New Year’s eve Puja (भारत)

New Year Puja – Indian Culture 31st December 1998 Date: Place Kalwe Type Puja Speech-Language English, Marathi & Hindi आज जो बात कही है वो समझने की बात है कि हम लोग अपने बच्चों पर जो जबरदस्ती, जुल्म करते हैं उसे हम जुल्म नहीं समझते हैं। पर ये बच्चे सब साधू-संत आपके घर में आये हैं, तो आपको उनकी इज्जत करनी चाहिए। उनको सम्भालना चाहिए। उनको प्यार देना चाहिए, जिससे वो पनपे, बढ़े। उनको स्वतन्त्रता देनी चाहिए । वो कभी गलत काम कर नहीं सकते क्योंकि वो संत-साधू है। लेकिन आपकी दृष्टि में फर्क है। आप हर जगह अपना ही एक, मराठी में कहते हैं कि ‘मनगटशाही’ या ‘हिटलर शाही’ सब ‘शाही’ लगाते हैं। इस चीज़ में मेरे खयाल से मुझसे बढ़कर कोई नहीं होगा, मुझे बिलकुल पसन्द नहीं है बच्चों को जरा भी कुछ कहना। मुझे पसन्द नहीं है। अगर कोई ऐसी वैसी बात हो तो उसको समझायें, पर इन बच्चों को पनपना चाहिए। यही इस देश के कल के नागरिक हैं और यही बच्चे आपको करामात करके दिखाएंगे। इन लोगों को, बच्चों को इस कदर स्वतन्त्रता तो उस स्वतन्त्रता से आज मैं देखती हूँ कि कितने बढ़िया हो गये हैं। हालांकि खराबी भी बहुतों की हुई है। अब आपके पास संस्कृति का आधार है। उस आधार पर इन बच्चों को आप सम्भालें, उनको समझाईये कि हमारी क्या संस्कृति हो जाएंगी। हमारे देश के बारे में, वहाँ जो महान लोग हो गये हैं उनके बारे में है, तो बहुत सी बातें सीधी-सरल किसी को कुछ मालूम ही नहीं। कोई Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja. Ganapatipule (Maharashtra, India), 24 December 1998. First, I’ll speak in English and then in Hindi. Today, long time back, Christ was born. You all know the story of His birth, and of all the sufferings He had to go through. He’s the One who has given us the model of Sahaja Yoga. For He didn’t live for Himself, in no way, but He lived for others, working out the Agnya Chakra. You may be Divine, you may be very powerful, but this world is so cruel that they don’t understand spirituality, they don’t understand the spiritual greatness. Not only that, but they are many factors which attack spirituality, they have always done it. Every saint has suffered a lot, but I think Christ has suffered the most. As you know, He was endowed with all the powers of Shri Ganesh, as He is the reincarnation of Shri Ganesha. The first of them was His innocence: He was the eternal child, we should say that He could not understand the cruelty and the hypocrisy of this stupid world. Still if you can understand, what can you do about it? But with great courage, He took birth in a country where people had no idea of spirituality. I read a book about Him, saying that He came to Kashmir, where He met one of My forefathers Shalivana. It’s very interesting, because it is all in Sanskrit, and the writer perhaps did not know Sanskrit, so he has given everything in Sanskrit language, which is Read More …

Public Program New Delhi (भारत)

नैतिकता और देशभक्ति दिल्ली, १८/१२/१९९८ सत्य को शोधने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार! हम सत्य को खोज रहे हैं किंतु कौन सी जगह खोजना चाहिए? कहाँ खोजना चाहिए? कहाँ ये सत्य छुपा हुआ है? ये पहले समझ लेना चाहिए। आप देखते हैं कि परदेस से हजारों लोग हर एक देश से यहाँ आते हैं और उनसे पूछा जाये कि, ‘तुम यहाँ क्यों आयें?’ तो कहते हैं कि, ‘हम यहाँ सत्य खोजने आयें हैं, हमारे देश में तो सत्य नहीं लेकिन भारत वर्ष में तो सत्य है। ये समझ कर के हम यहाँ आयें हैं। और इस सत्य की खोज में हम हर साल हजारों लोग इस देश में आते हैं और हजारों वर्षों से इस देश में आते हैं। आपने सुना ही होगा कि इतिहास में चायना से और भी कई देशों से लोग यहाँ आते थे। और उनको पता नहीं कैसे मालूम था कि इस देश में ही सत्य नेक है, छुपा हुआ है। और उसकी खोज में वो गिरीकंदरों में घूमते थे । हिमालय पर जाते थे। हर तरह का प्रयत्न करते थे कि किसी तरह से हम सत्य को खोज लें क्योंकि वो किसी भी धर्म का पालन करते हैं। लेकिन वो जानते थे कि इस धर्म पालन से हमें सत्य नहीं मिलने वाला है। ये एक तो मार्गदर्शक है। जैसे रास्ते पर इशारे पर लिखा जाता है कि ये रास्ता है। किंतु इससे हम पाते हैं इसलिए इस अधूरेपन से परेशान होकर के वो इस भारतवर्ष में आते थे। अब ये सत्य हमारे देश Read More …

