परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी,
श्री गणेश पूजा,
मैड्रिड, स्पेन
6 नवंबर, 1987
तो आज हम यहां स्पेन आए हैं, और यहां बहुत सारे दूसरे स्पेनिश सहज योगी हैं, और आप सब उनसे मिले चुके हैं। इस कारण, वे सहज योग में बहुत मजबूत हो गए हैं, कि उन्हें लगता है कि सारी दुनिया में उनके भाई बहन हैं। क्योंकि स्पेन में बहुत कम सहज योगी हैं, और वे काफी खोया हुआ महसूस करते हैं, क्योंकि उनकी संख्या बहुत कम है। लेकिन आप के यहां आने से ऐसा हुआ, जैसे कि एक हाथ दूसरे हाथ की मदद कर रहा है।
अब स्पेन का भौतिक विकास हो रहा है, और ये है…इस बार उन्हें सावधान रहना होगा। उन्हे अतिविकसित अवस्था में पूरी तरह आगे तक जाने की और फिर कष्ट सहने की आवश्यकता नहीं है, और उनके लिए ये कष्ट एक प्रकार की सज़ा नहीं बननी चाहिए, जैसे संपन्न देशों में होता है, क्योंकि जैसे-जैसे भौतिकवाद बढ़ता है, वह मनुष्य पर हावी होने की कोशिश करता है। लेकिन अगर आत्म साक्षात्कार के पश्चात भौतिकवाद बढ़ने लगे, तो आप इस पदार्थ (मैटर) पर महारत हासिल कर लेते हैं। तब पदार्थ आपके सिर पर नहीं बैठता, क्योंकि आत्म साक्षात्कार के पश्चात आपके पास विवेक आ जाता है। और वास्तव में, भौतिकवाद को लक्ष्मी तत्व, लक्ष्मी सिद्धांत के माध्यम से समझा जाना चाहिए। यदि आप सहज योग में सुबुध्दि विकसित करते हैं, तो आप समझ जाते हैं कि भौतिकवाद के साथ किस हद तक जाना है। पदार्थ आप के लिए है, आप पदार्थ के लिए नहीं हैं।
अब मैं आपको बताऊंगी पदार्थ किस प्रकार धीरे धीरे आप के सिर पर बैठ जाता है। आत्म साक्षात्कार के पूर्व हम पदार्थ को अपने आराम के लिए प्रयोग करते हैं। विज्ञान के माध्यम से, हम ऐसे तौर और तरीके विकसित करते हैं, जिनके द्वारा हम एक ऐसा जीवन विकसित करते हैं, जो आपको अधिक आराम देता है। प्रारंभ में, यह ठीक है कि हमें पर्याप्त भोजन मिले, रहने के लिए उचित घर मिले, परंतु तब तक हम पदार्थ के गुलाम बन चुके होते हैं। लेकिन पदार्थ तो मृत वस्तु है। हम केवल पदार्थ का रूप बदलते हैं – मृत से मृत में – लेकिन हम कोई जीवंत कार्य नहीं कर सकते। अब यह पदार्थ हमें आदतें देने लगता है, तो हम उन आदतों से बाहर नहीं निकल पाते, और धीरे-धीरे हम पदार्थ के गुलाम बनने लगते हैं। ये बात यहां ही खत्म नहीं होती। अब, यदि आपके पास बहुत अधिक मशीनें हैं, तो आप अनुपात से बाहर चीजों का उत्पादन करते हैं। जैसे आपके पास बहुत सारी गाड़ियाँ हैं। पैरिस में हर कोई सड़क पर ही है। जैसे ही आप सड़क पर होते हैं, आप हर समय सड़क पर होते हैं। घर में रहना ही बेहतर है, फिर आप घंटों सब के साथ बिताते हैं।
फिर आप अन्य चीजों का उत्पादन शुरू करते हैं। जैसे, मान लीजिए कि वे कपड़े का उत्पादन कर रहे हैं। कारखानों को चलना होगा। आप कारखाने को बंद नहीं कर सकते। तो फिर वे चीजों का इतना अधिक उत्पादन करने लगते हैं, कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि इसे कैसे बेचा जाए। फिर वे कहते हैं कि, “ठीक है, चलो फैशन करते हैं।” फिर ये निर्माता फैशन हाउस चलाते हैं। अब फैशन शुरू होता है। इसी के साथ हर कोई हर साल अपने कपड़े बदलता है। उन्हें फैशन के मुताबिक होना पड़ता है, ऐसे में बहुत सारा पैसा तो बर्बाद होता ही है, हम अपनी वैयक्तिकता भी खो देते हैं।
