Shri Ganesha Puja (भारत)

श्री गणेश पूजा कळवा, ३१ दिसंबर १९९४ अ जि हम लोग श्री गणेश पूजा करेंगे। श्री गणेश की पूजा करना अत्यावश्यक है। क्योंकि उन्हीं की वजह से सारे संसार में पावित्र्य फैला था। आज संसार में जो-जो उपद्रव हम देखते हैं उसका कारण यही है की हमने अभी तक अपने महात्म्य को नहीं पहचाना। और हम लोग ये नहीं जानते की हम इस संसार में किसलिए आये हैं और हम किस कार्य में पड़े हुए है, हमें क्या करना चाहिए? इस चीज़ को समझने के लिए सहजयोग आज संसार में आया हुआ है। जो कुछ भी कलियुग की घोर दशा है उसे आप जानते हैं। मुझे वो बताने की इतनी जरूरत नहीं है। परन्तु हमें जान लेना चाहिए कि मनुष्य जो है धर्म से परावृत्त हो गया है। जैसे कि उसकी जो श्रद्धाऐं थीं वो भी ऊपरी तरह से आ गयी । उसमें आंतरिकता नहीं। वो समझ नहीं पाता है कि श्री गणेश को मानना माने क्या? अपने जीवन में क्या चीज़ें होनी चाहिए। लेकिन ये बड़ा मुश्किल है। कितना भी समझाईये, कुछ भी कहिये लेकिन मनुष्य नहीं समझ पाता है कि श्री गणेश को किस तरह से हम लोग मान सकते हैं। गर वो एक तरफ श्री गणेश की एक आशीर्वाद से प्लावित है, नरिष्ठ है कि वो बड़े पवित्र है। वो सोचते हैं। ऐसी बात नहीं। अगर आप बहुत इमानदार आदमी है तो ठीक है। लेकिन नैतिकता में आप कम है तो गलत है। अगर आप संसार के जो कुछ भी प्रश्न है उसकी ओर ध्यान नहीं देते Read More …

Adi Shakti Puja Jaipur (भारत)

Adi Shakti Puja (Hindi). Jaipur (India), 11 December 1994. [Original transcript Hindi talk, scanned fromo Hindi Chaitanya Lahari] आज हम लोग आदिशक्ति का पूजन कर रहे हैं। जिसमें सब कुछ आ जाता है। बहुत से लोगों ने आदिशक्ति का नाम भी नहीं सुना। हम लोग शक्ति के पुजारी हैं, शाक्तधर्मी हैं और महामाया स्वरूप था। आदिशक्ति को महामाया स्वरूप होना जरूरी है क्योंकि सारा ही शक्ति का जिसमें समन्वय हो, प्रकाश हो और हर तरह से जो हरेक शक्ति विशेष कर राजे-महाराजे सभी शक्ति की पूजा की अधिकारिणी हो उसे महामाया का ही स्वरूप करते हैं। सबकी अपनी-2 देवियाँ हैं और उन लेना पड़ता है। उसका कारण ये है कि जो प्रचण्ड शक्तियाँ इस स्वरूप में संसार में आती सब देवियों के नाम अलग-2 हैं। यहाँ की देवो का नाम भी अलग है, गणगौर। लेकिन आदिशक्ति हैं. सबसे पहले सुरकभि के रूप में आई थी ये का एक बार अवतरण इस राजस्थान में हुआ जो शक्ति, जो एक गाय थी। उसमें सारे ही देंबी वो सती देवी के रूप में यहाँ प्रकट हुई। उनका देवता बसे हैं और उसकोे बाद एक बार सती बड़ा उपकार है जो राजस्थान में अब भी अपनी देवी के रूप में, एक ही बार इस राजस्थान में अवतरित हुई। मैंने आपसे बताया कि मेरा संबंध संस्कृति, स्त्री धर्म, पति का धर्म, पत्नी का धर्म, राजधर्म हरेक तरह के धर्म को उनकी शक्ति ने इस राजस्थान से बहुत पुराना है क्यांकि हमारे पूर्वज राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सिसौदिया वश प्लावित किया, Nourish किया। सती देवी की Read More …

Shri Rajalakshmi Puja New Delhi (भारत)

4-12-1994 Shri Rajlaxmi Puja, Delhi आज हम राजलक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं, मतलब वह देवी जो राजाओं पर शासन करती है। आज यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि मूल रूप से कुछ गलत हो रहा है हमारी राजनीतिक व्यवस्थाओं की  कार्यप्रणाली में और क्यों लोगों ने अपनी न्याय, निष्पक्ष व्यवहार और परोपकार की भावना को खो दिया है। हम कहाँ गलत हो गए हैं कि ये सब खो रहा है? ये केवल भारत में नहीं, ये केवल जापान या इंग्लैंड में नहीं या किसी अन्य स्थान पर, जहाँ हमें लगता है कि लोकतंत्र है। सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी देशों ने, यहां तक ​​कि जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता पायी है, उन देशों का अनुसरण करना शुरू किया जो बहुत ही उच्च और पराक्रमी और बहुत शक्तिशाली माने जाते थे जैसे कि अमरीका, जैसे कि रूस, जैसे कि चीन, इंग्लैंड – सोचे समझे बिना कि वे अपने उस लक्ष्य को पाने में कितना सफल हुए हैं जो उन्हें प्राप्त करने थे। जैसा भी हो, इंग्लैंड जैसे देश में, आप देखते है यह राज-तंत्र, किस ढंग से यह काम करता है, आश्चर्य चकित कर देता है, बिल्कुल चौंका देता है । जिस तरह से उन्होंने अपने मंत्रियों के प्रति आचरण किया, जैसे क्रॉमवेल, आपको ऐसा लगता है जैसे कोई आदिम लोग कुछ प्रबंधन करने का प्रयत्न कर  रहे हैं। और राजा लोग इतने क्रूर, रानियाँ इतनी क्रूर, इतने चरित्रहीन, इतने अविश्वसनीय। उनमें कोई चरित्र नहीं था राजा और रानी बनने का। अपने राजलक्ष्मी सिद्धांत के प्रति कोई Read More …

Diwali Puja: Lights of Pure Compassion Istanbul (Turkey)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी दिवाली पूजा ‘शुद्ध करुणा का प्रकाश’ इस्तानबुल, तुर्की 5 नवंबर, 1994 आज हम दिवाली मनाने जा रहे हैं, जिसका अर्थ है दीपक की पंक्तियाँ या आप कह सकते हैं दीपकों का समूह। हमें तुर्की में भी अनुवाद करने के लिए किसी की आवश्यकता है। ये ठीक है!   यह दीपावली भारत में अत्यंत प्राचीन काल का पर्व रहा है। मैं अपने पिछले व्याख्यानों में पहले ही बता चुकी हूँ, कि ये पाँच दिन क्या हैं। नरकासुर को मारने के बाद दिवाली मनाई गई जब वो साल की सबसे अंधेरी रात थी। तो अब, यह इस आधुनिक समय में बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि सबसे बुरा वक्त, जहां तक ​​नैतिकता का सवाल है, इस आधुनिक समय में रहा है। हम इसे घोर कलियुग कहते हैं! घोर कलियुग, सब से बुरा आधुनिक समय। जिसका अर्थ है पूर्ण अधंकार। जैसा कि आप अपने चारों ओर देखते हैं, आप पाएंगे कि पूर्ण अंधकार है, जहां तक नैतिकता का प्रश्न है, और इसलिए सभी प्रकार के संकट हैं। इसके वजह से भी बहुत से लोग हैं, जो प्रकाश और सत्य को खोज रहे हैं।  अज्ञानता के काले युग में लोगों को पता नहीं है कि उन्हें क्या करना चाहिए, वे इस धरती पर क्यों हैं! जैसा कि आप बहुत अच्छे से जानते हैं, की हजारों हजारों सच्चे साधक हैं जो इस समय जन्मे हैं। इसीलिए यह कार्य मुझे दिया गया अज्ञान के काले युग में दिवाली बनाने के लिए। यह कार्य सरल नहीं है क्योंकि एक तरफ सच्चाई के खिलाफ काम Read More …

