Shri Rajalakshmi Puja New Delhi (भारत)

4-12-1994 Shri Rajlaxmi Puja, Delhi आज हम राजलक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं, मतलब वह देवी जो राजाओं पर शासन करती है। आज यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि मूल रूप से कुछ गलत हो रहा है हमारी राजनीतिक व्यवस्थाओं की  कार्यप्रणाली में और क्यों लोगों ने अपनी न्याय, निष्पक्ष व्यवहार और परोपकार की भावना को खो दिया है। हम कहाँ गलत हो गए हैं कि ये सब खो रहा है? ये केवल भारत में नहीं, ये केवल जापान या इंग्लैंड में नहीं या किसी अन्य स्थान पर, जहाँ हमें लगता है कि लोकतंत्र है। सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी देशों ने, यहां तक ​​कि जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता पायी है, उन देशों का अनुसरण करना शुरू किया जो बहुत ही उच्च और पराक्रमी और बहुत शक्तिशाली माने जाते थे जैसे कि अमरीका, जैसे कि रूस, जैसे कि चीन, इंग्लैंड – सोचे समझे बिना कि वे अपने उस लक्ष्य को पाने में कितना सफल हुए हैं जो उन्हें प्राप्त करने थे। जैसा भी हो, इंग्लैंड जैसे देश में, आप देखते है यह राज-तंत्र, किस ढंग से यह काम करता है, आश्चर्य चकित कर देता है, बिल्कुल चौंका देता है । जिस तरह से उन्होंने अपने मंत्रियों के प्रति आचरण किया, जैसे क्रॉमवेल, आपको ऐसा लगता है जैसे कोई आदिम लोग कुछ प्रबंधन करने का प्रयत्न कर  रहे हैं। और राजा लोग इतने क्रूर, रानियाँ इतनी क्रूर, इतने चरित्रहीन, इतने अविश्वसनीय। उनमें कोई चरित्र नहीं था राजा और रानी बनने का। अपने राजलक्ष्मी सिद्धांत के प्रति कोई Read More …

Diwali Puja: Lights of Pure Compassion Istanbul (Turkey)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी दिवाली पूजा ‘शुद्ध करुणा का प्रकाश’ इस्तानबुल, तुर्की 5 नवंबर, 1994 आज हम दिवाली मनाने जा रहे हैं, जिसका अर्थ है दीपक की पंक्तियाँ या आप कह सकते हैं दीपकों का समूह। हमें तुर्की में भी अनुवाद करने के लिए किसी की आवश्यकता है। ये ठीक है!   यह दीपावली भारत में अत्यंत प्राचीन काल का पर्व रहा है। मैं अपने पिछले व्याख्यानों में पहले ही बता चुकी हूँ, कि ये पाँच दिन क्या हैं। नरकासुर को मारने के बाद दिवाली मनाई गई जब वो साल की सबसे अंधेरी रात थी। तो अब, यह इस आधुनिक समय में बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि सबसे बुरा वक्त, जहां तक ​​नैतिकता का सवाल है, इस आधुनिक समय में रहा है। हम इसे घोर कलियुग कहते हैं! घोर कलियुग, सब से बुरा आधुनिक समय। जिसका अर्थ है पूर्ण अधंकार। जैसा कि आप अपने चारों ओर देखते हैं, आप पाएंगे कि पूर्ण अंधकार है, जहां तक नैतिकता का प्रश्न है, और इसलिए सभी प्रकार के संकट हैं। इसके वजह से भी बहुत से लोग हैं, जो प्रकाश और सत्य को खोज रहे हैं।  अज्ञानता के काले युग में लोगों को पता नहीं है कि उन्हें क्या करना चाहिए, वे इस धरती पर क्यों हैं! जैसा कि आप बहुत अच्छे से जानते हैं, की हजारों हजारों सच्चे साधक हैं जो इस समय जन्मे हैं। इसीलिए यह कार्य मुझे दिया गया अज्ञान के काले युग में दिवाली बनाने के लिए। यह कार्य सरल नहीं है क्योंकि एक तरफ सच्चाई के खिलाफ काम Read More …

Shri Krishna Puja: Shri Krishna and the Paradoxes of Modern Times & short talk in Marathi Campus, Cabella Ligure (Italy)

  श्री कृष्ण पूजा। कैबेला (इटली), 28 अगस्त 1994 आज हम यहां हैं, श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए। जैसा कि आप जानते हैं कि श्री कृष्ण अवतार हैं, श्री विष्णु के। और श्री विष्णु वह है, जो इस ब्रह्मांड के संरक्षक है। जब इस पूरी दुनिया  को बनाया गया था, तब यह आवश्यक था, एक संरक्षक बनाना भी।  नहीं तो यह दुनिया  नष्ट हो गई होती और पूरी तरह से अगर इस दुनि को,बिना किसी संरक्षक के, अकेला छोड़ दिया जाता तो, जिस प्रकार इंसान की प्रवर्ति हैं, तो शायद वह इस दुनिया को कुछ  भी कर  सकते थे ।   परंतु , इसलिए, विष्णु संरक्षक हैं । वह संरक्षक हैं और केवल वह ही एक अवतार हैं। बेशक, कभी-कभी ब्रह्म देव ने भी अवतार लिया, लेकिन फिर भी उन्होंने केवल रूप धारण किया, हमारी विकास प्रक्रिया में, वो अलग-अलग रूप ले चुके है। वह  (श्री विष्णु ) इस धरती पर आए,अलग-अलग तरीकों से.  लेकिन फिर भी वह जैसा कि आप कहते हैं, बारह – बारह तक श्री राम थे और दस के माध्यम से वह वहाँ थे। इसलिए, उन्होंने खुद के आसपास कई महान पैगम्बरों का एक वातावरण भी बनाया ताकि वे इस ब्रह्माण्ड में धर्म की रक्षा कर सके।  तो, संरक्षण का आधार धर्म था, जो, जैसा कि आप जानते हैं, आध्यात्मिक जीवन की सबसे महत्वपूर्ण, मुलभूत नींव है। और इस धर्म में, जो भी महत्वपूर्ण चीज स्थापित की जानी थी, वह था संतुलन क्योंकि लोगों को किसी भी चीज के चरम में जाने की आदत थी ।  इसलिए, Read More …

Adi Shakti Puja: She is the Mother Campus, Cabella Ligure (Italy)

आज आप सभी ने आदि शक्ति की पूजा करने का निर्णय लिया है। कुंडलिनी शक्ति या आदि कुंडलिनी और आदिशक्ति की पूजा करने में फ़र्क़ है, अंतर इस प्रकार है, एक ओर कुंडलिनी आप में आदि कुंडलिनी के द्वारा प्रतिबिंबित हैं; दूसरी ओर आदि शक्ति की शक्ति है, जो परम चैतन्य हैं तो समग्रता में अगर आप देखे तो इसके दो पहलू हैं। एक है परम चैतन्य के रूप में उसकी शक्ति  और उसके साथ ही मनुष्य में कुंडलिनी के रूप में उसका प्रतिबिंब। तीसरा कार्य जो आदि शक्ति को करना था वह इस पूरे ब्रह्मांड की रचना करना । शुरुआत के लिए जैसा आपने कल भी देखा कि ब्रह्मांड कैसे बनाया गया था  और फिर कैसे धरती माँ के इस विशेष ग्रह को बनाया गया।  अब मैंने आपको एडम (नर) और ईव (मादा) के बारे में जो बताया है, हमने पाया है कि जॉन ने अपनी किताब ज्ञानशास्त्र में भी कहा है।  यह बहुत आश्चर्यजनक है।  मैंने हमेशा आपको बताया है कि ईसा मसीह ने आपको बहुत सी बातें बताई होंगी, लेकिन वे बाइबिल में नहीं हैं। इसलिए यदि आप समझते हैं कि यह आदि शक्ति एक सर्प के रूप में आई हैं, तो आदि कुंडलिनी उसका हिस्सा है, और एडम और ईव से कहा, विशेष रूप से ईव से कि उसे ज्ञान का फल खाने के लिए कहना चाहिए। और इसका कारण जो मैंने दिया वह वहां लिखा है मैंने आपको बिलकुल वही दिया है क्योंकि मातृ शक्ति, नारी शक्ति नहीं चाहती थी कि उसके बच्चे जानवरों की Read More …

Easter Puja: Resurrection Bundilla Scout Camp, Sydney (Australia)

ईस्टर पूजा। सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 अप्रैल 1994। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप यहाँ  बहुत संख्या में आए हैं – और मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा है, न केवल ऑस्ट्रेलिया के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए, क्योंकि इसमें सबसे बड़ा संदेश है जिसे हमने अब सहजयोग में साकार किया है। हमें ईसा मसीह के संदेश को समझना होगा। इस दुनिया में बहुत से लोग हैं जो यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे बहुत महान तर्कवादी हैं और उन्हें कोई  भी टिप्पणी करने का अधिकार है, जो उन्हें ईसा मसीह के बारे में पसंद है। अख़बारों में आज मैं पढ़ रही थी, मुझे आश्चर्य हुआ कि वे सभी एक-एक करके यह कह रहे हैं कि, “मैं ईसा मसीह के इस हिस्से को अस्वीकार करता हूँ कि वे निरंजन गर्भधारण से पैदा हुऐ थे। मैं अस्वीकार करता हूँ  कि वे पुनर्जीवित हो गए । मैं इसे अस्वीकार करता हूँ और मैं उसे अस्वीकार करता हूँ। ” आप हैं कौन? क्योंकि आप लिख सकते हैं, क्योंकि आपके पास एक सूझ है, आप ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं? बस बिना पता लगाए। आप एक विद्वान हैं, हो सकता है कि आप बहुत अच्छी तरह से पढ़े हों, हो सकता है कि आपको लगता है कि आप किसी भी विषय में जो कुछ भी पसंद करते हैं उसे कहने में सक्षम हैं, लेकिन आध्यात्मिकता के विषय को उन लोगों द्वारा नहीं निपटाया जा सकता जो आत्म- साक्षात्कारी भी नहीं हैं। क्योंकि यह एक बहुत ही Read More …

Mahashivaratri Puja, Surrender New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja. Delhi (India), 14 March 1994. It’s a great pleasure that from all over the world people have gathered to worship Shiva. Actually we should say it is Sadashiva that we are going to worship today. As you know the difference between Sadashiva and Shri Shiva. Sadashiva is the God Almighty and He is a witness of the play of the Primordial Mother. The combination between Sadashiva and the Primordial Mother Adi Shakti is just like a moon and the moonlight or the sun or the sunlight. We cannot understand such relationship in human being, among human marriages or among human relationships. So whatever the Adi Shakti’s creating, which is the desire of Sadashiva, is being witnessed by Him. And when He is watching this creation He is witnessing all of it into all details. He witnesses the whole universe and He also witnesses this Mother Earth, all the creation that is done by the Adi Shakti. His power is of witnessing and the power of Adi Shakti is this all pervading power of love. So the God Almighty, the Father, the Primordial Father we can say, expresses His desire, His Iccha Shakti as the Primordial Mother and She expresses Her power as love. So the relationship between the two is extremely understanding, very deep, and whatever She’s creating, if She finds, if He finds there is some problem or there are people, human beings specially who are trying to obstruct Her work, or even the Gods who are Read More …

