Mother’s Day Puja: Talk on Children University of Birmingham, Birmingham (England)

                  मदर्स डे पूजा, बच्चों पर बात बर्मिंघम, इंग्लैंड 21 अप्रैल 1985। कृपया बैठ जाएँ। गेविन नहीं आया है? क्या गैविन नहीं है? बच्चों के साथ महिलाओं को भी पूजा के लिए बैठना चाहिए। वे अभी तक नहीं आए हैं? किसी को जाकर बताना होगा। योगी: कार वाला कोई व्यक्ति कृपया मुख्य बिंदु तक जाए और लोगों को बताएं कि उन्हें पहुंचना चाहिए। बेहतर हो कोई कार वाले सज्जन। श्री माताजी: ये क्या कर रहे हैं? योगिनी: हमें दोपहर बारह से पहले कमरे खाली करने होंगे। योगी: माँ, हमें अभी-अभी बताया गया है कि हमें अपने कमरे को बारह बजे तक खाली करना होगा, इसलिए इससे थोड़ा भ्रम हुआ है। श्री माताजी: क्यों? योगी: क्योंकि अधिकारी बारह बजे तक अपने कमरे वापस चाहते हैं। श्री माताजी: ओह, मैं समझी हूँ। तो फिर… योगी: क्या उन्हें अपने कमरे भी जल्दी खाली करने की कोशिश करनी चाहिए? श्री माताजी: हाँ। लेकिन मैं पूजा को बहुत पहले खत्म कर दूंगी, ग्यारह तीस के करीब। वे तब जा सकते थे। क्योंकि अगर आप देर से शुरू करते हैं, तो फिर से देर हो जाएगी। किसी भी मामले में मुझे पूजा को जल्दी खत्म करना होगा, क्योंकि मैं पहले जा रही हूं। योगी: क्या कई लोग जिनके पास कार है वास्तव में लोगों को हॉल में वापस आने में मदद कर सकते हैं …? श्री माताजी: या वे अपने रास्ते पर हो सकते हैं। क्या वे सब एक साथ आ रहे हैं? बस सुनिश्चित करें कि, क्या वे एक साथ आ रहे हैं। जल्दी चलो, साथ Read More …

Birthday Puja: Our maryadas Kew Ashram, Melbourne (Australia)

जन्मदिन पूजा मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया), 17 मार्च 1985। आज आप सभी को मेरा जन्मदिन मनाते हुए और साथ ही उसी दिन राष्ट्रीय कार्यक्रम करते हुए देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मार्च के महीने में हमारे पास यह एक अच्छा संयोजन है। इसे भारत में वसंत ऋतु के रूप में माना जाता है – मधुमास। यही तुम गाते हो, मधुमास। और जैसा कि आप जानते हैं कि 21 मार्च विषुव है, इसलिए यह एक संतुलन है और कुंडली में सभी राशियों का केंद्र भी है। मुझे इतने सारे केंद्र हासिल करने थे और मैं भी कर्क रेखा पर पैदा हुई थी उसी तरह जैसे कि आप मकर रेखा पर हैं, और आयर्स रॉक मकर रेखा पर है – ठीक मध्य में। इसलिए, इतने सारे संयोजनों पर काम करना पड़ा। तो उत्क्रांति का सिद्धांत है मध्य में होना, संतुलन में होना, मध्य की मर्यादा में होना, केंद्र की सीमाओं में होना, यही सिद्धांत है। तो क्या होता है जब हम मर्यादाओं की सीमाओं को बनाये नही रखते? फिर हम पकड़े जाते हैं। अगर हम मर्यादा में रहते हैं तो हम कभी पकड़े नहीं जा सकते। बहुत से लोग कहते हैं, “मर्यादा क्यों?” मान लीजिए कि हमारे पास मर्यादा है, इस सुंदर आश्रम की सीमाएं हैं और कोई आप पर हर तरफ से,भवसागर पर हर तरफ से हमला कर रहा है, तो अगर आप भवसागर की मर्यादा से बाहर जाते हैं तो आप पकड़े जाते हैं। इसलिए आपको मर्यादा में रहना होगा। और मर्यादाओं पर टिके रहना कठिन होता है जब आपके Read More …

Devi Puja: How To Ascend Into Nirvikalpa Sydney (Australia)

             देवी पूजा, “निर्विकल्प तक उत्थान कैसे पाएँ ”  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 10 मार्च 1985 बयार चलेगी, अब आपको परेशानी नहीं होगी। इतने उच्च विकसित बहुत सारे सहजयोगियों को देखकर बहुत खुशी होती है। मुझे यकीन है कि सभी देवी-देवता और स्वयं सर्वशक्तिमान ईश्वर इस उपलब्धि को देखकर बहुत प्रसन्न होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन मुझे बताया गया था कि आप उच्च तरीके, या ऊँची बातें जानना चाहते हैं, जिसके द्वारा आप उच्च और अधिक ऊंचाई का उत्थान चाहते हैं। समाधि अवस्था में, सबसे पहले निर्विचार समाधि होती है, जैसा कि आप जानते हैं, निर्विचार समाधि कहलाती है। और फिर दूसरी अवस्था में, जिसे निर्विकल्प समाधि कहा जाता है, जहां यह निस्संदेह जागरूकता है, दो चरण हैं: सविकल्प और निर्विकल्प। अधिकांश सहजयोगी अब सविकल्प पर हैं, अभी तक निर्विकल्प पर नहीं हैं। और निर्विकल्प तक उठने के लिए, हमें यह समझना होगा कि हमें इसके बारे में कुछ और करना होगा। अब तक हमारी शारीरिक समस्याएं थीं जिनका समाधान हो गया है – शारीरिक जरूरतें, सुख-सुविधाएं अब हम पर हावी नहीं हो सकतीं। हम ब्रह्मपुरी जैसी किसी भी स्थिति में रह सकते हैं। हम उस सबका आनंद लेते हैं, जो दर्शाता है कि हम अब भौतिक जीवन या पदार्थ द्वारा निर्धारित बंधनों  से ऊपर उठ गए हैं। यह एक अच्छी स्थिति है जहां हम पहुंच गए हैं, जो लोगों के लिए भी बहुत मुश्किल है। आम तौर पर, लोग बेहद उधम मचाते हैं; वे सांसारिक चीजों, सांसारिक संपत्ति, सांसारिक भौतिक समस्याओं के बारे में चिंतित हैं। उनमें से बहुत से Read More …

Bordi Seminar Final Talk, Maya Is Important Bordi (भारत)

