Shri Ganesha Puja: The Importance of Chastity Brighton Friends Meeting House, Brighton (England)

श्री गणेश पूजा: पवित्रता का महत्व04-08-1985ब्राइटन फ्रेंड्स मीटिंग हाउस, ब्राइटन (इंग्लैंड) आज हम यहां सही अवसर और बहुत ही शुभ दिन पर श्री गणेश की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। श्री गणेश प्रथम देवता हैं जिनकी रचना की गई थी ताकि पूरा ब्रह्मांड शुभता, शांति, आनंद और आध्यात्मिकता से भर जाए। वह स्रोत है। वह अध्यात्म का स्रोत है। इसके परिणामस्वरूप अन्य सभी चीजें अनुसरण करती हैं। जैसे जब बारिश होती है और हवा चलती है तो आप वातावरण में ठंडक महसूस करते हैं। उसी तरह जब श्री गणेश अपनी शक्ति का उत्सर्जन करते हैं, तो हम इन तीनों चीजों को भीतर और बाहर महसूस करते हैं। लेकिन यह इतना दुर्भाग्यपूर्ण रहा है, विशेष रूप से पश्चिम में, सबसे महत्वपूर्ण मौलिक देवता को न केवल पूरी तरह से उपेक्षित किया गया है, बल्कि अपमानित किया गया और सूली पर चढ़ाया गया है। तो आज हालांकि मैं कुछ ऐसा नहीं कहना चाहती की आप परेशान हों, लेकिन मैं आपको बता दूं कि श्री गणेश की पूजा करने का मतलब है कि आपके भीतर पूरी तरह से स्वच्छ्ता होनी चाहिए। श्रीगणेश की पूजा करते समय मन को स्वच्छ रखें, हृदय को स्वच्छ रखें, अपने को स्वच्छ रखें – काम और लोभ का कोई विचार नहीं आना चाहिए। दरअसल, जब कुंडलिनी उठती है तो गणेश को हमारे भीतर जगाना होता है, अबोधिता को प्रकट होना पड़ता है – जो हमारे भीतर से ऐसे सभी अपमानजनक विचारों को मिटा देता है। अगर उत्थान हासिल करना है तो हमें समझना होगा कि हमें Read More …

Talk to doctors: the fourth dimension and the parasympathetic Brighton (England)

               श्री माताजी की डॉक्टरों से बातचीत ब्राइटन (यूके), 26 जुलाई 1984। श्री माताजी: जिस चौथे आयाम के बारे में उन्होंने उल्लेख किया है, वे उसका क्या अर्थ लगाते है? वह महत्वपूर्ण बात है। वारेन: वे उस अतींद्रिय अवस्था को कहते हैं। श्री माताजी: लेकिन क्या? वारेन: वे इसका वर्णन नहीं कर सकते। (यहाँ माँ फिर से कहती है “क्या?”, जबकि वॉरेन शब्द “वर्णन” कह रहा है) श्री माताजी: वे इसका वर्णन नहीं कर सकते, आप देखिए। मान लें कि किसी के दिल की धड़कन कम है, नाड़ी की दर कम है या ऑक्सीजन की ग्रहण क्षमता या कुछ भी कम है। वारेन: यह अतींद्रिय स्थिति नहीं है। श्री माताजी: वह अतींद्रिय अवस्था नहीं है, क्योंकि आप अभी भी उस अवस्था में हैं, जहाँ आपका ध्यान आपके शरीर पर है। तो, यह एक अतींद्रिय नहीं है, आपको इन्द्रियों के पार जाना होगा। (ट्रान्सडैंटल) अतींद्रिय का मतलब है कि आपको परानुकम्पी (पैरासिम्पेथेटिक) पर कूदना होगा। देखें, हम कह सकते हैं, हमारे पास चार आयाम हैं । एक आयाम है बायीं अनुकम्पी (लेफ्ट सिम्पैथेटिक)का, दूसरा दायीं अनुकंपी (राईट सिम्पैथेटिक)का है, फिर हमें मध्य तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम )प्राप्त हुआ है, जो हमारा चेतन मन है और चौथा आयाम परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक) है। क्या वह परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक)पर कूदता है? वारेन: हम करते हैं। श्री माताजी: हाँ। सहज योग में आप परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक) पर कूदते हैं; अर्थात आपका चित्त परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र (पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम )को नियंत्रित करना शुरू कर देता है। फिर हम यह कैसे साबित करते हैं कि हम चौथे आयाम के हो Read More …

