोई सूक्ष्मता नहीं है, और मैं बिना किसी बच्चे के, बिना किसी के साथ किसी आसक्ति के महसूस करती हूं। वह कुत्ते से भी बदतर, जानवर से भी बदतर जीवन जी रही है। क्योंकि जानवर कम से कम – कुछ समय के लिए – किसी चीज़ से आसक्त तो होते हैं। वे अपने बच्चों की देखभाल करते हैं, वे अपने समाज की देखभाल करते हैं। इस तरह हम अपने जीवन के हर पहलू में चरम सीमा पर जाते हैं। और जब हम अति पर जाते हैं तो वह हम पर प्रतिकर्षित होता है। कृत्रिमता ने हम पर कब्ज़ा कर लिया है और फिर हम इतना कष्ट उठाते हैं क्योंकि, यह केवल वास्तविकता है जो हमें आनंद देती है। तो अब आधुनिक समय के बारे में सबसे अच्छा यह है कि सत्य के बहुत सारे साधक हैं। ऐसा उल्लेखित है। जो इस आधुनिक समय की प्रभारी  है या जो देव है उसे संस्कृत भाषा में “कलि” कहा जाता है। और इस कलि ने श्री नल नामक एक सज्जन को सताया था और उनकी पत्नी दमयंती का विछोह करवा दिया था। और एक दिन इस नल ने इस कलि को पकड़ लिया और उसने कहा, मैं तुम्हें हमेशा के लिए मारने जा रहा हूं ताकि तुम लोगों को भ्रम में ना डालो और तुम उनके जीवन को आग लगाने की कोशिश ना करो। तो कलि ने कहा, ठीक है, तुम मुझे मार सकते हो, लेकिन मैं तुम्हें अपना महत्व बता दूं, मेरा भी कुछ महत्व है। उसने कहा, तुम्हारी क्या अहमियत है? सभी चीजों में से अधिकतम तुम इतने विनाशकारी हो! उन्होंने कहा, मेरा एक महत्व है कि जब मैं इस पृथ्वी पर शासन करूंगा, तो सभी विवरण हैं, कि लोग स्टील में भोजन करेंगे, और वे स्टील को आभूषण के रूप में पहनेंगे, जैसा कि हम आजकल करते हैं, वह सब वर्णित है। लेकिन इस आधुनिक समय का क्या महत्व है? कि जो लोग सत्य की खोज हिमालय में या पहाड़ियों और घाटियों में कर रहे हैं, वे गृहस्थ हो जाएंगे। और वे सत्य को तब पाएंगे जब मेरा राज्य होगा। तो हर काले बादल में भी उम्मीद की किरण होती है और इस आधुनिक समय में विशेष रूप से कुछ बहुत अच्छा है कि,  लोग अपना रहें हैं खोज करने को और वास्तविकता की ओर जाने को। लेकिन जैसे ही लोगों को पता चला कि खोजी लोग हैं, तो हम पाते हैं कि साधकों के बाजार को भुनाने के लिए बड़ी मात्रा में अपराधी और जेल से छूटे सभी अपराधी आ गए जो  महान संतों जैसी वेशभूषा धारण किये हुए हैं। तो आपको बहुत सावधान रहना होगा कि आप पहले उन गुरुओं के शिष्यों को देखें। तब आपको देखना चाहिए कि क्या वे आपसे कोई पैसा लेते हैं। उनका चित्त किस बात पर है? उनके पास बहुत अच्छे संगठन हैं, वे अच्छा प्रचार कर सकते हैं, वे व्यापार के सभी प्रकार के हथकंडे अपना सकते हैं, लेकिन आत्म-साक्षात्कार का व्यापार नहीं किया जा सकता है। यह कोई व्यवसाय नहीं है। यह कुछ अनायास होने वाली जीवंत प्रक्रिया है, जिस प्रकार एक बीज अंकुरित होता है, यह आपके और केवल आपके साथ घटित होता है और आप एक आत्मसाक्षात्कारी आत्मा बन जाते हैं। उसके परिणामस्वरूप, जैसा कि मैंने आपको बताया, आपकी चेतना सामूहिक रूप से जागरूक हो जाती है। आप अपने सिर से आने वाली पवित्र आत्मा (होली घोस्ट)की ठंडी हवा को महसूस करना शुरू करते हैं और साथ ही आप अपने हाथों में इस सर्वव्यापी शक्ति को ठंडी हवा के रूप में महसूस करते हैं। फिर, जब आप इसका थोड़ा सा अभ्यास करना शुरू करते हैं, तो इस सर्वव्यापी शक्ति के साथ आपके संबंध स्थापित हो जाते हैं। तब ऐसा व्यक्ति बहुत शांत और बहुत गतिशील, अत्यंत गतिशील हो जाता है। वह बिना थके काम कर सकता है। वह कभी निराश नहीं होता। वह कभी क्रोधित नहीं होता। वह कभी परेशान नहीं होता। वह बहुत शांत और अत्यंत दयालु हो जाता है। लेकिन यह करुणा ऐसी है जो कि कार्यान्वित होती है। ऐसे व्यक्ति का एक दृष्टिपात भी कार्यान्वित होता है, अस्तित्व पर  पर कार्यान्वित होता है। और यह दूसरों के कल्याण को प्रस्तुत करता है। यह दूसरों की भलाई के लिए है। जब तक ऐसा नहीं होता तब तक आप सहज योगी नहीं हैं और न ही आप सही जगह पर हैं। अब सहज में – “सह” का अर्थ है साथ में , “ज” का अर्थ है जन्म लेना –  इस दिव्य शक्ति से योग आपका जन्मसिद्ध अधिकार है, यही योग है। यही वास्तविक योग है, अन्य सभी योग इसी के अधीनस्थ हैं, वे यहाँ आपकी सहायता करते हैं। और जो लोग कृत्रिम योग करते हैं उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। एक बार जब यह घटित हो जाता है उसके बाद, परिवर्तन होता है। मैंने लोगों को बहुत सुंदर और इतना महान बनते देखा है कि एक दिन इस दुनिया को बदलना होगा और हम सभी उस सामूहिक चेतना की भावना से भर जाएंगे जहां हम सभी महसूस करेंगे कि हम एक ही व्यक्तित्व से सम्बंधित हैं, उसी के अंग प्रत्यंग  हैं। एक व्यक्तित्व के। माइक्रोकॉसम मैक्रोकॉसम का एक हिस्सा है। यह तो होना ही है। बहुत से लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं, इसके बारे में इशारा कर रहे हैं, जैसा कि वे कहते हैं, एक्वेरियम का युग है, यह एक सच्चाई है। कुम्भ वह कुम्भ है, वह घड़ा है जहाँ कुण्डलिनी रखी जाती है। और इसीलिए यह Aquarias का युग है। वे इसके बारे में बात करते हैं। उन्हें झलक मिलती है लेकिन वे वहां नहीं होते। हमें वहां रहना होगा। उसके लिए हमें भुगतान नहीं करना पड़ता है, लेकिन एक महीने के भीतर थोड़ा समय देना पड़ता है, मुझे विश्वास है कि आप इसके स्वामी बन सकते हैं। और आपकी सभी समस्याओं का समाधान होना चाहिए, आपकी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक। सहज योग कुछ भी दावा नहीं करता है, यह नहीं कहता है कि यह आपकी अमुक चीज़ को ठीक कर देगा, नहीं! लेकिन अगर आपकी कुंडलिनी उठती है और अगर आप सहज योग का अभ्यास करते हैं तो यह काम ही उस तरह से करता है। उदाहरण के लिए अब एड्स, कुछ लोग नहीं समझते हैं। मैंने कोशिश की। ऑस्ट्रेलिया में एक व्यक्ति ठीक हो गया क्योंकि डॉक्टर ने कहा, वह ठीक है। लेकिन फिर उनमें इतनी कमजोर इच्छाशक्ति थी कि उसने वही बुरी आदतें फिर अपना लीं और उनके पिता बहुत नाराज हुए। और उन्होने मुझसे कहा, इसे मर जाने दो, माँ, इसे भूल जाओ क्योंकि एड्स रोगी को ठीक करना बहुत मुश्किल काम है। और उनके पास कोई इच्छा शक्ति नहीं है। तो आप कैसे कह सकते हैं कि आप एड्स का इलाज कर सकते हैं क्योंकि यह बड़े पैमाने पर काम नहीं करता है। आपको प्रत्येक व्यक्ति पर व्यक्तिगत रूप से काम करना होगा और उस व्यक्ति को इसे पूर्णतया करने के लिए तैयार रहना होगा। तो मैं कहूंगी कि वह केवल एक व्यक्ति ही था और फिर मैंने छोड़ दिया। मैंने कहा, मैं ऐसा नहीं कर सकती। वे जीना नहीं चाहते। इस बीमारी से खुद को महिमामंडित करने पर उतारू हैं, तो हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं? और इस तरह यह सब हुआ।

तो हर काले बादल में भी उम्मीद की किरण होती है और इस आधुनिक समय में विशेष रूप से कुछ बहुत अच्छा है कि,  लोग अपना रहें हैं खोज करने को और वास्तविकता की ओर जाने को। लेकिन जैसे ही लोगों को पता चला कि खोजी लोग हैं, तो हम पाते हैं कि साधकों के बाजार को भुनाने के लिए बड़ी मात्रा में अपराधी और जेल से छूटे सभी अपराधी आ गए जो  महान संतों जैसी वेशभूषा धारण किये हुए हैं। तो आपको बहुत सावधान रहना होगा कि आप पहले उन गुरुओं के शिष्यों को देखें। तब आपको देखना चाहिए कि क्या वे आपसे कोई पैसा लेते हैं। उनका चित्त किस बात पर है? उनके पास बहुत अच्छे संगठन हैं, वे अच्छा प्रचार कर सकते हैं, वे व्यापार के सभी प्रकार के हथकंडे अपना सकते हैं, लेकिन आत्म-साक्षात्कार का व्यापार नहीं किया जा सकता है। यह कोई व्यवसाय नहीं है। यह कुछ अनायास होने वाली जीवंत प्रक्रिया है, जिस प्रकार एक बीज अंकुरित होता है, यह आपके और केवल आपके साथ घटित होता है और आप एक आत्मसाक्षात्कारी आत्मा बन जाते हैं। उसके परिणामस्वरूप, जैसा कि मैंने आपको बताया, आपकी चेतना सामूहिक रूप से जागरूक हो जाती है। आप अपने सिर से आने वाली पवित्र आत्मा (होली घोस्ट)की ठंडी हवा को महसूस करना शुरू करते हैं और साथ ही आप अपने हाथों में इस सर्वव्यापी शक्ति को ठंडी हवा के रूप में महसूस करते हैं। फिर, जब आप इसका थोड़ा सा अभ्यास करना शुरू करते हैं, तो इस सर्वव्यापी शक्ति के साथ आपके संबंध स्थापित हो जाते हैं। तब ऐसा व्यक्ति बहुत शांत और बहुत गतिशील, अत्यंत गतिशील हो जाता है। वह बिना थके काम कर सकता है। वह कभी निराश नहीं होता। वह कभी