[English to Hindi translation] इस अवसर पर जब आप सभी मुझे छोड़ कर जा रहे हैं, इन्ह गुणों को सुनना कठिन है जो आपके सुंदर गीत में वर्णित है। मेरे शब्द एक घोर उदासी की भावना से इतने भरे हुए हैं, साथ ही नए कार्यों के विचारों का उत्साह, कुछ विचार कि मुझे और भी बहुत कुछ करना है आप जो भी वर्णन कर रहे हैं मुझे उसे स्थापित करने के लिए। कितने ही राक्षसों का वध होना है जैसा कि आप ने मेरा वर्णन किया है। सारी विषमताएं दूर करनी हैं इस दुनिया से। सारा अज्ञान, अंधकार, कल्पनाएँ जैसा आपने वर्णन किया है, उसे हटाना होगा मुझे। इस संसार को नष्ट करना बहुत आसान है और राक्षसों, शैतानों को नष्ट करना, आसान था पर आज समय इतना विकट है कि इन सभी ने प्रवेश कर लिया है दिमागों में, अनेक साधकों के सहस्रार। तो, यह एक बहुत ही नाजुक काम है उन भयानक प्रभावों को दूर करने के लिए साधकों को चंगुल से बचाने के लिए इन शैतानों के। आपने समझने की बहुत कृपा की है कि यह बहुत नाजुक चीज है और हम यह नहीं कर सकते कठोरता के साथ, कड़ाई के साथ, सीधे तरीके से हमें उन्हें घुमाना है क्योंकि वे कठोर चट्टानें हैं और उन्हें इसके माध्यम से समझाएं करुणा, प्रेम और पूरी चिंता। विवेक ही एकमात्र तरीका है जिससे हम संचालन कर सकते हैं और सभी प्रकार के विवेक के तरीकों का उपयोग करना पड़ता है इन लोगों को बचाने के लिए । अधिकतम संख्या Read More …

Shri Krishna Puja: Announcement of Vishwa Nirmala Dharma Nashik (भारत)

श्री कृष्ण पूजा नासिक – 19.01.1985 Announcement of Vishwa Nirmal Dharma कल, भाषण में, मैंने सहज योग के बारे में एक नई घोषणा की थी। लेकिन पूरा भाषण मराठी भाषा में था और इससे पहले कि इसका अनुवाद हो, मैं आपको बताना चाहूंगी कि मेरी घोषणा क्या थी। यह एक प्रश्न था कि, अमेरिका और इंग्लैंड में कोई भी ट्रस्ट, जो एक धर्म नहीं है, उसे पंजीकृत नहीं किया जा सकता। वास्तव में सहज योग एक धर्म है। निस्संदेह, विश्वव्यापी धर्म है, एक ऐसा धर्म, जो सभी धर्मों को एकीकृत करता है, सभी धर्मों के सिद्धांतों को एक साथ लाता है और दर्शाता है – एकाकारिता दर्शाता है। यह सभी अवतरणों को एकीकृत करता है। सभी शास्त्रों को एकीकृत करता है। यह एक बहुत ही समन्वित महान धर्म है, जिसे हम विश्वव्यापी धर्म कह सकते हैं और हिंदी भाषा में इसे ‘विश्व धर्म’ कहा जाता है। अब इसे और अधिक विशेष बनाने के लिए, मैंने सोचा कि, यदि आप विश्वव्यापी धर्म कहते हैं, तो यह उस विशेष रूप में नहीं हो सकता है, जैसे बोद्ध लोग ऐसे लोग हैं, जिन्हें ईसा मसीह के बाद में ईसाई और अन्य लोगों के बाद, अवतरण के अनुसार I ​अब इस बार का अवतरण ‘निर्मला’ होने के नाते, मैंने सोचा कि हम इसे कह सकते हैं “धर्म, जो विश्वव्यापी है निर्मला के नाम पर”, इसलिए इसे छोटा करने के लिए, मुझे लगा कि हम इसे “यूनिवर्सल निर्मला धर्म” (विश्व निर्मल धर्म) कह सकते हैं। इस बारे में आप क्या कहते हैं? अब निर्मला, आप Read More …

Makar Sankranti Puja मुंबई (भारत)

Makar Sankranti Puja Date 14th January 1985: Place Mumbai Type Puja [Hindi translation from English talk] अब आपको कहना है, कि इतने लोग हमारे यहाँ मेहमान आए हैं और आप सबने उन्हें इतने प्यार से बुलाया, उनकी अच्छी व्यवस्था की, उसके लिए किसी ने भी मुझे कुछ दिखाया नहीं कि हमें बहुत परिश्रम करना पड़ा, हमें कष्ट हुए और मुंबईवालों ने विशेषतया बहुत ही मेहनत की है। उसके लिए आप सबकी तरफ से व इन सब की तरफ से मुझे कहना होगा कि मुंबईवालों ने प्रशंसनीय कार्य किया है । अब जो इन से (विदेशियों से) अंग्रेजी में कहा वही आपको कहती हूं। आज के दिन हम लोग तिल गुड़ देते हैं। क्योंकि सूर्य से जो कष्ट होते हैं वे हमें न हों। सबसे पहला कष्ट यह है कि सूर्य आने पर मनुष्य चिड़चिड़ा होता है। एक-दूसरे को उलटा -सीधा बोलता है। उसमें अहंकार बढ़ता है। सूर्य के निकट सम्पर्क में रहने वाले लोगों में बहुत अहंकार होता है। इसलिए ऐसे लोगों को एक बात याद रखनी चाहिए, उनके लिए ये मन्त्र है कि गुड़ जैसा बोलें गुड़ खाने से अन्दर गरमी आती है, और तुरन्त लगते हैं चिल्लाने। अरे, अभी तो (मीठा-मीठा बोलो)। तिल तिल-गुड़ खाया, तो अभी तो कम से कम मीठा बोलो। ये भी नहीं होता। तिल-गुड़ दिया और लगे चिल्लाने। काहे का ये तिल-गुड़? फेंको इसे उधर! तो आज के दिन आप तय कर लीजिए। ये बहुत बड़ा सुसंयोग है कि श्री माताजी आई हैं। उन्होंने हमें कितना भी कहा तो भी हमारे दिमाग में वह Read More …

Public Program पुणे (भारत)

Public Program Sarvajanik Karyakram Date 4th December 1984 : Place Pune Public Program Type Speech Language Hindi CONTENTS | Transcript 02 – 14 Hindi English Marathi || Translation English Hindi Marathi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK सत्य को खोजने वाले सर्व आत्माओं को मेरा प्रणिपात! आज मैं सोच रही थी कि कौन सी भाषा में आप से वार्तालाप किया जाय ? यही सोचा की मराठी में, में पूना बहुत बार भाषण हुआ था। आज हिंदी में ही भाषण दिया जाय। क्योंकि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और मेरी मातृभाषा मराठी है किंतु हिंदी भाषा सीखना मैं सोचती हँ परम आवश्यक है और इसलिये आप लोग, मराठी प्रेमी लोग मुझे उदार अंत:करण से क्षमा करें और हिंदी बोलने वाले लोग, जो साहित्यिक हैं, वो भी मुझे क्षमा करें अगर कोई त्रुटियाँ हो जायें तो! किंतु सब से पहले जान लेना चाहिये, कि भाषा तो हृदय की होनी चाहिये। जहाँ भाषा हृदय से न होते हये शब्दजाल होती है, तब हर तरह के जंजाल खडे हो जाते हैं । इसलिये कोई भाषा जो हृदय से निकलती है, वही मार्मिक होती है। इसी का असर भी होता है। हम लोग सत्य को खोज रहे हैं अनेक वर्षों से । आज ही की ये बात नहीं है, अनेक वर्षों से हम सत्य को खोज रहे हैं। और उसकी खोज होते होते काफ़ी लोग भटक भी गये हैं । इसका कारण हमें समझ लेना चाहिये, क्योंकि आज की जो स्थिति है, आज का जो माहौल है, वातावरण है, उस वातावरण में ये समझ में नहीं आता है, Read More …