Expression of Subtle Elements New Delhi (भारत)

Panch Tattwa – The Subtle Elements Date 16th December 1998: Place Delhi: Seminar & Meeting Type Hindi & English Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] इतने ठंड में और तकलीफ में आप सब इतना भयंकर दावानल जैसे चारों तरफ से लगा लोग आए। एक माँ के हृदय के लिए ये बहुत हुआ दिखाई देता है। उसके बीच आप सहजयोगी बड़ी चीज़ है। अब और कोई दिन मिल नहीं रहा था, इसी दिन आप लोगों का तकलीफ वर्णन शास्त्रों में है। पर उसमें ये कहा जाता है उठानी पड़ी। और आप लोग इतने प्रेम से, सब लोग, यहाँ आए! सबका कहना था कि हवाई दिन कलि लग गया। तो उन्होंने कहा कि अब अड्डे पर माँ हम तो बिल्कुल आपको देख भी मैं तेरा सर्वनाश करता हूँ क्योंकि तुमने मेरी पत्नी नहीं पाए, और मैं भी आपको नहीं देख पाई। से मैरा बिछोह किया है । इस पर कलि ने कहा इसलिए बेहतर है कि आप लोग आज यहाँ आए कि तुम मेरा महात्म्य जानो मेरा जो महात्म्य है हैं, सब लोग। और दिल्ली वालों का जो उत्साह खड़े हुए हैं। इस कलयुग के बारे में अनेक कि नल, जो दमयंति के पति थे, के हाथ एक उसे समझ लो। उस महात्म्य में गर तुम समझो कि मुझे मार डालना है तो मार डालो, में खत्म हो जाऊंगा। उसने कहा तुम्हारा क्या महात्म्य है? है, वो कमाल का है। ऐसा ही उत्साह सब जगह हो तो ये भारतवर्ष सहजयोग का महाद्वार बन जाएगा। ये एक समय है, Read More …

7th Day of Navaratri, You all should depend on Paramchaitanya Campus, Cabella Ligure (Italy)

                 नवरात्रि पूजा, “शुद्ध ज्ञान”  कबेला (इटली), 27 सितंबर 1998 आप कल्पना नहीं कर सकते कि एक माँ, जिसके इतने सुंदर बच्चे हैं, उन्हें अपने परिवारों के साथ इतनी हर्षित मनोदशा में, अपने बच्चों को अच्छी तरह स्थापित देख कैसा महसूस करती है। आप सभी को इतना आनंद और परमात्मा के साथ पूर्ण एकाकारिता में देखकर बहुत संतोष होता है। किसी व्यक्ति को केवल एक ही बात समझनी है, कि यद्यपि आप बहुत हैं, फिर भी, इस दुनिया की आबादी की तुलना में, हम बहुत कम हैं जो वास्तव में सच्चे ज्ञान, वास्तविक ज्ञान को जानते हैं। बेशक, आप ज्ञानी लोग हैं। लेकिन साथ ही ऐसा ज्ञान जो सत्य से सुशोभित नहीं है, या जो सच्चा ज्ञान नहीं है, अर्थहीन है। वह सब कुछ हवा में गायब हो जाता है क्योंकि यह कृत्रिम है। अपने कुंडलिनी जागरण से, आप सभी ने वह अवस्था प्राप्त कर ली है, जहाँ हम कह सकते हैं, आप जानते हैं। आप जानते हैं कि वास्तविक ज्ञान क्या है। लेकिन उन लोगों के बारे में सोचो जो नहीं जानते कि ज्ञान क्या है। हम, उदाहरण के लिए, हम कहते हैं कि हमारा ज्ञान प्रेम के अलावा और कुछ नहीं है। लेकिन व्यक्ति को विवेकबुद्धि को समझना चाहिए। तुम्हारे भीतर, ज्ञान जो प्रेम है, वह तुम्हारे अस्तित्व से उत्सर्जित हो रहा है। आपको जताने की जरूरत नहीं है। आपको सोचने की जरूरत नहीं है। आपको किसी प्रकार की कविता पढ़ने या किसी प्रकार के प्रेम-प्रदर्शन में जाने की आवश्यकता नहीं है। यह केवल शुद्ध प्रेम है जो उत्सर्जित Read More …

Shri Krishna Puja – Witness State Campus, Cabella Ligure (Italy)

