Mahashivaratri Puja Bundilla Scout Camp, Sydney (Australia)

“अपने चित्त को प्रेरित करें “, महाशिवरात्रि पूजा। बुंडिला स्काउट कैंप, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 मार्च 1996. आज हम शिव, श्री शिव की पूजा करने जा रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, श्री शिव हमारे भीतर सदाशिव का प्रतिबिंब हैं। मैंने पहले ही प्रतिबिंब के बारे में बताया है। सदाशिव , सर्वशक्तिमान परमात्मा हैं, जो आदि शक्ति की लीला देखते हैं। लेकिन वह पिता हैं जो अपनी प्रत्येक रचना को या उनकी प्रत्येक रचना को देख रहे हैं। उनका समर्थन आदि शक्ति को पूरी तरह से है, पूर्णतया सशक्त करने वाला है। उनके मन में आदि शक्ति की क्षमता के बारे में कोई सन्देह नहीं है। लेकिन जब वह पाते हैं कि आदि शक्ति की लीला में, लोग या दुनिया अपने आप में, उन्हें आकुल करने, या उनके काम को बिगाड़ने का प्रयत्न कर रहे हैं, तो वह अपनी कुपित मन:स्थिति में आ जाते  हैं, और वह ऐसे सभी लोगों को नष्ट कर देते हैं, और हो सकता है, वह पूरी दुनिया को नष्ट कर दें । एक ओर वह क्रोधी हैं, कोई संदेह नहीं, दूसरी ओर, वे करुणा और आनंद का सागर हैं। इसीलिए, जब वह हमारे भीतर परिलक्षित होते  हैं , हमें अपना आत्मसाक्षात्कार  प्राप्त होता है, हमें अपनी आत्मा का प्रकाश मिलता है और हम आनंद के सागर में डूब जाते हैं। इसके साथ ही, वे ज्ञान का महासागर हैं, इसलिए जो लोग आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करते हैं उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है, जो बहुत ही सूक्ष्म है, प्रत्येक परमाणु और अणु में व्यापित, इस ज्ञान की Read More …

Easter Puja: Resurrection Bundilla Scout Camp, Sydney (Australia)

ईस्टर पूजा। सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 अप्रैल 1994। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप यहाँ  बहुत संख्या में आए हैं – और मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा है, न केवल ऑस्ट्रेलिया के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए, क्योंकि इसमें सबसे बड़ा संदेश है जिसे हमने अब सहजयोग में साकार किया है। हमें ईसा मसीह के संदेश को समझना होगा। इस दुनिया में बहुत से लोग हैं जो यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे बहुत महान तर्कवादी हैं और उन्हें कोई  भी टिप्पणी करने का अधिकार है, जो उन्हें ईसा मसीह के बारे में पसंद है। अख़बारों में आज मैं पढ़ रही थी, मुझे आश्चर्य हुआ कि वे सभी एक-एक करके यह कह रहे हैं कि, “मैं ईसा मसीह के इस हिस्से को अस्वीकार करता हूँ कि वे निरंजन गर्भधारण से पैदा हुऐ थे। मैं अस्वीकार करता हूँ  कि वे पुनर्जीवित हो गए । मैं इसे अस्वीकार करता हूँ और मैं उसे अस्वीकार करता हूँ। ” आप हैं कौन? क्योंकि आप लिख सकते हैं, क्योंकि आपके पास एक सूझ है, आप ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं? बस बिना पता लगाए। आप एक विद्वान हैं, हो सकता है कि आप बहुत अच्छी तरह से पढ़े हों, हो सकता है कि आपको लगता है कि आप किसी भी विषय में जो कुछ भी पसंद करते हैं उसे कहने में सक्षम हैं, लेकिन आध्यात्मिकता के विषय को उन लोगों द्वारा नहीं निपटाया जा सकता जो आत्म- साक्षात्कारी भी नहीं हैं। क्योंकि यह एक बहुत ही Read More …

Swadishthan, Thinking, Illness Part 1 Hilton Hotel Sydney, Sydney (Australia)

