Shri Mahalakshmi Puja, The Universal Love (भारत)

30 /12/ 1992  महालक्मी पूजा, सर्वव्यापी प्रेम, कल्वे, भारत  सहज योगियों को ऐसे साधारण सांसारिक लोगों के स्तर तक नहीं गिरना चाहिए। अंत में आपके साथ क्या होगा? जो लोग इस प्रकार की चिंता कर रहे हैं, मैं उन्हें कहूँगी कि वह गहन ध्यान में जाएं, यह समझने के लिए कि आप स्वयं का अपमान कर रहे हैं। आप संत हैं। आप इस बात की चिंता क्यों करें कि आपको कौन सा विमान मिलने वाला है, कौन सा नहीं? यह दर्शाता है कि आपका स्तर बहुत नीचा है – निश्चित रूप से। आप सभी जो चिंतित हैं, आप मेरे संरक्षण में यहां आए हैं, और मेरी सुरक्षा में ही वापस जाएंगे।  आज सुबह मैं ईतनी बीमार हो गई कि मुझे यह विचार आया, आज हम कोई पूजा का आयोजन नहीं करेंगे। आपको यह पता होना चाहिए कि आप सब मेरे अंग प्रत्यंग है। आपको अपने शरीर में स्थान दिया है, और आप आपना आचरण सुधारें !  ऐसे शुभ दिन में हम सभी यहां आए हैं, यह विशेष पूजा करने के लिए। मैं कहूँगी की इसे महालक्ष्मी पूजा कहना चाहिए क्योंकि इसका सम्बन्ध हमारे देश के और सारे संसार के उद्योग से है।  जब तक मनुष्य के सभी प्रयासों को परमात्मा के साथ जोड़ा न जाए, वह अपने उत्तम स्थिति और पद को प्राप्त नहीं कर सकते। इस कारण पश्चिम के देशों में अब हमें समस्याएं आती हैं। तथाकथित अत्यंत समझदार, अति चुस्त, संपन्न और शिक्षित लोग – अब यहाँ हमें आर्थिक मंदी जैसी स्थिति दिखती हैं, क्योंकि उनमें कोई संतुलन Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 1992. I must have said lots of things about Christ before, and how Jesus Christ is related to Shri Radhaji, that he is the incarnation of Shri Ganesha who was the son of the Adi Shakti to begin with but then he was given to Shri Radhaji and Shri Radha created as Mahalaxmi, as Mother Mary this great incarnation of Christ. Now for the western mind it is impossible to understand how there can be a immaculate conception because they have no sense at all, no sensitivity at all to spiritual life. We Indians can understand it, is very easy for Indians to understand because we had Shri Ganesha created that way. We just believe it we don’t doubt these things. Whatever is said about God is not to be doubted with this limited brain, that’s not done in India. But in the west, from the very birth of Christ they have had arguments, arguments, arguments, arguments with this limited brain they had, and the whole religion in the name of Christ is just a perversion, such a horrible things have been said that it’s unbelievable. His purity, his holiness, his auspiciousness is never understood in the west I think. Those who follow Christianity, how can they be so debased in their moral character. they’re all right for their political, their economical you can say, their legal side but their moral sense is absolutely missing. Is very surprising, those who are the followers of Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: Keep your Mahalakshmi principle intact Barcelona, Can Mas-casa de colónies (Spain)