Sarvajanik Karyakram मुंबई (भारत)

Sarvajanik Karyakram, HINDI TRANSLATION (Marathi Talk) सत्य की खोज़ में रहने वाले आप सब लोगो को हमारा नमस्कार। आज का विषय है ‘प्रपंच और सहजयोग’। सर्वप्रथम ‘प्रपंच’ यह क्या शब्द है ये देखते हैं । ‘प्रपंच’ पंच माने | हमारे में जो पंच महाभूत हैं, उनके द्वारा निर्मित स्थिति। परन्तु उससे पहले ‘प्र’ आने से उसका अर्थ दूसरा हो जाता है। वह है इन पंचमहाभूतों में जिन्होंने प्रकाश डाला वह ‘प्रपंच’ है। ‘अवघाची संसार सुखाचा करीन’ (समस्त संसार सुखमय बनाऊंगा) ये जो कहा है वह सुख प्रपंच में मिलना चाहिए। प्रपंच छोड़कर अन्यत्र परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती। बहतों की कल्पना है कि ‘योग’ का बतलब है कहीं हिमालय में जाकर बैठना और ठण्डे होकर मर जाना। ये योग नहीं है, ये हठ है। हठ भी नहीं, बल्कि थोड़ी मूर्खता है। ये जो कल्पना योग के बारे में है अत्यन्त गलत है। विशेषकर महाराष्ट्र में जितने भी साधु-सन्त हो गये वे सभी गृहस्थी में रहे। उन्होंने प्रपंच किया है। केवल रामदास स्वामी ने प्रपंच नहीं किया । परन्तु ‘दासबोध’ (श्री रामदासस्वामी विरचित मराठी ग्रन्थ) में हर एक पन्ने पर प्रपंच बह रहा है। प्रपंच छोड़कर आप परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकते। यह बात उन्होंने अनेक बार कही है। प्रपंच छोड़कर परमेश्वर को प्राप्त करना, ये कल्पना अपने देश में बहुत सालों से चली आ रही है। इसका कारण है श्री गौतम बुद्ध ने प्रपंच छोड़ा और जंगल गये और उन्हें वहाँ आत्मसाक्षात्कार हुआ। परन्तु वे अगर संसार में रहते तो भी उन्हें साक्षात्कार होता। समझ लीजिए हमें दादर Read More …

Put me in your Heart Chelsham Road Ashram, London (England)

                 “मुझे अपने दिल में रखो” चेल्शम रोड, लंदन (यूके), 5 अक्टूबर 1984 श्री माताजी : कृपया बैठ जाइए। ठीक है। योगी: क्योंकि आज हम कुछ समय के लिए अपनी मां को और ऑस्ट्रेलिया के अपने आदरणीय भाई डॉ वारेन को भी विदाई दे रहे हैं, जिन्होंने यहां रहते हुए अथक परिश्रम किया है। हमारी माँ की ओर से और हमारी ओर से, और इस देश में काम करने में मदद करने के लिए पर्दे के पीछे जबरदस्त काम किया; और हम चाहते हैं कि इसे सिर्फ यह बताने का एक विशेष अवसर हो कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं और वह है, जो कुछ भी वह हमसे कहते है, वह हमारे हृदय का भला करता है। डॉ वारेन: श्री माताजी, यह वास्तव में मेरे लिए आश्चर्य की बात है। श्री माताजी : कृपया थोड़ा और आगे आएं। डॉ वारेन: मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात मैं यह कह सकता हूं कि मुझे यहां रहने में कितना आनंद आ रहा है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम सभी हृदय में आए, हम सभी को प्रसारित करना है और जब भी मुझे पता चलता है कि मैं यहां आया हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है। क्योंकि मैं इस तरह से नहीं सोचता कि मैं कुछ कर रहा हूं। जब आप श्री माताजी की उपस्थिति में होते हैं, जैसा कि आप में से कई लोग महसूस करते हैं, यह समर्पण की ऐसी अभिव्यक्ति है। लेकिन समर्पण जो आपको मानसिक आशंका से परे ले जाता है कि समर्पण क्या है, क्योंकि Read More …

Navaratri Puja Hampstead (England)

नवरात्रि पूजा, हैंपस्टड, लंदन 23 सितंबर) हम नवरात्रि का त्योहार क्यों मनाते हैं? हृदय में देवी की शक्तियों को जागृत करना ही नवरात्रि मनाना है… जो शक्ति इन सभी 9 चक्रों में है उसको जानना और जब वे जागृत हो जांय तो आप स्वयं के अंदर उन 9 चक्रों की शक्तियों को किस प्रकार से अभिव्यक्त करना हैं। सात चक्र और हृदय और चांद मिलाकर ये 9 चक्र हुये। परंतु मैं कहूंगी कि ये सात और इनके ऊपर दो अन्य चक्र जिनको विलियम ब्लेक ने भी आश्चर्यजनक व स्पष्ट रूप से 9 ही कहा था। इस समय मैं आपको उन दो ऊपर के चक्रों के विषय में नहीं बता सकती। क्या इन चक्रों की शक्तियों को हमने अपने अंदर जागृत कर लिया है? किस तरह से आप ये कर सकते हैं? आपके पास तो समय ही नहीं है। आप सब लोग तो अत्यंत व्यस्त और अहंवादी लोग हैं इन शक्तियों को जागृत करने के लिये हमें इन चक्रों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। जहां भी मैं गई, मुझे आश्चर्य हुआ….. जो प्रश्न उन्होंने मुझसे पूछे …..किसी ने भी मुझसे अपने परिवार, घर, नौकरी या अन्य किसी बेकार बात के बारे में नहीं पूछा …… उन सबने मुझसे पूछा कि माँ हम इन चक्रों की शक्तियों को किस प्रकार से विकसित करें। मैंने उऩसे पूछा कि आप किसी एक चक्र विशेष के बारे में कैसे पूछ रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे अंदर अभी बहुत कमियां है … या मेरे अंदर यही चक्र ठीक नहीं है। अब किसी साक्षात्कारी Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: She connects you to God Munich (Germany)

