What do we expect from Self-realisation? Caxton Hall, London (England)
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी, ‘हम आत्म साक्षात्कार से क्या अपेक्षा रखते हैं’ कैक्सटन हॉल, लंदन (यू.के.) 27 अक्टूबर, 1980 अभी हाल में, मैं आपको आत्म-साक्षात्कार के पश्चात हमारे भीतर की प्रगति के बारे में बता रही थी। अंकुरण बहुत सरलता से होता है। कुंडलिनी बहुत सरलता से ऊपर उठती है, ब्रह्मरंध्र को भी बहुत सरलता से छेदती है। यह वास्तव में, जैसा कि आप इसे कहते हैं, ‘सहज’ है। यह एक जबरदस्त घटना है। लोगों को आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने में हजारों वर्ष लग जाते हैं। यह भी एक सच्चाई है। उन्हें बार-बार जन्म लेना पड़ा, और बहुत कम चुने हुए लोगों को ही आत्मसाक्षात्कार मिला। लेकिन आज, जैसा कि मैंने कहा, कई फूलों के फल बनने का समय आ गया है। तो यह घटना ज्यादा समय नहीं लेती है। यह कई लोगों में बस ‘तत्क्षण’ का काम है। लेकिन जिस विकास के बारे में मैं पिछली बार बात कर रही थी, मैंने आत्म-साक्षात्कार पर बात समाप्त की – आत्म-साक्षात्कार क्या है, और हम आत्म-साक्षात्कार से क्या अपेक्षा करते हैं। जैसा कि आप जानते हैं, पहली चीज़ जो आपके साथ घटित होती है, जब कुंडलिनी ऊपर उठती है, आप शारीरिक रूप से बेहतर महसूस करने लगते हैं। आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है। यद्यपि कुंडलिनी मध्य भाग में सुषुम्ना के अंदर सबसे मध्य नाड़ी, जिसे ब्रह्म नाड़ी कहा जाता है, से उठती है। और पहली चीज़ जो घटित होती है, वह ये है, कि भौतिक प्राणी की सहायता होती है। वह हर चक्र का अंतरतम केंद्र नहीं है। Read More …