Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja 15th February 2004 Date: Place Pune Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] कठिन है। कल्याण’ माने हर तरह से साफल्य, हर तरह से प्लावित होना, हर तरह से अलंकृत होना। जब आशीर्वाद में कोई कहता है कि तुम्हारा “कल्याण” हो तो क्या होना चाहिए? क्या होता है? ये कल्याण क्या है? यह वही कल्याण है जिसको हम आत्मसाक्षात्कार’ कहते है। बगैर आत्मसाक्षात्कार के कल्याण नहीं हो सकता। उसकी समझ भी नहीं आ सकती और उसको आत्मसात भी नहीं किया र जा सकता। ये सब चीजें एक साथ कल्याणमय होती हैं और जिसकी वजह से मनुष्य अपने को अत्यन्त सुखी, अत्यन्त तेजस्वी समझता है। इस कल्याणमार्ग के लिए आपको जो करना पड़ा वो कर दिया, जो मेहनत करनी थी सो कर ली. जो विश्वास धरने थे वो धर लिए । लेकिन जब कल्याण का मार्ग अब मिल गया, जब आपको गुरु ने मन्त्र दे दिया कि आपका कल्याण हो जाए तो क्या ा क चीज घटित होगी? आपके अन्दर सबसे बड़ी चीज समाधान। इसके वाद कुछ खोजना नहीं। अब आप स्वयं भी गुरु हो गए अब आपको कुछ विशेष प्राप्त होने वाला नहीं है। किन्तु इस समाधान का जो आशीर्वाद है उसको आप महसूस कर सकेंगे उसको आप जान सकेंगे और उसमें आज हम लोग यहाँ गुरु की पूजा करने के आप रममाण हो सकेंगे पहले तो देखिए, सबसे लिए उपस्थित हुए हैं। गुरु को सारे देवताओं से, बड़ी चीज है शारीरिक-शारीरिक तकलीफें, शारीरिक देवियों से ऊँचा माना जाता है। वास्तविक ये गुरु दुर्बलता Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

[Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] Translation  अंग्रेजी प्रवचन – अनुवादित आज हम श्री शिव-सदाशिव की पूजा करेंगे। उनका गुण यह है कि वे क्षमा की मूर्ति हैं। उनकी क्षमाशीलता क्षमा के गुण के कारण ही हम आज जीवित हैं, अन्यथा ये विश्व नष्ट हो गया होता। बहुत से लोग खत्म हो गए होते क्योंकि मानव की स्थिति को तो आप जानते ही हैं। मनुष्य की समझ में ही नहीं आता कि उचित क्या है और अनुचित क्या है। इसके अतिरिक्त वे क्षमा भी नहीं कर पाते। गलतियों पर गलतियाँ करते चले जाते हैं। परन्तु वो अन्य लोगों को क्षमा नहीं कर सकते। इसलिए हम लोगों को यही गुण श्री शिव-सदाशिव से सीखना हैं। Transcription   हिन्दी प्रवचन  आज हम लोग श्री सदाशिव की पूजा करने वाले हैं। इनका विशेष स्वभाव यह है कि इनकी क्षमाशीलता इतनी ज्यादा है कि उससे कोई इन्सान मुकाबला नहीं कर सकता। हर हमारी गलतियों को वो, माफ करेंगे। वो अगर न करते तो ये दुनिया खत्म हो सकती थी।  क्योंकि उनके अन्दर वो भी शक्ति है जिससे वो इस सृष्टि को नष्ट कर सकते हैं। इतने क्षमाशील होते हुए भी ये शक्ति उनके यहां जागृत है और बढ़ती ही रहती है। इसी शक्ति से जिससे वो क्षमा करते हैं। उसी परिपाक से या कहना चाहिए अतिशयता से फिर वो इस संसार को नष्ट भी कर सकते हैं।  तो पहले तो हमें उनकी क्षमाशीलता सीखनी चाहिए। छोटी-छोटी चीजों को लेकर के हम झगड़ा करते हैं छोटी-छोटी बातों पर हम झगड़ा करते हैं। पर Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 5th March 2000: Place Pune: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] शिवजी को आप लोग मानते हैं और धीरे-2 वो नष्ट होते जाते हैं। धीरे धीरें वी उनकी बड़ी पूजा अर्चना होती है। लेकिन शिवजी के गुणधर्म आप जानते नहीं, इसलिए बहुत बार सांत्वना करने वाले हैं। हमको शांति देने वाले आपसे गलती हो हैं। और जब स्वरूप जो है वो आनंद स्वरूप है। सूक्ष्म सं शिवजी की शक्ति और विष्णु की शक्ति जैसे समाप्त होते जाते हैं। पर शिवजी जो हैं ये हमारी जाती है। शिवजी का विशेष और हमको आनंद देने वाले ये आनंद उनका सब तरफ छाया रहता है। कि कुण्डलिनी और नाड़ी, इन दोनों का मेल हो जाता है तब आपको केवल सत्य मिलता तेक आपमें नहीं आएगी आप उसे देख नहीं है। केवल सत्य। जैसे की उस सत्य को कोई सुषुम्ना सूक्ष्म लेकिन उसको आकलन करने की शक्ति जब पाएंगे और समझ नहीं पाएंगे। वो हर चीज़ में विराजमान है। हर चीज़ में एक तरह से आनंदमय, सकते क्योंकि वो पूर्णतया सत्य है। आप अपने कहना चाहिए कि एक आनंदमय सृष्टि तैयार अंगुलियां पर अपने हाथ पर भी उसे जान सकते करते हैं और उस सृष्टि में विचरण करते हुए आप किसी भी तरह से अस्वीकार्य नहीं कर हैं। अनेक तरह के अनुभव आपको आएंगे आप देखते हैं कि आप भी कुछ और ही हो जिससे आप समझ जाएंगे कि एकदम सत्य जो गए। दूसरे लोगों को जिस चौज़ में आनंद आता है उसमें असत्य की छटा Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 14th February 1999: Place Delhi: Type Puja Hindi & English Speech Language [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] पहले मैं हिन्दी भाषा में बोलूँगी फिर सोपान मार्ग बना हुआ है. जिसे हम सुषुम्ना नाड़ी अंग्रेजी में आज हम श्री महादेव, शिवशंकर की पूजा करने के लिए एकत्र हुए हैं। शंकर जी के नाम से अनेक व्यवस्थाएं दुनिया में हो गईं। आदिशंकराचार्य के प्रसार के कारण शिवजी की शिव की, और जो रास्ता है वो विष्णु का पूजा बहुत जोरों में मनाने लग गए और दक्षिण में तो दो तरह के पंथ तैयार हो गए एक जिसको शैव कहते हैं और दूसरे जो वैष्णव कहलाते हैं । अब शैव माने शिव को मानने वाले और वैष्णव अपनी जगह बैठे हैं, जिसको आना है आए, नहीं जो विष्णु को मानने वाले। अपने देश में, विभाजन करने में हम लोग बहुत होशियार हैं। भगवान के भी विभाजन कर डालते हैं और फिर जब चाहिए और उसके लिए जो उसको एकत्रित करना चाहते हैं तो और उसका विद्रुप रूप निकल कहते हैं, जो मध्य मार्ग है, वो विष्यु का मार्ग है और उस मार्ग से ही हम शिव तत्व पे पहुँचते हैं तो जो मंजिल है वो है शिव तत्व की, बनाया हुआ है इस रास्ते को बनाने में विष्णु ने और आदिशक्ति ने मेहनत की है, इसमें शिवजी का कोई हाथ नहीं, बो तो आराम से |कॉ आना है नहीं आए। सो इस शिव तत्व को प्राप्त करने के लिए हमें इसी विष्णु मार्ग से जाना अनेक Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 16th March 1997 : Place Delhi : Type Puja Hindi & English [Orignal transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज हम लोग शिवजी की पूजा करने जा भी चीज का महत्व नहीं रह जाता। रहे हैं। शिवजी के स्वरूप में एक स्वयं साक्षात अब शंकर जी की जो हमने एक आकृति सदाशिव हैं और उनका प्रतिबिम्ब शिव स्वरुप है। देखी है, एक अवधूत, पहुँचे हुए, एक बहुत कोई ये शिव का स्वरूप हमारे हृदय में हर समय औलिया हो, उस तरह के हैं। उनको किसी चीज़ आत्मस्वरूप बन कर स्थित है। ये मैं नहीं कहूँगी की सुध-बुध नहीं, बाल बिखरे हुए हैं, जटा जूट बने कि प्रकाशित है जब कुण्डलिनी का जागरण होता हैं। कुछ नहीं, तो बदन में कौन से कपड़े पहने हुए हैं, क्या कहें, इसका कोई विचार नहीं। ये सब है तो ये शिव का स्वरूप प्रकाशित होता है और वो हुए प्रकाशित होता है हमारी नसों में। चैतन्य के लिए काम उन्होंने नारायण को, विष्णु को दे दिया है। वे कहा है ‘मेदेस्थित’, प्रथम ‘इसका प्रकाश हमारे स्वयं मुक्त हैं। व्याघ्र का च्म पहन कर घूमते ह मस्तिष्क में, पहली मर्तबा हमारे हृदय का और और उनकी सवारी भी नन्दी की है जो किसी तरह हमारे मस्तिष्क का योग घटित होता है। नहीं तो से पकड़ में नहीं आ सकते। कोई घोड़े जैसा नहीं सर्वसाधारण तरह से मनुष्य की बुद्धि एक तरफ कि उसमें कोई लगाम हो, जहाँ नन्दी महाराज और उसका मन दूसरी तरफ दौड़ता है। योग जायें वहाँ शिवजी Read More …

Mahashivaratri Puja Bundilla Scout Camp, Sydney (Australia)