Shri Raja Rajeshwari Puja (भारत)

Shri Raj Rajeshwari Puja Date 21st January 1994 : Place Hyderabad Type Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज हम श्री राज राजेश्वरी की पूजा करने वाले हैं। और आपके चक्र ठीक से बैठने लग जाते हैं। जब चक्र खासकर दक्षिण में देवी का स्वरूप अनेक तरह से माना आपके ठीक हो जाते हैं तभी कण्डलिनी जागृत होती है। जाता है। उसका कारण यहां पर आदिशंकराचार्य जैसे इसलिए पहले आप वैष्णव बनते हैं, उसके बाद आप शक्ति अनेक देवीभक्त हो गए हैं। और उन्होंने शाक्त धर्म की बनते हैं। इस प्रकार से दोनों चीजें एक ही हैं। स्थापना की अर्थात शक्ति का धर्म दो तरह के धर्म एक साथ चल पड़े। रामानजाचार्य ने वैष्णव धर्म की स्थापना की उसमें से राज राजेश्वरी को बहुत ज्यादा माना जाता है। और दो तरह के धर्मों पर लोग बढ़ते-बढ़ते अलग हो गये। अब देखा जाए तो लक्ष्मी जो है वो वैष्णव पथ पर है विष्णु के असल में जो वैष्णव है उसका कार्य महालक्ष्मी का है और प्रथ पर। विष्ण की पत्नी है और इसलिए ये लक्ष्मी का एक महालक्ष्मी के जो अनेक स्वरूप हैं उनको अपने में स्वरूप बताया गया है जो कि शक्ति का ही स्वरूप है। राज आत्मसात करना है। जैसे की धर्म की स्थापना करना और राजेश्वरी का मतलब है कि जब कण्डलिनी नाभि में आ मध्यमार्ग में रहना। न तो बाएं में जाना न दाये में जाना जाती है जहां पर उसे लक्ष्मी का स्वरूप प्राप्त होता है। ऐसा मध्य मार्ग में रहना। Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja. Chindwara (India), 18 December 1993. यहाँ के रहनेवाले लोग और बाहर से आये हुये जो हिन्दुस्थानी लोग यहाँ पर हैं, ये बड़ी मुझे खुशी की बात है, की हमारे रहते हुये भी हमारा जो जन्मस्थान है, उसका इतना माहात्म्य हो रहा है और उसके लिये इतने लोग यहाँ सात देशों से लोग आये हये हैं। तो ये जो आपका छिंदवाडा जो है, एक क्षेत्रस्थान हो जायेगा और यहाँ अनेक लोग आयेंगे , रहेंगे। और ये सब संत -साधु है, संत हो गये और संतों जैसा इनका जीवन है, कहीं विरक्ति है, कहीं ….. ( अस्पष्ट) है। कोई मतलब नहीं इनको। अपने घर में तो बहत रईसी में रहते हैं। यहाँ आ कर के वो किसी चीज़ की माँग नहीं और हर हालत में ये खुश रहते हैं। इसी तरह से सहजयोग के बहुत से योगी लोग आये हये हैं। अलग- अलग जगह से, मद्रास से आये हुये हैं और आप देख रहे हैं कि हैद्राबाद से आये हुये हैं। विशाखापट्टणम इतना दूर, वहाँ से भी लोग आये हुये हैं। बम्बई से आये हुये हैं, पुना से आये हुये हैं। दिल्ली से तो आये ही हैं बहुत सारे और लखनौ से आये हैं। हर जगह से यहाँ लोग आये हैं। पंजाब से भी आये हैं। इस प्रकार अपने देश से भी अनेक जगह | से लोग आये हये हैं। और यहाँ पूजा में सम्मिलित हैं। ये बड़ी अच्छी बात है कि सारा अपना देश एक भाव से एकत्रित हो जायें । बहुत हमारे यहाँ झगड़े और आफ़तें मची Read More …

Shri Ganesha Puja New Delhi (भारत)

Shri Ganesha Puja. Delhi (India), 5 December 1993. आज हम श्री गणेश पूजा करने है | इस यात्रा की शुरूआत हो रही है और इस मौके पर जरूरी है कि हम गणेश पूजा करें खासकर दिल्ली में गणेश पूजा की बहुत ज्यादा जरूरत है। हालांकि सभी लोग गणेश के बारे में बहुत कम जानते हैं। और क्योंकि महाराष्ट्र में अष्ट विनायक हैं और महा गणपति देव तो गणपति पूले में हैं। इसलिए लोग गणेश जी को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन उनकी वास्तविकता क्या है? गणेश जी हें क्या? इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। अब जो भी बात हम आपको बता रहे हैं यह सहजयोगी होने के नाते आप लोग समझ सकते हैं। आम दुनिया इसे नहीं समझ सकती। एक हद तक आम दुनिया, विशेषकर बढ्धि परस्त लोग सहजयोग को देख सकते हैं। किन्तु इस योग के घटित होने में कोई देवी देवता मदद करते है ये नहीं मानते और परमचैतन्य को भी अनेक तरह के नाम दे कर के वो समझाते है की ये कॉस्मिक एनर्जी है | पता नहीं लोग समझते है या नहीं |सबसे पहले इस पृथ्वी की रचना होने से पहले समझ लीजिये परमात्मा ने यही सोचा आदिशक्ति ने यही सोचा इस पृथ्वी पर पवित्रया आना चाहिए पवित्रत्रता आणि चाहिए | और पवित्ररता जब यहाँ फ़ैल जाएगी उसके बाद सृष्टि में चैतन्य चारो और कार्यान्वित हो जायेगा जैसे समझ लीजिये परमचैतन्य चारो और फैला हुआ है लेकिन उसका असर तो तभी आता है जब आपके अंदर पवित्ररता आती है अगर आपके अंदर पवित्रता Read More …

9th Day of Navaratri, Reintrospect Yourself Campus, Cabella Ligure (Italy)

                      नवरात्रि पूजा कबेला (इटली), 24 अक्टूबर 1993। आज हम यहां देवी की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। देवी के कई रूप हैं, लेकिन वह शक्ति का अवतार हैं। आदि शक्ति इन सभी अवतारों को शक्ति देती है और इसलिए हमारे पास कई देवी हैं। अलग-अलग समय पर वे इस धरती पर आए और जो साधक लोग थे उनके उत्थान के लिए वह सब किया जो आवश्यक था। विशेष रूप से जिसे हम जानते हैं, जगदम्बा, दुर्गा। वह सत्य के सभी साधकों की रक्षा करने और सभी बुरी ताकतों को नष्ट करने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि मनुष्य अपने उत्थान के बिना सत्य को नहीं जान पाते हैं, और इसलिए वे जो कुछ भी करने की कोशिश करते हैं वह एक मानसिक प्रक्षेपण (कल्पना)है, और यह मानसिक प्रक्षेपण, यदि यह सत्य पर, धर्म पर आधारित नहीं होता है, इसका पतन होता है। संस्कृत में इसे ग्लानी कहते हैं। जब यह ग्लानी होती है, तब अवतारों का जन्म होता है-समस्या को हल करने के लिए। देवी के सभी अवतारों के दौरान शैतानी ताकतों का भी बहुत अधिक अवतार हुआ है, उन्होंने अवतार लिया था, और देवी को उनसे युद्ध करके उन्हें नष्ट करना पड़ा था। लेकिन यह विनाश केवल विनाश की ख़ातिर नहीं था कि बुरी ताकतों को नष्ट कर दिया जाए, बल्कि बुरी ताकतें हमेशा साधकों को नीचे गिराने की कोशिश करती हैं, संतों को नीचे गिराने की कोशिश करती हैं, उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करती हैं, कभी-कभी उन्हें नष्ट भी कर देती हैं। ये सभी विनाशकारी Read More …

Guru Puja: Gurus who belong to the collective Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूजा, काबेला लंक (इटली), 04 जुलाई 1993. आज हम गुरु पूजा करने जा रहे हैं। वैसे मैं आपकी गुरु हूं। परंतु मुझे कभी-कभी लगता है कि एक गुरु की धारणा मुझसे अलग है। आम तौर पर, एक गुरु बहुत ही सख्त व्यक्ति होता है और किसी भी प्रकार का धैर्य नहीं रखता है। यहां तक ​​कि, उदाहरण के लिए संगीत: भारत में संगीत सिखाने वाले गुरु हैं; इसलिए, सभी नियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जाना चाहिए। मैं इन महान संगीतकार, रविशंकर के बारे में जानती हूं। हम मैहर गए थे जहां वह आए थे और उनके गुरु, अलाउद्दीन खान साहब मेरे पिता का बहुत सम्मान करते थे। तो, उन्होंने उनसे पूछा, “तुम कुछ क्यों नहीं बजाते?” तब उन्होंने उस समय उन्हें कुछ भी नहीं बताया। तब उन्होंने यहां एक बड़ी सूजन दिखायी। उन्होंने कहा, “सर, क्या आप इसे देख पा रहे हैं?” उन्होंने कहा, “क्या?” “मेरा अपना तानपुरा उन्होंने मेरे सिर पर तोड़ दिया, क्योंकि मैं सुर से थोड़ा बाहर था।” अन्यथा, वह बहुत अच्छे आदमी थे, मेरे विचार में; मैं अलाउद्दीन खान साहब को जानती थी  परंतु जब  यह सीखने की बात आयी, तो यह एक परंपरा है जो मुझे लगता है, कि आपको सभी प्रकार के नियमो को छात्रों के सामने रखना होगा, परंतु फिर भी छात्र गुरु से चिपके रहेंगे। वे हर समय देखभाल करते हैं। वे गुरु के लिए परेशान हैं, उन्हें यह चीज़ चाहिए, वह दौड़ेंगे, यदि वह ऐसा चाहते हैं, तो वह करेंगे। एक गुरु शिष्य की विभिन्न प्रकार से परीक्षाएँ Read More …

Adi Shakti Puja: The Fruit of Knowledge Campus, Cabella Ligure (Italy)

