Shri Mahalakshmi Puja: Keep your Mahalakshmi principle intact Barcelona, Can Mas-casa de colónies (Spain)

श्री महालक्ष्मी पूजा – अपना महालक्ष्मी तत्व बनाए रखें  बार्सेलोना, कैन मास-कैंप हाउस (स्पेन), सितंबर १२, १९९२  आज हम यहाँ महालक्ष्मी पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। महालक्ष्मी तत्व हमारे अंदर एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। जब देशों में, परिवारों में, या व्यक्तिगत जीवन में, हम देखते हैं – (श्री माताजी ने स्पॅनिश में अनुवाद करने के लिए कहा)… ये महालक्ष्मी तत्व हमारे उत्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। ये तत्व हमारे अंदर है, पर ये तब तक जागृत नही होता जब तक हम एक परिस्थिती को प्राप्त ना कर लें (और) जहाँ हमें लगता है कि हम अब तक अपने जीवन से संतुष्ट नही हैं। जैसे अब  पश्चिमी देशों में अब आप पर लक्ष्मी तत्व की कृपा रही, इस अर्थ में कि समृद्धि है, लोग ठीक हैं, सबके के पास भोजन है, और दैनंदिनी जीवन में सब पर्याप्त है। पर वो देश जो गरीबी से त्रस्त हैं या जिनकी स्थिति बहुत खराब है, जैसे आप कह सकते हैं कि यूगोस्लाविया इन दिनों बहुत बुरी स्थिति में है, या सोमालिया, जो बहुत ही गरीब है, और इनकी कोई आध्यात्मिक पृष्ठभूमि भी नही है – तो उनके लिए इस जीवन का अर्थ केवल किसी तरह से जीवित बचे रहने में ही है। जीवन उनके लिए संकट से भरा हुआ है, और जीवन का अस्तित्व बनाए रखने में भी उन्हें संकट है। पर संपन्न देशों में ऐसा होता है, कि लोगों को यह लगने लगता है कि अब हमारे पास धन है, जीवन की सारी सुविधा है, पर तो भी ये Read More …

Shri Mahavira Puja: Hell Exists Barcelona (Spain)

1990-0617 Shri Mahavira Puja,Spain आज पहली बार महावीर पूजा हो रही है | महावीर का त्याग अत्यन्त विकट प्रकार का था | उनका जन्म एक ऐसे समय पर हुआ जब ब्राह्मणवाद ने अत्यन्त भ्रष्ट, स्वेच्छाचारी तथा उच्छुंखल रूप धारण कर लिया था | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पश्चात लोग अत्यन्त गम्भीर, तंग दिल तथा औपचारिक हो गये थे। आत्मसक्षात्कार के अभाव में वे सदा एक अवतरण की नकल का प्रयत्न अति की सीमा तक करने लगे। इन बंधनों को समाप्त करने के लिये श्री राम पुन: श्री कृष्ण रूप में अवतरित हुए । अपने कार्यकलापों के उदाहरण से श्री कृष्ण ने यह प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया कि जीवन एक लीला (खेल) मात्र है | शुद्ध हृदय से यदि व्यक्ति जीवन लीला करता है तो कुछ भी बुरा नही हो सकता | श्री कृष्ण के पश्चात लोग अति लम्पट, स्वेच्छाचारी और व्यभिचारग्रस्त हो गए | लोगों को इस तरह के उग्र आचरण के बन्धनों से मुक्त करने के लिए इस समय भगवान बुद्ध तथा महावीर ने जन्म लिया। श्री महावीर एक राजा थे जिन्होंने अपने परिवार, राज्य तथा सम्पदा का त्याग कर सनन्‍्यास ले लिया | उनके अनुयायीयों को भी इसी प्रकार का त्याग करने को कहा गया । उन्हें अपना सिर मुंडवाना पड़ता था, नंगे पैर चलना पड़ता था | वे केवल तीन जोड़े कपड़े रख सकते थे | सूर्यास्त से पूर्व उन्हें खाना खा लेना पड़ता था| केवल पांच घंटे सोने की उन्हें आज्ञा थी और हर समय ध्यान में रह कर आत्म उत्थान में प्रयत्तशील होना Read More …