Lord Buddha Brighton (England)

                                                   भगवान बुद्ध                                       सार्वजनिक कार्यक्रम 1983-0526, ब्राइटन, यूके आज, फिर से, यहाँ ब्राइटन में होना ऐसा आनंददायक है; और, धीरे-धीरे और लगातार, मुझे लगता है कि सहज योग इस जगह पर स्थापित हो रहा है। जब मैं पहली बार ब्राइटन केवल मिलने आयी थी, तो मुझे लगा कि इस जगह पर अवश्य ही बहुत से साधक होना चाहिए हैं, जो शायद खो गए हैं और हमेशा एक बड़ी उम्मीद थी कि एक दिन वे वास्तविकता में आने में सक्षम होंगे। आज का दिन बहुत खास है क्योंकि आज भगवान बुद्ध का जन्मदिन है। और सुबह में, मैंने उनके महान अवतार के बारे में सहज योगियों से बात की, और किस तरह वह इस धरती पर आए और उन्हें उनका बोध हुआ, और फिर कैसे उन्होंने बोध का संदेश दूसरों में फैलाने की कोशिश की। बहुत से लोग मानते हैं और सोचते हैं कि क्राइस्ट एक नास्तिक था … बुद्ध एक नास्तिक थे, जबकि क्राइस्ट एक ऐसे व्यक्ति थे जो, ईश्वर में आस्था रखते थे। और कुछ लोग बुद्ध को ईसा मसीह के मुकाबले अधिक पसंद करते हैं। यह कुछ बहुत ही आश्चर्यजनक है … कि जब लोग विशेष परिस्थितियों में पैदा होते हैं, तो उन्हें उन चीजों के बारे में बात करनी होती है जो उस समय बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। जिस समय बुद्ध भारत में इस धरती पर आए थे, उस समय हमारे पास बहुत अधिक ब्राह्मणवाद का कर्मकांड और परमात्मा और धर्म के नाम पर धनार्जन करने वाले व्यवसायी जो भगवान के नाम पर और धर्म के नाम पर Read More …

The Left Side Problems of Subconscious Christchurch House, Brighton (England)

                “बायाँ पक्ष: अवचेतन की समस्याएं” होव, ब्राइटन के पास, यूके,१३ मई १९८२। [पहले तीन मिनट बिना आवाज के हैं] लेकिन जैसा कि मैंने आपको बताया कि अच्छी जड़ताएँ (कंडीशनिंग) हो सकती है। उसी तरह, आप में अच्छी आदतें और बुरी आदतें हो सकती हैं। आदतें यदि आपके उत्थान को रोकती या बाधित करती हैं, तो वे आपको स्थिर करने में मदद भी कर सकती हैं। जड़ता (कंडीशनिंग) आपके पास उन पदार्थों से आती है जिनके साथ हम दिन-प्रतिदिन का व्यवहार कर रहे हैं। जब कोई इंसान पदार्थों को देखता है, तो वह उन पर अतिक्रमण करता है और वह उस पदार्थ को अपने उपयोग\उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। वह अपने उपयोग\उद्देश्य के लिए पदार्थों के रूपों को बदलता है। वह आराम के रूप में, या जीवन में मदद या मार्गदर्शक के रूप में पदार्थो का उपयोग करने के लिए अभ्यस्त होने लगता है। जितना अधिक आप पदार्थ पर निर्भर होना शुरू करते हैं, उतना ही आपकी सहजता समाप्त हो जाती है, क्योंकि आप निर्जीव के साथ व्यवहार कर रहे हैं। पदार्थ, जब निर्जीव हो जाते है, तभी हम उस से व्यवहार करते हैं। जब यह जी रहा होता है तो हम इसके बारे में ज्यादा परवाह नहीं करते हैं। इसलिए उस पदार्थ की जड़ता हमारे भीतर तब बैठ जाती है जब हम उस पदार्थ को अपने प्रयोजन के लिए प्रयोग करने लगते हैं। लेकिन हम अन्यथा कैसे अपना अस्तित्व बनाये रख सकते हैं, यह सवाल लोग पूछ सकते हैं। अगर भगवान ने हमें यह भौतिक चीजें और इन Read More …