आदिशक्ति पूजा- 1993-06-06 – कबेला, इटली आज हम सभी पूजा करने जा रहे हैं ‘मेरी’ पहली बार ! पूजा सदा रही है मेरे किसी स्वरूप की, या मेरे अंश की। अब, हमें  बहुत स्पष्ट रूप से जानना होगा कि आदि शक्ति क्या है? जैसा कि हम कहते हैं, यह परमेश्वर की शुद्ध इच्छा है, सदाशिव की। परन्तु क्या शुद्ध इच्छा है, सर्वशक्तिमान ईश्वर की ? यदि आप देखें, आपकी अपनी इच्छाओं को उनका स्त्रोत क्या है? दैवीय प्रेम में से नहीं, किन्तु शारीरिक प्रेम में से, भौतिक प्रेम में से, शक्ति के प्रेम में से । इन सभी इच्छाओं के पीछे प्रेम है। यदि आप किसी चीज़ से प्रेम नहीं करते हैं, तो आप उसकी इच्छा नहीं करेंगे। तो ये सांसारिक प्रकार के प्रेम जो आपके पास हैं,जिनके लिए हम अपना बहुत समय गवाँते हैं, व्यर्थ में। वास्तव में वे आपको संतुष्टि नहीं देते हैं।  क्योंकि वह सच्चा प्रेम नहीं है, जो आपके पास है । बस ‘मोह’ है थोड़े से समय के लिए  और फ़िर आप बस इससे तंग आ जाते हैं और यहाँ से आप कूद जाते हैं किसी अन्य चीज़ पर, फ़िर किसी अन्य चीज़ पर, फ़िर किसी अन्य चीज़ पर । तो आदि शक्ति अभिव्यक्ति हैं परमेश्वर के दिव्य प्रेम की । यह परमेश्वर का शुद्ध प्रेम है और उनके प्रेम में, उन्होंने क्या चाहा? उन्होंने चाहा कि वे मनुष्यों का निर्माण करें जो बहुत आज्ञाकारी होंगे, उत्कृष्ट होंगे, स्वर्गदूतों की तरह होंगे। और यह उनका विचार था, आदम और हौवा को बनाने का। तो, स्वर्गदूतों Read More …

Shri Fatima Puja Istanbul, Mövenpick Hotel Istanbul (Turkey)

                                      श्री फातिमा पूजा इस्तांबुल (तुर्की), 18 मई 1993। 00:03:00 (यह सब ठीक है। मुझे आशा है कि आप मुझे हर तरह से सुन सकते हैं, क्या आप थोड़ा आगे आ सकते हैं? शायद।) 00:04:10 आज बहुत खुशी की बात है कि हम सब तुर्की में, फातिमा की पूजा का जश्न मनाने के लिए यहाँ हैं। जैसा कि आप उसके बारे में जानते हैं कि वह मोहम्मद साहब की बेटी थी और अली से शादी की थी, और उसके दो बच्चे थे, हसन और हुसैन, जो अंततः कट्टरपंथियों द्वारा कर्बला में मारे गए थे, जो उस समय खुद को सुन्नी कहते थे। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि वहाँ कट्टरता थी, और कट्टरता जो व्यक्ति को हमेशा विचार देती है कि वे ही सही राह पर हैं और उन्हें किसी दूसरे पक्ष को, किसी अन्य व्यक्ति पर गुस्सा करने ,दबाव डालने , मनाने का हर अधिकार है। और ये कट्टरताएँ लंबे समय से बढ़ी – यह कोई नई बात नहीं है। अब यह स्पष्ट है कि इस दुनिया में हमारी मुख्य समस्या कट्टरता की है। फातिमा ने अपने दो बच्चों को खो दिया, और वह गृह लक्ष्मी का अवतार थी। वह हमारी लेफ्ट नाभी में रहती है। तो तिल्ली से जुड़ी सभी बीमारियों के लिए, आपकी बाईं नाभी से जुड़ी सभी समस्याओं को केवल फातिमा द्वारा ही ठीक किया जा सकता है। इसलिए आपको फातिमा को अपने भीतर जागृत रखना होगा। यह कि हम यहां इस्लामी संस्कृति में हैं, हम कह सकते हैं कि यह इस्लामी संस्कृति का स्थान है; और इस्लामी Read More …

Shri Pallas Athena Puja: You have to be sincere and honest Athens, Sahaja Yoga Center in Athens (Greece)

                            श्री पल्लेस एथेना पूजा  एथेंस (ग्रीस), 26 अप्रैल 1993।  मेरे लिए यह बहुत अच्छा दिन है कि यहां इतने सारे सहज योगी को मिल रही हूँ जो इस देश, ग्रीस से हैं। जब मैं पहली बार ग्रीस आयी थी, मैंने अपने पति से कहा था कि यह देश चैतन्य से भरा है और इस देश में कई विकसित आत्माएं रही हैं, लेकिन शायद लोगों ने अपनी विरासत खो दी है, लेकिन वातावरण में चैतन्य हैं और एक दिन सहज योग यहां बहुत समृद्ध होना चाहिए। और किसी तरह, हम कुछ नौकरशाहों से मिले जो यूनानी थे और उनके साथ अनुभव अच्छा नहीं था और मेरे पति ने कहा कि “अगर आपने कहा कि यूनानी वास्तव में धार्मिक लोग हैं, तो इन लोगों को देखें। वे मेरे लिए क्या कर रहे हैं? मैंने कहा, “वे नौकरशाह हो सकते हैं और सभी जगह  नौकरशाहों के बारे में, आप यह नहीं कह सकते हैं कि वे किस तरह के लोग हो सकते हैं।” लेकिन, कुल मिलाकर, चैतन्य बहुत, बहुत अच्छा था, इसमें कोई संदेह नहीं है, और मैं यहां सभी स्थानों पर गयी, जैसे मैं डेल्फी गयी, मैं एथेना के मंदिर और सब कुछ देखने के लिए वहां गयी। सभी रुचि के स्थानों पर, उन्होंने मुझे विशेष रूप से मेरे लिए, चक्कर लगाया, क्योंकि वह अपने सम्मेलन में व्यस्त थे, इसलिए उन्होंने मुझे हर जगह घुमाया। और हर जगह मुझे लगा – यहां तक कि मैंने जो समुद्र महसूस किया वह बहुत सुंदर था। यह था करीब – मुझे लगता है कि मैं Read More …

Shri Mahalakshmi Puja, The Universal Love (भारत)

30 /12/ 1992  महालक्मी पूजा, सर्वव्यापी प्रेम, कल्वे, भारत  सहज योगियों को ऐसे साधारण सांसारिक लोगों के स्तर तक नहीं गिरना चाहिए। अंत में आपके साथ क्या होगा? जो लोग इस प्रकार की चिंता कर रहे हैं, मैं उन्हें कहूँगी कि वह गहन ध्यान में जाएं, यह समझने के लिए कि आप स्वयं का अपमान कर रहे हैं। आप संत हैं। आप इस बात की चिंता क्यों करें कि आपको कौन सा विमान मिलने वाला है, कौन सा नहीं? यह दर्शाता है कि आपका स्तर बहुत नीचा है – निश्चित रूप से। आप सभी जो चिंतित हैं, आप मेरे संरक्षण में यहां आए हैं, और मेरी सुरक्षा में ही वापस जाएंगे।  आज सुबह मैं ईतनी बीमार हो गई कि मुझे यह विचार आया, आज हम कोई पूजा का आयोजन नहीं करेंगे। आपको यह पता होना चाहिए कि आप सब मेरे अंग प्रत्यंग है। आपको अपने शरीर में स्थान दिया है, और आप आपना आचरण सुधारें !  ऐसे शुभ दिन में हम सभी यहां आए हैं, यह विशेष पूजा करने के लिए। मैं कहूँगी की इसे महालक्ष्मी पूजा कहना चाहिए क्योंकि इसका सम्बन्ध हमारे देश के और सारे संसार के उद्योग से है।  जब तक मनुष्य के सभी प्रयासों को परमात्मा के साथ जोड़ा न जाए, वह अपने उत्तम स्थिति और पद को प्राप्त नहीं कर सकते। इस कारण पश्चिम के देशों में अब हमें समस्याएं आती हैं। तथाकथित अत्यंत समझदार, अति चुस्त, संपन्न और शिक्षित लोग – अब यहाँ हमें आर्थिक मंदी जैसी स्थिति दिखती हैं, क्योंकि उनमें कोई संतुलन Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja, Ganapatipule (India), 25 December 1992. I must have said lots of things about Christ before, and how Jesus Christ is related to Shri Radhaji, that he is the incarnation of Shri Ganesha who was the son of the Adi Shakti to begin with but then he was given to Shri Radhaji and Shri Radha created as Mahalaxmi, as Mother Mary this great incarnation of Christ. Now for the western mind it is impossible to understand how there can be a immaculate conception because they have no sense at all, no sensitivity at all to spiritual life. We Indians can understand it, is very easy for Indians to understand because we had Shri Ganesha created that way. We just believe it we don’t doubt these things. Whatever is said about God is not to be doubted with this limited brain, that’s not done in India. But in the west, from the very birth of Christ they have had arguments, arguments, arguments, arguments with this limited brain they had, and the whole religion in the name of Christ is just a perversion, such a horrible things have been said that it’s unbelievable. His purity, his holiness, his auspiciousness is never understood in the west I think. Those who follow Christianity, how can they be so debased in their moral character. they’re all right for their political, their economical you can say, their legal side but their moral sense is absolutely missing. Is very surprising, those who are the followers of Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: Keep your Mahalakshmi principle intact Barcelona, Can Mas-casa de colónies (Spain)

श्री महालक्ष्मी पूजा – अपना महालक्ष्मी तत्व बनाए रखें  बार्सेलोना, कैन मास-कैंप हाउस (स्पेन), सितंबर १२, १९९२  आज हम यहाँ महालक्ष्मी पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। महालक्ष्मी तत्व हमारे अंदर एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। जब देशों में, परिवारों में, या व्यक्तिगत जीवन में, हम देखते हैं – (श्री माताजी ने स्पॅनिश में अनुवाद करने के लिए कहा)… ये महालक्ष्मी तत्व हमारे उत्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। ये तत्व हमारे अंदर है, पर ये तब तक जागृत नही होता जब तक हम एक परिस्थिती को प्राप्त ना कर लें (और) जहाँ हमें लगता है कि हम अब तक अपने जीवन से संतुष्ट नही हैं। जैसे अब  पश्चिमी देशों में अब आप पर लक्ष्मी तत्व की कृपा रही, इस अर्थ में कि समृद्धि है, लोग ठीक हैं, सबके के पास भोजन है, और दैनंदिनी जीवन में सब पर्याप्त है। पर वो देश जो गरीबी से त्रस्त हैं या जिनकी स्थिति बहुत खराब है, जैसे आप कह सकते हैं कि यूगोस्लाविया इन दिनों बहुत बुरी स्थिति में है, या सोमालिया, जो बहुत ही गरीब है, और इनकी कोई आध्यात्मिक पृष्ठभूमि भी नही है – तो उनके लिए इस जीवन का अर्थ केवल किसी तरह से जीवित बचे रहने में ही है। जीवन उनके लिए संकट से भरा हुआ है, और जीवन का अस्तित्व बनाए रखने में भी उन्हें संकट है। पर संपन्न देशों में ऐसा होता है, कि लोगों को यह लगने लगता है कि अब हमारे पास धन है, जीवन की सारी सुविधा है, पर तो भी ये Read More …

1st Day of Navaratri, 10th Position Campus, Cabella Ligure (Italy)