श्री महालक्ष्मी पूजा – अपना महालक्ष्मी तत्व बनाए रखें  बार्सेलोना, कैन मास-कैंप हाउस (स्पेन), सितंबर १२, १९९२  आज हम यहाँ महालक्ष्मी पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। महालक्ष्मी तत्व हमारे अंदर एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। जब देशों में, परिवारों में, या व्यक्तिगत जीवन में, हम देखते हैं – (श्री माताजी ने स्पॅनिश में अनुवाद करने के लिए कहा)… ये महालक्ष्मी तत्व हमारे उत्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। ये तत्व हमारे अंदर है, पर ये तब तक जागृत नही होता जब तक हम एक परिस्थिती को प्राप्त ना कर लें (और) जहाँ हमें लगता है कि हम अब तक अपने जीवन से संतुष्ट नही हैं। जैसे अब  पश्चिमी देशों में अब आप पर लक्ष्मी तत्व की कृपा रही, इस अर्थ में कि समृद्धि है, लोग ठीक हैं, सबके के पास भोजन है, और दैनंदिनी जीवन में सब पर्याप्त है। पर वो देश जो गरीबी से त्रस्त हैं या जिनकी स्थिति बहुत खराब है, जैसे आप कह सकते हैं कि यूगोस्लाविया इन दिनों बहुत बुरी स्थिति में है, या सोमालिया, जो बहुत ही गरीब है, और इनकी कोई आध्यात्मिक पृष्ठभूमि भी नही है – तो उनके लिए इस जीवन का अर्थ केवल किसी तरह से जीवित बचे रहने में ही है। जीवन उनके लिए संकट से भरा हुआ है, और जीवन का अस्तित्व बनाए रखने में भी उन्हें संकट है। पर संपन्न देशों में ऐसा होता है, कि लोगों को यह लगने लगता है कि अब हमारे पास धन है, जीवन की सारी सुविधा है, पर तो भी ये Read More …

1st Day of Navaratri, 10th Position Campus, Cabella Ligure (Italy)

नवरात्रि पूजा कबेला लिगरे (इटली), 27 सितम्बर 1992। आज नवरात्रि का पहला दिन है। और जब मैंने पाया कि बारिश हो रही है और सभी प्रकार की समस्याएं हैं, और विष्णुमाया कुछ सुझाव दे रही थी, तो मैंने जरा कैलेंडर देखा, और आप यह जानकर चकित होंगे कि कैलेंडर में लिखा है कि पांच पैंतालीस तक यह शुभ नहीं है यह अशुभ है। पाँच पैंतालीस के बाद ही उचित शुरूआत होती है, तो ज़रा सोचिए, गणना करके यह कैसे सही था कि पाँच पैंतालीस के बाद ही हमें यह पूजा करनी थी, पाँच पैंतालीस के बाद। यानी इटली में या यूरोप में नवरात्रि का पहला दिन पांच पैंतालीस के बाद शुरू होता है। तो यह कुछ ऐसा है जिस से हमें समझना चाहिए कि चैतन्य सब कुछ कर रहा है, और वह सभी सुझाव दे रहा है; क्योंकि मैंने तो देखा ही नहीं था, जिसे आप तिथि कहते हैं, लेकिन मुझे बस ऐसा लगा, मैंने कहा कि यह हम शाम को रख लेंगे। और जब मैंने ऐसा कहा, मैंने कहा “चलो इसे देखते हैं,” और यही हो गया। हमें कितनी चीज़ें देखनी हैं, कि जो कुछ भी रहस्योद्घाटन तुम्हे हुआ है, तुम उसकी पुष्टि कर सकते हो। उदाहरण के लिए, मैंने बहुत पहले कहा था कि मूलाधार चक्र कार्बन, कार्बन परमाणु से बना है, और यदि आप इसे बाएं से दाएं-नहीं दाएं से बाएं, बाएं ओर देखते हैं तो आपको अन्य कुछ नहीं अपितु स्वास्तिक दिखाई देता है। तो, अब आप बाएं से दाएं देखते हैं, फिर आप ॐ देखते Read More …

Shri Vishnumaya Puja: Stop Feeling Guilty Shawnee on Delaware (United States)