Shri Mahalakshmi Puja. Munich (Germany), 8 September 1984 आज एक महान दिन है महालक्ष्मी पूजा का । महालक्ष्मी, लक्ष्मी का अवतरण हैं, जो विष्णु की शक्ति हैं  । उन्होंने ही अवतार लिया। यह महालक्ष्मी तत्व लक्ष्मी से उत्पन्न हुआ है, जो श्री विष्णु की शक्ति हैं। जब मनुष्य में उत्थान की इच्छा जागृत होती है, तो लक्ष्मी तत्त्व महालक्ष्मी तत्व बन जाता है। जैसे पश्चिम में हम कह सकते हैं, लोगों में लक्ष्मी की संपन्नता है, इसलिए वे उस तत्व से ऊपर उठकर महालक्ष्मी बनना चाहते थे। जागृति की अवस्था में यह सौंदर्यशास्त्र जैसे मामले पर कार्य करता है। इस स्थिति में लोग  चीज़ों पर अपने अधिकार से अधिक  उनकी कलात्मकता पर ध्यान देते  हैं।   और जब वे और अधिक उत्थान की ओर बढ़ते हैं ,अपनी जागरूकता की ख़ोज में, तो वे पाते हैं कि उन्हे भौतिक मूल्यों की तुलना में वस्तुओं की कलात्मकता को अधिक महत्व देना चाहिए। अब जब यह इच्छा मनुष्य में स्पष्ट दिखती है, तब  लक्ष्मी ही महालक्ष्मी के रूप में अवतरित होती हैं। इसलिए  उन्होंने महालक्ष्मी के रूप में तब अवतार लिया जब राम इस धरती पर आए,पहली बार  और श्री कृष्ण के इस धरती पर आने पर उन्होंने राधा के रूप में अवतार लिया। और जब वह मैरी बनकर आई। वह महालक्ष्मी थीं, जिन्होंने उस बच्चे को जन्म दिया जो कि प्रभु ईसा मसीह हैं । उन्होंने जिस बच्चे को जन्म दिया, वह महाविष्णु का महान व्यक्तित्व था । इस महाविष्णु-तत्त्व का भी प्रतिनिधित्व किया गया है या हम कह सकते हैं कि यह एक अन्य रूप में, Read More …

Shri Ganesha Puja: Four Oaths Hotel Riffelberg, Zermatt (Switzerland)

श्री गणेश पूजा  जर्मेट (स्विट्जरलैंड), 2 सितंबर 1984। जब हम इस पवित्र पर्वत, जिसे हमने गणराज नाम दिया है, की पूजा करने आए हैं तो मेरी खुशी का कोई पार नहीं है। कभी-कभी शब्द आपकी खुशी को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं। मैं आपकी माँ के प्रतीक के रूप में आपके पास आती हूँ, लेकिन पहला पुत्र जो रचा गया वह श्री गणेश थे। और फिर, जब मातृत्व के प्रतीक के रूप में धरती माता को बनाया गया, तो उन्होंने इस ब्रह्मांड में कई श्री गणेश बनाए। ब्रह्माण्ड में जिस तारे को मंगल कहा जाता है वह गणेश, श्री गणेश है। ये सभी प्रतीक आप, सहज योगियों के लिए, उन्हें पहचानने के लिए बनाए गए थे। यदि आप एक आत्मसाक्षात्कारी हैं तो इन सभी प्रतीकों को पहचानना आसान है। लेकिन हमारे पास अतीत में बहुत उच्च गुणवत्ता वाली कई महान आत्म ज्ञानी आत्माएं हैं, और उन्होंने बहुत समय पहले ही पता लगा लिया था, श्री गणेश के प्रतीकों को पहचान लिया था|। भारत सम्पूर्ण पृथ्वी,  धरती माता का सूक्ष्म रूप है। तो, महाराष्ट्र के त्रिकोण में, हमें आठ गणेश मिले हैं जो चैतन्य प्रसारित कर रहे हैं और महाराष्ट्र के महान संतों द्वारा पहचाने गए थे। लेकिन जैसा कि आपने देखा है, इन महान संतों की कृपा से, विशेष रूप से महाराष्ट्र में, ऐसे मनुष्यों का निर्माण हुआ है जिनमें उनकी भावना और मन की उच्चतम अभिव्यक्ति को श्रद्धा के रूप में रखा गया है। मन में उस उच्च दृष्टि के कारण, जब भी वे इस उत्कृष्ट Read More …

Maha Sahasrara Puja: The Start of a New Era Château de Mesnières, Rouen (France)

                    महा सहस्रार पूजा मेसनिएरेस के महल के चैपल में, रूएन (फ्रांस)  5 मई 1984 सहस्रार के इस दिन इतने सुंदर सहजयोगियों को एक साथ इकट्ठा होते देखना आपकी माता के लिए बहुत ही अद्भुत है। मुझे लगता है कि सहज योग का पहला युग अब समाप्त हो गया है, और नया शुरू हो गया है। सहज योग के पहले युग में, शुरुआती बिंदु था, पहले, सहस्रार का उद्घाटन, और धीरे-धीरे पूर्णता की ओर बढ़ते हुए, मुझे लगता है कि आज बहुत सारे महान सहज योगी हैं। यह विकास की एक बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया है जिससे आप गुजरे हैं। हम कह सकते हैं, पहला था कुंडलिनी का जागरण और फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र को भेदन। जैसा कि आप अपने सिर के ऊपर इन बंधनों को देखते हैं, वैसे ही आपके सिर में भी है, वैसे ही, और आपके सहस्रार में चक्रों को उसी तरह बनाया गया है। तो, सहज योग के पहले युग में, हमने आपके केंद्रों में, मेडुला ऑबोंगटा में और मस्तिष्क में भी देवताओं को जागृत किया। लेकिन अब समय आ गया है कि हम इसे क्षैतिज स्तर पर फैलाएं, और इसे क्षैतिज स्तर पर गतिशील करें, हमें यह समझना होगा कि इसके बारे में कैसे जाना है। इन्द्रधनुष के सात रंगों की तरह हमें इन केंद्रों के, चक्रों के प्रकाश के, सात रंग मिले हैं। और जब हम इसे पीछे से शुरू करते हैं, मूलाधार से, इसे इस तरफ, आज्ञा तक लाते हैं, तो इसे एक अलग क्रम में रखा जाता है, यदि आप इसे स्पष्ट रूप से Read More …

Makar Sankranti Puja: The Internal Revolution मुंबई (भारत)

                    मकर संक्रांति पूजा, आंतरिक क्रांति  मुंबई (भारत), 14 जनवरी, 1984 मैं योग के इस महान देश में विदेश से आए सभी सहजयोगियों का स्वागत करती हूं। यह मुझे बहुत खुशी देता है; आज इस विशेष अवसर को मनाने के लिए दुनिया भर से, देश भर से आने वाले सहज योगियों को देख कर मेरे पास व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। आज का दिन इतना शुभ है कि आप सब को यहां होना ही है; क्योंकि आप चुने हुए हैं, वे सैनिक जो इस पृथ्वी पर सत्य युग की स्थापना तक लड़ने वाले हैं। क्रांति का दिन है। “संक्रांत” का अर्थ है: “सं” का अर्थ है, आप जानते हैं, शुभ, “क्रांत” का अर्थ है क्रांति। आज पवित्र क्रांति का दिन है। मैंने आपको विद्रोह के बारे में बताया है कि विद्रोह में हम जड़ता के परिणामस्वरूप एक पेंडुलम की तरह एक छोर से दूसरे छोर तक जाते हैं। लेकिन उत्थान के माध्यम से, जब हम एक उच्च अवस्था प्राप्त करते हैं, तो यह तभी संभव है जब एक क्रांति हो और क्रांति सर्पिल रूप से होती है। उच्च स्थान पर पहुँचने के लिए गतिशीलता को सर्पिल होना चाहिए। तो, यह क्रांति है जो पवित्र क्रांति है। हम अब तक कई क्रांतियों के बारे में जान चुके हैं; हमारे देश में क्रांति हुई है। अन्य पश्चिमी देशों में भी हमने राजनीतिक आधार पर, विषमताओं के आधार पर क्रांति की है। क्रान्ति के द्वारा और भी बहुत सी बातें लड़ी गई हैं, लेकिन फिर भी आतंरिक उत्थान नहीं हुआ है। मैं Read More …

