What is Happening In Other Lokas?

Caxton Hall, London (England)

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                                 अन्य लोकों में क्या हो रहा है

कैक्सटन हॉल, लंदन, इंग्लैंड, 30 जून 1980।

आज, मुझे आपको यह बताने में कोई आपत्ति नहीं है कि अन्य लोकों में क्या हो रहा है, अन्य लोक जो हम नहीं देखते हैं, जिसके बारे में हमें जानकारी नहीं है। यह आपको थोड़ा डरा सकता है, लेकिन अब समय आ गया है कि हम यह जानें कि संपूर्ण के संबंध में हमें कैसे रखा गया है, परमेश्वर की क्या योजनाएँ हैं, और हम उन्हें कैसे पूरा करने जा रहे हैं।

अब यहाँ आप में से अधिकांश आत्मसाक्षात्कारी है। आप में से कुछ पहली बार आए हैं; आपको भी आपका आत्मसाक्षात्कार होगा। लेकिन सामान्य बात यह है कि आप सभी मुमुक्षु हैं, ईश्वर के साधक हैं, शांति के खोजी हैं, प्रेम पिपासु हैं, यह एक सामान्य बात है। लेकिन यह इच्छा आपके पास आपके लिए नहीं आई है, किसी व्यक्तिगत उत्थान के लिए या किन्ही ऐसी उपलब्धियों द्वारा हासिल स्थान के लिए जहां से कोई वापसी नहीं है, बल्कि यह अंतिम निर्णय है जिसका सभी मनुष्यों को सामना करना होगा। उन्हें इससे गुजरना होगा और अपने अंतिम स्थान को प्राप्त करने के लिए, ईश्वर के राज्य में अपना स्थान प्राप्त करना होगा।

आज तुम मेरे सामने बैठे हो, तुम मेरे साथ पहले भी रहे हो और बहुत पहले भी। लेकिन आज विशेष रूप से जब आप मेरे साथ हैं, तो आप इसका सामना करने और स्वयं के लिए सुनिश्चित करने यहां आए हैं कि आप सत्य, प्रेम, ईश्वर का आशीर्वाद धारण करने में सक्षम हों। कि तुम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सको और उनके राज्य में रह सको, उनकी सारी शक्तियाँ तुम्हारे माध्यम से प्रवाहित हो। पहले भी वादा किया जा चुका है। सारे वादे पूरे करने हैं। सभी शास्त्रों का समर्थन करना है और उन्हें सिद्ध किया जाना है।

लेकिन हमें पता होना चाहिए कि शैतानी ताकतों और दैवीय शक्तियों और उन सभी शैतानी ताकतों के बीच एक महान युद्ध चल रहा है, जो शैतानों के रूप में प्रतीक हैं – संस्कृत भाषा में उन्हें राक्षस, असुर और वह सब कहा जाता है – जिन्होंने इस धरती पर अपना जन्म लिया है। परमेश्वर के राज्य को नष्ट करने के लिए। कल्पना करो! क्या महत्वाकांक्षाएं हैं! लेकिन वे आपके दिलों में परमेश्वर के इस राज्य को ध्वस्त करना चाहते हैं। ईश्वर का राज्य मौजूद है, मौजूद रहेगा, यह शाश्वत है। इसने ब्रह्मांड के बाद ब्रह्मांड बनाए हैं। इसने अमीबा से लेकर अब तक इंसानों को बनाया है। इसने आपको इस स्थिति में पहुंचा दिया है कि आज आप अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यहां हैं। यह सब अब घटित हो गया है।

इस महत्वपूर्ण क्षण में, इस अनमोल क्षण में जब आप परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने वाले हैं, ये सभी शक्तियाँ आपको नीचे गिराने के लिए बनी हैं। यह समझना आपके विवेक में निहित है कि ये बल बहुत सूक्ष्म, अत्यंत चालाक, आपकी समझ से परे हैं। आत्म-साक्षात्कार की स्थिति में प्रवेश करने के बाद भी, आपने देखा है कि वे आप पर कैसे कार्य करते हैं, आपको नीचे खींचने की कोशिश करते हैं, आपको नीचे खींचते हैं।