Easter Puja: Resurrection Bundilla Scout Camp, Sydney (Australia)

ईस्टर पूजा। सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 अप्रैल 1994। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप यहाँ  बहुत संख्या में आए हैं – और मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा है, न केवल ऑस्ट्रेलिया के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए, क्योंकि इसमें सबसे बड़ा संदेश है जिसे हमने अब सहजयोग में साकार किया है। हमें ईसा मसीह के संदेश को समझना होगा। इस दुनिया में बहुत से लोग हैं जो यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे बहुत महान तर्कवादी हैं और उन्हें कोई  भी टिप्पणी करने का अधिकार है, जो उन्हें ईसा मसीह के बारे में पसंद है। अख़बारों में आज मैं पढ़ रही थी, मुझे आश्चर्य हुआ कि वे सभी एक-एक करके यह कह रहे हैं कि, “मैं ईसा मसीह के इस हिस्से को अस्वीकार करता हूँ कि वे निरंजन गर्भधारण से पैदा हुऐ थे। मैं अस्वीकार करता हूँ  कि वे पुनर्जीवित हो गए । मैं इसे अस्वीकार करता हूँ और मैं उसे अस्वीकार करता हूँ। ” आप हैं कौन? क्योंकि आप लिख सकते हैं, क्योंकि आपके पास एक सूझ है, आप ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं? बस बिना पता लगाए। आप एक विद्वान हैं, हो सकता है कि आप बहुत अच्छी तरह से पढ़े हों, हो सकता है कि आपको लगता है कि आप किसी भी विषय में जो कुछ भी पसंद करते हैं उसे कहने में सक्षम हैं, लेकिन आध्यात्मिकता के विषय को उन लोगों द्वारा नहीं निपटाया जा सकता जो आत्म- साक्षात्कारी भी नहीं हैं। क्योंकि यह एक बहुत ही Read More …

Mahashivaratri Puja, Surrender New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja. Delhi (India), 14 March 1994. It’s a great pleasure that from all over the world people have gathered to worship Shiva. Actually we should say it is Sadashiva that we are going to worship today. As you know the difference between Sadashiva and Shri Shiva. Sadashiva is the God Almighty and He is a witness of the play of the Primordial Mother. The combination between Sadashiva and the Primordial Mother Adi Shakti is just like a moon and the moonlight or the sun or the sunlight. We cannot understand such relationship in human being, among human marriages or among human relationships. So whatever the Adi Shakti’s creating, which is the desire of Sadashiva, is being witnessed by Him. And when He is watching this creation He is witnessing all of it into all details. He witnesses the whole universe and He also witnesses this Mother Earth, all the creation that is done by the Adi Shakti. His power is of witnessing and the power of Adi Shakti is this all pervading power of love. So the God Almighty, the Father, the Primordial Father we can say, expresses His desire, His Iccha Shakti as the Primordial Mother and She expresses Her power as love. So the relationship between the two is extremely understanding, very deep, and whatever She’s creating, if She finds, if He finds there is some problem or there are people, human beings specially who are trying to obstruct Her work, or even the Gods who are Read More …

Shri Mahalakshmi Puja (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 31st December 1993 : Place Kalwe Type Puja Speech Language Hindi आज फिर दुनिया में आये हर एक प्रकार के संघर्ष हम लोगों के सामने हैं। और उन संघर्षों को देखते हुये हम लोग ये सोचने लग जाते हैं, कि क्या ये सृष्टि और ये मानव जाति का पूर्णतया सर्वनाश हो जायेगा ? ऐसा विचार | करते हैं। और ये विचार आना बिल्कुल ही सहज है। क्योंकि हम चारों तरफ देख रहे हैं कि हर तरह की आपत्तियाँ आ रही है। आपके महाराष्ट्र में ही इतना बड़ा भूकम्प हो गया। लोग उस भूकम्प से भी काफ़ी घबरा गये। पर तीन साल लगातार मैं पुणे में पब्लिक मिटिंग में कहती रही, कि गणेश जी के सामने जा के शराब पीते हैं और ये गंदे डान्स करते हैं और बहुत बेहुदे तरीके से उनके सामने पेश आते हैं। पर गणपति ये बहत जाज्वल्य देवता है, बहुत जाज्वल्यवान। और उनको ऐसी गलत चीजें चलती नहीं । पता नहीं इतने साल उन्होंने कैसे टॉलरेट किया? और मैंने साफ़ कहा था, कि ऐसा करोगे तो महाराष्ट्र में भूकम्प आयेगा। भूकम्प शब्द मैंने कहा था। लेकिन कोई सुनता थोड़ी ही है। वो डिस्को वगैरा क्या गंदी चीजें हैं, वो ले कर के वहाँ डान्स करते हैं। शराब तो इतनी महाराष्ट्र में आ गयी कि इसकी कोई हद नहीं। अब दो तरह की जनता अब मैं देख रही हूँ, एक शराबी, बिल्कुल म्लेंछ और दुसरी शुद्ध, पवित्र ऐसी सहज कम्युनिटी। अगर आपको बच्चों को बचाना है और उनको एक शुद्ध वातावरण देना है, Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja. Chindwara (India), 18 December 1993. यहाँ के रहनेवाले लोग और बाहर से आये हुये जो हिन्दुस्थानी लोग यहाँ पर हैं, ये बड़ी मुझे खुशी की बात है, की हमारे रहते हुये भी हमारा जो जन्मस्थान है, उसका इतना माहात्म्य हो रहा है और उसके लिये इतने लोग यहाँ सात देशों से लोग आये हये हैं। तो ये जो आपका छिंदवाडा जो है, एक क्षेत्रस्थान हो जायेगा और यहाँ अनेक लोग आयेंगे , रहेंगे। और ये सब संत -साधु है, संत हो गये और संतों जैसा इनका जीवन है, कहीं विरक्ति है, कहीं ….. ( अस्पष्ट) है। कोई मतलब नहीं इनको। अपने घर में तो बहत रईसी में रहते हैं। यहाँ आ कर के वो किसी चीज़ की माँग नहीं और हर हालत में ये खुश रहते हैं। इसी तरह से सहजयोग के बहुत से योगी लोग आये हये हैं। अलग- अलग जगह से, मद्रास से आये हुये हैं और आप देख रहे हैं कि हैद्राबाद से आये हुये हैं। विशाखापट्टणम इतना दूर, वहाँ से भी लोग आये हुये हैं। बम्बई से आये हुये हैं, पुना से आये हुये हैं। दिल्ली से तो आये ही हैं बहुत सारे और लखनौ से आये हैं। हर जगह से यहाँ लोग आये हैं। पंजाब से भी आये हैं। इस प्रकार अपने देश से भी अनेक जगह | से लोग आये हये हैं। और यहाँ पूजा में सम्मिलित हैं। ये बड़ी अच्छी बात है कि सारा अपना देश एक भाव से एकत्रित हो जायें । बहुत हमारे यहाँ झगड़े और आफ़तें मची Read More …

Public Program Galat Guru evam paise ka chakkar (भारत)

