Mahalakshmi Puja: The Importance of Puja

Madrid (Spain)

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महालक्ष्मी पूजा, पूजा का महत्व,
मैड्रिड (स्पेन), 24 मई 1986।

[श्री माताजी उस कमरे में पहुँचते हैं जहाँ पूजा होगी। योगी सहस्रार मंत्रों का पाठ करते हैं]

कृपया बैठ जाएँ।

आज मैं आपको बताऊंगी पूजा का महत्व। [स्पेनिश अनुवादक के लिए: “आप इसे ले सकते हैं” (माइक्रोफ़ोन)]

शुरुआती ईसाइयों में भी, वे मूर्तियों की पूजा करते थे, हो सकता है, या शायद तस्वीरें, या, हम कह सकते हैं, माता और मसीह की चित्रीत की हुई ग्लास प्रतियां।

लेकिन बाद में लोग ज्यादा समझदार होने लगे और वे समझ नहीं पाये कि पूजा का महत्व क्या है। और जब वे इसे समझा नहीं सके, तो उन्होंने उस नियमित तरीके से पूजा करना छोड़ दिया।

ईसा से पहले भी, उनके पास एक विशेष प्रकार का तम्बू हुआ करता था, जिसे मापा जाता था और विशेष रूप से बनाया जाता था और याहोवा की पूजा के लिए एक पूजा स्थान बनाया जाता था – जिसे वे याहोवा कहते हैं उसकी पूजा करने के लिए।

अब हमारे सहज योग में यह यहोवा सदाशिव है, और माता मरियम महालक्ष्मी हैं। वह पहले भी अवतार लेती थी। उन्होंने सीता के रूप में अवतार लिया, और फिर उन्होंने राधा के रूप में अवतार लिया, और फिर उन्होंने मदर मैरी के रूप में अवतार लिया।

अब देवी महात्म्यं नामक पुस्तक में ईसा के जन्म के बारे में स्पष्ट लिखा है।

वे राधा के पुत्र थे। राधा महालक्ष्मी हैं, इसलिए उनका जन्म दूसरी अवस्था में हुआ, एक अंडे के रूप में, और आधा अंडा श्री गणेश के रूप में रहा और आधा हिस्सा महाविष्णु बन गया, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह हैं।

उस महाविष्णु के वर्णन में जीसस क्राइस्ट के बारे में सारा विवरण दिया गया है, बिल्कुल वैसा ही।

अब यह महालक्ष्मी इस धरती पर आई और उसने अपने बच्चे को बेदाग गर्भाधान के साथ जन्म दिया, ऐसा ही उसने पहले भी राधा के रूप में किया था। तो, क्राइस्ट महान अस्तित्व विराट के पुत्र हैं।

असल में विष्णु, महाविष्णु, विष्णु विराट बनते हैं। अब यह विष्णु तत्त्व विराट हो जाता है और वह राम और कृष्ण भी बन जाता है और फिर विराट अर्थात् अकबर।

तो क्राइस्ट ही ओंकार है, चैतन्य ही है। अन्य सभी अवतारों को अपने शरीर को बनाने के लिए धरती माता का तत्व या सार लेना पड़ा, केवल मसीह के शरीर को छोड़कर, जो कि पुर्णतया ओमकार है।

और उस अस्तित्व का पृथ्वी तत्व श्री गणेश है। तो हम कह सकते हैं कि क्राइस्ट काअवतार श्री गणेश की शक्ति है।

तो वह – यही कारण है कि वह पानी पर चल सके। तो वह देवत्व का शुद्धतम रूप है, क्योंकि वह केवल चैतन्य मात्र है।

इसलिए जब आप मेरी पूजा करते हैं, चुंकि मैं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हूं, तो कुछ भी असत्य नहीं है।

यदि उन्होंने मसीह की पूजा की होती – तो अवश्य ही, उन्होंने मसीह की भी पूजा की होगी जब वे जीवित थे और उनकी माता की भी।

दस आज्ञाओं में ऐसा कहा जाता है कि,जो कुछ भी आकाश और पृथ्वी द्वारा निर्मित है, उसे फिर से बनाया और पुन: उत्पन्न नहीं किया जाना चाहिए और ना ही उसकी पूजा की जानी चाहिए।

तो अवतार स्वर्ग द्वारा बनाए गए हैं।

केवल आधुनिक समय में ही अवतार की तस्वीर लेना संभव है। लेकिन पहले के दिनों में इसकी कोई संभावना नहीं थी।

अब धरती माता ने जो कुछ भी बनाया है, वह धरती माता से निकला है, जो स्वयंभू है, धरती माता ने बनाया है।

अब हमारे पास हर जगह है, हमें स्वयंभू चीजें मिलती हैं। दूसरी बात यह है कि कुछ सिद्ध आत्माओं ने भी सुन्दर मूर्तियाँ बनाई हैं।

मैं पुर्तगाल गयी और उन्होंने लेडी ऑफ द रॉक्स का त्योहार मनाया।

तो मैं उस जगह को देखने गयी और इस लघुआयाम की एक बहुत छोटी छोटी मूर्ति थी, मैरी की ऊंचाई, लगभग पांच इंच, अधिक से अधिक। और चेहरा बिल्कुल मेरा जैसा था [श्री माताजी हंसते हैं], बिल्कुल मेरे जैसा।

और उन्होंने बताया कि यह अचानक दो बच्चों को मिली जो एक खरगोश का पीछा कर रहे थे जो एक जगह के अंदर छिपा हुआ था।