यह युद्ध चेतन धरातल पर नहीं खेला जाता है जैसा कि पहले खेला जाता था। जैसे, एक राक्षस आ रहा था, उसे मारने तक सब ठीक था। वह एक राक्षस के रूप में आया, वह एक शैतान के रूप में आया, वह मारा गया, समाप्त हो गया। लेकिन आज वे धर्मपरायण पुरुष के रूप में, भगवान के रूप में आए हैं – जैसा कि वे कहलाते हैं, देव महिला के रूप में। वे खुद को भगवान, गुरु कहते हैं। वे धर्म की आड़ में आए हैं। इन प्राचीन राक्षसों ने जन्म लिया है और वे साधकों के मन में चले गए हैं। उन्होंने हजारों और हजारों साधकों को पकड़ लिया है! कल्पना कीजिए कि स्थिति इतनी अनिश्चित और इतनी खतरनाक है। वे उन लोगों के मन में प्रवेश कर गए हैं जो साधक हैं, जिन्हें इस राज्य से सम्मानित किया जाना है, जिन्हें सिंहासन पर बैठाया जाना है, जिन्हें ताज पहनाया जाना है, इन भयानक ताकतों द्वारा नष्ट, प्रताड़ित किया गया है। और क्योंकि यह आपके चेतन स्तर में नहीं है, आप उन्हें देख नहीं सकते, आप उन्हें महसूस नहीं कर सकते, आप उन्हें समझ नहीं सकते, वे कितने खतरनाक हैं। जबकि उन्होंने आपको प्रभावित करने के लिए आपके अहंकार में या आपके प्रति-अहंकार में घुस आने के सभी तरीके सीख लिए हैं।

वह युद्ध हम सभी को लड़ना है। अगर हमें खुद को पूरी तरह से परमात्मा के राज्य में स्थापित करना है, तो हमें पता होना चाहिए कि हमें उन सभी खींचने वाली ताकतों से लड़ना है।

सहज योग बेकार लोगों के लिए नहीं है, उन लोगों के लिए नहीं है जिनमें साहस नहीं है, कायरों के लिए नहीं है। यह उन लोगों के लिए नहीं है जो पैसे के पीछे भागते हैं और जो इन सभी भौतिक चीजों के पीछे भागते हैं। विशेष रूप से शुरूआती लोग जो सहज योग की नींव हैं, उन्हें अपनी मुक्ति की स्थिति को प्राप्त करने के लिए महान क्षमता और महान इच्छा वाले लोग होने चाहिए, क्योंकि वही लोग हैं जो पूरी मानवता को बचाने जा रहे हैं। वे मुक्तिदाता हैं, वे वही हैं जो इस बर्बाद मानवता के उद्धार को प्रकट करने जा रहे हैं।

जो कमजोर हैं उन्हें मजबूत किया जा सकता है क्योंकि ऊर्जा उनके भीतर है। जो अस्वस्थ हैं उन्हें ठीक किया जा सकता है। मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों को इधर-उधर कर लाया जा सकता है। लेकिन इसमें कायरों के लिए कोई जगह नहीं है। आपको एक बात के लिए साहसी और हंसमुख लोग बनना होगा, क्योंकि आप उस शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं जो ईश्वर के लिए लड़ रही है, सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए, आप उसके हाथ हैं। और आपको समझदार भी होना होगा। मूर्ख लोग अच्छे नहीं होते। मूर्खता आपको कभी भी ऊपर उठने में मदद नहीं कर सकती है, आपको बुद्धिमान व्यक्ति बनना होगा। फालतू लोग, जो बेतुकी बातों के पीछे भागते हैं, उन्हें जहां मर्जी जाने दो, जब उनका समय और बारी आएगी तो वे वापस आ जाएंगे। इसके लिए हमें ज्यादा लोगों की जरूरत नहीं है। बहुत कम लोग दुनिया को बचा सकते हैं, लेकिन उन्हें आत्मा की शक्ति के बारे में अपनी समझ में मजबूत और पूरी तरह से स्थापित होना होगा| उनके पिता जो सर्वशक्तिमान हैं की शक्तियों के बारे में|

इस बात की परवाह मत करो कि बोध होने से पहले तुम्हारे साथ क्या हुआ था। जो लोग इन चीजों पर विचार करते हैं, उन्हें ज्यादा कुछ हासिल नहीं होगा। अतीत अतीत है, अब समाप्त हो गया है। आज तुम मेरे सम्मुख हो और मैं तुम्हारे सामने हूं। यही वर्तमान है। मेरे लिए यह संभव नहीं है कि मैं आपको उस विशाल युद्ध का पूरा दर्शन दे सकूं जो चल रहा है और आपको कैसे बचाया जाना है। मैं जिस तूफ़ान को महसूस कर रही हूँ। एक नाव में, मैं अपने बच्चों को अंदर डाल रही हूँ। गुरुत्व संतुलन को ठीक रखने के लिए मध्य में रहने की कोशिश करें। और जब तुम काफ़ी मज़बूत हो जाओगे, तो मेरे साथ नाव चलाओगे।

