Devi Puja: Try to Become Aware Shrirampur (भारत)

देवी पूजा श्रीरामपुर (भारत), 21 दिसंबर 1989। पीछे जाएँ, जिन्हें जगह नहीं मिली है, कृपया पीछे हटें। समझदार बनें। तुम सब मुझे अच्छी तरह देख सकते हो और जो दूर हैं वे मेरे अधिक निकट हैं; यह एक तथ्य है। जब मैं सच कहती हूं, तो वहां विष्णुमाया होती है। कृपया बैठ जाएं। नमस्ते। उसका क्या नाम है? जेनी, तुम उस तरफ जाओ। पुरुषों के साथ मत बैठो। अपने आप पर एक अनुशासन रखना चाहिए। जो लोग यहां बैठे हैं कृपया बाईं ओर चलें। दूरी बनाए रखें। अब, आप इतने महान सहजयोगी, प्राचीन सहजयोगी हैं। लोग अनुशासन और सूझबूझ के लिए आपकी ओर देखते हैं। ज्यादातर जो बहुत नए होते हैं वो आगे आने की कोशिश करते हैं। ऐसा मैंने देखा है। यदि आप नेता हैं तो, फिर अगर आप सामने बैठे हैं तो मैं समझ सकती हूं। अन्यथा सामने बैठने की क्या जरूरत? अच्छा। कृपया बैठ जाएं। आप जितने आगे होंगे, आपको और अधिक चैतन्य महसूस होंगे। तुम कर सकते हो; इसके लिए आप गवाही दे सकते हैं। आप जितने करीब होंगे उतना आप कम महसूस करेंगे। यह मेरी तरकीब है। अब देखिए, क्या आप वहां ज्यादा वाइब्रेशन महसूस कर रहे हैं? जेनी, वहाँ, अपने आप को देखें। ठीक है? मैं कभी असत्य नहीं बोलती। क्या थोडा पानी मिलेगा। [हिंदी] नहीं, नहीं, आप क्यों नहीं कोई उचित सीट लेते है? [हिंदी] बेहतर होगा कि आप एक सीट ले लें। [हिंदी] मैं उन्हें एक ऐसी बात के बारे में बता रही हूं आवश्यक नहीं की आपको उसके बारे में पता Read More …

Nothing to discuss in Sahaja Yoga Alibag (भारत)

                                      भारत दौरे की पहली पूजा  अलीबाग (भारत), 17 दिसंबर 1989। आप सभी का स्वागत है। थोड़ी देर हो गई है लेकिन अभी-अभी उन्होंने मुझे सूचित किया है कि विमान और भी देरी से चल रहा है, इसलिए मैंने सोचा कि अब पूजा करना बेहतर है, हालाँकि अंग्रेजों ने हमें शुरू से ही बताया था कि वे इसमें शुरुआत से ही शामिल होना चाहेंगे। उन्हें हमेशा बहुत अधिक पूजाएँ मिलती हैं, यही कारण हो सकता है। [श्री माताजी हंसती हैं, हंसी] तो अब हम सब यहां आ गए हैं और हम एक साथ तीर्थयात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह यात्रा बहुत ही सूक्ष्म प्रकृति की है और अगर हम यह महसूस करें हम यहां क्यों हैं, तो हम समझेंगे कि यह सारी सृष्टि आप सभी पर नज़र रखे हुए है और यह आपकी मदद करने की कोशिश कर रही है कि आपका उत्थान होना चाहिए और आप अपनी गहनता को महसूस करें और इस तरह अपने स्व का आनंद लें। खुद। यात्रा संभवतः बहुत आरामदायक नहीं रहे। सड़कें स्पीड-ब्रेकर्स तथा हर तरह के अवरोध से बहुत भरी हुई हैं  [श्री माताजी हंसती हैं] । हमारे उत्थान की जैसी यात्रा है|  मुझे लगा, कि अपनी गति को नीचे लाना है। नि:संदेह पश्चिम में हम बहुत तेज गति वाले हो गए हैं और इस गति को कम करने के लिए हमें ध्यान की प्रक्रिया का उपयोग करना होगा जिससे हम अपने भीतर शांति का अनुभव कर सकें। साथ ही विचार हमारे दिमाग पर बमबारी कर रहे हैं और हम दूसरों पर Read More …

8th Day of Navaratri, Talk to English Yogis on Style and Content Butlins Grand Hotel, Margate (England)

नवरात्रि का 8वां दिन  मार्गेट, 6 अक्टूबर 1989 अंग्रेज योगियों से बात, आज देवी पूजा का आठवां दिन है और इस दिन, काली की शक्ति काम करती है और उन्हें संहार काली कहा जाता है, जिसका अर्थ है सभी बुरी शक्तियों को नष्ट करने वाली। तो यह एक बहुत अच्छा दिन है, कि हमारे यहां, इंग्लैंड में, पूजा है। मैं इससे बहुत खुश हूं। मेरा चश्मा?  मुझे लगता है,मेरे पर्स में है। वौ कहा हॆ? उसके पास यह होगा? अब, मैं सोच रही थी कि मुझे यू.के. के सहज योगियों से बात करनी चाहिए, क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है। अब मैं यूके में अपने सोलह साल के प्रवास को समाप्त कर रही हूं और मुझे वास्तव में आप लोगों का इतना प्यार और इतनी भलाई मिली है। अब अगले साल, मैं यहां नहीं रहूंगी क्योंकि मेरे पति का तबादला होने वाला है और निश्चित रूप से मैं और भी वापस आऊंगी और एक या करीब एक महीने के लिए, मैं आपके साथ रह सकती हूं, शायद मैं पहले से कहीं ज्यादा जितना अब तक रही हूँ उससे ज्यादा करीब रहूंगी। लेकिन कुछ ऐसा है जोकि मुझे लगता है कि मुझे आप लोगों को चेतावनी देनी चाहिए, क्योंकि अब मुझे गैविन [ब्राउन] के बारे में बहुत सारे पत्र मिल रहे हैं कि, “गैविन ऐसा क्यों हो गया है? उसके साथ क्या गलत हुआ है?” शायद हर कोई इन घटनाओं को,और कुछ अन्य सहज योगियों को भी ऐसा होते देख काफी डरा हुआ लगता है । क्योंकि अन्य देशों में, जब सहजयोगी Read More …

Shri Krishna Puja: They have to come back again and again Saffron Walden (England)

श्री कृष्ण पूजा   सेफ्फ़रॉन वाल्डेन (इंग्लैंड), 14 अगस्त 1989 (श्री कृष्ण अवतार, दाईं विशुद्धि)  आज हम यहां श्री कृष्ण अवतार की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि श्री कृष्ण नारायण के अवतार हैं, श्री विष्णु के। प्रत्येक अवतार में, वे अपने सभी गुणों, अपनी सारी शक्तियों और अपनी प्रकृति को अपने साथ ले कर आते हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतार लिया तो उनके पास नारायण के सभी गुण थे, और फिर श्री राम के, लेकिन हर अवतरण अपने पूर्व जीवन को संशोधन करने की चेष्टा करता है, जो भी उनके पूर्व जीवन में गलत समझ लिया गया और उन्हें अतिशयता में ले जाया गया । इसलिए उन्हें बार-बार वापस आना पड़ता है। सही है इसलिए श्री विष्णु ने, जब उन्होंने अपना अवतार लेने के बारे में सोचा, क्योंकि वे ही हैं जो संरक्षक हैं। वे ही इस सृष्टि के संरक्षक और धर्म के भी संरक्षक हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतरण लिया तो उन्हें यह देखना पड़ा कि लोग अपने धर्म पर कायम रहें। केवल धर्म को ठीक रखने से ही आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हो सकता है। तो यह कार्य अत्यंत कठिन था, मुझे कहना चाहिए, लोगों को महालक्ष्मी के मध्य मार्ग में बनाए रखने के लिए। अतः पहले अवतरण द्वारा, आप कह सकते हैं कि उन्होंने एक हितकारी राजा की संरचना करने की कोशिश की, श्री राम के रूप में। सुकरात ने एक हितकारी राजा का वर्णन किया है। लेकिन इसके परिणामस्वरूप, लोगों ने सोचना शुरू कर दिया कि अगर वे राजा या Read More …

Shri Ganesha Puja, Switzerland 1989 (Switzerland)

Shri Ganesha Puja, Les Diablerets (Switzerland), 8 August 1989. आज आप सब यहां मेरी श्रीगणेश रूप में पूजा के लिये आये हैं। हम प्रत्येक पूजा से पहले श्रीगणेश का गुणगान करते आये हैं। हमारे अंदर श्रीगणेश के लिये बहुत अधिक सम्मान है क्योंकि हमने देखा है कि जब तक अबोधिता के प्रतीक श्रीगणेश को हम अपने अंदर जागृत नहीं करते तब तक हम परमात्मा के साम्राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। परमात्मा के साम्राज्य में बने रहने के लिये और श्रीगणेश के आशीर्वादों का आनंद उठाने के लिये भी हमारे अंदर अबोधिता का होना अत्यंत आवश्यक है। अतः हम उनकी प्रशंसा करते हैं और वे अत्यंत सरलता से प्रसन्न भी हो जाते हैं। सहजयोग में आने से पहले हमने जो कुछ गलत कार्य किये हों उनको वे पूर्णतया क्षमा कर देते हैं क्योंकि वे चिरबालक हैं। आपने बच्चों को देखा है, जब आप उन्हें थप्पड़ लगा देते हैं …. उनसे नाराज हो जाते हैं लेकिन वे इसको तुरंत भूल जाते हैं। वे केवल आपके प्रेम को याद रखते हैं और जो कुछ भी बुरा आपने उनके साथ किया है उसे वे याद नहीं रखते। जब तक वे बड़े नहीं हो जाते तब तक वे अपने साथ घटी हुई बुरी बातों को याद नहीं रखते। जबसे बच्चा माँ की कोख से जन्म लेता है उसे याद ही नहीं रहता कि उसके साथ क्या क्या हुआ है लेकिन धीरे-धीरे उसकी याददाश्त कार्यान्वित होने लगती है तो वह चीजों को अपने अंदर याद करने लगता है। परंतु प्रारंभ में उसे उसके साथ Read More …