नवरात्रि पूजा कबेला लिगरे (इटली), 27 सितम्बर 1992। आज नवरात्रि का पहला दिन है। और जब मैंने पाया कि बारिश हो रही है और सभी प्रकार की समस्याएं हैं, और विष्णुमाया कुछ सुझाव दे रही थी, तो मैंने जरा कैलेंडर देखा, और आप यह जानकर चकित होंगे कि कैलेंडर में लिखा है कि पांच पैंतालीस तक यह शुभ नहीं है यह अशुभ है। पाँच पैंतालीस के बाद ही उचित शुरूआत होती है, तो ज़रा सोचिए, गणना करके यह कैसे सही था कि पाँच पैंतालीस के बाद ही हमें यह पूजा करनी थी, पाँच पैंतालीस के बाद। यानी इटली में या यूरोप में नवरात्रि का पहला दिन पांच पैंतालीस के बाद शुरू होता है। तो यह कुछ ऐसा है जिस से हमें समझना चाहिए कि चैतन्य सब कुछ कर रहा है, और वह सभी सुझाव दे रहा है; क्योंकि मैंने तो देखा ही नहीं था, जिसे आप तिथि कहते हैं, लेकिन मुझे बस ऐसा लगा, मैंने कहा कि यह हम शाम को रख लेंगे। और जब मैंने ऐसा कहा, मैंने कहा “चलो इसे देखते हैं,” और यही हो गया। हमें कितनी चीज़ें देखनी हैं, कि जो कुछ भी रहस्योद्घाटन तुम्हे हुआ है, तुम उसकी पुष्टि कर सकते हो। उदाहरण के लिए, मैंने बहुत पहले कहा था कि मूलाधार चक्र कार्बन, कार्बन परमाणु से बना है, और यदि आप इसे बाएं से दाएं-नहीं दाएं से बाएं, बाएं ओर देखते हैं तो आपको अन्य कुछ नहीं अपितु स्वास्तिक दिखाई देता है। तो, अब आप बाएं से दाएं देखते हैं, फिर आप ॐ देखते Read More …

Shri Vishnumaya Puja: Stop Feeling Guilty Shawnee on Delaware (United States)

Shri Vishnumaya puja. Shawnee, Pennsylvania (USA), 20 September 1992. आज हमने विष्णुमाया पूजा करने का निर्णय लिया है । इस संदर्भ में,  यह  ज्ञात होना चाहिए  कि यह विष्णुमाया कौन हैं  और  इनका – आप इसे पौराणिक कह सकते हैं,  पर यह एक ऐतिहासिक संबंध है । मैंने आपको बताया है कि अमरीका श्री कृष्ण का देश है और वह कुबेर हैं, साथ ही वह यम भी  हैं । क्योंकि वह कुबेर हैं, लोगों को उनकी संपन्नता मिली है, वो अमीर लोग हैं, उनके पास , कहीं भी और से अधिक धन है, लेकिन अगर आपको  स्मरण नहीं है, कि आपको संतुलन रखना है और यह भी कि श्री कृष्ण की शक्ति महालक्ष्मी की शक्ति है। इसलिए महालक्ष्मी तत्व ऐसा  है कि जहां  खोज महत्वपूर्ण है, विष्णु तत्व वो है जब श्री लक्ष्मी उनकी शक्ति हैं। एक निश्चित सीमा तक लक्ष्मी प्राप्त करने के बाद, फिर आप एक नई जागरूकता या एक नए प्रकार की खोज में कूद पड़ते हैं जो उस आत्मा की खोज  है जहां महालक्ष्मी सिद्धांत शुरू होता है, वह मध्य मार्ग है । यहाँ तक तो, अवश्य ही अमरीका में इसे शुरू कर दिया, महालक्ष्मी तत्व, लेकिन लोगों को नहीं पता था, वो विवेक नहीं था, वो नहीं जानते थे  कि इस खोज में किस मार्ग पर जाना है, और इतने सारे लोग झूठे विज्ञापनों के वादों द्वारा मोहित हो गए, हर प्रकार के दावे, सभी प्रकार के प्रलोभन  और दूसरी चीजों  से, और मैं बहुत समय पहले यहां आयी  थे जहां मुझे पता था कि Read More …

Shri Krishna Puja: Ascending beyond the Vishuddhi, The Viraata State Campus, Cabella Ligure (Italy)

                       श्री कृष्ण पूजा                                                                                                      विशुद्धि से आगे उत्थान,  विराट अवस्था   कबैला लिगरे (इटली), 16 अगस्त 1992। आज हमने श्री कृष्ण की पूजा करने का फैसला किया है। हमने कई बार इस पूजा को किया है और श्री कृष्ण के अवतरण का सार समझा है, जो छह हजार साल पहले था। और अब, उनकी जो अभिव्यक्ति थी, जिसे वह स्थापित करना चाहते थे उसे इस कलियुग में किया जाना था। वैसे भी, यह कलियुग सतयुग के एक नए दायरे में जा रहा है, लेकिन बीच में कृत युग है जहाँ यह ब्रह्मचैतन्य , या हम कह सकते हैं कि ईश्वर के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति, कार्य करने जा रही है। इस समय, श्री कृष्ण की शक्तियों के साथ क्या होने वाला है – यह हमें देखना है। श्री कृष्ण, जैसा कि मैंने आपको बताया, वह कूटनीति के भी अवतार थे। इसलिए वह चारों ओर बहुत सारी भूमिकाएँ निभाते है, और अंततः वह असत्य और झूठ को सामने लाते है; लेकिन ऐसा करने में वह लोगों का आंकलन भी करते है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि श्रीकृष्ण की कूटनीति की शक्तियां इस समय प्रकट होनी थीं, जब यह अंतिम निर्णय है। इसलिए अब हमने पहले जो कुछ भी गलत किया है, जो भी कर्म अज्ञान में किए गए हैं, या शायद जानबूझकर, उन सभी को वापस भुगतान किया जाएगा। उन पुण्यों को जो आपने पिछले जन्मों में या इस जीवन में किया है,  को भी पुरस्कृत किया जाएगा। यह सब श्री कृष्ण के सामूहिकता के सिद्धांतों के माध्यम से किया जाता है, Read More …

Shri Durga Mahakali Puja: France is going down and down Paris (France)

                        श्री दुर्गा महाकाली पूजा पेरिस(फ्रांस)                                                                                                                                  २५ जुलाई १९९२ आज हमने दुर्गा या काली की पूजा की व्यवस्था की है। वह देवी का सभी बुराई और नकारात्मकता का विनाश करने वाला रूप है। यह हमें फ्रांस में करना था, क्योंकि मैं बहुत दृढ़ता से महसूस करती हूं कि, दिन प्रतिदिन सामान्य तौर पर, फ्रांस नीचे और नीचे जा रहा है। जब आप लोग उत्थान पा रहे हैं, तो बाकी फ्रांस सबसे दयनीय स्थिति में है। सबसे पहले, जैसा कि आप समझते हैं, कैथोलिक चर्च है, जिसे – शायद आप जानते नहीं हैं, शायद हो सकता है – क्योंकि आप किसी अन्य भाषा को नहीं पढ़ते हैं, आप सिर्फ इस देश द्वारा अनिवार्य रूप से फ्रेंच पढ़ते हैं। इसलिए आपके पास कोई अंतर्राष्ट्रीय विचार या अंतर्राष्ट्रीय समाचार नहीं है कि इस कैथोलिक चर्च ने अतीत में इतने भयानक काम किए हैं, यह अविश्वसनीय है कि उनका भगवान से कोई लेना देना कुछ भी नहीं है। उन्होंने मन ही मन में कई कार्डिनल्स जलाए – उन्हें भुना। इतना ही नहीं, जिन्होंने भी कभी उनके बारे में एक शब्द भी बोलने की कोशिश की उन्होंने इतने लोगों को मार डाला। Read More …

Shri Vishnumaya Puja Ashram Everbeek, Everbeek (Belgium)

आज एक विशेष अवसर है विष्णुमाया पूजा करने का, क्योंकि उन्होंने घर में आगमन किया,  हमें उनकी पूजा करनी है।   पहले हमें जानना चाहिए कि विष्णुमाया कौन हैं। यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि देवी महामात्य में उन्हें सिर्फ देवी के अवतार के रूप में वर्णित किया गया है: “विष्णुमाया इति शब्दिता”,  उन्हें विष्णुमाया कहा गया है लेकिन अब हम देखें कि वह हैं कौन?  आखिर यह विष्णुमाया कौन हैं? तो विष्णुमाया काली हैं, हम कह सकते हैं, और महाकाली की पुत्री हैं।  वह इस धरती पर आयीं और अनेकानेक असुर और राक्षसों का वध किया, संतों को उनकी आक्रामकता से बचाने के लिए,  और वो हमेशा इसी प्रकार कार्य करती हैं जिस से दुनिया की सभी नकारात्मकता नष्ट हो सके। वह इस पर शीघ्रता से कार्य करती हैं, मुझे कहना चाहिए, और वह जानती हैं कि नकारात्मकता कहां है और वह उस नकारात्मकता को अतिशीघ्र जला देने की कोशिश करती हैं। अब उत्पत्ति कुछ इस प्रकार है कि यह विष्णुमाया महाकाली की पुत्री थीं, जिन्हें स्वयं महाकाली द्वारा रचित किया गया था, इन राक्षसों से लड़ने के लिए, लेकिन साथ ही इस कार्य हेतु उन्हें विशेष शस्त्र भी दिए गए थे। लेकिन श्री कृष्ण के काल में वह श्री कृष्ण की बहन के रूप में पैदा हुई थीं, और उनके मामा द्वारा श्री कृष्ण के मारे जाने के बजाये, जैसे आपने कहानी पढ़ी है, उनको बदल दिया गया था,  वह वास्तव में यशोदा की पुत्री थीं, जिन्हें श्री कृष्णा से बदल दिया गया था ।  और यह कन्या, छोटी Read More …

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Adi Kundalini Puja, Pure Love आज हम यहां आदि-कुंडलिनी और आपकी अपनी कुंडलिनी, दोनों की पूजा करने के लिये एकत्र हुये हैं क्योंकि आपकी कुंडलिनी आदि कुंडलिनी का ही प्रतिबिंब है। हम कुंडलिनी के विषय में बहुत कुछ समझ चुके हैं और हम यह भी जानते हैं कि कुंडलिनी के जागृत होने से ….. इसके उत्थान से हम चेतना की अथाह ऊंचाइयों को छू चुके हैं। ऐसा नहीं है कि हम मात्र चेतना के उच्च क्षेत्रों तक उठे हैं ….. इसने हमें कई शक्तियां भी प्रदान की हैं ….. आध्यात्मिकता के इतिहास में पहले कभी भी लोगों के पास कुंडलिनी को जागृत करने की शक्ति नहीं थी। जैसे ही उनकी कुंडलिनी जागृत होती थी वैसे ही वे या तो दांये या बांये की ओर चले जाते थे और शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास किया करते थे और ऐसी शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते थे जो लोगों के हित के लिये नहीं होती थीं। बुद्ध ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भविष्य में जब बुद्ध का पुनर्जन्म होगा …. तो मात्रयात् के रूप में होगा … अर्थात तीन माताओं की शक्तियां जिसमें निहित होंगी ……. जब वह इस धरती पर आयंगी उस समय इन शक्तियों को लोगों के हित के लिये उपयोग किया जायेगा। यह एक प्रतीकात्मक बात है …… लोगों के हित के लिये न कि केवल सहजयोगियों के लिये। जब तक कि जो बुद्ध अर्थात आत्मसाक्षात्कारी हैं …. कुंडलिनी के विज्ञान के विषय में नहीं जान जाते तब तक ये कैसे संभव है? जिन Read More …