तो इन बच्चों ने आला के अंदर कुछ प्रकाश देखा और वे एक चट्टान के नीचे पीछा करने लगे, और वे प्रकाश के स्रोत तक पहुँच गए, जो यह मूर्ति थी। वे इसे बाहर ले आए।

और उस रौशनी में वे चलते रहे, और जब बाहर के लोग, और बहुत से लोग इकट्ठे हुए, तो यह देखकर चकित हुए, कि वे उस मूर्ति को भीतर से कहीं बाहर ले आए हैं। इसलिए वे उस मूर्ति की उस स्थान पर पूजा करते हैं।

अब, ये मूर्तियाँ आपको वायब्रेशन देती हैं, जैसे मैं आपको वयब्रेशन देती हूँ, लेकिन उतना नहीं जितना मैं आपको देती हूँ। और अन्य सभी मूर्तियाँ भी, कई हो सकती हैं, जो शायद आपको वायब्रेशन दे रही हों।
भारत में भी, जैसा कि आप जानते हैं, आप में से कुछ लोग गणपतिपुले गए थे, जहां गणेश प्रकट हुए हैं – महागणेश, यानी क्राइस्ट – धरती माता, से महागणेश निकले हैं।

तो तुम वहाँ शरीर का निचला भाग देखते हो, और सिर पूरा पहाड़ है। और वहाँ समुद्र का पानी भी मीठा है, और वहाँ मीठे पानी के बहुत से कुएँ हैं।

अगर आपको याद हो तो वहां मेरा एक फोटो खींचा गया था, कई लोगों ने फोटो खिंचे थे। और कुछ तस्वीरों में, मेरे ह्रदय में एक रोशनी निकल रही है।

और कुछ ने मुझे बताया कि कुछ तस्वीरें जिनमें प्रकाश नहीं था, लेकिन जब उन्होंने फिर से लिया, तो मेरा मतलब है कि निगेटिव को फिर से एक तस्वीर के रूप में लिया गया, और फिर उन्होंने उसी के साथ एक तस्वीर ली, फिर वहां रोशनी आई।

तो, किसी को पता होना चाहिए कि ईश्वर के दायरे में सभी प्रकार की चमत्कारी चीजें हैं।

ऐसे ही पूजा है।

अब जब हम पूजा करेंगे तो सबसे पहले आप श्री गणेश की स्तुति करेंगे।

इससे आप में श्रीगणेश जाग्रत और स्थापित होंगे। मुझे श्री गणेश के रूप में पूजने से आपकी निर्दोषता स्थापित हो जाएगी। और आप देखेंगे, वायब्रेशन के अनुसार भी, आपके चैतन्य में वृद्धि होगी और आप अपने भीतर बहुत स्थिर महसूस करेंगे।

अब जब आप श्री गणेश का नाम लेंगे तो आपको पता चलेगा कि उनमें कौन से गुण हैं, वे आपको कौन सी शक्तियाँ देते हैं।

जब आप उन गुणों की स्तुति करेंगे तो उन गुणों की शक्तियाँ आपके माध्यम से अभिव्यक्त होने लगेंगी।

इस तरह से परमात्मा काम करते हैं, जैसे कि आप उन गुणों से उर्जावान हो जाते हैं।

तब आप देवी, आदि शक्ति की स्तुति करते हैं। अब आदि शक्ति के भीतर सभी सात चक्र जागृत हैं, और उसे इन सभी सात चक्रों के साथ काम करना है। ऐसा अवतार पहली बार आया है।

यह ऐसा है जैसे आप पहले एक कमरा, फिर दूसरा कमरा, फिर तीसरा कमरा, सात कमरे और फिर पूरा घर बना लेते हैं, आपको चाबी मिलती है और आप खोलते हैं, घर आपका है।

इस तरह मैं सामूहिक रूप से आत्म-साक्षात्कार देने की उपलब्धि प्राप्त कर सकती थी। यह पहले नही हो सका था, लेकिन अब, सभी सात चक्रों के इस संयोजन के कारण संभव है।

तो अब जब आप आदि शक्ति की स्तुति कर रहे हैं, मैं भी एक महामाया हूं, कि मैं आपके जैसी दिखती हूं, मैं आपके जैसा व्यवहार करती हूं, मैंने अपने आप को बिल्कुल आपके जैसा बनाया है – बनाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मेने किया है [श्री माताजी हंसते हैं]।

और आपको सहज योग और अपनी शक्तियों को समझाने के लिए मेरे इस शरीर को बहुत सी चीजें सहन करनी पड़ती हैं।

उदाहरण के लिए, आप हैं – यदि आप मेरे प्रति असभ्य हैं, यदि आप सम्मानजनक नहीं हैं, तो मसीह बहुत क्रोधित हो जाते हैं क्योंकि उन्होंने कहा है कि पवित्र आत्मा के खिलाफ कुछ भी, वह बर्दाश्त नहीं करेंगे।

तो मेरा चक्र, आज्ञा शुरू हो जाता है, आप देखते हैं, क्रोध फेंकते हुए [श्री माताजी हंसते हैं], और बहुत तेजी से आगे बढ़ते हैं [श्री माताजी अपने आज्ञा चक्र के चारों ओर तेजी से अपना हाथ घुमाती हैं]। अब मुझे इसे सहना पडेगा। मैं आपको उस तरह से नहीं बता सकती जैसा कि मसीह चाहते हैं कि मैं आपको बता दूं [श्री माताजी हंसते हैं]।

क्योंकि वे बहुत एक तरफा हैं, और मुझे थोड़ा सा सावधान रहना होगा ताकि आप परेशान न हों।