क्रोधित नहीं होता। वह कभी परेशान नहीं होता। वह बहुत शांत और अत्यंत दयालु हो जाता है। लेकिन यह करुणा ऐसी है जो कि कार्यान्वित होती है। ऐसे व्यक्ति का एक दृष्टिपात भी कार्यान्वित होता है, अस्तित्व पर  पर कार्यान्वित होता है। और यह दूसरों के कल्याण को प्रस्तुत करता है। यह दूसरों की भलाई के लिए है। जब तक ऐसा नहीं होता तब तक आप सहज योगी नहीं हैं और न ही आप सही जगह पर हैं। अब सहज में – “सह” का अर्थ है साथ में , “ज” का अर्थ है जन्म लेना –  इस दिव्य शक्ति से योग आपका जन्मसिद्ध अधिकार है, यही योग है। यही वास्तविक योग है, अन्य सभी योग इसी के अधीनस्थ हैं, वे यहाँ आपकी सहायता करते हैं। और जो लोग कृत्रिम योग करते हैं उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। एक बार जब यह घटित हो जाता है उसके बाद, परिवर्तन होता है। मैंने लोगों को बहुत सुंदर और इतना महान बनते देखा है कि एक दिन इस दुनिया को बदलना होगा और हम सभी उस सामूहिक चेतना की भावना से भर जाएंगे जहां हम सभी महसूस करेंगे कि हम एक ही व्यक्तित्व से सम्बंधित हैं, उसी के अंग प्रत्यंग  हैं। एक व्यक्तित्व के। माइक्रोकॉसम मैक्रोकॉसम का एक हिस्सा है। यह तो होना ही है। बहुत से लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं, इसके बारे में इशारा कर रहे हैं, जैसा कि वे कहते हैं, एक्वेरियम का युग है, यह एक सच्चाई है। कुम्भ वह कुम्भ है, वह घड़ा है जहाँ कुण्डलिनी रखी जाती है। और इसीलिए यह Aquarias का युग है। वे इसके बारे में बात करते हैं। उन्हें झलक मिलती है लेकिन वे वहां नहीं होते। हमें वहां रहना होगा। उसके लिए हमें भुगतान नहीं करना पड़ता है, लेकिन एक महीने के भीतर थोड़ा समय देना पड़ता है, मुझे विश्वास है कि आप इसके स्वामी बन सकते हैं। और आपकी सभी समस्याओं का समाधान होना चाहिए, आपकी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक। सहज योग कुछ भी दावा नहीं करता है, यह नहीं कहता है कि यह आपकी अमुक चीज़ को ठीक कर देगा, नहीं! लेकिन अगर आपकी कुंडलिनी उठती है और अगर आप सहज योग का अभ्यास करते हैं तो यह काम ही उस तरह से करता है। उदाहरण के लिए अब एड्स, कुछ लोग नहीं समझते हैं। मैंने कोशिश की। ऑस्ट्रेलिया में एक व्यक्ति ठीक हो गया क्योंकि डॉक्टर ने कहा, वह ठीक है। लेकिन फिर उनमें इतनी कमजोर इच्छाशक्ति थी कि उसने वही बुरी आदतें फिर अपना लीं और उनके पिता बहुत नाराज हुए। और उन्होने मुझसे कहा, इसे मर जाने दो, माँ, इसे भूल जाओ क्योंकि एड्स रोगी को ठीक करना बहुत मुश्किल काम है। और उनके पास कोई इच्छा शक्ति नहीं है। तो आप कैसे कह सकते हैं कि आप एड्स का इलाज कर सकते हैं क्योंकि यह बड़े पैमाने पर काम नहीं करता है। आपको प्रत्येक व्यक्ति पर व्यक्तिगत रूप से काम करना होगा और उस व्यक्ति को इसे पूर्णतया करने के लिए तैयार रहना होगा। तो मैं कहूंगी कि वह केवल एक व्यक्ति ही था और फिर मैंने छोड़ दिया। मैंने कहा, मैं ऐसा नहीं कर सकती। वे जीना नहीं चाहते। इस बीमारी से खुद को महिमामंडित करने पर उतारू हैं, तो हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं? और इस तरह यह सब हुआ। यह एक अन्य सज्जन हैं,  मैं कहूंगी कि वे पूरी तरह से नहीं ठीक हुए हैं, वे कभी-कभी सहज योग कर रहे हैं (वास्तव में ऐसा नहीं कर रहे हैं)। लेकिन एक बात है, वह फिर भी बच गये हैं। अब लगभग तीन साल पहले वह सहज योग में आए थे। उसके खून में अभी भी वायरस है लेकिन फिर भी वह बच गया। लेकिन सहज योग से और भी बहुत सी बीमारियाँ ठीक हो गई हैं, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसका दावा करते हैं। इसका अर्थ है कि, अगर आपकी कुंडलिनी उठती है, अगर वह इन सभी केंद्रों का पोषण करती है, तो आप अपने आप ठीक हो जाते हैं, अपनी कुंडलिनी के द्वारा। मैं कुछ नहीं करती! और यही गलती और गलतफहमी लोगों की है। यदि कोई यह समझे कि यह महिला (श्री माताजी)केवल हमारे कल्याण के लिए यहाँ है किसी और कारण से नहीं और हम केवल अपना कल्याण ही चाहते हों तो क्यों ना इसे अपनाएं | यह मुफ़्त है? यह एक साधारण समझ है और खुद के प्रति एक सरल प्रेम है। मेरा