What is the difference between Sahaja Yoga and other yogas? Milan (Italy)

                              सहज योग और अन्य योग में अंतर  मिलान, 6 अगस्त 1989 मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आप यहां सत्य को महसूस करने के लिए आये हैं। न की केवल मानसिक रूप से इसकी अवधारणा करने। अब,  एक प्रश्न है, कल लोगों ने पूछा कि सहज योग और अन्य योगों में क्या अंतर है। इन सभी योगों को पतंजलि नामक एक संत ने बहुत पहले लिख दिया था। और उन्होंने इसे आठ पहलुओं वाला अष्टांग योग, अष्टांग कहा। उनका अस्तित्व हजारों साल पहले हुआ था, और उस समय हमारे पास एक प्रणाली थी जिसमें छात्र किसी प्रबुद्ध आत्मा, एक गुरु, सतगुरु के अधीन अध्ययन करने के लिए विश्वविद्यालय में जाते थे। तो, योग अर्थात परमात्मा के साथ मिलन के आठ पहलू हैं। तो, पहला उन्हें जिस रूप में मिला ‘यम’ है। यम, नियम। यम पहले हैं जिसमें उन्होंने लिखा है कि हमें अपने श्वसन को ठीक करने के लिए या अपने दुर्व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए क्या करना चाहिए। तो उसमें से एक तिहाई आसन हैं जहां आप किसी विशेष प्रकार की समस्या के लिए शारीरिक व्यायाम करते हैं। लेकिन वह हठ योग नहीं है। हठ योग एक पूर्ण पतंजलि योग शास्त्र है, योग – अर्थात पूर्ण पतंजलि योग शास्त्र है। आसन या शारीरिक व्यायाम के ये अभ्यास बहुत छोटा भाग हैं, उनमें से एक का चौबीसवां भाग हैं। ‘ह’ और ‘ठ’, ह का अर्थ है सूर्य और ठ का अर्थ है चंद्रमा। अतः हठ योग में दोनों का विचार किया गया है। क्योंकि हमारा अस्तित्व Read More …

Shri Bhairavnath Puja: Bhairava and Left Side Garlate (Italy)

श्री भैरवनाथ पूजा  गारलेट, मिलान (इटली), 6 अगस्त 1989 आज हम यहां भैरवनाथ की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। मुझे लगता है कि हमने भैरवनाथ के महत्व को नहीं समझा है जो इड़ा नाड़ी पर ऊपर-नीचे चलते हैं। इड़ा नाडी चंद्रमा की नाडी है, चंद्रमा की है। तो यह हमारे लिए ठंडा करने की एक प्रणाली है। तो भैरवनाथजी का काम हमें ठंडा करना है। उदाहरण के लिए, लोगों का अहंकार के साथ एक गर्म स्वभाव होता है, अपने जिगर के साथ, चाहे वह कुछ भी हो, और यदि कोई व्यक्ति बड़े गुस्से में है, तो भैरवनाथ उसे शांत करने के लिए उस व्यक्ति से शरारत करते हैं। वह गणों की मदद से, गणपति की मदद से, आपके स्वभाव को ठंडा करने के लिए, आपको संतुलन प्रदान करने के लिए अपने नियंत्रण में सब कुछ आयोजित करते है। इसलिए यदि कोई बहुत गर्म स्वभाव का व्यक्ति है और वह अपने स्वभाव की सभी सीमाओं को पार कर जाता है, तो किसी न किसी तरह से, भैरवनाथ , हनुमान की मदद से, यह दिखाने के लिए कि क्रोध की यह मूर्खता अच्छी नहीं है, उसका प्रबंध करेंगे। इसलिए, उदाहरण के लिए, जो लोग उदास हैं या जो लेफ्ट साइडेड हो गए हैं, हनुमान उन्हें इससे बाहर आने में मदद करने की कोशिश करते है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन भैरवनाथ भी इससे बाहर आने में उनकी बहुत मदद करते हैं। अब एक व्यक्ति जो लेफ्ट साइडेड है सामूहिक नहीं हो सकता है। ऐसे व्यक्ति के लिए यह बहुत Read More …

Shri Radha Krishna Puja: The importance of friendship La Belle Étoile, La Rochette (France)

             श्री राधा कृष्ण पूजा, “दोस्ती का महत्व”  मेलून (फ्रांस), 9 जुलाई 1989। मैं वास्तव में अत्यंत प्रसन्न हूं कि इस पूजा के लिए फ्रांस में हमारे पास इतने सारे आगंतुक और फ्रेंच सहज योगी हैं। यह सामूहिकता को दर्शाता है, ऐसी सामूहिकता जो आप सभी को हर जगह से आकर्षित करती है, और यह कि आप उस सामूहिकता का आनंद लेने की कोशिश करते हैं। लेकिन सामूहिकता की नींव, सामूहिकता का आधार बहुत गहरा है; और गहरी समझ ही आपको बता सकती है कि सामूहिकता का आधार निर्लिप्त प्रेम है। प्यार ही एक रास्ता है। सामूहिकता का होना तब तक संभव नहीं है जब तक कि आपने प्रेम को निर्लिप्त \ अनासक्त न बना लिया हो। फ्रेंच लोग, प्रेम के इतने प्रकार में अच्छे रहे हैं जिनके बारे में वे बात करते रहे हैं; और उन्होंने किताबों के बाद किताबें, उपन्यासों के बाद उपन्यास लिखे हैं और प्यार की बात करने के लिए बहुत सारे रोमांटिक और गैर रोमांटिक और हर तरह का माहौल बनाया है। लेकिन शुद्ध प्रेम, जैसा कि हम सहज योग में समझते हैं, अब सहज योगियों द्वारा आपस में व्यक्त किया जाना है। आखिर हम सब एक ईश्वर द्वारा बनाए गए इंसान हैं। और हम सब एक माँ द्वारा बनाए गए सहज योगी हैं। इसलिए हमारे बीच किसी भी तरह की कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। लेकिन हमें पता होना चाहिए कि क्या है जो कभी-कभी हमें थोड़ा अलग बनाता है। यदि हम उन समस्याओं को समझ सकें जिनका हम सामना कर रहे हैं, तो हमारे Read More …

Arrival and Virata Puja Camp Wonposet, Litchfield (United States)

                                                श्री विराट पूजा।  कैंप वोनपोसेट, कनेक्टिकट (यूएसए), 11 जून 1989 आज हमने श्री कृष्ण की भूमि में विराट की पूजा करने का निर्णय लिया है। जैसा कि आप जानते हैं, श्री विष्णु की अभिव्यक्ति के विकास में, वे दस अवतारों में आते हैं और अंततः वे स्वयं को विराट के रूप में प्रकट करते हैं। विराट अस्तित्व का मस्तिष्क है जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहा जा सकता है, इसलिए संपूर्ण मध्य तंत्रिका तंत्र श्री कृष्ण द्वारा विष्णु के रूप में काम करता है, फिर ये सभी अवतार, फिर श्री कृष्ण और अंततः विराट के रूप में। यह हमारे मस्तिष्क का विकास है और जब हम विराट की पूजा कर रहे हैं तो हमें यह जानना होगा कि हमारे भीतर भी विराट की इस शक्ति की अभिव्यक्ति है।  हमारे पास जो अभिव्यक्ति है, हम उसे विराट कह सकते हैं यदि श्री कृष्ण महा विराट हैं।  आज जितना मैं कह सकती हूँ उससे कहीं अधिक आप सभी विराट के बारे में जानते हैं क्योंकि यह समग्र है, यह समग्रता है। और हर चीज की समग्रता, अगर वह विराट है, तो वह आपके दिमाग में है, लेकिन वास्तविकता आपके हृदय में है। तो आप जिस समग्रता को देख सकते हैं, जिसके आप साक्षी हो सकते हैं, वास्तविकता उसके पीछे की सूक्ष्मता है। तो जिस मस्तिष्क पर हृदय का शासन नहीं है, जो हृदय से पोषित नहीं है, वह बहुत खतरनाक चीज है, क्योंकि यह बहिर्मुखता पैदा करता है, और ऐसा व्यक्ति जो बिना हृदय के चीजों को करने की कोशिश करता है, बहुत निर्दयी Read More …

Shri Pallas Athena Puja: The Origins and Role of Greece Athens, Stamatis Boudouris house (Greece)