अमेरिका में, वे एक और चाल चलते हैं, मुझे लगता है कि यहाँ भी – शायद हर जगह। हर साल वे नए प्रकार के हैंडल, नए प्रकार की टाइलें, नए प्रकार के बाथरूम बनाते हैं। यदि आप किसी अमेरिकी घर में जाते हैं, तो बेहतर होगा कि आप बाथरूम के बारे में पूंछ लें, अन्यथा जब आप अंदर प्रवेश करेंगे, तो हो सकता है कि आप पानी से भीगे हुए हों और बौछारें आपके ऊपर गिर रही हों। या आप टब में बैठ सकते हैं, और आप इसे दबा सकते हैं और पूरा टब वैसे ही आ सकता है। उनके बिस्तर भी अजीब हैं। आप कोई बटन दबा सकते हैं और पूरा बिस्तर ऊपर आ सकता है। उनके पास ऐसे बिस्तर हैं, जहां वे बस इस हिस्से या उस हिस्से को मोड़ सकते हैं -यह भयानक है। मेरा मतलब है कि यदि आप कुछ बटन दबाते हैं, तो आप हर समय कलाबाजियाँ करते रहेंगे। ये सब करने की जरूरत नहीं है। लेकिन जब आपके पास अनुपात से बाहर मशीनरी होती है, तो आपको यह करना पड़ता है, लेकिन इस तरह आप इन उद्यमियों के गुलाम बन जाते हैं।
लेकिन सहज योग में जब आप आते हैं, तो आप जानते हैं कि जीवंत कार्य कैसे करना है। जैसे कि संपन्न देशों में, वे ऐसे हाइब्रिड बीजों का उपयोग करते हैं। ये हाइब्रिड बीज हमारे लिए कोई पोषण नहीं हैं, ये हमारे दिमाग के लिए अच्छे नहीं हैं, ये हमें भ्रमित करते हैं। विशेषकर हाइब्रिड पशु, उनका दूध हमें भ्रमित करता है। हाइब्रिड जानवर स्वयं बहुत भ्रमित होते हैं।
लेकिन सहज योग में आप साधारण बीज लेते हैं, और उन्हें चैतन्यित करते हैं। यदि आप उन्हें चैतन्यित करते हैं तो क्या होता है, कि आपको हाइब्रिड से भी अच्छे बीज मिलने लगते हैं। मैंने सूरजमुखी के साथ एक प्रयोग करने की कोशिश की। तो मैंने लगभग दो किलो वजन, लगभग एक फुट व्यास का सूरजमुखी विकसित किया,
और इतने बड़े, बड़े बीज कि आप उन्हें सूरजमुखी के बीज नहीं मान सकते। तो सामूहिकता इस पर बहुत आश्चर्यचकित हुई, और उन्हें लगा कि इस प्रकार का बीज हमारी तेल की सभी समस्या का समाधान कर देगा।
जानवरों के साथ भी यही होता है। आप एक साधारण गाय लेते हैं, भारतीय साधारण गाय, और आप उसे पीने के लिए चैतन्यित पानी देते हैं, और वह ऑस्ट्रेलियाई गाय के समान ही दूध देती है। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई गाय का दूध आपको भ्रमित और पागल बना सकता है, क्योंकि हमने देखा है कि ऑस्ट्रेलियाई गायें, जब वे भारत में होती हैं, तो उन्हें पता नहीं होता कि वे कहाँ खड़ी हैं, वे बस अनियंत्रित होकर दौड़ती हैं, तो उनका दूध कैसा होगा? लेकिन एक भारतीय गाय, अगर उसे इस चैतन्यित जल के माध्यम से आत्मसाक्षात्कार मिलता है, तो वह ऐसा दूध देती है जो मस्तिष्क के लिए बहुत अच्छा है। तो इस प्रकार हम सहज योग द्वारा अपने जानवरों की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।
अब पदार्थ के संबंध में हमें यह समझना होगा, कि पदार्थ केवल दूसरों को देने के लिए अच्छा है, लेकिन यदि यह किसी आत्म साक्षात्कारी द्वारा दिया गया है, तो इसका जबरदस्त प्रभाव होता है। इससे पहले कि ग्रेगवोयर अपनी किताब लिखना चाहे, मैंने उसे एक फाउंटेन पेन दिया और उन्होंने कहा, “मैंने कभी कोई किताब नहीं लिखी,” और उन्होंने बहुत अच्छा लिखना शुरू कर दिया। रुस्तम के साथ भी ऐसा ही हुआ, वह विद्वान बन गए। तो, सहज योग आपको एक अतिरिक्त शक्ति देता है, जिसके द्वारा आप भौतिकवाद के बुरे प्रभावों को बेअसर कर सकते हैं।
