Makar Sankranti Puja: The Internal Revolution

मुंबई (भारत)

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                    मकर संक्रांति पूजा, आंतरिक क्रांति 

मुंबई (भारत), 14 जनवरी, 1984

मैं योग के इस महान देश में विदेश से आए सभी सहजयोगियों का स्वागत करती हूं। यह मुझे बहुत खुशी देता है; आज इस विशेष अवसर को मनाने के लिए दुनिया भर से, देश भर से आने वाले सहज योगियों को देख कर मेरे पास व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। आज का दिन इतना शुभ है कि आप सब को यहां होना ही है; क्योंकि आप चुने हुए हैं, वे सैनिक जो इस पृथ्वी पर सत्य युग की स्थापना तक लड़ने वाले हैं। क्रांति का दिन है। “संक्रांत” का अर्थ है: “सं” का अर्थ है, आप जानते हैं, शुभ, “क्रांत” का अर्थ है क्रांति। आज पवित्र क्रांति का दिन है।

मैंने आपको विद्रोह के बारे में बताया है कि विद्रोह में हम जड़ता के परिणामस्वरूप एक पेंडुलम की तरह एक छोर से दूसरे छोर तक जाते हैं। लेकिन उत्थान के माध्यम से, जब हम एक उच्च अवस्था प्राप्त करते हैं, तो यह तभी संभव है जब एक क्रांति हो और क्रांति सर्पिल रूप से होती है। उच्च स्थान पर पहुँचने के लिए गतिशीलता को सर्पिल होना चाहिए। तो, यह क्रांति है जो पवित्र क्रांति है।

हम अब तक कई क्रांतियों के बारे में जान चुके हैं; हमारे देश में क्रांति हुई है। अन्य पश्चिमी देशों में भी हमने राजनीतिक आधार पर, विषमताओं के आधार पर क्रांति की है। क्रान्ति के द्वारा और भी बहुत सी बातें लड़ी गई हैं, लेकिन फिर भी आतंरिक उत्थान नहीं हुआ है। मैं अपने भीतर की क्रांति की बात कर रही हूं। इस क्रांति में आपकी अपनी मां, कुंडलिनी द्वारा बहुत मदद की जाती है, और आप बहुत ही मधुर तरीके से विकसित होते हैं; एक सर्पिल उत्थान में आत्मसाक्षात्कारियों के रूप में स्थापित होने के लिए।

आप बहुत करुणामय हो कर इस देश में आये हैं क्योंकि इस देश में आपके अपने देश जैसी आराम और सुविधाएं नहीं हैं; इसलिए व्यक्ति को बाहरी मुश्किलों के लिए तैयार रहना होगा, जो कुछ लोगों के लिए ऐसा करना मुश्किल हो सकता है।

जब मैं बंबई आयी तो मुझे किसी सज्जन के लिए एक उपहार खरीदना पड़ा और मैंने सोचा कि मुझे क्या खरीदना चाहिए? बेहतर होगा कि मैं जाऊं और उसके लिए हाथी दांत की कोई कृति खरीद लूं।

तो, मैं दुकान पर गयी और मुझे हितोपदेश नामक एक सुंदर हाथीदांत की कृति मिली, जहां श्री कृष्ण हाथीदांत के एक सुंदर रथ पर बैठे हैं और अर्जुन को हितोपदेश, गीता का उपदेश दे रहे हैं।

इसे खरीदना बहुत आसान था; मुझे जाने और चीज़ खरीदने में केवल आधा घंटा लगा। लेकिन उपहार लपेटने का कागज़ खरीदने के लिए मुझे बॉम्बे में दो घंटे बर्बाद करने पड़े। क्योंकि आपको यहां एक ढंग का रैपिंग पेपर नहीं मिल सकता है; और फिर रिबन और फिर फूल, एक असंभव स्थिति है। तो मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मेरे पति के अनुसार, मुझे बिल्कुल थर्ड क्लास रैपिंग पेपर मिला।

मैं इसे वापस घर ले आयी; उन्होंने कहा, “आप इस बकवास कागज़ के साथ लपेट नहीं सकते हैं; यह बहुत भयानक लग रहा है।” मैंने कहा, “अब, यदि आप चाहें, तो मैं इस देश में इसे लपेटने के लिए रेशम ला सकती हूं, लेकिन रैपिंग पेपर एक समस्या है।”

इसलिए, जब उन सज्जन को उपहार पेश किया गया, तो मैंने उनसे बहुत स्पष्ट रूप से कहा, “मुझे क्षमा करें, बॉम्बे में मुझे एक अच्छा रैपिंग पेपर नहीं मिला, लेकिन हाथीदांत मैं आपके लिए लायी हूं”, और वह उपहार से इतने मोहित थे | .