“अपने चित्त को प्रेरित करें “, महाशिवरात्रि पूजा। बुंडिला स्काउट कैंप, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 मार्च 1996. आज हम शिव, श्री शिव की पूजा करने जा रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, श्री शिव हमारे भीतर सदाशिव का प्रतिबिंब हैं। मैंने पहले ही प्रतिबिंब के बारे में बताया है। सदाशिव , सर्वशक्तिमान परमात्मा हैं, जो आदि शक्ति की लीला देखते हैं। लेकिन वह पिता हैं जो अपनी प्रत्येक रचना को या उनकी प्रत्येक रचना को देख रहे हैं। उनका समर्थन आदि शक्ति को पूरी तरह से है, पूर्णतया सशक्त करने वाला है। उनके मन में आदि शक्ति की क्षमता के बारे में कोई सन्देह नहीं है। लेकिन जब वह पाते हैं कि आदि शक्ति की लीला में, लोग या दुनिया अपने आप में, उन्हें आकुल करने, या उनके काम को बिगाड़ने का प्रयत्न कर रहे हैं, तो वह अपनी कुपित मन:स्थिति में आ जाते  हैं, और वह ऐसे सभी लोगों को नष्ट कर देते हैं, और हो सकता है, वह पूरी दुनिया को नष्ट कर दें । एक ओर वह क्रोधी हैं, कोई संदेह नहीं, दूसरी ओर, वे करुणा और आनंद का सागर हैं। इसीलिए, जब वह हमारे भीतर परिलक्षित होते  हैं , हमें अपना आत्मसाक्षात्कार  प्राप्त होता है, हमें अपनी आत्मा का प्रकाश मिलता है और हम आनंद के सागर में डूब जाते हैं। इसके साथ ही, वे ज्ञान का महासागर हैं, इसलिए जो लोग आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करते हैं उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है, जो बहुत ही सूक्ष्म है, प्रत्येक परमाणु और अणु में व्यापित, इस ज्ञान की Read More …

Mahashivaratri Puja: How To Get Detached and Ascend Castle Mountain Camp, Wisemans Ferry (Australia)

                                              महाशिवरात्रि पूजा  26 फरवरी 1995, ऑस्ट्रेलिया आज हम यहां सदाशिव की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। वह, जो हमारे भीतर परिलक्षित होता है, वह शिव है, जो शुद्ध आत्मा है। हमारे भीतर यह शुद्ध आत्मा सर्वशक्तिमान, सदाशिव भगवान का प्रतिबिंब है। यह सूरज की तरह है जो पानी में गिरता है और एक स्पष्ट प्रतिबिंब देता है। या फिर यह पत्थर पर गिरता है, यह बिल्कुल भी प्रतिबिंब नहीं देता है। माना की यदि आप के पास दर्पण हो, सूर्य न केवल दर्पण पर गिरेगा, बल्कि इसके प्रकाश को वापस प्रतिबिंबित करेगा। उसी तरह से इंसान में भगवान सर्वशक्तिमान का प्रतिबिंब आपके व्यक्तित्व के अनुसार व्यक्त किया गया है। यदि आपका व्यक्तित्व साफ और स्पष्ट, निर्दोष है, तो प्रतिबिंब दर्पण की तरह हो सकता है। इस प्रकार संत लोग,  सर्वशक्तिमान ईश्वर को उचित तरीके से दर्शाते हैं, इस अर्थ में कि उनकी अपनी पहचान गलत चीजों के साथ नहीं है। जब ऐसी कोई पहचान नहीं होती है और जब कोई व्यक्ति बिलकुल शुद्ध आत्मा होता है, तो परमेश्वर का प्रतिबिंब दूसरों में परिलक्षित होता है। सौभाग्य से आप सभी को अपना आत्म साक्षात्कार मिला है। इसका मतलब है कि सर्वशक्तिमान ईश्वर का प्रतिबिंब पहले से ही आपके चित्त में कार्यरत है। आत्मा की शक्ति से चित्त प्रकाशित होता है। आत्मा की शक्ति यह है कि यह एक प्रतिबिंब है। अर्थात, प्रतिबिंब की पहचान कभी दर्पण से या पानी से नहीं की जाती है। यह तब तक होता है जब तक सूरज चमकता है, और जब कोई सूरज नहीं Read More …

1st Day of Navaratri, 10th Position Campus, Cabella Ligure (Italy)

नवरात्रि पूजा कबेला लिगरे (इटली), 27 सितम्बर 1992। आज नवरात्रि का पहला दिन है। और जब मैंने पाया कि बारिश हो रही है और सभी प्रकार की समस्याएं हैं, और विष्णुमाया कुछ सुझाव दे रही थी, तो मैंने जरा कैलेंडर देखा, और आप यह जानकर चकित होंगे कि कैलेंडर में लिखा है कि पांच पैंतालीस तक यह शुभ नहीं है यह अशुभ है। पाँच पैंतालीस के बाद ही उचित शुरूआत होती है, तो ज़रा सोचिए, गणना करके यह कैसे सही था कि पाँच पैंतालीस के बाद ही हमें यह पूजा करनी थी, पाँच पैंतालीस के बाद। यानी इटली में या यूरोप में नवरात्रि का पहला दिन पांच पैंतालीस के बाद शुरू होता है। तो यह कुछ ऐसा है जिस से हमें समझना चाहिए कि चैतन्य सब कुछ कर रहा है, और वह सभी सुझाव दे रहा है; क्योंकि मैंने तो देखा ही नहीं था, जिसे आप तिथि कहते हैं, लेकिन मुझे बस ऐसा लगा, मैंने कहा कि यह हम शाम को रख लेंगे। और जब मैंने ऐसा कहा, मैंने कहा “चलो इसे देखते हैं,” और यही हो गया। हमें कितनी चीज़ें देखनी हैं, कि जो कुछ भी रहस्योद्घाटन तुम्हे हुआ है, तुम उसकी पुष्टि कर सकते हो। उदाहरण के लिए, मैंने बहुत पहले कहा था कि मूलाधार चक्र कार्बन, कार्बन परमाणु से बना है, और यदि आप इसे बाएं से दाएं-नहीं दाएं से बाएं, बाएं ओर देखते हैं तो आपको अन्य कुछ नहीं अपितु स्वास्तिक दिखाई देता है। तो, अब आप बाएं से दाएं देखते हैं, फिर आप ॐ देखते Read More …