Sahasrara Puja: The Will of God Campus, Cabella Ligure (Italy)

                               सहस्रार पूजा, “भगवान की इच्छा”  कबैला लिगरे (इटली), 10 मई 1992। आज हम सहस्रार दिवस मना रहे हैं। शायद हमने महसूस ही नहीं किया हुआ कि यह कितना महत्वपूर्ण दिन रहा होगा। सहस्रार को खोले बिना, स्वयं ईश्वर एक काल्पनिक कथा प्रतीत होता था, धर्म स्वयं एक मिथक था, और देवत्व के बारे में सभी बातें एक मिथक थीं। लोग इस पर विश्वास करते थे लेकिन यह सिर्फ एक विश्वास भर था। और विज्ञान, जैसा कि उसे आगे रखा गया था, सारी मूल्य प्रणाली एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर के सभी प्रमाणों को करीब-करीब खारिज़ ही करने वाला था। अगर आप इतिहास में देखें, एक के बाद एक, जब विज्ञान ने खुद को स्थापित किया, तो धर्म और विभिन्न धर्मो में मामलों के तथाकथित प्रभारी लोगों ने विज्ञान के निष्कर्षों से तालमेल बैठने की कोशिश की। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की: “ठीक है, अगर इसे ऐसा कहा जाता है – इतना तो बाइबल में है, और अगर यह गलत है तो हमें इसे ठीक करना चाहिए।” खासतौर पर ऑगस्टीन ने ऐसा किया, और ऐसा लगने लगा कि जैसे यह सब मूर्खता है, ये शास्त्र सिर्फ पौराणिक थे। हालांकि, कम से कम कुरान में, बहुत सी चीजें थीं जो आज के जीव विज्ञान का वर्णन कर रही थीं। वे विश्वास नहीं कर सकते थे कि मानव विशेष रूप से भगवान द्वारा बनाया गया था। उन्होंने सोचा कि यह संयोग की बात है कि, एक के बाद एक, जानवरों ने एक ऐसी स्थिति हासिल कर ली जिसके द्वारा वे मनुष्य बन गए। इस Read More …

Easter Puja: You have to grow and take up the responsibility Magliano Sabina Ashram, Magliano Sabina (Italy)

1992.04.19 ईस्टर पूजा, टॉक, रोम, इटली डीपी यह दिन हम सब के लिये हर्षित होने के लिए एक बहुत बड़ा दिन है और ईसा मसीह के इस पुनरुत्थान का आनंद लेने के लिए। ईसा मसीह का पुनरुत्थान हम सबका आज्ञा चक्र खोलने के लिये हुआ था। क्योंकि यह एक बहुत ही सूक्ष्म चक्र था जैसा की आप जानते हैं, बहुत जटिल। मनुष्य की जड़ता से परिपूर्ण विचारों के कारण और उनके अहंकार से, जिसने आज्ञा चक्र को बुरी तरह से बंद किया हुआ था, जिसमें से कुंडलिनी का निकलना पूर्णतय असंभव सा लगता था। इसलिए पुनरुत्थान का यह खेल खेला गया और ईसा मसीह मात्र चैतन्य थे और कुछ भी नहीं। वह मृत्यु से पुनर्जीवित हुए ऐसा कहा जाता है। ईसा मसीह की इस मृत्यु के कारण, हमें समझना होगा कि हमें हमारा पुनरूत्थान प्राप्त हो सका। हमने पुनरूत्थान प्राप्त किया और इसी के साथ जो कुछ भी भूतकाल में था वह नष्ट हो गया, अब समाप्त हो गया। इसलिए हमारे भीतर जो पश्चाताप है, जो जड़ता है वो समाप्त हो चुकी है। किन्तु फिर भी यह बहुत आश्चर्य की बात है कि ईसाई राष्ट्रों में अहंकार उस प्रकार से कम नहीं हुआ जैसा कि होना चाहिए था। सम्भवतः यह हो सकता है कि यहाँ ईसा मसीह को कभी भी उचित प्रकार से पूजा नहीं गया। पश्चिमी देशों में अहंकार इतना प्रभावी है कि कोई नहीं देख सकता कि वो क्या कर रहे हैं और कितनी दूर जा रहे हैं। बिना कारण ही वो किसी ऐसी बात का पश्चाताप कर Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा दिल्ली मार्च 21, 1992 हमारे देश में बहुत से सन्त हुए हैं हमने सिर्फ उनको मान लिया क्योंकि वो ऊंचे इन्सान थे। अब किसी भी धर्म में आप जाईए, कोई भी धर्म खराब नहीं है। जैसे अभी बताया कि बुद्ध धर्म है। मैंने बुद्ध धर्म के बारे में, पड़ा तो बड़ा आश्चर्य हुआ कि मध्य मार्ग बताया गया था लेकिन उस के बाद लोग उसको left (बाएँ) में और right (दाएँ) में ले गए। जो दाएँ मे ले गए वो पूरी तरह से सन्यासी हो गए, ascetic (त्यागी) हो बुद्ध गए। फिर उन्होंने बड़े बड़े कठिन मार्ग और उपद्रव निकाले। उन्होने सोचा कि क्योंकि सन्यासी हो गऐ थे, बहुत कठिन मार्ग से उन्होंने इसे प्राप्त किया। इसलिए हमें भी उसी मार्ग पर चलना चाहिए। पर उसकी इतनी कठिन चीजें उन्होने कर दीं, कि ज़मीन पर सोना, ठंड उसी में बहुत से लोग खत्म हो गए। एक ही मरतबा खाना में रहना आदि। उन्होंने अपनी जो कुछ भी निसर्ग में दी हुयीं जरूरतें थीं, उन्हें पूरी तुरह से, दबा. दिया। इस. तरह के दबाव डालूने से मनुष्य का स्वभाव बहुत उत्तेजित सा हो जाता है। इतना ही नहीं aggressive (आततायी) भी हो जाता है । उस में बहुत क्रोध समा जाता है ।क्रोध को दबाने से क्रोध और बढ़ता है और ऐसे लोग कभी कभी supra conscious (ऊपरी चेतना) में चल पड़ते हैं और उन्हें कुछ-कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं जिससे वो दूसरे लोगों पर अपना असर डाल सकते हैं। हिटलर के साथ यही हुआ। हिटलर Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

(श्रीमाताजी निर्मला देवी, श्री गणेश पूजा, कलवे (भारत, 31 दिसम्बर 1991) मैं उनको बता रही थी कि श्री गणेश की पूजा करना कितना महत्वपूर्ण है। आप सब फोटोग्राफ्स ( माइरेकल फोटोग्राफ्स) आदि के माध्यम से जानते ही हैं कि वे जागृत देवता हैं और उनका निवास स्थान मूलाधार पर है। वास्तव में वह सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं … मैं कहना चाहती हूं कि वह तो सारे चक्रों पर विराजमान हैं। उनके बिना कुछ भी कार्यान्वित नहीं हो सकता क्योंकि वह तो स्वयं साक्षात्  पवित्रता हैं। अतः जहां भी हमारी कुंडलिनी जाती है वह वहां वहां पवित्रता की वर्षा करते हैं और उनकी स्वच्छ करने की शक्ति के कारण श्री गणेश आपके चक्रों को स्वच्छ करते हैं। अतः श्री गणेश के गुणों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किस तरह से वह आपके चक्रों पर कार्य करते हैं और किस तरह से वह आपकी सहायता करते हैं। हम उनकी कितनी ही पूजा करें, कितना ही उनका गुणगान करें लेकिन हमें  यह भी देखना है कि हमने उनकी पवित्रता, पावनता और विवेकशीलता जैसे गुणों में से कितने गुणों को आत्मसात् किया है। हमें यह समझना है कि विवेक कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे किसी के अंदर जागृत किया जा सके या इसे सूझ-बूझ से किसी के अंदर स्थापित किया जा सके। ये तो एक ऐसा अंतर्जात गुण है जिसे परिपक्वता से ही प्राप्त किया जा सकता है और इस परिपक्वता को कुंडलिनी पर चित्त डालकर ही प्राप्त  किया जा सकता है ….. कुंडलिनी को परमात्मा की सर्वव्याप्त शक्ति से जोड़कर Read More …

Shri Ganesha and Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 24th December 1991 : Ganapatipule Place : Type Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahiri] आज का याग अति विशेष है। इस विशेष दिन को अंगार की चतुर्थी अथवा कृष्णपक्ष की चतुर्थी कहते हैं। प्रत्येक चतुर्थों को, जो कि महीने के चौथे दिन पडती है, को श्री गणेश का जन्मदिन मनाया जाता है। मंगलवार के दिन आयो इस चतुर्थी का विशेष महत्व हाता है। आज यही दिन है। हम सब मंगलवार, अंगार की चतुर्थी के दिन गणपति पुल में आये हैं। आज के दिन श्री गणेश की पूजा के लिए हजारा लोग यहाँ आते हैं। कि क्या करें। नम्रता तथा विवेक श्री गणेश जी को विशेषताएं हैं। ये दोनों गुण ग्णेश तत्व की देन हैं । सुन्दर चाल से चलने वाली स्त्री को भी गज गामिनी कहते हैं। हाथी केवल घास खाते हैं फिर भी अत्यंत शक्तिशाली होते हैं, वड़े-बड़े वजन ढाते हैं फिर भी बड़े शान्त स्वभाव के होते हैं। किसी भी चीज के लिए वे जल्दी नहीं करते। उनकी स्मरणशक्ति भी बहुत तीव्र होती है। जब भी आप की बायों और दुर्बल हा जाती है तो आपकी स्मरण शक्ति धुंध्रला जाती है। ऐसा इसलिए हाता है क्योंकि आपके अन्दर गणेश तत्व कम हो गया है। जब आप बहुत अधिक दायों ओर को झुक जाती है तो बायीं ओर का गणेश तत्व कम हो जाता है। अति कर्मी लोगों की स्मरण शक्ति भी वृद्धावस्था में समाप्त हो जाती है। सहजयोगियों को समझना चाहिए कि जा भी कुछ घटित हाता है, उसे Read More …