              श्री पल्लास एथेना पूजा  ग्रीस, 24 मई 1989 सहज योग में सब कुछ बहुत वैज्ञानिक है, सभी पूर्व-नियोजित हैं जो मुझे लगता है, और सभी महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, आज बुधवार है और हमने बुधवार को कभी कोई पूजा नहीं की क्योंकि मेरा जन्म बुधवार को हुआ था।  इसलिए, मैं सोच रही थी कि यदि पूजा बारह बजे से पहले शुरू हो जाए, तो हम इसे प्रबंधित कर पाएंगे क्योंकि मेरा जन्म बारह बजे हुआ था। तो, प्रत्येक बच्चे को बारह बजे के बाद सोना पड़ता है, आप देखते हैं, और मुझे भी सो जाना था जो मैं नहीं कर पायी। तो, यह इतना महत्वपूर्ण है, आप देखिए। यह पहली बार है जब हम बुधवार को पूजा कर रहे हैं, आम तौर पर मैं बुधवार को यात्रा भी नहीं करती हूं। तो, आप सोच सकते हैं कि यह ऐसी सफलता है, और मुझे बहुत खुशी है कि आप सभी एक पूजा के लिए तैयार हैं और हम इतने लंबे समय के बाद, इस नियम को भी तोड़ सके हैं| क्योंकि मेरे लिए बारह के बाद जागते रहना असंभव था, आप देखते हैं, मैं कोशिश कर रही थी, कोशिश कर रही थी, और मुझे पता था कि आप सभी भी, बहुत नींद महसूस कर रहे थे। तो, यह बहुत पारस्परिक है और यह बहुत सरल है। ठीक है। तो, आज हम ब्रह्मांड के नाभी के केंद्र में, वास्तव में, उल्लेखनीय रूप से एकत्र हुए हैं, और मुझे नहीं पता कि मैं इस महान देश, जिसे हम ग्रीस कहते हैं, के Read More …

Sahasrara Puja: Jump Into the Ocean of Joy Sorrento (Italy)

सहस्रार पूजा, “प्रेम के महासागर में कूदें” सोरेंटो (इटली) 6 मई 1989। पिछली रात पूर्ण अंधकार की रात थी, जिसे वे अमावस्या कहते हैं; और अभी-अभी बस चंद्रमा का पहला चरण शुरू हुआ है। आज हम यहां उस दिन को मनाने के लिए हैं जब सहस्रार खोला गया था। साथ ही आपने फोटो में देखा है। यह वास्तव में मेरे मस्तिष्क की एक तस्वीर थी, जिसमें दिखाया गया था कि सहस्रार कैसे खुला था। अब मस्तिष्क के प्रकाश की तस्वीर खींची जाना संभव हुआ है। इस आधुनिक समय ने यह कुछ महान कार्य किया है। तो आधुनिक समय बहुत सी ऐसी चीजें लेकर आया है जो दिव्य अस्तित्व को साबित कर सकती हैं। साथ ही यह मेरे बारे में भी साबित कर सकता है। यह आपको विश्वास दिला सकता है कि मैं क्या हूं। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आधुनिक समय में इस अवतरण को पहचानना है, पूरी तरह से पहचानना है। यह सभी सहज योगियों के लिए एक शर्त है।  अब देखते हैं कि आधुनिक समय में लोगों के दिमाग में क्या चल रहा है। आज लोगों के दिमाग में देखा जाए तो सहस्रार पर वार हो रहा है। हमला बहुत पहले से होता आया है लेकिन आधुनिक समय में यह सबसे बुरा समय है। वे लिंबिक एरिया (मस्तिष्क में भावना और प्रेरणा का क्षेत्र )को बेहद असंवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बहुत उदास उपन्यास, अति अवसाद के विचार और बहुत उदास संगीत, आप कह सकते हैं ग्रीक त्रासदी जैसी बकवास। हमें कहना चाहिए कि, ये सब Read More …

Birthday Puja: Introspection New Delhi (भारत)

जन्मदिवस पूजा दिल्ली, १९ मार्च, १९८९  सहजयोग के काम में व्यस्त न जाने कैसे समय बीत जाता है। अब करिबन अठारह साल से सहजयोग कर रहे हैं और उसकी प्रगती अब काफी हो रही है। आपने देखा किस तरह से इसकी प्रगती बढ़ रही है। अब जन्मदिन के दिन अब हमारे तो आपकी सबकी स्तुति करनी चाहिए और सब अच्छा ही कहना चाहिए। लेकिन एक ही बात मुझे जो समझ में आती है, जो कहनी चाहिए वो है कि अपनी गहराई को बढ़ाना है। अपनी गहराई को बढ़ाना बहुत जरुरी है और ये गहराई हमारे अन्दर है, कहीं ढूँढने नहीं जाना है, अपने ही अन्दर बस, ये गहराई है। लेकिन जब हम गहराई को बढ़ाते हैं तो ये देखना चाहिए कि हम स्वयं कहाँ खड़े हैं। इसको पहले जान लेना चाहिए कि हम स्वयं कहाँ खड़े हैं। और उसे जानने के लिए एक तरीका है, सहज सरल तरीका है कि अपनी ओर दृष्टि करें। जैसे कि हमारा व्यवहार कैसा है?  हम क्या करते हैं?  हम किस तरह से अपने मन में विचार लाते हैं?  हमारे तौर-तरीके कैसे हैं?  हम अपने को कहाँ तक सीमित रखते हैं।  जैसे शुरुआत में जब दिल्ली में काम शुरू किया तो लोगों के तो अन्दाज ही और थे।  मैं तो एकदम सकुचा गयी थी, क्योंकि उस वक्त किसी को कुछ मालूम ही नहीं था पूजा के बारे में। सब प्लास्टिक के डिब्बियों में सामान-वामान लेकर के सब लोग पहुँचे तो मेरी तो हालात ही खराब हो गयी। मैंने कहा कि अब तो इनका क्या होगा, Read More …

Christmas Eve Talk: Purity and Holiness and Evening Program Ganapatipule (भारत)

[English to Hindi translation] शुचिता और पवित्रता गणपतिपुले (भारत), 24 दिसंबर 1988। आप सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं। परमात्मा आप को आशिर्वादित करे। [तालियां] ईसा मसीह का जन्म पूरे विश्व में मनाया जाता है, और यह अच्छा है कि हम यहां गणपतिपुले में उनके जन्म का उत्सव मना रहे हैं। जैसा कि सहज योग में आप अच्छी तरह से जानते हैं, हमने महसूस किया है कि ईसा मसीह के सिद्धांत श्री गणेश थे। तो यह क्रिसमस मनाने के लिए सही जगह है और ईसा मसीह का जन्म  – आज बिल्कुल मेल खाता है और मुझे बहुत खुशी है कि आपने उसके लिए गणपतिपुले को चुना है। अब जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि गणेश का सिद्धांत आज्ञा चक्र पर ईसा मसीह का सिद्धांत बन गया। और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण चक्र है जो हमारे भीतर है जिसने हमें, हमारे व्यक्तित्व को एक नया आयाम दिया है, कि हम अपना पुनरुत्थान कर सकें जैसे कि मसीह ने खुद को पुनर्जीवित किया; इसलिए उनके जीवन का संदेश पुनरुत्थान है। तो अपने जन्म से उन्होंने अपना पुनरुत्थान करवाया, उसी तरह जब आप अपना पुनरुत्थान प्राप्त करते हैं तो आप फिर से जन्म लेते हैं, या आप सहजयोगी बन जाते हैं। यह उसी सिद्धांत पर काम करता है। लेकिन उन्हें शारीरिक रूप से सारी तपस्या से गुजरना पड़ा, जैसा कि हम कहते हैं कि वह हमारे लिए, हमारे पापों के लिए मरे; लेकिन अब जैसा कि उन्होंने हमारे लिए किया है, आज्ञा चक्र पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में है, Read More …

Health Advice to Western Yogis Sangli (भारत)

पश्चिमी योगियों को स्वास्थ्य सलाह और ऑस्ट्रेलिया के साथ समस्याएं सांगली (भारत), 21 दिसंबर 1988। मैंने सुना है कि आप सब बहुत बीमार हो गए हो। मुझे लगता है कि उसकी वजह से मैं खुद बीमार हो गयी। अब मुझे आशा है कि आप सब बेहतर होंगे। अभी भी बीमार लोग हैं? कितने? गुइडो लैंज़ा: लगभग सत्तर। श्री माताजी: सत्तर बिस्तर में बीमार हैं? वे कहां हैं? अब एक बात है जो मुझे आपको अवश्य बताना चाहिए कि उस दिन ये लड़कियां मुझे गहने पहना रही थीं और मुझे उनमें से बहुत अजीब गंध आ रही थी। तो मुझे लगता है कि आप लोग ठीक से हाथ नहीं धोते।  मैंने तुमसे कहा था कि शौचालय जाने के बाद हर समय पानी का उपयोग करो- यह बहुत जरूरी है। लेकिन आप लोग अभी भी पाश्चात्य शैली से चिपके रहते हैं। यह बहुत गंदा है, मैं आपको बताती हूँ। यह जीने का एक बहुत ही गंदा तरीका है – पानी का उपयोग नहीं करना। यह बहुत अस्वास्थ्यकर भी होता है। इसलिए आप पश्चिम में पाते हैं कि ज्यादातर लोग बीमार हैं। यहाँ नहीं। आपने कल देखा कि लड़के कैसे नाच रहे थे-इतना गति से और तेज़। इसलिए एक बात याद रखनी है कि शौचालय से बाहर आने के बाद, खाने से पहले हाथ धोना है। कल मैंने उनके हाथ सूँघे और मैं दंग रह गयी। बहुत बुरी महक! तो यह भारतीय रिवाज या कुछ भी नहीं है, लेकिन यह एक स्वच्छ प्रणाली है। तो मुझे आशा है कि आपको लोटे (जग) मिल Read More …