Shri Durga Mahakali Puja: France is going down and down Paris (France)

                        श्री दुर्गा महाकाली पूजा पेरिस(फ्रांस)                                                                                                                                  २५ जुलाई १९९२ आज हमने दुर्गा या काली की पूजा की व्यवस्था की है। वह देवी का सभी बुराई और नकारात्मकता का विनाश करने वाला रूप है। यह हमें फ्रांस में करना था, क्योंकि मैं बहुत दृढ़ता से महसूस करती हूं कि, दिन प्रतिदिन सामान्य तौर पर, फ्रांस नीचे और नीचे जा रहा है। जब आप लोग उत्थान पा रहे हैं, तो बाकी फ्रांस सबसे दयनीय स्थिति में है। सबसे पहले, जैसा कि आप समझते हैं, कैथोलिक चर्च है, जिसे – शायद आप जानते नहीं हैं, शायद हो सकता है – क्योंकि आप किसी अन्य भाषा को नहीं पढ़ते हैं, आप सिर्फ इस देश द्वारा अनिवार्य रूप से फ्रेंच पढ़ते हैं। इसलिए आपके पास कोई अंतर्राष्ट्रीय विचार या अंतर्राष्ट्रीय समाचार नहीं है कि इस कैथोलिक चर्च ने अतीत में इतने भयानक काम किए हैं, यह अविश्वसनीय है कि उनका भगवान से कोई लेना देना कुछ भी नहीं है। उन्होंने मन ही मन में कई कार्डिनल्स जलाए – उन्हें भुना। इतना ही नहीं, जिन्होंने भी कभी उनके बारे में एक शब्द भी बोलने की कोशिश की उन्होंने इतने लोगों को मार डाला। Read More …

Shri Rama Puja कोलकाता (भारत)

रामनवमी पूजा – कलकत्ता, २५.३.१९९१ रामनवमी के अवसर पे एकत्रित हुए है, और सबने कहा है कि श्री राम के बारे में माँ आप बताइये। आप जानते हैं कि हमारे चक्रों में श्री राम बहुत महत्वपूर्ण स्थान लिए हुए हैं। वो हमारे राइट हार्ट पर विराजित हैं।  श्रीराम एक पिता का स्थान लिये हुए हैं, इसलिये आपके पिता के कर्तव्य में या उसके प्रेम में कुछ कमी रह जाये तो ये चक्र पकड़ सकता है।  सहजयोग में हम समझ सकते हैं कि राम और सब जितने भी देवतायें हैं, जो कुछ भी शक्ति के स्वरूप संसार में आये हैं, वो अपना-अपना कार्य करने आये हैं।  उसमें श्रीराम का विशेष रूप से कार्य है। जैसे कि सॉक्रेटिस ने कहा हआ है कि संसार में बिनोवेलंट किंग आना चाहिए।  उसके प्रतीक रूप श्रीरामचन्द्रजी इस संसार में आये हैं।  सो वो पूरी तरह से मनुष्य रूप धारण कर के आये थे।   वे ये भी भूल गये थे कि मैं श्रीविष्णु का अवतार हूँ, भुला दिया गया था।  किन्तु सर्व संसार के लिए वो एक पुरुषोत्तम राम थे। ये बचपन का जीवन सब आप जानते हैं और उनकी सब विशेषतायें आप लोगों ने सुन रखी हैं।  हम लोगों को सहजयोग में ये समझ लेना चाहिए कि हम किसी भी देवता को मानते हैं, और उसको  अगर हम अपना आराध्य मानते हैं तो हमारे अन्दर उसकी कौनसी विशेषताऐं आयी हुई हैं?  कौन से गुण हमने प्राप्त किये हैं?  श्रीरामचन्द्र जी के तो अनेक गुण हैं। क्योंकि वो तो पुरूषोत्तम थे। उनका एक गुण था Read More …

Navaratri Puja Geneva (Switzerland)