Shri Mahalakshmi Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja 21st December 1991 Date : Kolhapur Place Type Puja Speech Language English, Hindi & Marathi आप लोग इतनी दिल्ली से यहाँ पर पहुँचे हैं और सब का प्यार है जो खिंच के लाया आपको यहाँ पर। मैं दूर समझा नहीं सकती कि मुझे कितना आनन्द हुआ है कि आप लोग सब यहाँ हैं। दिल्ली में तो मुलाकात होती ही रहती है और बहुत लोगों से मुलाकात होती रही और सब को देखते रहे हम और आप लोगों ने बहुत प्रगति कर ली है। बड़े आश्चर्य की बात है, दिल्ली जैसा शहर जिसको की मैं हमेशा बिल्ली कहती थी। मैं कभी दिल्ली कहती नहीं थी। क्योंकि वहाँ के लोग, जिस वक्त मैं वहाँ रही, जब मेरी वहाँ शादी हुई तो सिवाय पॉलिटिक्स के कुछ बात ही नहीं करते थे । लेकिन शुरू के जमाने में वहाँ बहुत बड़े बड़े लोग हो गये। और जब वो पॉलिटिक्स की बात करते थे, तो यही कि, ‘हमारे देश की हालत कैसे ठीक होगी?’ क्योंकि मेरे पिताजी कॉन्स्टिट्यूट असेम्ब्ली के मेंबर थे, तो कैसा कॉन्स्टिट्यूशन बनना चाहिए? मतलब बहुत गहरी बाते करते थें। था तो पॉलिटिक्स ही, लेकिन उस पॉलिटिक्स में और आज कल के पॉलिटिक्स में बहुत ही ज्यादा फर्क हैं। और फिर उसके बाद पता नहीं कहाँ से सब लोग वहाँ पे पहुँच गये खटमल जैसे। सारे देश का खून चूसने वाले वहाँ पहुँच गये। और उन्होंने जिस तरह से | वहाँ पर राजकारण जमाना शुरू कर दिया, अनीति शुरू कर दी। तो मैं खुद ही सोचती थी, कि दिल्ली Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja Date 15th December 1991: Place Shere Type Puja [Hindi translation (English talk), scanned from Hindi Chaitanya Lahari] महाराष्ट्र में श्री गणेश की पूजा के महत्व की हमें समझना है। अष्टविनायक (आठ गणपति) इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द है और महाराष्ट्र के त्रिकोण बनाते हुए तीन पर्वत कुण्डलिनी के समान हैं। पूरे विश्व की कुण्डलिनी इस क्षेत्र में निवास करती है श्री गणेश द्वारा चैतन्यित इस पृथ्वी का अपना ही स्पन्दन तथा चैतन्य है। महाराष्ट्र की सर्वात्तम विशेषता यह है कि यह बहुत बाद में कभी भी आप सुगमता से यह विवेक उनमें नहीं भर सकते। तब इसके लिए आपको वहुत परिश्रम करना पड़ेगा। सहजयोग में यह विवेक तजी से कार्य कर रहा है और लोग वहुत बुद्धिमान होते जा रहे हैं। किसी भी मार्ग से हम चलें, हम पात हैं कि हमारो सारी समस्याएं मानव की ही देन है। जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है कि बाह्य जगत में जा भी प्रवृत्तियां या फैशन आयें आप उनसे प्रभावित नहीं हाते। आप अन्दर से परिवर्तित होते हैं। तब आप पूर्णतया जान जाते हैं कि दूसरे लोगों से क्या आशा की जाती उनसे किस प्रकार व्यवहार किया जाए, किस प्रकार बातचीत की जाए और उनके साथ किस सीमा तक चला जाए। यह सव विवेक से प्राप्त होता है। सहजयाग में आप सब अतियोग्य लाग विवेक को डतनी ही सुन्दर चित्त प्रदान करता है। श्री गणेश के चैतन्य प्रवाह के कारण चित्त एकाग्रित हो जाता है। पवित्रता तथा मंगल प्रदान करने के लिए श्री गणेश की सृष्टि हुईं। गणेश ही सभी का Read More …

Public Program Day 1 (भारत)

Public Program [Hindi]. Hyderabad, Andhra Pradesh (India), 11 December 1991. सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार। हम जब सत्य की बात कहते हैं तो यह पहले ही जान लेना चाहिए कि सत्य अपनी जगह अटल और अटूट है। उसे हम बदल नहीं सकते उसे हम अपने दिमाग से परिवर्तित नहीं कर सकते और उसके बारे में हम कल्पना भी नहीं कर सकते। सबसे तो दुख की बात यह है कि इस मानव चेतना से हम जान भी नहीं सकते कि सत्य क्या है। हम लोगों को यह सोचना चाहिए कि परमेश्वर ने यह इतनी सृष्टि सुंदर बनाई है, इतने सुंदर पेड़ हैं, फूल है, फल है, हमारा हृदय स्पंदित होता है यह सारी जीवित क्रिया कैसे होती है। हम कभी विचार भी नहीं करते यह हमारी आंख है देखिए कितना सुंदर कैमरा है। हम कभी विचार भी नहीं करते कि यह इतना सुंदर कैमरा, इतना बारीक, इतना नाजुक, किसने बनाया है और कैसे बनाया है। हम तो इसको मान लेते हैं, बस है हमारी आंख है, लेकिन यह आपके पास आई कैसे, इसके बनाने वाली कौन सी शक्ति है। यही शक्ति है जिससे कि पतंजलि योग में ऋतंभरा प्रज्ञा कहा गया है और उसे परम चैतन्य, ब्रह्मचैतन्य, रूह, ऑल परवेडिंग पॉवर ऑफ़ गोड्स लव कहते हैं। यह सब उसी एक शक्ति के नाम है, वही जीवंत शक्ति सभी कार्य करती है। उसी ने हमें अमीबा से इंसान बना दिया लेकिन अब हमें यह जानना चाहिए कि अगर इंसान बनाना है, आखिरी कार्य था तो इंसान तो Read More …

Puja (भारत)

Puja in Hyderabad, India. 11 December 1991. We have today come to this famous place, Hyderabad, which was ruled by Muslim kings, but they were very Indian and they fought also for the independence of India with the British. You know about Tipu Sultan, who was also a realized soul but he was killed. We have in our country one very big problem and that is, individually we are all great people, but when it comes to collective we don’t know how to live collectively, and that is why we lost our independence. Anybody can manage us. If we can open our eyes and see, it is quite easily understood that when people try to talk ill of others, involving us, there must be some intention. This has been our failing since long, that people use such methods that they spoil the relationships. And this should not crawl into Sahaja Yoga. When I am in India I think I should put some light on our weaknesses also. The second weakness we have, that we are very involved with our family; with our children, with our parents, with our brothers, cousins, this, that. Till you are completely deceived or cheated by someone so close, you’ll never learn a lesson. We are very involved; all our problems are around them. We cannot get out of our family. All the time we start thinking that: “Sahaja Yoga should help my family. Sahaja Yoga should do this for my family.” In Sahaja Yoga there’s Read More …

Confusion and the ordinary householders Madras (भारत)

                भ्रांति और सामान्य गृहस्थ  सार्वजनिक कार्यक्रम दिवस 2 मद्रास (भारत), 7 दिसंबर 1991। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। कल शुरुआत में ही मैंने आपसे कहा था कि सत्य वही है जो वह है। यदि हमें सत्य नहीं मिला है तो हमें उसके प्रति विनम्र और ईमानदार होना चाहिए, क्योंकि सत्य हमारी भलाई के लिए है, हमारे शहर, हमारे समाज, हमारे देश और पूरे ब्रह्मांड की भलाई के लिए है। यह एक बहुत ही खास समय है जब आप सभी पैदा हुए हैं, जहां लोगों को आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना है। यह पुनरुत्थान का समय है जैसा कि बाइबिल में वर्णित है, यह कियामा का समय है जैसा कि मोहम्मद साहब ने वर्णित किया है। यह एक बहुत ही खास समय है जब नल, जैसा कि आप जानते हैं, नल दमयन्ती अख्यान – नल का सामना कली से हुआ था। वह कली पर बहुत क्रोधित हुआ और कहा कि “तुमने मेरे परिवार को नष्ट कर दिया है, तुमने मेरी शांति को नष्ट कर दिया है, और तुम लोगों को भ्रम में डाल देते हो, इसलिए मैं तुम्हें मार डालूंगा।” उन्होंने कली को चुनौती दी कि “तुम्हें हमेशा के लिए समाप्त कर देना चाहिए।” तब कली ने कहा, “ठीक है, मैं आपको अपना महात्म्य बता दूं। मैं आपको बताता हूं कि मुझे वहां क्यों होना चाहिए। अगर मैं तुम्हें समझा सका तो तुम मुझे मारने का इरादा बदल सकते हो, लेकिन अगर मैं नहीं कर पाता तो तुम मुझे मार सकते हो।” तो उसने कहा कि “आज वे सभी Read More …

Diwali Puja: Joy and Happiness Campus, Cabella Ligure (Italy)

क्षमा करें, मुझे प्रवेश करने से पहले कुछ कहना था, लेकिन यह अच्छा है कि ऐसा घटित हुआ है, क्योंकि अब मुझे आपको कुछ बातें बतानी हैं जो कि जीवन में महत्वपूर्ण हैं और यह विशेष रूप से मुझे महिलाओं के लिए यह बताना होगा । मैंने देखा है – जाहिर है, मैं भी एक महिला हूं – कि महिलाओं के पास रोने, आंसू बहाने की कुछ जल-शक्तियां हैं, और सोचना कि वे बहुत दुखी हैं और हर किसी को दुखी करना । यह उनकी शक्ति है । मैंने ऐसा देखा है । मेरा मतलब है कि, यह गीत सबसे खराब गीत है जिसे आप किसी भी दिन गा सकें, जैसा भी हो । लेकिन यह किसी के दिमाग में आया है, बहुत नकारात्मक है । और केवल यह ही नहीं, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति को दर्शाता है जो कभी भी खुश नहीं रह सकता, और किसी की खुशी नहीं चाहता है । जबकि हर महिला के अंदर मातृत्व है, बड़ी क्षमताएं हैं, त्याग, सब कुछ है । लेकिन इसके साथ, उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि वे बायीं-पक्षीय हैं । और हमारा आनंद जिसके बारे में हम बात करते हैं, हमारे हृदय के अंदर, उसे बाहर अभिव्यक्त होना चाहिये । लोगों को यह दिखना चाहिए कि हम आनंद में हैं, कि हम लोग खुश हैं, कि हम दूसरों की तरह नहीं हैं जो छोटी-छोटी बातों पर रोने लगते हैं । जैसे जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, मुझे आश्चर्य हुआ कि अचानक मैं निर्विचार हो गयी, पूर्णतया Read More …

6th Day of Navaratri, Recognize Me Campus, Cabella Ligure (Italy)