Adi Shakti Puja: Detachment Residence of Madhukar Dhumal, Rahuri (भारत)

आदि शक्ति पूजा, वैराग्य, राहुरी (भारत),11 दिसंबर 1988 पूजा उस समय आरंभ होती है, जब इसे आरंभ होना होता है और मैं प्रतीक्षा और प्रतीक्षा और प्रतीक्षा कर रही हूँ।फिर मुझे एहसास हुआ कि आज बहुत अच्छा समय है, पंचांग के अनुसार, परंतु यह प्रातः का नहीं है,तो इसे चंद्रमा का तीसरा दिन होना थाऔर जैसा कि चंद्रमा दिन के समय में अपनी कलाएँ बदल रहा है, हमें प्रतीक्षा करनी पड़ी जब तक यह आरंभ नहीं हुआ। मुझे लगता है, ये सब चीज़ें हुईं; चोरी की और सब कुछ हुआ, संभवतः पूजा को उस समय तक टालने के लिए जब इसे आरंभ होना चाहिए।तो सहज योग में हम सभी समय से परे चले जाते हैंऔर हमें समय के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती। मात्र जब तक यह एक औपचारिक कार्यक्रम या ऐसा कुछ हो, क्योंकि लोग औपचारिक हैं और वे हमारी शैलियों को नहीं समझते हैं।इसलिए हमें वहाँ सही समय पर उपस्थित होना होता है,अन्यथा हमें समय को स्वमार्ग लेनेदेना चाहिए और इसे हमें अपनी तरह से जानना चाहिए।अब हमारी यात्रा और इस दौरे के बारे में हमें यह जानना होगा कि हम यहाँ पाने के लिए आए हैं एक निश्चित ऊँचाई अपनी निर्लिप्तता में, हमें अपनी स्थिति के क्षेत्र में ऊपर उठना हैजबकि आसपास की परिस्थितियाँ,वे हमें घेरे हुए हैं और वे हमें दुखी नहीं कर सकतीया पक्षपाती, या हमें उन पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।इसके विपरीत हमें उनसे ऊपर उठने का प्रयास करना चाहिए। यदि कुछ विकृत घटित न हो तो आप परम की बढ़ती Read More …

Shri Vishnumaya Puja: Cure That Left Vishuddhi Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

श्री विष्णुमाया पूजा “उस बायीं विशुद्धि को ठीक करें”   शूडी कैंप (इंग्लैंड), 20 अगस्त 1988। कम ही उम्मीद थी कि हम यहां पूजा करेंगे या इस तरह का कोई कार्यक्रम करेंगे। लेकिन मुझे लगता है कि इतने तेज़ कार्यक्रम के पूरे कार्यक्रम से कुछ छूट गया था जैसा कि आप जानते हैं कि मुझे करना पड़ा था, लंदन से फ्रैंकफर्ट से अमेरिका से बोगोटा तक जाना, वापस होना, फिर अंडोरा और इन सभी जगहों पर, फिर भी, मैंने सोचा, अब यह समाप्त हो गया है। और मैं यहां लंदन में आयी और मुझे पता चला कि एक पूजा नहीं हुई थी, बायीं विशुद्धि की, और यह इस रक्षा बंधन के साथ पड़ती है क्योंकि यह बहन का रिश्ता और भाई का रिश्ता है। तो इतिहास में, यदि आप जाते हैं, तो श्री कृष्ण का जन्म उसी दिन हुआ था जिस दिन उनकी बहन का जन्म हुआ था, और यह विष्णुमाया बाद में स्थानांतरित हुई, मुझे कहना चाहिए, एक विद्युत में रूपांतरित हुई, लेकिन उस समय वही थी जिसने श्री कृष्ण के अस्तित्व की घोषणा की – कि वह पैदा हुआ है और वह जी रहा है, वह वर्तमान में है। यह लेफ्ट विशुद्धि का, लाइटिंग का काम है, और आपने देखा है कि जब भी मैं किसी जगह पर जा रही होती हूं, या मैं कोई प्रोग्राम या कुछ और दे रही होती हूं, तो उसके ठीक पहले बिजली की गड़गड़ाहट, बिजली की गड़गड़ाहट, यह सब दिखाई देता है आकाश में, तुम देखते हो, उस घोषणा को दिखाने के लिए। Read More …

Shri Fatima Puja Saint-George (Switzerland)

श्री फ़ातिमा पूजा, स्विट्ज़रलैंड, सेंट जॉर्ज, 14 अगस्त 1988  आज हम पूजा करने जा रहें हैं, फ़ातिमा बी की, जो प्रतीक थी गृहलक्ष्मी का, और इसीलिए हम पूजा करने जा रहे हैं, हमारे अंदर स्थित गृहलक्ष्मी तत्व की। जैसे एक गृहिणी को हर कार्य पूर्ण करना होता है, सब कुछ घर परिवार में और फिर ही वह स्नान के लिए जाती है, उसी प्रकार आज सुबह हमें भी बहुत सारे कार्य करने थे और फिर ही हम आ सके आपकी पूजा के लिए क्योंकि आज घर की गृहिणी के बहुत से कार्य थे। तो हमें उन्हें पूर्ण करना था एक अच्छी गृहिणी की तरह।  अब, गृहलक्ष्मी का तत्व परमात्मा द्वारा निर्मित और विकसित किया गया है। यह मनुष्य की रचना नहीं है और जैसे आप जानते हैं कि यह विद्यमान है, बायीं नाभि में। यह गृहलक्ष्मी ही हैं जो प्रस्तुत हुई हैं फ़ातिमा के जीवन में, जो कि मोहम्मद साहब की बेटी थी। अब वह सदैव जन्म लेती हैं, एक गुरु से संबंध में, जो कि कौमार्य का है, पवित्रता का है। तो वह एक बहन के रूप में आती हैं या फिर वह एक बेटी के रूप में आती हैं। अब फ़ातिमा के जीवन की सुंदरता यह थी कि, मोहम्मद साहब की मृत्यु के पश्चात, हमेशा की ही तरह कट्टरपंथी लोग थे, जिन्होंने सोचा कि वे धर्म को अपने हाथों में ले सकते हैं और इसे एक अत्यंत ही कट्टर वस्तु बना सकते हैं। और ध्यान उस कदर नहीं दिया गया व्यक्ति के उत्थान पर।  यहाँ तक कि मोहम्मद Read More …

Guru Puja: The Gravity of Guru Principle Camping Borda d'Ansalonga, Ansalonga (Andorra)

गुरु पूजा, गुरु सिद्धांत का महत्व अंसलॉन्गा, एंडोरा, 31 जुलाई, 1988 आज हम सब यहाँ आपके गुरु की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि गुरु तत्व भवसागर में स्थित है। यही वह सिद्धांत है जो आपको संतुलन देता है, जो आपको आकर्षण-शक्ति देता है। आपके गुरु तत्व के माध्यम से हमारी पृथ्वी माता में जो गुरुत्व है वह अभिव्यक्त होता है। गुरुत्वाकर्षण का पहला बिंदु यह है कि आपके पास एक व्यक्तित्व, एक चरित्र और एक ऐसा स्वभाव होना चाहिए कि लोग देखें कि आप एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो सांसारिक चीजों में नहीं शामिल नहीं हो जाते। यह एक ऐसा व्यक्तित्व है जो जीवन के झमेलों से बर्बाद नहीं होता है। उसके अस्तित्व में  एक गुरु का व्यक्तित्व गहराई से बैठ जाता है और किसी भी लिप्त कर लेने वाली परिस्थिति में भी आसानी से विचलित नहीं होता है, उसमे आसक्त नहीं हो जाता।  गुरु का पहला सिद्धांत यही है- निर्लिप्तता। जैसा कि मैंने आपको बताया, यह कुछ ऐसा है जिसे किसी भी बात में लिप्त  नहीं जा सकता। यह किसी के व्यक्तित्व में बहुत गहराई तक बैठ जाता है। इसलिए यह पानी में तैरता नहीं है। अभी आप देखते हैं कि जो देश बहुत विकसित हैं, उनमें हम सोचते हैं कि हमारे पास व्यक्तिगत उपलब्धि की बहुत बड़ी शक्ति है, कि व्यक्तिगत रूप से हम बिल्कुल स्वतंत्र हैं और हम जो चाहें कर सकते हैं; और इसीलिए सामूहिकता की उपेक्षा करते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता सभी लोकतांत्रिक देशों का लक्ष्य बन जाती Read More …

Devi Puja: be aware of your powers Barcelona (Spain)