“स्वाधिष्ठान, सोच, बीमारी”  हिल्टन होटल, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 16 मार्च 1990। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आपको यह जानना होगा कि सत्य वही है जो है। हम अपनी मानवीय चेतना के साथ इसकी अवधारणा नहीं कर सकते। हम इसे आदेश नहीं दे सकते, हम इसमें हेरफेर नहीं कर सकते, हम इसे व्यवस्थित नहीं कर सकते। जो था, है और रहेगा। और सच क्या है? सत्य यह है कि हम घिरे हुए हैं या हममें समायी हुई है अथवा एक बहुत ही सूक्ष्म ऊर्जा द्वारा हमारा पोषण, देखभाल और प्रेम किया जाता है ऐसी उर्जा जो दिव्य प्रेम की है। दूसरा सत्य यह है कि हम यह शरीर, यह मन, ये संस्कार, यह अहंकार नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। जो मैं कह रही हूं उसे आंख मूंदकर स्वीकार करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अंधविश्वास कट्टरता की ओर ले जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों के रूप में आपको अपने दिमाग को खुला रखना चाहिए और जो मैं कह रही हूँ उसे खुद पड़ताल करना चाहिए: यदि ऐसा जान पड़े, तो ईमानदारी से आपको इसे स्वीकार करना चाहिए। हम अपनी सभ्यता, अपनी उन्नति के बारे में विज्ञान के माध्यम से बहुत कुछ जानते हैं। यह एक वृक्ष की उन्नति के सामान है जो बाहर बहुत अधिक बढ़ गया है; लेकिन अगर हम अपनी जड़ों को नहीं जानते हैं, तो हम नष्ट हो जाएँगे। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी जड़ों के बारे में जानें। और मैं कहूँगी की यही है हमारी जड़ें हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं, Read More …

Address to Sahaja Yogis, The need to go deeper Sydney (Australia)

(सहजयोगियों से बातचीत, प्रश्नोत्तर, बरवुड, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 6 मई, 1987) आज मैंने आपकी उन सभी समस्याओं को सोख लिया है जो कैनबरा में थीं और बाद में उस कॉफ्रेंस में थीं और उसके बाद यहां पर भी थीं। ये सभी समस्यायें मेरे चित्त में आती हैं और मैं उन पर वर्क करने का प्रयास कर रहीं थी। मेरी वर्क करने की शैली एकदम अलग है क्योंकि मेरा यंत्र अत्यंत तीक्ष्ण और प्रभावशाली है। लेकिन इसके लिये मुझे इस पर अपना चित्त डालना पड़ता है और कभी कभी मुझे थोड़ा-बहुत कष्ट भी उठाना पड़ता है लेकिन कोई बात नहीं। आपके लिये भी यह महत्वपूर्ण है कि आप भी इन गहन भावनाओं को…. गहन संवेदनाओं को अपने अंदर विकसित होने दीजिये। लेकिन अधिकांशतया लोग अत्यंत बनावटी हैं। वे केवल अपने शरीर, अपने इंप्रेशन और वे किस प्रकार से स्वयं को लोगों के सामने पेश करते हैं ….इन्हीं बातों के विषय में सोचते हैं। ज्यादा से ज्यादा वे सोचते हैं कि हमें कानूनी तौर पर सजग होना चाहिये …. या हमें शराब नहीं पीनी चाहिये… सिगरेट नहीं पीनी चाहिये। वे सोचते हैं कि यदि हमने ये सब प्राप्त कर लिया तो हमने सब कुछ प्राप्त कर लिया। लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता है। दूसरी बात ये है कि हम सोचते हैं कि यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं … यदि हम माँ से प्रेम करते हैं तो हमने सब कुछ प्राप्त कर लिया है। ये भी सच नहीं है क्योकि मेरे प्रति आपका प्रेम अगाध है इसमें कोई संदेह नहीं है Read More …

Devi Puja: How To Ascend Into Nirvikalpa Sydney (Australia)