अब मान लीजिए, भारत में, इंग्लैंड में, आपको लोगों को मदिरा पेश करनी है। तो आपके पास दस प्रकार के गिलास होने चाहिए। कुछ भी पीने के लिए केवल एक ही पर्याप्त है, दस क्यों रखें? यह एक सिरदर्द है। अब वहां यदि आपको चम्मच और कांटे का उपयोग करना है, तो आपके पास इतना तामझाम होता है, और आप दस लोगों के लिए खाने के बर्तनों की व्यवस्था करते हैं। परंतु अगर आप अपने हाथों का उपयोग कर सकते हैं, वे बहुत साफ होते हैं- इतना विस्तृत इंतजाम करने की जरूरत नहीं है। लेकिन हमने ये विस्तार इसलिए नहीं किया हैं क्योंकि हम उन्हें चाहते हैं, बल्कि इन उद्यमियों के कारण हैं – वे हम पर दबाव डालते हैं। लेकिन इसका एक गहरा प्रभाव है, कैसे लोग आपको, पदार्थ के माध्यम से, नियंत्रित करते हैं।
अब मान लीजिए कि वे किसी के घर जाते हैं, और उन्हें एक प्रकार का चम्मच गायब मिलता है – क्योंकि वहां एवोकैडो के लिए एक चम्मच हो सकता है, मान लीजिए एवोकैडो के लिए एक विशेष चम्मच। अब अगर वह चम्मच वहां नहीं है, तो वे कहेंगे, “ओह, इन लोगों को कोई समझ नहीं है,” और वे पूछेंगे, “क्या आपके पास एवोकैडो के लिए एक चम्मच है?” यह बहुत ही बेशर्मी है, और किसी दूसरे व्यक्ति का अपमान करना बहुत अहंकारपूर्ण है। एक गृहिणी, मान लीजिए कि आप एक मेहमान हैं, तो उसे अपने मेहमानों की तुलना में अपने कालीन की अधिक चिंता होगी। और इस तरह की बात बहुत दूर तक जा सकती है, और एक व्यक्ति बहुत शुष्क हो सकता है। ऐसे लोग बहुत ही घृणित और अपमान करने वाले होते हैं।
एक और तरीका है, जिससे वे आपको पदार्थ के माध्यम से नियंत्रित करते हैं, कि वे कहेंगे कि अब आपको पति से कहना होगा, “आपको मुझे यह दिलाना ही होगा, अन्यथा मैं बहुत क्रोधित हो जाऊंगी।” यदि पति एक प्याला तोड़ दे, तो पत्नी उसके सिर पर सवार हो जाएगी, मानो प्याला पति से अधिक महत्वपूर्ण है। उसे दूसरा पति भी मिल सकता है, उसे दूसरा प्याला भी मिल सकता है।
देखिए, संपूर्ण मानवीय गरिमा कम हो कर पदार्थ पर आ गई है, और इस प्रकार का नियंत्रण चलता रहता है। बच्चे भी माता-पिता को नियंत्रित करते हैं। वे टेलीविजन पर कोई खिलौना देखते हैं, और माता-पिता से मांगते हैं। अब अगर मां-बाप खिलौना नहीं देंगे, तो वे अपना खाना नहीं खायेंगे। वे चीखेंगे और रोएँगे, और माता-पिता को परेशान करेंगे। तो फिर माता-पिता कहते हैं “ठीक है, उनके लिए खिलौना ले आओ, उन्हें लेने दो।” और बच्चा माता-पिता के साथ नहीं, खिलौने से खेलता है।
अब दो दोस्त मिलेंगे और कहेंगे, “हमें साथ में फिल्म देखने जाना चाहिए।” वे एक-दूसरे से बात नहीं करते, कोई तालमेल नहीं है, कोई दोस्ती नहीं है उनके बीच में कुछ तो होना ही चाहिए। बच्चों के बीच, दोस्तों के बीच, पति-पत्नी के बीच कोई सीधा तालमेल नहीं है।
पदार्थ आपकी जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए है, उसे बदसूरत बनाने और एक-दूसरे के बीच समस्याएं पैदा करने के लिए नहीं। अब फ़्रांसिसी अंग्रेज़ों को पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि वे अपने काँटे और छुरियों का अलग तरीक़े से इस्तेमाल करते हैं। और अंग्रेज अपने को बहुत ज्यादा विशेष समझते हैं, क्योंकि वे अंग्रेजी भाषा जानते हैं। इस प्रकार के भौतिकवाद के माध्यम से इस प्रकार की सभी निरर्थक भावनाएँ आती हैं, और हम सामूहिक नहीं रह जाते हैं, और सामूहिकता खो जाती है। लेकिन फिर हम सामूहिकता में आने के लिए गलत तरीके खोज लेते हैं।