आपसे यही कहना है कि कृपया, अपना आत्म बोध लें! और हमारे यहाँ एक बहुत अच्छा केंद्र है, सौभाग्य से। इस केंद्र में हमारे पास विशेषज्ञ लोग हैं। वे आपको सिखाएंगे कि निपुण कैसे बनें। और आप भी ऐसा ही कर सकते हैं। सोचिए अगर आप सभी को बोध हो जाए और अगर आप सहज योग के गुरु बन जाएं यह सैन डिएगो बिल्कुल अलग जगह बन जायेगी! जैसा कि मुझे बताया गया था कि सैन डियागो का अर्थ है, हाउस ऑफ गॉड! फिर ईश्वर के घर में आपको बीमारियाँ कैसे हो सकती हैं? तो मुझे आशा है कि यह काम करेगा, और मुझे आशा है कि आप सभी इसे गंभीरता से लेंगे और अपने आत्म-साक्षात्कार का सम्मान करेंगे और इसे कार्यान्वित करेंगे! मैंने आपसे अपने प्रश्न देने के लिए कहा था, लेकिन मुझे लगता है कि आज कोई प्रश्न नहीं हैं, इसलिए हम आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ते हैं। लेकिन सबसे पहले मुझे आपको एक बात बतानी है, जैसा कि मैंने कल बार-बार कहा था, मुझे इस बात को दोहराना है, कि कृपया पिछली बातों को भूल जाइए। हमें परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना है। तो बस अतीत को भूल जाओ। खुद का आंकलन मत करो और दोषी महसूस मत करो। बस अपना दोष भूल जाओ। दोषी महसूस करना एक मिथक है। क्योंकि तुम भगवान नहीं हो! आप इंसान हैं और अगर आप गलतियां करते हैं तो इसमें गलत क्या है? यह इतना गलत नहीं है कि आप हर समय दोषी महसूस करें। उसके परिणामस्वरूप दोषी महसूस करने से यह चक्र (बायीं विशुद्धि पकड़ा जाता है। यहाँ बाएँ हाथ की ओर।   मुझे लगता है पश्चिम में, दोषी महसूस करना एक प्रचलित पद्धति भी है। अंग्रेजी भाषा में सुबह से ही सॉरी, सॉरी, सॉरी कहने लगते हैं। हमारे जमाने में जब हम छोटे थे तो कहा करते थे, माफ़ी चाहता हूँ।  अब वे कहते हैं, सॉरी, सॉरी सॉरी, सॉरी। हर समय पछताने की क्या बात है? हमें खुश रहना है। लेकिन हमारे पास जितना खेद है वह यहाँ एक बड़ा अवरोध बन जाता है। इसके परिणाम स्वरूप एनजाइना जैसे रोग हो जाते हैं, स्पॉन्डिलाइटिस जैसे रोग हो जाते हैं, और भी कई रोग हो जाते हैं, लकवा भी हो जाता है और भी बहुत कुछ। तो सबसे पहले, कृपया दोषी महसूस न करें! दूसरे आपको सभी को क्षमा करना होगा। कल मैंने आपसे बार-बार अनुरोध किया, कृपया सभी को क्षमा करें! क्योंकि यह भी एक मिथक है। चाहे आप क्षमा करें या आप क्षमा न करें, यह एक मिथक है। बिल्कुल, यह एक मिथ है। क्योंकि आप कुछ नहीं करते। “मैं माफ नहीं कर सकता, यह बहुत मुश्किल है”, इस का क्या मतलब है? आप इस बारे में क्या कर रहे हैं? केवल एक चीज, क्षमा न करके आप गलत हाथों में खेल रहे हैं। इसने मुझे नुकसान पहुँचाया है, इस महिला ने मुझे नुकसान पहुँचाया है, इसने मेरे साथ यह गलत किया है – तो क्या? ऐसा सोचते रह कर हम बेवजह अपने आप को परेशान कर रहे हैं। इसके विपरीत यदि हम उन्हें क्षमा कर देते हैं तो इस बात का ईश्वर ध्यान रखते हैं। दैवीय निर्णय होने दें और आप अपना और दूसरों का न्याय करें। इन दो शर्तों पर मैं आपसे वादा करती हूं कि आप सभी को अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होगा। मुझे आशा है, आप सभी अपना साक्षात्कार चाहते हैं और जो नहीं चाहते हैं उन्हें मुझे बताना होगा, मैं आप पर दबाव नहीं डाल सकती। यह नहीं किया जा सकता है। आपको इसे अपनी स्वतंत्रता में मांगना होगा। मुझे आपकी स्वतंत्रता का सम्मान करना है क्योंकि यह बाद में पूर्ण स्वतंत्रता है। आप इतने स्वतंत्र और शक्तिशाली हो जाते हैं कि आप अपनी नशीली दवाओं वगैरह की आदतों से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं । आपकी नशीली दवाओं की समस्या को तुरंत हल किया जा सकता है, सेना का उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं है। एक सहज योगी कभी भी कोई नशीली दवा नहीं लेगा, चाहे आप कुछ भी दें। कोई प्रश्न नहीं। हमारे पास एक डॉक्टर है, अभी वह यहां नहीं है, वह एक शराबी और ड्रग एडिक्ट था, वह सहज योग में आया, उसने इससे छुटकारा पा लिया, और अब वह लंदन के सात अस्पतालों का प्रभारी है, जिसे ड्रग की लत के बारे में विशेषज्ञ माना जाता है। और वह लोगों का इलाज कर रहा