Shri Ganesha and Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 24th December 1991 : Ganapatipule Place : Type Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahiri] आज का याग अति विशेष है। इस विशेष दिन को अंगार की चतुर्थी अथवा कृष्णपक्ष की चतुर्थी कहते हैं। प्रत्येक चतुर्थों को, जो कि महीने के चौथे दिन पडती है, को श्री गणेश का जन्मदिन मनाया जाता है। मंगलवार के दिन आयो इस चतुर्थी का विशेष महत्व हाता है। आज यही दिन है। हम सब मंगलवार, अंगार की चतुर्थी के दिन गणपति पुल में आये हैं। आज के दिन श्री गणेश की पूजा के लिए हजारा लोग यहाँ आते हैं। कि क्या करें। नम्रता तथा विवेक श्री गणेश जी को विशेषताएं हैं। ये दोनों गुण ग्णेश तत्व की देन हैं । सुन्दर चाल से चलने वाली स्त्री को भी गज गामिनी कहते हैं। हाथी केवल घास खाते हैं फिर भी अत्यंत शक्तिशाली होते हैं, वड़े-बड़े वजन ढाते हैं फिर भी बड़े शान्त स्वभाव के होते हैं। किसी भी चीज के लिए वे जल्दी नहीं करते। उनकी स्मरणशक्ति भी बहुत तीव्र होती है। जब भी आप की बायों और दुर्बल हा जाती है तो आपकी स्मरण शक्ति धुंध्रला जाती है। ऐसा इसलिए हाता है क्योंकि आपके अन्दर गणेश तत्व कम हो गया है। जब आप बहुत अधिक दायों ओर को झुक जाती है तो बायीं ओर का गणेश तत्व कम हो जाता है। अति कर्मी लोगों की स्मरण शक्ति भी वृद्धावस्था में समाप्त हो जाती है। सहजयोगियों को समझना चाहिए कि जा भी कुछ घटित हाता है, उसे Read More …

Shri Mahalakshmi Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja 21st December 1991 Date : Kolhapur Place Type Puja Speech Language English, Hindi & Marathi आप लोग इतनी दिल्ली से यहाँ पर पहुँचे हैं और सब का प्यार है जो खिंच के लाया आपको यहाँ पर। मैं दूर समझा नहीं सकती कि मुझे कितना आनन्द हुआ है कि आप लोग सब यहाँ हैं। दिल्ली में तो मुलाकात होती ही रहती है और बहुत लोगों से मुलाकात होती रही और सब को देखते रहे हम और आप लोगों ने बहुत प्रगति कर ली है। बड़े आश्चर्य की बात है, दिल्ली जैसा शहर जिसको की मैं हमेशा बिल्ली कहती थी। मैं कभी दिल्ली कहती नहीं थी। क्योंकि वहाँ के लोग, जिस वक्त मैं वहाँ रही, जब मेरी वहाँ शादी हुई तो सिवाय पॉलिटिक्स के कुछ बात ही नहीं करते थे । लेकिन शुरू के जमाने में वहाँ बहुत बड़े बड़े लोग हो गये। और जब वो पॉलिटिक्स की बात करते थे, तो यही कि, ‘हमारे देश की हालत कैसे ठीक होगी?’ क्योंकि मेरे पिताजी कॉन्स्टिट्यूट असेम्ब्ली के मेंबर थे, तो कैसा कॉन्स्टिट्यूशन बनना चाहिए? मतलब बहुत गहरी बाते करते थें। था तो पॉलिटिक्स ही, लेकिन उस पॉलिटिक्स में और आज कल के पॉलिटिक्स में बहुत ही ज्यादा फर्क हैं। और फिर उसके बाद पता नहीं कहाँ से सब लोग वहाँ पे पहुँच गये खटमल जैसे। सारे देश का खून चूसने वाले वहाँ पहुँच गये। और उन्होंने जिस तरह से | वहाँ पर राजकारण जमाना शुरू कर दिया, अनीति शुरू कर दी। तो मैं खुद ही सोचती थी, कि दिल्ली Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja Date 15th December 1991: Place Shere Type Puja [Hindi translation (English talk), scanned from Hindi Chaitanya Lahari] महाराष्ट्र में श्री गणेश की पूजा के महत्व की हमें समझना है। अष्टविनायक (आठ गणपति) इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द है और महाराष्ट्र के त्रिकोण बनाते हुए तीन पर्वत कुण्डलिनी के समान हैं। पूरे विश्व की कुण्डलिनी इस क्षेत्र में निवास करती है श्री गणेश द्वारा चैतन्यित इस पृथ्वी का अपना ही स्पन्दन तथा चैतन्य है। महाराष्ट्र की सर्वात्तम विशेषता यह है कि यह बहुत बाद में कभी भी आप सुगमता से यह विवेक उनमें नहीं भर सकते। तब इसके लिए आपको वहुत परिश्रम करना पड़ेगा। सहजयोग में यह विवेक तजी से कार्य कर रहा है और लोग वहुत बुद्धिमान होते जा रहे हैं। किसी भी मार्ग से हम चलें, हम पात हैं कि हमारो सारी समस्याएं मानव की ही देन है। जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है कि बाह्य जगत में जा भी प्रवृत्तियां या फैशन आयें आप उनसे प्रभावित नहीं हाते। आप अन्दर से परिवर्तित होते हैं। तब आप पूर्णतया जान जाते हैं कि दूसरे लोगों से क्या आशा की जाती उनसे किस प्रकार व्यवहार किया जाए, किस प्रकार बातचीत की जाए और उनके साथ किस सीमा तक चला जाए। यह सव विवेक से प्राप्त होता है। सहजयाग में आप सब अतियोग्य लाग विवेक को डतनी ही सुन्दर चित्त प्रदान करता है। श्री गणेश के चैतन्य प्रवाह के कारण चित्त एकाग्रित हो जाता है। पवित्रता तथा मंगल प्रदान करने के लिए श्री गणेश की सृष्टि हुईं। गणेश ही सभी का Read More …

Puja (भारत)

Puja in Hyderabad, India. 11 December 1991. We have today come to this famous place, Hyderabad, which was ruled by Muslim kings, but they were very Indian and they fought also for the independence of India with the British. You know about Tipu Sultan, who was also a realized soul but he was killed. We have in our country one very big problem and that is, individually we are all great people, but when it comes to collective we don’t know how to live collectively, and that is why we lost our independence. Anybody can manage us. If we can open our eyes and see, it is quite easily understood that when people try to talk ill of others, involving us, there must be some intention. This has been our failing since long, that people use such methods that they spoil the relationships. And this should not crawl into Sahaja Yoga. When I am in India I think I should put some light on our weaknesses also. The second weakness we have, that we are very involved with our family; with our children, with our parents, with our brothers, cousins, this, that. Till you are completely deceived or cheated by someone so close, you’ll never learn a lesson. We are very involved; all our problems are around them. We cannot get out of our family. All the time we start thinking that: “Sahaja Yoga should help my family. Sahaja Yoga should do this for my family.” In Sahaja Yoga there’s Read More …

Confusion and the ordinary householders Madras (भारत)

                भ्रांति और सामान्य गृहस्थ  सार्वजनिक कार्यक्रम दिवस 2 मद्रास (भारत), 7 दिसंबर 1991। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। कल शुरुआत में ही मैंने आपसे कहा था कि सत्य वही है जो वह है। यदि हमें सत्य नहीं मिला है तो हमें उसके प्रति विनम्र और ईमानदार होना चाहिए, क्योंकि सत्य हमारी भलाई के लिए है, हमारे शहर, हमारे समाज, हमारे देश और पूरे ब्रह्मांड की भलाई के लिए है। यह एक बहुत ही खास समय है जब आप सभी पैदा हुए हैं, जहां लोगों को आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना है। यह पुनरुत्थान का समय है जैसा कि बाइबिल में वर्णित है, यह कियामा का समय है जैसा कि मोहम्मद साहब ने वर्णित किया है। यह एक बहुत ही खास समय है जब नल, जैसा कि आप जानते हैं, नल दमयन्ती अख्यान – नल का सामना कली से हुआ था। वह कली पर बहुत क्रोधित हुआ और कहा कि “तुमने मेरे परिवार को नष्ट कर दिया है, तुमने मेरी शांति को नष्ट कर दिया है, और तुम लोगों को भ्रम में डाल देते हो, इसलिए मैं तुम्हें मार डालूंगा।” उन्होंने कली को चुनौती दी कि “तुम्हें हमेशा के लिए समाप्त कर देना चाहिए।” तब कली ने कहा, “ठीक है, मैं आपको अपना महात्म्य बता दूं। मैं आपको बताता हूं कि मुझे वहां क्यों होना चाहिए। अगर मैं तुम्हें समझा सका तो तुम मुझे मारने का इरादा बदल सकते हो, लेकिन अगर मैं नहीं कर पाता तो तुम मुझे मार सकते हो।” तो उसने कहा कि “आज वे सभी Read More …

Diwali Puja: Joy and Happiness Campus, Cabella Ligure (Italy)

क्षमा करें, मुझे प्रवेश करने से पहले कुछ कहना था, लेकिन यह अच्छा है कि ऐसा घटित हुआ है, क्योंकि अब मुझे आपको कुछ बातें बतानी हैं जो कि जीवन में महत्वपूर्ण हैं और यह विशेष रूप से मुझे महिलाओं के लिए यह बताना होगा । मैंने देखा है – जाहिर है, मैं भी एक महिला हूं – कि महिलाओं के पास रोने, आंसू बहाने की कुछ जल-शक्तियां हैं, और सोचना कि वे बहुत दुखी हैं और हर किसी को दुखी करना । यह उनकी शक्ति है । मैंने ऐसा देखा है । मेरा मतलब है कि, यह गीत सबसे खराब गीत है जिसे आप किसी भी दिन गा सकें, जैसा भी हो । लेकिन यह किसी के दिमाग में आया है, बहुत नकारात्मक है । और केवल यह ही नहीं, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति को दर्शाता है जो कभी भी खुश नहीं रह सकता, और किसी की खुशी नहीं चाहता है । जबकि हर महिला के अंदर मातृत्व है, बड़ी क्षमताएं हैं, त्याग, सब कुछ है । लेकिन इसके साथ, उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि वे बायीं-पक्षीय हैं । और हमारा आनंद जिसके बारे में हम बात करते हैं, हमारे हृदय के अंदर, उसे बाहर अभिव्यक्त होना चाहिये । लोगों को यह दिखना चाहिए कि हम आनंद में हैं, कि हम लोग खुश हैं, कि हम दूसरों की तरह नहीं हैं जो छोटी-छोटी बातों पर रोने लगते हैं । जैसे जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, मुझे आश्चर्य हुआ कि अचानक मैं निर्विचार हो गयी, पूर्णतया Read More …