श्री कृष्ण पूजा। कबेला लिगर (इटली), 16 अगस्त 1998 आज हम श्री कृष्ण पूजा करने जा रहे हैं। श्री कृष्ण की शक्ति के बारे में यह एक बहुत महत्वपूर्ण बात है कि, यह आपको एक साक्षी भाव प्रदान करती है। यह बहुत महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि कलियुग और पूर्ण भ्रमित जीवन मूल्यों के इस समय में, सभी प्रकार की उथल-पुथल, इस से बाहर निकलने  के लिए एक बहुत ही जटिल स्थिति बनाती है। साक्षीभाव की अवस्था ध्यान के माध्यम से ही संभव है। आप निर्विचारिता में पहुँच जाते हैं। यह दोनों  संयुक्त है। अब साक्षी अवस्था एक ऐसी अवस्था है जहाँ आप कोई प्रतिक्रिया नहीं करते। यदि आप प्रतिक्रिया करते हैं, तो समस्या शुरू होती है। यह समझना बहुत सरल है कि हम अपने अहंकार या अपने कंडीशनिंग के कारण प्रतिक्रिया करते हैं। अन्यथा प्रतिक्रिया करने का कोई और कारण नहीं है। कोई भी। अब, उदाहरण के लिए, यहां एक सुंदर कालीन है। जैसे ही मैं इसे देखती हूं – अगर मैं अपने अहंकार का उपयोग करुं तो मैं सोचना शुरू कर दूंगी , “अब, उन्हें यह कहाँ से मिला? उन्होंने इसका कितना भुगतान किया? ” यह पहली प्रतिक्रिया है। फिर आप इस से आगे भी जा सकते हैं। क्रोध आ सकता है। ”वो इतना अच्छा कालीन क्यों लाए? इसे यहां लगाने की क्या जरूरत थी? ” इस प्रकार एक के बाद एक विचार चलता रहता है। अब अगर मैं अपनी अनुकूलताओं से इन चीजों को देखूँ, तो मैं कहूंगी कि यह रंग कृष्ण पूजा के लिए उपयुक्त नहीं है। इस Read More …

Adi Shakti Puja: You Must Develop Humility Campus, Cabella Ligure (Italy)

१९९८- ०६ -२१, आदिशक्ति पूजा, कबैला, इटली                  आपको विनम्रता विकसित करनी होगी कारण कुछ भी हो, रूस के लोग खुले विचारों वाले होते हैं। इतना ही नहीं, विशेष रूप से वैज्ञानिक बहुत ही खुले विचार वाले हैं। और पहले उन्हें बहुत दबाया जाता था, इसलिए उन्होंने सूक्ष्मतर चीज़ों को खोजने का प्रयत्न किया। वह न केवल रसायनों के विषय या प्रकाश के कुछ भौतिक गुणों के बारे में पता लगा रहे थे बल्कि वह सूक्ष्मतर की ओर जाना चाहते थे और उन्होंने पहले से ही भौतिक आभा के विषय में गहन ज्ञान प्राप्त किया था – हाथों के चारों ओर की आभा और शरीर के आस-पास की आभा। उन्होंने बहुत शोध किया और उनकी खोज को विश्व भर में स्वीकार किया गया। अब यह सज्जन एक विशेषज्ञ थे, मुझे लगता है, क्योंकि वह एक बहुत ही जाने-माने, अत्यंत प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और वह बहुत ऊँचे पद पर हैं। वह कह रहे थे कि उन्हें 150 संस्थाएँ चलानी पड़ती हैं – अति विनम्र और बहुत अच्छे व्यक्ति। और जब उन्होंने यह खोज की तो मैं एक प्रकार से प्रसन्न थी, क्योंकि वैज्ञानिक रूप से अगर यह प्रमाणित हो गया, तो कोई भी इसे चुनौती नहीं दे सकता। उन्होंने पहले से ही एक पुस्तक लिखी है जिसमें सभी बीजगणितीय जटिलताओं के बारे में बताया गया है, जिसे वह प्रमाणित करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि वहाँ एक शून्य है, चेतना से परे एक शून्य क्षेत्र है। और केवल उस शून्य क्षेत्र में ही आप वास्तविकता को जान सकते हैं और एक बार Read More …

Easter Puja: You Can Spread Sahaja Yoga Only Through Love and Compassion Istanbul (Turkey)