है। यह वही है। अगर आप इतने आनंदित हो जाते हैं कि आप खुद का आनंद लेते हैं, तो आप ऐसा कुछ भी नहीं लेंगे। इसके विपरीत आप चाहते हैं कि दूसरे आपके आनंदमय माहौल में शामिल हों। और इसी तरह आप लोगों के माध्यम से सहज योग बहुत आसानी से फैलने वाला है। और अब अपने आप पर शक मत करो। क्या मुझे बोध होगा और यह, वह – यह कि तुम्हारी कुंडलिनी को निर्णय करने दो क्योंकि वह तुम्हारे भीतर की शुद्ध इच्छा है। सामान्य रूप से अन्य सभी इच्छाएँ पूर्ण नहीं होती हैं। लेकिन यह इच्छा वह है जो पूर्ण संतुष्टि है। तो उस कुंडलिनी को आपको जज करने दें। वह आपके बारे में सब कुछ जानती है। उसने युगों से आपको रिकॉर्ड किया है। वह आपकी मां हैं और उन्हें एक मौका देने के लिए वह आपको आत्मसाक्षात्कार देना चाहती हैं। वह इतने दिनों से इसका इंतजार कर रही है तो क्यों नहीं? और मैं कुछ नहीं करती। यदि कोई मोमबत्ती है जो प्रज्वलित है, तो वह दूसरी मोमबत्ती को जला सकती है क्योंकि उस दूसरी मोमबत्ती के पास एक संभावना है जिसके पास वह सब कुछ है जो आवश्यक है और आप उसके पास जाते हैं और वह जल उठती है। कुछ खास नहीं किया जाता, कोई बाध्यता नहीं, कोई शुल्क नहीं, कोई सिर के बल खड़ा नहीं होना होता। ऐसा कुछ नहीं। आपको कुछ भी त्यागने की आवश्यकता नहीं है। जब आप अपना प्रकाश प्राप्त करते हैं तो आप जो कुछ भी गलत है उसे त्याग देते हैं और आप स्वयं जान जाते हैं कि क्या गलत है। आप खुद छोड़ना चाहते हैं, मुझे आपको बताने की जरूरत नहीं है, यह छोड़ दें, वह छोड़ दें, आपको बताने की जरूरत ही नहीं है। तो क्या हमें आत्म-साक्षात्कार करना चाहिए? ठीक है? यह बहुत ही शानदार लग रहा है, आप सोच रहे होंगे कि यह इतना शानदार कैसे हो सकता है? उदाहरण इस प्रकार है: एक भारतीय गाँव में यदि आप एक टेलीविजन लेते हैं और उन्हें बताते हैं कि इस बॉक्स में आप दुनिया भर की तस्वीरें देख सकते हैं, तो वे कहेंगे, मुझे कोई और बात बताओ, यह नहीं है, मैं ऐसा मुर्ख नहीं जो विश्वास कर ले! तो आप इसे मुख्य स्त्रोत्र से जोड़े। और आप शानदार चीज़ देखते हैं, ऐसा है! आप अभी तक मुख्य से नहीं जुड़े हैं, बस इतना ही। वरना आप शानदार हैं। आपको बस मुख्य से जुड़े रहना है,  सहज योग यही करता है। और एक बार जब आप मेन्स से जुड़ जाते हैं और आपका कनेक्शन स्थापित हो जाता है तो तब आप चकित हों जायेंगे कि आप कितने शानदार हैं और आपको लगता है कि आप वास्तव में परमेश्वर के राज्य के नागरिक हैं, जिस तरह से हर चीज की देखभाल की जाती है। चीजें कैसे काम करती हैं, आप सोचने लगते हैं, यह कैसे काम करता है? अब इंग्लैंड में बेरोजगारी हैं। लेकिन सहज योग में जो भी आता है सहज योगियों में से एक भी बेरोजगार को ढूँढना असंभव है, चाहे वह शिक्षित हो या अशिक्षित। यह बस उसी तरह काम करता है। यह बहुत ही शानदार है। जब तक आप आ नहीं जाएंगे, तब तक इसके बारे में कितना भी बताने का कोई लाभ नहीं होगा | जैसे कि कोई मुझे सैन डिएगो के बारे में बताता रहे, जो एक बहुत ही सुंदर शहर है, मैं इसे कभी नहीं समझ पाउंगी। तस्वीर देखकर भी मुझे कभी सैन डिएगो की सुंदरता का अहसास नहीं होगा। लेकिन जब मैं यहां आयी तो मैंने देखा कि यह कितना खूबसूरत है। इसी प्रकार हम भी खुद के सौंदर्य का, अपने वैभव का अनुभव करें जो हमारे भीतर है। एक साधारण सी बात यह करनी है कि जूतों को थोड़ी देर के लिए बाहर निकाल देना है, बस थोड़ी देर के लिए। इसमें ज्यादा से ज्यादा दस मिनट लगेंगे। दस मिनट में तुम वहाँ पहूंच जाओगे बहुत जल्दी, है ना? तो अपने प्रति बहुत ही सुखद स्थिति में रहें, अपने प्रति बहुत ही सुखद स्थिति में रहें। आपको आराम से बैठना है, आपको आराम से रहना है। और दोनों पैर एक दूसरे से दूर होने चाहिए क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि लेफ्ट साइड और राइट साइड होता है हमारे अंदर दो एनर्जी होती है। (…?) ठंड लग रही है। अब, आपको अपना बायां हाथ इस तरह रखना है, पहले मैं आपको दिखाऊंगी कि कैसे करना है और वह भी आपको दिखाएगा। कृपया अपना बायां हाथ मेरी ओर इस प्रकार रखें। यह आपकी आत्मसाक्षात्कार की इच्छा को व्यक्त करता है। तो