(नवरात्रि पूजा, देवी देवता आपको देख रहे हैं (आर्जियर जिनेवा ( स्विटजरलैंड), 23 सितंबर 1990) इन नौ दिनों में देवी को रात के समय अपने बच्चों की नकारात्मकता के प्रभावों से रक्षा करने के लिये राक्षसों से युद्ध करना पड़ता है। एक ओर तो वह प्रेम व करूणा का अथाह सागर हैं तो दूसरी ओर वह शेरनी की तरह अपने बच्चों की रक्षा करती हैं। पहले के समय में कोई ध्यान धारणा नहीं कर पाता था, परमात्मा का नाम नहीं ले पाता था और न ही आत्म-साक्षात्कार के विषय में सोच पाता था। लेकिन आज जो यहां बैठे हुये हैं …. आप लोग तो उन दिनों भी यहीं थे… आप लोगों को तो इसी दिन के लिये बचाया गया है ताकि आप अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त कर लें। उन दिनों में देवी का रूप माया स्वरूपी नहीं था। वह अपने वास्तविक स्वरूप में थीं जो उनके भक्तों के लिये भी अत्यंत विस्मयकारी था। सबसे पहले तो उनकी रक्षा की जानी थी। अतः जिस प्रकार से माँ अपने बच्चे को नौ महीने तक गर्भ में धारण करती है, इन नौ महीनों में …. या मान लीजिये नौ युगों में… आप सब की पूरी तरह से रक्षा की जाती रही है और फिर दसवें माह में आपको जन्म दिया गया है। यह जन्म भी हमेशा नौ महीनों के सात दिन बाद दिया गया है। इसके परिपक्व होने तक कुछ समय तक इंतजार किया गया। अतः नवरात्रि का दसवां दिन वास्तव में आदि-शक्ति की पूजा का है तो आज हम सचमुच आदि-शक्ति Read More …

Mahashivaratri Puja मुंबई (भारत)

Shivaratri Puja, Bombay (India), 14 February 1988. This part was spoken in Hindi Today we are all come together to celebrate the Shiva Tattwa Puja.  Nowadays, in Sahaja Yoga, what we have achieved is by the Grace of the Shiva Tattwa.  Shiva Tattwa is the ultimate goal (establishment, completion) of pure desire. When the Kundalini gets awakened in us, pure desire takes us near and keeps us at the Shiva Tattwa. Beyond Shiva Tattwa is the safe refuge of the Atma.  The new dimensions of the Spirit are slowly seen and start working out.  And when a man is fully engrossed (absorbed?) in the Shiva Tattwa, he gets surrendered without doing anything.  Kundalini Shakti is the reflection of Adi Shakti within us and Shiva Tattwa is the light of the almighty (Paramatma).  Like as there is a small twinkling light in the gas lamp, and when the gas comes into it then you can see the light.  But before you cannot notice the gas passing through.  For this it is necessary that the Kundalini should be awakened.  When we have the sensation of (can feel the?) Kundalini then the light shines out. For this it is necessary that within you there is Kundalini awakening and then this light is there. Today I have given a new example so that we could understand.  In its own place Kundalini can do no work.  Just like a gas, it cannot do anything on its own.  In this way the twinkling also cannot do Read More …

Shri Rama Puja: Dassera Day Les Avants (Switzerland)

                        श्री राम पूजा  लेस अवंत्स (स्विट्जरलैंड), 4 अक्टूबर 1987। आज हम स्विट्जरलैंड में दशहरा दिवस पर श्री राम के राज्याभिषेक का जश्न मना रहे हैं। दशहरा दिवस पर कई बातें हुईं। सबसे खास बात यह थी कि इसी दिन श्री राम का राजा के रूप में राज्याभिषेक हुआ था। इसी दिन उन्होंने रावण का वध भी किया था। कई लोग कह सकते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है कि उन्होंने रावण को मारा और उसी तारीख को उनका राज्याभिषेक हुआ? उन दिनों भारत में, हमारे पास सुपरसोनिक हवाई जहाज़ थे और, यह एक सच्चाई है, और हवाई जहाज़ का नाम पुष्पक था, जिसका अर्थ है फूल। इसे पुष्पक कहा जाता था और इसकी एक ज़बरदस्त गति होती है। तो रावण का वध करने के बाद वे अपनी पत्नी के साथ अयोध्या आए और उसी दिन उनका राज्याभिषेक हुआ। नौवें दिन, उन्होंने अपने हथियारों के लिए शक्ति, सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए देवी की पूजा की और दसवें दिन उन्होंने रावण का वध किया। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि श्री राम और उनके राज्य के समय कितने उन्नत लोग थे। कारण यह था कि राजा एक अवतार था; ऐसा भी की वे एक कल्याणकारी  राजा थे जैसा कि सुकरात ने वर्णित किया था। श्री राम की कहानी आदि से अंत तक बहुत दिलचस्प है और अब हमारे पास भारत में हमारे टेलीविजन द्वारा की गई उनके बारे में एक सुंदर श्रृंखला है, जो बहुत अच्छी कीमत पर बेची जाती है, हो सकता है कि जब आप वहां आएं Read More …

6th Day of Navaratri, Complete dedication Weggis (Switzerland)