Shri Vishnumaya puja. Shawnee, Pennsylvania (USA), 20 September 1992. आज हमने विष्णुमाया पूजा करने का निर्णय लिया है । इस संदर्भ में,  यह  ज्ञात होना चाहिए  कि यह विष्णुमाया कौन हैं  और  इनका – आप इसे पौराणिक कह सकते हैं,  पर यह एक ऐतिहासिक संबंध है । मैंने आपको बताया है कि अमरीका श्री कृष्ण का देश है और वह कुबेर हैं, साथ ही वह यम भी  हैं । क्योंकि वह कुबेर हैं, लोगों को उनकी संपन्नता मिली है, वो अमीर लोग हैं, उनके पास , कहीं भी और से अधिक धन है, लेकिन अगर आपको  स्मरण नहीं है, कि आपको संतुलन रखना है और यह भी कि श्री कृष्ण की शक्ति महालक्ष्मी की शक्ति है। इसलिए महालक्ष्मी तत्व ऐसा  है कि जहां  खोज महत्वपूर्ण है, विष्णु तत्व वो है जब श्री लक्ष्मी उनकी शक्ति हैं। एक निश्चित सीमा तक लक्ष्मी प्राप्त करने के बाद, फिर आप एक नई जागरूकता या एक नए प्रकार की खोज में कूद पड़ते हैं जो उस आत्मा की खोज  है जहां महालक्ष्मी सिद्धांत शुरू होता है, वह मध्य मार्ग है । यहाँ तक तो, अवश्य ही अमरीका में इसे शुरू कर दिया, महालक्ष्मी तत्व, लेकिन लोगों को नहीं पता था, वो विवेक नहीं था, वो नहीं जानते थे  कि इस खोज में किस मार्ग पर जाना है, और इतने सारे लोग झूठे विज्ञापनों के वादों द्वारा मोहित हो गए, हर प्रकार के दावे, सभी प्रकार के प्रलोभन  और दूसरी चीजों  से, और मैं बहुत समय पहले यहां आयी  थे जहां मुझे पता था कि Read More …

Shri Krishna Puja: Ascending beyond the Vishuddhi, The Viraata State Campus, Cabella Ligure (Italy)

                       श्री कृष्ण पूजा                                                                                                      विशुद्धि से आगे उत्थान,  विराट अवस्था   कबैला लिगरे (इटली), 16 अगस्त 1992। आज हमने श्री कृष्ण की पूजा करने का फैसला किया है। हमने कई बार इस पूजा को किया है और श्री कृष्ण के अवतरण का सार समझा है, जो छह हजार साल पहले था। और अब, उनकी जो अभिव्यक्ति थी, जिसे वह स्थापित करना चाहते थे उसे इस कलियुग में किया जाना था। वैसे भी, यह कलियुग सतयुग के एक नए दायरे में जा रहा है, लेकिन बीच में कृत युग है जहाँ यह ब्रह्मचैतन्य , या हम कह सकते हैं कि ईश्वर के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति, कार्य करने जा रही है। इस समय, श्री कृष्ण की शक्तियों के साथ क्या होने वाला है – यह हमें देखना है। श्री कृष्ण, जैसा कि मैंने आपको बताया, वह कूटनीति के भी अवतार थे। इसलिए वह चारों ओर बहुत सारी भूमिकाएँ निभाते है, और अंततः वह असत्य और झूठ को सामने लाते है; लेकिन ऐसा करने में वह लोगों का आंकलन भी करते है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि श्रीकृष्ण की कूटनीति की शक्तियां इस समय प्रकट होनी थीं, जब यह अंतिम निर्णय है। इसलिए अब हमने पहले जो कुछ भी गलत किया है, जो भी कर्म अज्ञान में किए गए हैं, या शायद जानबूझकर, उन सभी को वापस भुगतान किया जाएगा। उन पुण्यों को जो आपने पिछले जन्मों में या इस जीवन में किया है,  को भी पुरस्कृत किया जाएगा। यह सब श्री कृष्ण के सामूहिकता के सिद्धांतों के माध्यम से किया जाता है, Read More …

Shri Durga Mahakali Puja: France is going down and down Paris (France)

                        श्री दुर्गा महाकाली पूजा पेरिस(फ्रांस)                                                                                                                                  २५ जुलाई १९९२ आज हमने दुर्गा या काली की पूजा की व्यवस्था की है। वह देवी का सभी बुराई और नकारात्मकता का विनाश करने वाला रूप है। यह हमें फ्रांस में करना था, क्योंकि मैं बहुत दृढ़ता से महसूस करती हूं कि, दिन प्रतिदिन सामान्य तौर पर, फ्रांस नीचे और नीचे जा रहा है। जब आप लोग उत्थान पा रहे हैं, तो बाकी फ्रांस सबसे दयनीय स्थिति में है। सबसे पहले, जैसा कि आप समझते हैं, कैथोलिक चर्च है, जिसे – शायद आप जानते नहीं हैं, शायद हो सकता है – क्योंकि आप किसी अन्य भाषा को नहीं पढ़ते हैं, आप सिर्फ इस देश द्वारा अनिवार्य रूप से फ्रेंच पढ़ते हैं। इसलिए आपके पास कोई अंतर्राष्ट्रीय विचार या अंतर्राष्ट्रीय समाचार नहीं है कि इस कैथोलिक चर्च ने अतीत में इतने भयानक काम किए हैं, यह अविश्वसनीय है कि उनका भगवान से कोई लेना देना कुछ भी नहीं है। उन्होंने मन ही मन में कई कार्डिनल्स जलाए – उन्हें भुना। इतना ही नहीं, जिन्होंने भी कभी उनके बारे में एक शब्द भी बोलने की कोशिश की उन्होंने इतने लोगों को मार डाला। Read More …