6th Day of Navaratri, Recognize Me Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                नवरात्रि पूजा  कबेला (इटली), 13 अक्टूबर 1991 आज हम यहां नवरात्रि पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। नौ बार ऐसा हुआ था जब इस ब्रह्मांड की मां के प्रमुख अवतार प्रकट हुए थे। वे एक उद्देश्य के साथ प्रकट होते हैं। वह उद्देश्य अपने भक्तों, अपने शिष्यों, अपने बच्चों की रक्षा करना है। यह एक प्रेम का बंधन था, वह इससे बच नहीं सकती थी। माँ की ममता एक बंधन है, वह उससे बच नहीं सकती। और उसे उसे अभिव्यक्त करना ही होता है, उसे कार्यान्वित करना है और अपने सभी बच्चों को वह सुरक्षा देनी है। आधुनिक समय में इस सुरक्षा ने दूसरा रूप धारण कर लिया है। उन दिनों शैतान उन लोगों को नुकसान पहुँचाने, नष्ट करने की कोशिश कर रहे थे, जो धर्मी थे, जो भक्त थे, जो अच्छे काम कर रहे थे, जो एक बहुत ही धार्मिक जीवन जीना चाहते थे। इसलिए उन्हें बचाने के लिए उन्होंने अवतार लिया। उनकी रक्षा के लिए उन्होंने अवतार लिया। लेकिन वे जानते थे कि क्या अच्छा है, वे जानते थे कि क्या गलत है और वे अपने अच्छे जीवन, अपने कीमती जीवन को संरक्षित करना चाहते थे। उन्हें धन की परवाह नहीं थी, उन्हें सत्ता की परवाह नहीं थी, लेकिन वे सिर्फ अपना जीवन चाहते थे, यानी वे जीवित रहना चाहते थे, देवी की पूजा करना चाहते थे। और जब वे इन शैतानी शक्तियों से परेशान या नुकसान या नष्ट हुए, तो उसे प्रकट होना पड़ा। लेकिन आधुनिक समय में यह बहुत जटिल हो गया है क्योंकि आधुनिक Read More …

श्री आदी कुंडलिनी पूजा (Germany)

श्री आदी कुंडलिनी पूजा, वील्बर्ग (जर्मनी), 11 अगस्त 1991। आज हम यहां आदी कुंडलिनी के साथ ही अपनी कुंडलिनी की पूजा करने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। सबसे पहले, मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात है, स्वयं की कुंडलिनी के बारे में समझना, क्योंकि आत्मसाक्षात्कार ही आत्म-ज्ञान है। और जो आपको आत्म-ज्ञान देता है वह है, आपकी अपनी कुंडलिनी , क्योंकि जब वह उठती है तो, वह इंगित करती है कि आपके चक्रों पर क्या समस्याएं हैं। अब, हम कहते हैं कि यह शुद्ध इच्छा है, लेकिन हम नहीं जानते कि शुद्धता क्या है|इसका तात्पर्य है तुम्हारी पवित्र इच्छा,| इसका अर्थ है कि इसमें कोई वासना, लालच, कुछ भी नहीं है। यह शक्ति तुम्हारी माँ है और आपकी त्रिकोणीय हड्डी में बस जाती है। वह आपकी मां है वह तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती है, यह एक टेप रिकॉर्डर की तरह है वह आपके बारे में सबकुछ जानती है और वह पूर्ण ज्ञान है – क्योंकि वह बहुत शुद्ध है और जो भी चक्र वह छूती है, वह यह भी जानती है कि उस चक्र में क्या गलत है – पहले से ही। तो वह काफी तैयार है, और वह खुद को पूरी तरह से समायोजित करती है ताकि आपको उसके जागरूकता से कोई समस्या न हो जाए। यदि कोई चक्र संकुचित है, वह प्रतीक्षा करती है और धीरे धीरे उस चक्र को खोलती है। अब, यह कुंडलिनी मौलिक शक्ति है जो आपके भीतर परिलक्षित होती है। और तुम्हारे भीतर, एक इंसान में यह ऊर्जा के कई Read More …

Shri Buddha Puja, You must become desireless (Belgium)

Shri Buddha Puja, “You must become desireless”. Deinze (Belgium), 4 August 1991. 4 अगस्त 1991, बेल्जियम आज, हम यहाँ बुद्ध की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं| जैसा कि आप जानते हैं कि बुद्ध एक राजा के पुत्र थे| और एक दिन वे एक बहुत ही गरीब आदमी, दुबले आदमी, बहुत ही उदास आदमी, को सड़क पर चलते हुए देख कर चकित रह गए | और वे उसे लेकर बहुत दुखी हुए| फिर उन्होंने एक आदमी देखा, जो कि बहुत बीमार था और मरने वाला था| फिर उन्होंने एक मृतक आदमी देखा और लोग उसे शमशान ले जा रहे थे| इस सबने उन्हें अत्यधिक व्याकुल कर दिया और वे इसके बारे में सोचने लगे और मनुष्यों में इन सब घटनाओं का क्या कारण है, खोजने लगे| सर्वप्रथम, वे इतने दयनीय या बीमार क्यों हो जाते हैं, या, वे इतनी कष्टपूर्ण तरीके से क्यों मृत्यु को प्राप्त होते हैं? अपनी खोज में उन्हें कारण मिल गया| वे पूरे विश्व में गोल-गोल घूमे, मुझे कहना चाहिए, मेरा मतलब है; उन्होंने उपनिषद पढ़े, उन्होंने पढ़े, बहुत से गुरुओं के पास गए, आध्यात्मिक शिक्षा के बहुत से स्थानों पर गए, बनारस, सब जगह वे गए| और अंततः, वे बरगद के पेड़ के नीचे बैठे थे, जब अचानक आदिशक्ति ने उनकी कुण्डलिनी जागृत की और उन्हें आत्म-साक्षात्कार प्राप्त हुआ| तब उन्हें बोध हुआ कि इन सबका कारण ‘इच्छा’ है| सहज योग में, अब हम समझ गए हैं कि बाकि सभी इच्छाएँ शुद्ध इच्छाएँ नहीं हैं| सर्वप्रथम, जो भी इच्छाएँ पूरी हुई हैं, हम उनसे संतुष्ट Read More …

Guru Puja, Four Obstacles Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Adi Guru Puja. Cabella Ligure (Italy), July 28th, 1991. आज आप सब यहाँ उपस्थित हैं, अपने गुरु की पूजा करने के लिए   Iयह एक प्रचलित प्रथा है, विशेष रूप से भारतवर्ष में, की आप अवश्य अपने गुरु की पूजा करें, और गुरु का भी अपने शिष्यों पर पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए I गुरु के सिद्धांत बहुत कठोर हैं और इस कठोरता के कIरण बहुत से लोग एक शिष्य के आदर्शों के अनुसार स्वयं तो नहीं ढाल सकेI  उन दिनों गुरु को, पूर्ण रूप से, आधिकारिक बनना पड़ता था। और वह गुरु ही थे जो निश्चय करते थे कि कौन उनके शिष्य होंगे। और उनको कठिन तपस्या में लीन होना पड़ता था, बड़ी तपस्या में, मात्र एक शिष्य बनने के लिए। और यह कष्ट ही एक माध्यम था जिससे गुरु आकलन करते थे। गुरु हमेशा जंगलों में रहा करते थे। और वे अपने शिष्यों का चयन किया करते थे- बहुत कम, बिलकुल, बिलकुल थोड़े से। और उनको जाना पड़ता था, और भिक्षा मांगने, भोजन के लिए, आसपास के गावों से, और भोजन पकाते थे, अपने गुरु के लिए, स्वयं अपने हाथों से, और गुरु को खिलाते थे।   इस प्रकार की गुरु-प्रणाली सहजयोग में नहीं है। यह मूल रूप से हमें समझना पड़ेगा – कि जो अंतर उन शैलीयों के गुरु-पद में, और जो अब हमारे यहाँ है, वह यह है, कि बहुत कम व्यक्तियों को गुरु बनने का अवसर दिया जाता था, बहुत कम।  और इन गिने-चुनों का चुनाव भी अनेकों लोगों में से होता था, और उन्हें लगता Read More …

Sahasrara Puja: Realise Your Own Divinity Ischia (Italy)

स्वयं की दिव्यता को पहचानें सहस्रार दिवस  इस्चिया, 5  मई 1991 इटली आज हम यहां उस सहस्रार दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं जिसे 1970 में इसी तिथि पर खोला गया था। मुझे यह सुंदर मंडप हमारे सहस्रार जैसा प्रतीत हो रहा है। और इस सहस्रार दिवस के लिए ऐसी सुंदर व्यवस्था करना बहुत उपयुक्त है। हमें यह समझना होगा कि जब सहस्रार खुलता है तो क्या होता है। जब कुंडलिनी पांच केंद्रों से होकर गुजरती है तो वह उस क्षेत्र में प्रवेश करती है जिसे हम लिम्बिक क्षेत्र कहते हैं। यह क्षेत्र हजारों तंत्रिकाओं से घिरा हुआ है और जब ये तंत्रिकाएं प्रबुद्ध हो जाती हैं तो वे इन्द्रधनुष के रंगों, सात रंगों की लौ की तरह दिखती हैं, और बहुत ही हल्के ढंग से, खूबसूरती से चमकती हुई, शांति बिखेरती हुई दिखाई देती हैं। लेकिन जब कुंडलिनी किनारों पर अपना कंपन प्रसारित करना शुरू कर देती है तो ये सभी नसें धीरे-धीरे प्रबुद्ध हो जाती हैं और सहस्रार को खोलते हुए सभी दिशाओं में घूमने लगती हैं और फिर कुंडलिनी फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र से बाहर निकलती है, जिसे हम ‘ब्रह्मरंध्र’ कहते हैं। ‘रंध्र’ का अर्थ है ‘छिद्र’ और ‘ब्रह्म’ भगवान के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति है। तो यह सूक्ष्म ऊर्जा में प्रवेश करता है, जो सर्वव्यापी है, जिसे हम सामान्य रूप से महसूस नहीं करते हैं। लेकिन फिर चैतन्य, अथवा स्पंदन, जो की इस ऊर्जा, सर्वव्यापी शक्ति, परमचैतन्य का हिस्सा हैं, वे हमारे मस्तिष्क में प्रवेश करना शुरू कर देते हैं और लिम्बिक क्षेत्र में अपना आशीर्वाद Read More …

