Diwali Puja: Sahaj Yog ki shuruvaat (भारत)

Diwali Puja – Sahajayog Ki Shuruvat Date 29th October 1995 : Place Nargol Puja Type Speech Language Hindi ये तो हमने सोचा भी नहीं था इस नारगोल में २५ साल बाद इतने सहजयोगी एकत्रित होंगे। जब हम यहाँ आये थे तो ये विचार नहीं था कि इस वक्त सहस्रार खोला जाए। सोच रहे थे कि अभी देखा जाय कि मनुष्य की क्या स्थिति है। मनुष्य अभी भी उस स्थिति पे नहीं पहुँचा जहाँ वो आत्मसाक्षात्कार को समझें। हालांकि इस देश में साक्षात्कार की बात अनेक साधू-संतों ने सिद्धों ने की है और इसका ज्ञान महाराष्ट्र में तो बहुत ज़्यादा है। कारण यहाँ जो मध्यमार्गी थे जिन्हें नाथ पंथी कहते हैं, कि नाथ लोग उन लोगों ने आत्मकल्याण के लिए एक ही मार्ग बताया था; आत्मबोध का। खुद को जाने बगैर आप कोई भी चीज़ प्राप्त नहीं कर सकते हो, ये मैं भी जानती थी। लेकिन उस वक्त जो मैंने मनुष्य की स्थिति देखी वो बहुत विचित्र सी थी। कि वो जिन लोगों के पीछे में भागते थे उनमें कोई सत्यता नहीं। उनके पास सिवाय पैसे कमाने के और कोई लक्ष्य नहीं था। और जब मनुष्य की स्थिति ऐसी होती है कि जहाँ वो सत्य को बिल्कुल ही नहीं पहचानता उसे सत्य की बात कहना बहुत कठिन है और लोग मेरी बात क्यों सुनेंगे? बार-बार मुझे लगता था कि अभी और भी मानव को बड़ना चाहिए। किन्तु मैंने देखा कि कलयुग की बड़ी घोर यातनायें लोग भोग रहे हैं। एक तो पूर्वजन्म में जिन्होंने अच्छे कर्म किये थे, उन लोगों को Read More …

Devi Shakti Puja New York City (United States)

श्री देवी शक्ति पूजा, न्यूयॉर्क, 8 अक्टूबर 1995 रूस और पूर्वी ब्लॉक के देशों में मैंने (श्रीमाताजी) केवल चार वर्षों से ही कार्य करना प्रारंभ किया है और आप देखिये वे लोग किस तरह से सहजयोग के प्रति स्वयं को ज़िम्मेदार समझने लगे हैं। रूस में सहजयोग साइबेरिया तक फैल चुका है और साइबेरिया के लोग मात्र अपने व अपने आश्रम के लिये ही नहीं जीते। उनके यहां एक स्थान है नोवाशिवी जहां काफी संख्या में वैज्ञानिक रहा करते हैं क्योंकि ज़ारों और बाद में कम्यूनिस्टों ने कई वैज्ञानिकों को अपने यहां से निष्काषित कर दिया था और उसके बाद ये लोग यहां पर आ बसे। यहां पर रहते हुये इन लोगों ने खोजना प्रारंभ किया कि वास्तव में आध्यात्मिकता क्या है? किस तरह से हम आध्यात्मिक बन सकते हैं? उनमें सामान्य लोगों की तरह से न तो कोई लड़ाई था और न कोई झगड़ा और न कोई मूर्खता पूर्ण बातें थीं… न ही किसी प्रकार का प्रभुत्ववाद और न अहं आदि था। मैं वहां अभी-अभी एक सप्ताह पहले गई थी। मेरे वापस आने से पहले एक दिन एक वैज्ञानिक मेरे पास आया। उसकी आंखे समुद्र के समान गहरी थीं ….. बहुत सुंदर और वह रूस का एक जाना माना वैज्ञानिक था और काफी बड़े पद पर था। उसने लोगों को मेरे बारे में बहुत अधिक तो नहीं बताया ….. पर वह केवल मुझसे मिलना चाहता था। जब वह मुझसे मिलने आया तो उसने झुक कर मेरा हाथ लेकर चूमा। उसकी आंखों में मुझे प्रेम व श्रद्धा के समुद्र की Read More …

Shri Ganesha Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Ganesha Puja. Cabella Ligure (Italy), 10 September 1995. यदि कोई आपके पास मिलने के लिये आये तो क्या आपको मालूम है कि किस प्रकार से आपको जानबूझ कर अपनी ऊर्जा को उन पर प्रक्षेपित करना है ….. ये एक नई तरह की ध्यान विधि है जिसका अभ्यास आप सबको करना है…. अपनी ऊर्जा को उत्सर्जित करके अन्य लोगों तक पंहुचाना। इसमें आपको किसी से कुछ नहीं कहना है… बातचीत नहीं करनी है लेकिन सोच समझकर और जानबूझ कर इस ऊर्जा का अनुभव करना है …. मैं फिर से कह रही हूं कि जानबूझ कर। यह सहज नहीं है …. नहीं यह स्वतः है। लेकिन इसका आपको अभ्यास करना है। अपने अंदर के श्रीगणेश की अबोधिता की ऊर्जा को अन्य लोगों तक प्रक्षेपित करना है ताकि जब वे आपको देखें तो उनकी स्वयं की अबोधिता जागृत हो जाय। उदा0 के लिये लंदन में हमें कुछ समस्या हो गई थी और सहजयोगियों ने मुझसे कहा कि माँ.. अभी भी कुछ लोग … कुछ पुरूष हमें देखते रहते हैं और कुछ ने कहा कि कुछ महिलायें भी हमें देखती रहती हैं। एक तरह से ये एक आपसी चीज घट रही थी। मैंने उनसे कहा कि आप लोग अपनी ऊर्जा को इस प्रकार से प्रक्षेपित करें कि इन लोगों का इस प्रकार का अभद्र व्यवहार पूर्णतया बंद हो जाय और उनको समझ में आ जाय कि उन्हें आपका आदर करना चाहिये और आपकी गरिमा का भी सम्मान करना चाहिये। ये बहुत कठिन भी नहीं है। इसके विपरीत… जैसी कि आजकल की संस्कृति है Read More …

How to Solve Ecological Problems Centre of Hygiene, Sofia (Bulgaria)

सार्वजनिक कार्यक्रम। सोफिया (बुल्गारिया), 26 जुलाई 1995। मैं आप सभी को नमन करती हूं, जो यह जानने आये हैं कि, मानवता को कैसे बचाया जाए। यह केवल बुल्गारिया की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है। दुनिया भर में हर दिन पर्यावरण की  समस्याओं के बारे में जागरूकता है। लेकिन जो भी साधन अपनाये गए हैं वे हमारी गिरावट को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अब मैं आपको कुछ सच्चाइयों के बारे में बताने जा रही हूँ, जिन्हें यदि हम हासिल करते हैं, तो हम अपनी पर्यावरण की समस्या को बहुत बेहतर तरीके से हल कर सकते हैं। बाह्य रूप से हम समझते हैं कि हमें मशीनरी को कम करना है। औद्योगीकरण, जिस तरह से यह अनुपात से बाहर हो गया है, उसने बहुत सारी समस्याएं पैदा की हैं। यदि हम 50 साल पहले के भारत के बारे में कहें तो हम आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे। तब महात्मा गांधी ने सुझाव दिया, “क्यों न हम हाथ से बनी चीजें, हाथ से बने कपड़े, हाथ से बुने हुए कपड़े, गांवों की हस्तनिर्मित चीजें इस्तेमाल करें।” और इस विचार ने काम किया क्योंकि हम मैनचेस्टर की मशीनरी को रोक सकते थे, जो हमें इंग्लैंड से ये सारे कपड़े बेच रहे थे। पश्चिम में, हाथ से बनी चीजों का उपयोग करने का एक बड़ा आग्रह है, जो कि अधिक महंगी है। मुझे आश्चर्य हुआ कि बुल्गारिया कलाकारों से बहुत अधिक भरा है, बहुत सारे कलाकार हैं, बहुत सुंदर हैं। आप कह सकते हैं, वे न केवल चित्र और पेंटिंग Read More …

Talk to Representatives of ECO-Forum and the Vice-minister of Health Sofia (Bulgaria)

1995-07-24 ईसीओ-फोरम के प्रतिनिधियों और स्वास्थ्यउप-मंत्री से चर्चा [बुल्गारियाई उप-स्वास्थ्य मंत्री बुल्गारियाई में बोल रहे हैं, अंग्रेजी में परिणामी अनुवाद] … सम्पूर्ण मानव जाति के हितों पर निजी हित पूरी तरह हावी है। यही कारण और संदर्भ है कि शांति की समस्याओं पर इको फोरम के नवीनतम सम्मेलनों में हमने संयुक्त राष्ट्र के संगठन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र से पृथ्वी पर जीवन को संरक्षित करने के लिए दुनिया भर की एक कमेटी बनाने का अनुरोध किया। इस संदर्भ में हम श्रीमती श्रीवास्तव का समर्थन पाकर बहुत खुश और संतुष्ट होंगे। इन सिद्धान्तिक मुद्दों के अलावा, मैं इस बात के लिए अपनी खुशी और श्रीमती श्रीवास्तव के प्रति अपने सम्मान को व्यक्त करके प्रसन्न हूं कि वह बुल्गारिया आई और बल्गेरियाई धरती पर हैं और मुझे उम्मीद है कि हम उस वैश्विक मुद्दे के संबंध में सहयोग की व्यवस्था कर सकते हैं। मैं अपने दोस्तों और सहयोगियों के सामने, शांति के लिए इकोफोरम के नेतृत्व को प्रस्तुत करना चाहता हूं: श्री प्रो। अलेक्जेंडर अलेक्जेंड्रोव, वे इकोफोरम के निदेशक मंडल के सदस्य हैं और हाल ही में वह बुल्गारिया के पर्यावरण मंत्री के रूप में नहीं थे, श्री। ट्रिफोनोव – वह शांति के लिए इकोफोरम के मुख्य समन्वयक हैं, श्री मारिनोव इकोफोरम फॉर पीस में खंड संस्कृति के लिए जिम्मेदार हैं। बेशक इकोफोरम बोर्ड में पूरी दुनिया के सदस्य शामिल हैं। इसलिए मैंने केवल बोर्ड के इन सदस्यों का परिचय दिया जो बुल्गारिया में रहते हैं। – उन सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। मैं इस बात पर जोर देना Read More …