इसके अलावा, पूजा करते समय, माना कि, आप एक शंकालु प्रकार हैं, या आप इसका विरोध कर रहे हैं, तो आप चैतन्य को अवशोषित नहीं कर पाते हैं और मुझे समस्या होती है, क्योंकि वायब्रेशन बह रहे हैं और आप इसे प्राप्त नहीं कर रहे हैं।

तो, मुझे नहीं पता कि अगर आप चैतन्य को नहीं शोषित करते हैं तो मैं उन्हेअपने भीतर कैसे समा सकती हूं, इसलिए मैं उन्हें उत्सर्जित करने मे समय निकालती हूं।

तो ये सब बातें बहुत प्रतीकात्मक हैं, हम जो कुछ भी कर रहे हैं वह बहुत प्रतीकात्मक है। और वह प्रतीक वास्तव में कार्य करता है।

उदाहरण के लिए यदि आप किसी को एक फूल देते हैं, तो वह व्यक्ति महसूस करता है, वह व्यक्ति अत्यंत हर्षित और प्रसन्न होता है, और कृतज्ञता आती है।

तो जब आप मुझे भेंट करते हैं, फूल या पानी या कुछ भी कुछ भी चढ़ाते हैं, तो तत्व खुश होते हैं और चक्रों में देवता खुश होते हैं। और फिर वे आप पर अपनी गुणवत्ता और अपने आशीर्वाद के चैतन्य का उत्सर्जन करते हैं। वे आपको अपनी गुणवत्ता और अपना आशीर्वाद देते हैं।

इस प्रकार परमात्मा कार्य करते है। और धीरे-धीरे पूजा के बाद आपको लगेगा कि सब कुछ ठीक हो रहा है।

अब हम इस समय पूजा कर रहे हैं, और पूरी दुनिया में लोग जानते हैं कि यहां पूजा चल रही है, इसलिए वे भी ध्यान में बैठे हैं और उन्हें भीआशीर्वाद मिलता है।

[जब योगी अनुवाद करते हैं, श्री माताजी एक तरफ किसी से कहते हैं: “चैतन्य”]

वे भी इस पल का इंतजार कर रहे हैं कि जब पूजा शुरू होगी। तो हम उन्हें ग्यारह बजे जैसा समय देते हैं, ग्यारह बजे तक हमें बैठना चाहिए और वे ग्यारह बजे शुरू करे।

अब उन्हें वही आशीर्वाद मिल रहा है, भले ही पूजा आप कर रहे हों लेकिन उनके ध्यान में उन्हें भी आशीर्वाद मिलता है।

यदि आप अभी तक इतने निपुण नहीं हैं और यदि आप पूजा में महत्वपूर्ण सभी कुछ चीजें नहीं जानते हैं, तो कोई बात नहीं। क्योंकि अगर आप इसके बारे में अनभिज्ञ हैं, इसके बारे में अनजान हैं, तो परमात्मा जानते है, वह माफ कर देते है, उन्हे कोई आपत्ति नहीं है। यदि आप कोई गलती या कुछ भी करते हैं तो आपको कोई मन पर नही लेना चाहिये: केवल विनम्र हृदय से, जैसा आप चाहते हैं वैसा ही करें। धीरे-धीरे आप सीखेंगे।

लेकिन अगर आप जानते हैं और फिर आप जानबूझकर गलती करते हैं, तो यह ठीक नहीं है।

जैसे हम अपने बच्चों को क्षमा करते हैं, वैसे ही ईश्वर भी निर्दोष बच्चों को क्षमा करते हैं। तो आपको इसके बारे में बहुत आराम से रहना चाहिए। और बस इसे अपने ह्रदय के आनंद के लिए करें।

परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करे।
मुझे लगता है – उसे गोद में बैठना मुश्किल लगता है। वह चाहे तो पीछे बैठ सकते है, यह सज्जन। यह छोटा लड़का उनके ठीक से बैठने के लिहाज़ से कुछ ज्यादा ही है [उस] – आप आराम से बैठ सकते हैं, आराम से रह सकते हैं, बुरा महसूस करने जैसा कुछ भी नहीं है।

अब उन्हें पैर धोना है।

योगी: हाँ।

श्री माताजी : बच्चों को पैर धोना है और हम उस समय श्री गणेश का गुणगान करेंगे।

योगी: हाँ। स्पेनिश में, माँ?

श्री माताजी: स्पेनिश में।

योगी हाँ।

योगी 2: ठीक है। पुजारी?

श्री माताजी : अब देखिए श्री गणेश का वर्णन जो हजारों वर्ष पूर्व लिखा गया था। इसका अनुवाद किया गया है और बिल्कुल मसीह के समान है। हमने अंत में इसमें मसीह के बारे में थोडा बहुत जोड़ा है, लेकिन यह वही है।

पहले लड़कों को धोना चाहिए और लड़कियों को पेंट करना चाहिए।

योगी : ठीक है।

श्री माताजी : तो वह- वे अविवाहित लड़कियाँ हैं। अविवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां इसे करें, पेंट करें।

पहले उन्हें धो लें। पहले लड़कों को धोने दो – बस बताओ, पहले लड़कों को धोने दो, और फिर अविवाहित महिलाओं, अविवाहित लड़कियों को पेंट करना चाहिए, और फिर विवाहित महिलाओं को आभूषण देना चाहिए।

अब, क्या आप इसे यहां से ला सकते हैं…

वॉरेन: वह बच्चों को धोने के लिए धोने में मदद करने जा रही है।

श्री माताजी : ठीक है। तो क्या अब तुम आभूषण भी प्राप्त कर सकते हो?