अपना बायां हाथ इस तरह रखें। लेकिन आराम से रहो। कहीं कोई दबाव नहीं होना चाहिए। बस इसे बड़े आराम से रखें। और आपको अपने चक्रों को मुक्त करने के लिए अपने दाहिने हाथ का उपयोग करना होगा। हालांकि यह सहज है, लेकिन ऐसा करने से (…) है और आपको यह भी पता चलता है कि आपको बाद में किन चक्रों पर काम करना है। क्‍योंकि इस जुडाव को ठीक से स्थापित करना होता है, अगर यह ढीला ढाला  कनेक्‍शन है तो आप ऊपर और नीचे होते रहते हैं। तो कृपया अपना बायाँ हाथ मेरी ओर रखें और दाहिना हाथ अपने हृदय पर रखें। हृदय में आत्मा का वास है। हृदय में आत्मा निवास करती है और कुण्डलिनी पवित्र आत्मा प्रतिबिम्बित होती है। आत्मा सर्वशक्तिमान ईश्वर का प्रतिबिंब है और उनकी इच्छा (होली घोस्ट)पवित्र आत्मा है, पवित्र आत्मा की शक्ति, आदि माँ, जैसा कि हम इसे कहते हैं। और वह हमारे भीतर त्रिकोणीय हड्डी – त्रिकास्थि – कुंडलिनी के रूप में परिलक्षित होती है। इसलिए कृपया अपना दाहिना हाथ अपने हृदय पर रखें। फिर आपको अपने दाहिने हाथ को बाएं हाथ की तरफ पेट के ऊपरी हिस्से में रखना है। हम केवल बाएँ बाजू पर काम करेंगे, बायाँ हाथ मेरी ओर और दायाँ हाथ बाएँ बाजू पर काम करेगा। अब यह केंद्र जो बाएं हाथ की ओर है, आपके पेट के ऊपरी हिस्से में, आपकी गुरुता का केंद्र है जिसे पैगम्बरों ने बनाया है। फिर आपको अपने हाथ को अपने पेट के निचले हिस्से में बायीं तरफ ले जाना है। यह शुद्ध ज्ञान का केंद्र है जो आपके मध्य तंत्रिका तंत्र पर अभिव्यक्त होता है। आपको अभी आंखें बंद करने की जरूरत नहीं है, पहले आप देखें और फिर आंखें बंद करें, मैं आपको बताती हूं। अब, आपको इसे फिर से अपने पेट के ऊपरी भाग पर बाईं ओर ले जाना है और फिर अपने हृदय पर, फिर केंद्र पर जो आपकी गर्दन और आपके कंधे के बीच है, उसके कोने में ले जाना है और अपने सिर को दायीं ओर मोड़ना है। ठीक है, ताकि आप उसे पीछे की ओर भी धकेल सकें। फिर आपको अपना हाथ अपने कपाल पर ले जाना है, आप चाहें तो अपना चश्मा निकाल सकते हैं और इसे इस तरह से रख सकते हैं कि आप इसे दोनों तरफ से दबा सकते हैं जैसे कि जब हमें सिरदर्द होता है तो हम इसे दबाते हैं, झुकते हैं कृपया अपना सिर। यह क्षमा का केंद्र है। अब आपको अपना हाथ अपने सिर के पीछे की तरफ ले जाना है और उस पर अपना सिर दबाना है। यह क्षमा माँगने का केंद्र है, लेकिन आपको दोषी महसूस करने की ज़रूरत नहीं है, अपनी गलतियों को गिनने की ज़रूरत नहीं है। अब अपने हाथ को ताने और अपनी हथेली के बीच के हिस्से को बिल्कुल उस हड्डी पर रखना है जो आपके बचपन में एक नरम हड्डी थी, जिसे फॉन्टानेल बोन एरिया कहा जाता है। इसे जोर से दबाएं और इसे दक्षिणावर्त (क्लोक वाइज)घुमाएं, धीरे-धीरे अपनी खोपड़ी को अपनी उंगलियों को पीछे धकेलते हुए, दक्षिणावर्त, बहुत धीरे-धीरे, सात बार। अब, बस इतना ही करना है। अब इसमें कोई जादू या कुछ भी नहीं है, इसलिए आपको अपनी आँखें बंद रखनी हैं, अपनी आँखें खुली नहीं रखनी हैं, जब तक मैं आपको ऐसा करने को न कहूँ, अपनी आँखें मत खोलिए। क्योंकि आपका ध्यान अंदर की ओर खींचना है। आप सभी को अपना आत्म बोध लेना चाहिए। जो वहाँ हैं – मुझे बताया गया है कि अखबार के कुछ लोग हैं, मुझे खुशी होगी अगर वे अपना बोध लें और फिर लिखें क्योंकि आप इसे उपरी तौर से नहीं समझ सकते क्योंकि यह एक बहुत ही सूक्ष्म विषय है और इस सूक्ष्म विषय के लिए आपके पास एक अनुभव होना चाहिए। अनुभव के बिना यदि आप लिखते हैं, तो यह किसी काम का नहीं होगा। यह भ्रामक हो सकता है या बेकार हो जाएगा। तो सबसे अच्छी बात यह है कि आप अपने आत्म-साक्षात्कार का अनुभव प्राप्त करें ताकि आप उस सूक्ष्म स्तर तक पहुँच सकें और आप चीजों को उस सूक्ष्म प्रकाश में देख सकें, जो आपके अस्तित्व का ज्ञान है। अब अपना बायां हाथ मेरी तरफ करके, आंखें बंद कर लें, दोनों पैरों को एक दूसरे से अलग कर लें और आराम से हो जाएं न तो बहुत ताने हुए या बहुत खिंचे हुए तरीके से, बहुत ही सरल, सीधे बैठने की मुद्रा में। कृपया बायाँ हाथ मेरी ओर और दाहिना हाथ हृदय पर रखें, यहाँ आपको मुझसे एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न