Shri Vishnumaya Puja Ashram Everbeek, Everbeek (Belgium)

आज एक विशेष अवसर है विष्णुमाया पूजा करने का, क्योंकि उन्होंने घर में आगमन किया,  हमें उनकी पूजा करनी है।   पहले हमें जानना चाहिए कि विष्णुमाया कौन हैं। यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि देवी महामात्य में उन्हें सिर्फ देवी के अवतार के रूप में वर्णित किया गया है: “विष्णुमाया इति शब्दिता”,  उन्हें विष्णुमाया कहा गया है लेकिन अब हम देखें कि वह हैं कौन?  आखिर यह विष्णुमाया कौन हैं? तो विष्णुमाया काली हैं, हम कह सकते हैं, और महाकाली की पुत्री हैं।  वह इस धरती पर आयीं और अनेकानेक असुर और राक्षसों का वध किया, संतों को उनकी आक्रामकता से बचाने के लिए,  और वो हमेशा इसी प्रकार कार्य करती हैं जिस से दुनिया की सभी नकारात्मकता नष्ट हो सके। वह इस पर शीघ्रता से कार्य करती हैं, मुझे कहना चाहिए, और वह जानती हैं कि नकारात्मकता कहां है और वह उस नकारात्मकता को अतिशीघ्र जला देने की कोशिश करती हैं। अब उत्पत्ति कुछ इस प्रकार है कि यह विष्णुमाया महाकाली की पुत्री थीं, जिन्हें स्वयं महाकाली द्वारा रचित किया गया था, इन राक्षसों से लड़ने के लिए, लेकिन साथ ही इस कार्य हेतु उन्हें विशेष शस्त्र भी दिए गए थे। लेकिन श्री कृष्ण के काल में वह श्री कृष्ण की बहन के रूप में पैदा हुई थीं, और उनके मामा द्वारा श्री कृष्ण के मारे जाने के बजाये, जैसे आपने कहानी पढ़ी है, उनको बदल दिया गया था,  वह वास्तव में यशोदा की पुत्री थीं, जिन्हें श्री कृष्णा से बदल दिया गया था ।  और यह कन्या, छोटी Read More …

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love आज हम यहां आदि-कुंडलिनी और आपकी अपनी कुंडलिनी, दोनों की पूजा करने के लिये एकत्र हुये हैं क्योंकि आपकी कुंडलिनी आदि कुंडलिनी का ही प्रतिबिंब है। हम कुंडलिनी के विषय में बहुत कुछ समझ चुके हैं और हम यह भी जानते हैं कि कुंडलिनी के जागृत होने से ….. इसके उत्थान से हम चेतना की अथाह ऊंचाइयों को छू चुके हैं। ऐसा नहीं है कि हम मात्र चेतना के उच्च क्षेत्रों तक उठे हैं ….. इसने हमें कई शक्तियां भी प्रदान की हैं ….. आध्यात्मिकता के इतिहास में पहले कभी भी लोगों के पास कुंडलिनी को जागृत करने की शक्ति नहीं थी। जैसे ही उनकी कुंडलिनी जागृत होती थी वैसे ही वे या तो दांये या बांये की ओर चले जाते थे और शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास किया करते थे और ऐसी शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते थे जो लोगों के हित के लिये नहीं होती थीं। बुद्ध ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भविष्य में जब बुद्ध का पुनर्जन्म होगा …. तो मात्रयात् के रूप में होगा … अर्थात तीन माताओं की शक्तियां जिसमें निहित होंगी ……. जब वह इस धरती पर आयंगी उस समय इन शक्तियों को लोगों के हित के लिये उपयोग किया जायेगा। यह एक प्रतीकात्मक बात है …… लोगों के हित के लिये न कि केवल सहजयोगियों के लिये। जब तक कि जो बुद्ध अर्थात आत्मसाक्षात्कारी हैं …. कुंडलिनी के विज्ञान के विषय में नहीं जान जाते तब तक ये कैसे संभव है? जिन Read More …