Evening Program, Eve of Adi Shakti Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

सहज योगी: हम भाग्यशाली हैं कि, हमें श्री माताजी और सर सीपी का सानिध्य प्राप्त हुआ है। और यहां प्रतिनिधित्व कर रहे स्पेन, बेल्जियम, हॉलैंड और अन्य सभी देशों के सहज योगियों में से केवल आधे लोग , हम यहां आपकी उपस्थिति के लिए अपना आभार व्यक्त करना चाहते हैं और हमारे पास 3 देशों द्वारा तैयार  एक छोटा सा कार्यक्रम है जिसमें नृत्य, और कुछ गाने शामिल हैं, और हम आशा करते हैं कि आप इसे पसंद करेंगे। अन्य सहज योगी : नमस्कार श्री माताजी! नमस्कार सर सीपी, हमारे हृदय से हम सम्मान और जो हर्ष हमें प्राप्त हुआ हैं व्यक्त करना चाहते हैं और श्री माताजी, सर सीपी और इतने सारे देशों के भाइयों और बहनों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं,  यह छोटा सा संगीत कार्यक्रम आज … कार्यक्रम की शुरुआत 3 भागों में डच कला के साथ होगी। एक हिस्सा हॉलैंड से, बेल्जियम से एक, और स्पेन से एक हिस्सा… तो हम पहले डच गीत के साथ शुरू करेंगे और पहला श्री माताजी का स्वागत नृत्य है… [प्रदर्शन शुरू होता है] श्री माताजी: यह महिला डेली वर्मा इतनी एक अद्भुत है, इस तरह का आश्चर्य और यह कितना शानदार  आश्चर्य था … मुझे यह कहते हुए खेद है लेकिन मैंने संगीत और नृत्य का ऐसा संयोजन कभी नहीं देखा है।अली अकबर खां साहब एक बहुत महान गुरु हैं लेकिन मैंने कभी किसी को उनकी प्रतिभा का उपयोग करते नहीं देखा। नृत्य के लिए प्रतिभा। यह बहुत बेहतर है, आप देखिए … कभी-कभी लोग कथक, या किसी भी Read More …

Evening Program Sahasrara Puja and Talk: You have to be politically aware Campus, Cabella Ligure (Italy)

(2:38:00 बजे)  श्री माताजी: ऑस्ट्रियन लोगों ने जो कार्यक्रम पेश किया और फिर, कहना चाहिए कि जर्मन लोगों ने जो कार्यक्रम पेश किया, वह बहुत सुन्दर था क्योंकि जो पहला कार्यक्रम था, वह कुछ क्लासिकल था और जिस प्रकार से उन लोगों ने प्रस्तुति रखी, वह मुझे बहुत ही अच्छी लगी ।पाश्चमात्य संगीत की वो सभी सुंदर धुनें, नि:संदेह बहुत-बहुत सुंदर थीं । लेकिन उसके बाद भी जो नाटक उन्होंने सहजयोग के बारे में प्रस्तुत किया, उसका भी मैंने भरपूर आनंद लिया और यह कि वे जिस तरह से सहजयोग को समझ रहे हैं कि अगर आपका स्वयं पर विश्वास है तो कुछ भी किया जा सकता है, वह बहुत महत्वपूर्ण है । और इस रात्रि हमने जो सारा समय यहां बिताया, वह बहुत ही आनंददायी था । मेरे विचार से सभी बहुत खुश थे और आनंद उठा रहे थे । तो, कल हमारा पूजा का एक कार्यक्रम है । इसलिए, अब अगर संभव हो तो हमें जाकर सो जाना चाहिए । इसके बाद, मुझे पता है कि आप सभी एक दूसरे का मज़ा उठाएंगे, जैसाकि हमेशा होता है, पर उसके बाद कृपया आप सभी निद्रा लें ।  आज का समारोह अति महत्वपूर्ण था – जिस प्रकार से वे झंडे लेकर आए, मैं इतनी आनंदित महसूस कर रही थी । न जाने किस-किस तरह की भावनाएं उठ रही थी, बस मैं बता नहीं सकती कि मैं  उस पर क्या कहूं -इतना बेहतरीन विचार था । कुछ झंडों के बारे में तो मुझे पता भी नहीं है । परन्तु इस संसार Read More …

Easter Puja, Crucify Yourself कोलकाता (भारत)

1995-04-14 ईस्टर पूजा प्रवचन, स्वयं को क्रूसारोपित करें, कलकत्ता, भारत (अंग्रेजी, हिंदी) । [अंग्रेजी में प्रवचन] आज वह दिन है जब हम ईस्टर मना रहे हैं । ईस्टर पूर्णतया प्रतीकात्मक है, केवल ईसा मसीह के लिए नहीं, बल्कि हम सभी के लिए भी। उस में सबसे महत्वपूर्ण दिन पुनरुत्थान का है। ईसा मसीह के पुनरुत्थान में ईसाई धर्म का संदेश है, क्रॉस का नहीं। पुनरुत्थान के माध्यम से  ईसा मसीह ने दिखाया था कि कोई भी व्यक्ति अपने शरीर के साथ पुनर्जीवित हो सकता है और उनके पुनरुत्थान के बिना, हम आज्ञा चक्र को पार नहीं कर सकते थे, इसमें कोई संदेह नहीं है। उनका जीवन बहुत कम था, हम कह सकते हैं मात्र साढ़े तीन वर्ष , वह वहां रहे । वह भारत आए और शालिवाहन से मिले और शालिवाहन ने उनका नाम पूछा । उन्होंने बताया कि उनका नाम ईसा मसीह है । लेकिन उन्होंने कहा, मैं उस देश से आ रहा हूँ, जहां म्लेच्छ, मल–इच्छा । इनमें मल की इच्छा है, मलिन बने रहने की इच्छा है और मैं नहीं जानता कि वहाँ कैसे रहना है । मेरे लिए, यह मेरा देश है । लेकिन शालिवाहन ने कहा कि, आप वापस जाकर अपने लोगों को बचाएं और उन्हें परम निर्मल तत्व प्रदान करें। इसलिए वह वापस चले गए, और जैसा कि है, साढ़े तीन साल के भीतर उन्हें क्रॉस पर चढ़ाया गया था। अपनी  मृत्यु के समय उन्होंने क्षमा के लिए बहुत सारी सुंदर बातें बताई, लेकिन अंततः उन्होंने कहा माँ को निहारें अर्थात आपको मां के Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा दिल्ली मार्च 20, 1995 अपने ही जन्मदिन में क्या कहा जाए? जो उम्मीद नहीं थी वो आप इतने लोग सहजयोग में आज दिल्ली में बैठे हुए हैं, इससे बढ़कर एक माँ के लिए घटित हो गया है। और कौन सा जन्म दिन हो सकता है? आप लोगों ने आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त किया है, ये भी आप का जन्मदिन है। एक महान कार्य के लिए आप लोग तैयार हुए हैं। और ये महान कार्य आज तक कभी हुआ नहीं। उसके आप संचालक हैं । इससे बढ़कर और मेरे लिए क्या सुख का साधन हो सकता है? कभी सोचा भी नहीं था कि अपने जीवन में ही इतने आत्मसाक्षात्कारी जीवों के दर्शन होंगे और इतना अगम्य आनन्द उठाने को मिलेगा। एक वातावरण की विशेषता कहें जिसमें कि आज आप देख रहे हैं कि मनुष्य एक भ्रांति में घूम रहा है। एक तरफ विदेश की ओर नज़र करने पर ये समझ में आता है कि ये लोग एकदम ही भटक गए हैं। वहाँ पर नैतिकता का कोई अर्थ ही नहीं रहा। अनीति के ही रास्ते पर चलना, अग्रसर होना वो बड़ी बहादुरी की चीज़ समझते हैं और सीधे नरक की ओर उनकी गति है। इस गतिमान प्रवृत्ति को रोकना बहुत ही कठिन काम है, लेकिन वहाँ भी ऐसे अनेक हीरे थे जिन्होनें सोचा कि बाहर आएँ। 6. दूसरी तरफ हम जब देखते हैं तो बुरी तरह से कठिन परिस्थितियाँ बनाई गई हैं, मनुष्य के लिए कि आप अपने जीवन को एक कठिन बंधन में बाँध लें कि हम धार्मिक हैं। Read More …

Birthday Felicitations New Delhi (भारत)

Janam Diwas Puja – Prem Tattwa 21st March 1995 Date : Place Delhi : Type Puja Hindi & English Speech Language [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] अपने ही जन्मदिन में क्या कहा जाए? जो उम्मीद नहीं थी वो घटित हो गया है आप इतने लोग आज सहजयांग में दिल्ली में बैठे हुए है, इससे बढ़कर एक माँ के लिए और कौन सा जन्म दिन हो सकता है? आप लोंगों ने पर उसमें भी खुले आम कोई गलत काम करने की हिम्मत नहीं क्योंकि समाज इतना जबरदस्त है कि उसे खींच लेगा। इसलिए जो बात मैं आज आपको बताने वाली हूं वो ये है कि एक अपने देश की संस्कृति इतनी ऊंची जो अब भी मानी जाती है और अब भी अपने यहां लोग नैतिकता का स्तर मानते हैं। ऐसे देश में विचार करना चाहिए कि यहां किसने इतना अधिक कार्य किया। ये की शक्ति ने और इस शक्ति के सहार उसने अपने बाल-बच्चे, अड़रास-पड़ास और सारे समाज की भी धर्म पर स्थापना की। हालांकि अब विदेशी संस्कृति का असर आ रहा है और उससे हो सकता है कि हम लोग भी थोड़े बहुत प्लावित हो सकते हैं। पर अतिशयता में जाना बड़ी कठिन बात है क्योंकि हम लोग जकड़े हुए हैं अपने दंश की परम्पराओं में। अपना देश इतना सौभाग्यशाली है कि यहां पर एक से एक महात्मा हो गए इतने सन्त हो गए, इतने यहाँ पर अवतरण हुए, हिन्दू धर्म में ही नहीं मुसलमानों में भी और आप जानते हैं सिखों में बड़े-बड़े धरमत्मा इस Read More …