देवी पूजा।  बार्सिलोना (स्पेन), 21 मई 1988। खूबसूरत परिवेश… प्रकृति हम सब को देख रही है। धरती माता ने हमारे  देखने के लिए ऐसे सुंदर दृश्य बनाए हैं। जब मैं छिंदवाड़ा में पैदा हुई थी, तो वहां भी उसी तरह का माहौल था। अब, ज़ाहिर है, उन्होंने बहुत सी जगहों को साफ़ कर दिया है। लेकिन फिर भी, अगर आप थोड़ा आगे जाए, लगभग बीस मील, तो आपको उसी तरह के बड़े जंगल मिलते हैं। वे बाघों, तेंदुओं, सभी प्रकार के जंगली जानवरों से भरे हुए हैं। और देवी को भारत में पहाड़ों वाली देवी कहा जाता है, उन्हें पहाड़ो वाली कहा जाता है – जिसका अर्थ है “पहाड़ों से संबंधित” – और वह पहाड़ों पर निवास करती हैं। जैसा कि आपने देखा होगा कि नासिक के पास नासिक में एक पर्वत पर सप्तशृंगी भी बसी है। आप एक साल पहले गए हो। वह आदि शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं और वह ॐ कि अर्ध मात्रा का प्रतिनिधित्व करती हैं। जैसे ॐ शब्द में साढ़े तीन मात्राएँ हैं, जिसका अर्थ है आधा चन्द्रमा, आधा वर्तुल। मात्रा का अर्थ है आधा घेरा। तो, जैसा कि आप जानते हैं कि महाकाली, महासरस्वती, महालक्ष्मी, तीन शक्तियाँ हैं, और उनसे ऊपर आदि शक्ति है। तो, वह साढ़े तीन कुंडल हैं और अंतिम आधा कुंडल इन सभी के ऊपर है, जो उच्चतम का प्रतिनिधित्व करता है। तो यह आधी मात्रा, आदि शक्ति, वह है जिसे सप्तशृंगी में सात शिखर के साथ प्रतिनिधित्व मिला है… श्रृंग, का अर्थ है सात शिखर, यानी सात शिखर- सात शिखर। Read More …

Easter Puja: You have to be strong like Christ Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

ईस्टर पूजा। शुडी कैंप (इंग्लैंड), 3 अप्रैल 1988। मुझे देर से आने के लिए खेद है, लेकिन मैं आपको बताती हूँ कि मैं सुबह से काम कर रही हूं। अब, आज हम यहां ईसा मसीह के पुनरुत्थान का जश्न मनाने के लिए आये हैं। सभी सहजयोगियों के लिए ईसा मसीह का पुनरुत्थान सबसे अधिक महत्व का है। और हमें यह समझना होगा कि उन्होने स्वयं को इसलिए पुनरुत्थित किया ताकि हम लोग खुद का पुनरूत्थान कर सकें। उनके जीवन का संदेश उनका पुनरुत्थान है न कि उसका क्रूस। उसने हमारे लिए क्रूस उठाया और हमें अब और नहीं सहने कि  आवश्यकता नहीं है। मैं देख रही हूँ कि बहुत से लोग इस नाटक को अब भी चलाये जा रहे हैं: वे यह दिखाने के लिए क्रूस को ढोए जा रहे हैं जैसे कि हम ईसामसीह के लिए कार्य करने जा रहे हैं! मानो वह नाटक करने वाले इन लोगों के लिए कोई काम छोड़ गये हो। लेकिन यह सब ड्रामा खुद को धोखा देने और औरों को धोखा देने का है। इस तरह की बेकार चीजें करते रहने का कोई मतलब नहीं है यह प्रदर्शित करने के लिए कि ईसामसीह ने कैसे दुख उठाया। आपके रोने-धोने  के लिए, ईसामसीह ने कष्ट नही उठाया। उन्होंने दुख इसलिए उठाया कि आपको आनंद प्राप्त होना चाहिए, कि आपको खुश रहना चाहिए, कि आपको उस सर्वशक्तिमान के प्रति पूर्ण आनंद और कृतज्ञता का जीवन जीना चाहिए जिसने आपको बनाया है। वह परमात्मा कभी नहीं चाहेंगे कि आप दुखी हों। कौन सा पिता अपने बेटे Read More …

Being Bandhamukta – A free personality and Evening Program Ganapatipule (भारत)

                गणपतिपुले संगोष्ठी, भारत यात्रा  गणपतिपुले (भारत), 5 जनवरी 1988। कल के कार्यक्रम से, और इन सभी दिनों में, आपने महसूस किया होगा कि अपनी कुंडलिनी को कार्यान्वित करने के लिए, उसकी आरोहण सहस्रार की ओर  लाने के लिए और अपनी सुषुम्ना नाडी को चौड़ा करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आप तीन से पांच घंटे ध्यान के लिए बैठें। बेशक, आपको थोड़े समय के लिए ध्यान करना चाहिए क्योंकि केवल उस दौरान ही  है जहां आप अकेले हैं, अपने ईश्वर के साथ एकाकार हैं। लेकिन अन्यथा सामूहिक में, जब आप इसमें विलीन हो जाते हैं, तो कुंडलिनी समान रूप से उठती है। जो होता है उसे समझने का यह एक बहुत ही विवेकपूर्ण तरीका है। सामूहिकता में जब आप होते हैं, तो आप एक-दूसरे की भरपाई करते हैं, एक-दूसरे के पूरक होते हैं, और ब्रह्मांड का एक सूक्ष्म पक्ष आप में प्रकट होने लगता है। फिर यदि आप वास्तव में घुल सकते हैं तो संस्कृत भाषा में ‘विलय’ शब्द है या मराठी भाषा में ‘रमना’ बहुत अच्छा है। मुझे नहीं लगता कि “आनंद के साथ विलय” लेकिन देखिये, कोई ‘साथ’ नहीं है, आनंद में विलीन हो जाते हैं। तो अगर आप किसी चीज के आनंद में विलीन हो सकते हैं जो कि सहज है तो आप एक ध्यानमय व्यक्तित्व बन सकते हैं, आप अपने भीतर उस ध्यानमय रवैये को प्राप्त कर सकते हैं। उस रवैये के साथ, उस बल के साथ, आपके भीतर नए सूक्ष्म आयाम प्रस्फुटित होने लगते हैं। आपकी अलग-अलग तरह की संस्कारबद्धता जो बेड़ियों की Read More …

Sahaj Yogiyon Ko Upadesh Ganapatipule (भारत)

सहजयोगियों को उपदेश ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK सबसे पहले एक बात समझ लेनी चाहिए कि यहाँ जो बंबई वाले और दिल्ली वाले लोग आये हैं ये मेहमान नहीं हैं। मेहमान जो लोग बाहर से आये हैं वो हैं। बसेस उनके पैसे से आयी हैं। आप तो एक पैसा भी नहीं दे रहे उसके लिए। एक कवडी भी नहीं दे रहे हैं। बसेस उनकी हैं, वो सब बसेस मार कर आप लोग यहाँ आ गये। यहाँ | बसेस छोड़ दिये, वो लोग रास्ते में लटक के खड़े हुए हैं। बजाए इसके कि आप उन लोगों का खयाल करें, आप हैं और यहाँ बसेस आराम से यहाँ पहुँच गये। आके आराम से यहाँ बैठ गये हो । और आधे लोग रस्ते में बैठे हुए सड़ रही हैं। आप लोग यहाँ मेहमान के रूप में नहीं आयें, कृपया ध्यान दीजिए । ये अपनी आदतें आप बदलिये। आप यहाँ पर आये हैं सेवा करने के लिए और ये बाहर के जो लोग आये हैं ये मेहमान हैं। आप जिस चाहे बस में चढ़ जाते हैं, जैसे कि आपने बस ली है किराये से। पिछली मर्तबा ४५,००० रू. मैंने भरा आप लोगों के बस में | चढ़ने का। बेहतर है आप सब लोग पैदल आईये और नहीं तो एक चीज़ हो सकती है कि एक बस है सिर्फ आप के लिए। किसी भी टाइम में आप लोग निकलते हैं। आपको कोई टाइम नहीं है, कुछ नहीं है, एक ही बस आयेगी और | वो बस दो मर्तबा आयेगी और उसी बस में आपको बैठने को Read More …

Christmas Puja: Reach Completion of Your Realization पुणे (भारत)

क्रिसमस पूजा  पुणे 25 दिसम्बर 87 आज मैंने अंग्रेजी में बात की। क्योंकि यह उनका विषय है। लेकिन हम भी ईसा-मसीह के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, और जो हम जानते हैं वह इतना कम है, कि हम उससे जो अनुमान लगाते हैं वह गलत है जैसा कि ये ईसाई देखते हैं। कहा जा रहा है कि किसी भी जाति में ऐसे बुद्धिमान व्यक्ति नहीं मिलते। तो यह हिंदू धर्म या ईसाई धर्म क्यों है? किसी भी धर्म में केवल मूढ़ लोगों कि अधिक पोषित किया जाता है। इसलिए हम इन मूढों से कुछ भी सीखना नहीं चाहते हैं, लेकिन इस दुनिया में जितने भी अवतरण आये है, उसमे उनकी बहुत विशेषता है। इनमें ईसा मसीह की विशेषता यह है कि उनका जीवन सोने के समान है। कोई भी उनके जीवन के बारे में एक अक्षर भी नहीं कह सकता कि ईसा-मसीह ने यह छोटा सा काम गलत किया, या उसने यह कैसे किया? कोई सवाल टिक नहीं पाते। इतने छोटे जीवनकाल में भी उन्होंने जो उंचाई हासिल की है, और उनके सभी कार्यों का योग, व्यवस्थित रूप से, एक के बाद एक, वास्तव में असाधारण है, और यही मैं आज आपको बताना चाहती हूं। जैसे ईसा-मसीह बिना पिता के केवल पवित्र आत्मा के द्वारा उत्पन्न हुए, वैसे ही तुम भी उत्पन्न हुए हो। तब आपको वैसी ही पवित्रता में आना चाहिए और उसी पवित्रता में रहकर संसार को एक ईसा-मसीह जैसा जीवन प्रदर्शित करना चाहिए। तब लोग कहेंगे कि यह तुम्हारे सामने ईसा-मसीह के उदाहरण का फल है। Read More …