Type: Public Program, Place: Dehradun, Date:12/12/19 गलत गुरु एवं पैसे का चक्कर सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार! संसार में हम सुख खोजते हैं, आनन्द खोजते हैं और ये नहीं जानते कि आनन्द का स्रोत कहाँ है। सत्य तो ये है कि हम ये शरीर बुद्धि, अहंकार, भावनायें और संस्कार ये उपाधियाँ नहीं हैं। हम शुद्ध स्वरूप आत्मा हैं।  ये एक सत्य हुआ, और दूसरा सत्य ये है जैसे कि आप ये सारे यहाँ इतने सुन्दर फूलों की सजावट देख रहे हैं, न जाने कितने सारे आपने लगा दिये हैं। ये फूल भी तो एक चमत्कार हैं कि एक बीज़ को आप लगा देते हैं, इस पृथ्वी में और इस तरह के सुन्दर अलग-अलग तरह के फूल खिल उठते हैं। हम इसे चमत्कार समझते नहीं हैं। ये डॉक्टरों से पूछिये कि हमारा हृदय कौन चलाता है तो वो उसका नाम कहते हैं,(Autonomous Nervous System), स्वयंचालित। लेकिन ये स्वयं है कौन? इसका वो निदान नहीं बना सकते।  साइन्स में आप एक हद तक जा सकते हैं और वो भी ये जड़ चीज़ों के बारे में बता सकते हैं।  जो कुछ खोजते हैं, जो पहले ही बना हुआ है उसको वो समझा सकते हैं।  लेकिन साइन्स की अपनी अनेक सीमायें हैं और सबसे बड़ी उसकी ये सीमा है कि केवल सत्य को उन्होंने प्राप्त नहीं किया है। और इस वजह से साइन्स एक हद तक जाता है और फिर उसके खोज में दूसरी खोज आ जाएगी। फिर तीसरी खोज आ जाएगी, और पहली खोज को मना कर देते Read More …

9th Day of Navaratri, Reintrospect Yourself Campus, Cabella Ligure (Italy)

                      नवरात्रि पूजा कबेला (इटली), 24 अक्टूबर 1993। आज हम यहां देवी की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। देवी के कई रूप हैं, लेकिन वह शक्ति का अवतार हैं। आदि शक्ति इन सभी अवतारों को शक्ति देती है और इसलिए हमारे पास कई देवी हैं। अलग-अलग समय पर वे इस धरती पर आए और जो साधक लोग थे उनके उत्थान के लिए वह सब किया जो आवश्यक था। विशेष रूप से जिसे हम जानते हैं, जगदम्बा, दुर्गा। वह सत्य के सभी साधकों की रक्षा करने और सभी बुरी ताकतों को नष्ट करने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि मनुष्य अपने उत्थान के बिना सत्य को नहीं जान पाते हैं, और इसलिए वे जो कुछ भी करने की कोशिश करते हैं वह एक मानसिक प्रक्षेपण (कल्पना)है, और यह मानसिक प्रक्षेपण, यदि यह सत्य पर, धर्म पर आधारित नहीं होता है, इसका पतन होता है। संस्कृत में इसे ग्लानी कहते हैं। जब यह ग्लानी होती है, तब अवतारों का जन्म होता है-समस्या को हल करने के लिए। देवी के सभी अवतारों के दौरान शैतानी ताकतों का भी बहुत अधिक अवतार हुआ है, उन्होंने अवतार लिया था, और देवी को उनसे युद्ध करके उन्हें नष्ट करना पड़ा था। लेकिन यह विनाश केवल विनाश की ख़ातिर नहीं था कि बुरी ताकतों को नष्ट कर दिया जाए, बल्कि बुरी ताकतें हमेशा साधकों को नीचे गिराने की कोशिश करती हैं, संतों को नीचे गिराने की कोशिश करती हैं, उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करती हैं, कभी-कभी उन्हें नष्ट भी कर देती हैं। ये सभी विनाशकारी Read More …

Shri Pallas Athena Puja: You have to be sincere and honest Athens, Sahaja Yoga Center in Athens (Greece)

                            श्री पल्लेस एथेना पूजा  एथेंस (ग्रीस), 26 अप्रैल 1993।  मेरे लिए यह बहुत अच्छा दिन है कि यहां इतने सारे सहज योगी को मिल रही हूँ जो इस देश, ग्रीस से हैं। जब मैं पहली बार ग्रीस आयी थी, मैंने अपने पति से कहा था कि यह देश चैतन्य से भरा है और इस देश में कई विकसित आत्माएं रही हैं, लेकिन शायद लोगों ने अपनी विरासत खो दी है, लेकिन वातावरण में चैतन्य हैं और एक दिन सहज योग यहां बहुत समृद्ध होना चाहिए। और किसी तरह, हम कुछ नौकरशाहों से मिले जो यूनानी थे और उनके साथ अनुभव अच्छा नहीं था और मेरे पति ने कहा कि “अगर आपने कहा कि यूनानी वास्तव में धार्मिक लोग हैं, तो इन लोगों को देखें। वे मेरे लिए क्या कर रहे हैं? मैंने कहा, “वे नौकरशाह हो सकते हैं और सभी जगह  नौकरशाहों के बारे में, आप यह नहीं कह सकते हैं कि वे किस तरह के लोग हो सकते हैं।” लेकिन, कुल मिलाकर, चैतन्य बहुत, बहुत अच्छा था, इसमें कोई संदेह नहीं है, और मैं यहां सभी स्थानों पर गयी, जैसे मैं डेल्फी गयी, मैं एथेना के मंदिर और सब कुछ देखने के लिए वहां गयी। सभी रुचि के स्थानों पर, उन्होंने मुझे विशेष रूप से मेरे लिए, चक्कर लगाया, क्योंकि वह अपने सम्मेलन में व्यस्त थे, इसलिए उन्होंने मुझे हर जगह घुमाया। और हर जगह मुझे लगा – यहां तक कि मैंने जो समुद्र महसूस किया वह बहुत सुंदर था। यह था करीब – मुझे लगता है कि मैं Read More …

Mahashivaratri Puja मुंबई (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 19th February 1993 : Place Mumbai Type Puja Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज यहां पर हम लोग शिवजी की पूजा करने के लिये है कि जिसपे भी दृष्टि पड़ जाए वो ही तर जाता है। जिसके एकत्रित हुए तरफ उनका चित्त चला जाए वो ही तर जाए। कुछ उनको े पूजा एक बहुत विशेष पूजा है क्योकि मानव का अन्तिम लक्ष्य यही है कि वो शिव तत्व को प्राप्त करें। करने की ज़रूरत ही नहीं है ये सब खेल है। जैसे बच्चों शिव तत्व बुद्धि से परे है। उसको बुद्धिध से नहीं जाना जा सकता। के लिए खेल होता है परमात्मा के लिए भी वो सारा एक जब तक आप आत्म-साक्षात्कारी नहीं होते, जब तक आपने खेल है वो देख रहे हैं। उस भोलेपन में एक और चीज नीहित अपने आत्मा को पहचाना नहीं, अपने को जाना नहीं, आप शिव हैं। जो भोला आदमी होता है, सत्यवादी होता है अच्छाई से तत्व को जान नहीं सकते। शिवजी के नाम पर बहुत ज्यादा आडम्ब, अन्धता और अन्धश्रद्धा फैली हुई है। किन्तु जो मनुष्य ले रहा है तब उसको बड़े जोर से क्रोध आता है। उसका आत्म साक्षात्कारी नहीं वो शिवजी को समझ ही नहीं सकता क्रोध बहुत जबरदस्त होता है। चालाक आदमी होगा वो क्रोध क्योंकि उनकी प्रकृति को समझने के लिये सबसे पहले मनुष्य को घुमा देगा, ऐसा बना देगा कि उसकी जो प्रमुख किरणें को उस स्थिति में पहुंचना चाहिए जहां पर सारे ही महान तत्व अपने आप Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 1992. I must have said lots of things about Christ before, and how Jesus Christ is related to Shri Radhaji, that he is the incarnation of Shri Ganesha who was the son of the Adi Shakti to begin with but then he was given to Shri Radhaji and Shri Radha created as Mahalaxmi, as Mother Mary this great incarnation of Christ. Now for the western mind it is impossible to understand how there can be a immaculate conception because they have no sense at all, no sensitivity at all to spiritual life. We Indians can understand it, is very easy for Indians to understand because we had Shri Ganesha created that way. We just believe it we don’t doubt these things. Whatever is said about God is not to be doubted with this limited brain, that’s not done in India. But in the west, from the very birth of Christ they have had arguments, arguments, arguments, arguments with this limited brain they had, and the whole religion in the name of Christ is just a perversion, such a horrible things have been said that it’s unbelievable. His purity, his holiness, his auspiciousness is never understood in the west I think. Those who follow Christianity, how can they be so debased in their moral character. they’re all right for their political, their economical you can say, their legal side but their moral sense is absolutely missing. Is very surprising, those who are the followers of Read More …

