Shri Mahalakshmi Puja Kolhapur (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 21st December 1990 : Place Kolhapur Type Puja Speech Language Hind मैं आपसे बता चुकी हूँ कि महाराष्ट्र में त्रिकोणाकार अस्थि और उसमें कुण्डलाकार में शक्ति विराजती है । महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती और आदिशक्ति इस तरह से साढ़े तीन कुण्डलों में बैठी हुई है। माहुरगढ़ में महासरस्वती हैं जिन्हें रेणुका देवी भी कहते हैं। तुलजापुर में भवानी है जिन्हें महाकाली कहते हैं और कोल्हापुर में महालक्ष्मी का स्थान है। यहाँ से आगे सप्तश्रृंगी नाम का एक पहाड़ है जिस पर आदिशक्ति की अर्धमात्रा है। इस प्रकार ये साढ़े तीन शक्तियाँ इस महाराष्ट्र में पृथ्वी तत्व से प्रकट हुई हैं। और यहीं पर श्री चक्र भी विराजता है। आप सब जानते हैं कि महालक्ष्मी ही मध्यमार्ग है जिससे कुण्डलिनी का जागरण होता है। इसलिए हजारों वर्षों से इस महालक्ष्मी मन्दिर में ‘उदे अम्बे’ कहा जाता है। क्योंकि अम्बा ही कुण्डलिनी है और कुण्डलिनी की शक्ति महालक्ष्मी में ही जागृत हो सकती है। इसलिए महालक्ष्मी के मन्दिर में बैठ कर अम्बा के गीत गाये जाते हैं। इसी स्थान पर अम्बा ने कोल्हापुर नामक राक्षस को मारा था, इसलिए इसका नाम कोल्हापुर पड़ा। कोल्हा का अर्थ है सियार। सियार के रूप में आये राक्षस का वध देवी ने किया। लेकिन जहाँ भी मन्दिरों में पृथ्वी तत्व ने ये स्वयंभू विग्रह तैयार किये हैं वहाँ लोगों ने बुरी तरह से पैसा बनाना शुरू कर दिया है । मन्दिरों की तरफ कुछ भी ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए कभी-कभी लगता है इन मन्दिरों में चैतन्य दब सा जाएगा। अब आप लोग Read More …

8th Day of Navaratri: What We Have To Do Within Ourselves, Talk After the Puja Complexe sportif René Leduc, Meudon (France)

1984-09-30 नवरात्रि पूजा वार्ता: हमे अपने भीतर क्या करना है,पेरिस, फ्रांस  आज नवरात्रि का आठवां दिन है, और यह सहज योगियों के लिए महान दिन है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण समय है। यानी हम सातवां चक्र पार कर चुके हैं, और हम आठवें चक्र पर हैं। हमें यह सोचने की आवश्यकता नहीं कि देवी ने आठवें दिन क्या किया, हमें आज यह सोचना होगा कि हमें अपने भीतर क्या करना है। सातवें दिन को पार करने के बाद, सातवें चक्र को पार करने के बाद-जो कि वास्तव में आप का  आध्यात्मिक उत्थान है, हमें आठवें पर क्या करना चाहिए? यह कितना सहज है कि आज अष्टमी का दिन है, क्योंकि इसी दिन देवी ने दुष्टों, शैतानों और राक्षसों का वध किया। उन्होंने यह अपने बल से स्वयं ही किया। अब यह शैतानी शक्तियां  मनुष्य में भी प्रकट हो रही हैं। वह फैल चुके हैं। यह शक्तियां हमारे भीतर हैं। इसलिए हम सभी को अपने भीतर उन ताकतों से लड़ना होगा। युद्ध अपने भीतर है, बाहर नहीं। पहले जब आप सातवें चक्र को पार करते हैं और आप आठवें पर होते हैं, तो आप याद रखें कि पहले आपको स्वयं के भीतर उन ताकतों से लड़ना होगा। आप सब बहुत बुद्धिमान लोग हैं, कभी-कभी कुछ अधिक ही बुद्धिमान। इसलिए मैं जो कुछ भी कहती हूं आप उसे उलट देते हैं, और इसे आप अपनी बुद्धि से उपयोग करने का प्रयत्न करते हैं। लेकिन इसमें आपकी भलाई नहीं है। यह आपके ‘हित’ के लिए नहीं, आपके भले के लिए नहीं है। आप Read More …

Questions and Answers About America New Delhi (भारत)

अमेरिका के बारे में प्रश्नोत्तर, दिल्ली, भारत, 1983-02-10 Questions and Answers About America, Delhi, India 1983-02-10 सहजयोगियों से बातचीत 1983-02-10 योगी: हम काफी-कुछ वहीं प्रश्न पूछेंगे जो हमने उस दिन पुछे थे। हमें ऐसे उत्तरों की आवश्यकता होगी जो एक या दो मिनट लंबे हों। श्री माताजी: सिर्फ दो मिनट? वह अमेरिका जैसा बड़ा देश है। योगी: यदि यह बहुत लंबा हुआ तो हम इसे संपादित कर सकते है। (श्री माताजी प्रश्नों को देखती हैं।) . आत्मसाक्षात्कार का क्या महत्व है? . आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना क्यों महत्वपूर्ण है? . चैतन्य क्या है? . पश्चिम भारतीयों से और भारतीय पश्चिम से क्या सीख सकते है? श्री माताजी: यह भारत बनाम पश्चिम बहुत विवादास्पद है। भारत से कुछ नहीं सीखो और भारत को आपसे कुछ नहीं सीखना चाहिए। वे सभी एक ही नांव में सवार है। ब्रायन, क्या तुमने मुझे सुना? भारतीयों से स्थूल स्तर पर कुछ सीखने का नहीं और पश्चिम से कुछ सीखने का नहीं। दोनों एक ही नांव में सवार है। एक विकसित हो चुका है और एक विकसित हो रहा है। तुम क्या कहते हों? योगी: आध्यात्मिक स्तर पर, तो, माँ? श्री माताजी: आप भारतीयों के आध्यात्मिक स्तर के बारे में क्या सोचते हैं? शून्य है? यह क्या है? योगी: लेकिन आकांक्षाएं, जो कि इस देश में अभी भी संरक्षित है? श्री माताजी: अगर मुझे अमेरिकियों से बात करनी है, तो वे अहंकार उन्मुख हैं। उन्हें बुरा लगेगा। भारत उनसे अधिक महान है ऐसा ना कहना ही बेहतर होगा। योगी: माँ, आप राजनयिकों की राजनयिक हो। श्री माताजी: Read More …