Mahashivaratri Puja: How To Get Detached and Ascend Castle Mountain Camp, Wisemans Ferry (Australia)

                                              महाशिवरात्रि पूजा  26 फरवरी 1995, ऑस्ट्रेलिया आज हम यहां सदाशिव की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। वह, जो हमारे भीतर परिलक्षित होता है, वह शिव है, जो शुद्ध आत्मा है। हमारे भीतर यह शुद्ध आत्मा सर्वशक्तिमान, सदाशिव भगवान का प्रतिबिंब है। यह सूरज की तरह है जो पानी में गिरता है और एक स्पष्ट प्रतिबिंब देता है। या फिर यह पत्थर पर गिरता है, यह बिल्कुल भी प्रतिबिंब नहीं देता है। माना की यदि आप के पास दर्पण हो, सूर्य न केवल दर्पण पर गिरेगा, बल्कि इसके प्रकाश को वापस प्रतिबिंबित करेगा। उसी तरह से इंसान में भगवान सर्वशक्तिमान का प्रतिबिंब आपके व्यक्तित्व के अनुसार व्यक्त किया गया है। यदि आपका व्यक्तित्व साफ और स्पष्ट, निर्दोष है, तो प्रतिबिंब दर्पण की तरह हो सकता है। इस प्रकार संत लोग,  सर्वशक्तिमान ईश्वर को उचित तरीके से दर्शाते हैं, इस अर्थ में कि उनकी अपनी पहचान गलत चीजों के साथ नहीं है। जब ऐसी कोई पहचान नहीं होती है और जब कोई व्यक्ति बिलकुल शुद्ध आत्मा होता है, तो परमेश्वर का प्रतिबिंब दूसरों में परिलक्षित होता है। सौभाग्य से आप सभी को अपना आत्म साक्षात्कार मिला है। इसका मतलब है कि सर्वशक्तिमान ईश्वर का प्रतिबिंब पहले से ही आपके चित्त में कार्यरत है। आत्मा की शक्ति से चित्त प्रकाशित होता है। आत्मा की शक्ति यह है कि यह एक प्रतिबिंब है। अर्थात, प्रतिबिंब की पहचान कभी दर्पण से या पानी से नहीं की जाती है। यह तब तक होता है जब तक सूरज चमकता है, और जब कोई सूरज नहीं Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

श्री गणेश पूजा कळवा, ३१ दिसंबर १९९४ अ जि हम लोग श्री गणेश पूजा करेंगे। श्री गणेश की पूजा करना अत्यावश्यक है। क्योंकि उन्हीं की वजह से सारे संसार में पावित्र्य फैला था। आज संसार में जो-जो उपद्रव हम देखते हैं उसका कारण यही है की हमने अभी तक अपने महात्म्य को नहीं पहचाना। और हम लोग ये नहीं जानते की हम इस संसार में किसलिए आये हैं और हम किस कार्य में पड़े हुए है, हमें क्या करना चाहिए? इस चीज़ को समझने के लिए सहजयोग आज संसार में आया हुआ है। जो कुछ भी कलियुग की घोर दशा है उसे आप जानते हैं। मुझे वो बताने की इतनी जरूरत नहीं है। परन्तु हमें जान लेना चाहिए कि मनुष्य जो है धर्म से परावृत्त हो गया है। जैसे कि उसकी जो श्रद्धाऐं थीं वो भी ऊपरी तरह से आ गयी । उसमें आंतरिकता नहीं। वो समझ नहीं पाता है कि श्री गणेश को मानना माने क्या? अपने जीवन में क्या चीज़ें होनी चाहिए। लेकिन ये बड़ा मुश्किल है। कितना भी समझाईये, कुछ भी कहिये लेकिन मनुष्य नहीं समझ पाता है कि श्री गणेश को किस तरह से हम लोग मान सकते हैं। गर वो एक तरफ श्री गणेश की एक आशीर्वाद से प्लावित है, नरिष्ठ है कि वो बड़े पवित्र है। वो सोचते हैं। ऐसी बात नहीं। अगर आप बहुत इमानदार आदमी है तो ठीक है। लेकिन नैतिकता में आप कम है तो गलत है। अगर आप संसार के जो कुछ भी प्रश्न है उसकी ओर ध्यान नहीं देते Read More …

Shri Rajalakshmi Puja New Delhi (भारत)

4-12-1994 Shri Rajlaxmi Puja, Delhi आज हम राजलक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं, मतलब वह देवी जो राजाओं पर शासन करती है। आज यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि मूल रूप से कुछ गलत हो रहा है हमारी राजनीतिक व्यवस्थाओं की  कार्यप्रणाली में और क्यों लोगों ने अपनी न्याय, निष्पक्ष व्यवहार और परोपकार की भावना को खो दिया है। हम कहाँ गलत हो गए हैं कि ये सब खो रहा है? ये केवल भारत में नहीं, ये केवल जापान या इंग्लैंड में नहीं या किसी अन्य स्थान पर, जहाँ हमें लगता है कि लोकतंत्र है। सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी देशों ने, यहां तक ​​कि जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता पायी है, उन देशों का अनुसरण करना शुरू किया जो बहुत ही उच्च और पराक्रमी और बहुत शक्तिशाली माने जाते थे जैसे कि अमरीका, जैसे कि रूस, जैसे कि चीन, इंग्लैंड – सोचे समझे बिना कि वे अपने उस लक्ष्य को पाने में कितना सफल हुए हैं जो उन्हें प्राप्त करने थे। जैसा भी हो, इंग्लैंड जैसे देश में, आप देखते है यह राज-तंत्र, किस ढंग से यह काम करता है, आश्चर्य चकित कर देता है, बिल्कुल चौंका देता है । जिस तरह से उन्होंने अपने मंत्रियों के प्रति आचरण किया, जैसे क्रॉमवेल, आपको ऐसा लगता है जैसे कोई आदिम लोग कुछ प्रबंधन करने का प्रयत्न कर  रहे हैं। और राजा लोग इतने क्रूर, रानियाँ इतनी क्रूर, इतने चरित्रहीन, इतने अविश्वसनीय। उनमें कोई चरित्र नहीं था राजा और रानी बनने का। अपने राजलक्ष्मी सिद्धांत के प्रति कोई Read More …

Diwali Puja: Lights of Pure Compassion Istanbul (Turkey)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी दिवाली पूजा ‘शुद्ध करुणा का प्रकाश’ इस्तानबुल, तुर्की 5 नवंबर, 1994 आज हम दिवाली मनाने जा रहे हैं, जिसका अर्थ है दीपक की पंक्तियाँ या आप कह सकते हैं दीपकों का समूह। हमें तुर्की में भी अनुवाद करने के लिए किसी की आवश्यकता है। ये ठीक है!   यह दीपावली भारत में अत्यंत प्राचीन काल का पर्व रहा है। मैं अपने पिछले व्याख्यानों में पहले ही बता चुकी हूँ, कि ये पाँच दिन क्या हैं। नरकासुर को मारने के बाद दिवाली मनाई गई जब वो साल की सबसे अंधेरी रात थी। तो अब, यह इस आधुनिक समय में बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि सबसे बुरा वक्त, जहां तक ​​नैतिकता का सवाल है, इस आधुनिक समय में रहा है। हम इसे घोर कलियुग कहते हैं! घोर कलियुग, सब से बुरा आधुनिक समय। जिसका अर्थ है पूर्ण अधंकार। जैसा कि आप अपने चारों ओर देखते हैं, आप पाएंगे कि पूर्ण अंधकार है, जहां तक नैतिकता का प्रश्न है, और इसलिए सभी प्रकार के संकट हैं। इसके वजह से भी बहुत से लोग हैं, जो प्रकाश और सत्य को खोज रहे हैं।  अज्ञानता के काले युग में लोगों को पता नहीं है कि उन्हें क्या करना चाहिए, वे इस धरती पर क्यों हैं! जैसा कि आप बहुत अच्छे से जानते हैं, की हजारों हजारों सच्चे साधक हैं जो इस समय जन्मे हैं। इसीलिए यह कार्य मुझे दिया गया अज्ञान के काले युग में दिवाली बनाने के लिए। यह कार्य सरल नहीं है क्योंकि एक तरफ सच्चाई के खिलाफ काम Read More …

Shri Krishna Puja: Shri Krishna and the Paradoxes of Modern Times & short talk in Marathi Campus, Cabella Ligure (Italy)

  श्री कृष्ण पूजा। कैबेला (इटली), 28 अगस्त 1994 आज हम यहां हैं, श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए। जैसा कि आप जानते हैं कि श्री कृष्ण अवतार हैं, श्री विष्णु के। और श्री विष्णु वह है, जो इस ब्रह्मांड के संरक्षक है। जब इस पूरी दुनिया  को बनाया गया था, तब यह आवश्यक था, एक संरक्षक बनाना भी।  नहीं तो यह दुनिया  नष्ट हो गई होती और पूरी तरह से अगर इस दुनि को,बिना किसी संरक्षक के, अकेला छोड़ दिया जाता तो, जिस प्रकार इंसान की प्रवर्ति हैं, तो शायद वह इस दुनिया को कुछ  भी कर  सकते थे ।   परंतु , इसलिए, विष्णु संरक्षक हैं । वह संरक्षक हैं और केवल वह ही एक अवतार हैं। बेशक, कभी-कभी ब्रह्म देव ने भी अवतार लिया, लेकिन फिर भी उन्होंने केवल रूप धारण किया, हमारी विकास प्रक्रिया में, वो अलग-अलग रूप ले चुके है। वह  (श्री विष्णु ) इस धरती पर आए,अलग-अलग तरीकों से.  लेकिन फिर भी वह जैसा कि आप कहते हैं, बारह – बारह तक श्री राम थे और दस के माध्यम से वह वहाँ थे। इसलिए, उन्होंने खुद के आसपास कई महान पैगम्बरों का एक वातावरण भी बनाया ताकि वे इस ब्रह्माण्ड में धर्म की रक्षा कर सके।  तो, संरक्षण का आधार धर्म था, जो, जैसा कि आप जानते हैं, आध्यात्मिक जीवन की सबसे महत्वपूर्ण, मुलभूत नींव है। और इस धर्म में, जो भी महत्वपूर्ण चीज स्थापित की जानी थी, वह था संतुलन क्योंकि लोगों को किसी भी चीज के चरम में जाने की आदत थी ।  इसलिए, Read More …