Shri Bhavasagara Puja 1991 Brisbane (Australia)

(श्रीभवसागर पूजा, ब्रिसबेन (ऑस्ट्रेलिया), 6 अप्रैल 1991। (संदीप दुरूगकर की पोस्ट का हिंदी अनुवाद) आज मैं आप सबको बताना चाहती हूं कि आपको अपने अंदर गहनता को प्राप्त करना होगा। यदि आप उस गहनता को अपने अंदर प्राप्त नहीं कर पाते हैं तो अभी भी आप साधारण दर्जे के सहजयोगी ही हैं। वास्तव में देवी और उनकी शक्तियों के विषय में पहले कभी भी किसी को नहीं बताया गया … कभी भी नहीं। इस विषय में उन्हें पूरी तरह से तब पता चला जब परमात्मा से उनकी एकाकारिता स्थापित हो पाई। इससे पहले उन्हें इस विषय पर बिल्कुल कुछ पता ही नहीं चल पाता था। आज सहजयोग का जमाना है और जैसे ही आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है वैसे ही आप अन्य लोगों को भी साक्षात्कार दे सकते हैं। तुरंत ही कुंडलिनी आपके हाथों की गति के अनुसार गति करने लगती है। आप अपना हाथ किसी के भी सिर पर रखें तो उस व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार मिल जायेगा। यह सच्चाई है। कुंडलिनी इसी प्रकार से कार्य करती है। लेकिन कुछ लोग सोचते हैं कि अब हमको कुछ नहीं करना है … हमने तो कुछ विशेष चीज प्राप्त कर ली है। जो कुछ करती हैं माँ ही करती हैं। आपको समझना है कि माँ केवल बहुत अच्छे यंत्र को ही कार्यान्वित कर सकती हैं न कि किसी कमजोर यंत्र को। हमारे कुछ सहजयोगी तो बहुत गहन हो चुके हैं। जब भी मैं उनसे पूछती हूं वे कहते हैं कि माँ हम लोग उठकर प्रत्येक दिन सुबह शाम आपकी पूजा किया करते Read More …

Holi Celebrations New Delhi (भारत)

होली पूजा २८ फेब्रुवारी १९९१, दिल्ली आम् प तो इतिहास जानते हैं और पौराणिक बात भी जानते हैं कि होलिका को जलाने पर ही होली जलाई जाने लगी और इसमें किसानों के लिए भी उनका सब काम-वाम खत्म हो गया और ये सोच करके कि अब सब कुछ जो बोया था उसका फल मिल गया था। उसको बेच-बाच कर आराम से बैठे हैं, तो थोड़ासा उसका आनन्द भोगना चाहिए, पर इससे भी पहली बात ये है कि होली की शुरुआत जो थी हालांकि ये होलिका का दहन जो हुआ उसी मुहूर्त में बिठायी हुई बात है। ये काम श्रीकृष्ण ने किया क्योंकि श्रीराम जब संसार में आये तो श्रीराम ने मर्यादायें बाँधी। अपने, स्वयं अपने जीवन से, अपने तौरतरीकों से, अपने आदर्शों से, अपने व्यवहार से कि मनुष्य जो है मर्यादा पुरुषोत्तम की ओर देखे। ये मर्यादा पुरुषोत्तम जो है ये एक चरित्र, ये एक महान आदर्श हम लोगों के सामने रखा गया कि जो राज्यकर्ता है, जो राजा हैं वो हितकारी होने चाहिए, जिसे सॉक्रेटिस ने ‘बिनोवलेंट किंग’ कहा है। वो आदर्श स्वरूप श्रीराम हमारे इस संसार में हैं और इतना बड़ा आदर्श उन्होंने सबके सामने रखा कि लोगों के हित के लिए, जनमत के लिए उन्होंने अपनी पत्नी तक का त्याग कर दिया, हालांकि उनकी पत्नी साक्षात महालक्ष्मी थीं । वो जानते थे कि उन्हें कुछ नहीं हो सकता। तो भी लोकाचार में, दुनिया के सामने उन्होंने अपने पत्नी को त्याग दिया कि जिससे लोकमत हमारे प्रति विक्षुब्ध न हो और लोकमत का मान रखें। लेकिन वर्तमान काल Read More …

New Year Puja (भारत)

New Year Puja. Kalwe (India), 1 January 1991. [Shri Mataji speaks in Hindi] आज हम लोग बम्बई के पास ही में ये पूजा करने वाले हैं। बम्बई का नाम, मुम्बई ऐसा था। इसमें तीन शब्द आते हैं मु-अम्बा और ‘आई’। महाराष्ट्रियन भाषा में, मराठी भाषा में, माँ को ‘आई’ ही कहते हैं। वेदों में भी आदिशक्ति को ‘ई’ कहा गया है। सो जो आदिशक्ति का ही प्रतिबिम्ब है, reflection है, वो ही ‘आई’ है। इसलिए मां को आई, ऐसा कहते हैं और बहुत सी जगह माँ भी कहा जाता है। इसलिए पहला शब्द, उस माँ शब्द से आया है, मम। अम्बा जो है, वो आप जानते हैं कि वो साक्षात कुण्डलिनी हैं। सो ये त्रिगुणात्मिका- तीन शब्द हैं। और बम्बई में भी आप जान्ते हैं कि महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली ये तीनों का ही एक सुन्दर मन्दिर है। जहाँ पर पृथ्वी से ये तीन देवियाँ निकली हैं। हलाकि, यहाँ पर बहत गैर तरीके लोग उपयोग में लाते हैं पर तो भी ये तीनों देवियाँ यहाँ जागृत हैं। सो बम्बई वालों के लिए एक विशेष रूप से समझना चाहिए कि ऐसी तीनों ही मूर्तियाँ कहीं भी पाई नहीं जाती। वैसे तो आप जानते हैं कि ही माहूरगढ़ में महासरस्वती हैं, और तुलजापुर में भवानी हैं महाकाली हैं, और कोल्हापुर में महालक्ष्मी। और वरणी में अर्धमात्रा जो है उसे हम आदिशक्ति कहते हैं, वो हैं। लेकिन यहाँ तीनों ही मूर्तियाँ जागृत हैं। लेकिन जहाँ सबसे ज्यादा मेहनत होती है, और जहाँ पर चैतन्य सबसे ज्यादा अपना कार्य करता है। उसकी वजह भी कभी- Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja 25th December 1990 Date : Ganapatipule Place Type Puja आपमें से लोग मेरी बात इंग्लिश में नहीं समझ पाये होंगे। ईसामसीह का आज जन्म दिन है और मैं कुछ समझा रही थी कि ईसामसीह कितने महान हैं। हम लोग गणेश जी की प्रार्थना और स्तुति करते हैं क्योंकि हमें ऐसा करने को बताया गया है। पर यह है क्या? गणेशजी क्या चीज़ हैं? हम कहते हैं कि वो ओंकार हैं, ओंकार क्या है? सारे संसार का कार्य इस ओंकार की शक्ति से होता है। इसे हम लोग चैतन्य कहते हैं, जिसे ब्रह्म चैतन्य कहते हैं। ब्रह्म चैतन्य का साकार स्वरूप ही ओंकार है और उसका मूर्त-स्वरूप है या विग्रह श्री गणेश हैं। इसका जो अवतरण ईसामसीह हैं। इस चीज़ को समझ लें तो जब हम गणेश की स्तुति करते हैं तो बस पागल जैसे गाना शुरू कर देते हैं। एक-एक शब्द में हम क्या कह रहे हैं? उनकी शक्तियों का वर्णन हम कर रहे हैं। पर क्यों? ऐसा करने की क्या जरूरत है? इसलिए कि वो शक्तियाँ हमारे आ जायें और हम भी शक्तिशाली हो जायें । इसलिए हम गणेश जी की स्तुति करते हैं। ‘पवित्रता’ उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। जो चीज़ पवित्र होती है वो सबसे ज़्यादा शक्तिशाली होती हैं। उसको कोई छू नहीं सकता। जैसे साबुन से जो मर्जी धोइए वो गन्दा नहीं हो सकता। एक बार साबुन भी गन्दा हो सकता पर यह ओंकार अति पवित्र और अनन्त का कार्य करने वाली शक्ति है। इस शक्ति की उपासना करते हुए हमें याद रखना है Read More …

Shri Mahalakshmi Puja Kolhapur (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 21st December 1990 : Place Kolhapur Type Puja Speech Language Hind मैं आपसे बता चुकी हूँ कि महाराष्ट्र में त्रिकोणाकार अस्थि और उसमें कुण्डलाकार में शक्ति विराजती है । महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती और आदिशक्ति इस तरह से साढ़े तीन कुण्डलों में बैठी हुई है। माहुरगढ़ में महासरस्वती हैं जिन्हें रेणुका देवी भी कहते हैं। तुलजापुर में भवानी है जिन्हें महाकाली कहते हैं और कोल्हापुर में महालक्ष्मी का स्थान है। यहाँ से आगे सप्तश्रृंगी नाम का एक पहाड़ है जिस पर आदिशक्ति की अर्धमात्रा है। इस प्रकार ये साढ़े तीन शक्तियाँ इस महाराष्ट्र में पृथ्वी तत्व से प्रकट हुई हैं। और यहीं पर श्री चक्र भी विराजता है। आप सब जानते हैं कि महालक्ष्मी ही मध्यमार्ग है जिससे कुण्डलिनी का जागरण होता है। इसलिए हजारों वर्षों से इस महालक्ष्मी मन्दिर में ‘उदे अम्बे’ कहा जाता है। क्योंकि अम्बा ही कुण्डलिनी है और कुण्डलिनी की शक्ति महालक्ष्मी में ही जागृत हो सकती है। इसलिए महालक्ष्मी के मन्दिर में बैठ कर अम्बा के गीत गाये जाते हैं। इसी स्थान पर अम्बा ने कोल्हापुर नामक राक्षस को मारा था, इसलिए इसका नाम कोल्हापुर पड़ा। कोल्हा का अर्थ है सियार। सियार के रूप में आये राक्षस का वध देवी ने किया। लेकिन जहाँ भी मन्दिरों में पृथ्वी तत्व ने ये स्वयंभू विग्रह तैयार किये हैं वहाँ लोगों ने बुरी तरह से पैसा बनाना शुरू कर दिया है । मन्दिरों की तरफ कुछ भी ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए कभी-कभी लगता है इन मन्दिरों में चैतन्य दब सा जाएगा। अब आप लोग Read More …

Diwali Puja: Touch Your Depth Chioggia (Italy)