अपने आप से नफरत मत करो। अपने आप को यातना न दें और दोषी महसूस न करें जिससे आप बहुत कमजोर हो जाते हैं। दोषी महसूस करने के लिए क्या है? मुझे समझ नहीं आ रहा है। कल्पना कीजिए कि एक योद्धा और एक सैनिक उस समय दोषी महसूस कर रहे हैं जब युद्ध चल रहा हो। आपको जोश से भरपूर और वीरता से भरपूर होना है। ये सभी छोटी-छोटी चीजें, जो आपकी आत्मा को नष्ट करती हैं, उन्हें फेंक दीजिए। दोषी महसूस करने की इन सभी फैशनेबल चीजों के लिए कोई जगह नहीं है। यह पश्चिमी कमजोरी है। अगर आपको तेजी से आगे बढ़ना है और अगर आप यह सब हासिल करना चाहते हैं तो समय बहुत कम है। आपको इसका एहसास करना होगा। जैसा कि आप इसे कहते हैं, ‘हैंकी-पंकियों’ के लिए कोई समय नहीं है। लेकिन विभिन्न जगहों पर घूमने का भी समय नहीं है। अब तुम्हें संभलना है, तुम्हें उस तक पहुंचना है।

आज सभी समुदायों में, यहाँ तक कि रूस में भी, इतनी साक्षात्कारी आत्माएँ बच्चों के रूप में जन्म लेती हैं – क्या आप कल्पना कर सकते हैं? सहज योग में रूसी आने वाले हैं। मैं वहां जा चुकी हूं। वे प्रथम हो सकते हैं क्योंकि उन्होंने तथाकथित धार्मिक पंथ और धर्मों की सारी बकवास और धर्म का प्रचार करने वाले झूठे लोगों की सारी बकवास को तर्क द्वारा विस्थापित कर  दिया है। रूस में झूठे गुरुओं के लिए कोई जगह नहीं है, कोई जगह नहीं है। साथ ही, वास्तविक गुरुओं के लिए भी कोई जगह नहीं है [हँसी]। तो आपको वहां प्रवेश पाना होगा, उनके बच्चों के माध्यम से वहां प्रवेश करना होगा और बच्चे सहज योग को पहचान लेंगे। दस साल के भीतर सब कुछ चमकना है।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप इसे कैसे करते हैं लेकिन आपको यह करना होगा। मेरे और परमेश्वर के लिए आप सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि भूकंप आता है और कुछ भयानक इमारतें गिर जाती हैं। इससे परमात्मा को कोई फर्क नहीं पड़ता। महत्वपूर्ण यह है कि कितने जागरूक हैं, कितने प्रगति कर रहे हैं, कितने स्थापित हो रहे हैं। जो लोग बहुत डरपोक हैं उनका सहज योग में कोई स्थान नहीं है। इसका मतलब है कि आप अभी भी इन नकारात्मक शक्तियों के हाथों में खेल रहे हैं। कल्पना कीजिए, भयभीत लोग सहज योग के लिए सैनिक बनकर आ रहे हैं! मेरा मतलब है… [हँसी]

जब आप अपने पराक्रम का प्रदर्शन करेंगे तो आपके भीतर मौजूद सभी शक्तियां प्रकट होने लगेंगी। जब तुम हाथ उठाने को भी तैयार नहीं हो, तो तुम्हारी तलवार कैसे चलेगी? भारत में, अब हजारों और हजारों सहज योगी हैं और वे तेजी से प्रगति कर रहे हैं। अब पश्चिम में आपको सुनिश्चित करना होगा कि हम कैसे प्रगति करने जा रहे हैं और हम कैसे स्थापित होने जा रहे हैं।