तो, इस देश में, आपको देखना होगा कि हमें हाथीदांत मिल सकता है, लेकिन हमें रैपिंग पेपर नहीं मिल सकता है। और जो लोग रैपिंग पेपर के आदी हैं, उनके लिए समाधान पाना मुश्किल होता है क्योंकि हम रैपिंग पेपर की सुविधा के अभ्यस्त हैं।

इसलिए, व्यक्ति को इस बात का अहसास होना होगा कि रैपिंग पेपर, जिसके हम बहुत शौकीन हैं या हम इसके अभ्यस्त हैं, का कोई महत्व नहीं है; जबकि पश्चिमी देशों में आपको हाथी दांत नहीं मिल सकते। यदि आपको एक हाथीदांत की कृति लेना है, तो मुझे नहीं पता, आपको एक हाथीदांत की कृति के लिए वर्षों तक परिश्रम करना होगा, लेकिन रैपिंग पेपर आप इसे पांच मिनट में प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, व्यक्ति को यह अहसास करना होगा कि यह ऐसा देश है, अगर आपको इसके बारे में जानना है, तो आपको इसकी गहराई में जाना होगा।

आपको इस देश की गहरी समझ विकसित करनी होगी। यदि आप बाथरूम देखते हैं और यदि आप सड़कें देखते हैं, यदि आप घरों को जीवन के सभी सामान्य मानकों के अनुसार देखें तो, सभी काले, अंधेरे, गंदे हैं। रहने भी दो; रहने भी दो। आप यहां यह देखने नहीं आए हैं, वह सब आप अपने देश में देख सकते हैं, और आपने यह देखा हुआ है। लेकिन आप यहां जो देखने आए हैं वह है गहराई, प्यार, स्नेह, इंसान।

और आप बहुत खुश होंगे क्योंकि आपको बहुत ही दुर्लभ अनुभव मिलेंगे, जो वास्तव में आपको जीवन भर आनंदमयी यादों से रोमांचित करेंगे। साथ ही, यह देश, विशेष रूप से महाराष्ट्र, एक विशेष देश है क्योंकि ब्रह्मांड की कुंडलिनी इस त्रिकोणीय तल में निवास करती है। या हम कह सकते हैं कि यह पठार – त्रिकोणीय उठा हुआ मंच है – और इसलिए इस देश में, देश के इस हिस्से में वायब्रेशन बहुत महान हैं। अब, ‘महा’योग में आने के लिए, जैसा कि सहज योग आज महायोग बन गया है, आपको ‘महा’राष्ट्र आना होगा। महाराष्ट्र महान राष्ट्र है।

इसलिए, मुझे यकीन है कि आप अपने साथ बहुत कुछ होने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन अपने दिमाग को खुला रखें क्योंकि यह एक क्रांति है। यह सिर्फ एक पेंडुलम नहीं है कि आप आराम से असुविधा में आ रहे हैं। एक बात जो आपको जाननी है, उसका संस्कृति-विरोधी निरर्थक बकवास से कोई लेना-देना नहीं है। आप अपनी सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतम संवेदनाओं में उतरने  के लिए यहां आए हैं; इसलिए, स्थूल संवेदनाओं की उपेक्षा और निषेध किया जाना चाहिए ताकि आप अपनी सूक्ष्मतर संवेदनाओं को महसूस कर सकें। एक बार जब आप यहां आनंद लेने के इस बुनियादी सिद्धांत को समझना शुरू कर देंगे, तो मुझे यकीन है कि पूरा उपक्रम बेहद फलदायी होगा।

चूँकि पूरी दुनिया में हम महसूस करते हैं कि सहज योग ही मानव मुक्ति का एकमात्र तरीका है; एकमात्र तरीका है जिससे हम इस दुनिया को एक खूबसूरत जगह में बदलने जा रहे हैं। इसके लिए हमें एक उचित समझ को तैयार करना होगा; बिल्कुल सैनिकों की तरह अनुशासित जीवन में, ताकि हम जो कुछ भी करना चाहते हैं, हम अपनी अधिकतम क्षमता में कर सकें।

इसलिए, अपनी पूरी क्षमताओं को अभिव्यक्त होने देने के लिए, नकारने का प्रयास करें, अपनी स्थूल संवेदनशीलता को नज़रअंदाज़ करें, जो भी बीच में आए।

आपको इसे कभी-कभी छोटा करना होगा। तुम्हें सुबह जल्दी उठना होगा; आपको अजीब से अंदाज में नहाना होगा, और यह एक मुश्किल काम होगा। लेकिन अगर आप इस नेक विचार के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश करते हैं कि आप महान विराट के एक अभिन्न अंग हैं और आप सभी को एक साथ इस तरह से शामिल होना है कि आपकी संवेदना में आप बराबर रूप से समान हो जाएं, कि आप एक दूसरे को अच्छी तरह से समझें , मुझे यकीन है कि आप यहां अपने मेजबानों के प्यार और आतिथ्य का आनंद लेंगे।