जैसे हम शराब की लत को अपनाते हैं, क्योंकि शराब के बाद हम परित्यक्त महसूस करते हैं, और हम एक साथ हंस सकते हैं और आनंद ले सकते हैं। अन्यथा, यदि नहीं, तो हम छुट्टियों पर जाते हैं। सभी महिलाओं को पुरुषों का ध्यान आकर्षित करने के लिए, अपने शरीर का प्रदर्शन करना पड़ता है। पुरुषों को महिलाओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए, अपने शरीर का प्रदर्शन करना चाहिए, लेकिन कोई नहीं जानता, कोई नहीं -यह एक आनंद विहीन खोज है। और जिस तरह से वे इन सभी छोटी-छोटी बातों के लिए आपस में झगड़ते हैं, वह वास्तव में आनंद-नाशक है।
इन सभी चीजों के परिणामस्वरूप हमने कला खो दी है। हमने कला खो दी है, हमने निपुणता, निपुणता खो दी है। और अब आप जहां भी जाएं, आप ‘चार्ल्स डी गॉल’ के हवाई अड्डे की तरह बदसूरत चीजें पाते हैं। यह एक कारखाने की तरह दिखता है, और मुझे नहीं पता कि आप उस जगह पर कैसा महसूस करते हैं।
यहां घरों में कोई आराम नहीं है। घर इतने खाली और नीरस हैं, और लोग इतने रूखे और मूर्ख हैं। परिवार में कोई आनंद नहीं है, और अठारह या सोलह की उम्र तक बच्चे भी घर से भाग जाते हैं, चाहे मामला कुछ भी हो। इसलिए इंसानों के बजाय, हम उद्यमियों द्वारा नियंत्रित, रोबोट बनाना शुरू करते हैं। यही स्थिति है। यही कारण है, कि आप सभी प्रकार के लोगों के हाथों में खेलते हैं, जैसे मनोवैज्ञानिक, जैसे फ्राइड। कोई भी नया विचार आता है, वे उस पर झपट पड़ते हैं, और इस तरह वे पीड़ित होते हैं। नतीजा यह है, कि अब उन्हें एड्स हो गया है। उनके दिमाग में कोई तर्कशक्ति नहीं है। वे यह नहीं समझते, कि यह सिर्फ शोषण है।
सहज योग में आने के बाद, आप समझते हैं कि यह शोषण है। अब उनके पास प्लास्टिक और नायलॉन हैं, और वे नहीं जानते कि प्लास्टिक का क्या करें, इससे कैसे छुटकारा पाएं। फिर वहां अम्लीय वर्षा होती है और पेड़ उससे प्रभावित होते हैं। अब स्विट्जरलैंड में – जो इतना भ्रष्ट देश है, मुझे कहना चाहिए, यह हर देश से पैसा, भ्रष्ट पैसा ले रहा है – जो पूर्ण भौतिकवादी हैं इस अम्लीय वर्षा से पीड़ित हैं। उनके अधिकांश पेड़ नष्ट हो जाते हैं, और उनमें हिमस्खलन होता है। ये सभी बड़े, बड़े पहाड़ जो उनके पास हैं, उनकी बर्फ नीचे की ओर बहने लगती है, क्योंकि कोई भी इसे थाम नहीं सकता, और अब बाढ़ आती है। प्रकृति कार्य करने लगती है।
तो चाहे वे इस गलत दिशा में बाहर की ओर प्रगति करें, या वे फ्रायडियन तरीकों की तरह अंदर की ओर प्रयास करें, दोनों खतरनाक और विनाशकारी हैं, और इस विनाश में जो खो गए हैं, वे निर्दोष लोग हैं। इसलिए, व्यक्ति को अपने अंदर यह ज्ञान विकसित करना होगा, कि हम यहां इंसान हैं, विराट के अभिन्न अंग हैं, और केवल मनुष्य ही आत्म-साक्षात्कार प्राप्त कर सकता है, और उस एकता को अनुभव कर सकता है। और ऐसा व्यक्तित्व ही संतुष्ट व्यक्तित्व होता है। वे दूसरे देशों, दूसरे लोगों का शोषण करने की कोशिश नहीं करते। वे स्वयं से संतुष्ट रहते हैं। वे अपनी करुणा और उदारता का आनंद लेते हैं। वे अपने घर सबके लिए खोल देते हैं। वे अपना हृदय सबके लिए खोल देते हैं। वे अपने घरों को दूसरों के लिए खूबसूरत बनाते हैं, अपने लिए नहीं।