पश्चिम में समय लगता है, निःसंदेह स्थापित होने में। हालांकि आत्मसाक्षात्कार अपेक्षाकृत शीघ्र है। भारतीयों को मिलता है, जैसा कि मैं हमेशा कहती हूं, कि उन्हें तोड़ना मुश्किल है। अन्य यूरोपीय लोगों की तुलना में अंग्रेज भी ऐसे ही हैं। लेकिन जिन्हें बोध हो जाता है वो  कभी-कभी बहुत तेजी से नीचे भी जाते हैं,लेकिन अंग्रेज एक बार मिल जाने पर अपने ‘दिमाग’ में ठीक से बैठा लेते हैं, अच्छे होते हैं। परंपरा के बारे में शायद कुछ है। लेकिन फिर भी अपना आत्मसाक्षात्कार पाने में ज्यादा समय न लें। आपको अपनी प्राप्ति के लिए इतना अधिक समय क्यों लगना चाहिए? आप बस इसकी इच्छा रखते हैं और इसे कार्यान्वित होना चाहिए। यह केवल आपकी इच्छा ही है जो इसे जगाने वाली है। इसे अपने दिल से चाहो, ऊपरी तौर से नहीं।

साधक बनना आजकल एक फैशन हो गया है। नहीं, यह एक तीव्र इच्छा है! आप इसके बिना नहीं रह सकते। आपको इसका पता लगाना होगा। तुम कुछ और कोशिश करो। लोग आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि वे अपने स्वयं के अर्थ का पता नहीं लगा पाए हैं। और इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप सहज योग को केवल शॉपिंग सेंटर की तरह नहीं, गुरु शॉपिंग की तरह नहीं लें, बल्कि बहुत गंभीरता से लें, क्योंकि आपके अर्थ का पता लगाया जाना है। बल्कि आपके उद्देश्य और फिर आपके उद्देश्य की अभिव्यक्ति, वह होना ही है।

मेरे विचार से पश्चिम में सहज योग ने तीन चरणों में काम करना शुरू किया। सबसे पहले, लोगों को यह एहसास हुआ कि उनके साथ गलत है, जहां उन्हें कुछ गलत हुआ है? चित्त अंदर की तरफ खींचा गया जिससे वे देख सकें कि उन्हें समस्या है। अगर आपको अपनी परेशानी नजर नहीं आती और कोई दूसरा कहता है कि आपको परेशानी है तो आप उस व्यक्ति को बहुत बुरी तरह से मारेंगे। बेहतर होगा कि आप खुद देखें कि कोई समस्या है। एक बार जब आप अपने भीतर उस समस्या को देखेंगे तो आप यह सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक होंगे कि आपको इससे छुटकारा मिल जाए। लेकिन अगर आप अपनी समस्या नहीं देख पाते हैं तो आपको लगता है कि आप बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं और आप बहुत महान हैं और आप बिल्कुल ठीक हैं। या फिर अगर आप कुछ दोष देखते भी हैं क्योंकि कुछ लोग लिखते हैं कि, “यह गलत है, वह गलत है”, तो आप दोषीभाव से ग्रसित हो जाते हैं। दोनों ही रास्ते गलत हैं, क्योंकि एक तरफ तुम अहंकार की तरफ जाते हो, दूसरी तरफ तुम प्रति-अहंकार की तरफ जाते हो।

तो जाग्रति के द्वारा आप स्वयं को देखना शुरू करते हैं कि आप किस तरफ स्थित हैं, समस्या क्या है। आप खुद को आंकने लगते हैं। आकलन की शुरुआत खुद से शुरू होती है, “श्रीमान अमूक खुद का आकलन करिए।

यहाँ तुम दर्पण हो। अब देखो! जो है सो ऐसा ही है”। इसलिए, आप स्वयं को आंकते हैं और आप इससे छुटकारा पाना चाहते हैं, आप इसे अपने भीतर और नहीं चाहते हैं।

फिर दूसरी मुसीबत तब शुरू होती है जब आप दूसरों को आंकने लगते हैं। पहले तुम दूसरों का आकलन करते हो, तुम भयभीत हो जाते हो, “हे भगवान! भयानक वायब्रेशन, भागो। हम पकड़े जाएंगे! ” धीरे-धीरे, आप प्रतिरक्षित immune हो जाते हैं कि, “आह, हम इस प्रकार को जानते हैं, हम उस प्रकार को जानते हैं, हम उस प्रकार को जानते हैं, हम जानते हैं कि, इन सभी प्रकारों को हम जानते हैं”। तब तुम किसी की निंदा नहीं करते, लेकिन तुम प्रेम करते हो और उस प्रेम में तुम आकलन करते हो। क्योंकि आप चाहते हैं कि दूसरों को उनकी समस्याओं से छुटकारा मिले, आप मदद करते हैं, शुरू में आप उनकी समस्याओं को साझा करते हैं। और दूसरों को आत्मसाक्षात्कार देने का आनंद आप में काम करने लगता है।