तो पहले तुम पानी इकट्ठा करो, अब यह [पैरों से पानी का पात्र] यहाँ लाया जाना है। हाँ। क्या मुझे यह कुमकुम मिल सकती है?

उस पर स्वास्तिक बनाना चाहिए। स्वास्तिक बनाना चाहिए।

फिर अन्य चीजें भी, मेरे हार और वह सब। नहीं, नहीं, चूड़ियाँ हैं – और हार मैंने तुम्हें दिए [एक महिला पानी के कंटेनर पर स्वस्तिक का निशान लगाती है]। हाँ।

बस सही, सही, सही। यह इसके विपरीत है। हाँ। नहीं, ऐसा नहीं। एक बार यह बन जाने के बाद, बस इसे जाने दें।

योगिनी: क्षमा करें।

श्री माताजी : तुम एक कपड़ा लो। और चूड़ियाँ हैं?

योगी: हाँ, श्री माताजी।

श्री माताजी : हाँ, हाँ, ऐसा ही होता है। अगर आप इसे मिटा सकते हैं, तो यह ठीक है। आप बस हाँ कर सकते हैं, इसे मिटा दें, मैं आपको बताती हूँ (स्वस्तिक को सही तरीके से कैसे ट्रेस करें। लेडी सही स्वस्तिक बनाती है)। ठीक है।

यह सही स्वस्तिक था। और दूसरा ढ्न्ग है हिटलर का स्वस्तिक। (श्री माताजी हंसते हुए)

क्या मुझे तौलिया मिल सकता है? मेरे पास तौलिया होगा। [वॉरेन: “हाँ”। योगी: “यह वही है, माँ” वारेन (एक तरफ): “क्या उसने रूप का सम्मान किया?”। योगी: “यह वही है”।]

आप इसे एक प्लेट में रख सकते हैं.

वारेन: हाँ, मैं अभी लेने जा रहा हूँ, माँ, मैं एक और प्लेट लाती हूँ।

श्री माताजी: और चूड़ियाँ?

वॉरेन: हाँ।

श्री माताजी: बस मुझे वह दे दो, अल्बर्ट। यह क्या है, ये चूड़ियाँ दे रहे हो?

वॉरेन: क्या यह वही है जो…

श्री माताजी: यह क्या है?

वारेन: हाँ, वही किया कि स्वस्तिक वही है, जो हिटलर ने इस्तेमाल किया था, उसने बस उसे साइड में कर दिया।

श्री माताजी : नहीं, नहीं। आप देखिए, शुरुआत में क्या हुआ था वह दूसरे तरीके से इस्तेमाल कर रहा था। फिर क्या हुआ, उन्होंने इस्तेमाल किया – यह तुम्हारी माँ की चाल है – उन्होंने स्टैंसिल को दूसरी तरफ से इस्तेमाल किया, तो बात, स्वस्तिक, पलट गयाऔर वे हार गए। आप यह नहीं जानते?

शुरूआत में, उन्होंने एक उल्टा काम शुरू किया, आप देखते हैं, दूसरा, शुरू करने के लिए। वे दूसरे रास्ते का इस्तेमाल करने लगे। लेकिन तब स्टैंसिल का इस्तेमाल दूसरे तरीके से किया जाता था। आप समझ सकते हैं? (श्री माताजी हंसते हैं)। तुम्हें पता है, पूरी बात ही बदल गई और वे इसी पर कायम रहे। इस तरह वे हार गए। आप यह नहीं जानते?

योगी: नहीं।

श्री माताजी : बस उसे बताओ, मैंने यही चाल चली है। [योगी: “उन्होंने स्टैंसिल को गलत तरीके से बनाया था”] आप देखिये, दूसरी तरफ से, उन्होंने स्टैंसिल का इस्तेमाल किया।

[योगी: “हाँ। और इसलिए यह नतीज़ा इस तरह से निकला ”]
आप देखिए, पहले उन्होंने एक तरफ स्टैंसिल का इस्तेमाल करना शुरू किया, और फिर उन्होंने उसी का दूसरी तरफ से इस्तेमाल करना शुरू किया, और इस तरह वे हार गए।

योगी: और यह परिणाम इस तरह से निकला।

श्री माताजी: नहीं, नहीं, अगर आप इस तरह से एक स्टैंसिल बनाते हैं, तो आप देखिये, पहले यह दूसरी तरफ था, आप देखते हैं, और फिर अगर आप इसे दूसरी तरफ घुमाए, तो आप इस तरह से आते हैं, यह इस तरह से आता है .

योगी: हाँ। शुरुआत में यह झंडे पर इस तरह था, माँ।

श्री माताजी : नहीं, यह दूसरा स्वस्तिक है।

पहला स्वस्तिक उल्टा था। इस तरह उन्हें यह मिला। आप देखिए, पहले स्वस्तिक बनाने के लिए उन्होंने स्टेंसिल का इस्तेमाल किया।

तो पहले वाला दूसरा ढ्न्ग का था। लेकिन तब स्टेंसिल खराब हो गए थे या हो सकता है कि जो कुछ भी हो, इसलिए उन्होंने इसे पलट दिया।

जब उन्होंने इसे घुमाया तो ऐसा स्वस्तिक आने लगा, पता ही नहीं चला। एक विनाश के लिए प्रस्तुत है, दूसरा निर्माण के लिए खड़ा है।