दीवाली पूजा  चिओगिया, वेनिस (इटली), 21 अक्टूबर 1990। आप सभी को उस जुलूस में शामिल देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। दरअसल मैं इंतज़ार कर रही थी और इंतज़ार कर रही थी, और मैंने सोचा, “ये लोग मुझे पूजा के लिए क्यों नहीं बुला रहे हैं?” यह एक सुंदर आश्चर्य था, यह बहुत खुशी देने वाला है। तुम्हारी आँखों में खुशी नाच रही थी। मैं तुम्हारी आँखों में प्रकाश देख सकी थी और यही असली दीवाली है। दीवाली शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘दीपा’ और ‘अवाली’। दीपा का अर्थ है, आप जानते हैं, दीप, और अवाली का अर्थ है रोशनी की पंक्तियाँ, पंक्तियाँ और पंक्तियाँ। ऐसा लगता है कि यह एक बहुत ही प्राचीन विचार है और दुनिया भर में, आप देखिए, जब भी उन्हें कुछ जश्न मनाना होता है तो वे रोशनी करते हैं। और रोशनी क्योंकि रोशनी खुशी देती है, आनंद देती है। इसलिए अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए हमें खुद को भी प्रबुद्ध करना होगा। और इसलिए महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर के प्रकाश को महसूस करने के लिए आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना चाहिए। और आपने देखा होगा कि आत्मसाक्षात्कार के बाद आंखें भी चमकती हैं। हर सहजयोगी की आँखों में ज्योति है। आज वह दिन है जब हम लक्ष्मी की, लक्ष्मी सिद्धांत की पूजा करते हैं, जो हमारी नाभी में है। लक्ष्मी सिद्धांत जैसा कि समझा जाता है, मैंने आपको कई बार बताया है, लक्ष्मी का वर्णन किया है कि वह कमल पर खड़ी है और उसके हाथों में दो कमल Read More …

Navaratri Puja Geneva (Switzerland)

(नवरात्रि पूजा, देवी देवता आपको देख रहे हैं (आर्जियर जिनेवा ( स्विटजरलैंड), 23 सितंबर 1990) इन नौ दिनों में देवी को रात के समय अपने बच्चों की नकारात्मकता के प्रभावों से रक्षा करने के लिये राक्षसों से युद्ध करना पड़ता है। एक ओर तो वह प्रेम व करूणा का अथाह सागर हैं तो दूसरी ओर वह शेरनी की तरह अपने बच्चों की रक्षा करती हैं। पहले के समय में कोई ध्यान धारणा नहीं कर पाता था, परमात्मा का नाम नहीं ले पाता था और न ही आत्म-साक्षात्कार के विषय में सोच पाता था। लेकिन आज जो यहां बैठे हुये हैं …. आप लोग तो उन दिनों भी यहीं थे… आप लोगों को तो इसी दिन के लिये बचाया गया है ताकि आप अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त कर लें। उन दिनों में देवी का रूप माया स्वरूपी नहीं था। वह अपने वास्तविक स्वरूप में थीं जो उनके भक्तों के लिये भी अत्यंत विस्मयकारी था। सबसे पहले तो उनकी रक्षा की जानी थी। अतः जिस प्रकार से माँ अपने बच्चे को नौ महीने तक गर्भ में धारण करती है, इन नौ महीनों में …. या मान लीजिये नौ युगों में… आप सब की पूरी तरह से रक्षा की जाती रही है और फिर दसवें माह में आपको जन्म दिया गया है। यह जन्म भी हमेशा नौ महीनों के सात दिन बाद दिया गया है। इसके परिपक्व होने तक कुछ समय तक इंतजार किया गया। अतः नवरात्रि का दसवां दिन वास्तव में आदि-शक्ति की पूजा का है तो आज हम सचमुच आदि-शक्ति Read More …

Shri Mahakali Puja: Purity and Collectivity Centre Culturel Thierry Le Luron, Le Raincy (France)

                              श्री महाकाली पूजा, “सामूहिकता और पवित्रता”  ले रेनसी (फ्रांस), 12 सितंबर 1990। हमने बेल्जियम में भैरव पूजा करी थी और अब मैंने सोचा कि चलो आज हम महाकाली पूजा करें क्योंकि कल रात का अनुभव, कल रात का अनुभव महाकाली का काम था।  हर समय उनकी दोहरी भूमिका है, वे दो चरम सीमाओं पर है। एक तरफ वह आनंद से भरी है, आनंद की दाता, वह बहुत प्रसन्न होती हैं जब वह अपने शिष्यों को खुश देखती है। आनंद उसका अपना गुण है, उसकी ऊर्जा है। और कल आप फ्रांस की इतनी अधेड़ उम्र की महिलाओं को मुस्कुराते और हंसते देखकर चकित रह गए होंगे। मैंने उन्हें कभी मुस्कुराते हुए नहीं देखा था! यह बहुत आश्चर्य की बात है कि वे इतनी आनंदित और इतनी खुश कैसे थी। और यह महाकाली की ऊर्जा है, जो आपको आत्मसाक्षात्कार के बाद खुशी प्रदान करती है, और प्रसन्नता जिसका आप सब लोगों के बीच आनंद लेते हैं। ये सभी महाकाली के गुण हैं और जब वे महाकाली के नाम पढ़ेंगे, तो आप जानेंगे कि सहज-योग में उनकी शक्तियां कैसे प्रकट होती हैं और किस तरह से इसने आप सभी को आनंद के सागर में डूबने में मदद की है। शुरुआत में मुझे आपको एक बात बतानी है कि: महाकाली पूजा, जब आप कर रहे होते हैं, तो आपको अपने भीतर, और दूसरे सहज योगियों से एक आनंद तथा खुशी महसूस करनी होती है। यदि आप ऐसा महसूस नहीं कर सकते हैं, तो इसका मतलब है कि आप अभी तक विकसित नहीं हुए हैं Read More …

Shri Ganesha Puja: The Glow of Shri Ganesha Lanersbach (Austria)

[English to Hindi translation]                                              श्री गणेश पूजा  लैनर्सबैक (ऑस्ट्रिया), 26 अगस्त 1990 आज हम श्री गणेश का जन्मोत्सव मना रहे हैं। आप सभी उनके जन्म की कहानी जानते हैं और मुझे इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, जैसे वह केवल माँ द्वारा, आदि शक्ति द्वारा बनाए गए थे, उसी तरह उनके बाद आप सभी बनाए गए हैं। तो, आप पहले से ही श्री गणेश के मार्ग पर हैं। आपकी आंखें उसी तरह चमकती हैं जैसे उनकी आंखें चमकती हैं। आप सभी के चेहरे पर वही खूबसूरत चमक है जैसी उनके पास थी। आप कम उम्र हैं, बड़े हैं या बूढ़े हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। श्री गणेश की चमक से ही सारी सुंदरता हमारे अंदर आती है। यदि वे संतुष्ट हैं, तो हमें अन्य देवताओं की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सभी देवताओं की शक्ति श्री गणेश हैं। वह हर चक्र पर बैठे कुलपति की तरह हैं। जब तक वे हस्ताक्षर नहीं करते, तब तक कुंडलिनी पार नहीं हो सकती, क्योंकि कुंडलिनी गौरी है और श्री गणेश की कुँवारी माँ है। अब हमें यह समझना होगा कि हम यहां पश्चिमी समाज में हैं जहां इतना गलत हो गया है क्योंकि हमने श्री गणेश की देखभाल करने की कभी परवाह नहीं की। ईसा-मसीह आए और उनका संदेश पूरी दुनिया में फैल गया। उन्होंने उन चीजों के बारे में बात की जो ईसाइयों द्वारा अभ्यास नहीं की जाती हैं, बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि उन लोगों ने जो कुछ भी शुरू किया वह सत्य पर आधारित नहीं है। सच Read More …

Shri Lakshmi Puja and Talk before puja Stamatis Boudouris summer house, Hydra (Greece)

                       श्री लक्ष्मी पूजा  हाइड्रा (ग्रीस), 24 जून 1990। आज हम लक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं और मैंने आपको पहले ही बताया है कि लक्ष्मी समुद्र से निकली थी। और ग्रीस ब्रह्मांड की नाभी है। और जो भी लक्ष्मी, धन, उन्हें मिली है, उन्होंने इसे वहां की समुद्री यात्रा गतिविधियों से प्राप्त किया है। इसलिए यह बहुत उपयुक्त है कि हम ग्रीस में लक्ष्मी की पूजा करें और समझें कि लक्ष्मी का महत्व क्या है। क्या आप मुझे वहां सुन पा रहे हैं, आप सब? तो अब, मैं कई बार वर्णन कर चुकी हूँ, परन्तु फिर भी मैं तुम्हें उसका वर्णन करूँगी। लक्ष्मी वह है जो स्वभाव से माँ है। तो ऐसा व्यक्ति जिसके पास लक्ष्मी है, एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास धन है, उसके पास एक माँ सामान उदार स्वभाव होना चाहिए; यह पहली बात है। फिर दूसरी बात यह है कि वह जल में कमल पर खड़ी हैं। तो जिस व्यक्ति को लक्ष्मी मिली है, उसके पास संतुलन होना चाहिए। यदि वह इस ओर या उस ओर, बाएँ या दाएँ ओर जाता है तो वह तुरंत भवसागर के भीतर चला जाता है। दूसरा, उनका एक हाथ दे रहा है और दूसरा हाथ इस तरह रक्षा कर रहा है। तो कम से कम जिस व्यक्ति को लक्ष्मी धन मिला है उसे उदार होना चाहिए, उसे दान देना चाहिए और दाहिने हाथ को उन सभी लोगों की रक्षा करनी चाहिए जो उसके अधीन काम कर रहे हैं या जो उससे संबंधित हैं, उसके संबंधी या अन्य चीजें या कोई Read More …

Shri Mahavira Puja: Hell Exists Barcelona (Spain)