             देवी पूजा, “निर्विकल्प तक उत्थान कैसे पाएँ ”  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 10 मार्च 1985 बयार चलेगी, अब आपको परेशानी नहीं होगी। इतने उच्च विकसित बहुत सारे सहजयोगियों को देखकर बहुत खुशी होती है। मुझे यकीन है कि सभी देवी-देवता और स्वयं सर्वशक्तिमान ईश्वर इस उपलब्धि को देखकर बहुत प्रसन्न होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन मुझे बताया गया था कि आप उच्च तरीके, या ऊँची बातें जानना चाहते हैं, जिसके द्वारा आप उच्च और अधिक ऊंचाई का उत्थान चाहते हैं। समाधि अवस्था में, सबसे पहले निर्विचार समाधि होती है, जैसा कि आप जानते हैं, निर्विचार समाधि कहलाती है। और फिर दूसरी अवस्था में, जिसे निर्विकल्प समाधि कहा जाता है, जहां यह निस्संदेह जागरूकता है, दो चरण हैं: सविकल्प और निर्विकल्प। अधिकांश सहजयोगी अब सविकल्प पर हैं, अभी तक निर्विकल्प पर नहीं हैं। और निर्विकल्प तक उठने के लिए, हमें यह समझना होगा कि हमें इसके बारे में कुछ और करना होगा। अब तक हमारी शारीरिक समस्याएं थीं जिनका समाधान हो गया है – शारीरिक जरूरतें, सुख-सुविधाएं अब हम पर हावी नहीं हो सकतीं। हम ब्रह्मपुरी जैसी किसी भी स्थिति में रह सकते हैं। हम उस सबका आनंद लेते हैं, जो दर्शाता है कि हम अब भौतिक जीवन या पदार्थ द्वारा निर्धारित बंधनों  से ऊपर उठ गए हैं। यह एक अच्छी स्थिति है जहां हम पहुंच गए हैं, जो लोगों के लिए भी बहुत मुश्किल है। आम तौर पर, लोग बेहद उधम मचाते हैं; वे सांसारिक चीजों, सांसारिक संपत्ति, सांसारिक भौतिक समस्याओं के बारे में चिंतित हैं। उनमें से बहुत से Read More …

Birthday Puja: Overcoming The Six Enemies Sydney (Australia)

             जन्मदिन पूजा, “छह दुश्मनों पर काबू पाना  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) २१ मार्च १९८३। आज इस शुभ दिन पर आप लोगों के साथ होना बहुत महत्व का है; आस्ट्रेलियाई लोगों के साथ रहना जो बहुत अच्छे सहज योगी साबित हुए हैं और जिन्होंने अपने आध्यात्मिक जीवन में बहुत तेजी से प्रगति की है। यहां अपने बच्चों के साथ रहकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। जैसा कि आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में मेरे बहुत सारे बच्चे हैं,  उन बच्चों के अलावा, जिन्हें मैंने वास्तव में शारीरिक रूप से जन्म दिया है। हमें आज उन सभी के बारे में सोचना होगा जो हमसे हजारों मील दूर हैं, अपने आध्यात्मिक उत्थान के लिए सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। आध्यात्मिक उत्थान के लिए केवल प्रार्थना करनी है। क्योंकि जैसे-जैसे आप का उत्थान होता जाता हैं शेष सब कुछ आपको मिल जाता है। चूँकि आप उत्थान नहीं करते हैं, आपको वह नहीं मिलता जिसकी आपको आवश्यकता है। इसलिए दिक्कतें हैं। और आज भी मुझे पूजा में आने से पहले कुछ समस्याओं का समाधान करना था। लेकिन अगर आप तय करते हैं कि हमें अपने भीतर आध्यात्मिक रूप से उत्थान करना है, तो आपको जो कुछ भी प्राप्त करना है, वे सभी आशीर्वाद जो ईश्वर आप पर बरसाना चाहते हैं, आपको अपने महान राज्य का नागरिक बनाने के लिए, जहां अब आपका और आकलन नहीं किया जाता हैं, और न फिर ताड़ना दी जाएगी, और परमेश्वर के अनन्त प्रेम और उसकी महिमा में जहां तुम निवास करते हो, वहां तुम्हारी परीक्षा नहीं होगी। Read More …