Navaratri puja. Weggis (Switzerland), 19 October 1985 आज नवरात्रि का महान दिन है। हम छठे और सातवें दिन के मध्य में बैठे हैं। षष्ठी और सप्तमी वह दिन है,जब महासरस्वती ने अपना कार्य संपन्न किया और शक्ति ने इसे स्वयं प्रारंभ किया। इसलिए आज बारह बजे देवी स्वयं शक्ति को धारण करेंगीं। वास्तव में, जैसा आप जानते हैं कि महाकाली और महासरस्वती दोनों श्री सदाशिव की शक्तियां हैं। आदिशक्ति ने सबसे पहले स्वयं को महाकाली के रूप में बनाया ,जो कि इच्छा की शक्ति हैं। लेकिन यह शक्तियां और कुछ भी नहीं है, बल्कि ईश्वर के प्रेम की ही शक्ति हैं। इसलिए इस ईश्वरीय महान प्रेम के क्रम में, आदिशक्ति को सर्वप्रथम इच्छा की शक्ति के रूप में निर्मित होना पड़ा। इसी प्रकार से सहजयोगी, जो इस प्रेम की शक्ति से आशीर्वादित किए गए हैं,उन्हें अपने हृदय में पूर्ण इच्छा रखनी चाहिए। प्रेम करने की इच्छा। वह इच्छा मनुष्य के दूसरे तरह के मानवीय प्रेम से, हम जानते है उस प्रेम से बिल्कुल अलग है। अन्य मानवीय प्रेम के दूसरे तरह के प्रेम में, जब हमारा सम्बन्ध दूसरों के साथ होता है तो हम उनसे उम्मीदें रखते हैं। यही कारण है कि यह बहुत निराशाजनक होता है। हमारी अपेक्षाएं हमेशा हमारी समझ और वास्तविकता से बहुत अधिक होती हैं। यही कारण है कि हम निराशा और कुंठा से ग्रस्त हो जाते हैं। और वही प्रेम जो पोषित करने वाला और परिपूर्ण करने वाला होना चाहिए, वह व्यर्थ हो जाता है। इसलिए जब यह प्रेम मनुष्य में प्रतिबिंबित होता है, तब Read More …

8th Day of Navaratri: What We Have To Do Within Ourselves, Talk After the Puja Complexe sportif René Leduc, Meudon (France)

1984-09-30 नवरात्रि पूजा वार्ता: हमे अपने भीतर क्या करना है,पेरिस, फ्रांस  आज नवरात्रि का आठवां दिन है, और यह सहज योगियों के लिए महान दिन है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण समय है। यानी हम सातवां चक्र पार कर चुके हैं, और हम आठवें चक्र पर हैं। हमें यह सोचने की आवश्यकता नहीं कि देवी ने आठवें दिन क्या किया, हमें आज यह सोचना होगा कि हमें अपने भीतर क्या करना है। सातवें दिन को पार करने के बाद, सातवें चक्र को पार करने के बाद-जो कि वास्तव में आप का  आध्यात्मिक उत्थान है, हमें आठवें पर क्या करना चाहिए? यह कितना सहज है कि आज अष्टमी का दिन है, क्योंकि इसी दिन देवी ने दुष्टों, शैतानों और राक्षसों का वध किया। उन्होंने यह अपने बल से स्वयं ही किया। अब यह शैतानी शक्तियां  मनुष्य में भी प्रकट हो रही हैं। वह फैल चुके हैं। यह शक्तियां हमारे भीतर हैं। इसलिए हम सभी को अपने भीतर उन ताकतों से लड़ना होगा। युद्ध अपने भीतर है, बाहर नहीं। पहले जब आप सातवें चक्र को पार करते हैं और आप आठवें पर होते हैं, तो आप याद रखें कि पहले आपको स्वयं के भीतर उन ताकतों से लड़ना होगा। आप सब बहुत बुद्धिमान लोग हैं, कभी-कभी कुछ अधिक ही बुद्धिमान। इसलिए मैं जो कुछ भी कहती हूं आप उसे उलट देते हैं, और इसे आप अपनी बुद्धि से उपयोग करने का प्रयत्न करते हैं। लेकिन इसमें आपकी भलाई नहीं है। यह आपके ‘हित’ के लिए नहीं, आपके भले के लिए नहीं है। आप Read More …

Navaratri Puja Hampstead (England)

नवरात्रि पूजा, हैंपस्टड, लंदन 23 सितंबर) हम नवरात्रि का त्योहार क्यों मनाते हैं? हृदय में देवी की शक्तियों को जागृत करना ही नवरात्रि मनाना है… जो शक्ति इन सभी 9 चक्रों में है उसको जानना और जब वे जागृत हो जांय तो आप स्वयं के अंदर उन 9 चक्रों की शक्तियों को किस प्रकार से अभिव्यक्त करना हैं। सात चक्र और हृदय और चांद मिलाकर ये 9 चक्र हुये। परंतु मैं कहूंगी कि ये सात और इनके ऊपर दो अन्य चक्र जिनको विलियम ब्लेक ने भी आश्चर्यजनक व स्पष्ट रूप से 9 ही कहा था। इस समय मैं आपको उन दो ऊपर के चक्रों के विषय में नहीं बता सकती। क्या इन चक्रों की शक्तियों को हमने अपने अंदर जागृत कर लिया है? किस तरह से आप ये कर सकते हैं? आपके पास तो समय ही नहीं है। आप सब लोग तो अत्यंत व्यस्त और अहंवादी लोग हैं इन शक्तियों को जागृत करने के लिये हमें इन चक्रों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। जहां भी मैं गई, मुझे आश्चर्य हुआ….. जो प्रश्न उन्होंने मुझसे पूछे …..किसी ने भी मुझसे अपने परिवार, घर, नौकरी या अन्य किसी बेकार बात के बारे में नहीं पूछा …… उन सबने मुझसे पूछा कि माँ हम इन चक्रों की शक्तियों को किस प्रकार से विकसित करें। मैंने उऩसे पूछा कि आप किसी एक चक्र विशेष के बारे में कैसे पूछ रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे अंदर अभी बहुत कमियां है … या मेरे अंदर यही चक्र ठीक नहीं है। अब किसी साक्षात्कारी Read More …