हम पहली बार लंदन में एक (कंट्री हाउस) ग्रामीण बड़े घर में थे, और वहाँ छह अन्य घर थे। वहाँ काफ़ी अमीर लोग रहते थे। हर शनिवार, रविवार को, बेचारे पति को लॉन की घास काटनी पड़ती थी, और पत्नी खड़ी हो जाती थी, और उससे कहती थी, “इसे बेहतर करो,” और वह सारा पीतल चमका देता था, आप देखिए। उसकी पत्नी के साथ भी ऐसा ही है। और उस घर में एक चूहा भी नहीं घुसेगा। और उन्हें आश्चर्य हुआ, कि हमारे घर में इतने सारे लोग आ रहे थे। और उन्होंने आकर हमारा घर देखा, और आश्चर्यचकित रह गये, कि हमारा घर इतना सुंदर और इतना साफ़ सुथरा था। मैंने उनसे कहा कि यदि आपके पास वास्तव में एक सुंदर घर है, तो बच्चे भी उसमें खराब नहीं करना चाहेंगे। वे घर को मंदिर की तरह मानते हैं। लेकिन अगर आप घर को दूसरों के लिए सुंदर और स्वीकार्य नहीं बनाते हैं, तो आप केवल अपने लिए सारा पीतल, सारा क्रिस्टल, सारा कांच, सब कुछ साफ करने में व्यस्त हैं। और उद्देश्य क्या है? फिर सोमवार को आप फिर थके हुए होते हैं, बहुत थके हुए बैठे हैं। लेकिन अगर आपने दूसरों के लिए दरवाजे खुले रखे होते, तो वे लोग आनंद उठाते। फिर इसका कुछ उद्देश्य होता।
अतः उद्देश्यहीन जीवन बिल्कुल आनंदहीन है। समस्या यह है, कि लोग निरर्थक चीज़ों के लिए क्लांत जाते हैं। यदि एक चम्मच खो गया, तो वे बस दस बार मरेंगे। भगवान का शुक्र है, भारत में हम अभी तक ऐसे भौतिकवादी नहीं हैं। हम बन सकते हैं, लेकिन अब हमारे पास एक शॉर्ट सर्किट है, कि हम विकसित होने से पहले सहज योग में आ गए हैं।
अब (हमारी) संस्कृति भी बहुत अलग है और प्राचीन संस्कृति है। वह सहज योगियों की संस्कृति होनी चाहिए – ये संस्कृति होगी। जैसे, अब यदि कोई कॉफी गिरा देता है, तो कोई भी कुछ नहीं कहेगा – “ओह, यह ठीक है, यह ठीक है, नहीं, नहीं, नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता” – भले ही वह फ़ारसी कालीन हो। जब तक घर में मेहमान हैं, तब तक आप उसे साफ नहीं करेंगे। अगर बच्चे कुछ तोड़ भी दें तो भी हम उन्हें सज़ा नहीं देते, “आपने इसे तोड़ दिया है और यह बहुत गलत है, आपने वह तोड़ दिया है।” कुछ भी ऐसा नही कहेंगे। बल्कि “कोई बात नहीं, आप सावधान रहें” – बस इतना ही। हम उन्हें इसके लिए डांटते नहीं हैं, बल्कि हम उनसे कहते हैं कि, “आप सावधान रहें, आपको चोट लग सकती है।” वस्तुओं को कोई महत्व नहीं दिया जाता।
साथ ही भाषा में हम किसी से यह नहीं कह सकते, “मैं तुमसे नफरत करता हूँ।” इसकी अनुमति नहीं है, या “मैं तुम्हें पसंद नहीं करता,” या “मैं इस पर विश्वास करता हूँ।” वे कहेंगे, “तुम कौन हो? तुम अपने आप को क्या समझते हो?” माता-पिता तुरंत सुधार करेंगे, और यही सुधारक बिंदु है, जो जीवन भर मदद करता है। आप ऐसी कठोर बातें नहीं कहते हैं- “मुझे यह पसंद नहीं है, मुझे वह पसंद नहीं है।” हमें हर चीज़ की सराहना करनी होगी। दूसरे इंसानों की सराहना करना सीखें, दूसरे लोगों का आनंद लेना सीखें, उनकी अच्छी बातों पर ध्यान दें। यदि आप केवल उनके बुरी बातें ही देखेंगे, तो आपको उनके सभी बुरी बातें मिल जायेंगी। आपका ध्यान कहाँ है? बहुत अधिक प्लास्टिक लेने के बजाय, आपके पास एक छोटी सी अच्छी चीज़ है। यह खुशी देने वाली बात है। अपना घर दूसरों के लिए खुला रखें। चिंता मत करो कि तुम्हारा दरवाजा कैसा है, यदि कोई दरवाजे को छूता है, तो इससे उसकी पॉलिश या ऐसा ही कुछ खराब हो सकता है। दूसरों की देखभाल करने, उनकी चिंता करने का आनंद लें।