Shri Ganesha Puja: spread love all over and remove the people from the shackles of materialism Madrid (Spain)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी, श्री गणेश पूजा, मैड्रिड, स्पेन 6 नवंबर, 1987  तो आज हम यहां स्पेन आए हैं, और यहां बहुत सारे दूसरे स्पेनिश सहज योगी हैं, और आप सब उनसे मिले चुके हैं। इस कारण, वे सहज योग में बहुत मजबूत हो गए हैं, कि उन्हें लगता है कि सारी दुनिया में उनके भाई बहन हैं। क्योंकि स्पेन में बहुत कम सहज योगी हैं, और वे काफी खोया हुआ महसूस करते हैं, क्योंकि उनकी संख्या बहुत कम है। लेकिन आप के यहां आने से ऐसा हुआ, जैसे कि एक हाथ दूसरे हाथ की मदद कर रहा है। अब स्पेन का भौतिक विकास हो रहा है, और ये है…इस बार उन्हें सावधान रहना होगा। उन्हे अतिविकसित अवस्था में पूरी तरह आगे तक जाने की और फिर कष्ट सहने की आवश्यकता नहीं है, और उनके लिए ये कष्ट एक प्रकार की सज़ा नहीं बननी चाहिए, जैसे संपन्न देशों में होता है, क्योंकि जैसे-जैसे भौतिकवाद बढ़ता है, वह मनुष्य पर हावी होने की कोशिश करता है। लेकिन अगर आत्म साक्षात्कार के पश्चात भौतिकवाद बढ़ने लगे, तो आप इस पदार्थ (मैटर) पर महारत हासिल कर लेते हैं। तब पदार्थ आपके सिर पर नहीं बैठता, क्योंकि आत्म साक्षात्कार के पश्चात आपके पास विवेक आ जाता है। और वास्तव में, भौतिकवाद को लक्ष्मी तत्व, लक्ष्मी सिद्धांत के माध्यम से समझा जाना चाहिए। यदि आप सहज योग में सुबुध्दि विकसित करते हैं, तो आप समझ जाते हैं कि भौतिकवाद के साथ किस हद तक जाना है। पदार्थ आप के लिए है, आप पदार्थ Read More …

“The light of love”, Evening before Diwali Puja Lecco (Italy)

“प्रेम का प्रकाश”कोमो झील (इटली), 24 ऑक्टुबर 1987। [मंत्र उच्चारण के बाद।]परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें।और लक्ष्मी की, समस्त अष्ट लक्ष्मी की कृपा आप पर हो। परमात्मा आपका भला करें। आज हम यहां दीपावली का एक बड़ा उत्सव मनाने के लिए आए हैं, जिसका अर्थ है रोशनी की पंक्तियाँ, या प्रकाश का त्योहार। यह श्री राम के राज्याभिषेक का जश्न मनाने के लिए भी था, यानी प्रतीकात्मक रूप से एक ऐसे राज्य की स्थापना का जश्न मनाने के लिए जिसमें एक कल्याकारी प्रशासन हो।आज मैं आप सभी को यहां अपने सामने बैठी रोशनी के रूप में पाती हूं और इन रोशनीयों के साथ मुझे लगता है कि दीपावली वास्तव में मनाई गई है; मैं उन आँखों की दमकते हुए, तुम्हारे भीतर स्थित उस प्रकाश को उनआँखो में टीमटिमाते हुए देखती हूँ। रोशनी देने वाले दीये में हमें घी जैसी कोई स्निग्ध चीज डालनी है; जो बहुत ही सौम्य और कोमल चीज है, यह हमारे दिल का प्यार है। और वह दूसरों को प्रेम का यह सुखदायक प्रकाश देने के लिए जलता है।ऐसा व्यक्ति जिसके पास प्रेम का यह प्रकाश है, वह स्वयं से भी प्रेम करता है और दूसरों के प्रति प्रेम का संचार करता है। मैं सुन रही थी कि जिस तरह से लोग संत बनने के लिए खुद को प्रताड़ित करते थे। सहजयोगियों को स्वयं को प्रताड़ित करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। लेकिन उच्च गुणवत्ता का प्रकाश बनने के लिए उन्हें प्रेम से परिपूर्ण होना पड़ता है और यह प्रेम उन्हें मिलता कहां से है? आप Read More …

Guru Puja: Sankhya & Yoga Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

                                                     गुरु पूजा शुडी कैंप (यूके), 12 जुलाई 1987 आज, यह एक महान दिन है कि आप यहां विश्व के हृदय के दायरे में अपने गुरु की पूजा करने के लिए हैं। अगर ऐसा हम हमारे हृदय में कर सकें तब, इसके अलावा हमें कुछ भी और करने की आवश्यकता नहीं होगी। आज, मुझे यह भी लगता है कि, मुझे आपको सहज योग और उसके मूल्य के बारे में बताना होगा, जो अन्य योगों से संबंधित है जो पूरे विश्व में पुराने दिनों में स्वीकार किए जाते थे। उन्होंने इसे कहा, एक, ‘योग’, ना कि सहज योग, ‘योग’। इसकी शुरुआत ‘अष्टांग ’के विभिन्न प्रकार के अभ्यासों से हुई है [संस्कृत / हिंदी का अर्थ है आठ चरण / भाग’] योगासन – आठ स्तरीय योग – एक गुरु के साथ। और एक साधक को बहुत कष्टों से गुजरना होता था । किसी भी विवाहित को उस अष्टांग योग में अनुमति नहीं दी गई थी, और उन्हें अपने परिवारों को छोड़ना पड़ा, अपने रिश्तों को छोड़ना पड़ा।  गुरु के पास जाने के लिए उन्हें बिलकुल बिना किसी लगाव वाला बनना पड़ा। उनका सारा सामान, उनकी सारी संपत्ति त्याग दी गई। लेकिन गुरु को नहीं दे दी गई जैसा कि आधुनिक समय में किया जा रहा है, बस त्याग दिया गया। और इसी को योग कहा गया। दूसरी शैली को सांख्य कहा जाता था। सांख्य है, जहां आपका सारा जीवन आपको निर्लिप्तता के साथ चीजों को इकट्ठा करना है, और फिर उन्हें पूरी तरह से वितरित कर के और एक गुरु के शरण में Read More …

Shri Ganesha Puja: First understand vibrations clearly Auckland (New Zealand)

“पहले वायब्रेशन को स्पष्ट रूप से समझें,” श्री गणेश पूजा, ऑकलैंड (न्यूजीलैंड), 16 मई 1987 लेकिन उनमें से कुछ बहुत अच्छे हैं और उनमें से कुछ बहुत भले, सौम्य लोग हैं। योगी : महाराष्ट्र में जनजातियां अब बहुत अच्छी हो गई हैं. बहुत अच्छा। माता: (मराठी) योगी: कुछ पहाड़ियाँ महाराष्ट्र में अमरावती के पास हैं। लेकिन यह जुड़ा हुआ है। अमरावती, वाशी. मां : पान मराठी बोलत ते लोग? (मराठी: लेकिन क्या वे लोग मराठी बोलते हैं?) योगी: नहीं टेंचे लोगन नहीं बोलते। (मराठी: नहीं, वे लोग नहीं बोलते।) मां: हो? (सचमुच?) योगी: जस्ता मराठी। (केवल मराठी।) मां : अनी माओरी ची भाषा? (मराठी: और माओरी भाषा?) योगी: माओरी की भाषा क्या है? योगिनी: ठीक है, हम इसे माओरी कहते हैं। मां : मेरे पास इन माओरी लोगों की डिक्शनरी है. फिर हम इसकी सहायता लेंगे। हम यहां से एक डिक्शनरी लेंगे। यह एक शब्दकोश है, यह देखने के लिए कि क्या वे वही बोलते हैं। योगिनी: एफ्रोम, वह आंध्र प्रदेश में काम कर रहा है। माता : एफ्रोम ? क्या वह माओरी लोगों पर काम कर रहा है? योगिनी: नहीं, उसने नहीं किया। मां: तुम पता करो, तब हम उसे यह संबंध बता सकते हैं। योगी : माओरी में कुछ ऐसे शब्द हैं, माँ, जो संस्कृत के शब्दों से बहुत मिलते-जुलते हैं। माँ: मैं माफ़ी माँगती हूँ? योगी: माओरी में कुछ ऐसे शब्द हैं, जो संस्कृत के शब्दों के समान हैं। मां: भारतीयों के समान? वह कह रहा है कि वास्तव में, महाराष्ट्र में ‘माओरी’ नामक एक जनजाति है। Read More …