1990-0617 Shri Mahavira Puja,Spain आज पहली बार महावीर पूजा हो रही है | महावीर का त्याग अत्यन्त विकट प्रकार का था | उनका जन्म एक ऐसे समय पर हुआ जब ब्राह्मणवाद ने अत्यन्त भ्रष्ट, स्वेच्छाचारी तथा उच्छुंखल रूप धारण कर लिया था | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पश्चात लोग अत्यन्त गम्भीर, तंग दिल तथा औपचारिक हो गये थे। आत्मसक्षात्कार के अभाव में वे सदा एक अवतरण की नकल का प्रयत्न अति की सीमा तक करने लगे। इन बंधनों को समाप्त करने के लिये श्री राम पुन: श्री कृष्ण रूप में अवतरित हुए । अपने कार्यकलापों के उदाहरण से श्री कृष्ण ने यह प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया कि जीवन एक लीला (खेल) मात्र है | शुद्ध हृदय से यदि व्यक्ति जीवन लीला करता है तो कुछ भी बुरा नही हो सकता | श्री कृष्ण के पश्चात लोग अति लम्पट, स्वेच्छाचारी और व्यभिचारग्रस्त हो गए | लोगों को इस तरह के उग्र आचरण के बन्धनों से मुक्त करने के लिए इस समय भगवान बुद्ध तथा महावीर ने जन्म लिया। श्री महावीर एक राजा थे जिन्होंने अपने परिवार, राज्य तथा सम्पदा का त्याग कर सनन्‍्यास ले लिया | उनके अनुयायीयों को भी इसी प्रकार का त्याग करने को कहा गया । उन्हें अपना सिर मुंडवाना पड़ता था, नंगे पैर चलना पड़ता था | वे केवल तीन जोड़े कपड़े रख सकते थे | सूर्यास्त से पूर्व उन्हें खाना खा लेना पड़ता था| केवल पांच घंटे सोने की उन्हें आज्ञा थी और हर समय ध्यान में रह कर आत्म उत्थान में प्रयत्तशील होना Read More …

Sahasrara Puja, You Have All Become Mahayogis Now (Italy)

अब अपनी शक्तियों को पहचानिये। जैसे कल उसने … निशात खान ने राग दरबारी गाया या बजाया …तो आप इस समय दरबार में हैं … परमात्मा के दरबार में। अपने दायित्वों को पहचानिये। प्रत्येक को अपने दायित्वों को पहचानना है और समझना है कि आप कौन हैं …. आपकी शक्तियां क्या हैं और आप क्या-क्या कर सकते हैं? अब वे दिन गये जब आप अपने आशीर्वादों को गिना करते थे। अब आपको अपनी शक्तियों को देखना है कि मेरी कौन-कौन सी शक्तियां हैं और मैं इनका किस प्रकार से उपयोग कर सकता हूं? आपके साथ जो भी चमत्कार घटित हुये हैं अब उनको गिनने से कुछ फायदा नहीं है। आपने ये सिद्ध करने के लिये कई चमत्कार देख लिये हैं कि आप सहजयोगी हैं और परमचैतन्य आपकी सहायता कर रहा है। लेकिन अब आपको जानना होगा कि उस परमचैतन्य का आप कितना उपयोग कर रहे हैं?आप इसको किस प्रकार से नियोजित कर सकते हैं और किस प्रकार से इसको कार्यान्वित कर सकते हैं? आज से एक नये युग का प्रारंभ होने जा रहा है। मैं इसी दिन का इंतजार कर रही थी कि आप सब लोग जान जांय कि आप मात्र अपने स्वार्थ के लिये सहजयोगी नहीं हैं … न अपने परिवारों के लिये और न ही अपने समुदाय के लिये न अपने देश के लिये बल्कि पूरे विश्व के लिये हैं। अपना विस्तार करिये ….. आपके अंदर वो दूरदृष्टि होनी चाहिये जिसको मैंने आप लोगों के सामने कई बार रखा है कि आपको मानवता को मोक्ष दिलवाना है। अब Read More …

Easter Puja: You Have To Grow Vertically Eastbourne (England)

1990-04-22 ईस्टरपूजा प्रवचन : आपको उर्ध्व दिशा में उत्थान करना है। ब्रिटेन,डीपी आज हम यहाँ पूजा करने जा रहें हैं, ईसा मसीह के पुनरुत्थान की। और साथ ही उन्हें धन्यवाद देना है,  हमें प्रदान करने के लिए ,एक संत का आदर्श जीवन , जिसे कार्य करना है ,संपूर्ण विश्व  के कल्याण लिए । हम ईसा मसीह की बात करते हैं ।हम श्री गणेश   भजन का गायन करते हैं । हम कहते हैं कि हम उनको मानते हैं । विशेष रूप से सहजयोगियों को लगता है कि उनके सभी भाइयों में वे  सबसे बड़े  हैं  ।और एक प्रबल  , समर्पण मैं पातीं हूँ, विशेष रूप से पाश्चात्य सहज योगियों में, ईसा मसीह के लिए । कारण कि शायद हो सकता है कि उनका जन्म ईसाई धर्म में हुआ हो ।अथवा हो सकता है कि उन्होंने  ईसा मसीह के जीवन को पाया हो ,एक बहुत  विशेष प्रकार का  । परंतु उन्हें उस से कहीं अधिक होना है सहज योग के लिए , और आप सहज योगियों के लिए । बहुत से लोग अनेक देवी-देवताओं को मानते हैं । जैसे कुछ लोग श्री कृष्ण को मानतें  हैं, कुछ लोग श्री राम को , कुछ लोग बुद्ध को , कुछ लोग महावीर को एवं कुछ लोग ईसा मसीह को। पूरी दुनिया में, वे अवश्य विश्वास करतें हैं, किसी उच्चतर अस्तित्व में । परंतु शुरुआत मे यह विश्वास बिना योग के  होता है ।और बन जाता है एक प्रकार का,  मिथक  कि वे सोचते हैं कि ,ईसा मसीह उनके अपने  हैं, राम उनके अपने Read More …

Swadishthan, Thinking, Illness Part 1 Hilton Hotel Sydney, Sydney (Australia)

“स्वाधिष्ठान, सोच, बीमारी”  हिल्टन होटल, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 16 मार्च 1990। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आपको यह जानना होगा कि सत्य वही है जो है। हम अपनी मानवीय चेतना के साथ इसकी अवधारणा नहीं कर सकते। हम इसे आदेश नहीं दे सकते, हम इसमें हेरफेर नहीं कर सकते, हम इसे व्यवस्थित नहीं कर सकते। जो था, है और रहेगा। और सच क्या है? सत्य यह है कि हम घिरे हुए हैं या हममें समायी हुई है अथवा एक बहुत ही सूक्ष्म ऊर्जा द्वारा हमारा पोषण, देखभाल और प्रेम किया जाता है ऐसी उर्जा जो दिव्य प्रेम की है। दूसरा सत्य यह है कि हम यह शरीर, यह मन, ये संस्कार, यह अहंकार नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। जो मैं कह रही हूं उसे आंख मूंदकर स्वीकार करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अंधविश्वास कट्टरता की ओर ले जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों के रूप में आपको अपने दिमाग को खुला रखना चाहिए और जो मैं कह रही हूँ उसे खुद पड़ताल करना चाहिए: यदि ऐसा जान पड़े, तो ईमानदारी से आपको इसे स्वीकार करना चाहिए। हम अपनी सभ्यता, अपनी उन्नति के बारे में विज्ञान के माध्यम से बहुत कुछ जानते हैं। यह एक वृक्ष की उन्नति के सामान है जो बाहर बहुत अधिक बढ़ गया है; लेकिन अगर हम अपनी जड़ों को नहीं जानते हैं, तो हम नष्ट हो जाएँगे। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी जड़ों के बारे में जानें। और मैं कहूँगी की यही है हमारी जड़ें हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं, Read More …

Thinking and How we trigger a cancer Auckland (New Zealand)

                                           सार्वजनिक कार्यक्रम  1990-03-14, ऑकलैंड, न्यूजीलैंड उदाहरण के लिए, हम बहुत मेहनत करते हैं, बहुत ज्यादा सोचते हैं, आप राइट साइडेड हैं; इसकी भरपाई करने के लिए,  कहते हैं, हम स्लिपिंग पिल्स या ड्रिंक्स, या ऐसा ही कुछ लेते हैं, केवल क्षतिपूर्ति करने के लिए। बहुत ज्यादा राईट साइड को हम सहन नहीं कर पाते। लेकिन ऐसा सब करने से आपको कोई मदद नहीं मिलती, क्योंकि आप एक छोर से दूसरे छोर तक झूलते रहते हैं। इसलिए, आपको मध्य में गति करनी होती है, और उसके लिए हमारे भीतर एक विशेष तंत्र है। जैसा कि मैंने कल आपको बताया था, आपको बहुत वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना होगा, अपने दिमाग को खुला रखना होगा। अगर यह काम करता है, तो आपको ईमानदार लोगों के रूप में इसे स्वीकार करना होगा। हम कहते हैं कि हम संशयवादी हैं। ठीक है, लेकिन हम इसके बारे में खुद को खुला रख सकते हैं, क्योंकि आखिरकार, हम परम सत्य तक नहीं पहुंचे हैं। तो, अगर आपको उस सत्य तक पहुंचना है, तो हमें कैसा होना चाहिए? हो सकता है कि भारत के लोगों को इसकी अधिक जानकारी है, आंतरिक दुनिया में उनकी खोजों के कारण। लेकिन, पश्चिम में भी,इस ज्ञान कि आवश्यकता है क्योंकि, जैसा कि मैंने कल कहा था, कि जो पेड़ इतना बड़ा हो गया है, उसे अपनी जड़ों को जानना है। वरना हमेशा कोई एक समस्या होती है, जिसका सामना करना आपको नहीं आता। इसलिए, जैसा कि मैंने आपको जड़ों के बारे में बताया है, अब, बाईं बाज़ू और दाईं बाज़ू, दो अनुकंपी तंत्रिका Read More …

Makar Sankranti Puja (भारत)

Shri Surya puja. Kalwe (India), 14 January 1990. [Hindi Transcript] 1990-0114 मकर सक्रांति पूजा, कलवे,  आज के इस शुभ अवसर पे, इस भारतवर्ष में, हर जगह खुशियां मनाई जा रही हैं। इसका कारण यह है कि, सूर्य, जो हमें छोड़ कर के, भारत को छोड़कर और मकर वृत्त पे गया था, वह अब लौट के आया है। और पृथ्वी और सूर्य के युति के साथ, जो जो वनस्पतियां खाद्यान्न आदि चीजें होती हैं, वह सब होने का अब समय आ गया है। और जो पेड़ सर्दी में पुरे पत्तों से दूर हो गए थे, पूरी तरह से ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मर गए हैं, वह सारे पेड़ फिर से जागृत हो गए। फिर से हरियाली आने लग गई और इसलिए इस समय का जो विशेष है कि पृथ्वी फिर से हरी भरी हो जाएगी सारे और फिर से कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे और विशेषकर उत्तर हिंदुस्तान में जहां ठंड बहुत ज़ोर से की पड़ती है, वहां तो इसका विशेष रूप से उत्सव माना जाता है। सूर्य का आगमन हुआ और सूर्य के कारण जो भी हमारे कार्य हैं वह अब पूरी तरह से होने वाले हैं इसलिए आज की बड़ी शुभेच्छा, हम यहाँ के सब लोगों को  कहते हैं और सोचते हैं कि आज के इस शुभ अवसर पर आप सब लोगों से यहां मिलना हुआ यह भी एक बड़ी आनंद की बात है। जैसे सूर्य का आना हम लोग बहुत ऊंचा मानते हैं, उससे भी कहीं अधिक सहज योग का सूर्य इस पृथ्वी पर आना महत्वपूर्ण Read More …