We have to understand that truth is not a mental action Maccabean Hall, Sydney (Australia)

                             सत्य मानसिक क्रियाकलाप नहीं है सार्वजनिक कार्यक्रम दिवस १. सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 15 मार्च 1983 लेकिन इससे पहले कि हम अपनी खोज के बारे में सही निष्कर्ष पर पहुंचें, हमें यह समझना होगा कि सत्य कोई मानसिक क्रिया नहीं है। अगर आपका मन कहता है कि “यह ऐसा है” तो आवश्यक नहीं की ऐसा ही होना चाहिए। जीवन में यह हमारा प्रतिदिन का अनुभव है कि मानसिक रूप से जब हम कुछ स्थापित करने का प्रयास करते हैं, तो कुछ समय बाद हम पाते हैं कि हम उसके बारे में बिल्कुल सही नहीं हैं। जो कुछ भी हमें ज्ञात है वह पहले से ही है। लेकिन जो कुछ भी अज्ञात है, उसके बारे में भी, यदि आपके पास पूर्वकल्पित विचार हैं, कि “यह अज्ञात है, यह ईश्वर है, यह आत्मा है”, तो ऐसा भी हो सकता है कि आप सत्य से बहुत दूर हैं। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से अगर आपको किसी विषय पर जाना है तो आपको अपना दिमाग बिल्कुल साफ और खुला रखना होगा, कि कई महान संतों, कई महान गुरुओं ने कहा है कि हमें फिर से जन्म लेना है और हम आत्मा हैं। क्या हमें उन पर विश्वास करना चाहिए या नहीं? शायद, हमें कम से कम इस निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए कि उन्होंने किसी से कोई पैसा नहीं लिया और वे नकली लोग नहीं हो सकते थे, उन्होंने पैसे के लिए ऐसा नहीं किया। इसलिए, यदि हमें नया जन्म लेना है, तो सही निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए हमें पता होना चाहिए कि हमारे साथ क्या होना Read More …

Devi Puja: Individual journey towards God Sydney (Australia)

                                                       देवी पूजा  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 14 मार्च 1983। अब आप सभी इस समय तक जान गए हैं कि हमारे ही भीतर शांति, सुंदरता, हमारे अस्तित्व का गौरव स्थित है। इन सबका एक सागर है। हम बाहर इसकी खोज़ नहीं कर सकते। हमें भीतर जाना है; जिसे वे ‘ध्यान की अवस्था में’ कहते हैं, आप उसकी तलाश करते हैं, आप उसका आनंद लेते हैं। जैसे, प्यास लगने पर आप किसी नदी पर जाते हैं या क्या आप समुद्र में जाते हैं ? और अपनी प्यास बुझाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सागर भी मीठा पानी नहीं दे सकता, तो जो बाहर फैला हुआ है, वो तुम्हें वह गहरी बात जो तुम्हारे भीतर स्थित है, कैसे दे सकता है? आप इसे बाहर खोजने की कोशिश कर रहे हैं जहां यह है ही नहीं। यह हमारे भीतर है, बिल्कुल हमारे भीतर है। यह इतना आसान है क्योंकि यह आपका अपना है। यह आपकी पहुंच के भीतर है, बस वहीं है। आप जो कुछ भी करते रहे हैं: आनंद, तथाकथित आनंद, तथाकथित खुशी, सांसारिक शक्तियों और सांसारिक संपत्ति की तथाकथित महिमा को खोजने के लिए बाहर जाना, आपको इस पूरी चीज से वापसी करना होगी। आपको अपने भीतर ध्यान देना होगा। यह गलत नहीं था कि आप बाहर गए [लेकिन] यह उचित नहीं था कि आप बाहर गए। आपने अब तक जो किया है उसके लिए आपको खेद नहीं होना चाहिए। जीवन के वास्तविक आनंद, अपने अस्तित्व की वास्तविक महिमा को पाने का यह उचित तरीका नहीं था। इसने इतने लोगों में काम किया है Read More …