Sahasrara Puja: The Will of God Campus, Cabella Ligure (Italy)

                               सहस्रार पूजा, “भगवान की इच्छा”  कबैला लिगरे (इटली), 10 मई 1992। आज हम सहस्रार दिवस मना रहे हैं। शायद हमने महसूस ही नहीं किया हुआ कि यह कितना महत्वपूर्ण दिन रहा होगा। सहस्रार को खोले बिना, स्वयं ईश्वर एक काल्पनिक कथा प्रतीत होता था, धर्म स्वयं एक मिथक था, और देवत्व के बारे में सभी बातें एक मिथक थीं। लोग इस पर विश्वास करते थे लेकिन यह सिर्फ एक विश्वास भर था। और विज्ञान, जैसा कि उसे आगे रखा गया था, सारी मूल्य प्रणाली एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर के सभी प्रमाणों को करीब-करीब खारिज़ ही करने वाला था। अगर आप इतिहास में देखें, एक के बाद एक, जब विज्ञान ने खुद को स्थापित किया, तो धर्म और विभिन्न धर्मो में मामलों के तथाकथित प्रभारी लोगों ने विज्ञान के निष्कर्षों से तालमेल बैठने की कोशिश की। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की: “ठीक है, अगर इसे ऐसा कहा जाता है – इतना तो बाइबल में है, और अगर यह गलत है तो हमें इसे ठीक करना चाहिए।” खासतौर पर ऑगस्टीन ने ऐसा किया, और ऐसा लगने लगा कि जैसे यह सब मूर्खता है, ये शास्त्र सिर्फ पौराणिक थे। हालांकि, कम से कम कुरान में, बहुत सी चीजें थीं जो आज के जीव विज्ञान का वर्णन कर रही थीं। वे विश्वास नहीं कर सकते थे कि मानव विशेष रूप से भगवान द्वारा बनाया गया था। उन्होंने सोचा कि यह संयोग की बात है कि, एक के बाद एक, जानवरों ने एक ऐसी स्थिति हासिल कर ली जिसके द्वारा वे मनुष्य बन गए। इस Read More …

Easter Puja: You have to grow and take up the responsibility Magliano Sabina Ashram, Magliano Sabina (Italy)