Devi Puja: Who is the God and Who Is the Goddess Ganapatipule (भारत)

[Hindi from 17 :44] आप  लोगों  को  अंग्रज़ी  तो  काफी  समझ  में  आती होगी , जो  मैंने  बात  कही  है  आपको  सबको  मालूम है,  के  जो  हमारे  अंदर  बैठे  हुए  देवी-देवताएँ  हैं  वो आपकी  पूजा  से  बहुत  प्रसन्न  हो  जाते  हैं  और  बहुत ज़ोरों  में  वाईब्रेशन्स  छोड़ना  शुरू  कर  देते  हैं , कभी  तो  ज़रुरत  से  ज़्यादा ।  चाहे   आप  उसको  अब्सॉर्ब  करें  चाहे  नहीं  करें।   अगर  आपने  उसको अब्सॉर्ब  नहीं  किया  तो  मुझको  ही  तकलीफ  होने लग  जाती  है।  इसलिए  सबको  बहुत  खुले  दिमाग  से, खुले  हृदय  से  पूरी  आर्थतानगनना [UNCLEAR text]  करके  पूजा  में  बैठना  चाहिए।  जिसमे  जितनी  ही  आर्थता  होगी  उतना  ही  उसको  फायदा  होगा।   इसीलिए  शुद्ध  इच्छा  होनी  चाहिए।  इसलिए  अंदर  शुद्ध  इच्छा  करके और  माँ  हमारे  अंदर  आप  ऐसा  कुछ  रंग  भर  दो  की  वो  उतरे  ही  ना,  एक  बार  जो  रंग  भर  गया  तो  वो  उतरे  ही  ना,  ऐसा  ही रंग  भरो।   ऐसी  मन में इच्छा  कर  के  आपको  बैठना  चाहिए।   अच्छा,  अब  काफी  देर  हो  चुकी  है  और  यह  सब  बेकार  में   इन लोगों  ने  पुलिस  वाले  लगा  दिए  हैं  इनके  साथ बैठे-बैठे  भी  टाइम  गया  फिर  उसके  बाद  ये  हुआ , जो  भी  हो  अभी  ठंडी  हवा  चल  रही  है  तो अच्छा  है  कि  इस  वक़्त  पूजा  हो  रही  है।  

Talk: Learn from Your Guru and Evening Program Ganapatipule (भारत)

                “अपने गुरु से सीखो” गणपतिपुले (भारत), 6 जनवरी 1990। मैं छह बजे तैयार थी जब बाबामामा आए और मुझसे मिलने के लिए कुछ बहुत महत्वपूर्ण लोगों को लाये और,  मैं बस तैयार थी | लेकिन ऐसा होता है कोई बात नहीं, और मैं उस छोटे से बैले को देखने के लिए उत्सुक हूं जो इन  दिल्ली वाले लोगों ने किया है और छोटे बच्चे अब इसे आपके लिए करने जा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आप सभी हर सुबह ध्यान कर रहे होंगे और सहज योग के बारे में बात कर रहे होंगे, एक दूसरे से मिल रहे होंगे। और यह ज्यादातर एक समष्टि में आने के लिए है, कि हम सभी को सहज योग के बारे में चर्चा करनी चाहिए, और यह पता लगाना चाहिए कि किस प्रकार हम इसे बेहतर तरीके से कर सकते हैं।  मैं सोच रही थी कि, सुबह का समय हम उन लोगों के लिए आवंटित कर सकते हैं, जो लोग इसे ‘ब्रेन ट्रस्ट’  के लिए रखना चाहते हैं, एक तरह की चीज, एक सम्मेलन। आप यह कर सकते है। कल पूजा है लेकिन परसों हम प्रात: काल में खाली हैं और 9 जनवरी को भी हम मुक्त हैं। तो आप सभी चीजों के बारे में और सतारा जिले में जो हुआ है, इस बारे में चर्चा और बात कर सकते हैं। और उन सभी बातों पर आप सबके बीच चर्चा हो सकती है। और यह स्थापित किया जा सकता है कि हम आपस में सहज योग को ठीक से समझें। बहुत से लोग Read More …

New Year Puja: Mother depends on us Sangli (भारत)

नव वर्ष पूजा  सांगली (भारत), 1 जनवरी, 1990 कल का अनुभव यह रहा कि पूरा दिन पुलिस वालों को समझाने में बीत गया। और अब मुझे लगता है कि महाराष्ट्र में माफिया का राज है। और ऐसा कि, हमें इसका सामना करना है और हमें इसे साबित करना है। मुझे खेद है कि कुछ लोगों को इतनी बुरी तरह चोट लगी है और मुझे लगता है कि पूजा के बाद वे आपको अस्पताल ले जाएंगे। यहाँ एक बहुत अच्छा अस्पताल है जहाँ हमारे पास बहुत अच्छे डॉक्टर हैं। और फिर मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि आप यह जान लें कि अच्छे और बुरे को हमेशा संघर्ष और लड़ाई करना पड़ती है। पहले इस महान देश महाराष्ट्र में सभी संतों को इतना प्रताड़ित किया जाता था कि आश्चर्य होता है कि इतना सब होते हुए भी उन्होंने अध्यात्म का परचम कैसे ऊंचा रखा। वे अभी भी मौजूद हैं, वही लोग, जिन्होंने संतों को प्रताड़ित किया है और मुझे लगता है कि वे वही लोग हैं जिन्होंने आप सभी के प्रति इतना बुरा व्यवहार किया है। इस प्रकार की अहं-यात्रा सभी में निर्मित होती है – यहाँ तक कि सहजयोगियों में भी, यह निर्मित होती है। और वे (दुष्ट) हर समय एक अलग दृश्य पर होते हैं। यह हिटलर के व्यवहार की शैली जैसा है कि आप किसी तरह का मुद्दा उठा लेते हैं। मुद्दा कुछ भी हो सकता है, जैसे वे कह रहे हैं कि “हम सभी अंधविश्वासों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं”। मेरा मतलब है, मैंने इसे Read More …

Devi Puja: In 10 years we can change the whole world & Weddings Announcements Brahmapuri (भारत)

मुझे खेद है जो भी कल हुआ, लेकिन मुझे लगता है कि बुराई और अच्छाई के बीच युद्ध शुरू हो गया है, और आखिरकार अच्छाई की जीत होती है। आधुनिक युग में अच्छाई पर बुराई हावी रहती थी लेकिन अब इस कृत युग में बुराई पर अच्छाई की पूरी तरह से जीत होगी, इतना ही नहीं, अच्छाई हर जगह फैलेगी। बुराई में अति तक जाने और फिर उत्क्रांती की प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर हो जाने की क्षमता है। चूँकि वे अंधे हैं वे अच्छे को नहीं देख सकते हैं इसलिए वे बुरे हैं। यदि वे अच्छाई देख पाते तो वे अपनी बुराई छोड़ देते। हमारे देश में जो योग का देश है, विशेष रूप से महाराष्ट्र जो संतों का देश है, मैं यह सुनकर चकित रह गयी जो कि लोग क्या कर रहे हैं। इस बकवास के वास्तविक स्रोत में से एक रजनीश, भयानक आदमी लगता है, क्योंकि उसने यहां एक प्रदर्शनी लगाई है जिसमें सभी देवताओं की पूरी तरह से निंदा की गई है और सभी प्रकार की गंदी बातें कही गई हैं, और मुझे लगता है कि यहां के मुख्यमंत्री भी इसमें शामिल हैं।  वे सभी यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई ईश्वर नहीं है, कोई आध्यात्मिकता नहीं है। वे यह स्थापित करना चाहते हैं कि विज्ञान ही सब कुछ है। भारत में हमारे पास विज्ञान की कोई विरासत नहीं है, हमारे पास अध्यात्म की विरासत है। मेरा मतलब है कि इस देश में इतने बड़े वैज्ञानिक के रूप में कोई भी विख्यात Read More …

How We Should Behave (two talks) पुणे (भारत)

1989-12-27 India Tour – How We Should Behave FIRST SPEECH It was very interesting I was thinking about you all and about the people who have done so much for Sahaja Yoga. It is impossible really to say how many have worked for Sahaja Yoga with such interest and dedication. And this dedication is directed by divine force that’s why I think you people are not even aware how much you have worked so hard without getting any material gain out of it. And the joy has no value. We cannot evaluate in any human terminology nor can we describe it as to how we feel the joy of oneness together. This togetherness is very much felt in Ganapatipule. I see the leaders from all over the world have become great friends – there’s no jealousy, there’s no quarrelling, there’s no fighting, there’s no domination, there’s no shouting, nothing. Such beautiful brothers and sisters such a beautiful family we have created out of this beautiful universe. Now we have to maintain the beauty individually and collectively. Some people think that individually if you do something that is alright, but if it is not related to the collective it cannot be sahaj. Anything that you do has to be related to the collective. Now to be individualistic is a trend in the modern times and in that how far we have gone into nonsense that we know very well. Individuality is a personality within yourself which has to be of different Read More …

Devi Puja: Try to Become Aware Shrirampur (भारत)

देवी पूजा श्रीरामपुर (भारत), 21 दिसंबर 1989। पीछे जाएँ, जिन्हें जगह नहीं मिली है, कृपया पीछे हटें। समझदार बनें। तुम सब मुझे अच्छी तरह देख सकते हो और जो दूर हैं वे मेरे अधिक निकट हैं; यह एक तथ्य है। जब मैं सच कहती हूं, तो वहां विष्णुमाया होती है। कृपया बैठ जाएं। नमस्ते। उसका क्या नाम है? जेनी, तुम उस तरफ जाओ। पुरुषों के साथ मत बैठो। अपने आप पर एक अनुशासन रखना चाहिए। जो लोग यहां बैठे हैं कृपया बाईं ओर चलें। दूरी बनाए रखें। अब, आप इतने महान सहजयोगी, प्राचीन सहजयोगी हैं। लोग अनुशासन और सूझबूझ के लिए आपकी ओर देखते हैं। ज्यादातर जो बहुत नए होते हैं वो आगे आने की कोशिश करते हैं। ऐसा मैंने देखा है। यदि आप नेता हैं तो, फिर अगर आप सामने बैठे हैं तो मैं समझ सकती हूं। अन्यथा सामने बैठने की क्या जरूरत? अच्छा। कृपया बैठ जाएं। आप जितने आगे होंगे, आपको और अधिक चैतन्य महसूस होंगे। तुम कर सकते हो; इसके लिए आप गवाही दे सकते हैं। आप जितने करीब होंगे उतना आप कम महसूस करेंगे। यह मेरी तरकीब है। अब देखिए, क्या आप वहां ज्यादा वाइब्रेशन महसूस कर रहे हैं? जेनी, वहाँ, अपने आप को देखें। ठीक है? मैं कभी असत्य नहीं बोलती। क्या थोडा पानी मिलेगा। [हिंदी] नहीं, नहीं, आप क्यों नहीं कोई उचित सीट लेते है? [हिंदी] बेहतर होगा कि आप एक सीट ले लें। [हिंदी] मैं उन्हें एक ऐसी बात के बारे में बता रही हूं आवश्यक नहीं की आपको उसके बारे में पता Read More …