Shri Buddha Puja: Gautama, The Lord of the Ego (morning) Barcelona (Spain)

                                   श्री बुद्ध पूजा  बार्सिलो(स्पेन)                                                                 20 मई,1989 आज हम यहां बुद्ध की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। भगवान बुद्ध, जैसा कि आप जानते हैं, गौतम, जो एक राज परिवार में पैदा हुए थे, और फिर, वह एक तपस्वी बन गए, क्योंकि वह तीन प्रकार की समस्याओं को देखकर बहुत आहत हुए, जिनसे मानव पीड़ित है। और वह निष्कर्ष पर आया कि, ये तीनों प्रकार की समस्याएं इस कारण हैं क्योंकि हमारी इच्छाएं हैं। तो उन्होंने कहा कि, “यदि आप इच्छा रहित हो जाते हैं, तो आपके लिए कोई समस्या नहीं होगी।” इसलिए उन्होंने वेदों का अध्ययन किया, उन्होंने उपनिषदों का अध्ययन किया, उन्होंने सभी प्रकार की चीजों का अध्ययन किया। वह कई संतों और कई लोगों के पास गए और उन्हें उनका बोध नहीं मिला। वास्तव में वह एक अवतार थे। अवतार को भी एक अलग तरीके से प्राप्ति के बिंदु तक पहुंचना होता है: जैसे पूरी क्षमता को खोलना होता है। लेकिन अवतार में ज़बरदस्त क्षमता होती है, और जो दरवाज़े के बाहर की ओर खुलने पर खुद को अभिव्यक्त करती है। बुद्ध ने महसूस किया कि मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या उसका अहंकार है। अपने अहंकार में वह चरम सीमा तक जाता है: एक छोर से दूसरे छोर तक। और इसलिए उन्होंने हमारे लिए पूर्णतया पिंगला नाड़ी पर काम किया, और इसे नियंत्रित करने Read More …

Devi Puja: be aware of your powers Barcelona (Spain)

देवी पूजा।  बार्सिलोना (स्पेन), 21 मई 1988। खूबसूरत परिवेश… प्रकृति हम सब को देख रही है। धरती माता ने हमारे  देखने के लिए ऐसे सुंदर दृश्य बनाए हैं। जब मैं छिंदवाड़ा में पैदा हुई थी, तो वहां भी उसी तरह का माहौल था। अब, ज़ाहिर है, उन्होंने बहुत सी जगहों को साफ़ कर दिया है। लेकिन फिर भी, अगर आप थोड़ा आगे जाए, लगभग बीस मील, तो आपको उसी तरह के बड़े जंगल मिलते हैं। वे बाघों, तेंदुओं, सभी प्रकार के जंगली जानवरों से भरे हुए हैं। और देवी को भारत में पहाड़ों वाली देवी कहा जाता है, उन्हें पहाड़ो वाली कहा जाता है – जिसका अर्थ है “पहाड़ों से संबंधित” – और वह पहाड़ों पर निवास करती हैं। जैसा कि आपने देखा होगा कि नासिक के पास नासिक में एक पर्वत पर सप्तशृंगी भी बसी है। आप एक साल पहले गए हो। वह आदि शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं और वह ॐ कि अर्ध मात्रा का प्रतिनिधित्व करती हैं। जैसे ॐ शब्द में साढ़े तीन मात्राएँ हैं, जिसका अर्थ है आधा चन्द्रमा, आधा वर्तुल। मात्रा का अर्थ है आधा घेरा। तो, जैसा कि आप जानते हैं कि महाकाली, महासरस्वती, महालक्ष्मी, तीन शक्तियाँ हैं, और उनसे ऊपर आदि शक्ति है। तो, वह साढ़े तीन कुंडल हैं और अंतिम आधा कुंडल इन सभी के ऊपर है, जो उच्चतम का प्रतिनिधित्व करता है। तो यह आधी मात्रा, आदि शक्ति, वह है जिसे सप्तशृंगी में सात शिखर के साथ प्रतिनिधित्व मिला है… श्रृंग, का अर्थ है सात शिखर, यानी सात शिखर- सात शिखर। Read More …