Address to Sahaja Yogis, The need to go deeper Sydney (Australia)

(सहजयोगियों से बातचीत, प्रश्नोत्तर, बरवुड, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 6 मई, 1987) आज मैंने आपकी उन सभी समस्याओं को सोख लिया है जो कैनबरा में थीं और बाद में उस कॉफ्रेंस में थीं और उसके बाद यहां पर भी थीं। ये सभी समस्यायें मेरे चित्त में आती हैं और मैं उन पर वर्क करने का प्रयास कर रहीं थी। मेरी वर्क करने की शैली एकदम अलग है क्योंकि मेरा यंत्र अत्यंत तीक्ष्ण और प्रभावशाली है। लेकिन इसके लिये मुझे इस पर अपना चित्त डालना पड़ता है और कभी कभी मुझे थोड़ा-बहुत कष्ट भी उठाना पड़ता है लेकिन कोई बात नहीं। आपके लिये भी यह महत्वपूर्ण है कि आप भी इन गहन भावनाओं को…. गहन संवेदनाओं को अपने अंदर विकसित होने दीजिये। लेकिन अधिकांशतया लोग अत्यंत बनावटी हैं। वे केवल अपने शरीर, अपने इंप्रेशन और वे किस प्रकार से स्वयं को लोगों के सामने पेश करते हैं ….इन्हीं बातों के विषय में सोचते हैं। ज्यादा से ज्यादा वे सोचते हैं कि हमें कानूनी तौर पर सजग होना चाहिये …. या हमें शराब नहीं पीनी चाहिये… सिगरेट नहीं पीनी चाहिये। वे सोचते हैं कि यदि हमने ये सब प्राप्त कर लिया तो हमने सब कुछ प्राप्त कर लिया। लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता है। दूसरी बात ये है कि हम सोचते हैं कि यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं … यदि हम माँ से प्रेम करते हैं तो हमने सब कुछ प्राप्त कर लिया है। ये भी सच नहीं है क्योकि मेरे प्रति आपका प्रेम अगाध है इसमें कोई संदेह नहीं है Read More …

Sahasrara Puja: The Ghost of Materialism Thredbo (Australia)

1987-0503 सहस्रार पूजा – “भौतिकवाद का भूत”, थ्रेडबो (औस्ट्रेलिया) आज एक बहुत महान दिन है सभी सहज योगियों के लिए। बहुत समय पहले मैंने इच्छा की थी कि सहस्रार को खोला जाना चाहिए। परंतु सही समय के लिए प्रतीक्षा कर रही थी। सही समय पर इसको करना महत्वपूर्ण था। एक लड़के ने औरंगाबाद में, काफ़ी युवा था, मुझसे एक प्रश्न पूछा, “माँ, यह ब्रह्मचैतन्य की सर्वव्यापी शक्ति हमारी इंद्रियों से परे है, आप इसे इंद्रियों द्वारा अनुभव नहीं कर सकते। ऐसा कैसे है कि अब हम इसे अपनी इंद्रियों के द्वारा अनुभव कर पा रहे हैं। यह प्रश्न उसने पूछा और मैं आपसे यही प्रश्न पूछती हूँ। इससे पहले जिन लोगों को साक्षात्कार प्राप्त हुआ था वह इसके बारे में ऐसे बात नहीं कर पाए, जैसे आप लोगों को बताते हैं, कि आप इसे अपनी इंद्रियों पर महसूस कर सकते हैं। वे समझा नहीं पाए, वे इसको अनुभव के रूप में नहीं  प्रकट कर पाए। उन्होंने बस इतना किया कि शब्दों में उन्हें बताया, शब्द जो किसी चीज़ के बारे में बता रहे थे, जैसे आम का स्वाद। जब तक आप आम को खाएंगे नहीं तब तक आपको कैसे उसका स्वाद पता चलेगा। केवल यह जान कर कि यह बहुत अच्छा है, यह महान है, यह बढ़िया है, फिर भी आपने उस आम को चखा नहीं। तो अब क्या हो गया है, यह प्रश्न था। दूसरी चीज़ यह थी कि लोग इतने परेशान हो गए थे, जैसे ज्ञानेश्वर, 21 साल की उम्र में उन्होंने समाधि ले ली। वे एक कमरे Read More …

Devi Puja: Commitment and Dedication Paithan (भारत)

“प्रतिबद्धता और समर्पण”।पैठण, महाराष्ट्र, (भारत), 11 जनवरी 1987। आपने इस जगह के चैतन्य को महसूस किया होगा: वे जबरदस्त हैं। और इतने वर्षों के बाद हमारा यहां आना हुआ, यह वास्तव में बहुत आश्चर्य की बात है। इस स्थान का मेरे साथ बहुत गहरा संबंध है, क्योंकि मेरे पूर्वजों ने इस स्थान पर शासन किया था। और यह शालिवाहनों की राजधानी थी। इसे ‘प्रतिष्ठान’ कहा जाता है, लेकिन फिर उन्होंने आसान भाषा मे “पैठन” बना दिया। यहां हजारों वर्षों से शासक थे और उन्होंने ही इस शालिवाहन वंश की शुरुआत की थी। असल में उन्होंने खुद को ‘सातवाहन’ [जिसका अर्थ है ‘सात वाहन’ कहा। वे सात चक्रों के सात वाहनों का प्रतिनिधित्व करते थे। यह आश्चर्यजनक है कि कैसे सहज। उसके बाद एक महान कवि हुए, जैसा कि आप उनके बारे में जानते हैं – ज्ञानेश्वर। वे यहां आए थे और उनका जन्म इस जगह के बहुत करीब हुआ था। वह यहां काफी समय से थे। और एक व्यक्ति था, जो एक अति-चेतन व्यक्ति था, जिसने उन्हे चुनौती दी थी। उसका नाम चांगदेव था। तो उसने कहा कि, “तुम्हारे पास तुम्हारे पास क्या है जो यह प्रदर्शित करे कि तुम्हारे साथ ईश्वर है?” और उसके साथ एक नर भैंसा था जो बस सड़क पर चल रहा था और ज्ञानेश्वर ने उस भैंस के द्वारा वेद मंत्र पाठ करवाया। और इस चांगदेव ने कुछ चालबाज़ी दिखाने की कोशिश की। और ज्ञानेश्वर अपने भाइयों और बहनों के साथ एक टूटी हुई दीवार पर बैठे थे और उन सभी के साथ दीवार को Read More …

Diwali Puja पुणे (भारत)

Diwali Puja 1st November 1986 Date : Place Pune Type Puja Speech Language Hindi दिवाली के शुभ अवसर पे हम लोग यहाँ पुण्यपट्टणम में पधारे हैं। न जाने कितने वर्षों से अपने देश में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन जब से सहजयोग शुरू हुआ है, दिवाली की जो दीपावली है वो शुरू हो गयी । दिवाली में जो दीप जलायें जाते थे , वो थोड़ी देर में जाते हैं। बुझ फिर अगले साल दूसरे दीप खरीद के उस में तेल डाल कर, उस में बाती लगा कर दीपावली मनायी जाती थी। इस प्रकार हर साल नये नये दीप लाये जाते थे। दीप की विशेषता ये होती थी, कि पहले उसे पानी में डाल के पूरी तरह से भिगो लिया जाता था| फिर सुखा लिया जाता था। जिससे दीप जो है तेल पूरा न पी ले और काफ़ी देर तक वो जले। लेकिन जब से सहजयोग शुरू हुआ है तब से हम लोग हृदय की दिवाली मना रहे है। हृदय हमारा दीप है। हृदय में बाती है, शांत है और उसमें प्रेम का तेल डाल कर के और हम लोग दीप जलाते हैं। इस तेल को डालने से पहले इस हृदय में जो कुछ भी खराबियाँ हैं उसे हम पूरी तरह से साफ़ धो कर के सुसज्जित कर लेते है। ये प्रेम हृदय में जब स्थित हो जाता है, तब उसको हृदय पूरी तरह से अपने अन्दर शोषण नहीं कर लेता। जैसे पहले कोई आपको प्रेम देता है, माँ देती है प्रेम, पिताजी देते हैं प्रेम और भी लोग Read More …

Navaratri, Shri Gauri Puja पुणे (भारत)

Shri Gauri Puja 5th October 1986 Date : Place Pune Type Puja Speech Language Hindi & Marathi पूना शहर का नाम वेदों में, पूराणों में सब जगह मशहूर है । इस को पुण्यपट्टणम कहते है। पुण्यपट्टणम और इस जगह जो नदी बहती है उसका नाम है मूल नदी | जो यहाँ से मूल बहता है, ऐसी ये नदी | यहाँ पर हजारों वर्षों से बह रही है और इस भूमी को पूरण्यवान बना रही है। हम लोगों को पुण्य के बारे में पूरी तरह से मालूमात नहीं है । बहुत से लोग सोचते है अगर हम गरीबों को कुछ दान दे दें या कोई चीज़ किसी को बाँट दें या कभी हम सच बोले या थोडी बहुत कुछ अच्छाई कर लें तो हमारे अन्दर पुण्य समा जाता है। इस तरह का पुण्य संचय होता तो होगा लेकिन वो एक बुँद, बुँद, बुँद बनकर के न जाने कब सरोवर हो सकता है। पुण्य का जो अर्थ है, उसको जैसा जाना गया है कि ऐसे कार्य करना कि जिसे परमात्मा संतोषित हो, जिसे परमात्मा खुष हो ऐसे कार्य हमें करने चाहिए । और जो आदमी ऐसे कार्य करता है वही पुण्यवान आत्मा होता है क्योंकि जब वो परमात्मा को खुष कर देता है, उस पर जो आशीर्वाद परमात्मा के आते है वो उसको पुण्यवान बना देते है। परमात्मा की शक्तियाँ उसके अन्दर आ जाती है वो उसके अन्दर एक नयीं चेतना कहिए या नया व्यक्तित्व कहिए, एक नयी हैसियत कहिए प्रगट करती है। उस हैसियत में मनुष्य ऐसा हो जाता है कि Read More …