Nothing to discuss in Sahaja Yoga Alibag (भारत)

                                      भारत दौरे की पहली पूजा  अलीबाग (भारत), 17 दिसंबर 1989। आप सभी का स्वागत है। थोड़ी देर हो गई है लेकिन अभी-अभी उन्होंने मुझे सूचित किया है कि विमान और भी देरी से चल रहा है, इसलिए मैंने सोचा कि अब पूजा करना बेहतर है, हालाँकि अंग्रेजों ने हमें शुरू से ही बताया था कि वे इसमें शुरुआत से ही शामिल होना चाहेंगे। उन्हें हमेशा बहुत अधिक पूजाएँ मिलती हैं, यही कारण हो सकता है। [श्री माताजी हंसती हैं, हंसी] तो अब हम सब यहां आ गए हैं और हम एक साथ तीर्थयात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह यात्रा बहुत ही सूक्ष्म प्रकृति की है और अगर हम यह महसूस करें हम यहां क्यों हैं, तो हम समझेंगे कि यह सारी सृष्टि आप सभी पर नज़र रखे हुए है और यह आपकी मदद करने की कोशिश कर रही है कि आपका उत्थान होना चाहिए और आप अपनी गहनता को महसूस करें और इस तरह अपने स्व का आनंद लें। खुद। यात्रा संभवतः बहुत आरामदायक नहीं रहे। सड़कें स्पीड-ब्रेकर्स तथा हर तरह के अवरोध से बहुत भरी हुई हैं  [श्री माताजी हंसती हैं] । हमारे उत्थान की जैसी यात्रा है|  मुझे लगा, कि अपनी गति को नीचे लाना है। नि:संदेह पश्चिम में हम बहुत तेज गति वाले हो गए हैं और इस गति को कम करने के लिए हमें ध्यान की प्रक्रिया का उपयोग करना होगा जिससे हम अपने भीतर शांति का अनुभव कर सकें। साथ ही विचार हमारे दिमाग पर बमबारी कर रहे हैं और हम दूसरों पर Read More …

Reach the Absolute Truth Kyiv, Antonov Aircraft Corp. Palace of Culture (Ukraine)

सार्वजनिक कार्यक्रम दिवस 1 एंटोनोव एयरक्राफ्ट कार्पोरेशन, पैलेस ऑफ कल्चर, कीव,यूक्रेन,यूएसएसआर,  22 अक्टूबर, 1989 मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि सत्य जो है वह है। हम इसे व्यवस्थित नहीं कर सकते, हम इसे आदेश नहीं दे सकते। और मानवीय स्तर पर हम इसे हासिल नहीं कर सकते। हम अमीबा से इंसानों की इस अवस्था तक बन गए हैं। लेकिन अभी भी हम अपने परम सत्य तक नहीं पहुंचे हैं। कुछ लोग मानते हैं कि अमुक अच्छा है, कुछ लोग मानते हैं कि वह अच्छा है। तो इसके तहत हम भावनात्मक आधार पर या तर्कसंगत आधार पर कुछ तय कर सकते हैं। और ये दोनों सीमित हैं। तार्किकता से किसी भी बात को जायज ठहराया जा सकता है। साथ ही भावनात्मक रूप से हम न्यायोचित ठहरा सकते हैं; हमारी भावनात्मक जरूरतें हो सकती हैं। तो हर कोई अपने अनुमानों के अनुसार अलग तरह से सोच सकता है। तो आपको एक ऐसे अवस्था पर जाना होगा, एक ऐसी स्थिति जहां आप सभी इसे एक सामान रूप से ही कह सकते हैं, यह सत्य है। पूरी मानवता को उस स्थिति में आना होगा जहां वे जान सकें कि यह है निरपेक्ष। इसलिए हमें यह समझना होगा कि हमारा विकास अभी पूरा नहीं हुआ है। इसमें एक और महत्वपूर्ण खोज़ है। यह खोज़ है आत्म-साक्षात्कार। अपने आप को जानना है। स्वयं को जानना संभव नहीं है यदि आप इसे मानसिक, शारीरिक या भावनात्मक रूप से क्रियान्वित करते हैं। आखिर जब हम अमीबा से इस Read More …

8th Day of Navaratri, Talk to English Yogis on Style and Content Butlins Grand Hotel, Margate (England)

नवरात्रि का 8वां दिन  मार्गेट, 6 अक्टूबर 1989 अंग्रेज योगियों से बात, आज देवी पूजा का आठवां दिन है और इस दिन, काली की शक्ति काम करती है और उन्हें संहार काली कहा जाता है, जिसका अर्थ है सभी बुरी शक्तियों को नष्ट करने वाली। तो यह एक बहुत अच्छा दिन है, कि हमारे यहां, इंग्लैंड में, पूजा है। मैं इससे बहुत खुश हूं। मेरा चश्मा?  मुझे लगता है,मेरे पर्स में है। वौ कहा हॆ? उसके पास यह होगा? अब, मैं सोच रही थी कि मुझे यू.के. के सहज योगियों से बात करनी चाहिए, क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है। अब मैं यूके में अपने सोलह साल के प्रवास को समाप्त कर रही हूं और मुझे वास्तव में आप लोगों का इतना प्यार और इतनी भलाई मिली है। अब अगले साल, मैं यहां नहीं रहूंगी क्योंकि मेरे पति का तबादला होने वाला है और निश्चित रूप से मैं और भी वापस आऊंगी और एक या करीब एक महीने के लिए, मैं आपके साथ रह सकती हूं, शायद मैं पहले से कहीं ज्यादा जितना अब तक रही हूँ उससे ज्यादा करीब रहूंगी। लेकिन कुछ ऐसा है जोकि मुझे लगता है कि मुझे आप लोगों को चेतावनी देनी चाहिए, क्योंकि अब मुझे गैविन [ब्राउन] के बारे में बहुत सारे पत्र मिल रहे हैं कि, “गैविन ऐसा क्यों हो गया है? उसके साथ क्या गलत हुआ है?” शायद हर कोई इन घटनाओं को,और कुछ अन्य सहज योगियों को भी ऐसा होते देख काफी डरा हुआ लगता है । क्योंकि अन्य देशों में, जब सहजयोगी Read More …

The International Situation (Location Unknown)

                                        अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति  1989-0901 [एक सहज योगी के अनुरोध के जवाब में दी गई वार्ता। स्थान अज्ञात। संभवतः यूके] हमारे ग्रह, या धरती माता की स्थिति बहुत ही नाज़ुक है। एक तरफ हम इंसानों के हाथों महान विनाश के संकेत देखते हैं और इसलिए ये हमारा खुद का कृत्य हैं। विनाश का प्रबल प्रभावशील विचार मनुष्य के अंदर काम कर रहा है, लेकिन यह विनाश बाहर पैदा करता है। जरूरी नहीं की यह विनाशशीलता जानबूझकर है, लेकिन अंधी और बेकाबू है। इसी अंधेपन और अज्ञानता को ज्ञान प्रकाशित कर दूर करना है। भारत के प्राचीन पुराणों के अनुसार यह आधुनिक समय निश्चित रूप से कलियुग के काले दिन हैं जो बड़े पैमाने पर आत्म-साक्षात्कार या आत्मज्ञान का युग भी हैं। लेकिन, हमारे पास अभी भी हमारे अतीत या हमारे इतिहास की कई समस्याएं हैं जिन्हें पहले ही सुलझाना होगा। इनका अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति पर प्रभाव पड़ता है, तो पहले देखते हैं कि किस समस्या या किन समस्याओं का समाधान करना है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में, हाल के वर्षों में कई मूलभूत समस्याएं रही हैं। विश्व युद्ध के बाद का सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक विकास साम्यवाद और लोकतांत्रिक विचार के बीच संघर्ष रहा है। इन राजनीतिक विचारों के स्वरुप और सरकार के बीच एक मौलिक दरार थी, और इसके परिणामस्वरूप पूर्व और पश्चिम के बीच लगातार तनाव बना रहा। यह मानवता के भविष्य के लिए हमारे समय के बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक बन गया। हाल के वर्षों में, हालांकि, एक बड़ा बदलाव शुरू हुआ, सबसे पहले चीन में श्री डेंग (देंग जियानपिंग) Read More …

Shri Krishna Puja: They have to come back again and again Saffron Walden (England)

श्री कृष्ण पूजा   सेफ्फ़रॉन वाल्डेन (इंग्लैंड), 14 अगस्त 1989 (श्री कृष्ण अवतार, दाईं विशुद्धि)  आज हम यहां श्री कृष्ण अवतार की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि श्री कृष्ण नारायण के अवतार हैं, श्री विष्णु के। प्रत्येक अवतार में, वे अपने सभी गुणों, अपनी सारी शक्तियों और अपनी प्रकृति को अपने साथ ले कर आते हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतार लिया तो उनके पास नारायण के सभी गुण थे, और फिर श्री राम के, लेकिन हर अवतरण अपने पूर्व जीवन को संशोधन करने की चेष्टा करता है, जो भी उनके पूर्व जीवन में गलत समझ लिया गया और उन्हें अतिशयता में ले जाया गया । इसलिए उन्हें बार-बार वापस आना पड़ता है। सही है इसलिए श्री विष्णु ने, जब उन्होंने अपना अवतार लेने के बारे में सोचा, क्योंकि वे ही हैं जो संरक्षक हैं। वे ही इस सृष्टि के संरक्षक और धर्म के भी संरक्षक हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतरण लिया तो उन्हें यह देखना पड़ा कि लोग अपने धर्म पर कायम रहें। केवल धर्म को ठीक रखने से ही आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हो सकता है। तो यह कार्य अत्यंत कठिन था, मुझे कहना चाहिए, लोगों को महालक्ष्मी के मध्य मार्ग में बनाए रखने के लिए। अतः पहले अवतरण द्वारा, आप कह सकते हैं कि उन्होंने एक हितकारी राजा की संरचना करने की कोशिश की, श्री राम के रूप में। सुकरात ने एक हितकारी राजा का वर्णन किया है। लेकिन इसके परिणामस्वरूप, लोगों ने सोचना शुरू कर दिया कि अगर वे राजा या Read More …