अब समस्या तब शुरू होती है जब आप अपने चारों ओर देखते हैं, मैं पश्चिमी समाज की बात कर रही हूं। आप पाते हैं कि आपका समाज संकट में है। समस्या क्या है? समाज संकट में क्यों है? क्या हुआ है? आपने कौन सी मूल बातें खो दी हैं? मनुष्य के पोषण का कौन-सा भाग नष्ट हो गया है? क्यों? क्यों? तो, आप अपनी विवाह संस्था के बारे में, एक दूसरे के साथ अपने संबंधों के बारे में पाते हैं। इसको सुलझाना होगा। इससे आपको आनंद, वास्तविक आनंद, साहचर्य और प्रेम प्राप्त होना है।

और तीसरे चरण में, वे महान आत्मा जो इस पृथ्वी पर जन्म लेने की कोशिश कर रहे हैं, उनमें से कई। वे आस-पास ही हैं, बस यहीं, देख रहे हैं। उन्हें पैदा होना है। आपको उन बच्चों के माता-पिता बनना है। वे इन सभी शैतानी ताकतों को नष्ट करने जा रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि ये शैतान कैसे हैं और उन्हें कैसे नष्ट किया जाना है। वे विशेषज्ञ हैं। मैंने उनमें से बहुतों को देखा है और आपने भी देखा है। वे जानते हैं कि कुंडलिनी क्या है, वे जानते हैं कि इसे कैसे उठाना है और वे जानते हैं कि इन सभी लोगों को कैसे विस्फोट करना है। और फिर साक्षात्कारी आत्माओं का पूरा समाज इस मानवता को बाहर निकालने वाला है। सभी को सहज योग में लाने की आवश्यकता नहीं है। उन सभी को बाहर निकाला जाएगा। हमारे भीतर पर्याप्त खींचने वाली शक्ति होनी चाहिए।

तो जो लोग मेरे पास पहले आते हैं उन पर उन लोगों की तुलना में अधिक जिम्मेदारी होती है जो बहुत बाद में आएंगे, मान लीजिए दस साल बाद। वे बस इसमें कूद रहे होंगे। आप वही हैं जो ऐसा करने जा रहे हैं। इसलिए, अपने आत्मसम्मान को आंकें और किसी भी चीज के लिए खुद की निंदा करने की कोशिश न करें। सहज योग में इसकी मनाही है, आप जानते हैं। तुम सब संत हो। यहाँ कितने संत बैठे हैं। कल्पना करें! देवता गा रहे हैं, देवदूत आप पर अपना सारा आनंद बरसा रहे हैं। कितनी अद्भुत बैठक है!  क्या जबरदस्त है!

इस बैठक की शुभता न केवल इंग्लैंड में, न केवल यूरोप बल्कि पूरे ब्रह्मांड में काम करती है। लेकिन इसे अभिव्यक्त करने वाली चैनलों को पर्याप्त मजबूत होना चाहिए। इसलिए आज मैंने कहा, “मुझे सचमुच कुछ गंभीर कहना है”।

27 तारीख को हम एक बड़ी पूजा करने जा रहे हैं, आप जानते हैं कि (गुरु पूजा, 1980-07-27) और मैं चाहती हूं कि आज जो मैंने कहा है उस पर आप विचार करें। और मैं चाहती हूं कि आप भी अपने भीतर घोषणा करें कि आप इस महायोग को इस पृथ्वी पर स्थापित करेंगे, कि आप इस पृथ्वी पर इस स्वर्ण युग का आशीर्वाद लाएंगे, जो इसके लिए बनाया गया था। पूरी सृष्टि अपना अर्थ खोज लेगी।

परमात्मा आप पर कृपा करे।

मैं आपसे विनती करूंगी कि आप अपने हाथ मेरी ओर ऐसे ही रखें – ठीक वैसे ही। तब चैतन्य बहुत तेज होते हैं। ऐसे में बोध प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

अपनी आँखें बंद करें। जहां तक ​​हो सके अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखें। यह बेहतर है।