Interview (Holland)

मुलाकात – हिंदुस्तान टिव्ही स्टेशन, वरिक्स्त्रात आश्रम, अॅमस्टरडॅम, हॉलंड ३१.७.१९९४ प्रश्नकर्ता :- श्री माताजी, आप छोटे रुपमें अपना परिचय दे सकती है ? श्री माताजी :- परिचय ऐसे की, शालिवाहन का जो खानदान था, उस खानदान के हम है| हमारे पिता और माता दोनोही गांधीजीके परमभक्त थे| और हमारे पिता अपनी कोंन्स्टीटयुएन्ट असेम्बली और उसके बाद पार्लमेंट वगैरा सबके मेम्बर थे| माता भी हमारी ऑनर्स मैथमेटिक्स में थी| और हमारे एक भाई साहब जो है वो अपने कॅबिनेट के मिनिस्टर भी है| लेकिन असल में अध्यात्मिक रूपसे हमारे माता पिता हमें पहचानते थे, की हममें कोई विशेष बात है| और हमारा विवाह हो गया, एक तो हम मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे, लाहोर में, और लाहोर में गड़बड़ी शुरू हो गयी| तो हमारा विवाह हो गया और जिनसे विवाह हुआ वो भी एक बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति है, उनका नाम है डॉ. सी.पि.श्रीवास्तव| बादमे वो जाकरके लंडनमें स्थित एक यु.एन.का, यु.एन.की एक संस्था है जिसको की आय.एम्.ओ. कहते है, ‘इण्टरनॅशनल मेरीटाइम ऑर्गनाइजेशन’ उसके सेक्रेटरी जनरल चुने गये| १३४ नेशन्सने उनको चुना है| वो हमारे पति है| और फिर उन्होंने रिटायरमेंट ले ली| हमारे दो बच्चे है और एक लड़की जो है उसका बिहार में विवाह हुआ है, वो राजेन्द्र बाबुके रिश्तेदार है| प्रश्नकर्ता :- अच्छा| ज्यादातर हम देखते है की, भारतसे आते है योगी, महर्षि लोग, ज्यादातर ये पुरुष है| आप अकेली एक महिला है, आप इस बातको विशेष देखते है भी? श्रीमाताजी :- हां, क्यों की यह कार्य महिला ही कर सकती है| पुरुषोंके बसका नहीं| श्रीराम आये तो वनवास Read More …

Adi Shakti Puja: She is the Mother Campus, Cabella Ligure (Italy)

आज आप सभी ने आदि शक्ति की पूजा करने का निर्णय लिया है। कुंडलिनी शक्ति या आदि कुंडलिनी और आदिशक्ति की पूजा करने में फ़र्क़ है, अंतर इस प्रकार है, एक ओर कुंडलिनी आप में आदि कुंडलिनी के द्वारा प्रतिबिंबित हैं; दूसरी ओर आदि शक्ति की शक्ति है, जो परम चैतन्य हैं तो समग्रता में अगर आप देखे तो इसके दो पहलू हैं। एक है परम चैतन्य के रूप में उसकी शक्ति  और उसके साथ ही मनुष्य में कुंडलिनी के रूप में उसका प्रतिबिंब। तीसरा कार्य जो आदि शक्ति को करना था वह इस पूरे ब्रह्मांड की रचना करना । शुरुआत के लिए जैसा आपने कल भी देखा कि ब्रह्मांड कैसे बनाया गया था  और फिर कैसे धरती माँ के इस विशेष ग्रह को बनाया गया।  अब मैंने आपको एडम (नर) और ईव (मादा) के बारे में जो बताया है, हमने पाया है कि जॉन ने अपनी किताब ज्ञानशास्त्र में भी कहा है।  यह बहुत आश्चर्यजनक है।  मैंने हमेशा आपको बताया है कि ईसा मसीह ने आपको बहुत सी बातें बताई होंगी, लेकिन वे बाइबिल में नहीं हैं। इसलिए यदि आप समझते हैं कि यह आदि शक्ति एक सर्प के रूप में आई हैं, तो आदि कुंडलिनी उसका हिस्सा है, और एडम और ईव से कहा, विशेष रूप से ईव से कि उसे ज्ञान का फल खाने के लिए कहना चाहिए। और इसका कारण जो मैंने दिया वह वहां लिखा है मैंने आपको बिलकुल वही दिया है क्योंकि मातृ शक्ति, नारी शक्ति नहीं चाहती थी कि उसके बच्चे जानवरों की Read More …

Easter Puja: Resurrection Bundilla Scout Camp, Sydney (Australia)

ईस्टर पूजा। सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 अप्रैल 1994। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप यहाँ  बहुत संख्या में आए हैं – और मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा है, न केवल ऑस्ट्रेलिया के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए, क्योंकि इसमें सबसे बड़ा संदेश है जिसे हमने अब सहजयोग में साकार किया है। हमें ईसा मसीह के संदेश को समझना होगा। इस दुनिया में बहुत से लोग हैं जो यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे बहुत महान तर्कवादी हैं और उन्हें कोई  भी टिप्पणी करने का अधिकार है, जो उन्हें ईसा मसीह के बारे में पसंद है। अख़बारों में आज मैं पढ़ रही थी, मुझे आश्चर्य हुआ कि वे सभी एक-एक करके यह कह रहे हैं कि, “मैं ईसा मसीह के इस हिस्से को अस्वीकार करता हूँ कि वे निरंजन गर्भधारण से पैदा हुऐ थे। मैं अस्वीकार करता हूँ  कि वे पुनर्जीवित हो गए । मैं इसे अस्वीकार करता हूँ और मैं उसे अस्वीकार करता हूँ। ” आप हैं कौन? क्योंकि आप लिख सकते हैं, क्योंकि आपके पास एक सूझ है, आप ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं? बस बिना पता लगाए। आप एक विद्वान हैं, हो सकता है कि आप बहुत अच्छी तरह से पढ़े हों, हो सकता है कि आपको लगता है कि आप किसी भी विषय में जो कुछ भी पसंद करते हैं उसे कहने में सक्षम हैं, लेकिन आध्यात्मिकता के विषय को उन लोगों द्वारा नहीं निपटाया जा सकता जो आत्म- साक्षात्कारी भी नहीं हैं। क्योंकि यह एक बहुत ही Read More …

Mahashivaratri Puja, Surrender New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja. Delhi (India), 14 March 1994. It’s a great pleasure that from all over the world people have gathered to worship Shiva. Actually we should say it is Sadashiva that we are going to worship today. As you know the difference between Sadashiva and Shri Shiva. Sadashiva is the God Almighty and He is a witness of the play of the Primordial Mother. The combination between Sadashiva and the Primordial Mother Adi Shakti is just like a moon and the moonlight or the sun or the sunlight. We cannot understand such relationship in human being, among human marriages or among human relationships. So whatever the Adi Shakti’s creating, which is the desire of Sadashiva, is being witnessed by Him. And when He is watching this creation He is witnessing all of it into all details. He witnesses the whole universe and He also witnesses this Mother Earth, all the creation that is done by the Adi Shakti. His power is of witnessing and the power of Adi Shakti is this all pervading power of love. So the God Almighty, the Father, the Primordial Father we can say, expresses His desire, His Iccha Shakti as the Primordial Mother and She expresses Her power as love. So the relationship between the two is extremely understanding, very deep, and whatever She’s creating, if She finds, if He finds there is some problem or there are people, human beings specially who are trying to obstruct Her work, or even the Gods who are Read More …

Talk To Yogis Madras (भारत)

Talk to Sahaja Yogis, Madras 1994-01-17 [Translation in PDF] [Transcript Scanned from Divine Cool Breeze] Today we are lost in the Shabad Jalam We say mantras, we read books, there are Shaivaites and Vaishnavities. All these things to us have been important also because we thought by following these methods, we will achieve our moksha, our last goal. This way I must say that Indians are very alert and basically spiritually minded. They also know what is wrong and what is good. They also know what is dharma and what is not Dharma They will do wrong things. They may take to things which are absolutely against their spiritual life, but in their heart of hearts they all know that this is wrong, but they can’t help it. We have to understand that we are specially blessed by people who were our forefathers who were great seers, saints and incarnations and who gave so much time for the emancipation of our spiritual life. To them material life was not so important. Specially in the South I feel that people are deeply rooted into Dharma. I read about Shalivahana who met Christ once in Kashmir Christ told him that ‘I come from the Country of Malekshas. (Mal-iccha) means desire for filth. Their desire is towards mat not towards purity and I have come here because you people are absolutely Nirmal – Pure. Shalivahan told him ‘Why do you want to come here. You should go and work for those people who Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja. Chindwara (India), 18 December 1993. यहाँ के रहनेवाले लोग और बाहर से आये हुये जो हिन्दुस्थानी लोग यहाँ पर हैं, ये बड़ी मुझे खुशी की बात है, की हमारे रहते हुये भी हमारा जो जन्मस्थान है, उसका इतना माहात्म्य हो रहा है और उसके लिये इतने लोग यहाँ सात देशों से लोग आये हये हैं। तो ये जो आपका छिंदवाडा जो है, एक क्षेत्रस्थान हो जायेगा और यहाँ अनेक लोग आयेंगे , रहेंगे। और ये सब संत -साधु है, संत हो गये और संतों जैसा इनका जीवन है, कहीं विरक्ति है, कहीं ….. ( अस्पष्ट) है। कोई मतलब नहीं इनको। अपने घर में तो बहत रईसी में रहते हैं। यहाँ आ कर के वो किसी चीज़ की माँग नहीं और हर हालत में ये खुश रहते हैं। इसी तरह से सहजयोग के बहुत से योगी लोग आये हये हैं। अलग- अलग जगह से, मद्रास से आये हुये हैं और आप देख रहे हैं कि हैद्राबाद से आये हुये हैं। विशाखापट्टणम इतना दूर, वहाँ से भी लोग आये हुये हैं। बम्बई से आये हुये हैं, पुना से आये हुये हैं। दिल्ली से तो आये ही हैं बहुत सारे और लखनौ से आये हैं। हर जगह से यहाँ लोग आये हैं। पंजाब से भी आये हैं। इस प्रकार अपने देश से भी अनेक जगह | से लोग आये हये हैं। और यहाँ पूजा में सम्मिलित हैं। ये बड़ी अच्छी बात है कि सारा अपना देश एक भाव से एकत्रित हो जायें । बहुत हमारे यहाँ झगड़े और आफ़तें मची Read More …