Diwali Puja: Become The Ideals Temple of All Faiths, Hampstead (England)

                  दीवाली पूजा, “आदर्श बनना” “सभी धर्मों का मंदिर”, हैम्पस्टेड, लंदन (यूके), 6 नवंबर 1983 आज के चैतन्य से आप देख सकते हैं कि जब आपकी पूजा के लिए तैयारी  होती हैं तो आपको कितनी प्राप्ति होती है। आज आप इसे महसूस कर सकते हैं। तो ईश्वर बहुत उत्सुक हैं, कार्य करने के लिए| केवल एक बात है कि, स्वयं तुम्हें तैयारी करनी है। और ये सभी तैयारियां आपकी काफी मदद करने वाली हैं। जैसा कि हम अब सहजयोगी हैं, हमें यह जानना होगा कि हम जो थे उससे कुछ अलग हो गए हैं। हम योगी हैं, हम दूसरों से ऊंचे लोग हैं। और ऐसे में हमें एक बात और भी समझनी होगी कि हम दूसरे इंसानों की तरह नहीं हैं जो कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, जो पाखंड के साथ जी सकते हैं. इसलिए सारी समस्याएं सभी धर्मों से उत्पन्न हुई हैं। एक व्यक्ति जो कहता है कि वह एक ईसाई है, वह पूरी तरह से मसीह विरोधी है; जो कहते हैं कि जो  इस्लामिक है, वह बिल्कुल मोहम्मद विरोधी है; जो कहता है कि वो हिंदू है, बिल्कुल श्रीकृष्ण विरोधी है। यही मुख्य कारण है कि अब तक सभी धर्म असफल रहे हैं, क्योंकि मनुष्य आदर्शों की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। वे सभी कहते हैं कि हमारे पास यह आदर्श है, वह आदर्श है, लेकिन वे खुद आदर्श नहीं हैं, वे उन आदर्शों के साथ नहीं रह सकते। आदर्श उनके जीवन में नहीं हैं, वे बाहर हैं। लेकिन वे यह कहते चले जाते हैं कि ये हमारे Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Shivaratri Puja आपके अंदर इस अनासक्ति को आना होगा …. इसमें थोड़ा समय लगता है। खासकर भारतीय लोगों में …. जो हर समय अपने बच्चों, माता और पिता के बारे में चिंतित रहते हैं और ये चलता रहता है। वर्षों तक मेरा बेटा … मेरी बेटी … मेरे पिता … पूरे समय ये चलता रहता है। अब परमात्मा की कृपा से कई लोग अपने दायित्वों से छुटकारा प्राप्त कर चुके हैं … सहजयोग के माध्यम से या जिस प्रकार से भी (श्रीमाताजी हंसती हैं)। जो लोग भी अब सहजयोग में आ रहे हैं कि हमें सहजयोग के आशीर्वाद प्राप्त करना है … उनमें भी इस अनासक्ति को लाया जाना है कि हमें आशीर्वाद प्राप्त हो रहे हैं … उन्हें इसका गर्व होना चाहिये। यदि आपको सहजयोग परिवार में आना है तो आप इसमें आंये परंतु किसी को भी सहजयोग में आने के लिये जबर्दस्ती न करें ….. उनके ऊपर सहजयोग को थोपे नहीं। अब वह अवस्था आ चुकी है कि आपको उनसे सहजयोग की बात करनी है। शुरूआत में मैं कहती थी कि उनसे इस बारे में बात मत करो … लेकिन उनके लिये कहती थी जो एकदम बेकार हैं यदि उनको सहज में नहीं आना है तो उनसे बात करें कि आप सहजयोग के लिये बिल्कुल ठीक नहीं हैं …… ऐसे लोगों से बिल्कुल बात न करें। तभी वे आ पायेंगे। कुछ लोगों में आपको कोई दिलचस्पी नहीं रखनी चाहिये … उन्हें कहें कि आप एकदम अक्षम हैं… भौतिकतावादी हैं … आप अच्छे नहीं हैं तो वे कहेंगे कि Read More …

Shri Durga Puja: Mind is just like a donkey Vienna (Austria)