Press Conference: The time has come to become the Spirit Vienna (Austria)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी, पत्रकार सम्मेलन, वियना, ऑस्ट्रिया, 7 जुलाई, 1986 सहज योगी: क्या समाचार पत्रों से आए लोग कृपया आगे आना चाहेंगे? आगे आ जाइए क्योंकि श्री माताजी से प्रश्न करना आसान रहेगा। श्री माताजी: हां, यह बेहतर होगा अगर आप आगे बैठें। ठीक है!  हम यहां हैं, आप सब अंग्रेजी भाषा जानते हैं, है ना, आप सब लोग जो यहां पत्रकार हैं? अंग्रेजी? ठीक है! हम यहां आप को एक शक्ति के बारे में सूचित करने आए हैं जो हमारे अंदर है। शक्ति जो आप को वो दे सकती है, जिसका आश्वासन सभी संतों, शास्त्रों और सभी अवतरणों ने दिया था।  आज जब आप हर देश में युवाओं को देखते हैं, विशेषकर परदेस में, तो आपको पता चलेगा कि वे अपने वातावरण और अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं, और उन्हें लगता है कि किसी वस्तु की कमी है, और वह बहुत ही ज्यादा भ्रमित हैं। अब जब वो भ्रमित हैं, तो वे कुछ खोज रहे है, कुछ परे, कुछ जो उनके लिए अज्ञात है। इस खोज में वे किसी भी हद तक जा सकते हैं, मादक   पदार्थ, मदिरा का अत्यधिक सेवन हो सकता है, या कोई अन्य विकृतियां जिन के कारण भयानक रोग, असाध्य रोग होते हैं। उनकी भर्त्सना करने के बजाय हमें ये देखना होगा, कि वे ये सब हरकते क्यों कर रहे हैं! उनका उद्देश्य क्या है? उन में कुछ, कुछ गुरुओं के पास भी गए जो बाजार में हैं। विशेषकर जब वे धार्मिक लोगों और धर्मों को देखते हैं, वो विश्वास Read More …

Mahalakshmi Puja: The Importance of Puja Madrid (Spain)

महालक्ष्मी पूजा, पूजा का महत्व,मैड्रिड (स्पेन), 24 मई 1986। [श्री माताजी उस कमरे में पहुँचते हैं जहाँ पूजा होगी। योगी सहस्रार मंत्रों का पाठ करते हैं] कृपया बैठ जाएँ। आज मैं आपको बताऊंगी पूजा का महत्व। [स्पेनिश अनुवादक के लिए: “आप इसे ले सकते हैं” (माइक्रोफ़ोन)] शुरुआती ईसाइयों में भी, वे मूर्तियों की पूजा करते थे, हो सकता है, या शायद तस्वीरें, या, हम कह सकते हैं, माता और मसीह की चित्रीत की हुई ग्लास प्रतियां। लेकिन बाद में लोग ज्यादा समझदार होने लगे और वे समझ नहीं पाये कि पूजा का महत्व क्या है। और जब वे इसे समझा नहीं सके, तो उन्होंने उस नियमित तरीके से पूजा करना छोड़ दिया। ईसा से पहले भी, उनके पास एक विशेष प्रकार का तम्बू हुआ करता था, जिसे मापा जाता था और विशेष रूप से बनाया जाता था और याहोवा की पूजा के लिए एक पूजा स्थान बनाया जाता था – जिसे वे याहोवा कहते हैं उसकी पूजा करने के लिए। अब हमारे सहज योग में यह यहोवा सदाशिव है, और माता मरियम महालक्ष्मी हैं। वह पहले भी अवतार लेती थी। उन्होंने सीता के रूप में अवतार लिया, और फिर उन्होंने राधा के रूप में अवतार लिया, और फिर उन्होंने मदर मैरी के रूप में अवतार लिया। अब देवी महात्म्यं नामक पुस्तक में ईसा के जन्म के बारे में स्पष्ट लिखा है। वे राधा के पुत्र थे। राधा महालक्ष्मी हैं, इसलिए उनका जन्म दूसरी अवस्था में हुआ, एक अंडे के रूप में, और आधा अंडा श्री गणेश के रूप में रहा Read More …

Devi Puja: The sincerity is the most important Dourdan (France)

देवी पूजा, फ्रेंच सेमिनार। डोरडन (फ्रांस), 18 मई 1986। आज हम यहां इस खूबसूरत जगह पर कुछ बहुत गहन काम करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती है, जो इतिहास में हैं, और कुछ चीजें वातावरण में हैं, वे हमें बहुत प्रभावित करती हैं क्योंकि हम पांच तत्वों की उपज हैं, जिनमें से पृथ्वी मां हमारे भीतर बाईं ओर है। धरती माता अपने वातावरण को बदलती है, अपनी पहाड़ियाँ और डलियाँ, नदियाँ, उन्हें इस तरह बनाती हैं कि यह उनके स्वभाव को विविधता प्रदान करती है। अब ईश्वर ने एक ही दुनिया बनाई है, उसने कई दुनिया नहीं बनाई हैं, उसने एक ही दुनिया बनाई है, यह दुनिया बॅस अकेले यहां इंसानों की रचना की गई है। तो, यह सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है, आप एसा कह सकते हैं, जोपरमात्मा के ध्यान में रहा है। तो, संपूर्ण ब्रह्मांड इस ग्रह के कल्याण के लिए काम करता है, और उस ब्रह्मांड के कार्य ने इस पृथ्वी को बनाया है, और फिर मनुष्य को, और फिर सहजयोगियों को तो, सहजयोगी रचनात्मक शक्तियों का साकार स्वरुप हैं, वे ईश्वर की इच्छा की अभिव्यक्ति हैं, यही उन्होंने चाहा, इसलिए उन्होंने इस ब्रह्मांड, इस ब्रह्मांड और इस पृथ्वी की रचना की। तो अब उनकी इच्छा पूरी होती है जब वे सहजयोगियों के माध्यम से बीज प्रतिबिम्बित होते देखते हैं। लेकिन अभी भी कुछ चीजें हैं जो हमें अपने भीतर स्पष्ट करनी हैं।हमारे भीतर महाकाली शक्ति उनकी इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है। अब हमें यह देखना Read More …

Sahasrara Puja: Consciousness and Evolution Alpe Motta (Italy)

१९८६ -०५-०४ , सहस्त्रार पूजा, इटली, चैतन्य और उत्क्रांति  आज हम सब के लिए एक महान दिवस है, क्योंकि यह सोलवां सहस्त्रार दिवस है। जैसे कि सोलह ताल या सोलह हरकत में आप कविता के एक उच्च स्तर पर पहुँच जाते हैं। क्यों कि इस प्रकार से यह पूर्ण हो जाता है।  जैसे श्री कृष्ण को भी एक पूर्ण अवतरण कहा जाता है, क्योंकि उनकी सोलह पंखुड़ियां होती हैं। इस परिपूर्णता को “पूर्ण” कहते हैं।  तो अब हम एक और आयाम पर पहुंच गए। पहला वह था जहाँ आपने आत्म साक्षात्कार प्राप्त किया।   उत्क्रांति की प्रक्रिया में यदि आप देखें, पशु अनेक चीज़ों के प्रति सचेत नहीं हैं, जिन में मानव सचेत है। जैसे कि तत्त्वों का प्रयोग पशु अपने लिए नहीं कर सकते हैं। और वह अपने प्रति बिलकुल भी सचेत नहीं हैं। यदि आप उन्हें आईना दिखाएँ तो वह ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं करते जैसे वह स्वयं उसमें हों, मेरे विचार से, “चिम्पांज़ियों“ को छोड़कर। इसका अर्थ है कि हम कुछ हद तक उनके जैसे हैं ! तो जब हम मनुष्य बन गए, हमने अनेक विषयों के संदर्भ में चेतना प्राप्त की, जिनके प्रति पशु सचेत नहीं थे। तो उनके मस्तिष्क में यह समझ नहीं थी कि वह तत्त्वों का उपयोग अपने लिए कर सकते हैं।     मनुष्य होते हुए भी आपको अपने भीतर स्थित चक्रों के विषय में ज्ञान नहीं था। तो आपकी चेतना कार्यरत हो कर, चक्रों के अचेतन कार्य और मस्तिष्क के सचेतन कार्य के आधे रास्ते तक पहुँची। और आप ने  कभी भी अपनी “स्वायत्त Read More …