यह क्रांति ऐसे दिन शुरू होती है, आज मैं बहुत खुश हूं। इसलिए हमें क्रांति को स्वीकार करना होगा। आप जानते हैं, जब फ्रांसीसी क्रांति हुई, तो लोग कैसे रहते थे; जब इस देश में लोगों ने अपनी आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, कैसे रहते थे। मैं जानती हूं, मेरे पिता ने अपना सब कुछ बलिदान कर दिया; वह, हमें झोपड़ियों में रहना पड़ा था जबकि हम स्वयं बहुत बड़ी सुख-सुविधाओं में रहते थे। उन्होंने अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। मेरी मां पांच बार जेल गई। मेरे पिता तीन बार जेल गए, और हर बार वे कम से कम दो से तीन साल तक जेल में रहे। तो, आप कल्पना कर सकते हैं, इतने सारे बच्चों के साथ, उन्होंने इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए अपना सब कुछ कैसे बलिदान दिया।

अब यदि आपको आत्मा की स्वतंत्रता प्राप्त करनी है तो हमारे पास बलिदान की भावना होनी चाहिए। लेकिन इसका मतलब शिकायत के साथ बलिदान नहीं है; बल्कि ऐसा त्याग जिसका आनंद लिया जा सकता है, जिस त्याग पर आपको गर्व होना चाहिए, ऐसा बलिदान जिस का कष्ट आप महसूस नहीं करते हैं, वह बलिदान जो आपको प्रतिष्ठित करता है। यह आत्मा ही है जिससे यह क्रांति होनी है।

अब तक, यदि आप जानते हैं, हमने कुछ भी बलिदान नहीं किया है। निःसंदेह, अहंकार और इन सभी बेहूदा चीजों का तुमने त्याग किया है, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन इन चीज़ों को आपने कभी भी किसी भी तरह से नहीं चाहा, आप में से किसी को भी वह अहंकार पसंद नहीं आया। यहां तक ​​कि भारतीयों को भी बहुत त्याग करना पड़ा, उन्होंने कई आदतों को छोड़ दिया है जो इस राष्ट्र के स्वस्थ विकास के लिए बहुत ही नुकसानदायक या हानिकारक हैं। सहजयोगियों के रूप में, वे भी इतने ऊपर आ गए हैं, वे बहुत ईमानदार, अत्यंत मधुर और सत्कार करने वाले व्यक्ति बन गए हैं।

उसी तरह, मैं कहूंगी कि विदेश स्थित मेरे बच्चों ने वास्तव में कुछ चीजों को छोड़ने के लिए अद्भुत काम किया है, जिनके बारे में मुझे लगता था कि उनके लिए छोड़ना मुश्किल होगा। उन्होंने अपने नैतिक मूल्यों को बदल दिया है, उन्होंने बहुत सख्त नैतिक संहिता को स्वीकार कर लिया है। और वे उस नैतिकता और उस गुण का आनंद लेते हैं।

मुझे नहीं पता कि इसके लिए आपको कैसे बधाई दूं। आप कह सकते हैं, “माँ, आपके प्यार ने यह किया है”, लेकिन मैं नहीं जानती। मुझे लगता है कि यह आपकी अपनी क्षमताएं हैं, आपके “पूर्व जन्म” के “संचित”अच्छे कर्म, जो कुछ भी आपने अपने पिछले जन्मों में कमाया है, उसी ने यह सब कुछ किया है| अन्यथा, एक व्यक्ति को बदलना भी असंभव है। यह सब बदलाव भलाई के लिए, आनंद और खुशी के लिए आया है। आपको ज्यादा कुछ बदलने की जरूरत नहीं है; आपको बदलने की जरूरत नहीं है, लेकिन अब आपको बदलाव का आनंद लेना है। और परिवर्तन का आनंद तब आता है जब आपके पास जो नामकरण हैं जैसे भारत से, पूरब से या पश्चिम से जो सभी आपको नीचे खींच रहे हैं; बस उन्हें फेंक दो और उत्थान पाओ। आप सभी को मिलकर अपने पिता के आशीर्वाद और आनंद का मज़ा लेना चाहिए।

तो आज का दिन बहुत अच्छा है। इस प्रारंभ हो चुके “संक्रमण” (आंतरिक क्रांति) को, गंभीर प्रयास की आवश्यकता है। हम उसके साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते। बहुत बड़ी इमरजेंसी है। माहौल में मैं आपातकाल महसूस कर सकती हूं: सभी देवी-देवता इसे कार्यान्वित करने में आपकी मदद करने के लिए हैं। तुम मंच पर हो और तुम्हें क्रांति का वह महान नाटक रचना है।

हमें इस दुनिया को दिखाना होगा कि केवल आत्मा ही दुनिया को बचा सकती है, और कुछ नहीं। और इसलिए, आज से हम,  उस सूक्ष्मता और उस संवेदनशीलता की ओर अपनी यात्रा शुरू करते हैं, जिसे आप महसूस कर सकते हैं; जिस निरानंद को आप महसूस कर सकते हैं। निरानंद, आपकी माता का नाम नीरा है, और सहस्रार में आप “आनंद” को महसूस करते हैं, नीरा का आनंद ।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करें!