पूछना है, यह कंप्यूटर की तरह काम करता है, आप मुझे श्री माताजी कह सकते हैं, या मुझे माँ कह सकते हैं, जो सरल है। आप कह सकते हैं, माँ, क्या मैं आत्मा हूँ? यह प्रश्न तीन बार पूछें। माँ, क्या मैं आत्मा हूँ? यह प्रश्न तीन बार पूछें। यदि आप आत्मा हैं, तो आप अपने मार्गदर्शक हैं, आप खुद ही अपने गुरु हैं। तो अब अपने दाहिने हाथ को अपने पेट के ऊपर वाले हिस्से में लेफ्ट साइड पर रखें और जोर से दबाएं। कृपया केंद्र पर एक और प्रश्न तीन बार पूछें, माँ, क्या मैं अपना गुरु हूँ? यह प्रश्न तीन बार पूछें। माँ, क्या मैं अपनी मालिक हूँ? यह प्रश्न पूछें। इसे अपने दिल में पूछो। अब अपने हाथ को बायीं तरफ पेट के निचले हिस्से में ले जाएं। जैसा कि मैंने आपको बताया, यह शुद्ध ज्ञान का केंद्र है। मैं आप पर शुद्ध ज्ञान नहीं थोप सकती। यह नहीं किया जा सकता है। मुझे आपकी स्वतंत्रता का सम्मान करना है। तो आपको इसके लिए मांगना होगा। तो कृपया कहें, श्री माताजी या माता, कृपया मुझे शुद्ध ज्ञान दें, या कृपया क्या मुझे शुद्ध ज्ञान दे सकते हैं? इसे छह बार कहें क्योंकि इस केंद्र की छह पंखुड़ियां हैं, इसलिए कृपया इसे छह बार कहें! जैसे ही आप शुद्ध ज्ञान के लिए मांगते हैं, कुंडलिनी गतिशील हो जाती है, इसलिए कुंडलिनी के उत्थान के लिए इसे खोलने में मदद करने के लिए, इसे खोलने के लिए अपने दाहिने हाथ को उच्च केंद्र पर उठाएं। इसलिए अपने हाथ को ऊपर उठाएं और अपने पेट के ऊपरी हिस्से में बाईं ओर रखें और दबाएं। यह आपकी गुरु तत्व का केंद्र है। इसलिए केंद्र को खोलने के लिए कृपया पूरे विश्वास के साथ कहें बिना दोषी महसूस किए बिना, बिना किसी प्रतिवाद के, कृपया दस बार कहें, मां, मैं अपना स्वयं का गुरु हूं। माँ, मैं अपनी मालिक हूँ। कृपया इसे पूरे विश्वास के साथ कहें। अब, हमें यह जानना होगा कि हम यह शरीर नहीं हैं, हम यह मन नहीं हैं, हम यह बुद्धि नहीं हैं, हम अपनी कंडीशनिंग नहीं हैं, और हम यह अहंकार नहीं हैं। हम आत्मा हैं। तो आपके बारे में सबसे महत्वपूर्ण सत्य यह है कि आप आत्मा हैं। इसलिए अपना दाहिना हाथ अपने हृदय पर उठाएं और कृपया पूरे विश्वास के साथ बारह बार कहें मां, मैं आत्मा हूं। बारह बार बोलो, माँ, मैं आत्मा हूँ। हमें यह जानना होगा कि परमात्मा प्रेम और करुणा का सागर है। यह आनंद और आनंद का सागर है। लेकिन सबसे बढ़कर यह क्षमा का सागर है। इसलिए आप जो भी गलतियां करते हैं, वे तुरंत ही उस महासागर में विलीन हो जाती हैं। इसलिए अपने दाहिने हाथ को अपनी गर्दन और कंधे के कोने में ऊपर उठाएं और अपने सिर को अपने दाहिनी ओर घुमाएं। यहाँ, फिर से पूरे विश्वास के साथ, कृपया कहें, माँ, मैं बिल्कुल भी दोषी नहीं हूँ! सोलह बार, सोलह बार बोलो, सिर को दाहिनी ओर घुमाओ, माँ, मैं बिल्कुल भी दोषी नहीं हूँ! कृपया सोलह बार कहें। मैं तुम्हें पहले ही बता चुकी हूँ कि चाहे हम क्षमा करें या न करें, हम कुछ भी नहीं करते। यह एक मिथक है। लेकिन अगर हम क्षमा नहीं करते हैं तो हम गलत हाथों में खेलते हैं और अनावश्यक रूप से कष्ट उठाते हैं। तो अपने दाहिने हाथ उठा कर अपने कपाल पर रखें और इस के ऊपर और इसे दोनों तरफ से दबाएं, दोनों तरफ, कृपया अपने सिर को नीचे झुकाएं, इसे दोनों तरफ से जोर से दबाएं और अपने दिल से कहें, कैसे नहीं कई बार लेकिन अपने दिल से, माँ, मैं सभी को क्षमा करता हूँ। मुझे कहना होगा कि यह सबसे कमजोर बिंदु है, लेकिन हर बार लोगों को आत्म बोध नहीं हो पाया, मुझे उनसे क्षमा  माँगनी पड़ी और उनके साथ इतना समय बिताया कि वे क्षमा करें, क्षमा करें, क्षमा करें, क्षमा करें। तो क्या अब मैं आपसे विनती कर सकती हूं कि प्लीज, सबको माफ कर दो! केवल उसी के कारण अपने आत्म-साक्षात्कार को चुको  मत! बस सबको माफ कर दो। सभी को क्षमा करें। सभी को क्षमा करें। अब अपने हाथ को अपने सिर के पीछे की ओर ले जाएं और अपने सिर को पीछे की ओर धकेलें, इसे हथेली पर टिका दें। यहां हमें ईश्वर से क्षमा मांगनी है लेकिन हमें दोषी महसूस नहीं करना है, यह हमारी अपनी संतुष्टि के लिए है। हमें अपनी गलतियां गिनने की जरूरत नहीं है, ऐसा कुछ भी