                                                नवरात्रि पूजा  कबेला (इटली), 13 अक्टूबर 1991 आज हम यहां नवरात्रि पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। नौ बार ऐसा हुआ था जब इस ब्रह्मांड की मां के प्रमुख अवतार प्रकट हुए थे। वे एक उद्देश्य के साथ प्रकट होते हैं। वह उद्देश्य अपने भक्तों, अपने शिष्यों, अपने बच्चों की रक्षा करना है। यह एक प्रेम का बंधन था, वह इससे बच नहीं सकती थी। माँ की ममता एक बंधन है, वह उससे बच नहीं सकती। और उसे उसे अभिव्यक्त करना ही होता है, उसे कार्यान्वित करना है और अपने सभी बच्चों को वह सुरक्षा देनी है। आधुनिक समय में इस सुरक्षा ने दूसरा रूप धारण कर लिया है। उन दिनों शैतान उन लोगों को नुकसान पहुँचाने, नष्ट करने की कोशिश कर रहे थे, जो धर्मी थे, जो भक्त थे, जो अच्छे काम कर रहे थे, जो एक बहुत ही धार्मिक जीवन जीना चाहते थे। इसलिए उन्हें बचाने के लिए उन्होंने अवतार लिया। उनकी रक्षा के लिए उन्होंने अवतार लिया। लेकिन वे जानते थे कि क्या अच्छा है, वे जानते थे कि क्या गलत है और वे अपने अच्छे जीवन, अपने कीमती जीवन को संरक्षित करना चाहते थे। उन्हें धन की परवाह नहीं थी, उन्हें सत्ता की परवाह नहीं थी, लेकिन वे सिर्फ अपना जीवन चाहते थे, यानी वे जीवित रहना चाहते थे, देवी की पूजा करना चाहते थे। और जब वे इन शैतानी शक्तियों से परेशान या नुकसान या नष्ट हुए, तो उसे प्रकट होना पड़ा। लेकिन आधुनिक समय में यह बहुत जटिल हो गया है क्योंकि आधुनिक Read More …

श्री आदी कुंडलिनी पूजा (Germany)

श्री आदी कुंडलिनी पूजा, वील्बर्ग (जर्मनी), 11 अगस्त 1991। आज हम यहां आदी कुंडलिनी के साथ ही अपनी कुंडलिनी की पूजा करने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। सबसे पहले, मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात है, स्वयं की कुंडलिनी के बारे में समझना, क्योंकि आत्मसाक्षात्कार ही आत्म-ज्ञान है। और जो आपको आत्म-ज्ञान देता है वह है, आपकी अपनी कुंडलिनी , क्योंकि जब वह उठती है तो, वह इंगित करती है कि आपके चक्रों पर क्या समस्याएं हैं। अब, हम कहते हैं कि यह शुद्ध इच्छा है, लेकिन हम नहीं जानते कि शुद्धता क्या है|इसका तात्पर्य है तुम्हारी पवित्र इच्छा,| इसका अर्थ है कि इसमें कोई वासना, लालच, कुछ भी नहीं है। यह शक्ति तुम्हारी माँ है और आपकी त्रिकोणीय हड्डी में बस जाती है। वह आपकी मां है वह तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती है, यह एक टेप रिकॉर्डर की तरह है वह आपके बारे में सबकुछ जानती है और वह पूर्ण ज्ञान है – क्योंकि वह बहुत शुद्ध है और जो भी चक्र वह छूती है, वह यह भी जानती है कि उस चक्र में क्या गलत है – पहले से ही। तो वह काफी तैयार है, और वह खुद को पूरी तरह से समायोजित करती है ताकि आपको उसके जागरूकता से कोई समस्या न हो जाए। यदि कोई चक्र संकुचित है, वह प्रतीक्षा करती है और धीरे धीरे उस चक्र को खोलती है। अब, यह कुंडलिनी मौलिक शक्ति है जो आपके भीतर परिलक्षित होती है। और तुम्हारे भीतर, एक इंसान में यह ऊर्जा के कई Read More …

Shri Buddha Puja, You must become desireless (Belgium)

Shri Buddha Puja, “You must become desireless”. Deinze (Belgium), 4 August 1991. 4 अगस्त 1991, बेल्जियम आज, हम यहाँ बुद्ध की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं| जैसा कि आप जानते हैं कि बुद्ध एक राजा के पुत्र थे| और एक दिन वे एक बहुत ही गरीब आदमी, दुबले आदमी, बहुत ही उदास आदमी, को सड़क पर चलते हुए देख कर चकित रह गए | और वे उसे लेकर बहुत दुखी हुए| फिर उन्होंने एक आदमी देखा, जो कि बहुत बीमार था और मरने वाला था| फिर उन्होंने एक मृतक आदमी देखा और लोग उसे शमशान ले जा रहे थे| इस सबने उन्हें अत्यधिक व्याकुल कर दिया और वे इसके बारे में सोचने लगे और मनुष्यों में इन सब घटनाओं का क्या कारण है, खोजने लगे| सर्वप्रथम, वे इतने दयनीय या बीमार क्यों हो जाते हैं, या, वे इतनी कष्टपूर्ण तरीके से क्यों मृत्यु को प्राप्त होते हैं? अपनी खोज में उन्हें कारण मिल गया| वे पूरे विश्व में गोल-गोल घूमे, मुझे कहना चाहिए, मेरा मतलब है; उन्होंने उपनिषद पढ़े, उन्होंने पढ़े, बहुत से गुरुओं के पास गए, आध्यात्मिक शिक्षा के बहुत से स्थानों पर गए, बनारस, सब जगह वे गए| और अंततः, वे बरगद के पेड़ के नीचे बैठे थे, जब अचानक आदिशक्ति ने उनकी कुण्डलिनी जागृत की और उन्हें आत्म-साक्षात्कार प्राप्त हुआ| तब उन्हें बोध हुआ कि इन सबका कारण ‘इच्छा’ है| सहज योग में, अब हम समझ गए हैं कि बाकि सभी इच्छाएँ शुद्ध इच्छाएँ नहीं हैं| सर्वप्रथम, जो भी इच्छाएँ पूरी हुई हैं, हम उनसे संतुष्ट Read More …

Guru Puja, Four Obstacles Campus, Cabella Ligure (Italy)

Shri Adi Guru Puja. Cabella Ligure (Italy), July 28th, 1991. आज आप सब यहाँ उपस्थित हैं, अपने गुरु की पूजा करने के लिए   Iयह एक प्रचलित प्रथा है, विशेष रूप से भारतवर्ष में, की आप अवश्य अपने गुरु की पूजा करें, और गुरु का भी अपने शिष्यों पर पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए I गुरु के सिद्धांत बहुत कठोर हैं और इस कठोरता के कIरण बहुत से लोग एक शिष्य के आदर्शों के अनुसार स्वयं तो नहीं ढाल सकेI  उन दिनों गुरु को, पूर्ण रूप से, आधिकारिक बनना पड़ता था। और वह गुरु ही थे जो निश्चय करते थे कि कौन उनके शिष्य होंगे। और उनको कठिन तपस्या में लीन होना पड़ता था, बड़ी तपस्या में, मात्र एक शिष्य बनने के लिए। और यह कष्ट ही एक माध्यम था जिससे गुरु आकलन करते थे। गुरु हमेशा जंगलों में रहा करते थे। और वे अपने शिष्यों का चयन किया करते थे- बहुत कम, बिलकुल, बिलकुल थोड़े से। और उनको जाना पड़ता था, और भिक्षा मांगने, भोजन के लिए, आसपास के गावों से, और भोजन पकाते थे, अपने गुरु के लिए, स्वयं अपने हाथों से, और गुरु को खिलाते थे।   इस प्रकार की गुरु-प्रणाली सहजयोग में नहीं है। यह मूल रूप से हमें समझना पड़ेगा – कि जो अंतर उन शैलीयों के गुरु-पद में, और जो अब हमारे यहाँ है, वह यह है, कि बहुत कम व्यक्तियों को गुरु बनने का अवसर दिया जाता था, बहुत कम।  और इन गिने-चुनों का चुनाव भी अनेकों लोगों में से होता था, और उन्हें लगता Read More …

Shri Bhavasagara Puja 1991 Brisbane (Australia)

(श्रीभवसागर पूजा, ब्रिसबेन (ऑस्ट्रेलिया), 6 अप्रैल 1991। (संदीप दुरूगकर की पोस्ट का हिंदी अनुवाद) आज मैं आप सबको बताना चाहती हूं कि आपको अपने अंदर गहनता को प्राप्त करना होगा। यदि आप उस गहनता को अपने अंदर प्राप्त नहीं कर पाते हैं तो अभी भी आप साधारण दर्जे के सहजयोगी ही हैं। वास्तव में देवी और उनकी शक्तियों के विषय में पहले कभी भी किसी को नहीं बताया गया … कभी भी नहीं। इस विषय में उन्हें पूरी तरह से तब पता चला जब परमात्मा से उनकी एकाकारिता स्थापित हो पाई। इससे पहले उन्हें इस विषय पर बिल्कुल कुछ पता ही नहीं चल पाता था। आज सहजयोग का जमाना है और जैसे ही आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है वैसे ही आप अन्य लोगों को भी साक्षात्कार दे सकते हैं। तुरंत ही कुंडलिनी आपके हाथों की गति के अनुसार गति करने लगती है। आप अपना हाथ किसी के भी सिर पर रखें तो उस व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार मिल जायेगा। यह सच्चाई है। कुंडलिनी इसी प्रकार से कार्य करती है। लेकिन कुछ लोग सोचते हैं कि अब हमको कुछ नहीं करना है … हमने तो कुछ विशेष चीज प्राप्त कर ली है। जो कुछ करती हैं माँ ही करती हैं। आपको समझना है कि माँ केवल बहुत अच्छे यंत्र को ही कार्यान्वित कर सकती हैं न कि किसी कमजोर यंत्र को। हमारे कुछ सहजयोगी तो बहुत गहन हो चुके हैं। जब भी मैं उनसे पूछती हूं वे कहते हैं कि माँ हम लोग उठकर प्रत्येक दिन सुबह शाम आपकी पूजा किया करते Read More …

Shri Rama Puja कोलकाता (भारत)

रामनवमी पूजा – कलकत्ता, २५.३.१९९१ रामनवमी के अवसर पे एकत्रित हुए है, और सबने कहा है कि श्री राम के बारे में माँ आप बताइये। आप जानते हैं कि हमारे चक्रों में श्री राम बहुत महत्वपूर्ण स्थान लिए हुए हैं। वो हमारे राइट हार्ट पर विराजित हैं।  श्रीराम एक पिता का स्थान लिये हुए हैं, इसलिये आपके पिता के कर्तव्य में या उसके प्रेम में कुछ कमी रह जाये तो ये चक्र पकड़ सकता है।  सहजयोग में हम समझ सकते हैं कि राम और सब जितने भी देवतायें हैं, जो कुछ भी शक्ति के स्वरूप संसार में आये हैं, वो अपना-अपना कार्य करने आये हैं।  उसमें श्रीराम का विशेष रूप से कार्य है। जैसे कि सॉक्रेटिस ने कहा हआ है कि संसार में बिनोवेलंट किंग आना चाहिए।  उसके प्रतीक रूप श्रीरामचन्द्रजी इस संसार में आये हैं।  सो वो पूरी तरह से मनुष्य रूप धारण कर के आये थे।   वे ये भी भूल गये थे कि मैं श्रीविष्णु का अवतार हूँ, भुला दिया गया था।  किन्तु सर्व संसार के लिए वो एक पुरुषोत्तम राम थे। ये बचपन का जीवन सब आप जानते हैं और उनकी सब विशेषतायें आप लोगों ने सुन रखी हैं।  हम लोगों को सहजयोग में ये समझ लेना चाहिए कि हम किसी भी देवता को मानते हैं, और उसको  अगर हम अपना आराध्य मानते हैं तो हमारे अन्दर उसकी कौनसी विशेषताऐं आयी हुई हैं?  कौन से गुण हमने प्राप्त किये हैं?  श्रीरामचन्द्र जी के तो अनेक गुण हैं। क्योंकि वो तो पुरूषोत्तम थे। उनका एक गुण था Read More …