Diwali Puja: Become The Ideals Temple of All Faiths, Hampstead (England)

                  दीवाली पूजा, “आदर्श बनना” “सभी धर्मों का मंदिर”, हैम्पस्टेड, लंदन (यूके), 6 नवंबर 1983 आज के चैतन्य से आप देख सकते हैं कि जब आपकी पूजा के लिए तैयारी  होती हैं तो आपको कितनी प्राप्ति होती है। आज आप इसे महसूस कर सकते हैं। तो ईश्वर बहुत उत्सुक हैं, कार्य करने के लिए| केवल एक बात है कि, स्वयं तुम्हें तैयारी करनी है। और ये सभी तैयारियां आपकी काफी मदद करने वाली हैं। जैसा कि हम अब सहजयोगी हैं, हमें यह जानना होगा कि हम जो थे उससे कुछ अलग हो गए हैं। हम योगी हैं, हम दूसरों से ऊंचे लोग हैं। और ऐसे में हमें एक बात और भी समझनी होगी कि हम दूसरे इंसानों की तरह नहीं हैं जो कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, जो पाखंड के साथ जी सकते हैं. इसलिए सारी समस्याएं सभी धर्मों से उत्पन्न हुई हैं। एक व्यक्ति जो कहता है कि वह एक ईसाई है, वह पूरी तरह से मसीह विरोधी है; जो कहते हैं कि जो  इस्लामिक है, वह बिल्कुल मोहम्मद विरोधी है; जो कहता है कि वो हिंदू है, बिल्कुल श्रीकृष्ण विरोधी है। यही मुख्य कारण है कि अब तक सभी धर्म असफल रहे हैं, क्योंकि मनुष्य आदर्शों की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। वे सभी कहते हैं कि हमारे पास यह आदर्श है, वह आदर्श है, लेकिन वे खुद आदर्श नहीं हैं, वे उन आदर्शों के साथ नहीं रह सकते। आदर्श उनके जीवन में नहीं हैं, वे बाहर हैं। लेकिन वे यह कहते चले जाते हैं कि ये हमारे Read More …

Guru Puja: Awakening the Principle of Guru Lodge Hill Centre, Pulborough (England)

गुरु पूजा                              “गुरु के सिद्धांत को जागृत करना” लॉजहिल (यूके), 24 जुलाई 1983 आज आप सभी यहाँ गुरु पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। आपकी गुरु, पहले एक माँ है और फिर एक गुरु है और इस बात ने मेरी बड़ी मदद की है। हमने पहले भी कई गुरु पूजन किए हैं, ज्यादातर इंग्लैंड में। और आपको आश्चर्य होना चाहिए कि माँ हमेशा किसी भी तरह गुरु पूजा लंदन में क्यों कर रही हैं। समय चक्र हमेशा इस तरह से चलता है कि, गुरु पूजा के दिनों में, मैं यहां हूं, उस दौरान मुझे लंदन में रहना होगा। इतने सालों से हम इंग्लैंड में गुरु पूजा कर रहे हैं। यदि सभी चीजें ऋतुमभरा प्रज्ञा से होती हैं तो निश्चित ही कोई कारण है की माँ यहाँ गुरु पूजा के लिए इंग्लैंड में है। पुराणों में कहा गया है कि आदि गुरु दत्तात्रेय ने तमसा नदी के किनारे माता की आराधना की थी। तमसा वही है जो आपके थेम्स के रूप में है और वह स्वयं यहां आकर आराधना करते है। और ड्र्यूड्स,( जिसमे की स्टोनहेंज वगैरह की अभिव्यक्ति थी), उस प्राचीन समय से शिव के आत्मा रूपी इस महान देश में उत्पन्न हुआ है। इसलिए आत्मा यहाँ उसी प्रकार बसी हुई है जैसे की मनुष्यों के हृदय में रहती है और सहस्रार हिमालय में है जहाँ कैलाश पर सदाशिव विद्यमान हैं। हमारे यहाँ इतने गुरु पूजन होने का यह महान रहस्य है। इसे संपन्न करने Read More …

Guru Purnima Seminar Part 2: Assume your position Lodge Hill Centre, Pulborough (England)

                                      ऋतुम्भरा प्रज्ञा – भाग II  लॉज हिल (यूके), गुरु पूर्णिमा सेमिनार, 23 जुलाई, 1983। सहज योगी गाते हैं | भय काय तया प्रभु ज्याचा रे  (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? सर्व विसरली प्रभुमय झाली  (x2) हम दिव्यता में सब कुछ भूल जाते हैं पूर्ण जयाची वाचा रे (x2) और हम परमात्मा में पूरी तरह खो जाते हैं भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? जगत विचरे उपकारास्त्व (x2) जो दुनिया की भलाई के लिए विचरण करते हैं  परी नच जो जगतचा रे (x2) लेकिन वह दुनिया से संबंधित नहीं है क्योंकि वह पूरी तरह से अलग है भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं तो डरने की क्या बात है? इति निर्धन। परस्त्र ज्याचा  (x2) आप बिना किसी बाहरी धन के हो सकते हैं: सर्व धनाचा साचा रे  (x2) धन का असली खजाना अपने अंदर है भय काय तया प्रभु ज्याचा रे(x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? आधि व्याधि मरणावरती (x2) सभी रोग और मरण जैसी समस्याएं पूरी तरह से भंग हो जाती हैं पाय अशा पुरुषाचे  (x2) ऐसे व्यक्ति के पैर इन सब से ऊपर रहते हैं भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम ईश्वर से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? आपका बहुत बहुत धन्यवाद! कोई मेरा अनुवाद करेगा? योगिनी: नहीं। हम चाहेंगे कि आप इसका अनुवाद हमारे लिए करें, कृपया! Read More …

Lord Buddha Brighton (England)

                                                   भगवान बुद्ध                                       सार्वजनिक कार्यक्रम 1983-0526, ब्राइटन, यूके आज, फिर से, यहाँ ब्राइटन में होना ऐसा आनंददायक है; और, धीरे-धीरे और लगातार, मुझे लगता है कि सहज योग इस जगह पर स्थापित हो रहा है। जब मैं पहली बार ब्राइटन केवल मिलने आयी थी, तो मुझे लगा कि इस जगह पर अवश्य ही बहुत से साधक होना चाहिए हैं, जो शायद खो गए हैं और हमेशा एक बड़ी उम्मीद थी कि एक दिन वे वास्तविकता में आने में सक्षम होंगे। आज का दिन बहुत खास है क्योंकि आज भगवान बुद्ध का जन्मदिन है। और सुबह में, मैंने उनके महान अवतार के बारे में सहज योगियों से बात की, और किस तरह वह इस धरती पर आए और उन्हें उनका बोध हुआ, और फिर कैसे उन्होंने बोध का संदेश दूसरों में फैलाने की कोशिश की। बहुत से लोग मानते हैं और सोचते हैं कि क्राइस्ट एक नास्तिक था … बुद्ध एक नास्तिक थे, जबकि क्राइस्ट एक ऐसे व्यक्ति थे जो, ईश्वर में आस्था रखते थे। और कुछ लोग बुद्ध को ईसा मसीह के मुकाबले अधिक पसंद करते हैं। यह कुछ बहुत ही आश्चर्यजनक है … कि जब लोग विशेष परिस्थितियों में पैदा होते हैं, तो उन्हें उन चीजों के बारे में बात करनी होती है जो उस समय बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। जिस समय बुद्ध भारत में इस धरती पर आए थे, उस समय हमारे पास बहुत अधिक ब्राह्मणवाद का कर्मकांड और परमात्मा और धर्म के नाम पर धनार्जन करने वाले व्यवसायी जो भगवान के नाम पर और धर्म के नाम पर Read More …