उन्हें समझाएं, तो वे समझ जाएंगे। ठीक है।

आप बात समझे हैं? (श्री माताजी हंसते हैं) [योगी: “हां, श्री माताजी”] इस तरह वे हार गए।

शुरुआत में उन्होंने लामाओं से सलाह ली, और लामाओं ने उन्हें स्वस्तिक का उपयोग दूसरे तरीके से करने के लिए कहा।

लेकिन फिर गलती यह थी कि उन्होंने उनके लिए चित्रित तो किया, और फिर उन लोगो ने स्टैंसिल को पलट दिया, उन्हें पता ही नहीं चला कि उन्होंने स्टैंसिल को घुमा दिया है, इसलिए यह दूसरी तरह से छ्प रहा है (श्री माताजी हंसते हैं)। वे उनके गुरु थे।

तो यह ठीक है, जब तक हम ठीक जानते हैं कि इसे कैसे करना है,कोई फर्क नहीं पड़ता, बस इतना ही। चिंता की कोई बात नहीं (श्री माताजी हंसते हैं)।

योगी: अब आपके पैर धोने का समय हो गया है, माँ?

श्री माताजी : अब तुम्हें मेरे पैर धोने हैं, बच्चों को। (एक सहज योगिनी सेअलग से: “सावधान रहें”)।

बस पानी डालना है, बस।

अगली बार यह भी याद रखना कि इसके लिए हमें मेरे पैर धोने के लिए बर्तन देने होंगे, ठीक है? उन को। वॉरेन? उन्हें नहीं मिला है।

योगी: हाँ, माँ, मैंने यह नोट कर लिया है।

श्री माताजी : इसे दोनों हाथों से मलें। ठीक है, यह और यह। हाँ। एक समय में दो व्यक्ति कर सकते हैं, आप में से दो [बेहतर] होंगे।

बेहतर होगा।

दो, दो, हे. अब तुम दोनों करो। दोनों हाथों से। दोनों हाथों से। उन्हें दोनों हाथों से ऐसा करने को कहें। इस हाथ का भी प्रयोग करें।

[श्री गणेश के गुणों के बारे में एक योगी स्पेनिश में बात करना शुरू करता है]

श्री माताजी : जोर से, मुझे सुनाई देना चाहिए।

[योगी स्पेनिश में “श्री गणेश की प्रार्थना का दिव्य सार” पढ़ना शुरू करते हैं]

श्री माताजी : अन्यथा, जेवियर को पढ़ने दीजिए। यदि वह चाहता है। जेवियर, आप इसे पढ़ सकते हैं। उनकी आवाज भी इतनी निची नहीं है। ठीक तो? वह जो कह रहे हैं, उसे सभी को सुनना चाहिए। या पढ़ लो…

(बच्चों के लिए) हाँ, अच्छा, अब तुम करो। अब। चलो, उन दोनों को।

अच्छा। ठीक है, अच्छा। उन्हें करने दो।

हाँ हाँ। मुझे एक तौलिया, तौलिया दो। तौलिया।

इसे पोंछें। हाँ, आप करते हैं। हाँ। थोडा ताकत से।

अब तुम करो… तुमने किया।

जेवियर (स्पेनिश में श्री गणेश की प्रार्थना से):

त्व्मेव ब्राह्मण, विष्णु, रुद्र…

श्री माताजी: सार। ब्रह्मा, विष्णु का सार – ब्रह्मा, विष्णु, महेश, रुद्र, श्री गणेश हैं। सार, शक्ति। मसीह है। सार। यीशु।

जेवियर (स्पेनिश में श्री गणेश की प्रार्थना से): … तू ईरेस इंद्र, अग्नि…

श्री माताजी : इंद्र… देवताओं के राजा, सभी देवताओं के देवता हैं। अग्नि फायर है।

जेवियर: … वायु…

श्री माताजी : वायु एयर है। सभी पांच तत्व, इसका अर्थ है सभी पांच तत्व। वायु का अर्थ एयर है, लेकिन अग्नि के साथ वायु…

जेवियर: इंद्र, वायु … तू एरेस एल सोल, सूर्य और चंद्रमा।

श्री माताजी : एक मिनट। आप साथ आएं – वे जो अभी तक विवाहित महिलाएं नहीं हैं। और लड़के वापस जा सकते हैं। आइए। सभी अविवाहित?

थोड़ा पानी डालें।

ठीक है। अधिक पानी, थोड़ा अधिक पानी। थोड़ा।

आप बाहर निकालते हैं…

ध्यान से। [अपने पैरों को कुमकुम से सजाने वाली महिला के लिए]।

[प्रार्थना के अंत में योगी श्री गणेश मंत्र का पाठ करते हैं]

परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।

अब। अगर हम शुरू करते हैं … [योगी: “देवी के 108 नाम?”] – एह? हम अभी शुरू कर सकते हैं देवी स्तोत्र ठीक है, क्योंकि उन्होंने देवी के साथ शुरुआत की है।

योगी : 108 नाम या…

श्री माताजी: इस तरफ भी। यहां।

अभी- इसके बाद विवाहित महिलाओं को आना है।

सिर्फ एक नाम कहते हैं, कहते हैं श्री माता, फिर अनुवाद कहते हैं।

[देवी के 108 नामों का पाठ शुरू होता है। एक भारतीय योगी “श्री माता” कहता है, और जेवियर स्पेनिश अनुवाद पढ़ता है।]

अब आपको सत्यापित करना चाहिये, आप देखिए, ये वे गुण हैं जो वे आपकी माता के बारे में बता रहे हैं।