9th Day of Navaratri, Reintrospect Yourself Campus, Cabella Ligure (Italy)

                      नवरात्रि पूजा कबेला (इटली), 24 अक्टूबर 1993। आज हम यहां देवी की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। देवी के कई रूप हैं, लेकिन वह शक्ति का अवतार हैं। आदि शक्ति इन सभी अवतारों को शक्ति देती है और इसलिए हमारे पास कई देवी हैं। अलग-अलग समय पर वे इस धरती पर आए और जो साधक लोग थे उनके उत्थान के लिए वह सब किया जो आवश्यक था। विशेष रूप से जिसे हम जानते हैं, जगदम्बा, दुर्गा। वह सत्य के सभी साधकों की रक्षा करने और सभी बुरी ताकतों को नष्ट करने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि मनुष्य अपने उत्थान के बिना सत्य को नहीं जान पाते हैं, और इसलिए वे जो कुछ भी करने की कोशिश करते हैं वह एक मानसिक प्रक्षेपण (कल्पना)है, और यह मानसिक प्रक्षेपण, यदि यह सत्य पर, धर्म पर आधारित नहीं होता है, इसका पतन होता है। संस्कृत में इसे ग्लानी कहते हैं। जब यह ग्लानी होती है, तब अवतारों का जन्म होता है-समस्या को हल करने के लिए। देवी के सभी अवतारों के दौरान शैतानी ताकतों का भी बहुत अधिक अवतार हुआ है, उन्होंने अवतार लिया था, और देवी को उनसे युद्ध करके उन्हें नष्ट करना पड़ा था। लेकिन यह विनाश केवल विनाश की ख़ातिर नहीं था कि बुरी ताकतों को नष्ट कर दिया जाए, बल्कि बुरी ताकतें हमेशा साधकों को नीचे गिराने की कोशिश करती हैं, संतों को नीचे गिराने की कोशिश करती हैं, उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करती हैं, कभी-कभी उन्हें नष्ट भी कर देती हैं। ये सभी विनाशकारी Read More …

Guru Puja: Gurus who belong to the collective Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूजा, काबेला लंक (इटली), 04 जुलाई 1993. आज हम गुरु पूजा करने जा रहे हैं। वैसे मैं आपकी गुरु हूं। परंतु मुझे कभी-कभी लगता है कि एक गुरु की धारणा मुझसे अलग है। आम तौर पर, एक गुरु बहुत ही सख्त व्यक्ति होता है और किसी भी प्रकार का धैर्य नहीं रखता है। यहां तक ​​कि, उदाहरण के लिए संगीत: भारत में संगीत सिखाने वाले गुरु हैं; इसलिए, सभी नियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जाना चाहिए। मैं इन महान संगीतकार, रविशंकर के बारे में जानती हूं। हम मैहर गए थे जहां वह आए थे और उनके गुरु, अलाउद्दीन खान साहब मेरे पिता का बहुत सम्मान करते थे। तो, उन्होंने उनसे पूछा, “तुम कुछ क्यों नहीं बजाते?” तब उन्होंने उस समय उन्हें कुछ भी नहीं बताया। तब उन्होंने यहां एक बड़ी सूजन दिखायी। उन्होंने कहा, “सर, क्या आप इसे देख पा रहे हैं?” उन्होंने कहा, “क्या?” “मेरा अपना तानपुरा उन्होंने मेरे सिर पर तोड़ दिया, क्योंकि मैं सुर से थोड़ा बाहर था।” अन्यथा, वह बहुत अच्छे आदमी थे, मेरे विचार में; मैं अलाउद्दीन खान साहब को जानती थी  परंतु जब  यह सीखने की बात आयी, तो यह एक परंपरा है जो मुझे लगता है, कि आपको सभी प्रकार के नियमो को छात्रों के सामने रखना होगा, परंतु फिर भी छात्र गुरु से चिपके रहेंगे। वे हर समय देखभाल करते हैं। वे गुरु के लिए परेशान हैं, उन्हें यह चीज़ चाहिए, वह दौड़ेंगे, यदि वह ऐसा चाहते हैं, तो वह करेंगे। एक गुरु शिष्य की विभिन्न प्रकार से परीक्षाएँ Read More …

Adi Shakti Puja: The Fruit of Knowledge Campus, Cabella Ligure (Italy)

आदिशक्ति पूजा- 1993-06-06 – कबेला, इटली आज हम सभी पूजा करने जा रहे हैं ‘मेरी’ पहली बार ! पूजा सदा रही है मेरे किसी स्वरूप की, या मेरे अंश की। अब, हमें  बहुत स्पष्ट रूप से जानना होगा कि आदि शक्ति क्या है? जैसा कि हम कहते हैं, यह परमेश्वर की शुद्ध इच्छा है, सदाशिव की। परन्तु क्या शुद्ध इच्छा है, सर्वशक्तिमान ईश्वर की ? यदि आप देखें, आपकी अपनी इच्छाओं को उनका स्त्रोत क्या है? दैवीय प्रेम में से नहीं, किन्तु शारीरिक प्रेम में से, भौतिक प्रेम में से, शक्ति के प्रेम में से । इन सभी इच्छाओं के पीछे प्रेम है। यदि आप किसी चीज़ से प्रेम नहीं करते हैं, तो आप उसकी इच्छा नहीं करेंगे। तो ये सांसारिक प्रकार के प्रेम जो आपके पास हैं,जिनके लिए हम अपना बहुत समय गवाँते हैं, व्यर्थ में। वास्तव में वे आपको संतुष्टि नहीं देते हैं।  क्योंकि वह सच्चा प्रेम नहीं है, जो आपके पास है । बस ‘मोह’ है थोड़े से समय के लिए  और फ़िर आप बस इससे तंग आ जाते हैं और यहाँ से आप कूद जाते हैं किसी अन्य चीज़ पर, फ़िर किसी अन्य चीज़ पर, फ़िर किसी अन्य चीज़ पर । तो आदि शक्ति अभिव्यक्ति हैं परमेश्वर के दिव्य प्रेम की । यह परमेश्वर का शुद्ध प्रेम है और उनके प्रेम में, उन्होंने क्या चाहा? उन्होंने चाहा कि वे मनुष्यों का निर्माण करें जो बहुत आज्ञाकारी होंगे, उत्कृष्ट होंगे, स्वर्गदूतों की तरह होंगे। और यह उनका विचार था, आदम और हौवा को बनाने का। तो, स्वर्गदूतों Read More …

Shri Fatima Puja Istanbul, Mövenpick Hotel Istanbul (Turkey)

                                      श्री फातिमा पूजा इस्तांबुल (तुर्की), 18 मई 1993। 00:03:00 (यह सब ठीक है। मुझे आशा है कि आप मुझे हर तरह से सुन सकते हैं, क्या आप थोड़ा आगे आ सकते हैं? शायद।) 00:04:10 आज बहुत खुशी की बात है कि हम सब तुर्की में, फातिमा की पूजा का जश्न मनाने के लिए यहाँ हैं। जैसा कि आप उसके बारे में जानते हैं कि वह मोहम्मद साहब की बेटी थी और अली से शादी की थी, और उसके दो बच्चे थे, हसन और हुसैन, जो अंततः कट्टरपंथियों द्वारा कर्बला में मारे गए थे, जो उस समय खुद को सुन्नी कहते थे। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि वहाँ कट्टरता थी, और कट्टरता जो व्यक्ति को हमेशा विचार देती है कि वे ही सही राह पर हैं और उन्हें किसी दूसरे पक्ष को, किसी अन्य व्यक्ति पर गुस्सा करने ,दबाव डालने , मनाने का हर अधिकार है। और ये कट्टरताएँ लंबे समय से बढ़ी – यह कोई नई बात नहीं है। अब यह स्पष्ट है कि इस दुनिया में हमारी मुख्य समस्या कट्टरता की है। फातिमा ने अपने दो बच्चों को खो दिया, और वह गृह लक्ष्मी का अवतार थी। वह हमारी लेफ्ट नाभी में रहती है। तो तिल्ली से जुड़ी सभी बीमारियों के लिए, आपकी बाईं नाभी से जुड़ी सभी समस्याओं को केवल फातिमा द्वारा ही ठीक किया जा सकता है। इसलिए आपको फातिमा को अपने भीतर जागृत रखना होगा। यह कि हम यहां इस्लामी संस्कृति में हैं, हम कह सकते हैं कि यह इस्लामी संस्कृति का स्थान है; और इस्लामी Read More …

Shri Pallas Athena Puja: You have to be sincere and honest Athens, Sahaja Yoga Center in Athens (Greece)