Birthday Puja: Overcoming The Six Enemies Sydney (Australia)

             जन्मदिन पूजा, “छह दुश्मनों पर काबू पाना  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) २१ मार्च १९८३। आज इस शुभ दिन पर आप लोगों के साथ होना बहुत महत्व का है; आस्ट्रेलियाई लोगों के साथ रहना जो बहुत अच्छे सहज योगी साबित हुए हैं और जिन्होंने अपने आध्यात्मिक जीवन में बहुत तेजी से प्रगति की है। यहां अपने बच्चों के साथ रहकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। जैसा कि आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में मेरे बहुत सारे बच्चे हैं,  उन बच्चों के अलावा, जिन्हें मैंने वास्तव में शारीरिक रूप से जन्म दिया है। हमें आज उन सभी के बारे में सोचना होगा जो हमसे हजारों मील दूर हैं, अपने आध्यात्मिक उत्थान के लिए सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। आध्यात्मिक उत्थान के लिए केवल प्रार्थना करनी है। क्योंकि जैसे-जैसे आप का उत्थान होता जाता हैं शेष सब कुछ आपको मिल जाता है। चूँकि आप उत्थान नहीं करते हैं, आपको वह नहीं मिलता जिसकी आपको आवश्यकता है। इसलिए दिक्कतें हैं। और आज भी मुझे पूजा में आने से पहले कुछ समस्याओं का समाधान करना था। लेकिन अगर आप तय करते हैं कि हमें अपने भीतर आध्यात्मिक रूप से उत्थान करना है, तो आपको जो कुछ भी प्राप्त करना है, वे सभी आशीर्वाद जो ईश्वर आप पर बरसाना चाहते हैं, आपको अपने महान राज्य का नागरिक बनाने के लिए, जहां अब आपका और आकलन नहीं किया जाता हैं, और न फिर ताड़ना दी जाएगी, और परमेश्वर के अनन्त प्रेम और उसकी महिमा में जहां तुम निवास करते हो, वहां तुम्हारी परीक्षा नहीं होगी। Read More …

We have to understand that truth is not a mental action Maccabean Hall, Sydney (Australia)

                             सत्य मानसिक क्रियाकलाप नहीं है सार्वजनिक कार्यक्रम दिवस १. सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 15 मार्च 1983 लेकिन इससे पहले कि हम अपनी खोज के बारे में सही निष्कर्ष पर पहुंचें, हमें यह समझना होगा कि सत्य कोई मानसिक क्रिया नहीं है। अगर आपका मन कहता है कि “यह ऐसा है” तो आवश्यक नहीं की ऐसा ही होना चाहिए। जीवन में यह हमारा प्रतिदिन का अनुभव है कि मानसिक रूप से जब हम कुछ स्थापित करने का प्रयास करते हैं, तो कुछ समय बाद हम पाते हैं कि हम उसके बारे में बिल्कुल सही नहीं हैं। जो कुछ भी हमें ज्ञात है वह पहले से ही है। लेकिन जो कुछ भी अज्ञात है, उसके बारे में भी, यदि आपके पास पूर्वकल्पित विचार हैं, कि “यह अज्ञात है, यह ईश्वर है, यह आत्मा है”, तो ऐसा भी हो सकता है कि आप सत्य से बहुत दूर हैं। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से अगर आपको किसी विषय पर जाना है तो आपको अपना दिमाग बिल्कुल साफ और खुला रखना होगा, कि कई महान संतों, कई महान गुरुओं ने कहा है कि हमें फिर से जन्म लेना है और हम आत्मा हैं। क्या हमें उन पर विश्वास करना चाहिए या नहीं? शायद, हमें कम से कम इस निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए कि उन्होंने किसी से कोई पैसा नहीं लिया और वे नकली लोग नहीं हो सकते थे, उन्होंने पैसे के लिए ऐसा नहीं किया। इसलिए, यदि हमें नया जन्म लेना है, तो सही निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए हमें पता होना चाहिए कि हमारे साथ क्या होना Read More …

Workshop in the Park, Mother Are You The Holy Ghost? Adelaide (Australia)

                                               पार्क में कार्यशाला  एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया, 5 मार्च, 1983। श्री माताजी : इस केंद्र को हम “बायीं विशुद्धि” कहते हैं। अब क्या आपने उन्हें बायीं विशुद्धि के बारे में बताया है? सहज योगी : नहीं, विशिष्ट पहलू नहीं, केवल इसकी सामान्य बातें। श्री माताजी : ठीक है। अब, यह बायीं विशुद्धि की पकड़ आपको तब आती है जब कि आपने मंत्रों को गलत तरीके से कहा है। देखिए, मन्त्र तभी कहे जाने चाहिए जब कोई आत्म ज्ञानी हो जो यह जानता हो कि कौन से मन्त्रों को बोलना है। और यदि आप को इसके बारे में ज्ञान नहीं हैं, फिर भी आप मंत्रों को स्वीकार करने लगते हैं। चाहे जो कोई भी आपको कहे कि, “यह मंत्र बोलो”, आप इसे बिना समझे ही कहना शुरू कर देते हैं भले ही यह किसी अधिकृत द्वारा दिया गया हो अथवा   नहीं। आप यह भी ज्ञान नहीं होते है कि यह आपके लिए है या नहीं। शायद कुछ के लिए इसकी आवश्यकता नहीं है। किसी विशेष मंत्र की आवश्यकता नहीं भी हो सकती है। और कुछ मंत्र बिल्कुल बेतुकी बातें हैं। तो ‘मन्त्र’, यह भी बहुत बड़ा विज्ञान है। और अभी-अभी मुझे बायीं विशुद्धि की पकड़ का अनुभव हो रहा है। इसे कोई व्यक्ति तब भी महसूस करता है, भले ही आपने मंत्र नहीं लिया हो लेकिन, आप दोषी महसूस कर रहे हैं। जैसे, आप देखिए, यदि आप दोष स्वीकारोक्ति और इसी तरह की चीजों के अभ्यस्त हैं, यदि आप ऐसी स्थिति के आदी हैं जहां आपको लगता रहता है कि “मैं अमुक Read More …

Puja, Mother You be in our brain Adelaide (Australia)