Just mere awakening of the Kundalini is not sufficient Sydney (Australia)

       कुण्डलिनी जागरण हो जाना मात्र ही पर्याप्त नहीं है  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 29 मार्च 1981। मोदी ने अवश्य ही बहुत स्पष्ट रूप से आपको बताया होगा कि सहज योग में कैसे विकास किया जाए क्योंकि वह उनमें से एक हैं जिन्होंने अपने विकास को सुनिश्चित करने के लिए वास्तव में बहुत सकारात्मक कदम उठाये हैं। अब बोध के बारे में एक सरल बात समझनी होगी कि, केवल कुंडलिनी का जागरण पर्याप्त नहीं है, यह केवल शुरुआत है। आपको अपना बोध प्राप्त होता है लेकिन आपको वृक्ष बनना होगा, आपको विकसित होना होगा, आपको बनना होगा। यदि आप विकसित नहीं हो सकते हैं तो आपने वह हासिल नहीं किया है जो आप बनना चाहते थे। और ध्यान के साथ और ध्यान के बारे में समझ के साथ आप बहुत तेजी से बढ़ते हैं, बहुत तेजी से । अब हमारे पास जो कुछ बाधाएं हैं, उनमें से एक है, जिसे मैंने देखा है, जो सहज योग में ही निर्मित हैं। उनमें से एक यह है कि आप इसे इतनी आसानी से प्राप्त कर लेते हैं कि आप इसे हल्के में लेते हैं। यह इसके ढांचे में ही है, केवल सहज रूप से निर्मित। आप देखते हैं कि जो कुछ भी आपको इतनी आसानी से मिल जाता है आप उसे हल्के में लेते हैं। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि जब आपकी आंखें होती हैं तो आप अपनी आंखों की कीमत नहीं जानते, आप इसे हल्के में लेते हैं। लेकिन जब आपके पास नहीं होती हैं तो आप आंखों की कीमत जानते हैं, Read More …

Mooladhara and Swadishthan Maccabean Hall, Sydney (Australia)

1981-03-25 मूलाधार और स्वाधिष्ठान, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया  सत्य के सभी साधकों को हमारा नमस्कार।  उस दिन, मैंने आपको पहले चक्र के बारे में थोड़ा बहुत बताया था, जिसे मूलाधार चक्र कहते हैं और कुंडलिनी, जो त्रिकोणाकार अस्थि, जिसे sacrum (पवित्र) कहते हैं, में बची हुई चेतना है। जैसा मैंने आपको बताया था कि यह शुद्ध इच्छा शक्ति है, जो अभी तक जागृत नहीं हुई है और न ही आपके अंदर अभी तक प्रकट हुई है, जो यहाँ पर उस क्षण का इंतजार कर रही है जब वह जागृत होगी और आपको आपका पुनर्जन्म देगी, आपका बपतिस्मा। या आपको शांति देती है। या आपको आपका आत्म-साक्षात्कार देती है। यह शुद्ध इच्छा है कि आपकी आत्मा से आपका योग हो। जब तक यह इच्छा पूर्ण नहीं होगा, वे लोग जो खोज रहे हैं, काभी भी संतुष्ट नहीं होंगे, चाहे वे कुछ भी करें।   अब, यह पहला चक्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि या सबसे पहला चक्र था जिसका निर्माण किया गया, जब आदिशक्ति ने अपना कार्य करना शुरू किया था। यह अबोधिता, जो कि पवित्रता, का चक्र है। इस पृथ्वी पर सबसे पहली वस्तु का निर्माण किया गया वह पवित्रता थी। यह चक्र सभी मनुष्यों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जानवरों में अबोधिता है, उन्होंने उसको खोया नहीं है, जबकि हमारे पास अधिकार है या हम काह सकते हैं, हमारे पास यह स्वतंत्रता है कि हम इसका परित्याग करे दें। हम यह कर सकते हैं, हम अपने तथाकथित स्वतंत्रता के विचारों के द्वारा किसी भी प्रकार से इसको नष्ट कर सकते हैं।   Read More …