सब हमेशा कहते हैं, “माँ, आप इतनी उम्र होने के बावजूद बहुत छोटी दिखती हैं, और आप इतनी कड़ी मेहनत करती हैं।” ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं अपनी परवाह करने से कहीं अधिक हर किसी से प्रेम करती हूं, क्योंकि मुझे हर किसी की बहुत ज्यादा चिंता है। इससे मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। अगर मैं दूसरों को कुछ दे पाती हूं, तो इससे मुझे बहुत खुशी होती है। अगर मैं सबके लिए खाना बना सकती, हूं तो यह बहुत अच्छा है। केवल, मुझे लगता है, दो साल पहले, मैं गई था – यानी लगभग तीन साल पहले, मैं ऑस्ट्रेलिया गई और दो स्थानों पर पांच सौ लोगों के लिए खाना बनाया, और उन्हें मेरे भोजन का आनंद लेते देखकर वास्तव में आनंद आया। यह बहुत खुशी देने वाली बात थी। सबसे बड़ा आनंद दूसरों को देने में है। जैसे ही यह दृष्टिकोण बदल जाएगा, आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे, कि भौतिकवाद आपके चरणों में होगा, क्योंकि सहज योग में ये इसी तरह काम करता है।
मैं आपको एक उदाहरण दूंगी। एक बार मैं गुरु पूजा में जा रही थी और मैं सभी लीडरों के लिए उपहार ले जाना चाहती थी। लंदन में, मैं खरीदारी के लिए बाहर नहीं जाती, लेकिन मैं बाहर गई और थक गई। मुझे कुछ भी नहीं मिला, और मैं शाम को बहुत थकी हुई आई, और मुझे कुछ नहीं मिल सका। मैंने सोचा कि बेहतर होगा, कि मैं अब अपना भंडार कक्ष खोलूं, और वहां कुछ खोजने का प्रयास करूं। और उस समय एक सहज योगी ने कहा, “माँ, कोई लड़का है जो अपनी पेंटिंग बेचना चाहता है।” मैं बस दौड़ते हुए नीचे आई, और उसके पास बहुत ही उचित कीमत पर खूबसूरत पेंटिंग्स थीं, जिन्हें मैं खरीद सकती थी, और वे संख्या में एकदम उतनी थीं, जो मैं चाहती थी। इसलिए मैंने उन्हें खरीद लिया, और आप जानते हैं, कि एक गुरु पूजा में मैंने सभी को सुंदर पेंटिंग दी थीं। इस बार मेरे पास नेताओं के लिए कोई उपहार खरीदने का समय नहीं था। मैं फ्रांस और यहां (स्पेन) जा रही था। मैंने सोचा, मेरे पास कुछ तो होना ही चाहिए और अब क्या करूँ? मुझे जोस एंटोनियो और पैट्रिक के लिए भी कुछ लेना है। इसलिए, हमारे विमान में देरी हो गई, और मुझे उन दोनों के लिए सुंदर फाउंटेन पेन मिल गए। मैं बहुत खुश थी, कि मैं उन्हें वहां खरीद सकी।
आप देखिए, दूसरों के लिए खरीदना बहुत अच्छा है। मुझे अपने लिए कुछ भी खरीदना कठिन लगता है। ऐसा कई बार मैंने देखा है, कि कैसे अचानक आपको वो चीजें मिल जाती हैं जो आप चाहते हैं, क्योंकि पदार्थ आप के चरणों में होता है। मैंने पूजा के लिए बच्चों के लिए कुछ चॉकलेट खरीदी थीं – पूजा के लिए नहीं, बल्कि पेरिस की यात्रा के लिए, और जब वे शाम को संगीत के लिए आए, तो हम इसके बारे में भूल गए। लेकिन हवाई अड्डे पर हमें अचानक वे मिल गईं, इसलिए मैंने छोटे बच्चों और बड़े बच्चों को भी वह सब दे दिया, और हमने हवाई अड्डे पर अच्छा समय बिताया। ये सभी छोटी-छोटी चीज़ें कितना आनंद देती हैं, कितना आनंद का सागर! आप भी ये सब कर के देखिए!