Shri Vishnumaya Puja: Stop Feeling Guilty Shawnee on Delaware (United States)

Shri Vishnumaya puja. Shawnee, Pennsylvania (USA), 20 September 1992. आज हमने विष्णुमाया पूजा करने का निर्णय लिया है । इस संदर्भ में,  यह  ज्ञात होना चाहिए  कि यह विष्णुमाया कौन हैं  और  इनका – आप इसे पौराणिक कह सकते हैं,  पर यह एक ऐतिहासिक संबंध है । मैंने आपको बताया है कि अमरीका श्री कृष्ण का देश है और वह कुबेर हैं, साथ ही वह यम भी  हैं । क्योंकि वह कुबेर हैं, लोगों को उनकी संपन्नता मिली है, वो अमीर लोग हैं, उनके पास , कहीं भी और से अधिक धन है, लेकिन अगर आपको  स्मरण नहीं है, कि आपको संतुलन रखना है और यह भी कि श्री कृष्ण की शक्ति महालक्ष्मी की शक्ति है। इसलिए महालक्ष्मी तत्व ऐसा  है कि जहां  खोज महत्वपूर्ण है, विष्णु तत्व वो है जब श्री लक्ष्मी उनकी शक्ति हैं। एक निश्चित सीमा तक लक्ष्मी प्राप्त करने के बाद, फिर आप एक नई जागरूकता या एक नए प्रकार की खोज में कूद पड़ते हैं जो उस आत्मा की खोज  है जहां महालक्ष्मी सिद्धांत शुरू होता है, वह मध्य मार्ग है । यहाँ तक तो, अवश्य ही अमरीका में इसे शुरू कर दिया, महालक्ष्मी तत्व, लेकिन लोगों को नहीं पता था, वो विवेक नहीं था, वो नहीं जानते थे  कि इस खोज में किस मार्ग पर जाना है, और इतने सारे लोग झूठे विज्ञापनों के वादों द्वारा मोहित हो गए, हर प्रकार के दावे, सभी प्रकार के प्रलोभन  और दूसरी चीजों  से, और मैं बहुत समय पहले यहां आयी  थे जहां मुझे पता था कि Read More …

Shri Krishna Puja: Ascending beyond the Vishuddhi, The Viraata State Campus, Cabella Ligure (Italy)

                       श्री कृष्ण पूजा                                                                                                      विशुद्धि से आगे उत्थान,  विराट अवस्था   कबैला लिगरे (इटली), 16 अगस्त 1992। आज हमने श्री कृष्ण की पूजा करने का फैसला किया है। हमने कई बार इस पूजा को किया है और श्री कृष्ण के अवतरण का सार समझा है, जो छह हजार साल पहले था। और अब, उनकी जो अभिव्यक्ति थी, जिसे वह स्थापित करना चाहते थे उसे इस कलियुग में किया जाना था। वैसे भी, यह कलियुग सतयुग के एक नए दायरे में जा रहा है, लेकिन बीच में कृत युग है जहाँ यह ब्रह्मचैतन्य , या हम कह सकते हैं कि ईश्वर के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति, कार्य करने जा रही है। इस समय, श्री कृष्ण की शक्तियों के साथ क्या होने वाला है – यह हमें देखना है। श्री कृष्ण, जैसा कि मैंने आपको बताया, वह कूटनीति के भी अवतार थे। इसलिए वह चारों ओर बहुत सारी भूमिकाएँ निभाते है, और अंततः वह असत्य और झूठ को सामने लाते है; लेकिन ऐसा करने में वह लोगों का आंकलन भी करते है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि श्रीकृष्ण की कूटनीति की शक्तियां इस समय प्रकट होनी थीं, जब यह अंतिम निर्णय है। इसलिए अब हमने पहले जो कुछ भी गलत किया है, जो भी कर्म अज्ञान में किए गए हैं, या शायद जानबूझकर, उन सभी को वापस भुगतान किया जाएगा। उन पुण्यों को जो आपने पिछले जन्मों में या इस जीवन में किया है,  को भी पुरस्कृत किया जाएगा। यह सब श्री कृष्ण के सामूहिकता के सिद्धांतों के माध्यम से किया जाता है, Read More …

Sahasrara Puja: The Will of God Campus, Cabella Ligure (Italy)

                               सहस्रार पूजा, “भगवान की इच्छा”  कबैला लिगरे (इटली), 10 मई 1992। आज हम सहस्रार दिवस मना रहे हैं। शायद हमने महसूस ही नहीं किया हुआ कि यह कितना महत्वपूर्ण दिन रहा होगा। सहस्रार को खोले बिना, स्वयं ईश्वर एक काल्पनिक कथा प्रतीत होता था, धर्म स्वयं एक मिथक था, और देवत्व के बारे में सभी बातें एक मिथक थीं। लोग इस पर विश्वास करते थे लेकिन यह सिर्फ एक विश्वास भर था। और विज्ञान, जैसा कि उसे आगे रखा गया था, सारी मूल्य प्रणाली एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर के सभी प्रमाणों को करीब-करीब खारिज़ ही करने वाला था। अगर आप इतिहास में देखें, एक के बाद एक, जब विज्ञान ने खुद को स्थापित किया, तो धर्म और विभिन्न धर्मो में मामलों के तथाकथित प्रभारी लोगों ने विज्ञान के निष्कर्षों से तालमेल बैठने की कोशिश की। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की: “ठीक है, अगर इसे ऐसा कहा जाता है – इतना तो बाइबल में है, और अगर यह गलत है तो हमें इसे ठीक करना चाहिए।” खासतौर पर ऑगस्टीन ने ऐसा किया, और ऐसा लगने लगा कि जैसे यह सब मूर्खता है, ये शास्त्र सिर्फ पौराणिक थे। हालांकि, कम से कम कुरान में, बहुत सी चीजें थीं जो आज के जीव विज्ञान का वर्णन कर रही थीं। वे विश्वास नहीं कर सकते थे कि मानव विशेष रूप से भगवान द्वारा बनाया गया था। उन्होंने सोचा कि यह संयोग की बात है कि, एक के बाद एक, जानवरों ने एक ऐसी स्थिति हासिल कर ली जिसके द्वारा वे मनुष्य बन गए। इस Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा दिल्ली मार्च 21, 1992 हमारे देश में बहुत से सन्त हुए हैं हमने सिर्फ उनको मान लिया क्योंकि वो ऊंचे इन्सान थे। अब किसी भी धर्म में आप जाईए, कोई भी धर्म खराब नहीं है। जैसे अभी बताया कि बुद्ध धर्म है। मैंने बुद्ध धर्म के बारे में, पड़ा तो बड़ा आश्चर्य हुआ कि मध्य मार्ग बताया गया था लेकिन उस के बाद लोग उसको left (बाएँ) में और right (दाएँ) में ले गए। जो दाएँ मे ले गए वो पूरी तरह से सन्यासी हो गए, ascetic (त्यागी) हो बुद्ध गए। फिर उन्होंने बड़े बड़े कठिन मार्ग और उपद्रव निकाले। उन्होने सोचा कि क्योंकि सन्यासी हो गऐ थे, बहुत कठिन मार्ग से उन्होंने इसे प्राप्त किया। इसलिए हमें भी उसी मार्ग पर चलना चाहिए। पर उसकी इतनी कठिन चीजें उन्होने कर दीं, कि ज़मीन पर सोना, ठंड उसी में बहुत से लोग खत्म हो गए। एक ही मरतबा खाना में रहना आदि। उन्होंने अपनी जो कुछ भी निसर्ग में दी हुयीं जरूरतें थीं, उन्हें पूरी तुरह से, दबा. दिया। इस. तरह के दबाव डालूने से मनुष्य का स्वभाव बहुत उत्तेजित सा हो जाता है। इतना ही नहीं aggressive (आततायी) भी हो जाता है । उस में बहुत क्रोध समा जाता है ।क्रोध को दबाने से क्रोध और बढ़ता है और ऐसे लोग कभी कभी supra conscious (ऊपरी चेतना) में चल पड़ते हैं और उन्हें कुछ-कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं जिससे वो दूसरे लोगों पर अपना असर डाल सकते हैं। हिटलर के साथ यही हुआ। हिटलर Read More …