                श्री दुर्गा पूजा                  ‘मन बिलकुल एक गधे जैसा है’  वियना(ऑस्ट्रिया)                                                         26सितंबर 1982 आप सभी को बंधन लेना चाहिए। पूजा से पहले यह बेहतर है| आज पहला दिन है, हम इस देश ऑस्ट्रिया में पूजा कर रहे हैं। यह देश एक ऐतिहासिक देश है, जो की विभिन्न उथल-पुथल से जीवन के इतने सारे सबक सीखने को गुजरा है। लेकिन इंसान ऐसे होते हैं जो की आपदाओं का अपनी गलतियों से संबंध नहीं देखते हैं। यही कारण है कि वे एक ही गलतियों को बार-बार दोहराते हैं। वियना से मुलाकात बाकी थी और मैं उस दिन आयी जब हमने मचिन्द्रनाथ का जन्मदिन ([वह एक सहज योगी शिशु है) मनाया । आप सभी के लिए यह बहुत शुभ है कि वह आज अपने जीवन का एक वर्ष पूरा कर लें। मैं उसे सभी फूल, सबसे सुंदर फूल, सुंदरता और उस पर आनंद, और उसके परिवार, उसके सभी संबंधों और उसके परिवार के साथ आशीर्वाद देती हूं। बहुत सारी चीजें हैं जो पहली बार की गई हैं। मुझे कहना चाहिए, मैं पहली बार ऑस्ट्रिया में वियना आयी हूं, और मैं पहली बार जन्मदिन पर एक बच्चे के पहले जन्मदिन पर आई हूं। और एक अष्टमी पर, जो की आज है, चंद्रमा का आठवाँ दिन, चन्द्रमा का, जो बढ़ रहा है, शुक्लपक्ष; उस समय पहली बार देवी के सभी अस्त्रों की पूजा की जानी है। यह एक Read More …

Mahashivaratri Puja: What makes Mother pleased? New Delhi (भारत)

                                              महाशिवरात्रि पूजा  नई दिल्ली, भारत, फरवरी, 20, 1982 आज वह दिन है जब हम महाशिवरात्रि मनाते हैं। एक महान दिन है, या हमें कहना चाहिए महान रात। यह पूजा रात में होनी चाहिए थी। एक महान रात है जब शिव इस धरती पर स्थापित हुए थे। क्योंकि उस तरह शिव अनादि हैं। तो, कोई यह कहेगा कि, “शिव क्यों?” शिव के जन्मदिन की तरह आप कह सकते हैं या कुछ और, “यह कैसे हो सकता है?”, क्योंकि वह शाश्वत है, वह हर समय वहां है। तो, आज का उत्सव जो दर्शाता है, वह है इस धरती पर शिव की स्थापना। पदार्थ में स्व। हर तत्व एक देवता के साथ बनाया गया है और उस देवता को उस तत्व में स्थापित किया गया है, जैसा कि आप जानते हैं। इसलिए, जब आदि शक्ति ने सोचा था कि पहले हमें शिव की स्थापना करनी चाहिए; शिव के बिना आप कुछ भी स्थापित नहीं कर सकते। पहले, वह स्थापित होना है, क्योंकि वह निरपेक्ष है। तो आपको शिव की स्थापना करनी होगी। और अब हमें क्या करना चाहिए? उनकी स्थापना कैसे करें? वह तमो गुण के देवता हैं। वह शीतल है, वे जो कुछ भी निष्क्रिय है उनका भगवान है। इसलिए सबसे पहले, यह पृथ्वी, जब यह सूर्य से निकली, जो बहुत गर्म थी, चंद्रमा के बहुत करीब ले जायी गई थी। चंद्रमा शिव के साले हैं। इसलिए इसे चंद्रमा के इतने पास ले जाया गया कि पूरी पृथ्वी बर्फ से ढक गई। और फिर इसे धीरे-धीरे सूर्य की ओर बढ़ाया गया। जब Read More …

Sahasrara Puja: Heart must be kept absolutely clean Chelsham Road Ashram, London (England)

सहस्रार पूजा – चेल्शम रोड, लंदन (यूके), ४ मई १९८१   … ऐसी खुशी आप सभी के पास वापस आने की है। मुझे यहां आने की प्रतीक्षा थी । मुझे आपके सारे पत्र और अभिवादन और वह सब मिला, जो आपने बताया था। यह बहुत स्नेही और बहुत उत्साहजनक था आपकी प्रगति के बारे में जानने के लिए और जब मैं वास्तव में बहुत, बहुत, बहुत कठिन कार्य कर रही थी, तो मैं आपके बारे में सोचती थी और मैं इस विचार को अपने दिमाग में डाल देती थी कि एक दिन आएगा जब विलियम ब्लेक की भविष्यवाणी का अवतरण आना चाहिए। मैं ऑस्ट्रेलिया गयी और मुझे आश्चर्य हुआ कि जिस तरह से चमत्कार हुए उस देश में । ऐसा पुराणों में कहा जाता है कि त्रिशंकु नामक एक संत थे, जिन्होंने कुछ गलती, थोड़ी गलती की और उन्हें दक्षिणी क्रॉस के रूप में भेजा गया और कहा गया ,हवा में लटकते हुए कि आपको अपना स्वर्ग अवश्य बनाना चाहिए। और वास्तव में ऑस्ट्रेलिया स्वर्ग है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन यह मूलाधार है। वह मूलाधार है।  लोग निश्चित रूप से सभी तरह की धारणायें बना रहे हैं, अत्यधिक अध्यन, क्यूंकि  हम यहां हैं। हमने इन सभी गलत धारणाओं को भी काफी हद तक स्वीकार कर लिया है। लेकिन किसी तरह मैं इसे अभी भी ह्रदय  ही ह्रदय  में महसूस करती हूं, उन्हें लगता है कि यह जीवन का सही तरीका नहीं हो सकता है और उन्हें अभी भी लगता है कि वे जो कुछ करते हैं वह पूरी तरह Read More …