Easter Puja. Istanbul (Turkey), 19 April 1998 आज हम ईसा मसीह के पुनरुत्थान का उत्सव मना रहे है | यह ईसा मसीह के जीवन का सबसे बड़ा संदेश है, सूली पर चढ़ना नहीं है |  किसी भी व्यक्ति को सूली पर टांगा जा सकता है और मारा जा सकता है, किन्तु ईसा मसीह का ये मृत शरीर पुनर्जीवित हो उठा | म्रुत्यु का स्वयं अंत हो गया और उन्होंने इस पर विजय प्राप्त कर ली |  यह चमत्कार हो सकता है सामान्य मनुष्य के लिए निश्चय ही, किन्तु ईसा मसीह के लिए नहीं, क्योंकि वे दैवीय व्यक्तित्व थे, वे श्री गणेश थे, वे स्वयं ओंकार थे | इसलिए वे पानी पर चल सकते थे | गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रभाव उन पर नहीं पड़ सकता था और इसलिए भी वे पुनर्जीवित हो उठे क्योकि मृत्यु उन पर प्रभावी नहीं हो सकी|  वे ऐसे महान दैवीय व्यक्तित्व थे विशेषतः मनुष्यों के लिए बनाये गए थे ताकी लोग उनको पहचान सकें | लेकिन लोगों ने उनको पहचाना नहीं, उनकी हत्या कर दी अत्यंत बर्बरतापूर्वक | वे आज भी सोचते हैं कि यह क्रॉस (सूली) एक महान वस्तु है क्योंकि ईसा मसीह की मृत्यु एक क्रॉस पर हुई थी | यह एक बहुत ही क्रूर विचार है मानव जाति का क्रॉस (सूली) को सम्मान देना | यह क्या दर्शाता है? यह ये दर्शाता है कि लोगों ने पसंद किया उनके प्रति की गई क्रूरता बर्बरता को | क्रॉस प्रतीक है उनकी मृत्यु का और उन पर अत्याचारों है, जिस तरह से उन्हें यातनाएं दी गई थी। इसलिए वह बहुत  दुःखद समय था जब उनको सूली पर टांगा गया | लेकिन जब वे पुनर्जीवित हो उठे तो यह सर्वाधिक आनंददायक अत्यंत मंगलदायक और Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

75th Birthday Puja Date 21st March 1998: Place Delhi: Type Puja [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज इसलिए अंग्रेज़ी में बात की क्योंकि हमेशा में रियलाइज़ेशन दे दो। आपके सारे प्रश्न इससे छुट जायेंगे और हिन्दी में ही बात करती हैँ। लेकिन जो इनसे बात की वो आप एक नए तरह का व्यक्तित्व आपके अंदर आ जायेगा। यह एक लोगों को समझ में आयी होगी। वो यह है कि जब आपके बहुत बड़ा मन्वंतर घटित हो रहा है। मैं कहूँगी कि एक आत्मा का प्रकाश आपके अन्दर फैलता है तो आपमें तीन युनरुत्थान की नई बेला आ गई। इसमें मनुष्य का परिवर्तन होना विशेषतायें आ जाती हैं : आप गुणातीत हो जाते हैं । आप जानते ही अत्यावश्यक है। नहीं तो मनुष्य की जो समस्या है वो ठीक हैं कि आपके अन्दर तमो गुण, रजो गुण और सत्व गुण – तीन नहीं हो सकती। उसका परिवर्तन होना चाहिए और जब वो गुण हैं। तमो गुण जिसमें होते हैं उनका एक स्टाइल (Style) होता है । रजो जिसमें होता है उनका एक स्टाइल होता है, और फिर जब दोनों चीजों से ऊबकर वे सत्व गुण में उतरते सारे प्रांगण में ही आके जैसे आनन्द नाचता है। ऐसे सौंदर्यमय हैं जहां पर आप सोचते हैं अब ये तो सब बेकार की चीजें हैं, और सुन्दर जीवन को प्राप्त करने के लिए आपको कुछ करना अब हमें खोजना है । जब खोज शुरू हो जाती हैं तब आप सत्व गुणी हो जाते हैं। सत्व गुण में उतरने पर फिर Read More …

75th Birthday Felicitation Program, Put Attention To Your Spirit New Delhi (भारत)

75th Birthday Felicitation Program. Delhi (India), 20 March 1998. I bow to all the seekers of truth. So much has been said and really my heart is full of gratitude for all of you to come here, all the way, and the way people have described about Sahaja Yoga. To understand Sahaja Yoga, we should know where are we today in this Kali Yuga. What are we facing today? It should really make you feel quite disturbed to see the way things are going on in every country, everywhere. What’s the problem? What is the, such a need for people to become so restless, full of tensions. Collectively, country-wise, anywhere you go you find some sort of a confusion. Terrible. The whole society seems to be boiling with a kind of a fear of destruction. What is the reason? There are so many religions, so many organized, disorganized, all kinds of things. There are so many sadhus and saints. There are so many books written about what you should have. But the only one who is a seeker of truth should see one point: Why, why there is so much problem in this world and how can you help them? Where is the problem? It is inside the human being. As described, you see, we have come out of a animal stage to a human stage. We have a human awareness, no doubt. In that awareness, we start seeing all kinds of things that are not good, which are destructive, Read More …