अब आप प्रयास करें, इसे भी सत्यापित करने का प्रयास करें। और ये नाम भी हजारों साल पहले लिखे गए थे। ये हजार नाम हैं, हमने 108 को ही चुना है।

[पैरों की सजावट और नामों का पाठ जारी]

श्री माताजी (अपने दाहिने पैर को सजाने वाली महिला के लिए): हाँ। सब ठीक है।

फिर फिर।

योगी: निष्कला।
जेवियर: (स्पेनिश में अनुवाद) अविभाज्य, पूर्ण।

श्री माताजी: Nìsh-kalà (वह उच्चारण में उच्चारण सुधारती है)।

योगी: निष्कला।

श्री माताजी: (महिलाओं में से एक के लिए) पूर्ण। भरा हुआ। पूरा पैर का अंगूठा।

अब। अब शादीशुदा महिलाएं। अब विवाहित महिलाएं आएं- तब आप इसे शुरू कर सकते हैं।

चूड़ियाँ, क्या तुमने चूड़ियाँ लीं?

ऐसी कोई चूड़ियाँ नहीं हैं। माफ़ करना।

सब ठीक है। कोई फर्क नहीं पड़ता। अच्छा। ठीक है। इसे दूर रखें।

हाँ, हाँ, अब। हाँ हाँ। हाँ। अच्छा।

योगी: निरम्मा।

जेवियर: नो एस एगोइस्टा।

श्री माताजी: निर्वांणा। निर्वांणा।

योगी: निर्वांणा।

श्री माताजी: आईना आप [कर सकते हैं]। दर्पण। दर्पण आपके पास हो सकता है।

परिवार (श्री माताजी उनके हार को इंगित करते हैं)।

[योगिनी: “हां”]

(मंगल सूत्र लाने वाले युवा लड़के के लिए) इसे पकड़ो।

वह बहुत अच्छा है। यह सही है, अब यह सही है, यह सही है। इस तरह होना चाहिए।

शुक्रिया।

(उस महिला के अलावा जो पायल लगा रही है) दूसरी तरफ, दूसरी तरफ।

वॉरेन? वे यहां अन्य पैर की उंगलियों के लिए सभी (पैर के अंगूठे के छल्ले) गायब हैं। वे सभी फ्रांस में थे।

वारेन: वे फ्रांस में थे, माँ, लेकिन वे वापस लंदन चले गए…

श्री माताजी : ओह, मैं देखती हूँ। सब ठीक है, देखते हैं। हमें उनके लिए अलग से लेना होगा। प्रत्येक के लिए … (वॉरेन: “किसी कारण से उन्होंने उन्हें अलग से रखा …”) ठीक है, तो यह ठीक है।

हाँ। आप इसे देंगे। सही बात है।

योगी: साड़ी।

जेवियर: साड़ी।

योगिनी : साड़ी…

योगी: मैंने दे दिया।

श्री माताजी : बस रहने दो। बस इसे रख लो। तौलिया। अब। मैं पानी लूंगी। पीने के लिए पानी। पानी।

बस इतना ही। बस इतना ही। (महिलाओं ने श्री माताजी की गोद में तत्वों के लिए पात्र रखा)

इसे पकड़ो। इसे पकड़ो।

शहद।

अब मधु।

सब ठीक है। (फिर श्री माताजी के हाथ में दही दिया जाता है, फिर दूध)

चीनी चीनी। चीनी। पानी।

चीनी चीनी। चीनी चीनी।

पानी पानी। केसर, केसर है।

थोड़ा पानी।

अब। एक साफ … खुशबू। खुशबू।

खुशबू। स्वस्तिक पर। (एक महिला स्वस्तिक के पैरों पर और अपने बाएं हाथ पर और फिर दूसरी महिलाओं के हाथों पर सुगंध मलती है)। … हाँ हाँ। अत्तर।

उनके पास होगा … अच्छा। (एक लड़की के लिए) कृपया इसे ऐसे ही सभी के सामने रख दें। हाँ।

लड़की: सारी औरतें?

श्री माताजी : कलाई पर।

लड़की: सारी औरतें?

श्री माताजी: एह?

लड़की: सारी औरतें?

श्री माताजी : उन सभी को। मैंने उससे कहा कि उन सभी के लिए चंदन गंध लगाओ। [अस्पष्ट] [योगी: “हां”]

अब। आह, फूलों के साथ।

साड़ी, साड़ी। इसलिए…

वॉरेन? वॉरेन? इसके साथ कोई ब्लाउज नहीं है? आधा, आधा, आधा रख दें। [योगी: “एक ब्लाउज है”] एक ब्लाउज है, वह कहाँ है? मैरिक्रूज, मैरिक्रूज।

वहाँ, अच्छा… इसे वहीं रहने दो। हाँ, अच्छा, इसे वहीं रहने दो। उसे छोड़ने के लिए कहो। (श्री माताजी हंसते हुए)

अब। हर महिला को एक फल और चावल लेना होता है – हैलो? हर महिला को हाथ में एक फल और हाथ में एक फल और कुछ चावल लेकर यहां रखना होता है। देखिए, मैं इसे थोड़ा ही लूंगी।

कपड़ा कहाँ है? वहाँ एक कपड़ा है। इतना ही। अब आप उन्हें बताएं। हाथ में एक फल पकड़ने के लिए।

योगी : साड़ी से पहले माँ ?