                            श्री पल्लेस एथेना पूजा  एथेंस (ग्रीस), 26 अप्रैल 1993।  मेरे लिए यह बहुत अच्छा दिन है कि यहां इतने सारे सहज योगी को मिल रही हूँ जो इस देश, ग्रीस से हैं। जब मैं पहली बार ग्रीस आयी थी, मैंने अपने पति से कहा था कि यह देश चैतन्य से भरा है और इस देश में कई विकसित आत्माएं रही हैं, लेकिन शायद लोगों ने अपनी विरासत खो दी है, लेकिन वातावरण में चैतन्य हैं और एक दिन सहज योग यहां बहुत समृद्ध होना चाहिए। और किसी तरह, हम कुछ नौकरशाहों से मिले जो यूनानी थे और उनके साथ अनुभव अच्छा नहीं था और मेरे पति ने कहा कि “अगर आपने कहा कि यूनानी वास्तव में धार्मिक लोग हैं, तो इन लोगों को देखें। वे मेरे लिए क्या कर रहे हैं? मैंने कहा, “वे नौकरशाह हो सकते हैं और सभी जगह  नौकरशाहों के बारे में, आप यह नहीं कह सकते हैं कि वे किस तरह के लोग हो सकते हैं।” लेकिन, कुल मिलाकर, चैतन्य बहुत, बहुत अच्छा था, इसमें कोई संदेह नहीं है, और मैं यहां सभी स्थानों पर गयी, जैसे मैं डेल्फी गयी, मैं एथेना के मंदिर और सब कुछ देखने के लिए वहां गयी। सभी रुचि के स्थानों पर, उन्होंने मुझे विशेष रूप से मेरे लिए, चक्कर लगाया, क्योंकि वह अपने सम्मेलन में व्यस्त थे, इसलिए उन्होंने मुझे हर जगह घुमाया। और हर जगह मुझे लगा – यहां तक कि मैंने जो समुद्र महसूस किया वह बहुत सुंदर था। यह था करीब – मुझे लगता है कि मैं Read More …

Mahashivaratri Puja मुंबई (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 19th February 1993 : Place Mumbai Type Puja Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज यहां पर हम लोग शिवजी की पूजा करने के लिये है कि जिसपे भी दृष्टि पड़ जाए वो ही तर जाता है। जिसके एकत्रित हुए तरफ उनका चित्त चला जाए वो ही तर जाए। कुछ उनको े पूजा एक बहुत विशेष पूजा है क्योकि मानव का अन्तिम लक्ष्य यही है कि वो शिव तत्व को प्राप्त करें। करने की ज़रूरत ही नहीं है ये सब खेल है। जैसे बच्चों शिव तत्व बुद्धि से परे है। उसको बुद्धिध से नहीं जाना जा सकता। के लिए खेल होता है परमात्मा के लिए भी वो सारा एक जब तक आप आत्म-साक्षात्कारी नहीं होते, जब तक आपने खेल है वो देख रहे हैं। उस भोलेपन में एक और चीज नीहित अपने आत्मा को पहचाना नहीं, अपने को जाना नहीं, आप शिव हैं। जो भोला आदमी होता है, सत्यवादी होता है अच्छाई से तत्व को जान नहीं सकते। शिवजी के नाम पर बहुत ज्यादा आडम्ब, अन्धता और अन्धश्रद्धा फैली हुई है। किन्तु जो मनुष्य ले रहा है तब उसको बड़े जोर से क्रोध आता है। उसका आत्म साक्षात्कारी नहीं वो शिवजी को समझ ही नहीं सकता क्रोध बहुत जबरदस्त होता है। चालाक आदमी होगा वो क्रोध क्योंकि उनकी प्रकृति को समझने के लिये सबसे पहले मनुष्य को घुमा देगा, ऐसा बना देगा कि उसकी जो प्रमुख किरणें को उस स्थिति में पहुंचना चाहिए जहां पर सारे ही महान तत्व अपने आप Read More …

Shri Mahalakshmi Puja, The Universal Love (भारत)

30 /12/ 1992  महालक्मी पूजा, सर्वव्यापी प्रेम, कल्वे, भारत  सहज योगियों को ऐसे साधारण सांसारिक लोगों के स्तर तक नहीं गिरना चाहिए। अंत में आपके साथ क्या होगा? जो लोग इस प्रकार की चिंता कर रहे हैं, मैं उन्हें कहूँगी कि वह गहन ध्यान में जाएं, यह समझने के लिए कि आप स्वयं का अपमान कर रहे हैं। आप संत हैं। आप इस बात की चिंता क्यों करें कि आपको कौन सा विमान मिलने वाला है, कौन सा नहीं? यह दर्शाता है कि आपका स्तर बहुत नीचा है – निश्चित रूप से। आप सभी जो चिंतित हैं, आप मेरे संरक्षण में यहां आए हैं, और मेरी सुरक्षा में ही वापस जाएंगे।  आज सुबह मैं ईतनी बीमार हो गई कि मुझे यह विचार आया, आज हम कोई पूजा का आयोजन नहीं करेंगे। आपको यह पता होना चाहिए कि आप सब मेरे अंग प्रत्यंग है। आपको अपने शरीर में स्थान दिया है, और आप आपना आचरण सुधारें !  ऐसे शुभ दिन में हम सभी यहां आए हैं, यह विशेष पूजा करने के लिए। मैं कहूँगी की इसे महालक्ष्मी पूजा कहना चाहिए क्योंकि इसका सम्बन्ध हमारे देश के और सारे संसार के उद्योग से है।  जब तक मनुष्य के सभी प्रयासों को परमात्मा के साथ जोड़ा न जाए, वह अपने उत्तम स्थिति और पद को प्राप्त नहीं कर सकते। इस कारण पश्चिम के देशों में अब हमें समस्याएं आती हैं। तथाकथित अत्यंत समझदार, अति चुस्त, संपन्न और शिक्षित लोग – अब यहाँ हमें आर्थिक मंदी जैसी स्थिति दिखती हैं, क्योंकि उनमें कोई संतुलन Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 1992. I must have said lots of things about Christ before, and how Jesus Christ is related to Shri Radhaji, that he is the incarnation of Shri Ganesha who was the son of the Adi Shakti to begin with but then he was given to Shri Radhaji and Shri Radha created as Mahalaxmi, as Mother Mary this great incarnation of Christ. Now for the western mind it is impossible to understand how there can be a immaculate conception because they have no sense at all, no sensitivity at all to spiritual life. We Indians can understand it, is very easy for Indians to understand because we had Shri Ganesha created that way. We just believe it we don’t doubt these things. Whatever is said about God is not to be doubted with this limited brain, that’s not done in India. But in the west, from the very birth of Christ they have had arguments, arguments, arguments, arguments with this limited brain they had, and the whole religion in the name of Christ is just a perversion, such a horrible things have been said that it’s unbelievable. His purity, his holiness, his auspiciousness is never understood in the west I think. Those who follow Christianity, how can they be so debased in their moral character. they’re all right for their political, their economical you can say, their legal side but their moral sense is absolutely missing. Is very surprising, those who are the followers of Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: Keep your Mahalakshmi principle intact Barcelona, Can Mas-casa de colónies (Spain)

श्री महालक्ष्मी पूजा – अपना महालक्ष्मी तत्व बनाए रखें  बार्सेलोना, कैन मास-कैंप हाउस (स्पेन), सितंबर १२, १९९२  आज हम यहाँ महालक्ष्मी पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। महालक्ष्मी तत्व हमारे अंदर एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। जब देशों में, परिवारों में, या व्यक्तिगत जीवन में, हम देखते हैं – (श्री माताजी ने स्पॅनिश में अनुवाद करने के लिए कहा)… ये महालक्ष्मी तत्व हमारे उत्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। ये तत्व हमारे अंदर है, पर ये तब तक जागृत नही होता जब तक हम एक परिस्थिती को प्राप्त ना कर लें (और) जहाँ हमें लगता है कि हम अब तक अपने जीवन से संतुष्ट नही हैं। जैसे अब  पश्चिमी देशों में अब आप पर लक्ष्मी तत्व की कृपा रही, इस अर्थ में कि समृद्धि है, लोग ठीक हैं, सबके के पास भोजन है, और दैनंदिनी जीवन में सब पर्याप्त है। पर वो देश जो गरीबी से त्रस्त हैं या जिनकी स्थिति बहुत खराब है, जैसे आप कह सकते हैं कि यूगोस्लाविया इन दिनों बहुत बुरी स्थिति में है, या सोमालिया, जो बहुत ही गरीब है, और इनकी कोई आध्यात्मिक पृष्ठभूमि भी नही है – तो उनके लिए इस जीवन का अर्थ केवल किसी तरह से जीवित बचे रहने में ही है। जीवन उनके लिए संकट से भरा हुआ है, और जीवन का अस्तित्व बनाए रखने में भी उन्हें संकट है। पर संपन्न देशों में ऐसा होता है, कि लोगों को यह लगने लगता है कि अब हमारे पास धन है, जीवन की सारी सुविधा है, पर तो भी ये Read More …

1st Day of Navaratri, 10th Position Campus, Cabella Ligure (Italy)

नवरात्रि पूजा कबेला लिगरे (इटली), 27 सितम्बर 1992। आज नवरात्रि का पहला दिन है। और जब मैंने पाया कि बारिश हो रही है और सभी प्रकार की समस्याएं हैं, और विष्णुमाया कुछ सुझाव दे रही थी, तो मैंने जरा कैलेंडर देखा, और आप यह जानकर चकित होंगे कि कैलेंडर में लिखा है कि पांच पैंतालीस तक यह शुभ नहीं है यह अशुभ है। पाँच पैंतालीस के बाद ही उचित शुरूआत होती है, तो ज़रा सोचिए, गणना करके यह कैसे सही था कि पाँच पैंतालीस के बाद ही हमें यह पूजा करनी थी, पाँच पैंतालीस के बाद। यानी इटली में या यूरोप में नवरात्रि का पहला दिन पांच पैंतालीस के बाद शुरू होता है। तो यह कुछ ऐसा है जिस से हमें समझना चाहिए कि चैतन्य सब कुछ कर रहा है, और वह सभी सुझाव दे रहा है; क्योंकि मैंने तो देखा ही नहीं था, जिसे आप तिथि कहते हैं, लेकिन मुझे बस ऐसा लगा, मैंने कहा कि यह हम शाम को रख लेंगे। और जब मैंने ऐसा कहा, मैंने कहा “चलो इसे देखते हैं,” और यही हो गया। हमें कितनी चीज़ें देखनी हैं, कि जो कुछ भी रहस्योद्घाटन तुम्हे हुआ है, तुम उसकी पुष्टि कर सकते हो। उदाहरण के लिए, मैंने बहुत पहले कहा था कि मूलाधार चक्र कार्बन, कार्बन परमाणु से बना है, और यदि आप इसे बाएं से दाएं-नहीं दाएं से बाएं, बाएं ओर देखते हैं तो आपको अन्य कुछ नहीं अपितु स्वास्तिक दिखाई देता है। तो, अब आप बाएं से दाएं देखते हैं, फिर आप ॐ देखते Read More …