Shri Mahalakshmi Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja 21st December 1991 Date : Kolhapur Place Type Puja Speech Language English, Hindi & Marathi आप लोग इतनी दिल्ली से यहाँ पर पहुँचे हैं और सब का प्यार है जो खिंच के लाया आपको यहाँ पर। मैं दूर समझा नहीं सकती कि मुझे कितना आनन्द हुआ है कि आप लोग सब यहाँ हैं। दिल्ली में तो मुलाकात होती ही रहती है और बहुत लोगों से मुलाकात होती रही और सब को देखते रहे हम और आप लोगों ने बहुत प्रगति कर ली है। बड़े आश्चर्य की बात है, दिल्ली जैसा शहर जिसको की मैं हमेशा बिल्ली कहती थी। मैं कभी दिल्ली कहती नहीं थी। क्योंकि वहाँ के लोग, जिस वक्त मैं वहाँ रही, जब मेरी वहाँ शादी हुई तो सिवाय पॉलिटिक्स के कुछ बात ही नहीं करते थे । लेकिन शुरू के जमाने में वहाँ बहुत बड़े बड़े लोग हो गये। और जब वो पॉलिटिक्स की बात करते थे, तो यही कि, ‘हमारे देश की हालत कैसे ठीक होगी?’ क्योंकि मेरे पिताजी कॉन्स्टिट्यूट असेम्ब्ली के मेंबर थे, तो कैसा कॉन्स्टिट्यूशन बनना चाहिए? मतलब बहुत गहरी बाते करते थें। था तो पॉलिटिक्स ही, लेकिन उस पॉलिटिक्स में और आज कल के पॉलिटिक्स में बहुत ही ज्यादा फर्क हैं। और फिर उसके बाद पता नहीं कहाँ से सब लोग वहाँ पे पहुँच गये खटमल जैसे। सारे देश का खून चूसने वाले वहाँ पहुँच गये। और उन्होंने जिस तरह से | वहाँ पर राजकारण जमाना शुरू कर दिया, अनीति शुरू कर दी। तो मैं खुद ही सोचती थी, कि दिल्ली Read More …

श्री आदी कुंडलिनी पूजा (Germany)

श्री आदी कुंडलिनी पूजा, वील्बर्ग (जर्मनी), 11 अगस्त 1991। आज हम यहां आदी कुंडलिनी के साथ ही अपनी कुंडलिनी की पूजा करने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। सबसे पहले, मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात है, स्वयं की कुंडलिनी के बारे में समझना, क्योंकि आत्मसाक्षात्कार ही आत्म-ज्ञान है। और जो आपको आत्म-ज्ञान देता है वह है, आपकी अपनी कुंडलिनी , क्योंकि जब वह उठती है तो, वह इंगित करती है कि आपके चक्रों पर क्या समस्याएं हैं। अब, हम कहते हैं कि यह शुद्ध इच्छा है, लेकिन हम नहीं जानते कि शुद्धता क्या है|इसका तात्पर्य है तुम्हारी पवित्र इच्छा,| इसका अर्थ है कि इसमें कोई वासना, लालच, कुछ भी नहीं है। यह शक्ति तुम्हारी माँ है और आपकी त्रिकोणीय हड्डी में बस जाती है। वह आपकी मां है वह तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती है, यह एक टेप रिकॉर्डर की तरह है वह आपके बारे में सबकुछ जानती है और वह पूर्ण ज्ञान है – क्योंकि वह बहुत शुद्ध है और जो भी चक्र वह छूती है, वह यह भी जानती है कि उस चक्र में क्या गलत है – पहले से ही। तो वह काफी तैयार है, और वह खुद को पूरी तरह से समायोजित करती है ताकि आपको उसके जागरूकता से कोई समस्या न हो जाए। यदि कोई चक्र संकुचित है, वह प्रतीक्षा करती है और धीरे धीरे उस चक्र को खोलती है। अब, यह कुंडलिनी मौलिक शक्ति है जो आपके भीतर परिलक्षित होती है। और तुम्हारे भीतर, एक इंसान में यह ऊर्जा के कई Read More …

Shri Rama Puja कोलकाता (भारत)

रामनवमी पूजा – कलकत्ता, २५.३.१९९१ रामनवमी के अवसर पे एकत्रित हुए है, और सबने कहा है कि श्री राम के बारे में माँ आप बताइये। आप जानते हैं कि हमारे चक्रों में श्री राम बहुत महत्वपूर्ण स्थान लिए हुए हैं। वो हमारे राइट हार्ट पर विराजित हैं।  श्रीराम एक पिता का स्थान लिये हुए हैं, इसलिये आपके पिता के कर्तव्य में या उसके प्रेम में कुछ कमी रह जाये तो ये चक्र पकड़ सकता है।  सहजयोग में हम समझ सकते हैं कि राम और सब जितने भी देवतायें हैं, जो कुछ भी शक्ति के स्वरूप संसार में आये हैं, वो अपना-अपना कार्य करने आये हैं।  उसमें श्रीराम का विशेष रूप से कार्य है। जैसे कि सॉक्रेटिस ने कहा हआ है कि संसार में बिनोवेलंट किंग आना चाहिए।  उसके प्रतीक रूप श्रीरामचन्द्रजी इस संसार में आये हैं।  सो वो पूरी तरह से मनुष्य रूप धारण कर के आये थे।   वे ये भी भूल गये थे कि मैं श्रीविष्णु का अवतार हूँ, भुला दिया गया था।  किन्तु सर्व संसार के लिए वो एक पुरुषोत्तम राम थे। ये बचपन का जीवन सब आप जानते हैं और उनकी सब विशेषतायें आप लोगों ने सुन रखी हैं।  हम लोगों को सहजयोग में ये समझ लेना चाहिए कि हम किसी भी देवता को मानते हैं, और उसको  अगर हम अपना आराध्य मानते हैं तो हमारे अन्दर उसकी कौनसी विशेषताऐं आयी हुई हैं?  कौन से गुण हमने प्राप्त किये हैं?  श्रीरामचन्द्र जी के तो अनेक गुण हैं। क्योंकि वो तो पुरूषोत्तम थे। उनका एक गुण था Read More …