श्री माताजी : नहीं, साड़ी ठीक है। इसे ऐसे ही रखें।

अब फल है। अब फल ले लो।
देखिए, कंफ्यूजन होगा, इसलिए एक-एक करके कहना है। इसे रखें। इसे रखें। [योगी: “साड़ी के बाद”] देखो, अक्षत ले लो।

हाँ। अब आप इसे पकड़ो। तुम साड़ी पकड़ो। इसे पकड़ो। उस तरह। हाँ। हाँ, एक तरफ से ले लो।

हाँ, उसके पास सब है… ठीक है, अब। अगर आप इसे हटा सकते हैं, तो हम फूलों के साथ आगे बढ़ सकते हैं।

बस इन्हें एक-एक करके हटा दें। यह खतरनाक है। बस उन (मोमबत्तियों) को हटा दें …

बेहतर होगा कि अब आपके पास साड़ी हो। लेकिन उनके पास हाथों के लिए कुछ है? हाथों के लिए फूल, कुछ उनके पास है? नहीं? बस फूल, उनसे पूछो, नहीं तो वे निराश हो सकते हैं, अगर उन्होंने बनाया है। फूलों का हार? [योगी: “बड़ी माला है”] ठीक है। अब। आप इसे लगाओ।

दुसरी तरफ से ।हाँ।

चारों ओर फूल रखो… और कुछ माला।

हाँ। बिल्कुल, जब आप ने समाप्त किया (श्री माताजी का अर्थ है कि देवी के 108 नामों का पाठ ठीक उसी समय समाप्त हुआ जब उनके चारों ओर साड़ी लपेटकर सजावट समाप्त हो गई)।

हाँ। अब माला डालनी है। ओह, तुम्हें वह मिल गयी? हाँ, मैंने यही पूछा है। यह खूबसूरत है। तो मैं पहले माला पहनूंगी और फिर… ठीक है।

[माला अर्पित की जाती है, तालियां]

(मुकुट) इसे और बाँधो। सख्त, अभी भी।

अब, अभी भी सख्त। कड़ा होना चाहिए।

जैसा है वैसा ही कड़ा होना चाहिए। सब ठीक है? अब मैं लुंगी।

कुछ तस्वीरें, अगर कुछ लोग लेना चाहते हैं?

कपड़ा वहाँ, कोने में। इसे साफ-सुथरा बनाएं, ताकि पूरी चीज सामने आए, और अब आप रोशनी और सब कुछ डाल सकते हैं, ताकि आपको पूजा की पूरी तस्वीर मिल जाए – उस तौलिया को हटा दें और बनाएं… [योगी “कुंडलिनी” गाना शुरू करते हैं]

वॉरेन: सब एक साथ।

श्री माताजी: अब, क्या आप इसे थोड़ा साफ-सुथरा कर सकते हैं और फिर हम आरती करेंगे।

वहां क्या है?

[श्री माताजी को प्रसाद चढ़ाया जाता है]

सहज योगी 1: धन्यवाद, श्री माताजी।

सहज योगी 2: आरती।

[शंख बजाया जाता है, फिर आरती गाई जाती है। महामंत्रों का गायन होता है।]

योगी : बोलो श्री भगवती माताजी श्री निर्मला देवी की!

योगी : जय !

श्री माताजी : ईश्वर आप सबका भला करे।

ईश्वरआप सबको आशीर्वाद दें।

ईश्वरआप सबको आशीर्वाद दें।

ईश्वरआपका भला करे।

यह बहुत अच्छा है, सभी की कुंडलिनी बहुत अच्छी है।

ईश्वरआपका भला करे।

अच्छी बात है।

ईश्वर आपका भला करे।

विशुद्धि को छोड़कर अन्य सभी चक्र ठीक हैं – जिसके लिए आपको अल्लाह हू अकबर कहना होगा। अब कहो, सोलह बार।

योगी : सोलह बार।

वारेन: हमें खड़ा होना चाहिए।

श्री माताजी : सोलह बार विशुद्धि खोलने के लिए।

[योगी कहते हैं अल्लाह हू अकबर। बाद में श्री माताजी चैतन्य महसूस करने के लिए अपने हाथ खोलती हैं]

ठीक है। अच्छा।

अपने आप को एक बंधन दें। [श्री माताजी इसे स्वयं दिखाते हैं] एक। धीरे से। दो। तीन। चार।

पाँच। छह। और सात।

अब अपनी कुंडलिनी को ऊपर उठाएं। इसे बांधो। एक। फिर से। इसे बांधो। फिर से। अब इसे तीन बार बांध लें। इसे अपने सिर के ऊपर ठीक करें।

एक दो तीन।

बहुत स्पष्ट, आज यह बहुत स्पष्ट है। आह! क्या आप देख सकते हैं? क्या अनुभुति है? [श्री माताजी हंसते हैं] ठीक है।

ईश्वर आपका भला करे।

वारेन, मैं कमरे में अपने पैर धो सकता हूँ या नहीं?

आपको इन चीजों को यहां से निकालना है। (वॉरेन: “द लेडीज़”)।

या हम कमरे में जाकर उसे निकाल सकते हैं। सब ठीक है। (योगी: “ठीक है”)

… हाँ। [एक महिला गहने निकालने के लिए अपने पैरों पर जाती है]

वारेन: यह सोने पर चैतन्य है।

श्री माताजी : आह! यह था – क्या वे अंग्रेजों द्वारा दिए गए हैं, मुझे लगता है। ठीक है, हाँ। [वॉरेन: “हां”]

पहले करीब से देख लो, फिर अच्छा हो जाएगा। इसे करीब लाओ (स्पष्ट रूप से श्रव्य नहीं)…

वॉरेन: इसे करीब ले जाओ।

अन्य सहज योगी: माँ, हमारे पास कुछ उपहार हैं।

श्री माताजी : भेंट? (श्री माताजी मुस्कुराते हुए) ओह, क्या आपने?