New Year Puja (भारत)

New Year Puja. Kalwe (India), 1 January 1991. [Shri Mataji speaks in Hindi] आज हम लोग बम्बई के पास ही में ये पूजा करने वाले हैं। बम्बई का नाम, मुम्बई ऐसा था। इसमें तीन शब्द आते हैं मु-अम्बा और ‘आई’। महाराष्ट्रियन भाषा में, मराठी भाषा में, माँ को ‘आई’ ही कहते हैं। वेदों में भी आदिशक्ति को ‘ई’ कहा गया है। सो जो आदिशक्ति का ही प्रतिबिम्ब है, reflection है, वो ही ‘आई’ है। इसलिए मां को आई, ऐसा कहते हैं और बहुत सी जगह माँ भी कहा जाता है। इसलिए पहला शब्द, उस माँ शब्द से आया है, मम। अम्बा जो है, वो आप जानते हैं कि वो साक्षात कुण्डलिनी हैं। सो ये त्रिगुणात्मिका- तीन शब्द हैं। और बम्बई में भी आप जान्ते हैं कि महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली ये तीनों का ही एक सुन्दर मन्दिर है। जहाँ पर पृथ्वी से ये तीन देवियाँ निकली हैं। हलाकि, यहाँ पर बहत गैर तरीके लोग उपयोग में लाते हैं पर तो भी ये तीनों देवियाँ यहाँ जागृत हैं। सो बम्बई वालों के लिए एक विशेष रूप से समझना चाहिए कि ऐसी तीनों ही मूर्तियाँ कहीं भी पाई नहीं जाती। वैसे तो आप जानते हैं कि ही माहूरगढ़ में महासरस्वती हैं, और तुलजापुर में भवानी हैं महाकाली हैं, और कोल्हापुर में महालक्ष्मी। और वरणी में अर्धमात्रा जो है उसे हम आदिशक्ति कहते हैं, वो हैं। लेकिन यहाँ तीनों ही मूर्तियाँ जागृत हैं। लेकिन जहाँ सबसे ज्यादा मेहनत होती है, और जहाँ पर चैतन्य सबसे ज्यादा अपना कार्य करता है। उसकी वजह भी कभी- Read More …

Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja 25th December 1990 Date : Ganapatipule Place Type Puja आपमें से लोग मेरी बात इंग्लिश में नहीं समझ पाये होंगे। ईसामसीह का आज जन्म दिन है और मैं कुछ समझा रही थी कि ईसामसीह कितने महान हैं। हम लोग गणेश जी की प्रार्थना और स्तुति करते हैं क्योंकि हमें ऐसा करने को बताया गया है। पर यह है क्या? गणेशजी क्या चीज़ हैं? हम कहते हैं कि वो ओंकार हैं, ओंकार क्या है? सारे संसार का कार्य इस ओंकार की शक्ति से होता है। इसे हम लोग चैतन्य कहते हैं, जिसे ब्रह्म चैतन्य कहते हैं। ब्रह्म चैतन्य का साकार स्वरूप ही ओंकार है और उसका मूर्त-स्वरूप है या विग्रह श्री गणेश हैं। इसका जो अवतरण ईसामसीह हैं। इस चीज़ को समझ लें तो जब हम गणेश की स्तुति करते हैं तो बस पागल जैसे गाना शुरू कर देते हैं। एक-एक शब्द में हम क्या कह रहे हैं? उनकी शक्तियों का वर्णन हम कर रहे हैं। पर क्यों? ऐसा करने की क्या जरूरत है? इसलिए कि वो शक्तियाँ हमारे आ जायें और हम भी शक्तिशाली हो जायें । इसलिए हम गणेश जी की स्तुति करते हैं। ‘पवित्रता’ उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। जो चीज़ पवित्र होती है वो सबसे ज़्यादा शक्तिशाली होती हैं। उसको कोई छू नहीं सकता। जैसे साबुन से जो मर्जी धोइए वो गन्दा नहीं हो सकता। एक बार साबुन भी गन्दा हो सकता पर यह ओंकार अति पवित्र और अनन्त का कार्य करने वाली शक्ति है। इस शक्ति की उपासना करते हुए हमें याद रखना है Read More …

Shri Mahalakshmi Puja Kolhapur (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 21st December 1990 : Place Kolhapur Type Puja Speech Language Hind मैं आपसे बता चुकी हूँ कि महाराष्ट्र में त्रिकोणाकार अस्थि और उसमें कुण्डलाकार में शक्ति विराजती है । महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती और आदिशक्ति इस तरह से साढ़े तीन कुण्डलों में बैठी हुई है। माहुरगढ़ में महासरस्वती हैं जिन्हें रेणुका देवी भी कहते हैं। तुलजापुर में भवानी है जिन्हें महाकाली कहते हैं और कोल्हापुर में महालक्ष्मी का स्थान है। यहाँ से आगे सप्तश्रृंगी नाम का एक पहाड़ है जिस पर आदिशक्ति की अर्धमात्रा है। इस प्रकार ये साढ़े तीन शक्तियाँ इस महाराष्ट्र में पृथ्वी तत्व से प्रकट हुई हैं। और यहीं पर श्री चक्र भी विराजता है। आप सब जानते हैं कि महालक्ष्मी ही मध्यमार्ग है जिससे कुण्डलिनी का जागरण होता है। इसलिए हजारों वर्षों से इस महालक्ष्मी मन्दिर में ‘उदे अम्बे’ कहा जाता है। क्योंकि अम्बा ही कुण्डलिनी है और कुण्डलिनी की शक्ति महालक्ष्मी में ही जागृत हो सकती है। इसलिए महालक्ष्मी के मन्दिर में बैठ कर अम्बा के गीत गाये जाते हैं। इसी स्थान पर अम्बा ने कोल्हापुर नामक राक्षस को मारा था, इसलिए इसका नाम कोल्हापुर पड़ा। कोल्हा का अर्थ है सियार। सियार के रूप में आये राक्षस का वध देवी ने किया। लेकिन जहाँ भी मन्दिरों में पृथ्वी तत्व ने ये स्वयंभू विग्रह तैयार किये हैं वहाँ लोगों ने बुरी तरह से पैसा बनाना शुरू कर दिया है । मन्दिरों की तरफ कुछ भी ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए कभी-कभी लगता है इन मन्दिरों में चैतन्य दब सा जाएगा। अब आप लोग Read More …

Diwali Puja: Touch Your Depth Chioggia (Italy)

दीवाली पूजा  चिओगिया, वेनिस (इटली), 21 अक्टूबर 1990। आप सभी को उस जुलूस में शामिल देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। दरअसल मैं इंतज़ार कर रही थी और इंतज़ार कर रही थी, और मैंने सोचा, “ये लोग मुझे पूजा के लिए क्यों नहीं बुला रहे हैं?” यह एक सुंदर आश्चर्य था, यह बहुत खुशी देने वाला है। तुम्हारी आँखों में खुशी नाच रही थी। मैं तुम्हारी आँखों में प्रकाश देख सकी थी और यही असली दीवाली है। दीवाली शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘दीपा’ और ‘अवाली’। दीपा का अर्थ है, आप जानते हैं, दीप, और अवाली का अर्थ है रोशनी की पंक्तियाँ, पंक्तियाँ और पंक्तियाँ। ऐसा लगता है कि यह एक बहुत ही प्राचीन विचार है और दुनिया भर में, आप देखिए, जब भी उन्हें कुछ जश्न मनाना होता है तो वे रोशनी करते हैं। और रोशनी क्योंकि रोशनी खुशी देती है, आनंद देती है। इसलिए अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए हमें खुद को भी प्रबुद्ध करना होगा। और इसलिए महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर के प्रकाश को महसूस करने के लिए आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना चाहिए। और आपने देखा होगा कि आत्मसाक्षात्कार के बाद आंखें भी चमकती हैं। हर सहजयोगी की आँखों में ज्योति है। आज वह दिन है जब हम लक्ष्मी की, लक्ष्मी सिद्धांत की पूजा करते हैं, जो हमारी नाभी में है। लक्ष्मी सिद्धांत जैसा कि समझा जाता है, मैंने आपको कई बार बताया है, लक्ष्मी का वर्णन किया है कि वह कमल पर खड़ी है और उसके हाथों में दो कमल Read More …

Navaratri Puja Geneva (Switzerland)

(नवरात्रि पूजा, देवी देवता आपको देख रहे हैं (आर्जियर जिनेवा ( स्विटजरलैंड), 23 सितंबर 1990) इन नौ दिनों में देवी को रात के समय अपने बच्चों की नकारात्मकता के प्रभावों से रक्षा करने के लिये राक्षसों से युद्ध करना पड़ता है। एक ओर तो वह प्रेम व करूणा का अथाह सागर हैं तो दूसरी ओर वह शेरनी की तरह अपने बच्चों की रक्षा करती हैं। पहले के समय में कोई ध्यान धारणा नहीं कर पाता था, परमात्मा का नाम नहीं ले पाता था और न ही आत्म-साक्षात्कार के विषय में सोच पाता था। लेकिन आज जो यहां बैठे हुये हैं …. आप लोग तो उन दिनों भी यहीं थे… आप लोगों को तो इसी दिन के लिये बचाया गया है ताकि आप अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त कर लें। उन दिनों में देवी का रूप माया स्वरूपी नहीं था। वह अपने वास्तविक स्वरूप में थीं जो उनके भक्तों के लिये भी अत्यंत विस्मयकारी था। सबसे पहले तो उनकी रक्षा की जानी थी। अतः जिस प्रकार से माँ अपने बच्चे को नौ महीने तक गर्भ में धारण करती है, इन नौ महीनों में …. या मान लीजिये नौ युगों में… आप सब की पूरी तरह से रक्षा की जाती रही है और फिर दसवें माह में आपको जन्म दिया गया है। यह जन्म भी हमेशा नौ महीनों के सात दिन बाद दिया गया है। इसके परिपक्व होने तक कुछ समय तक इंतजार किया गया। अतः नवरात्रि का दसवां दिन वास्तव में आदि-शक्ति की पूजा का है तो आज हम सचमुच आदि-शक्ति Read More …