Shri Ganesha Puja, Switzerland 1989 (Switzerland)

Shri Ganesha Puja, Les Diablerets (Switzerland), 8 August 1989. आज आप सब यहां मेरी श्रीगणेश रूप में पूजा के लिये आये हैं। हम प्रत्येक पूजा से पहले श्रीगणेश का गुणगान करते आये हैं। हमारे अंदर श्रीगणेश के लिये बहुत अधिक सम्मान है क्योंकि हमने देखा है कि जब तक अबोधिता के प्रतीक श्रीगणेश को हम अपने अंदर जागृत नहीं करते तब तक हम परमात्मा के साम्राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। परमात्मा के साम्राज्य में बने रहने के लिये और श्रीगणेश के आशीर्वादों का आनंद उठाने के लिये भी हमारे अंदर अबोधिता का होना अत्यंत आवश्यक है। अतः हम उनकी प्रशंसा करते हैं और वे अत्यंत सरलता से प्रसन्न भी हो जाते हैं। सहजयोग में आने से पहले हमने जो कुछ गलत कार्य किये हों उनको वे पूर्णतया क्षमा कर देते हैं क्योंकि वे चिरबालक हैं। आपने बच्चों को देखा है, जब आप उन्हें थप्पड़ लगा देते हैं …. उनसे नाराज हो जाते हैं लेकिन वे इसको तुरंत भूल जाते हैं। वे केवल आपके प्रेम को याद रखते हैं और जो कुछ भी बुरा आपने उनके साथ किया है उसे वे याद नहीं रखते। जब तक वे बड़े नहीं हो जाते तब तक वे अपने साथ घटी हुई बुरी बातों को याद नहीं रखते। जबसे बच्चा माँ की कोख से जन्म लेता है उसे याद ही नहीं रहता कि उसके साथ क्या क्या हुआ है लेकिन धीरे-धीरे उसकी याददाश्त कार्यान्वित होने लगती है तो वह चीजों को अपने अंदर याद करने लगता है। परंतु प्रारंभ में उसे उसके साथ Read More …

What is the difference between Sahaja Yoga and other yogas? Milan (Italy)

                              सहज योग और अन्य योग में अंतर  मिलान, 6 अगस्त 1989 मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आप यहां सत्य को महसूस करने के लिए आये हैं। न की केवल मानसिक रूप से इसकी अवधारणा करने। अब,  एक प्रश्न है, कल लोगों ने पूछा कि सहज योग और अन्य योगों में क्या अंतर है। इन सभी योगों को पतंजलि नामक एक संत ने बहुत पहले लिख दिया था। और उन्होंने इसे आठ पहलुओं वाला अष्टांग योग, अष्टांग कहा। उनका अस्तित्व हजारों साल पहले हुआ था, और उस समय हमारे पास एक प्रणाली थी जिसमें छात्र किसी प्रबुद्ध आत्मा, एक गुरु, सतगुरु के अधीन अध्ययन करने के लिए विश्वविद्यालय में जाते थे। तो, योग अर्थात परमात्मा के साथ मिलन के आठ पहलू हैं। तो, पहला उन्हें जिस रूप में मिला ‘यम’ है। यम, नियम। यम पहले हैं जिसमें उन्होंने लिखा है कि हमें अपने श्वसन को ठीक करने के लिए या अपने दुर्व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए क्या करना चाहिए। तो उसमें से एक तिहाई आसन हैं जहां आप किसी विशेष प्रकार की समस्या के लिए शारीरिक व्यायाम करते हैं। लेकिन वह हठ योग नहीं है। हठ योग एक पूर्ण पतंजलि योग शास्त्र है, योग – अर्थात पूर्ण पतंजलि योग शास्त्र है। आसन या शारीरिक व्यायाम के ये अभ्यास बहुत छोटा भाग हैं, उनमें से एक का चौबीसवां भाग हैं। ‘ह’ और ‘ठ’, ह का अर्थ है सूर्य और ठ का अर्थ है चंद्रमा। अतः हठ योग में दोनों का विचार किया गया है। क्योंकि हमारा अस्तित्व Read More …

Shri Bhairavnath Puja: Bhairava and Left Side Garlate (Italy)

श्री भैरवनाथ पूजा  गारलेट, मिलान (इटली), 6 अगस्त 1989 आज हम यहां भैरवनाथ की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। मुझे लगता है कि हमने भैरवनाथ के महत्व को नहीं समझा है जो इड़ा नाड़ी पर ऊपर-नीचे चलते हैं। इड़ा नाडी चंद्रमा की नाडी है, चंद्रमा की है। तो यह हमारे लिए ठंडा करने की एक प्रणाली है। तो भैरवनाथजी का काम हमें ठंडा करना है। उदाहरण के लिए, लोगों का अहंकार के साथ एक गर्म स्वभाव होता है, अपने जिगर के साथ, चाहे वह कुछ भी हो, और यदि कोई व्यक्ति बड़े गुस्से में है, तो भैरवनाथ उसे शांत करने के लिए उस व्यक्ति से शरारत करते हैं। वह गणों की मदद से, गणपति की मदद से, आपके स्वभाव को ठंडा करने के लिए, आपको संतुलन प्रदान करने के लिए अपने नियंत्रण में सब कुछ आयोजित करते है। इसलिए यदि कोई बहुत गर्म स्वभाव का व्यक्ति है और वह अपने स्वभाव की सभी सीमाओं को पार कर जाता है, तो किसी न किसी तरह से, भैरवनाथ , हनुमान की मदद से, यह दिखाने के लिए कि क्रोध की यह मूर्खता अच्छी नहीं है, उसका प्रबंध करेंगे। इसलिए, उदाहरण के लिए, जो लोग उदास हैं या जो लेफ्ट साइडेड हो गए हैं, हनुमान उन्हें इससे बाहर आने में मदद करने की कोशिश करते है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन भैरवनाथ भी इससे बाहर आने में उनकी बहुत मदद करते हैं। अब एक व्यक्ति जो लेफ्ट साइडेड है सामूहिक नहीं हो सकता है। ऐसे व्यक्ति के लिए यह बहुत Read More …

Guru Puja: Creativity Lago di Braies (Italy)

                                                  गुरु पूजा लागो डी ब्रे (इटली), 23 जुलाई 1989। आज हमें उस अवस्था तक जिस में हम वास्तव में गुरु की पूजा कर सकते हैं पहुँचने के लिए सामान्य से थोड़ा अधिक समय व्यतीत करना पड़ा है। जब हम अपने गुरु की पूजा करते हैं, तो हमें यह जानना होता है कि वास्तव में हम अपने भीतर गुरु तत्व को जगाने का प्रयास कर रहे हैं। यह केवल ऐसा नहीं है कि आप यहां अपने गुरु की पूजा करने के लिए हैं। आप कई-कई बार पूजा कर सकते हैं, हो सकता है कि चैतन्य बहे, हो सकता है कि आप उससे भर जाएं और आप उत्थान महसूस करें, पोषित हों। लेकिन इस पोषण को हमें अपने भीतर बनाए रखना है, इसलिए हमेशा याद रखें कि जब भी आप बाहर किसी सिद्धांत की पूजा कर रहे होते हैं, तो आप उसी सिद्धांत की अपने ही भीतर पूजा करने की कोशिश कर रहे होते हैं। जैसा कि आप जानते हैं, हमारे भीतर गुरु का सिद्धांत निहित है। नाभि चक्र के चारों ओर खूबसूरती से रचे गुरु तत्व को देखना बहुत दिलचस्प है। हमें कभी भी गुरुतत्त्व से जुड़ा कोई चक्र दिखाई नहीं देता। आप नाभि को देखते हैं, और चारों ओर भवसागर है। तो यह भवसागर जो कि भ्रम का सागर है, गुरु नहीं हो सकता। तो हमारे भीतर इस भवसागर में छिपे हुए चक्र हैं, जिन्हें जगाना है और प्रकाश में लाना है, अभिव्यक्त करना है। जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस सिद्धांत की सीमाएं स्वाधिष्ठान चक्र की गति Read More …

Paramchaitanya Puja Taufkirchen (Germany)

                परमचैतन्य पूजा  तौफिरचेन (जर्मनी), 19 जुलाई 1989 [(लाउडस्पीकर से शोर होता है। बच्चे रोने लगते हैं।) श्री माताजी: मुझे लगता है कि बच्चों को थोड़ी देर के लिए बाहर ले जाना बेहतर है। बस यह बेहतर होगा। नमस्ते नमस्ते नमस्ते! मुझे लगता है कि बेहतर होगा उन्हें थोड़ी देर के लिए बाहर ले जाना। वे पसंद नहीं करते थे बंद हो जाता है। (बच्चे अचानक रोना बंद कर देते हैं। हँसी। श्री माताजी हँसती हैं)] मुझसे एक प्रश्न पूछा गया, “आज हम कौन सी पूजा करने जा रहे हैं?” और मैंने इसे गुप्त रखा। आज हमें परमात्मा के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति परम चैतन्य की पूजा करनी चाहिए। हम जानते हैं कि परम चैतन्य सब कुछ करता है। कम से कम मानसिक रूप से हम जानते हैं कि सब कुछ परम चैतन्य की कृपा से किया जाता है, जो आदि शक्ति की शक्ति है। लेकिन फिर भी यह हमारे दिल में, हमारे चित्त में इतना नहीं है। हम परम चैतन्य को एक महासागर की तरह, एक महासागर की तरह मान सकते हैं जिसमें सब कुछ अपने भीतर समाहित है। सब कुछ, सभी काम, सब कुछ इसकी अपनी मर्यादा के भीतर है। इसलिए इसकी तुलना किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है। आप इसकी तुलना नहीं कर सकते। अब यदि आप सूर्य को देखते हैं, तो किरणों को काम करने के लिए सूर्य से बाहर आना पड़ता है। यदि आप किसी को देखते हैं, जैसे, एक व्यक्ति जिसके पास एक अधिकार है, उसे उस शक्ति को बाहर प्रकट करना Read More …