New Year Puja (भारत)

New Year Puja. Kalwe (India), 1 January 1991. [Shri Mataji speaks in Hindi] आज हम लोग बम्बई के पास ही में ये पूजा करने वाले हैं। बम्बई का नाम, मुम्बई ऐसा था। इसमें तीन शब्द आते हैं मु-अम्बा और ‘आई’। महाराष्ट्रियन भाषा में, मराठी भाषा में, माँ को ‘आई’ ही कहते हैं। वेदों में भी आदिशक्ति को ‘ई’ कहा गया है। सो जो आदिशक्ति का ही प्रतिबिम्ब है, reflection है, वो ही ‘आई’ है। इसलिए मां को आई, ऐसा कहते हैं और बहुत सी जगह माँ भी कहा जाता है। इसलिए पहला शब्द, उस माँ शब्द से आया है, मम। अम्बा जो है, वो आप जानते हैं कि वो साक्षात कुण्डलिनी हैं। सो ये त्रिगुणात्मिका- तीन शब्द हैं। और बम्बई में भी आप जान्ते हैं कि महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली ये तीनों का ही एक सुन्दर मन्दिर है। जहाँ पर पृथ्वी से ये तीन देवियाँ निकली हैं। हलाकि, यहाँ पर बहत गैर तरीके लोग उपयोग में लाते हैं पर तो भी ये तीनों देवियाँ यहाँ जागृत हैं। सो बम्बई वालों के लिए एक विशेष रूप से समझना चाहिए कि ऐसी तीनों ही मूर्तियाँ कहीं भी पाई नहीं जाती। वैसे तो आप जानते हैं कि ही माहूरगढ़ में महासरस्वती हैं, और तुलजापुर में भवानी हैं महाकाली हैं, और कोल्हापुर में महालक्ष्मी। और वरणी में अर्धमात्रा जो है उसे हम आदिशक्ति कहते हैं, वो हैं। लेकिन यहाँ तीनों ही मूर्तियाँ जागृत हैं। लेकिन जहाँ सबसे ज्यादा मेहनत होती है, और जहाँ पर चैतन्य सबसे ज्यादा अपना कार्य करता है। उसकी वजह भी कभी- Read More …

Public Program पुणे (भारत)

1990-12-05 Public Program, Hindi Pune India   सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा प्रणाम! सत्य के बारे में हमें ये जान लेना चाहिए कि सत्य है सो अपनी जगह है। उसे हम बदल नहीं सकते,  उसकी हम धारणा नहीं कर सकते,  उसकी हम हम व्यवस्था नहीं कर सकते। सबसे तो दुःख की बात ये है कि इस मानव चेतना से हम उस सत्य को जान नहीं सकते। इसीलिए हम देखते हैं कि दुनियाँ में भेद-अभेद है। इसीलिए लोग अन्धेपन से आपस में लड़-झगड़ रहे हैं। अनेक तरह की नयी-नयी गतिविधियाँ उत्पन्न हो रही हैं। और नये-नये विचार, नयी-नयी प्रणालियां और नये-नये प्रश्न आज हमारे सामने खड़े हैं। ये हमारे भारतवासियों का ही प्रश्न नहीं है,  ये सारे दुनियाँ का प्रश्न है। सारी दुनियाँ में एक तरह की बड़ी आशंका मनुष्य के मस्तिष्क में घूम रही है और वो आशंका ये है  कि हम कहाँ जा रहे हैं?   और हमें क्या पाना है?   जब मैं आपसे आज सारी बातें कहुँगी, तो मैं आपसे ये विनती करना चाहती हूँ, कि आप एक वैज्ञानिक ढंग से, एक साइंटिफिक (scientific)  ढंग से अपना दिमाग खुला रखें।  जिस आदमी ने अपना दिमाग बंद कर लिया वो साइंटिस्ट हो ही नहीं सकता। और जो कुछ भी हम बात बता रहे हैं इसे एक धारणा, एक हाइपोथीसिज़ (hypothesis) समझ कर के आप सुनिए। और अगर ये बात सिद्ध हो जाए तो इसे आपको एक ईमानदारी के साथ मानना चाहिए।  जो लोग भारतवर्ष में रहते हैं वो ये सोचते हैं कि हमारे देश में Read More …

Shri Mahakali Puja: Purity and Collectivity Centre Culturel Thierry Le Luron, Le Raincy (France)

                              श्री महाकाली पूजा, “सामूहिकता और पवित्रता”  ले रेनसी (फ्रांस), 12 सितंबर 1990। हमने बेल्जियम में भैरव पूजा करी थी और अब मैंने सोचा कि चलो आज हम महाकाली पूजा करें क्योंकि कल रात का अनुभव, कल रात का अनुभव महाकाली का काम था।  हर समय उनकी दोहरी भूमिका है, वे दो चरम सीमाओं पर है। एक तरफ वह आनंद से भरी है, आनंद की दाता, वह बहुत प्रसन्न होती हैं जब वह अपने शिष्यों को खुश देखती है। आनंद उसका अपना गुण है, उसकी ऊर्जा है। और कल आप फ्रांस की इतनी अधेड़ उम्र की महिलाओं को मुस्कुराते और हंसते देखकर चकित रह गए होंगे। मैंने उन्हें कभी मुस्कुराते हुए नहीं देखा था! यह बहुत आश्चर्य की बात है कि वे इतनी आनंदित और इतनी खुश कैसे थी। और यह महाकाली की ऊर्जा है, जो आपको आत्मसाक्षात्कार के बाद खुशी प्रदान करती है, और प्रसन्नता जिसका आप सब लोगों के बीच आनंद लेते हैं। ये सभी महाकाली के गुण हैं और जब वे महाकाली के नाम पढ़ेंगे, तो आप जानेंगे कि सहज-योग में उनकी शक्तियां कैसे प्रकट होती हैं और किस तरह से इसने आप सभी को आनंद के सागर में डूबने में मदद की है। शुरुआत में मुझे आपको एक बात बतानी है कि: महाकाली पूजा, जब आप कर रहे होते हैं, तो आपको अपने भीतर, और दूसरे सहज योगियों से एक आनंद तथा खुशी महसूस करनी होती है। यदि आप ऐसा महसूस नहीं कर सकते हैं, तो इसका मतलब है कि आप अभी तक विकसित नहीं हुए हैं Read More …

Shri Mahavira Puja: Hell Exists Barcelona (Spain)

1990-0617 Shri Mahavira Puja,Spain आज पहली बार महावीर पूजा हो रही है | महावीर का त्याग अत्यन्त विकट प्रकार का था | उनका जन्म एक ऐसे समय पर हुआ जब ब्राह्मणवाद ने अत्यन्त भ्रष्ट, स्वेच्छाचारी तथा उच्छुंखल रूप धारण कर लिया था | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पश्चात लोग अत्यन्त गम्भीर, तंग दिल तथा औपचारिक हो गये थे। आत्मसक्षात्कार के अभाव में वे सदा एक अवतरण की नकल का प्रयत्न अति की सीमा तक करने लगे। इन बंधनों को समाप्त करने के लिये श्री राम पुन: श्री कृष्ण रूप में अवतरित हुए । अपने कार्यकलापों के उदाहरण से श्री कृष्ण ने यह प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया कि जीवन एक लीला (खेल) मात्र है | शुद्ध हृदय से यदि व्यक्ति जीवन लीला करता है तो कुछ भी बुरा नही हो सकता | श्री कृष्ण के पश्चात लोग अति लम्पट, स्वेच्छाचारी और व्यभिचारग्रस्त हो गए | लोगों को इस तरह के उग्र आचरण के बन्धनों से मुक्त करने के लिए इस समय भगवान बुद्ध तथा महावीर ने जन्म लिया। श्री महावीर एक राजा थे जिन्होंने अपने परिवार, राज्य तथा सम्पदा का त्याग कर सनन्‍्यास ले लिया | उनके अनुयायीयों को भी इसी प्रकार का त्याग करने को कहा गया । उन्हें अपना सिर मुंडवाना पड़ता था, नंगे पैर चलना पड़ता था | वे केवल तीन जोड़े कपड़े रख सकते थे | सूर्यास्त से पूर्व उन्हें खाना खा लेना पड़ता था| केवल पांच घंटे सोने की उन्हें आज्ञा थी और हर समय ध्यान में रह कर आत्म उत्थान में प्रयत्तशील होना Read More …