सहज योग के आरंभ में, गैविन के घर सहज योगियों से मिलने के लिए मैं एक प्रोग्राम के लिए गई थी, और उनकी पत्नी सही नहीं थी- वह खाना वगैरह बना रही थी। वह सिज़ोफ्रेनिक प्रकार की थी, लेकिन गेविन ने कहा, “माँ, क्या आप कृपया हमारे साथ अपना रात्रिभोज करेंगी?” तो मैंने सोचा, उसने केवल मेरे लिए खाना बनाया है, इसलिए मैंने सबको जाने दिया, और वह रसोई में था। वो बाहर आया और बोला, “माँ, वे कहाँ हैं?” मैंने कहा क्यों? वे चले गए हैं।” उसने कहा, “देखिए, माँ, मैंने उन सबके लिए खाना बनाया है, और वे चले क्यों गये?” आप देखिए, उसकी मिठास ने मेरे दिल को खुशी से भर दिया। मुझे लगा कि वह कितना प्यारा आदमी है। वह स्कॉटलैंड से है, और वहां कहते हैं कि स्कॉटलैंड के लोग बहुत कंजूस होते हैं, लेकिन मैंने गेविन को बहुत उदार व्यक्ति पाया।
इसी तरह, मुझे अच्छा लगता है, जब सहज योगी दूसरों के बारे में अच्छी बातें करते हैं, उनकी मदद करने की कोशिश करते हैं, और एक-दूसरे के प्रति अच्छा बनने की कोशिश करते हैं। वह सबसे अधिक खुशी देने वाली बात है। ये सभी चीजें हम पर पदार्थ के प्रभुत्व को खत्म कर देंगी। हमें इस पदार्थ की परवाह नहीं करनी चाहिए। परंतु उस वस्तु की अवश्य परवाह करनी चाहिए, जो आपको प्रेमपूर्वक दी गई है।
एक दिन ग्रेगवार ने मुझे दो छोटे, छोटे घोड़े दिए थे। फिर मैं घर आई, मैंने देखा कि वे गायब थे, और मैं उन्हें देखने के लिए पूरे घर में घूमी। “वे कहां हैं?” मैंने कहा, “वे कहाँ चले गये?” तो मेरे पास मेरे नौकर, मेरे सेवक थे। वे आश्चर्यचकित थे, कि घर में बहुत सारी चीज़ें हैं, फिर भी वह इन दो छोटे घोड़ों के बारे में क्यों चिंतित है?” तो, मेरे पति शाम को वापस आये। मैंने कहा, “क्या आप ने वे दो छोटे घोड़े देखे हैं जो ग्रेगवार ने मुझे दिए थे?” “हाँ, हाँ,” उन्होंने कहा। “मैंने उन्हें अपनी अलमारी में ठीक से रखा है, क्योंकि वहाँ बच्चे थे। वो तोड़ सकते थे और आपको उनके बारे में बुरा लगता।” मेरे पास इतनी चाँदी थी, इतनी सारी महँगी चीज़ें थीं। उन्हे इसकी चिंता नहीं थी, क्योंकि उसमें (घोड़ों में) प्रेम की अभिव्यक्ति थी, जो कि सारे सोने और सारी चाँदी को मिलाकर भी कहीं अधिक है।
हमें यही समझना होगा, कि प्यार किसी भी अन्य वस्तु से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। आप को एक-दूसरे से अधिक प्रेम करने में प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, एक-दूसरे के प्रति दयालु होने में प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, और एक-दूसरे के प्रति विनम्र होने में प्रतिस्पर्धा करें। दूसरों के लिए कुछ करने में प्रतिस्पर्धा करें, और दूसरों से बहुत प्यारी बातें कहने में प्रतिस्पर्धा करें। कुछ बहुत अच्छा करने के बारे में सोचने का प्रयास करें।