Shri Vishnumaya Puja: Stop Feeling Guilty Shawnee on Delaware (United States)

Shri Vishnumaya puja. Shawnee, Pennsylvania (USA), 20 September 1992. आज हमने विष्णुमाया पूजा करने का निर्णय लिया है । इस संदर्भ में,  यह  ज्ञात होना चाहिए  कि यह विष्णुमाया कौन हैं  और  इनका – आप इसे पौराणिक कह सकते हैं,  पर यह एक ऐतिहासिक संबंध है । मैंने आपको बताया है कि अमरीका श्री कृष्ण का देश है और वह कुबेर हैं, साथ ही वह यम भी  हैं । क्योंकि वह कुबेर हैं, लोगों को उनकी संपन्नता मिली है, वो अमीर लोग हैं, उनके पास , कहीं भी और से अधिक धन है, लेकिन अगर आपको  स्मरण नहीं है, कि आपको संतुलन रखना है और यह भी कि श्री कृष्ण की शक्ति महालक्ष्मी की शक्ति है। इसलिए महालक्ष्मी तत्व ऐसा  है कि जहां  खोज महत्वपूर्ण है, विष्णु तत्व वो है जब श्री लक्ष्मी उनकी शक्ति हैं। एक निश्चित सीमा तक लक्ष्मी प्राप्त करने के बाद, फिर आप एक नई जागरूकता या एक नए प्रकार की खोज में कूद पड़ते हैं जो उस आत्मा की खोज  है जहां महालक्ष्मी सिद्धांत शुरू होता है, वह मध्य मार्ग है । यहाँ तक तो, अवश्य ही अमरीका में इसे शुरू कर दिया, महालक्ष्मी तत्व, लेकिन लोगों को नहीं पता था, वो विवेक नहीं था, वो नहीं जानते थे  कि इस खोज में किस मार्ग पर जाना है, और इतने सारे लोग झूठे विज्ञापनों के वादों द्वारा मोहित हो गए, हर प्रकार के दावे, सभी प्रकार के प्रलोभन  और दूसरी चीजों  से, और मैं बहुत समय पहले यहां आयी  थे जहां मुझे पता था कि Read More …

Shri Krishna Puja: Ascending beyond the Vishuddhi, The Viraata State Campus, Cabella Ligure (Italy)

                       श्री कृष्ण पूजा                                                                                                      विशुद्धि से आगे उत्थान,  विराट अवस्था   कबैला लिगरे (इटली), 16 अगस्त 1992। आज हमने श्री कृष्ण की पूजा करने का फैसला किया है। हमने कई बार इस पूजा को किया है और श्री कृष्ण के अवतरण का सार समझा है, जो छह हजार साल पहले था। और अब, उनकी जो अभिव्यक्ति थी, जिसे वह स्थापित करना चाहते थे उसे इस कलियुग में किया जाना था। वैसे भी, यह कलियुग सतयुग के एक नए दायरे में जा रहा है, लेकिन बीच में कृत युग है जहाँ यह ब्रह्मचैतन्य , या हम कह सकते हैं कि ईश्वर के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति, कार्य करने जा रही है। इस समय, श्री कृष्ण की शक्तियों के साथ क्या होने वाला है – यह हमें देखना है। श्री कृष्ण, जैसा कि मैंने आपको बताया, वह कूटनीति के भी अवतार थे। इसलिए वह चारों ओर बहुत सारी भूमिकाएँ निभाते है, और अंततः वह असत्य और झूठ को सामने लाते है; लेकिन ऐसा करने में वह लोगों का आंकलन भी करते है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि श्रीकृष्ण की कूटनीति की शक्तियां इस समय प्रकट होनी थीं, जब यह अंतिम निर्णय है। इसलिए अब हमने पहले जो कुछ भी गलत किया है, जो भी कर्म अज्ञान में किए गए हैं, या शायद जानबूझकर, उन सभी को वापस भुगतान किया जाएगा। उन पुण्यों को जो आपने पिछले जन्मों में या इस जीवन में किया है,  को भी पुरस्कृत किया जाएगा। यह सब श्री कृष्ण के सामूहिकता के सिद्धांतों के माध्यम से किया जाता है, Read More …

Shri Durga Mahakali Puja: France is going down and down Paris (France)

                        श्री दुर्गा महाकाली पूजा पेरिस(फ्रांस)                                                                                                                                  २५ जुलाई १९९२ आज हमने दुर्गा या काली की पूजा की व्यवस्था की है। वह देवी का सभी बुराई और नकारात्मकता का विनाश करने वाला रूप है। यह हमें फ्रांस में करना था, क्योंकि मैं बहुत दृढ़ता से महसूस करती हूं कि, दिन प्रतिदिन सामान्य तौर पर, फ्रांस नीचे और नीचे जा रहा है। जब आप लोग उत्थान पा रहे हैं, तो बाकी फ्रांस सबसे दयनीय स्थिति में है। सबसे पहले, जैसा कि आप समझते हैं, कैथोलिक चर्च है, जिसे – शायद आप जानते नहीं हैं, शायद हो सकता है – क्योंकि आप किसी अन्य भाषा को नहीं पढ़ते हैं, आप सिर्फ इस देश द्वारा अनिवार्य रूप से फ्रेंच पढ़ते हैं। इसलिए आपके पास कोई अंतर्राष्ट्रीय विचार या अंतर्राष्ट्रीय समाचार नहीं है कि इस कैथोलिक चर्च ने अतीत में इतने भयानक काम किए हैं, यह अविश्वसनीय है कि उनका भगवान से कोई लेना देना कुछ भी नहीं है। उन्होंने मन ही मन में कई कार्डिनल्स जलाए – उन्हें भुना। इतना ही नहीं, जिन्होंने भी कभी उनके बारे में एक शब्द भी बोलने की कोशिश की उन्होंने इतने लोगों को मार डाला। Read More …

Shri Vishnumaya Puja Ashram Everbeek, Everbeek (Belgium)

आज एक विशेष अवसर है विष्णुमाया पूजा करने का, क्योंकि उन्होंने घर में आगमन किया,  हमें उनकी पूजा करनी है।   पहले हमें जानना चाहिए कि विष्णुमाया कौन हैं। यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि देवी महामात्य में उन्हें सिर्फ देवी के अवतार के रूप में वर्णित किया गया है: “विष्णुमाया इति शब्दिता”,  उन्हें विष्णुमाया कहा गया है लेकिन अब हम देखें कि वह हैं कौन?  आखिर यह विष्णुमाया कौन हैं? तो विष्णुमाया काली हैं, हम कह सकते हैं, और महाकाली की पुत्री हैं।  वह इस धरती पर आयीं और अनेकानेक असुर और राक्षसों का वध किया, संतों को उनकी आक्रामकता से बचाने के लिए,  और वो हमेशा इसी प्रकार कार्य करती हैं जिस से दुनिया की सभी नकारात्मकता नष्ट हो सके। वह इस पर शीघ्रता से कार्य करती हैं, मुझे कहना चाहिए, और वह जानती हैं कि नकारात्मकता कहां है और वह उस नकारात्मकता को अतिशीघ्र जला देने की कोशिश करती हैं। अब उत्पत्ति कुछ इस प्रकार है कि यह विष्णुमाया महाकाली की पुत्री थीं, जिन्हें स्वयं महाकाली द्वारा रचित किया गया था, इन राक्षसों से लड़ने के लिए, लेकिन साथ ही इस कार्य हेतु उन्हें विशेष शस्त्र भी दिए गए थे। लेकिन श्री कृष्ण के काल में वह श्री कृष्ण की बहन के रूप में पैदा हुई थीं, और उनके मामा द्वारा श्री कृष्ण के मारे जाने के बजाये, जैसे आपने कहानी पढ़ी है, उनको बदल दिया गया था,  वह वास्तव में यशोदा की पुत्री थीं, जिन्हें श्री कृष्णा से बदल दिया गया था ।  और यह कन्या, छोटी Read More …

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love आज हम यहां आदि-कुंडलिनी और आपकी अपनी कुंडलिनी, दोनों की पूजा करने के लिये एकत्र हुये हैं क्योंकि आपकी कुंडलिनी आदि कुंडलिनी का ही प्रतिबिंब है। हम कुंडलिनी के विषय में बहुत कुछ समझ चुके हैं और हम यह भी जानते हैं कि कुंडलिनी के जागृत होने से ….. इसके उत्थान से हम चेतना की अथाह ऊंचाइयों को छू चुके हैं। ऐसा नहीं है कि हम मात्र चेतना के उच्च क्षेत्रों तक उठे हैं ….. इसने हमें कई शक्तियां भी प्रदान की हैं ….. आध्यात्मिकता के इतिहास में पहले कभी भी लोगों के पास कुंडलिनी को जागृत करने की शक्ति नहीं थी। जैसे ही उनकी कुंडलिनी जागृत होती थी वैसे ही वे या तो दांये या बांये की ओर चले जाते थे और शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास किया करते थे और ऐसी शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते थे जो लोगों के हित के लिये नहीं होती थीं। बुद्ध ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भविष्य में जब बुद्ध का पुनर्जन्म होगा …. तो मात्रयात् के रूप में होगा … अर्थात तीन माताओं की शक्तियां जिसमें निहित होंगी ……. जब वह इस धरती पर आयंगी उस समय इन शक्तियों को लोगों के हित के लिये उपयोग किया जायेगा। यह एक प्रतीकात्मक बात है …… लोगों के हित के लिये न कि केवल सहजयोगियों के लिये। जब तक कि जो बुद्ध अर्थात आत्मसाक्षात्कारी हैं …. कुंडलिनी के विज्ञान के विषय में नहीं जान जाते तब तक ये कैसे संभव है? जिन Read More …