Sahasrara Puja, You Have All Become Mahayogis Now (Italy)

अब अपनी शक्तियों को पहचानिये। जैसे कल उसने … निशात खान ने राग दरबारी गाया या बजाया …तो आप इस समय दरबार में हैं … परमात्मा के दरबार में। अपने दायित्वों को पहचानिये। प्रत्येक को अपने दायित्वों को पहचानना है और समझना है कि आप कौन हैं …. आपकी शक्तियां क्या हैं और आप क्या-क्या कर सकते हैं? अब वे दिन गये जब आप अपने आशीर्वादों को गिना करते थे। अब आपको अपनी शक्तियों को देखना है कि मेरी कौन-कौन सी शक्तियां हैं और मैं इनका किस प्रकार से उपयोग कर सकता हूं? आपके साथ जो भी चमत्कार घटित हुये हैं अब उनको गिनने से कुछ फायदा नहीं है। आपने ये सिद्ध करने के लिये कई चमत्कार देख लिये हैं कि आप सहजयोगी हैं और परमचैतन्य आपकी सहायता कर रहा है। लेकिन अब आपको जानना होगा कि उस परमचैतन्य का आप कितना उपयोग कर रहे हैं?आप इसको किस प्रकार से नियोजित कर सकते हैं और किस प्रकार से इसको कार्यान्वित कर सकते हैं? आज से एक नये युग का प्रारंभ होने जा रहा है। मैं इसी दिन का इंतजार कर रही थी कि आप सब लोग जान जांय कि आप मात्र अपने स्वार्थ के लिये सहजयोगी नहीं हैं … न अपने परिवारों के लिये और न ही अपने समुदाय के लिये न अपने देश के लिये बल्कि पूरे विश्व के लिये हैं। अपना विस्तार करिये ….. आपके अंदर वो दूरदृष्टि होनी चाहिये जिसको मैंने आप लोगों के सामने कई बार रखा है कि आपको मानवता को मोक्ष दिलवाना है। अब Read More …

Shri Adi Shakti Puja कोलकाता (भारत)

Shri Adi Shakti Puja, 9th April 1990, Kolkata ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahiri कलकल्ता की आप लोगों की पूरगति देखकर बडा आनन्द आया। और में जानती हैं कि इस शहर में अनेक लोग बड़े गहन साधक हैं। उनको अभी मालू म नहीं है कि ऐसा समय आ गया है जहाँ बो जिसे रखोजते हैं, को उसे पा लें। आप लोगों को उनके तक पहुँचा चाहिए, और ऐसे लोगों की सोज बीन रखनी चाहिए जो लोग सत्य को खोज रहे हैं। इसलिप आवश्यक है कि हम लोग अपना किस्तार चारों तरफ करें। अपना [भी जीवन परिवर्तत करना चाहिए। अपने अपनी भी शवती बढ़ानी चाहिए। लेकिन उसी के साथ हमे जीवन को भी एक अटूट योगी जैसे प्रज्जलित करना चाहिए जिसे लोग देखकर के पहचानेंगे कि ये कोई बिशेष क्यवित है। ध्यान धारणा करना बहुत ज़रूरी है। कलकत्ता एक बड़ा व्यस्त शहर है और इसकी व्वस्तता में मनुष्य डूब जाता है। उसको समय कम मिलता है। ये जो समय हम अपने हाथ में बाँधे हैं, ये समय सिर्फ अपने उत्धान के लिए और अपने अ्दर पुगति के लिए है। हमें अगर अन्दर अपने को पूरी तरह से जान लेना है तो आवश्यक है कि हमें थोडी समय उसके लिएट रोज ध्यान धारणा करना है। शाम के कात और सुबह चोड़ी देर। उनमें जो करते हैं और जो नहीं करते, उनमें बहुत अन्तर आ जाता है। विशेषकर जो लोग बाहयता बहुत कार्य कर रहे हैं, सहजयोग के लिए वहुत महनत कर रहे है और इधर उधर जाते हैं, लोगों Read More …

Swadishthan, Thinking, Illness Part 1 Hilton Hotel Sydney, Sydney (Australia)

“स्वाधिष्ठान, सोच, बीमारी”  हिल्टन होटल, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 16 मार्च 1990। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आपको यह जानना होगा कि सत्य वही है जो है। हम अपनी मानवीय चेतना के साथ इसकी अवधारणा नहीं कर सकते। हम इसे आदेश नहीं दे सकते, हम इसमें हेरफेर नहीं कर सकते, हम इसे व्यवस्थित नहीं कर सकते। जो था, है और रहेगा। और सच क्या है? सत्य यह है कि हम घिरे हुए हैं या हममें समायी हुई है अथवा एक बहुत ही सूक्ष्म ऊर्जा द्वारा हमारा पोषण, देखभाल और प्रेम किया जाता है ऐसी उर्जा जो दिव्य प्रेम की है। दूसरा सत्य यह है कि हम यह शरीर, यह मन, ये संस्कार, यह अहंकार नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। जो मैं कह रही हूं उसे आंख मूंदकर स्वीकार करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अंधविश्वास कट्टरता की ओर ले जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों के रूप में आपको अपने दिमाग को खुला रखना चाहिए और जो मैं कह रही हूँ उसे खुद पड़ताल करना चाहिए: यदि ऐसा जान पड़े, तो ईमानदारी से आपको इसे स्वीकार करना चाहिए। हम अपनी सभ्यता, अपनी उन्नति के बारे में विज्ञान के माध्यम से बहुत कुछ जानते हैं। यह एक वृक्ष की उन्नति के सामान है जो बाहर बहुत अधिक बढ़ गया है; लेकिन अगर हम अपनी जड़ों को नहीं जानते हैं, तो हम नष्ट हो जाएँगे। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी जड़ों के बारे में जानें। और मैं कहूँगी की यही है हमारी जड़ें हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं, Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja 23rd February 1990 Date : Place Pune Type Puja Speech Language Hindi आज शिवरात्री है और शिवरात्री में हम शिव का पूजन करने वाले हैं। बाह्य में हम अपना शरीर है और उसकी अनेक उपाधियाँ, मन, अहंकार बुद्धि आदि हैं और बाह्य में हम उसकी चालना कर सकते हैं, उसका प्रभुत्व पा सकते हैं। इसी तरह में जो कुछ अंतरिक्ष में बनाया गया है, वह हम सब जान सकते हैं, उसका उपयोग कर सकते हैं। उसी प्रकार इस पृथ्वी में जो कुछ तत्व हैं और इस पृथ्वी में जो कुछ उपजता है उन सबको हम अपने उपयोग में ला सकते हैं। इसका सारा प्रभूत्व हम अपने हाथ में ले सकते हैं। लेकिन ये सब बाह्य का आवरण है। वो हमारी आत्मा है, शिव है। जो बाह्य में है वो सब नश्वर है। जो जन्मेगा, वो मरेगा। जो निर्माण होगा उसका विनाश हो सकता है। किन्तु जो अन्तरतम में हमारे अन्दर आत्मा हैं, जो हमारा शिव है, जो सदाशिव का प्रतिबिम्ब है, वो अविनाशी है, निष्काम, स्वक्षन्द। किसी चीज़ में वो लिपटा नहीं, वो निरंजन है। उस शिव को प्राप्त करते ही या उस शिव प्रकाश में आलोकित होते ही हम भी धीरे-धीरे सन्यस्त हो जाते हैं। बाह्य में सब आवरण है। वो जहाँ के तहाँ रहते हैं। लेकिन अन्तरतम में जो आत्मा है वो अचल, अटूट और अविनाशी है वो हमेशा के लिए अपने स्थान पर प्रकाशित होते रहता है। तब हमारा जीवन आत्मसाक्षात्कार के बाद एक दिव्य, एक भव्य, एक पवित्र जीवन बन जाता है। इसलिए मनुष्य Read More …