1992.04.19 ईस्टर पूजा, टॉक, रोम, इटली डीपी यह दिन हम सब के लिये हर्षित होने के लिए एक बहुत बड़ा दिन है और ईसा मसीह के इस पुनरुत्थान का आनंद लेने के लिए। ईसा मसीह का पुनरुत्थान हम सबका आज्ञा चक्र खोलने के लिये हुआ था। क्योंकि यह एक बहुत ही सूक्ष्म चक्र था जैसा की आप जानते हैं, बहुत जटिल। मनुष्य की जड़ता से परिपूर्ण विचारों के कारण और उनके अहंकार से, जिसने आज्ञा चक्र को बुरी तरह से बंद किया हुआ था, जिसमें से कुंडलिनी का निकलना पूर्णतय असंभव सा लगता था। इसलिए पुनरुत्थान का यह खेल खेला गया और ईसा मसीह मात्र चैतन्य थे और कुछ भी नहीं। वह मृत्यु से पुनर्जीवित हुए ऐसा कहा जाता है। ईसा मसीह की इस मृत्यु के कारण, हमें समझना होगा कि हमें हमारा पुनरूत्थान प्राप्त हो सका। हमने पुनरूत्थान प्राप्त किया और इसी के साथ जो कुछ भी भूतकाल में था वह नष्ट हो गया, अब समाप्त हो गया। इसलिए हमारे भीतर जो पश्चाताप है, जो जड़ता है वो समाप्त हो चुकी है। किन्तु फिर भी यह बहुत आश्चर्य की बात है कि ईसाई राष्ट्रों में अहंकार उस प्रकार से कम नहीं हुआ जैसा कि होना चाहिए था। सम्भवतः यह हो सकता है कि यहाँ ईसा मसीह को कभी भी उचित प्रकार से पूजा नहीं गया। पश्चिमी देशों में अहंकार इतना प्रभावी है कि कोई नहीं देख सकता कि वो क्या कर रहे हैं और कितनी दूर जा रहे हैं। बिना कारण ही वो किसी ऐसी बात का पश्चाताप कर Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा दिल्ली मार्च 21, 1992 हमारे देश में बहुत से सन्त हुए हैं हमने सिर्फ उनको मान लिया क्योंकि वो ऊंचे इन्सान थे। अब किसी भी धर्म में आप जाईए, कोई भी धर्म खराब नहीं है। जैसे अभी बताया कि बुद्ध धर्म है। मैंने बुद्ध धर्म के बारे में, पड़ा तो बड़ा आश्चर्य हुआ कि मध्य मार्ग बताया गया था लेकिन उस के बाद लोग उसको left (बाएँ) में और right (दाएँ) में ले गए। जो दाएँ मे ले गए वो पूरी तरह से सन्यासी हो गए, ascetic (त्यागी) हो बुद्ध गए। फिर उन्होंने बड़े बड़े कठिन मार्ग और उपद्रव निकाले। उन्होने सोचा कि क्योंकि सन्यासी हो गऐ थे, बहुत कठिन मार्ग से उन्होंने इसे प्राप्त किया। इसलिए हमें भी उसी मार्ग पर चलना चाहिए। पर उसकी इतनी कठिन चीजें उन्होने कर दीं, कि ज़मीन पर सोना, ठंड उसी में बहुत से लोग खत्म हो गए। एक ही मरतबा खाना में रहना आदि। उन्होंने अपनी जो कुछ भी निसर्ग में दी हुयीं जरूरतें थीं, उन्हें पूरी तुरह से, दबा. दिया। इस. तरह के दबाव डालूने से मनुष्य का स्वभाव बहुत उत्तेजित सा हो जाता है। इतना ही नहीं aggressive (आततायी) भी हो जाता है । उस में बहुत क्रोध समा जाता है ।क्रोध को दबाने से क्रोध और बढ़ता है और ऐसे लोग कभी कभी supra conscious (ऊपरी चेतना) में चल पड़ते हैं और उन्हें कुछ-कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं जिससे वो दूसरे लोगों पर अपना असर डाल सकते हैं। हिटलर के साथ यही हुआ। हिटलर Read More …

Birthday Puja मुंबई (भारत)

Birthday Puja Date 17th March 1992 : Place Mumbai Puja Type Hindi & English Speech Language [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सहज” सहज समाधी लागो। सहज में ही आपके अन्दर ये भावना आ जाती है। हिन्दुओं में अब जो बताया गया है कि सबव में आत्मा है, एक ही आत्मा का वास है। फिर हम जात-पात हमारे देश में बहुत से सन्त हुए हमने सिर्फ उनको मान लिया क्याोंकि वा ऊँचे इंसान थे। किसी भी धर्मं में आप जाईये काई भी धर्म खराब नहीं। मैंन बुद्ध धर्म के वारे में पढ़ा तो बड़ा आश्चर्य हुआ कि मध्य मार्ग बताया गया था। लेकिन उसके कैसे कर सकते है? पहली बात तो यह सोचनी चाहिये कि वाद लोग उसको बायें में और दायें में ले गये जो दायें में ले गये वो पूरी तरह से सन्यासी हो गये, त्यागी हो गए। फिर डाकू भी था और बह एक मछुआरा था। उससे रामायण राम उन्होंने बड़े-बड़े कठिन मार्ग और उपद्रव निकाले। उन्होंने सोचा ने लिखा दिया। भीलनी के झूठे बेर खा के दिखा दिया। और कि बुद्ध सन्यासी हो गए थे तो उन्होंने भी सन्यास ले लिया। गीता का लेखक व्यास कोन था? वो भी एक भीलनी का अपनी सभी इच्छाओं का दमन कर लिया उन्होंने।इस तरह का स्वभाव व्यक्ति का अति उग्र, इतना ही नही आतताई भी बना देता हैं। उसमें बहुत क्रोध समा जाता है। क्रोध को दबाने से क्रोध और बेढ़ता रामायण जिसने लिखा वी कौन था? बाल्मीकी एक डाक था, नाजायज पुत्र था। ये सब Read More …