सहज योगी: क्या मैं ला सकता हूँ?

श्री माताजी : ठीक है। लेकिन बहुत अधिक नहीं, आपने आज मुझे वे उपहार दिए हैं। वॉरेन? यह भी जाता है … अब, धन्यवाद। जबकि यह है, यह मेरा है, और यह है – या आप इसे अपने बैग (हार) में रख सकते हैं। [योगी: “क्या मैं मदद कर सकता हूँ, माँ?”] यह भी (कंगन)।

सब ठीक है। कृपया बैठ जाएँ।

[एक पैकेट लाया जाता है। योगी: “यह स्पेनिश लोगों, का सामूहिक उपहार है”श्री माताजी ।]

श्री माताजी : कहाँ से ?

सहज योगी: सामूहिक उपस्थिति।

स्पेनिश से श्री माताजी? [योगी: “हाँ”।]

आपका बहुत बहुत धन्यवाद। [योगी: “क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं, श्री माताजी?”।] सुंदर गुलाब (पैकेट पर सजावट) आपने बनाया है।

सहज योगी : हाँ, हाँ, हाँ, सजावट। क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ, श्री माताजी?

श्री माताजी: हाँ, मैं इसमें बहुत अच्छी नहीं हूँ, धन्यवाद (श्री माताजी हंसते हैं)। केवल, मैं केवल कुण्डलिनी ही खोल सकती हूँ (श्री माताजी हँसती हैं, हँसती हैं)।

यह सुंदर है, यह टोलेडो का काम है, हाँ! सुन्दर सुन्दर।

चक्र है, इसे तुम उड़ते हुए पक्षी कहते हो, जैसे होली होली घोस्ट(पवित्रआत्मा)।

बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत सुन्दर, बहुत सुन्दर। आपको इसे यहां (तस्वीर के पीछे) लिखना होगा,स्पेनिश लोगों से प्राप्त। और तारीख, क्योंकि आप जानते हैं, इतने सारे उपहार, और वे सभी व्यक्तिगत अभिलेखागार में जा रहे हैं (श्री माताजी हंसते हैं)। हाँ इसलिए। तो संतान देख सके कि तुम लोगों ने माता को क्या दिया है।

बहुत बहुत धन्यवाद। तो, अब उनकी सगाई की घोषणा की जाती है और वे दोनों गणपतिपुले में शादी करेंगे। फर्नांडो…

[तालियाँ]

(श्री माताजी वर्तमान के साथ का पत्र पढ़ती हैं)

परमात्मा आपका भला करे।
इसे लो। मैंने कोशिश की है (पैकेज खोलें, जिसमें एक रंगीन प्रिज्म है)

ओह सुंदर, यह बहुत सुंदर है। अच्छा है, है ना? सुंदर।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, धन्यवाद। मुझे आशा है कि आपने अपना नाम वहां कहीं लिखा होगा। बॉक्स के अंदर, बॉक्स के अंदर, आप दोनों हो सकते हैं। आपको मुझे शादी के बाद उपहार देना चाहिए था, पहले नहीं (श्री माताजी हंसते हैं, हँसते हैं)। जैसा है, वैसा है।

मैं उन लोगों की सूची जानना चाहती हूं जो शादी करना चाहते हैं और उनकी तस्वीरें – एक अच्छा विचार होगा यदि आप इसे हमारे भारत जाने से पहले भेज सकते हैं।

मेरा मतलब है, हमारे पास एक फॉर्म है, और आप इंग्लैंड से वे फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं, और उन्हें एक तस्वीर के साथ भरना है, ताकि हमें खुद इसे देखने के लिए कुछ समय मिल सके, क्योंकि दुनिया भर से – ऊंचाई देखें, और योग्यता भी, और रुचि और सब कुछ। ताकि हम बेहतर मैच कर सकें। ठीक है। शुक्रिया।

[श्री माताजी नमस्ते करती हैं] बहुत अच्छी पूजा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। परमात्मा आप सबको आशीर्वाद दें। आपने सहज योग के लिए जो कुछ किया है, और वह सब जो आपने मेरी देखभाल के लिए किया है, उसके लिए धन्यवाद। थोड़ा अनुवाद। और मेरी देखभाल करने के लिए।

ईश्वर आपका भला करे।

अब नए लोगों की देखभाल सावधानी से करें। यह बहुत नाजुक है, देखभाल के साथ।

पहले उन्हें अपने प्यार का एहसास कराएं। फिर तुम्हारा ज्ञान।

ईश्वर आपका भला करे।

[श्री माताजी नमस्ते करते हैं फिर बाहर जाने के लिए खड़े होते हैं] बहुत अच्छी पूजा आज, बहुत अच्छी पूजा मुझे कहना चाहिए, बहुत अच्छा।

[स्पेनिश सहज योगी स्पेनिश में एक गाना गाते हैं]

श्री माताजी : सुंदर। ईश्वर आपका भला करे। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

[श्री माताजी यह कहते हुए हॉल से निकल जाती हैं:]

बहुत अच्छी पूजा मुझे कहना होगा, बहुत महत्वपूर्ण। ह्रदय से किया, बस यही बात है। ह्रदय से किया, बात यह है। [वीडियो का अंत]