Sahasrara Puja: The Will of God Campus, Cabella Ligure (Italy)

                               सहस्रार पूजा, “भगवान की इच्छा”  कबैला लिगरे (इटली), 10 मई 1992। आज हम सहस्रार दिवस मना रहे हैं। शायद हमने महसूस ही नहीं किया हुआ कि यह कितना महत्वपूर्ण दिन रहा होगा। सहस्रार को खोले बिना, स्वयं ईश्वर एक काल्पनिक कथा प्रतीत होता था, धर्म स्वयं एक मिथक था, और देवत्व के बारे में सभी बातें एक मिथक थीं। लोग इस पर विश्वास करते थे लेकिन यह सिर्फ एक विश्वास भर था। और विज्ञान, जैसा कि उसे आगे रखा गया था, सारी मूल्य प्रणाली एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर के सभी प्रमाणों को करीब-करीब खारिज़ ही करने वाला था। अगर आप इतिहास में देखें, एक के बाद एक, जब विज्ञान ने खुद को स्थापित किया, तो धर्म और विभिन्न धर्मो में मामलों के तथाकथित प्रभारी लोगों ने विज्ञान के निष्कर्षों से तालमेल बैठने की कोशिश की। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की: “ठीक है, अगर इसे ऐसा कहा जाता है – इतना तो बाइबल में है, और अगर यह गलत है तो हमें इसे ठीक करना चाहिए।” खासतौर पर ऑगस्टीन ने ऐसा किया, और ऐसा लगने लगा कि जैसे यह सब मूर्खता है, ये शास्त्र सिर्फ पौराणिक थे। हालांकि, कम से कम कुरान में, बहुत सी चीजें थीं जो आज के जीव विज्ञान का वर्णन कर रही थीं। वे विश्वास नहीं कर सकते थे कि मानव विशेष रूप से भगवान द्वारा बनाया गया था। उन्होंने सोचा कि यह संयोग की बात है कि, एक के बाद एक, जानवरों ने एक ऐसी स्थिति हासिल कर ली जिसके द्वारा वे मनुष्य बन गए। इस Read More …

Easter Puja: You have to grow and take up the responsibility Magliano Sabina Ashram, Magliano Sabina (Italy)

1992.04.19 ईस्टर पूजा, टॉक, रोम, इटली डीपी यह दिन हम सब के लिये हर्षित होने के लिए एक बहुत बड़ा दिन है और ईसा मसीह के इस पुनरुत्थान का आनंद लेने के लिए। ईसा मसीह का पुनरुत्थान हम सबका आज्ञा चक्र खोलने के लिये हुआ था। क्योंकि यह एक बहुत ही सूक्ष्म चक्र था जैसा की आप जानते हैं, बहुत जटिल। मनुष्य की जड़ता से परिपूर्ण विचारों के कारण और उनके अहंकार से, जिसने आज्ञा चक्र को बुरी तरह से बंद किया हुआ था, जिसमें से कुंडलिनी का निकलना पूर्णतय असंभव सा लगता था। इसलिए पुनरुत्थान का यह खेल खेला गया और ईसा मसीह मात्र चैतन्य थे और कुछ भी नहीं। वह मृत्यु से पुनर्जीवित हुए ऐसा कहा जाता है। ईसा मसीह की इस मृत्यु के कारण, हमें समझना होगा कि हमें हमारा पुनरूत्थान प्राप्त हो सका। हमने पुनरूत्थान प्राप्त किया और इसी के साथ जो कुछ भी भूतकाल में था वह नष्ट हो गया, अब समाप्त हो गया। इसलिए हमारे भीतर जो पश्चाताप है, जो जड़ता है वो समाप्त हो चुकी है। किन्तु फिर भी यह बहुत आश्चर्य की बात है कि ईसाई राष्ट्रों में अहंकार उस प्रकार से कम नहीं हुआ जैसा कि होना चाहिए था। सम्भवतः यह हो सकता है कि यहाँ ईसा मसीह को कभी भी उचित प्रकार से पूजा नहीं गया। पश्चिमी देशों में अहंकार इतना प्रभावी है कि कोई नहीं देख सकता कि वो क्या कर रहे हैं और कितनी दूर जा रहे हैं। बिना कारण ही वो किसी ऐसी बात का पश्चाताप कर Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा दिल्ली मार्च 21, 1992 हमारे देश में बहुत से सन्त हुए हैं हमने सिर्फ उनको मान लिया क्योंकि वो ऊंचे इन्सान थे। अब किसी भी धर्म में आप जाईए, कोई भी धर्म खराब नहीं है। जैसे अभी बताया कि बुद्ध धर्म है। मैंने बुद्ध धर्म के बारे में, पड़ा तो बड़ा आश्चर्य हुआ कि मध्य मार्ग बताया गया था लेकिन उस के बाद लोग उसको left (बाएँ) में और right (दाएँ) में ले गए। जो दाएँ मे ले गए वो पूरी तरह से सन्यासी हो गए, ascetic (त्यागी) हो बुद्ध गए। फिर उन्होंने बड़े बड़े कठिन मार्ग और उपद्रव निकाले। उन्होने सोचा कि क्योंकि सन्यासी हो गऐ थे, बहुत कठिन मार्ग से उन्होंने इसे प्राप्त किया। इसलिए हमें भी उसी मार्ग पर चलना चाहिए। पर उसकी इतनी कठिन चीजें उन्होने कर दीं, कि ज़मीन पर सोना, ठंड उसी में बहुत से लोग खत्म हो गए। एक ही मरतबा खाना में रहना आदि। उन्होंने अपनी जो कुछ भी निसर्ग में दी हुयीं जरूरतें थीं, उन्हें पूरी तुरह से, दबा. दिया। इस. तरह के दबाव डालूने से मनुष्य का स्वभाव बहुत उत्तेजित सा हो जाता है। इतना ही नहीं aggressive (आततायी) भी हो जाता है । उस में बहुत क्रोध समा जाता है ।क्रोध को दबाने से क्रोध और बढ़ता है और ऐसे लोग कभी कभी supra conscious (ऊपरी चेतना) में चल पड़ते हैं और उन्हें कुछ-कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं जिससे वो दूसरे लोगों पर अपना असर डाल सकते हैं। हिटलर के साथ यही हुआ। हिटलर Read More …

Public Program, Sahajayog ka arth कोलकाता (भारत)

  1992 -02-05 पब्लिक प्रोग्राम, सहज योगा का अर्थ कोलकाता इण्डिया कल जैसे बताया की सत्य है वो निर्धारित है | अपनी जगह स्थित है | हम उसकी कल्पना नहीं करते, उसके बारे में हम कोई भी  उपमा वर्णन नहीं दे सकते, ना ही उसको हम बदल सकते है  और बात तो ये है की इस मानव चेतना में हम उस सत्य को जान नहीं सकते | ये तो मानना चाहिए की साइन्स अब अपनी चरम सीमा पर पहुच गया है और उससे उसको फायेदा जो भी किया, किन्तु उसके साथ ही साथ आएटटम बोअम, हाइड्रोजन बोअम, प्लास्टिक के पहाड़ तैयार कर दिए है | प्लास्टिक रूप में जो कुछ भी हुआ वो इस तरह सीमा के बाहर लाहांग गया की आप जानते है की आप जानते है की कलकत्ता शहर में भी इस कदर पोल्यूशन है | ये सब होने का कारण ये ऐसा की मनुष्या अपना संतुलन  खो बैठता है| वो ये नहीं जनता है कि कितने दूर जाना है और कहा उसे रोकना है |  इस वजह से जो कुछ भी मनुष्य करता है वो बाद में किसी को नहीं बताता मानव की जो सारी चेतना आज हमने प्राप्त की है | ये हमारे उत्क्रांति में, हमारे एवोल्यूशन में हमें सहज ही मिली हुई है | हमने कोई ऐसा विशेष कार्य नहीं किया कि जिससे हम मानव बने | सहज में ही आप ने इसे प्राप्त किया, जो चीज़ आप ने सहज में प्राप्त की है वो बड़ी ऊंची चीज़ श्रेष्ठ चीज़ है की आप मानवरूप है | Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

(श्रीमाताजी निर्मला देवी, श्री गणेश पूजा, कलवे (भारत, 31 दिसम्बर 1991) मैं उनको बता रही थी कि श्री गणेश की पूजा करना कितना महत्वपूर्ण है। आप सब फोटोग्राफ्स ( माइरेकल फोटोग्राफ्स) आदि के माध्यम से जानते ही हैं कि वे जागृत देवता हैं और उनका निवास स्थान मूलाधार पर है। वास्तव में वह सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं … मैं कहना चाहती हूं कि वह तो सारे चक्रों पर विराजमान हैं। उनके बिना कुछ भी कार्यान्वित नहीं हो सकता क्योंकि वह तो स्वयं साक्षात्  पवित्रता हैं। अतः जहां भी हमारी कुंडलिनी जाती है वह वहां वहां पवित्रता की वर्षा करते हैं और उनकी स्वच्छ करने की शक्ति के कारण श्री गणेश आपके चक्रों को स्वच्छ करते हैं। अतः श्री गणेश के गुणों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किस तरह से वह आपके चक्रों पर कार्य करते हैं और किस तरह से वह आपकी सहायता करते हैं। हम उनकी कितनी ही पूजा करें, कितना ही उनका गुणगान करें लेकिन हमें  यह भी देखना है कि हमने उनकी पवित्रता, पावनता और विवेकशीलता जैसे गुणों में से कितने गुणों को आत्मसात् किया है। हमें यह समझना है कि विवेक कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे किसी के अंदर जागृत किया जा सके या इसे सूझ-बूझ से किसी के अंदर स्थापित किया जा सके। ये तो एक ऐसा अंतर्जात गुण है जिसे परिपक्वता से ही प्राप्त किया जा सकता है और इस परिपक्वता को कुंडलिनी पर चित्त डालकर ही प्राप्त  किया जा सकता है ….. कुंडलिनी को परमात्मा की सर्वव्याप्त शक्ति से जोड़कर Read More …