Puja, Mother You be in our brain आप सबके बीच आना बड़ा सुखद अनुभव है और अभी मेरे आने से पहले यहां जो कुछ हुआ उसके लिये मुझे खेद है। लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि प्रकृति भी परमेश्वरी व्यक्तित्व की उपस्थिति में जागृत हो जाती है और एक बार जब ये जागृत हो जाय तो यह उसी तरह का व्यवहार करने लगती है जैसे कोई साक्षात्करी आत्मा करती है। ये उन लोगों से नाराज हो जाती है जो धार्मिक नहीं हैं … जो परमात्मा के बारे में जानना नहीं चाहते हैं…. जो लोग गलत कार्य करते हैं… जो लोग सामान्य लोगों जैसा व्यवहार नहीं करते हैं … या एक तरह से वे पूर्ण का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं … इस तरह के सभी लोगों से वह नाराज हो जाती है। एक बार जब वह इस स्तर तक आ जाती है तो यह स्वयं ही कार्यान्वित होने लगती है। जैसा कि आपको मालूम है कि सहजयोग के अनुसार सभी तत्वों के पीछे उनके देवता होते हैं। उदाहरण के लिये आग के देवता अग्नि हैं। अपने शुद्ध स्वरूप में ….वास्तव में अग्नि देवता हमें शुद्ध करते हैं। ये सभी को शुद्ध करते हैं … ये सोने को शुद्ध करते हैं … यदि आप सोने को आग में डाल दें तो यह जलता नहीं है बल्कि और भी चमकदार हो जाता है। लेकिन अन्य बेकार की वस्तुओं को आग जला डालती है। अतः सभी ज्वलनशील वस्तुयें अधिकांशतया निम्न श्रेणी की होती हैं जिनको जलाना ही उचित है। आश्चर्यजनक रूप से इन Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Shivaratri Puja आपके अंदर इस अनासक्ति को आना होगा …. इसमें थोड़ा समय लगता है। खासकर भारतीय लोगों में …. जो हर समय अपने बच्चों, माता और पिता के बारे में चिंतित रहते हैं और ये चलता रहता है। वर्षों तक मेरा बेटा … मेरी बेटी … मेरे पिता … पूरे समय ये चलता रहता है। अब परमात्मा की कृपा से कई लोग अपने दायित्वों से छुटकारा प्राप्त कर चुके हैं … सहजयोग के माध्यम से या जिस प्रकार से भी (श्रीमाताजी हंसती हैं)। जो लोग भी अब सहजयोग में आ रहे हैं कि हमें सहजयोग के आशीर्वाद प्राप्त करना है … उनमें भी इस अनासक्ति को लाया जाना है कि हमें आशीर्वाद प्राप्त हो रहे हैं … उन्हें इसका गर्व होना चाहिये। यदि आपको सहजयोग परिवार में आना है तो आप इसमें आंये परंतु किसी को भी सहजयोग में आने के लिये जबर्दस्ती न करें ….. उनके ऊपर सहजयोग को थोपे नहीं। अब वह अवस्था आ चुकी है कि आपको उनसे सहजयोग की बात करनी है। शुरूआत में मैं कहती थी कि उनसे इस बारे में बात मत करो … लेकिन उनके लिये कहती थी जो एकदम बेकार हैं यदि उनको सहज में नहीं आना है तो उनसे बात करें कि आप सहजयोग के लिये बिल्कुल ठीक नहीं हैं …… ऐसे लोगों से बिल्कुल बात न करें। तभी वे आ पायेंगे। कुछ लोगों में आपको कोई दिलचस्पी नहीं रखनी चाहिये … उन्हें कहें कि आप एकदम अक्षम हैं… भौतिकतावादी हैं … आप अच्छे नहीं हैं तो वे कहेंगे कि Read More …

The Vishuddhi Chakra New Delhi (भारत)

19830202 TALK ABOUT Vishuddhi, DELHI [Hindi transcript Q&A] सवाल – माताजी, क्या पितरों के श्राद्ध करने चाहिये ? उनके चित्र रखने चाहिये ?   श्रीमाताजी – इन्होंने सवाल किया है क्या पितरों के श्राद्ध करने चाहिये? पितरों के फोटोग्राफ्स रखने चाहिये ? जब उनकी तेरहवी होती है तब तो करने ही चाहिये उनके श्राद्ध। और श्राद्ध भी डिस्क्रिशन्स की बात आ ‘गयी फिर से। अगर समझ लीजिये कि आपके सहजयोग में आपने देखा कि आपका राइट हार्ट पकड़ रहा है। याने आपके पिता जो है, जो मर गये हैं, वो अभी भी संतुष्ट नहीं तो श्राद्ध करना चाहिये। इसमें कोई हर्ज नहीं। पर सहजयोग स्टाइल से श्राद्ध करना चाहिये। न कि एक ब्राह्मण को बुलाओ और उसको खाने को दो।   एक बार लखनो में हमें पता हुआ कि हमारे जो पूर्वज थे उनका श्राद्ध नहीं हो पाया। तो हमने कहा हम श्राद्ध करेंगे। तो उन्होंने कहा कि, ‘तुम्हारा श्राद्ध का क्या विधि है ?’ हमने कहा, ‘हमारा तो ये है कि हम खाना बनाते हैं और सब को खिलायेंगे खाना। बस यही हमारा श्राद्ध है।’ तो हमारी सिस्टर इन लॉ बेचारी ट्रेंडिशनल थी। उन्होंने ‘कहा कि, ‘यहाँ श्राद्ध ऐसा होता है कि पाँच ब्राह्मण बुलाओ।’ मैंने कहा, ‘पाँच क्‍या, यहाँ तो एक भी ब्राह्मण दिखायी नहीं दे रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘नहीं, अपने पाँच ब्राह्मण हैं। वो आएंगे और उनका श्राद्ध करेंगे।’ मैंने कहा, “चलो, बुलाईये।’ फिर पाँच ब्राह्मण आयें। वो तो बिल्कुल पार नहीं थे न ब्राह्मण थे। पाँच आदमी आ के बैठ गये। मैंने सोचा, देखिये तो सही क्‍या Read More …

Devi Puja: “Keep Your Mother Pleased” Vaitarna (भारत)

                                “अपनी माँ को प्रसन्न रखें”, देवी पूजा  वैतरणा (भारत), 21 जनवरी 1983 तो अब हम अपने पहले आधे दौरे के अंत में आ रहे हैं। अब हमें स्वयं पीछे देख कर  यह पता लगाने की कोशिश करनी होगी कि हमने इससे क्या हासिल किया है। हमें यह समझना चाहिए कि सहज योग मस्तिष्क की गतिविधियों के माध्यम से नहीं किया जाता है। जैसे बहुत से लोग सोचते हैं कि यदि आप सिर्फ अपने आप से कहते हैं, “आपको ऐसा होना है”, तो यह काम करेगा। यदि आपको हर समय अपने आप को सूचित करना है कि, “ओह, आपको एक विशेष समस्या से छुटकारा पाना चाहिए”, तो आप बिलकुल ठीक हो जाएंगे। या कुछ लोग सोचते हैं कि अगर वे किसी को बताते हैं, कि ” आपके साथ क्या गलत है और आपको ठीक हो जाना चाहिए”, तो यह सब ठीक हो जाएगा। ऐसा नही है। क्योंकि सहज योग मानसिक स्तर पर काम नहीं करता है। यह आध्यात्मिक स्तर पर काम करता है जो मानसिक स्तर से बहुत ऊँचा है। तो आपको क्या करना है यह समझना है कि अपने चक्रों को कैसे ठीक करें। और आपको यह समझना चाहिए कि अपनी मशीनों को कैसे कार्यान्वित करना है। शायद लोग अभी भी मानसिक स्तर पर रहते हैं और मानसिक स्तर पर समस्याओं को हल करने की कोशिश करते हैं। और इसीलिए सारी समस्याएं सामने आने लगती हैं। अब, यदि आपको किसी भी चक्र में कोई समस्या है या कुछ भी पकड़ने वाला है या आप पाते हैं कि आपके साथ कुछ Read More …