Public Program, Sahajayog ka arth कोलकाता (भारत)

  1992 -02-05 पब्लिक प्रोग्राम, सहज योगा का अर्थ कोलकाता इण्डिया कल जैसे बताया की सत्य है वो निर्धारित है | अपनी जगह स्थित है | हम उसकी कल्पना नहीं करते, उसके बारे में हम कोई भी  उपमा वर्णन नहीं दे सकते, ना ही उसको हम बदल सकते है  और बात तो ये है की इस मानव चेतना में हम उस सत्य को जान नहीं सकते | ये तो मानना चाहिए की साइन्स अब अपनी चरम सीमा पर पहुच गया है और उससे उसको फायेदा जो भी किया, किन्तु उसके साथ ही साथ आएटटम बोअम, हाइड्रोजन बोअम, प्लास्टिक के पहाड़ तैयार कर दिए है | प्लास्टिक रूप में जो कुछ भी हुआ वो इस तरह सीमा के बाहर लाहांग गया की आप जानते है की आप जानते है की कलकत्ता शहर में भी इस कदर पोल्यूशन है | ये सब होने का कारण ये ऐसा की मनुष्या अपना संतुलन  खो बैठता है| वो ये नहीं जनता है कि कितने दूर जाना है और कहा उसे रोकना है |  इस वजह से जो कुछ भी मनुष्य करता है वो बाद में किसी को नहीं बताता मानव की जो सारी चेतना आज हमने प्राप्त की है | ये हमारे उत्क्रांति में, हमारे एवोल्यूशन में हमें सहज ही मिली हुई है | हमने कोई ऐसा विशेष कार्य नहीं किया कि जिससे हम मानव बने | सहज में ही आप ने इसे प्राप्त किया, जो चीज़ आप ने सहज में प्राप्त की है वो बड़ी ऊंची चीज़ श्रेष्ठ चीज़ है की आप मानवरूप है | Read More …

Shri Saraswati Puja कोलकाता (भारत)

Shri Saraswati Puja 3rd February 1992 Date : Place Kolkata Type Puja Speech Language Hindi Type: Puja Speech Language: Hindi आप लोगों के प्रेम की गहराई देख कर दिल जी भर आता है। इस कलियुग में माँ को पहचानना बहुत कठिन है। क्योंकि हम अपनी माँ को ही नहीं पहचानते, तो फिर हमें पहचानना तो और भी कठिन हो जाता है। लेकिन इस योग भूमि की गहराई आप लोगों में काम कर रही है।  इसलिए मैं देखती हूँ कि जो भी यहाँ से सहजयोगी आता है वो बड़ा गहरा बैठता है। बड़ी गहराई में उतरता है और बड़ा आश्चर्य होता है कि जहाँ मैंने बहुत कुछ दिन बिताये, बहुत कार्य किया, वहाँ लोग तो बहुत हैं, लेकिन इतनी गहराई नहीं है। और आपस का मेल भी इतना सुन्दर नहीं है, जैसे यहाँ पर है।   ये भी एक योग इस भूमि की मैं कहती हूँ बड़ी विशेशता है। कि आपसी मेल और आपसी प्यार, बिल्कुल निरवाज्य, निस्वार्थ इस तरह से देखा जाता है। ये सब देख कर के अब आप को पता नहीं मुझे इतना आनंद क्यों आता है। और अब चाहती हूँ कि आप लोगों का कार्य और बड़े, और जन-जन में ये जागृत हो। क्योंकि ये भूमि आप जानते हैं कि माँ को बहुत प्यारी है। आज आपने कहा था कि सरस्वती का पूजन होगा, ये बहुत नितांत आवशयक है। कि बंग देश में सरस्वती का पूजन हो क्योकि यहाँ देवी की कृपा रही। और देवी के प्यार की वजह से ही आप ये आज सश्य श्यामलाम भूमि Read More …