Talk: Learn from Your Guru and Evening Program Ganapatipule (भारत)

                “अपने गुरु से सीखो” गणपतिपुले (भारत), 6 जनवरी 1990। मैं छह बजे तैयार थी जब बाबामामा आए और मुझसे मिलने के लिए कुछ बहुत महत्वपूर्ण लोगों को लाये और,  मैं बस तैयार थी | लेकिन ऐसा होता है कोई बात नहीं, और मैं उस छोटे से बैले को देखने के लिए उत्सुक हूं जो इन  दिल्ली वाले लोगों ने किया है और छोटे बच्चे अब इसे आपके लिए करने जा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आप सभी हर सुबह ध्यान कर रहे होंगे और सहज योग के बारे में बात कर रहे होंगे, एक दूसरे से मिल रहे होंगे। और यह ज्यादातर एक समष्टि में आने के लिए है, कि हम सभी को सहज योग के बारे में चर्चा करनी चाहिए, और यह पता लगाना चाहिए कि किस प्रकार हम इसे बेहतर तरीके से कर सकते हैं।  मैं सोच रही थी कि, सुबह का समय हम उन लोगों के लिए आवंटित कर सकते हैं, जो लोग इसे ‘ब्रेन ट्रस्ट’  के लिए रखना चाहते हैं, एक तरह की चीज, एक सम्मेलन। आप यह कर सकते है। कल पूजा है लेकिन परसों हम प्रात: काल में खाली हैं और 9 जनवरी को भी हम मुक्त हैं। तो आप सभी चीजों के बारे में और सतारा जिले में जो हुआ है, इस बारे में चर्चा और बात कर सकते हैं। और उन सभी बातों पर आप सबके बीच चर्चा हो सकती है। और यह स्थापित किया जा सकता है कि हम आपस में सहज योग को ठीक से समझें। बहुत से लोग Read More …

New Year Puja: Mother depends on us Sangli (भारत)

नव वर्ष पूजा  सांगली (भारत), 1 जनवरी, 1990 कल का अनुभव यह रहा कि पूरा दिन पुलिस वालों को समझाने में बीत गया। और अब मुझे लगता है कि महाराष्ट्र में माफिया का राज है। और ऐसा कि, हमें इसका सामना करना है और हमें इसे साबित करना है। मुझे खेद है कि कुछ लोगों को इतनी बुरी तरह चोट लगी है और मुझे लगता है कि पूजा के बाद वे आपको अस्पताल ले जाएंगे। यहाँ एक बहुत अच्छा अस्पताल है जहाँ हमारे पास बहुत अच्छे डॉक्टर हैं। और फिर मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि आप यह जान लें कि अच्छे और बुरे को हमेशा संघर्ष और लड़ाई करना पड़ती है। पहले इस महान देश महाराष्ट्र में सभी संतों को इतना प्रताड़ित किया जाता था कि आश्चर्य होता है कि इतना सब होते हुए भी उन्होंने अध्यात्म का परचम कैसे ऊंचा रखा। वे अभी भी मौजूद हैं, वही लोग, जिन्होंने संतों को प्रताड़ित किया है और मुझे लगता है कि वे वही लोग हैं जिन्होंने आप सभी के प्रति इतना बुरा व्यवहार किया है। इस प्रकार की अहं-यात्रा सभी में निर्मित होती है – यहाँ तक कि सहजयोगियों में भी, यह निर्मित होती है। और वे (दुष्ट) हर समय एक अलग दृश्य पर होते हैं। यह हिटलर के व्यवहार की शैली जैसा है कि आप किसी तरह का मुद्दा उठा लेते हैं। मुद्दा कुछ भी हो सकता है, जैसे वे कह रहे हैं कि “हम सभी अंधविश्वासों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं”। मेरा मतलब है, मैंने इसे Read More …

Devi Puja: In 10 years we can change the whole world & Weddings Announcements Brahmapuri (भारत)

मुझे खेद है जो भी कल हुआ, लेकिन मुझे लगता है कि बुराई और अच्छाई के बीच युद्ध शुरू हो गया है, और आखिरकार अच्छाई की जीत होती है। आधुनिक युग में अच्छाई पर बुराई हावी रहती थी लेकिन अब इस कृत युग में बुराई पर अच्छाई की पूरी तरह से जीत होगी, इतना ही नहीं, अच्छाई हर जगह फैलेगी। बुराई में अति तक जाने और फिर उत्क्रांती की प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर हो जाने की क्षमता है। चूँकि वे अंधे हैं वे अच्छे को नहीं देख सकते हैं इसलिए वे बुरे हैं। यदि वे अच्छाई देख पाते तो वे अपनी बुराई छोड़ देते। हमारे देश में जो योग का देश है, विशेष रूप से महाराष्ट्र जो संतों का देश है, मैं यह सुनकर चकित रह गयी जो कि लोग क्या कर रहे हैं। इस बकवास के वास्तविक स्रोत में से एक रजनीश, भयानक आदमी लगता है, क्योंकि उसने यहां एक प्रदर्शनी लगाई है जिसमें सभी देवताओं की पूरी तरह से निंदा की गई है और सभी प्रकार की गंदी बातें कही गई हैं, और मुझे लगता है कि यहां के मुख्यमंत्री भी इसमें शामिल हैं।  वे सभी यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई ईश्वर नहीं है, कोई आध्यात्मिकता नहीं है। वे यह स्थापित करना चाहते हैं कि विज्ञान ही सब कुछ है। भारत में हमारे पास विज्ञान की कोई विरासत नहीं है, हमारे पास अध्यात्म की विरासत है। मेरा मतलब है कि इस देश में इतने बड़े वैज्ञानिक के रूप में कोई भी विख्यात Read More …

How We Should Behave (two talks) पुणे (भारत)

1989-12-27 India Tour – How We Should Behave FIRST SPEECH It was very interesting I was thinking about you all and about the people who have done so much for Sahaja Yoga. It is impossible really to say how many have worked for Sahaja Yoga with such interest and dedication. And this dedication is directed by divine force that’s why I think you people are not even aware how much you have worked so hard without getting any material gain out of it. And the joy has no value. We cannot evaluate in any human terminology nor can we describe it as to how we feel the joy of oneness together. This togetherness is very much felt in Ganapatipule. I see the leaders from all over the world have become great friends – there’s no jealousy, there’s no quarrelling, there’s no fighting, there’s no domination, there’s no shouting, nothing. Such beautiful brothers and sisters such a beautiful family we have created out of this beautiful universe. Now we have to maintain the beauty individually and collectively. Some people think that individually if you do something that is alright, but if it is not related to the collective it cannot be sahaj. Anything that you do has to be related to the collective. Now to be individualistic is a trend in the modern times and in that how far we have gone into nonsense that we know very well. Individuality is a personality within yourself which has to be of different Read More …