Shri Durga Puja: Mind is just like a donkey Vienna (Austria)

                श्री दुर्गा पूजा                  ‘मन बिलकुल एक गधे जैसा है’  वियना(ऑस्ट्रिया)                                                         26सितंबर 1982 आप सभी को बंधन लेना चाहिए। पूजा से पहले यह बेहतर है| आज पहला दिन है, हम इस देश ऑस्ट्रिया में पूजा कर रहे हैं। यह देश एक ऐतिहासिक देश है, जो की विभिन्न उथल-पुथल से जीवन के इतने सारे सबक सीखने को गुजरा है। लेकिन इंसान ऐसे होते हैं जो की आपदाओं का अपनी गलतियों से संबंध नहीं देखते हैं। यही कारण है कि वे एक ही गलतियों को बार-बार दोहराते हैं। वियना से मुलाकात बाकी थी और मैं उस दिन आयी जब हमने मचिन्द्रनाथ का जन्मदिन ([वह एक सहज योगी शिशु है) मनाया । आप सभी के लिए यह बहुत शुभ है कि वह आज अपने जीवन का एक वर्ष पूरा कर लें। मैं उसे सभी फूल, सबसे सुंदर फूल, सुंदरता और उस पर आनंद, और उसके परिवार, उसके सभी संबंधों और उसके परिवार के साथ आशीर्वाद देती हूं। बहुत सारी चीजें हैं जो पहली बार की गई हैं। मुझे कहना चाहिए, मैं पहली बार ऑस्ट्रिया में वियना आयी हूं, और मैं पहली बार जन्मदिन पर एक बच्चे के पहले जन्मदिन पर आई हूं। और एक अष्टमी पर, जो की आज है, चंद्रमा का आठवाँ दिन, चन्द्रमा का, जो बढ़ रहा है, शुक्लपक्ष; उस समय पहली बार देवी के सभी अस्त्रों की पूजा की जानी है। यह एक Read More …

Shri Ganesha Puja: Innocence & Joy House of Charles and Magda Mathys, Troinex (Switzerland)

                                                  श्री गणेश पूजा  ट्रोइनेक्स, (जिनेवा, स्विटजरलैंड), 22 अगस्त 1982 वार्ता से पहले: उन्हें बुलाओ, लोगों को बुलाओ। आप आगे चल सकते हैं और पीछे बैठ सकते हैं। ग्रेगोइरे पूछते हैं कि क्या पूजा की व्याख्या होनी चाहिए क्योंकि कुछ नवागंतुक हैं। श्री माताजी: क्या यहाँ कोई है जो अनुवाद कर सकता है? आपको दो व्यक्तियों की आवश्यकता है। आप यहां बैठ सकते हैं। ग्रेगोइरे: मैं इतालवी में भी अनुवाद कर सकता हूँ श्री माताजी : लेकिन क्या वह नहीं आए हैं? उसे पूजा के लिए आना चाहिए, तुम्हें पता है। सभी को अंदर आना चाहिए। जब ​​वे सब यहाँ होंगे, तब मैं शुरू करूँगी। अब, आगे आओ। यहाँ कमरा है। जो जमीन पर बैठ सकते हैं वे सामने बैठ सकते हैं। कृपया आइये। (माँ योगिनी से बात करती हैं ) तुम्हें यह पसंद है? रंग ठीक है? वह कहां है, और कौन अनुवाद करेगा? ठीक है, तुम आ सकते हो। आप इसे फ्रेंच में करते हैं और वह इसे इतालवी में कर सकती है। अरनौत नहीं आया? आप वहाँ हैं। और कौन? बच्चे सामने बैठ सकते हैं – बच्चों को सामने बैठने दो। जब आप पूजा शुरू करेंगे तो चारों बच्चे बाद में आ सकते हैं। क्या सब आ गए हैं? आह! रोबोटिक मोटर-कारें! महान! …बिल्कुल, यही है! बाहर कौन है? [यहां वार्ता की प्रतिलेख शुरू होती है] ठीक है। सबसे पहले मैं आपको पूजा का अर्थ बताना चाहूंगी। दो पहलू हैं। (५.०२) एक पहलू यह है कि आपने अपने भीतर अपने स्वयं के देवी-देवता पा लिए हैं। और इन Read More …

The Left Side Problems of Subconscious Christchurch House, Brighton (England)

                “बायाँ पक्ष: अवचेतन की समस्याएं” होव, ब्राइटन के पास, यूके,१३ मई १९८२। [पहले तीन मिनट बिना आवाज के हैं] लेकिन जैसा कि मैंने आपको बताया कि अच्छी जड़ताएँ (कंडीशनिंग) हो सकती है। उसी तरह, आप में अच्छी आदतें और बुरी आदतें हो सकती हैं। आदतें यदि आपके उत्थान को रोकती या बाधित करती हैं, तो वे आपको स्थिर करने में मदद भी कर सकती हैं। जड़ता (कंडीशनिंग) आपके पास उन पदार्थों से आती है जिनके साथ हम दिन-प्रतिदिन का व्यवहार कर रहे हैं। जब कोई इंसान पदार्थों को देखता है, तो वह उन पर अतिक्रमण करता है और वह उस पदार्थ को अपने उपयोग\उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। वह अपने उपयोग\उद्देश्य के लिए पदार्थों के रूपों को बदलता है। वह आराम के रूप में, या जीवन में मदद या मार्गदर्शक के रूप में पदार्थो का उपयोग करने के लिए अभ्यस्त होने लगता है। जितना अधिक आप पदार्थ पर निर्भर होना शुरू करते हैं, उतना ही आपकी सहजता समाप्त हो जाती है, क्योंकि आप निर्जीव के साथ व्यवहार कर रहे हैं। पदार्थ, जब निर्जीव हो जाते है, तभी हम उस से व्यवहार करते हैं। जब यह जी रहा होता है तो हम इसके बारे में ज्यादा परवाह नहीं करते हैं। इसलिए उस पदार्थ की जड़ता हमारे भीतर तब बैठ जाती है जब हम उस पदार्थ को अपने प्रयोजन के लिए प्रयोग करने लगते हैं। लेकिन हम अन्यथा कैसे अपना अस्तित्व बनाये रख सकते हैं, यह सवाल लोग पूछ सकते हैं। अगर भगवान ने हमें यह भौतिक चीजें और इन Read More …