नहीं है। बस इतना ही कहना है कि हे ईश्वर यदि मुझसे कोई गलती हुई हो तो कृपया मुझे क्षमा कर दें। बस इतना ही। अब अपने हाथ को फैलाएं और अपनी हथेली के मध्कें भाग को अपने सिर के ऊपर फॉन्टानेल बोन एरिया पर रखें जो आपके बचपन में एक नरम हड्डी थी। इसे जोर से दबाएं, अपनी उंगलियों को पीछे धकेलें और आपको अपनी खोपड़ी को दक्षिणावर्त बहुत धीरे-धीरे सात बार घुमाना है। यहाँ फिर से मैं आपकी स्वतंत्रता को पार नहीं कर सकती। आपको अपने आत्म-साक्षात्कार के लिए प्रार्थना करनी होगी। तो कृपया सात बार कहें, माँ, कृपया मुझे आत्मसाक्षात्कार दें।बस इतना ही। यदि आप इसे सात बार कहते हैं और अपनी खोपड़ी को बहुत धीरे-धीरे दक्षिणावर्त घुमाते हैं, तो मुझे यकीन है, आपको अपना आत्म-साक्षात्कार मिल जाएगा। (माँ प्रणव फूंक रही है) माँ प्रणव फूंक रही है) (माँ प्रणव फूंक रही है) (माँ प्रणव फूंक रही है) (माँ प्रणव फूंक रही है) (माँ प्रणव फूंक रही है) अपनी आँखें खोलें। अपने हाथों को ऐसे उठाएं। और निर्विचारिता में मुझे देखो। आप इसे कर सकते हैं, अब आप निश्चिंत हैं। दाहिना हाथ मेरी ओर रखें, थोड़ा आगे करें और अपने सिर को नीचे धकेलें, अपना सिर नीचे करें और अपने बाएं हाथ से देखें कि क्या आपको अपने फॉन्टानेल बोन, फॉन्टानेल बोन एरिया से ठंडी हवा आती हुई महसूस हो रही है।

परन्तु हाथ को अपने सिर से थोड़ा दूर करके देख, अपना दाहिना हाथ मेरी ओर कर। हम्म, अब बायाँ हाथ मेरी ओर रखें और देखें – कृपया अपना सिर नीचे झुकाएँ – और स्वयं देखें कि क्या आपके तालू क्षेत्र से ठंडी हवा आ रही है। कुछ लोगों को यह बहुत अधिक महसूस होता है इसलिए वे – आप इसे थोड़ा और आगे महसूस कर सकते हैं। और कुछ लोगों को गर्म हवा आती है, कोई बात नहीं, पहले गर्मी जाएगी, कोई बात नहीं। अब, कृपया अपना दाहिना हाथ मेरी ओर रखें और फिर से एक बार हमेशा के लिए बाईं ओर देखें, बाएं हाथ से, बस देखें कि आपके माथे से, आपके तालू क्षेत्र से ठंडी हवा आ रही है या नहीं। जरा आप ही देखिए, गौर से देखिए, ध्यान दीजिए। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और अपने सिर को पीछे धकेलें और एक प्रश्न पूछें, इन तीन प्रश्नों में से कोई भी आप पूछ सकते हैं, माँ, क्या यह होली घोस्ट की ठंडी हवा है? माँ, क्या यह ईश्वर के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति है? माँ, क्या यही ब्रह्मचैतन्य है? इनमें से कोई भी तीन बार प्रश्न पूछें। परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें|

 अपने हाथ नीचे रखें। देखो, कहीं कोई पत्ता नहीं हिल रहा है, इसलिए संदेह मत करो कि हवा बाहर से है। देखो कंही कोई भी पत्ता तक नहीं हिल रहा है| तो, जिन लोगों ने अपनी उंगलियों पर या अपने तालू क्षेत्र के माध्यम से ठंडी हवा महसूस की है, कृपया अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं। कृपया अपने दोनों हाथ ऊपर उठाएं। मैं यहाँ तुम्हारी हवा महसूस कर रही हूँ!

परमात्मा आप पर कृपा करे!

 आपमें से कितनों को आत्मसाक्षात्कार हुआ है, कितनों को आत्मसाक्षात्कार हुआ है। अब समस्या केवल यह है कि आपको इसे पूरी तरह से स्थापित करना है और इसके बारे में सब कुछ पता होना चाहिए। उसके लिए उनके पास एक बहुत अच्छा अनुवर्ती (फॉलोअप)कार्यक्रम है और उसके बाद उनके पास आठ दिनों का एक कोर्स है, जहां वे आपको इसके बारे में बताएंगे। सब कुछ आप सीख सकते हैं। आपको किसी चीज के लिए भुगतान नहीं करना है, कुछ भी नहीं। मुझे यकीन है कि यह काम करेगा और आप सभी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक समस्याओं और आध्यात्मिक समस्याओं से भी छुटकारा पा लेंगे और धीरे-धीरे आप आध्यात्मिकता में बढ़ने लगेंगे और महान गुरु बन जाएंगे। 

परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें| 

अब मैं कल जा रही हूं लेकिन मैं एक साल बाद फिर आऊंगी और मैं सहज योग के महान वृक्षों को सैन डिएगो के कई लोगों को सुरक्षा देते हुए देखना चाहूंगी। 

परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें|

 यदि आप मुझसे मिलना चाहते हैं, तो मुझे आप सभी से मिलकर खुशी होगी।