जैसे एक बार मैं अपने लिए साड़ी खरीदने गई और तब मैंने पाया – आप देखिए, मैं अपने लिए बहुत कंजूस हूं। मुझे लगा कि वह काफी महंगी है, और मैंने उसे नहीं खरीदा। और एक और सहज योगी वहां थे, मेरे साथ, मुझे नहीं पता था, लेकिन उन्होंने वह साड़ी खरीदी, और अगले दिन वह उसे मेरे पास उपहार स्वरूप ले आए। आप नहीं जानते, कि मुझे कितनी ख़ुशी हुई, क्योंकि मैं जानती हूँ, कि मैं अपने बारे में बहुत कंजूस हूँ, और फिर उस साड़ी की सभी ने बहुत सराहना की। शायद इसमें वही प्रेम था। तो यही बात है। हमें प्रेम की शक्ति को महसूस करना है, तब हर चीज़ चैतन्यित होती है, पदार्थ चैतन्यित् होता है, और आप चैतन्य को दूर से महसूस कर सकते हैं।
यदि आप आएं, और मेरी अलमारी खोलें, और मेरी साड़ियों को व्यवस्थित करने का प्रयास करें, तो आप सभी चैतन्य से भर जाएंगे। आप जो कुछ भी स्पर्श करेंगे उसमें चैतन्य होगा। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है, कि हमें प्रेम करना सीखना चाहिए, और अपने चैतन्य को बेहतर बनाना चाहिए, ताकि हम हर जगह प्रेम फैला सकें, और लोगों को भौतिकवाद की बेड़ियों से मुक्त कर सकें। मैं इस बारे में स्पेन में लोगों से बात करना चाहती थी, और अन्य सभी लोगों के लिए, मैं कहूंगी कि उन्हें वापस लौटना चाहिए क्योंकि वे इसमें बहुत आगे बढ़ चुके हैं, क्योंकि पदार्थ तुम्हें उलझा देता है। यह प्रतिक्रिया करता है, और आपको अधिक सोचने पर मजबूर करता है। यह आपका ध्यान स्थिर नहीं रहने देता
अगर आप कोई भी खूबसूरत चीज देखते हैं, तो बिना सोचे-समझे बस उसे देखते रहिए, तब आपको अनुभव होगा, कि उस पदार्थ में कितना सौंदर्य है। ध्यान की ज़ेन प्रणाली में विधितामा, जो ज़ेन प्रणाली के संस्थापक थे, ने इसे आज़माया। मुझे लगता है, कि मैंने इसके बारे में किसी अन्य व्याख्यान में बात की है।
मैं आपसे अपने पूरे प्रेम के साथ यही कहूंगी, कि एक-दूसरे से प्यार करने की कोशिश करें। और आपने देखा है कि, भारत में जब आप यात्रा करते हैं, तो यह इतना आरामदायक नहीं होता है, और हम जिन छोटी-छोटी जगहों पर जाते हैं, वहां वो आराम नहीं दे पाते, लेकिन फिर भी आप सभी इसका भरपूर आनंद लेते हैं। आप आराम नहीं चाहते, आप प्रेम का आराम चाहते हैं। आप एक-दूसरे की संगति और अपने मेज़बान देश यानी भारत, भारतीयों के प्रति उमड़ते प्रेम का बहुत आनंद लेते हैं।
यह अच्छे सहज योगियों का लक्षण है। क्योंकि हमारे जीवन का एक बड़ा उद्देश्य है – सबसे बड़ा। अब्राहम लिंकन ने जो किया, या महात्मा गांधी ने जो किया, आपका काम अधिक बड़ा और सूक्ष्म है, क्योंकि आप जीवंत कार्य कर सकते हैं। इसलिए हमें सन्यासी नहीं बनना है, हमें कुछ भी छोड़ना नहीं है, बल्कि हमें अपना दृष्टिकोण बदलना है। हमें वह वैराग्य विकसित करना होगा।
परमात्मा आप सब को आशिर्वादित करें।