The Meaning of Puja Pamela Bromley’s house, Brighton (England)

                                              “पूजा का अर्थ”  ब्राइटन (इंग्लैंड), 19 जुलाई 1980। अब पूजा के लिए यह समझना होगा कि बिना आत्म-बोध के पूजा का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि आप अनन्य नहीं हैं। ऐसा है कि, आपको अपने पूरे के प्रति जागरूक होना होगा। कृष्ण द्वारा प्रतिपादित भक्ति का वर्णन है “अनन्य”। वे कहते हैं, “मैं तुम्हें अनन्य भक्ति दूंगा”, वे अनन्य भक्ति चाहते हैं, अर्थात जब दूसरा कोई नहीं हो, अर्थात जब हमें आत्मसाक्षात्कार हो जाता है।  अन्यथा वे कहते हैं “पुष्पम, फलम तोयुम” (भगवद गीता श्लोक 26) “एक फूल, एक फल और एक पानी: तुम जो कुछ भी मुझे देते हो, मैं स्वीकार करता हूं” लेकिन जब देने की बात आती है, तो वे कहते हैं, “तुम्हें मेरे पास अनन्य भक्ति से आना होगा,” जिसका अर्थ है: जब तुम मेरे साथ एक हो गए हो, ऐसी तुम्हें भक्ति करनी चाहिए, उससे पहले नहीं। इससे पहले, आप जुड़े नहीं हैं।  अब पूजा बाईं ओर का प्रक्षेपण है। यह दायें पक्ष की अति का निष्प्रभावीकरण है, । विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो बहुत दाहिने पक्ष वाले हैं, ऐसा वातावरण जो बहुत दाहिने पक्ष का है, पूजा उनके लिए आदर्श है। यह भक्ति है, भक्ति है… जो आप प्रोजेक्ट करते हैं। अब वास्तव में क्या होता है जब आप इस पूजा को प्रक्षेपित करते हैं?  यह पता चला है, और अब जैसा कि मैं आपको बता रही हूं कि पहले आपको अपने भीतर सोए हुए देवताओं को उनकी पूजा कर के जगाना होगा। लेकिन चूंकि ये देवता, मूल देवता, मेरे साथ Read More …

What is Seeking? Brighton Pavilion, Brighton (England)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी (आत्मा की) खोज क्या है? ब्राइटन पवैलियन,  यूनाइटेड किंगडम  31st March, 1980 मैंने कल आपको बताया था कि आप को कैसे अनुभव होता है अपनी खोज का? आप को अपनी खोज का अनुभव क्यों होता हैं। हमारे अंदर ऐसा क्या है जो इस खोज को कार्यान्वित करता है? और यह योग सहज है। और कोई रास्ता नहीं है जिससे आप अपना आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर सकें, क्योंकि अगर आपको एक बीज को अंकुरित करना है तो उसमें अंकुरण होना चाहिए। इसी प्रकार अगर आपको अपनी नई चेतना में अंकुरित होना है, वह आपके कुंडलिनी जागरण के द्वारा ही होना है, क्योंकि इसी कार्य के लिए कुंडलिनी वहां है। अगर आप को ये (माइक) मुख्य स्विच में लगाना है तो आप को तार प्रयोग करना होगा। इस के लिए और कोई रास्ता नहीं है। जैसे कल मैंने आपको बताया था कि ये सुंदर यंत्र बनाया गया है, सारे प्रयास किये गए हैं। आप इस से गुजर चुके हैं, कितने, हम ने इसे पैंतीस करोड़ के लिए कितना गिना था? पैंतीस! हां? सहज योगी: तीन सौ पचास मिलियन श्री माताजी : तीन सौ पचास मिलियन प्रकार के जीवन! और अब आप मनुष्य बन गए हैं। तो, आखिरकार अवश्य ही इस सुंदर मानवीय ढांचे, इस यंत्र का कोई अर्थ होगा कि क्यों इसका निर्माण किया गया। इसका अवश्य कोई कारण होगा। और जैसे आप को अपना मानवीय साक्षात्कार प्राप्त हुआ है, जैसे आपको यह मानवीय शरीर मिला है, अगर आपको और विकसित व्यक्तित्व तक पहुंचना है, तो Read More …